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भारतीय राजव्यवस्था

सभी कर्मचारियों को पीएफ पेंशन योजना चुनने का विकल्प

  • 09 Nov 2022
  • 6 min read

प्रिलिम्स के लिये:

कर्मचारी पेंशन (संशोधन) योजना, 2014, EPFO, सर्वोच्च न्यायालय।

मेन्स के लिये:

PF पेंशन योजना और इसके प्रभावों पर सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय।

चर्चा में क्यों?

एक महत्त्वपूर्ण फैसले में सर्वोच्च न्यायालय ने कर्मचारी पेंशन (संशोधन) योजना, 2014 को बरकरार रखते हुए पेंशन फंड में शामिल होने के लिये 15,000 रुपए मासिक वेतन की सीमा को रद्द कर दिया है।

कर्मचारी पेंशन योजना:

  • परिचय:
    • EPF पेंशन, जिसे तकनीकी रूप से कर्मचारी पेंशन योजना (EPS) के रूप में जाना जाता है, कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) द्वारा प्रदान की जाने वाली एक सामाजिक सुरक्षा योजना है।
      • यह योजना पहली बार वर्ष 1995 में शुरू की गई थी।
    • EPFO द्वारा प्रदान की जाने वाली यह योजना 58 वर्ष की आयु में सेवानिवृत्ति के बाद संगठित क्षेत्र के कर्मचारियों के लिये पेंशन का प्रावधान करती है।
    • वे कर्मचारी जो EPF के सदस्य हैं वे स्वतः ही EPS के सदस्य बन जाते हैं।
      • कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) योजना में नियोक्ता और कर्मचारी दोनों कर्मचारी के मासिक वेतन (मूल वेतन और महँगाई भत्ता) का 12% योगदान करते हैं।
      • EPF योजना उन कर्मचारियों के लिये अनिवार्य है जो 15,000 रुपए प्रति माह मूल वेतन प्राप्त करते हैं।
      • नियोक्ता के 12% के हिस्से में से 8.33% EPS में जमा कर दिया जाता है।
      • केंद्र सरकार भी कर्मचारियों के मासिक वेतन का 1.16% योगदान करती है।
  • EPS (संशोधन) योजना, 2014:
    • वर्ष 2014 के EPS संशोधन ने पेंशन योग्य वेतन सीमा को 6,500 रुपए प्रतिमाह से बढ़ाकर 15,000 रुपए प्रतिमाह कर दिया था और केवल मौजूदा सदस्यों (1 सितंबर, 2014 तक) को अपने नियोक्ताओं के साथ पेंशन फंड में अपने वास्तविक वेतन (यदि यह सीमा से अधिक) पर 8.33 प्रतिशत योगदान करने के विकल्प का प्रयोग करने की अनुमति दी थी। क्षेत्रीय भविष्य निधि आयुक्त के विवेक पर इसे और छह महीने के लिये बढ़ाया जा सकता है।
    • हालाँकि इसने 15,000 रुपए से अधिक आय वाले और सितंबर 2014 के बाद शामिल होने वाले नए सदस्यों को योजना से पूरी तरह से बाहर कर दिया।
    • हालाँकि संशोधन में ऐसे सदस्यों को पेंशन फंड के लिये प्रतिमाह 15,000 रुपए से अधिक वेतन का अतिरिक्त 1.16% योगदान करने की आवश्यकता थी।

सर्वोच्च न्यायालय का फैसला:

  • अनुच्छेद 142 के तहत सर्वोच्च न्यायालय के फैसले ने EPFO सदस्यों, जिन्होंने EPS का लाभ उठाया है, को अगले चार महीनों में अपने वास्तविक वेतन का 8.33% तक योगदान करने का एक और अवसर दिया है, जबकि पेंशन योग्य वेतन का 8.33% पेंशन के लिये 15,000 रुपए प्रतिमाह तक सीमित है।
    • पूर्व-संशोधन योजना के तहत पेंशन योग्य वेतन की गणना पेंशन फंड की सदस्यता से बाहर निकलने से पहले 12 महीनों के दौरान प्राप्त वेतन के औसत के रूप में की गई थी। संशोधनों ने इसे पेंशन फंड की सदस्यता से बाहर निकलने से पहले औसतन 60 महीने तक बढ़ा दिया।
  • न्यायालय ने संशोधन के तहत 15,000 रुपए से अधिक मासिक वेतन के संदर्भ में अतिरिक्त 1.16% का योगदान करने के लिये कहा जो कि कर्मचारी भविष्य निधि और विविध प्रावधान अधिनियम, 1952 के प्रावधानों से इतर है।

निहितार्थ:

  • ईपीएफ के सदस्य 15000 रुपये की सीमा के बजाय अपने पूरे वेतन के आधार पर पेंशन प्राप्त कर सकेंगे।
  • सहायक प्रोविडेंट आयुक्त के अनुमोदन के बिना ईपीएफ में योगदान करने वाले कर्मचारी और नियोक्ता को इस निर्णय का लाभ नहीं मिल सकता है।
  • वर्ष 2014 में किया गया संशोधन उन कंपनियों पर लागू रह सकता है जो ट्रस्टों के माध्यम से अपने ईपीएफ कोष का प्रबंधन करती हैं।

  यूपीएससी सिविल सेवा विगत वर्षों के प्रश्न  

प्रश्न. भारत में नियोजित आकस्मिक श्रमिकों के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2021)

  1. सभी नैमित्तिक कामगार कर्मचारी भविष्य निधि कवरेज के हकदार हैं।
  2. सभी आकस्मिक श्रमिक नियमित रूप से काम के घंटे और ओवरटाइम भुगतान के हकदार हैं।
  3. सरकार एक अधिसूचना द्वारा निर्दिष्ट कर सकती है कि एक प्रतिष्ठान या उद्योग केवल अपने बैंक खाते के माध्यम से मजदूरी का भुगतान करेगा।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है?

(a) 1 और 2 केवल
(b) 2 और 3 केवल
(c) 1 और 3 केवल
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (d)

स्त्रोत: द हिन्दू

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