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क्रोनिक फेटीग सिंड्रोम

  • 16 Aug 2022
  • 5 min read

हाल ही में वर्ष 2014 से क्रोनिक फेटीग सिंड्रोम से पीड़ित एक व्यक्ति को चिकित्सक की सहायता से इच्छामृत्यु हेतु यूरोप जाने से रोकने के लिये दिल्ली उच्च न्यायालय में याचिका दायर की गई है।

क्रोनिक फेटीग सिंड्रोम

  • परिचय:
    • यह गंभीर और दुर्बल करने वाली बीमारी है जो तंत्रिका तंत्र, प्रतिरक्षा प्रणाली तथा शरीर के ऊर्जा उत्पादन तंत्र को प्रभावित करती है।
    • इसे "मायल्जिक एन्सेफेलोमाइलाइटिस" के रूप में भी जाना जाता है।
    • इसके संभावित परिणाम वायरल या बैक्टीरियल संक्रमण, हार्मोनल असंतुलन और आनुवंशिक दोष हैं।
    • यह बच्चों से लेकर बड़ों तक किसी को भी प्रभावित कर सकता है।
  • लक्षण:
    • बीमारी से कार्य करने की क्षमता में काफी कमी महसूस होती है।
    • इस प्रकार की थकान या दुर्बलता वाली बीमारी के 6 महीने से अधिक होने पर स्थिति अधिक गंभीर हो जाती है।
    • सबसे अधिक पहचाने जाने योग्य लक्षण पोस्ट-एक्सरशनल मलाइज़ (PEM) है।
    • सामान्य छोटी-मोटी खरीदारी या दाँतों को ब्रश करने जैसी छोटी गतिविधियों के बाद भी शारीरिक / मानसिक ऊर्जा में "कमी" महसूस होती है।
    • अन्य लक्षण:
      • नींद न आना, सोचने में कठिनाई, याददाश्त या ध्यान केंद्रित करने की समस्या, चक्कर आना / हल्का सिर दर्द, सिरदर्द, माँसपेशियों में दर्द, जोड़ों में दर्द, फ्लू जैसे लक्षण, टेंडर लिम्फ नोड्स और पाचन संबंधी समस्याएँ।
  • उपचार:
    • CFS बीमारी के लिये कोई विशेष प्रकार का टेस्ट उपलब्ध नहीं है, इसलिये इसका निदान लक्षणों के आधार पर किया जाता है, इसके लिये रक्त और मूत्र का टेस्ट भी करवाना पड़ सकता है।
    • डॉक्टरों ने "पेसिंग" जैसे रोग के लक्षणों से निपटने के तरीकों को बताया है जिसमें रोगी मेहनत के कारण दुर्घटनाओं को रोकने के लिये आराम और गतिविधि को संतुलित करना सीखते हैं।

इच्छामृत्यु:

  • परिचय:
    • इच्छामृत्यु रोगी (विचाराधीन रोगी आमतौर पर मानसिक रूप से बीमार होगा या बहुत दर्द और पीड़ा का अनुभव कर रहा होगा) की पीड़ा को सीमित करने के लिये रोगी के जीवन को समाप्त करने की प्रथा है।
  • प्रकार:
    • सक्रिय इच्छामृत्यु:
      • ‘सक्रिय इच्छामृत्यु’ वह स्थिति है, जब इच्छामृत्यु चाहने वाले किसी व्यक्ति (रोगी) को इस कृत्य में सहायता प्रदान की जाती है, जैसे- जहरीला इंजेक्शन लगाना आदि। इसे कभी-कभी "आक्रामक" इच्छामृत्यु भी कहा जाता है।
    • निष्क्रिय इच्छामृत्यु:
      • कृत्रिम जीवन समर्थन रोककर रोगी को जानबूझकर मरने देना।
    • स्वैच्छिक इच्छामृत्यु:
      • रोगी की सहमति से।
    • अनैच्छिक इच्छामृत्यु:
      • रोगी की सहमति के बिना, उदाहरण के लिये यदि रोगी बेहोश है और उसकी इच्छाएँ अज्ञात हैं।
  • भारत में कानूनी प्रावधान:
    • वर्ष 1994 में ज्ञान कौर बनाम पंजाब राज्य में भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने माना था कि आत्महत्या और इच्छामृत्यु दोनों गैरकानूनी थे।
      • 'जीवन के अधिकार' में मृत्युवरण का अधिकार शामिल नहीं है। इसलिये पी. रथिनम बनाम भारत संघ में दो-न्यायाधीशों की पीठ के फैसले को खारिज कर दिया जिसने भारतीय दंड संहिता की धारा 309 (आत्महत्या का प्रयास) को असंवैधानिक करार दिया।
    • वर्ष 2011 में अरुणा रामचंद्र शानबाग बनाम यूनियन ऑफ इंडिया में सर्वोच्च न्यायालय ने माना कि असाधारण परिस्थितियों में और शीर्ष नयायालय की सख्त निगरानी में निष्क्रिय इच्छामृत्यु को मंज़ूरी दी जा सकती है।
    • वर्ष 2018 में सर्वोच्च न्यायालय ने देश में निष्क्रिय इच्छामृत्यु की अनुमति देते हुए, गरिमा के साथ मरने के अधिकार को मौलिक अधिकार घोषित किया।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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