भारतीय अर्थव्यवस्था
विश्व आर्थिक परिदृश्य रिपोर्ट, 2025
- 10 May 2025
- 14 min read
प्रिलिम्स के लिये:अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष, विश्व आर्थिक परिदृश्य, मुद्रास्फीति, जनसांख्यिकीय लाभांश, मेक इन इंडिया मेन्स के लिये:भारत की मैक्रोइकोनॉमिक स्थिरता और राजकोषीय नीति, उभरते बाजारों में आर्थिक विकास के चालक |
स्रोत: डी.डी.
चर्चा में क्यों?
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की अप्रैल 2025 की विश्व आर्थिक परिदृश्य (WEO) रिपोर्ट के अनुसार, भारत वर्ष 2025 तक जापान को पीछे छोड़कर चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा।
विश्व आर्थिक परिदृश्य रिपोर्ट 2025 के प्रमुख बिंदु क्या हैं?
वैश्विक:
- वैश्विक वृद्धि का पूर्वानुमान: अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने वर्ष 2025 के लिये वैश्विक आर्थिक वृद्धि का अनुमान घटाकर 2.8% कर दिया है और वर्ष 2026 के लिये यह अनुमान 3.0% रखा गया है।
- विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था, संयुक्त राज्य अमेरिका (USA), के वर्ष 2025 में केवल 1.8% की वृद्धि दर्ज करने का अनुमान है, जो पिछले वर्ष की अपेक्षाओं की तुलना में काफी कम है। इसका मुख्य कारण नीति संबंधी अनिश्चितता और व्यापारिक तनाव है।
- उभरते बाज़ार: उभरते बाज़ारों और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में आर्थिक वृद्धि की गति धीमी पड़ने की संभावना है। वर्ष 2025 के लिये इन क्षेत्रों में 3.7% की विकास दर का अनुमान लगाया गया है, जो वैश्विक औसत (2.8%) से अधिक है।
- वैश्विक मुद्रास्फीति: मुद्रास्फीति दरों में गिरावट की अपेक्षा की गई है, लेकिन यह अपेक्षित गति से धीमी रहेगी। व्यापारिक तनावों और अस्थिर वित्तीय बाज़ारों के कारण नकारात्मक जोखिम बने हुए हैं, जो वैश्विक आर्थिक स्थिरता को प्रभावित कर सकते हैं।
- बुढ़ाती अर्थव्यवस्थाएँ: वैश्विक अर्थव्यवस्थाएँ तीव्र गति से वृद्ध हो रही हैं, जिसका प्रमुख कारण घटती प्रजनन दर और बढ़ती जीवन प्रत्याशा है।
- जनसांख्यिकीय लाभांश से जनसांख्यिकीय बोझ की ओर यह बदलाव आर्थिक वृद्धि के लिये चुनौतियाँ उत्पन्न करता है। अनुमान है कि वर्ष 2020 से लेकर सदी के अंत तक विश्व की जनसंख्या की औसत आयु में 11 वर्षों की वृद्धि होगी।
- हालाँकि, स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार और दीर्घायु ने वृद्धावस्था में जीवन की गुणवत्ता को उल्लेखनीय रूप से बेहतर बनाया है।
- वर्ष 2022 में 70 वर्ष की आयु वाला व्यक्ति वर्ष 2000 में 53 वर्ष की आयु वाले व्यक्ति के समान संज्ञानात्मक क्षमताएँ रखता था। स्वस्थ आयु बढ़ने का अनुमान है कि वर्ष 2025 से 2050 तक यह वैश्विक GDP वृद्धि में 0.4% का योगदान करेगा।
भारत
- वृद्धि का पूर्वानुमान: जबकि भारत की वृद्धि का पूर्वानुमान वर्ष 2025 के लिये 6.5% से घटाकर 6.2% कर दिया गया है, फिर भी यह वैश्विक समकक्षों के बीच सबसे तेज़ी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था बनी हुई है।
- IMF का अनुमान है कि भारत का नाममात्र सकल घरेलू उत्पाद (GDP) वर्ष 2025 में 4.187 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँच जाएगा, जो जापान के अनुमानित 4.186 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर को पार कर जाएगा।
- प्रतिस्पर्धियों से तुलना: इस मामूली गिरावट के बावजूद, भारत अधिकांश वैश्विक और क्षेत्रीय प्रतिस्पर्धियों से बेहतर प्रदर्शन कर रहा है, जिसमें चीन भी शामिल है, जिसके धीमी दर से विकास करने का अनुमान है।
- चीन के वर्ष 2025 के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की वृद्धि दर का अनुमान 4.6% से घटाकर 4.0% कर दिया गया है, जिससे भारत की विकास दर में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
- निजी उपभोग: भारत की वृद्धि का एक प्रमुख चालक निजी उपभोग है, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में, जिसके वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता के बावजूद भी मज़बूत बने रहने की उम्मीद है।
IMF का वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक
- अप्रैल और अक्तूबर में अर्धवार्षिक रूप से प्रकाशित WEO वैश्विक अर्थव्यवस्था और अलग-अलग देशों के लिये विश्लेषण तथा अनुमान प्रदान करता है।
- इसका उद्देश्य आर्थिक विकास का आकलन करना, प्रवृत्तियों की पहचान करना और नीतिगत सिफारिशें प्रस्तुत करना है।
- WEO के प्रमुख घटकों में वैश्विक और क्षेत्रीय आर्थिक प्रदर्शन के पूर्वानुमान, मुद्रास्फीति के रुझानों की जानकारी और वित्तीय स्थिरता जोखिमों का मूल्यांकन शामिल हैं।
- WEO नीति निर्माताओं, शोधकर्त्ताओं और निवेशकों के लिये आर्थिक परिदृश्य को समझने तथा उसमें मार्गदर्शन करने हेतु एक आवश्यक उपकरण के रूप में कार्य करता है।
भारत के आर्थिक अनुकूलन के प्रमुख चालक क्या हैं?
- निजी उपभोग: निजी उपभोग विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में एक महत्त्वपूर्ण चालक है जो वैश्विक आर्थिक चुनौतियों के बावजूद स्थिर घरेलू मांग सुनिश्चित करता है।
- भारत की निजी खपत वर्ष 2024 में लगभग दोगुनी होकर 1.83 लाख करोड़ रुपए हो गई थी, जो 7.2% चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) से बढ़ रही है तथा अमेरिका, चीन और जर्मनी से आगे निकल गई है।
- देश वर्ष 2026 तक विश्व का तीसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता बाज़ार बनने की राह पर है, जहाँ मध्यम वर्ग का तेज़ी से विस्तार हो रहा है।
- वर्ष 2030 तक 8.73 लाख रुपए से अधिक वार्षिक आय वाले व्यक्तियों की संख्या लगभग तीन गुना हो जाने की उम्मीद है।
- अनुमान है कि वर्ष 2030 तक भारत की प्रति व्यक्ति आय 3.49 लाख रुपए से अधिक हो जाएगी, जिससे उपभोग में वृद्धि होगी।
- मैक्रोइकॉनोमिक फंडामेंटल्स: भारत का मज़बूत राजकोषीय प्रबंधन, जिसमें वित्त वर्ष 2024-25 में 56.8% का कम ऋण-से-जीडीपी अनुपात है, जबकि इसके प्रतिस्पर्धियों जैसे अमेरिका का ऋण-से-जीडीपी अनुपात 124.0% है, साथ ही संरचनात्मक सुधार, स्थिरता बनाए रखने में सहायता करते हैं।
- बुनियादी अवसरंचना का विकास: बुनियादी अवसरंचना तथा डिजिटलीकरण में निवेश से उत्पादकता और रोज़गार सृजन को बढ़ावा मिलता है, जिससे दीर्घकालिक विकास की संभावनाएँ बढ़ती हैं।
- भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था वर्ष 2022-23 में सकल घरेलू उत्पाद का 11.74% हिस्सा लेकर इसकी आर्थिक वृद्धि में महत्त्वपूर्ण योगदानकर्त्ता बन गई है।
- सरकारी सुधार: वित्तीय समावेशन के लिये प्रधानमंत्री जन धन योजना और विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिये उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजनाओं के साथ-साथ मेक इन इंडिया जैसी पहलों ने भारत की आर्थिक गतिशीलता को मज़बूत किया है।
- इसके अतिरिक्त, सड़क अवसंरचना के लिये भारतमाला परियोजना, बंदरगाह विकास के लिये सागरमाला परियोजना और स्मार्ट सिटी मिशन जैसी योजनाओं ने दीर्घकालिक विकास को समर्थन देते हुए भौतिक अवसंरचना में उल्लेखनीय सुधार किया है।
- जनसांख्यिकी और श्रम बल: भारत को युवा, बढ़ते कार्यबल से लाभ मिलता है, जिसकी नीतियों का लक्ष्य महिला श्रम भागीदारी को बढ़ाना (वर्ष 2017-18 में 23.3% से वर्ष 2023-24 में 41.7%) और वैश्विक वृद्ध कार्यबल चुनौतियों का समाधान करना है।
- सर्विसनाउ की एक रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि भारत का कार्यबल वर्ष 2023 में 423.73 मिलियन से बढ़कर वर्ष 2028 तक 457.62 मिलियन हो जाएगा, जिससे विशेष रूप से खुदरा, तकनीक, विनिर्माण, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा जैसे क्षेत्रों में 33.89 मिलियन तक का रोज़गार उत्पन्न होगा।
- तकनीकी नवाचार : कृत्रिम बुद्धिमत्ता और नवीकरणीय ऊर्जा समाधान सहित डिजिटल प्रौद्योगिकियों को अपनाने की बढ़ती प्रवृत्ति आर्थिक गतिविधियों में उच्च उत्पादकता एवं लचीलेपन को बढ़ावा देती है।
- भारतीय स्टार्टअप्स द्वारा वर्ष 2029-30 (वित्त वर्ष 30) तक 50 मिलियन नए रोज़गार सृजित होने तथा अर्थव्यवस्था में 1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर जुड़ने की संभावना है।
- भारत का प्रौद्योगिकी क्षेत्र तेज़ी से विकास कर रहा है और अगले पाँच वर्षों में इसके 300-350 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँचने का अनुमान है ।
- बाह्य मांग और व्यापार विविधीकरण : वैश्विक मूल्य शृंखलाओं और व्यापार समझौतों में भारत का बढ़ता एकीकरण विकास के अवसर प्रदान करता है और वैश्विक अस्थिरता के विरुद्ध सुरक्षा प्रदान करता है। वैश्विक सेवा निर्यात में भारत की हिस्सेदारी वर्ष 2005 में 1.9% से बढ़कर वर्ष 2023 में 4.3% हो गई है।
निष्कर्ष
भारत की सुदृढ़ आर्थिक वृद्धि, जो मज़बूत निजी खपत, संरचनात्मक सुधारों और रणनीतिक निवेशों से प्रेरित है, उसे आर्थिक अनिश्चितताओं के बीच वैश्विक अभिकर्ता के रूप में स्थापित करती है। जनसांख्यिकी के साथ इसके प्रक्षेपवक्र का समर्थन करते हुए, भारत का दृष्टिकोण सकारात्मक बना हुआ है। इन कारकों का लाभ उठाने की देश की क्षमता यह सुनिश्चित करती है कि यह वैश्विक आर्थिक परिदृश्य को आकार देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता रहेगा।
दृष्टि मुख्य परीक्षा प्रश्न: प्रश्न: वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद भारत के सबसे तेज़ी से बढ़ने वाली प्रमुख अर्थव्यवस्था बने रहने का अनुमान है। इस लचीलेपन में योगदान देने वाले प्रमुख कारकों पर चर्चा कीजिये। |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न: ‘‘त्वरित वित्तीयन प्रपत्र” (Rapid Financing Instrument) और ‘‘त्वरित ऋण सुविधा” (Rapid Credit Facility), निम्नलिखित में किस एक के द्वारा उधार दिये जाने के उपबंधों से संबंधित हैं? (a) एशियाई विकास बैंक उत्तर: (b) प्रश्न: 'वैश्विक वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट' (2016) किसके द्वारा तैयार की जाती है? (a) यूरोपीय केंद्रीय बैंक उत्तर: (b) मेन्सप्रश्न: विश्व बैंक और IMF, जिन्हें सामूहिक रूप से ब्रेटन वुड्स को जुडवाँ संस्था के रूप में जाना जाता है, विश्व की आर्थिक एवं वित्तीय व्यवस्था की संरचना का समर्थन करने वाले दो अंतर-सरकारी स्तंभ हैं। विश्व बैंक और IMF कई सामान्य विशेषताओं को प्रदर्शित करते हैं, फिर भी उनकी भूमिका, कार्य एवं अधिदेश स्पष्ट रूप से भिन्न हैं। व्याख्या कीजिये। (2013) |