द बिग पिक्चर : इपीएफ पुनर्परिभाषित

संदर्भ

सुप्रीम कोर्ट ने केरल हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ दर्ज की गई कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) की उस विशेष अपील को खारिज कर दिया है जिसमें केरल हाईकोर्ट ने अपने फैसले में EPFO को आदेश दिया था कि वह सेवानिवृत्त सभी कर्मचारियों को उनके पूरे वेतन के हिसाब से पेंशन दे। फिलहाल EPFO द्वारा 15,000 रुपए के बेसिक वेतन सीमा के आधार पर पेंशन की गणना की जाती है। सेवानिवृत्त कर्मचारियों को अब 15,000 रुपए के बजाय उनके पूर्ण वेतन पर पेंशन मिल सकेगी।

कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO)

  • यह एक सरकारी संगठन है जो सदस्य कर्मचारियों की भविष्य निधि और पेंशन खातों का प्रबंधन करता है तथा कर्मचारी भविष्य निधि एवं विविध प्रावधान अधिनियम, 1952 (Employee Provident Fund and Miscellanious Provisions Act, 1952) को लागू करता है जो जम्मू और कश्मीर के अलावा पूरे भारत में लागू है।
  • कर्मचारी भविष्य निधि और विविध प्रावधान अधिनियम, 1952 कारखानों और अन्य प्रतिष्ठानों में काम करने वाले कर्मचारियों के लिये भविष्य निधि संस्थान (Provident Fund Institution के रूप में काम करता है।
  • यह श्रम और रोज़गार मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा प्रशासित है।  सदस्यों और वित्तीय लेन-देन के मामले में यह विश्व का सबसे बड़ा संगठन है।

कर्मचारी पेंशन योजना (EPS)

  • यह एक सामाजिक सुरक्षा योजना है जिसे 1995 में लॉन्च किया गया था।
  • EPFO द्वारा प्रदान की गई यह योजना 58 वर्ष की आयु में सेवानिवृत्ति के बाद संगठित क्षेत्र में कर्मचारियों के लिये पेंशन का प्रावधान करती है।
  • वे कर्मचारी जो EPF के सदस्य हैं, स्वतः EPS के सदस्य बन जाते हैं।

♦ नियोक्ता और कर्मचारी दोनों ही कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) योजना में कर्मचारी के मासिक वेतन (मूल वेतन और महँगाई भत्ता) के 12% का योगदान करते हैं।
♦ EPF योजना उन कर्मचारियों के लिये अनिवार्य है जो मूल वेतन के रूप में प्रतिमाह 15,000 रुपए प्राप्त करते हैं।
♦ नियोक्ता के 12% के हिस्से में से 8.33% EPS में जमा किये जाते हैं।
♦ केंद्र सरकार भी कर्मचारियों के मासिक वेतन का 1.16% का योगदान देती है।

टाइम लाइन

  • कर्मचारी भविष्य निधि और विविध प्रावधान अधिनियम को वर्ष 1952 में लागू किया गया था। अधिनियम ने केंद्र सरकार को एक भविष्य निधि योजना की रूपरेखा बनाने का अधिकार दिया।
  • कर्मचारी परिवार पेंशन योजना और कर्मचारी डिपॉजिट-लिंक्ड बीमा योजना को अधिनियम में जोड़ा गया। इस प्रकार योजनाओं के लिये कार्यान्वयन एजेंसी EPFO को बनाया गया है।
  • वर्ष 1995 में सरकार ने कर्मचारी पेंशन योजना के कार्यान्वयन के लिये एक अध्यादेश का प्रावधान किया। पेंशन योजना को वैधानिक रूप देने के लिये अधिनियम की धारा 6A में संशोधन किया गया।
  • संशोधन के आधार पर केंद्र सरकार को पेंशन योजना बनाने का अधिकार मिल गया और यह भी विशेष रूप से उल्लेख किया गया कि EPF में नियोक्ता के 8.33% के योगदान को पेंशन निधि में बदल दिया जाएगा।
  • पेंशन योजना शुरू में उन कर्मचारियों पर लागू होती थी जिनका मासिक मूल वेतन 6,500 रुपए था।
  • मार्च 1996 में, सरकार ने अधिनियम में संशोधन किया और वास्तविक वेतन (अर्थात् 6500 रुपए की अनिवार्यता नहीं) के प्रतिशत में योगदान की अनुमति दी, बशर्ते कर्मचारी और नियोक्ता को इस पर कोई आपत्ति न हो। इसके लिये सहायक भविष्य निधि आयुक्त द्वारा अनुमोदन किया जाना आवश्यक है।
  • 1 सितंबर, 2014 को EPFO ​​ने अधिनियम में संशोधन कर अधिकतम 15,000 रुपए प्रतिमाह वेतन पर 8.33% EPF योगदान को बढ़ाया।
  • संशोधन में यह भी कहा गया कि उन लोगों के मामले में जो कि पूर्ण वेतन पर पेंशन का लाभ उठाते हैं, के पेंशन योग्य वेतन की गणना पिछले पाँच वर्षों के मासिक वेतन के औसत के रूप में की जाएगी न कि पूर्व के निर्धारित मानदंडों के अनुसार। इससे कई कर्मचारियों की पेंशन कम हो गई।
  • इसके बाद केरल उच्च न्यायालय ने 1 सितंबर, 2014 के संशोधन को रद्द कर दिया और पिछले एक वर्ष के मासिक वेतन के औसत के रूप में पेंशनभोगी वेतन की गणना की पुरानी प्रणाली को भी बहाल किया।
  • 1 अप्रैल, 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने केरल उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ स्पेशल लीव पिटिशन (SLP) को खारिज कर दिया।

निर्णय का संभावित प्रभाव

  • जिन लोगों ने EPF की सदस्यता ली है, वे 15,000 रुपए की सीमा के बजाय अपने पूरे वेतन पर पेंशन प्राप्त कर सकेंगे।
  • कर्मचारी और नियोक्ता, जिन्होंने बगैर सहायक प्रोविडेंट कमिश्नर के अनुमोदन के EPF में योगदान दिया है, उन्हें इस निर्णय का लाभ नहीं मिलेगा।
  • 2014 में किया गया संशोधन उन कंपनियों पर लागू हो सकता है जो ट्रस्टों के माध्यम से अपनी EPF राशि का प्रबंधन करती हैं।

आगे की राह

  • अगर एक कर्मचारी और नियोक्ता भविष्य निधि के उद्देश्यों के लिये अपनी कुल कमाई का हिस्सा आवंटित करने के लिये अनुबंध करते हैं तब EPFO को कर्मचारी को उसका पूरा लाभ देना चाहिये।
  • सरकार पर पेंशन का बहुत बड़ा वित्तीय बोझ है। EPFO के लिये निवेश के रास्ते बढ़ाने की ज़रूरत है ताकि सरकार लोगों को पेंशन का लाभ दे सके। विशेष रूप से निवेश उद्देश्यों के लिये एक अलग संगठन के गठन पर भी विचार किया जा सकता है।
  • भारत में निवेश करने के लिये विदेशी पेंशन कोष को आमंत्रित करने हेतु प्रयास किये जाने की आवश्यकता है।
  • पेंशन योजना को इस तरह से सुधारने की ज़रूरत है कि यह नियोक्ताओं पर बोझ डाले बिना कर्मचारियों को लाभ प्रदान करे। सरकार कर्मचारियों के मासिक वेतन का केवल 1.16% का योगदान देती है जिसे और बढ़ाए जाने की आवश्यकता है।