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सामाजिक न्याय

द बिग पिक्चर: भारत एवं टीकाकरण अभियान

  • 28 Jan 2021
  • 14 min read

संदर्भ:

भारत ने 16 जनवरी, 2021 को "विश्व का सबसे बड़ा टीकाकरण कार्यक्रम" शुरू किया।

  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत निर्मित दो कोविड-19 वैक्सीन को स्वीकृति मिलने के साथ भारत कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में टीकाकरण के एक निर्णायक चरण में प्रवेश कर रहा है।
    • प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि दोनों वैक्सीन विश्व में किसी भी अन्य कोविड-19 वैक्सीन की तुलना में अधिक लागत प्रभावी हैं तथा भारत की वैक्सीन उत्पादन एवं वितरण क्षमता का उपयोग इस महामारी के संकट में संपूर्ण मानव समुदाय की सहायता करने के लिये किया जाएगा।

प्रमुख बिंदु:

  • यह भारत का प्रथम वयस्क टीकाकरण अभियान है।
    • दोनों टीके टीकाकरण की दृष्टि से और मानव शरीर पर किसी बड़े दुष्प्रभाव की आशंका नहीं है। हालाँकि टीके के पश्चात थोड़ा दर्द अथवा त्वचा के लाल होने जैसी कुछ सामान्य प्रतिक्रियाएँ हो सकती हैं।
    • टीके को खरगोश, चूहा एवं हैम्स्टर जैसे जानवरों के बाद मानव सदृश्य जीवों पर प्रयोग किया गया है।
    • ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ़ इंडिया (DCGI) ने भारत बायोटेक द्वारा निर्मित कोवैक्सीन एवं सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा निर्मित कोविशील्ड दो स्वदेशी वैक्सीन के आपातकालीन-उपयोग की मंज़ूरी दी है।
    • कोवैक्सीन एक निष्क्रिय वैक्सीन है, जबकि कोविशील्ड एक सक्रिय वैक्सीन है।
  • टीकाकरण के पहले चरण में 3 करोड़ लोगों को वैक्सीन लगाईं जानी है जिसमें स्वास्थ्य कार्यकर्त्ता एवं फ्रंटलाइन कार्यकर्त्ता आदि शामिल हैं।
    • इनके टीकाकरण का खर्च सरकार द्वारा वहन किया जायेगा।

सक्रिय एवं निष्क्रिय टीके

  • सक्रिय वैक्सीन: इनमें किसी रोगाणु के कमजोर (अथवा क्षीण) रूप का उपयोग किया जाता है।
    • क्योंकि यह वैक्सीन प्राकृतिक संक्रमण से इतनी मिलती-जुलती होती है कि एक शक्तिशाली एवं दीर्घकालीन प्रतिरक्षा प्रदान करती है।
    • नोट: चूँकि इसमें अल्प मात्रा में कमज़ोर सक्रिय विषाणु होते हैं, इसलिये कमज़ोर प्रतिरक्षा तंत्र वाले लोग, दीर्घकालिक स्वास्थ्य समस्याओं वाले व्यक्ति अथवा जिन व्यक्तियों का अंग प्रत्यारोपण हुआ हो, उन्हें स्वास्थ्य सेवा प्रदाता से पूर्व परामर्श के बिना यह टीका नहीं लगाया जाना।
  • निष्क्रिय टीका: बड़ी संख्या में सक्रिय रोगजनक उत्पन्न किये जाते हैं तत्पश्चात् उन्हें रसायनों अथवा ऊष्मा की सहायता से निष्क्रिय कर दिया जाता है। यद्यपि रोगजनक को निष्क्रिय कर दिया जाता है या इनकी प्रजनन क्षमता को समाप्त कर दिया जाता है, रोगजनक के विभिन्न हिस्से बरकरार रहते हैं जैसे-एंटीजन (रासायनिक संरचना) जिसकी पहचान प्रतिरक्षा तंत्र द्वारा की जाती है, को अछूता रखा जाता है।
    • क्योंकि रोगजनक मृत होता है, इसलिये न तो यह प्रजनन करने में सक्षम होता है, न ही किसी रोग का कारण बन सकता है। अतः कम प्रतिरक्षा वाले लोगों जैसे कि वृद्ध एवं सहरुग्णता वाले लोगों को इन्हें दिया जाना सुरक्षित होता है।

भारत एवं वैक्सीन:

  • वर्तमान में विश्व की कुल 80-90% खसरे की वैक्सीन भारत द्वारा प्रदान की जाती है।
    • भारत द्वारा दक्षिण अमेरिका को रूबेला के टीके की सभी प्रकार की आपूर्ति की जाती  है।
  • भारत की स्वदेशी रूप से विकसित मेनिंगोकोकल वैक्सीन की आपूर्ति संपूर्ण उप-सहारा अफ्रीकी क्षेत्र में की जाती है।
    • मेनिंगोकोकल मेनिन्जाइटिस, नेइसेरिया मेनिन्जाइटिस जीवाणु के कारण होता है। यह पतली परत का एक गंभीर संक्रमण है जो मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी के चारों ओर रहती है।
  • स्वदेशी रोटावायरस वैक्सीन की आपूर्ति विश्व के 16 देशों को की जा रही है।
  • भारत द्वारा विभिन्न प्रकार के नोवेल वैक्सीन विकसित किये गए हैं जैसे कि विश्व की पहली सब-यूनिट रेबीज वैक्सीन। इसे ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया द्वारा मंज़ूरी प्रदान की गई है।
    • सब-यूनिट वैक्सीन किसी रोगजनक के प्रोटीन अथवा ग्लाइकोप्रोटीन घटकों से बनी होती है जो एक सुरक्षात्मक प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया उत्पन्न करने में सक्षम होती हैं एवं पारंपरिक जैव रासायनिक अथवा पुनः संयोजक डीएनए प्रौद्योगिकियों द्वारा इसका उत्पादन किया जा सकता है।

सुगम एवं प्रभावी टीकाकरण अभियान हेतु सरकार की रणनीति:

  • प्रारंभिक उपाय: जिन प्रारंभिक पहलुओं पर कार्य शुरू किया गया है, उनमें भौतिक अवसंरचना, मानव संसाधन एवं वैक्सीनेटर्स का प्रशिक्षण शामिल है।
  • डिजिटल पहलू: नागरिकों के पंजीकरण एवं टीकाकरण के डिजिटल प्रमाण पत्र बनाने के लिये सरकार ने कोविन एप्लीकेशन लॉन्च किया है।
  • सामुदायिक भागीदारी: प्रारंभिक पहलुओं के अतिरिक्त प्रधानमंत्री द्वारा सामुदायिक भागीदारी पर भी बल दिया गया है। उन्होंने सभी से आगे आने एवं वैक्सीन संबंधी संदेह को खत्म करने में सहायता करने का आग्रह किया है।
  • लाभार्थी की पहचान: स्वास्थ्य एवं फ्रंटलाइन कार्यकर्त्ताओं के लिये अलग-अलग नीति तैयार की गईं है।
    • ऐसे सहरुग्णता की स्थिति वाले व्यक्ति तथा जिनकी आयु 50 वर्ष से अधिक है उनका टीकाकरण इसके बाद किया जाएगा।
    • लाभार्थी की पहचान के लिये आधार का भी उपयोग किया जाएगा।

आवश्यक उपाय:

  • जागरूकता बढ़ाना: ऐसे नेताओं, प्रभावशाली लोगों एवं स्वास्थ्य कर्मियों जिनको टीका लग चुका है, को आगे आने की आवश्यकता है एवं टीकाकरण के संबंध में जागरूकता फैलाने में सहायता करनी चाहिये।
  • प्रभावी सहयोग: केंद्र, राज्य, समुदायों एवं स्वास्थ्यकर्मियों के सहयोग से प्रभावी तथा विकेंद्रीकृत कार्यान्वयन।
  • समुचित प्रशिक्षण: वैक्सीनेटर्स का उचित प्रशिक्षण सुनिश्चित करना एवं वैक्सीन के तापमान प्रबंधन के उपाय अपनाना।
  • निगरानी: वैक्सीन के कारण उत्पन्न होने वाले किसी भी दुष्प्रभाव पर नज़र रखना एवं ऐसी परिस्थितियों से निपटने के लिये आपातस्थिति के दौरान उपयोग किये जाने वाले उपायों को अपनाना।

कोविन एप्लीकेशन (Co-WIN Application)

  • टीकाकरण अभियान की निगरानी एवं टीकाकरण के लिये सूचीबद्ध लाभार्थियों को वास्तविक समय के आधार पर ट्रैक करने के लिये केंद्र सरकार ने कोविड वैक्सीन इंटेलीजेंस नेटवर्क अथवा कोविन एप्लीकेशन विकसित की है।
    • कोविन, कोविड-19 टीकाकरण अभियान के दौरान वैक्सीन के भंडारण एवं भंडारण तापमान की वास्तविक समय के आधार पर जानकारी प्रदान करेगा।
  • कोविड-19 टीकाकरण अभियान के दौरान एप्लीकेशन का उपयोग बैक-एंड सॉफ्टवेयर के रूप में किया जाएगा।
    • कोविन एप्लीकेशन का स्व-पंजीकरण मॉड्यूल अभी तक जारी नहीं किया गया है।

चुनौतियाँ:

  • वैक्सीन हेज़िटेंसी: चाहे वे आम लोग हों या फ्रंटलाइन कार्यकर्त्ता, यदि उनमें वैक्सीन के प्रति हेज़िटेंसी है, तो यह टीकाकरण अभियान के सुचारु कार्यान्वयन में बाधक हो सकता है।
  • अगर स्वास्थ्यकर्मी टीका लगवाने से हिचकिचाते हैं, तो इससे आम लोगों पर सकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ेगा क्योंकि वे उन व्यक्तियों, जिन्हें अगले चरण में टीका लगना है, के लिये रोल मॉडल हैं।
  • वैक्सीन के दुष्प्रभावों के संबंध में अनिश्चितता एवं संदेह है।
  • कोविन एप्लीकेशन से संबंधित समस्याएँ: इंटरनेट कनेक्टिविटी जैसी समस्याएँ, वैक्सीन भंडारण को ट्रैक करने या लाभार्थियों की जानकारी अद्यतन करने में बाधा उत्पन्न कर सकती है।
  • अनुभव का अभाव: कोविड-19 टीकाकरण अभियान भारत का प्रथम बड़े पैमाने का टीकाकरण अभियान है, इसलिये अनुभव का अभाव होने के कारण गलतियों की संभावना हो सकती है।
  • वैक्सीन अपव्यय: प्रत्येक वैक्सीन की शीशी में 10 खुराक होती हैं और इसे खोलने के 4 घंटे के भीतर उपयोग किया जाना चाहिये। इससे वैक्सीन का अपव्यय हो सकता है।

आगे की राह:

  • वैक्सीन हेज़िटेंसी को खत्म करना: कोविड-19 टीके वयस्कों के लिये हैं, ऐसे भ्रम दूर करने एवं वैक्सीन हेज़िटेंसी को समाप्त करने के लिये संचार की आवश्यकता है।
    • समुदाय आधारित संगठनों के साथ जुड़ाव एवं वैक्सीन के संबंध में लोगों को शिक्षित कर जागरूकता फैलाना आवश्यक है।
  • जनभागीदारी: सामुदायिक सहभागिता अथवा जनभागीदारी पर बल दिया जाना चाहिये।
    • लोगों को वैक्सीन लगवानी चाहिये एवं वैक्सीन का प्रभाव तथा वैक्सीन के सुरक्षित होने के बारे में जानकारी का प्रसार करना चाहिये।
  • वैक्सीन के अपव्यय को रोकना: टीकाकरण के लिये नियुक्तियों का प्रबंधन तथा यह सुनिश्चित किया जाए की एक बार शीशी खुलने के बाद वह जल्द उपयोग में लाई जा सके ताकि वैक्सीन का अपव्यय न हो।
  • वैक्सीन प्रवाह को जारी रखना: अन्य देशों से सबक लेते हुए भारत को वैक्सीन के प्रवाह को जारी रखना चाहिये।
    • अमेरिका में टीकाकरण अवरुद्ध हो गया क्योंकि वहाँ टीके की दूसरी खुराक का भी भंडारण किया जाने लगा। भारत को उन क्षेत्रों में टीके का प्रवाह जारी रखना चाहिये जहाँ इसकी आवश्यकता है।
  • टीकाकरण और कोविड-उपयुक्त व्यवहार: न तो कोविड-उपयुक्त व्यवहार और न ही टीकाकरण अकेले पर्याप्त है। महामारी को पूरी तरह से खत्म करने के लिये दोनों को साथ लेकर चलना पड़ेगा।
    • कोविड-उपयुक्त व्यवहार:
      • मास्क ठीक से पहनना।
      • स्वच्छता के लिये नियमित रूप से हाथ धोना बहुत महत्त्वपूर्ण है।
      • 6 फीट की सामाजिक दूरी का पालन करना।
  • वायरस को ट्रैक करना: अभी तक पाए गए वायरस के नए रूप प्रबंधनीय हैं लेकिन किसी भी वैक्सीन प्रतिरोधी वायरस की उपस्थिति पर लगातार नज़र रखना महत्त्वपूर्ण है।
  • प्रतिरक्षाजनकता पर नज़र: वैक्सीन की प्रतिरक्षाजनकता पर नज़र रखना आवश्यक है अर्थात यह देखना कि वैक्सीन का प्रभाव कब तक रहता है एवं सेल-मीडिएटेड इम्युनिटी प्रतिक्रिया किस प्रकार विकसित हो रही है।

निष्कर्ष:

  • भारत एक वैश्विक कोविड वैक्सीन हब के रूप में उभरा है जो न केवल वैक्सीन के विकास एवं निर्माण के कारण संभव हुआ है बल्कि यह भी सुनिश्चित किया गया है कि इसका परिवहन कैसे किया जाएगा एवं संपूर्ण टीकाकरण अभियान किस प्रकार संचालित करना है।
  • कोविड-19 के खिलाफ विश्व के सबसे बड़े टीकाकरण के लिये लोगों को शिक्षित करने, टीकाकरण प्रक्रिया का पालन करने, वायरस के नए रूपों पर नज़र रखने, लाभार्थियों के आवश्यक डेटा रिकॉर्ड को बनाए रखने एवं हमारी रणनीति को परिष्कृत करने सहित एक बहु-आयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता है।
  • वैक्सीन हेज़िटेंसी सुचारु टीकाकरण अभियान में मुख्य बाधा है, महामारी को समाप्त करने के लिये वैक्सीन हेज़िटेंसी को सबसे पहले समाप्त किया जाना चाहिये क्योंकि केवल टीका विकसित करने से नहीं बल्कि टीकाकरण करने से ही संक्रमण को रोका जा सकेगा।
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