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ब्रिक्स पे: स्विफ्ट पर निर्भरता कम करने का प्रयास

  • 06 Nov 2025
  • 75 min read

प्रिलिम्स के लिये: ब्रिक्स, स्विफ्ट प्रणाली, ब्रिक्स पे, एकीकृत भुगतान इंटरफेस, न्यू डेवलपमेंट बैंक

मेन्स के लिये: एक बहुध्रुवीय वित्तीय शक्ति के रूप में ब्रिक्स, वि-डॉलरीकरण और अर्थव्यवस्था पर इसके प्रभाव, ब्रिक्स राष्ट्र वैकल्पिक मुद्राओं की खोज

स्रोत:TH

चर्चा में क्यों?

ब्रिक्स, ब्रिक्स पे विकसित करके वैश्विक वित्तीय संरचना में पश्चिमी प्रभुत्व को कम करने का प्रयास कर रहा है, जो एक सीमा पार भुगतान प्रणाली है जिसका उद्देश्य अमेरिका के नेतृत्व वाली सोसायटी फॉर वर्ल्डवाइड इंटरबैंक फाइनेंशियल टेलीकम्युनिकेशन (SWIFT) प्रणाली पर निर्भरता को कम करना है।

ब्रिक्स पे (BRICS Pay) क्या है?

  • ब्रिक्स-नेतृत्व वाली वित्तीय व्यवस्था का विकास: वर्ष 2014 के फोर्टालेज़ा शिखर सम्मेलन में ब्रिक्स ने न्यू डेवलपमेंट बैंक और कंटिंजेंट रिज़र्व अरेंजमेंट (आकस्मिक रिज़र्व व्यवस्था) की स्थापना कर वित्तीय स्वायत्तता की ओर कदम बढ़ाया।
    • इसके बाद, 2015 में रूस पर अमेरिका और यूरोपीय संघ के प्रतिबंध लगाए जाने से सदस्य देशों ने स्थानीय मुद्राओं के उपयोग और पारस्परिक निपटान के विकल्पों पर अधिक ध्यान देना शुरू किया। इसका परिणाम यह हुआ कि वर्ष 2017 तक ब्रिक्स देशों के बीच मुद्रा-विनिमय और भुगतान सहयोग को और अधिक प्रोत्साहन मिला।
    • यह प्रयास वर्ष 2024 का कज़ान शिखर सम्मेलन में ब्रिक्स पे के शुभारंभ के साथ समाप्त हुआ, जिसका उद्देश्य स्थानीय मुद्रा में सीमा पार निपटान को बढ़ावा देना और अंतर-ब्रिक्स बैंकिंग नेटवर्क को मज़बूत करना था।
  • ब्रिक्स पे: यह एक प्रस्तावित सीमा पार भुगतान प्रणाली है, जिसका उद्देश्य BRICS सदस्य देशों के बीच स्थानीय मुद्राओं का उपयोग करके व्यापार और वित्तीय लेन-देन को सुगम बनाना है, ताकि SWIFT एवं अमेरिकी डॉलर जैसी प्रणालियों पर निर्भरता कम की जा सके।
    • यह BRICS क्रॉस-बॉर्डर पेमेंट्स इनिशिएटिव का हिस्सा है, जिसका लक्ष्य वित्तीय स्वायत्तता बढ़ाना, आर्थिक सहयोग मज़बूत करना और प्रतिबंधों के प्रति अनुकूलता विकसित करना है।
  • अंतर-संचालनीयता (Interoperability): ब्रिक्स पे राष्ट्रीय भुगतान प्लेटफॉर्मों के बीच पारस्परिक संपर्क (इंटरऑपरेबिलिटी) की परिकल्पना करता है, जिनमें शामिल हैं:
    • रूस का सिस्टम फॉर ट्रांसफर ऑफ फाइनेंशियल मैसेजेज़ (SPFS) — जो SWIFT के विकल्प के रूप में कार्य करता है।
    • चीन का सिस्टम फॉर ट्रांसफर ऑफ फाइनेंशियल मैसेजेज़ (CIPS) — जिसके 120+ देशों में भागीदार हैं।
    • भारत का यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) — एक डिजिटल पेमेंट प्लेटफॉर्म, जो वैश्विक स्तर पर तेज़ी से अपनाया जा रहा है।
    • ब्राज़ील का पिक्स (Pix) — लैटिन अमेरिका में व्यापक रूप से उपयोग किया जाने वाला रियल टाइम पेमेंट सिस्टम।

SWIFT

  • वर्ष 1973 में स्थापित और बेल्जियम में स्थित SWIFT एक सुरक्षित वैश्विक संदेश नेटवर्क है, जिसका उपयोग 200 से अधिक देशों एवं क्षेत्रों में 11,500 से अधिक संस्थानों द्वारा अंतरराष्ट्रीय धन अंतरण के निर्देश भेजने के लिये किया जाता है।
  • यह स्वयं धन का लेन-देन नहीं करता, बल्कि भुगतान को सुगम बनाने के लिये मानकीकृत और एन्क्रिप्टेड संदेश प्रदान करता है।
  • बेल्जियम का राष्ट्रीय बैंक (NBB) SWIFT का प्रमुख पर्यवेक्षक होता है और इसकी निगरानी G10 केंद्रीय बैंकों के सहयोग से की जाती है।
    • प्रत्येक सहभागी बैंक को एक विशिष्ट SWIFT कोड दिया जाता है जो उसके संस्थान, देश और स्थान की पहचान करता है, जिससे तीव्र तथा विश्वसनीय संचार सुनिश्चित होता है।
    • भारत के पास स्विफ्ट प्रणाली तक पहुँच है, जो उसके वित्तीय संस्थानों को अंतर्राष्ट्रीय और घरेलू लेन-देन के लिये सुरक्षित संदेश भेजने एवं प्राप्त करने की अनुमति देती है।

ब्रिक्स SWIFT को चुनौती क्यों दे रहा है?

  • वित्तीय संप्रभुता की इच्छा: SWIFT, जो एक प्रमुख वैश्विक वित्तीय अवसंरचना है, अमेरिकी डॉलर (USD) से गहराई से जुड़ा हुआ है और इसे G10 देशों द्वारा नियंत्रित किया जाता है, जिससे BRICS देशों का वैश्विक वित्तीय प्रणाली पर प्रभाव सीमित हो जाता है।
    • ब्रिक्स के नेतृत्व वाला विकल्प यह सुनिश्चित करेगा कि सदस्य देशों को अंतर्राष्ट्रीय वित्त को नियंत्रित करने वाले नियमों में अधिक अधिकार प्राप्त होंगे।
  • अमेरिकी प्रतिबंधों से सुरक्षा: SWIFT का उपयोग अमेरिका और उसके सहयोगियों द्वारा रूस तथा ईरान जैसे देशों पर आर्थिक प्रतिबंध लगाने के लिये किया गया है, जिससे BRICS देशों की वैश्विक वित्तीय बाज़ारों तक पहुँच सीमित हो जाती है।
  • भू-राजनीतिक प्रेरणाएँ और विविधीकरण: पश्चिम के साथ बढ़ते भू-राजनीतिक तनाव, विशेषकर रूस तथा चीन के साथ, ने ब्रिक्स को पश्चिमी वित्तीय दबाव के प्रति संवेदनशीलता कम करने के लिये प्रेरित किया है।
    • BRICS का उद्देश्य दक्षिण–दक्षिण सहयोग को गहरा करना भी है, जिसके तहत यह अफ्रीका, लैटिन अमेरिका और एशिया के विकासशील देशों के साथ वैकल्पिक भुगतान प्रणालियों के माध्यम से आर्थिक संबंधों को मज़बूत करना चाहता है।
    • इससे यह रणनीतिक आवश्यकता उत्पन्न होती है कि एक ऐसा वित्तीय प्रणाली विकसित की जाए जो पश्चिमी संस्थानों पर कम निर्भर हो।

BRICS Pay को लागू करने में क्या चुनौतियाँ हैं?

  • राष्ट्रीय भुगतान प्राथमिकताओं में प्रतिस्पर्द्धा: BRICS सदस्य अपनी-अपनी प्रणालियों (जैसे- चीन का CIPS, भारत का UPI) को बढ़ावा दे रहे हैं, जिससे यह तय करने में संघर्ष और मतभेद उत्पन्न हो सकता है कि किसकी रूपरेखा को आगे बढ़ाया जाना चाहिये।
    • चीन का आर्थिक भार और CIPS (120+ देशों में) की व्यापक पहुँच से यह चिंता उत्पन्न हो सकती है कि BRICS Pay प्रभावी रूप से चीन के नेतृत्व में (China-Led) में हो सकता है, जिससे अन्य सदस्य देश अधिक सतर्क हो जाएंगे।
  • राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता: भारत और चीन के बीच तनाव, विशेष रूप से UPI के पक्ष में CIPS को अपनाने में भारत की अनिच्छा, सहयोग में बाधा उत्पन्न कर सकती है। BRICS Pay की सफलता के लिये इन भू-राजनीतिक मतभेदों को सुलझाना आवश्यक है।
  • तकनीकी अंतरसंचालनीयता: ये प्लेटफॉर्म वर्तमान में अलग-अलग तरीके से कार्य करते हैं। बुनियादी अवसंरचना, संदेश मानकों, सुरक्षा प्रोटोकॉल और निपटान तंत्र को संरेखित करना जटिल तथा संसाधन-गहन है।
  • समन्वित मौद्रिक नीति का अभाव: एक साझा भुगतान संरचना के लिये पूंजी प्रवाह, विनिमय दरों और तरलता प्रबंधन पर दीर्घकालिक समन्वय की आवश्यकता होती है, यह एक ऐसा क्षेत्र है जहाँ ब्रिक्स देशों की प्राथमिकताएँ अलग-अलग हैं।
  • बाह्य दबाव: अमेरिका द्वारा प्रतिशोध के खतरे (जैसे- टैरिफ चेतावनियाँ) कुछ सदस्यों को पूरी तरह से प्रतिबद्ध होने से हतोत्साहित कर सकते हैं।
  • विश्वास की कमी: BRICS समूह के बाहर के देश भू-राजनीतिक चिंताओं, पश्चिमी देशों से प्रतिशोध के डर या नए प्रणाली से अपरिचित होने के कारण BRICS Pay को अपनाने में हिचकिचा सकते हैं।
    • ब्रिक्स पे (BRICS Pay) को वैश्विक स्तर पर सफल बनाने के लिये, ब्रिक्स से परे साझेदारों को सुरक्षित करने तथा अन्य देशों को इसकी सुरक्षा और लाभों के बारे में आश्वस्त करने की आवश्यकता होगी।

ब्रिक्स पे को अपनाने में कौन-से उपाय तेज़ी ला सकते हैं?

  • रणनीतिक रोडमैप: BRICS Pay के लिये एक चरणबद्ध रणनीतिक रोडमैप को द्विपक्षीय स्थानीय मुद्रा निपटानों से शुरू होना चाहिये, फिर इसे डिजिटल भुगतान नेटवर्क में विकसित किया जाना चाहिये तथा  अफ्रीका, लैटिन अमेरिका और मध्य एशिया में क्षेत्रीय साझेदारियों के माध्यम से इसका विस्तार किया जाना चाहिये ताकि इसे अपनाने में तेज़ी लाई जा सके।
  • भागीदारी को प्रोत्साहित करना: BRICS Pay को अपनाने के लिये देशों और संस्थानों को SWIFT की तुलना में कम लेन-देन लागत तथा तेज़ भुगतान जैसे लाभ प्रदान करना आवश्यक है।
  • अंतर-संचालनीयता को मज़बूत करना: राष्ट्रीय भुगतान प्रणालियों (CIPS, UPI, Pix, SPFS) के बीच संगतता सुनिश्चित करना सुचारु सीमा पार लेन-देन के लिये महत्त्वपूर्ण है।
  • राजनीतिक सहमति और सहयोग: भू-राजनीतिक प्रतिस्पर्द्धाओं (जैसे- भारत–चीन तनाव) को दूर करना और राष्ट्रीय हितों को संरेखित करना एक एकीकृत दृष्टिकोण बनाने में मदद करेगा।

निष्कर्ष

ब्रिक्स द्वारा स्विफ्ट को चुनौती देने का उद्देश्य वित्तीय स्वतंत्रता, प्रतिबंधों से सुरक्षा और अधिक समावेशी वैश्विक वित्तीय प्रणाली स्थापित करना है। ब्रिक्स पे जैसी पहलों और राष्ट्रीय भुगतान प्रणालियों के बीच मज़बूत सहयोग के माध्यम से, ब्रिक्स एक अधिक न्यायसंगत वित्तीय पारिस्थितिकी तंत्र बनाने का प्रयास कर रहा है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)

1. ब्रिक्स पे क्या है?
ब्रिक्स पे एक प्रस्तावित क्रॉस-बॉर्डर भुगतान प्रणाली है, जो ब्रिक्स सदस्यों के बीच स्थानीय मुद्रा में निपटान सक्षम करेगी, ताकि स्विफ्ट और अमेरिकी डॉलर (USD) पर निर्भरता कम की जा सके।

2. ब्रिक्स स्विफ्ट को चुनौती क्यों दे रहा है?
ब्रिक्स का उद्देश्य वित्तीय संप्रभुता प्राप्त करना, प्रतिबंधों के प्रति अनुकूलन सुनिश्चित करना और नियम निर्धारण में शक्ति हासिल करना है, साथ ही भुगतान नेटवर्क को पश्चिमी नियंत्रण वाले ढाँचे से परे विविध बनाना भी है।

3. ब्रिक्स पे के अंतर्गत कौन-सी प्रणालियाँ आपस में संचालित होंगी?
रूस का सिस्टम फॉर ट्रांसफर ऑफ फाइनेंशियल मैसेजेज़ (SPFS), चीन का सिस्टम फॉर ट्रांसफर ऑफ फाइनेंशियल मैसेजेज़ (CIPS),भारत का यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) और ब्राज़ील की पिक्स को तत्काल, सुरक्षित, कम लागत वाली सीमा पार हस्तांतरण के लिये जोड़ा जाएगा।

UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न 

प्रिलिम्स 

प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2016)

न्यू डेवलपमेंट बैंक की स्थापना APEC द्वारा की गई है।

न्यू डेवलपमेंट बैंक का मुख्यालय शंघाई में है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2

उत्तर: (b) 

प्रश्न. हाल ही में चर्चा में रहा 'फोर्टालेजा डिक्लेरेशन' किससे संबंधित है? (2015)

(a) आसियान

(b) ब्रिक्स

(c) ओईसीडी

(d) विश्व व्यापार संगठन

उत्तर: (b)

प्रश्न. BRICS के रूप में ज्ञात देशों के समूह के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2014)

BRICS का पहला शिखर सम्मेलन वर्ष 2009 में रिओ डी जेनेरियो में हुआ था।

दक्षिण अफ्रीका BRICS समूह में शामिल होने वाला अंतिम देश था।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 न ही 2

उत्तर: (b)

मेन्स 

प्रश्न. विश्व व्यापार में संरक्षणवाद और मुद्रा चालबाज़ियों की हाल की परिघटनाएँ भारत की समष्टि-आर्थिक स्थिरता को किस प्रकार से प्रभावित करेंगी? (2018)

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