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लैंग्या वायरस

  • 13 Aug 2022
  • 7 min read

कोविड-19 और मंकीपॉक्स के मामलों के बीच एक नए जूनोटिक लैंग्या हेनिपावायरस ने चिंता बढ़ा दी है।

  • लैंग्या वायरस का पहला मामला वर्ष 2019 में सामने आया था। लैंग्या वायरस को जैव सुरक्षा स्तर-4 (BSL4) रोगजनकों के बीच वर्गीकृत किया गया है।

जैव सुरक्षा स्तर

  • BSL का उपयोग श्रमिकों, पर्यावरण और जनता की सुरक्षा के लिये प्रयोगशाला सेटिंग में आवश्यक सुरक्षात्मक उपायों की पहचान करने हेतु किया जाता है।
  • जैविक प्रयोगशालाओं में संचालित गतिविधियों और परियोजनाओं को जैव सुरक्षा स्तर द्वारा वर्गीकृत किया जाता है।
  • चार जैव सुरक्षा स्तर BSL-1, BSL-2, BSL-3 और BSL-4 हैं, जिसमें BSL-4 उच्चतम (अधिकतम) स्तर का नियंत्रण है।

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लैंग्या वायरस

  • परिचय:
    • लैंग्या वायरस एक जूनोटिक वायरस है जिसका मतलब है कि यह जानवरों से इंसानों में फैल सकता है।
    • लैंग्या जीनस हेनिपावायरस का हिस्सा है, जिसमें एक सिंगल स्ट्रैंडेड RNA जीनोम एक नकारात्मक अभिविन्यास के साथ है।
      • हेनिपावायरस पैरामिक्सोविरिने की अद्वितीय विशेषताएँ उनके बड़े जीनोम हैं, लंबे समय तक अपरिवर्तित क्षेत्र यह एशिया-प्रशांत क्षेत्र में ज़ूनोसिस का उभरता हुआ कारण है।
  • नोवल लैंग्या वायरस:
    • नया खोजा गया लैंग्या वायरस 'फाइलोज़ेनेटिक रूप से अलग हेनिपावायरस' है।
    • पहले खोजे गए हेनिपावायरस प्रकार के अन्य वायरस मोजियांग, घनियन, सीडर, निपाह और हेंड्रा हैं।
      • इनमें से निपाह और हेंड्रा को मनुष्यों में घातक बीमारियों का कारण माना जाता है।
    • लैंग्या का जीनोम संगठन "अन्य हेनिपावायरस के समान" है और यह "मोजियांग हेनिपावायरस" से निकटता से संबंधित है, जिसे दक्षिणी चीन में खोजा गया था।
  • लक्षण:
    • बुखार, थकान, खाँसी, जी मिचलाना, सिरदर्द, भूख न लगना आदि।
  • उपचार:
    • मनुष्यों के लिये कोई लाइसेंस प्राप्त दवाएँ या टीके नहीं हैं।

लैंग्या वायरस काप्रभाव:

  • गंभीर संक्रमण के मामले में लैंग्या वायरस संभावित रूप से मनुष्यों के लिये घातक हो सकता है।
  • लैंग्या, विषाणुओं के उसी परिवार से संबंधित है जिससे घातक निपाह विषाणु संबंधित है जो आमतौर पर चमगादड़ों में पाया जाता है।

विगत वर्ष के प्रश्न (PYQs):

प्र. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये:

  1. एडेनोवायरस में सिंगल-स्ट्रैंडेड डीएनए जीनोम होते हैं जबकि रेट्रोवायरस में डबल-स्ट्रैंडेड डीएनए जीनोम होते हैं।
  2. सामान्य सर्दी कभी-कभी एडेनोवायरस के कारण होती है जबकि एड्स रेट्रोवायरस के कारण होता है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2

उत्तर: (b)

व्याख्या:

  • मानव को संक्रमित करने वाले वायरस को एडेनोवायरस और रेट्रोवायरस के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है।
  • एडेनोवायरस एक प्रकार का वायरस है जिसमें कोई आवरण/झिल्ली नहीं पाई जाती है जबकि रेट्रोवायरस में आवरण उपस्थित होता है। एडेनोवायरस में डबल-स्ट्रैंडेड रैखिक डीएनए होता है और ये दो प्रमुख कोर प्रोटीन से जुड़े होते हैं। रेट्रोवायरस एक ऐसा वायरस है जो आरएनए को अपनी आनुवंशिक सामग्री के रूप में उपयोग करता है। जब रेट्रोवायरस किसी कोशिका को संक्रमित करता है, तो यह अपने जीनोम की एक डीएनए प्रतिलिपि बनाता है जिसे मेज़बान कोशिका के डीएनए के साथ मिलाया जाता है। अतः कथन 1 सही नहीं है।
  • एडेनोवायरस आम वायरस हैं जो कई तरह की बीमारियों का कारण बनते हैं। वे सर्दी जैसे लक्षण, बुखार, गले में खराश, ब्रोंकाइटिस, निमोनिया, दस्त, और गुलाबी आँख (नेत्रश्लेष्मलाशोथ) पैदा कर सकते हैं। जबकि रेट्रोवायरस कई मानव रोगों जैसे कैंसर और एड्स के कुछ रूपों का कारण बन सकते हैं। अत: कथन 2 सही है।
  • अतः विकल्प (b) सही उत्तर है।

प्रश्न. निम्नलिखित में से किनका, इबोला विषाणु के प्रकोप के लिये हाल ही में समाचारों में बार-बार उल्लेख हुआ?

(a) सीरिया और जॉर्डन
(b) गिनी, सिएरा लिओन और लाइबेरिया
(c) फिलीपीन्स और पापुआ न्यू गिनी
(d) जमैका, हैती और सूरीनाम

उत्तर: (b)

  • इबोला वायरस रोग (EVD), जिसे पहले इबोला रक्तस्रावी बुखार के रूप में जाना जाता था, मनुष्यों में होने वाली एक गंभीर, घातक बीमारी है। यह वायरस जंगली जानवरों से लोगों में फैलता है और मानव आबादी में मानव-से-मानव में संचरण करता है।
  • फ्रूट बैट’ टेरोपोडीडेई परिवार (Pteropodidae family) से संबंधित है जो वायरस के प्राकृतिक वाहक (Natural Hosts) है।
  • इबोला वायरस संक्रमित शारीरिक तरल पदार्थ के साथ निकट और प्रत्यक्ष शारीरिक संपर्क के माध्यम से मनुष्यों में फैलता है, सबसे संक्रामक रक्त, मल और उल्टी है। मां के दूध, पेशाब और वीर्य में भी यह वायरस पाया गया है।
  • गिनी, सिएरा लियोन और लाइबेरिया इबोला वायरस के प्रकोप को लेकर चर्चा में थे। इबोला वायरस रोग का सबसे व्यापक प्रकोप वर्ष 2013 में शुरू हुआ और वर्ष 2016 तक जारी रहा, जिससे पश्चिम अफ्रीकी क्षेत्र में मुख्य रूप से गिनी, लाइबेरिया और सिएरा लियोन के देशों में बड़े पैमाने पर जीवन का नुकसान और सामाजिक-आर्थिक व्यवधान हुआ।
  • दिसंबर 2013 में गिनी में पहले मामले दर्ज किये गए थे। बाद में, यह बीमारी पड़ोसी लाइबेरिया और सिएरा लियोन में फैल गई।

अतः विकल्प (B) सही उत्तर है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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