ध्यान दें:



डेली अपडेट्स

अंतर्राष्ट्रीय संबंध

भारत-पश्चिम एशिया संबंधों का सुदृढ़ीकरण

  • 12 May 2025
  • 18 min read

प्रिलिम्स के लिये:

ईरान और इज़रायल, पश्चिम एशियाई क्षेत्र, संयुक्त राष्ट्र, होर्मुज जलडमरूमध्य, फिलिस्तीन-इज़रायल संघर्ष, खाड़ी सहयोग परिषद, व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौते, बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव, इस्लामिक सहयोग संगठन।  

मेन्स के लिये:

पश्चिम एशियाई देशों के साथ भारत के संबंध, भारत-पश्चिम एशिया संबंधों से संबंधित चुनौतियाँ, पश्चिमी एशियाई देशों के साथ अपने संबंधों को संतुलित करने के लिये भारत क्या उपाय अपना सकता है।

स्रोत: हिंदुस्तान टाइम्स

चर्चा में क्यों?

'लिंक वेस्ट' नीति के तहत पश्चिम एशिया का भारत के लिये काफी अधिक रणनीतिक और आर्थिक महत्त्व है। UAE, सऊदी अरब, ईरान और इज़रायल जैसे देशों के साथ भारत के गहन होते संबंध ऊर्जा को सुरक्षित करने, व्यापार को बढ़ावा देने तथा पश्चिम एशियाई भू-राजनीति में इसकी भूमिका को बढ़ाने की दिशा में इसके रणनीतिक महत्त्व को दर्शाते हैं।

पश्चिम एशिया को भौगोलिक दृष्टि से किस प्रकार वर्गीकृत किया गया है?

  • यह एशिया का एक उपक्षेत्र है, जो मध्य और दक्षिण एशिया के पश्चिम, पूर्वी यूरोप के दक्षिण और अफ्रीका के उत्तर में स्थित है। 
    • यह भूमध्य सागर, फारस की खाड़ी, लाल सागर, कैस्पियन सागर और ओमान की खाड़ी सहित प्रमुख जल निकायों से घिरा हुआ है। 
  • इस क्षेत्र में 18 देश शामिल हैं, जिनमें अरब प्रायद्वीप (जैसे, सऊदी अरब, UAE), फर्टाइल क्रेसेंट (जैसे, इराक, सीरिया), काकेशस (जैसे, आर्मेनिया, अज़रबैजान) और अनातोलिया (तुर्की) जैसे प्रमुख उपक्षेत्र शामिल हैं। 
  • लगभग 283 मिलियन आबादी वाला यह क्षेत्र अपने विशाल तेल भंडारों के कारण भू-राजनीतिक रूप से महत्त्वपूर्ण है। 
    • 35 मिलियन की आबादी के साथ सऊदी अरब इस क्षेत्र की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, जबकि जनसंख्या की दृष्टि से बहरीन सबसे छोटा है।

भारत की पश्चिम की ओर देखो नीति:

वर्ष 2005 में शुरू किये गए इस समझौते का उद्देश्य पश्चिम एशिया के साथ भारत के राजनीतिक, आर्थिक और सुरक्षा सहयोग को बढ़ाने के साथ क्षेत्रीय राजनीतिक संघर्षों में तटस्थता बनाए रखना है।

  • भारत, खाड़ी को अपने विस्तारित पड़ोस का हिस्सा मानता है, जिसमें ईरान इसके निकटतम पड़ोस का एक प्रमुख हिस्सा है।

भारत के लिये पश्चिम एशिया का क्या महत्त्व है?

  • ऊर्जा और आर्थिक संबंध: पश्चिम एशिया भारत की ऊर्जा सुरक्षा के लिये महत्त्वपूर्ण है, जो इसके कच्चे तेल की लगभग 50% आपूर्ति करता है। वैश्विक प्राकृतिक गैस भंडार के 40% से अधिक और वैश्विक तेल भंडार के 50% से अधिक के साथ, यह क्षेत्र भारत की तेल-निर्भर अर्थव्यवस्था के लिये महत्त्वपूर्ण है।
    • प्रमुख तेल आपूर्तिकर्ता इराक वर्ष 2021-22 में भारत का पाँचवाँ सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार था, जबकि कतर भारत के प्राकृतिक गैस आयात का 41% प्रदान करता है, जो भारत की सुरक्षा रणनीति में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
  • UAE भारत का तीसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है, जिसका व्यापार CEPA से बढ़ा है, जबकि सऊदी अरब चौथे स्थान पर है, जिसे वर्ष 2019 रणनीतिक साझेदारी परिषद के माध्यम से औपचारिक रूप दिया गया है। 
  • कनेक्टिविटी और व्यापार गलियारे: पश्चिम एशिया भारत की रणनीतिक कनेक्टिविटी को बढ़ाने के लिये महत्त्वपूर्ण है। भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा (IMEEC) जैसी पहल भारत को यूरोप से जोड़ती है, जो चीन की बेल्ट एंड रोड पहल का मुकाबला करती है। 
    • अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा (INSTC) ईरान के चाबहार बंदरगाह के माध्यम से भारत को मध्य एशिया और रूस से जोड़ता है, जो भारत की मध्य एशिया नीति का समर्थन करता है। 
    • होर्मुज जलडमरूमध्य और बाब अल-मन्देब जैसे महत्त्वपूर्ण समुद्री बिंदु भारत के लिये सुरक्षित व्यापार और ऊर्जा प्रवाह सुनिश्चित करते हैं।
  • सुरक्षा और आतंकवाद विरोधी सहयोग: पश्चिम एशिया भारत के रक्षा, सुरक्षा और आतंकवाद विरोधी सहयोग के लिये महत्त्वपूर्ण है। भारत ने रक्षा, IT और आतंकवाद विरोधी प्रयासों में सऊदी अरब और UAE जैसे देशों के साथ संबंधों को मज़बूत किया है। 
    • यमन के हूती विद्रोहियों की ओर से बढ़ते मिसाइल और ड्रोन खतरे क्षेत्र की सुरक्षा कमज़ोरियों को रेखांकित करते हैं, जैसा कि हाल के लाल सागर संकट से स्पष्ट है।
    • भारत के संयुक्त सैन्य अभ्यास, संयुक्त अरब अमीरात के साथ डेजर्ट साइक्लोन और ओमान के साथ नसीम अल बहर, प्रमुख खाड़ी भागीदारों के साथ उसके गहन होते सामरिक संबंधों एवं बढ़ी हुई अंतर-संचालन क्षमता को रेखांकित करते हैं।
  • संतुलित बहुपक्षीय कूटनीति: भारत-इज़राइल सहयोग रक्षा, साइबर सुरक्षा, कृषि और जल प्रबंधन तक फैला हुआ है।
    • I2U2 (भारत, इज़राइल, यूएई, अमेरिका) जैसी लघु-पक्षीय पहलों में भारत की भागीदारी, हित-आधारित गठबंधनों पर इसके महत्त्व को दर्शाती है। 
    • बुनियादी ढाँचे, शिक्षा और मानवीय सहायता के माध्यम से अफगानिस्तान में भारत की निरंतर भागीदारी, क्षेत्रीय स्थिरता के उद्देश्यों का समर्थन करती है तथा क्षेत्र में चीन एवं पाकिस्तान के प्रभाव का मुकाबला करती है।
  • प्रवासी और धन प्रेषण: पश्चिम एशिया में 9 मिलियन से अधिक भारतीय प्रवासी रहते हैं, जिनके द्वारा भेजे गए संसाधन भारत की अर्थव्यवस्था को समर्थन देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। 
  • वर्ष 2021 में, भारत को लगभग 87 बिलियन अमरीकी डॉलर का धन प्रेषण प्राप्त हुआ, जिसमें एक बड़ा हिस्सा खाड़ी सहयोग परिषद (GCC) देशों से आया। 
    • इसके अतिरिक्त, बड़ी संख्या में प्रवासी भारतीयों ने इस क्षेत्र में भारत की सॉफ्ट पावर और सामाजिक-सांस्कृतिक भागीदारी को बढ़ाया है। उदाहरण के लिये: अबू धाबी में BAPS हिंदू मंदिर मध्य पूर्व में पहला पारंपरिक हिंदू मंदिर है।

भारत-पश्चिम एशिया संबंधों के समक्ष चुनौतियाँ क्या हैं?

  • सीमित आर्थिक संबंध: यद्यपि आर्थिक संबंधों को विस्तारित करने के प्रयास किये गए हैं, फिर भी भारत और पश्चिम एशिया के बीच व्यापार अन्य क्षेत्रों की तुलना में अपेक्षाकृत सीमित है।
    • उदाहरण के लिये, वर्ष 2019 में पश्चिम एशिया के साथ भारत का कुल व्यापार उसके वैश्विक व्यापार का केवल 7.5% था।
  • भू-राजनीतिक तनाव: पश्चिम एशिया एक राजनीतिक रूप से अस्थिर क्षेत्र है और भारत को इन जटिल भू-राजनीतिक गतिशीलताओं को नियंत्रित करने की चुनौती का सामना करना पड़ रहा है, जैसे कि इज़रायल और फिलिस्तीन दोनों के साथ संबंध बनाए रखना तथा ईरान और सऊदी अरब जैसे क्षेत्रीय प्रतिद्वंद्वियों के साथ रणनीतिक संबंधों का प्रबंधन करना।
    • इसके अलावा, सीरिया, इराक और यमन सहित कई पश्चिम एशियाई देशों में राजनीतिक अस्थिरता से भारत के सामरिक एवं आर्थिक हितों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है।
  • अन्य प्रमुख शक्तियों के साथ प्रतिस्पर्द्धा: पश्चिम एशिया में भारत के हित वैश्विक शक्तियों, विशेषकर चीन के प्रतिस्पर्द्धी हितों से प्रभावित हैं, जो अपने क्षेत्रीय प्रभाव को बढ़ा रहा है।
    • इसने बुनियादी अवसरंचना और बंदरगाहों में रणनीतिक निवेश के माध्यम से अपने क्षेत्रीय प्रभाव का विस्तार किया है, जैसे कि संयुक्त अरब अमीरात में जेबेल अली बंदरगाह का विकास और ओमान के दुकम बंदरगाह में साझेदारी, जो इस क्षेत्र में भारत की अपनी समुद्री एवं आर्थिक पहुँच के लिये चुनौती पेश कर रही है।
  • ऊर्जा कूटनीति मुद्दे: पश्चिम एशिया भारत के कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा प्रदान करता है, जो भारत की ऊर्जा सुरक्षा के लिये महत्त्वपूर्ण है।
    • क्षेत्र में भू-राजनीतिक अस्थिरता या संघर्ष से आपूर्ति बाधित हो सकती है जिसका असर भारत की अर्थव्यवस्था पर पड़ सकता है।
      • जबकि भारत निरंतर नवीकरणीय ऊर्जा की ओर बढ़ रहा है, इस संक्रमण चरण के दौरान पश्चिम एशिया के साथ स्थिर पारंपरिक ऊर्जा संबंध बनाए रखना महत्त्वपूर्ण बना हुआ है।

पश्चिम एशिया के साथ अपने संबंधों को संतुलित करने के लिये भारत क्या उपाय अपना सकता है?

  • संतुलित कूटनीतिक दृष्टिकोण: भारत को पश्चिम एशिया में अपनी रणनीतिक स्वायत्तता और गुटनिरपेक्ष नीति को बनाए रखना चाहिये तथा सऊदी अरब, ईरान, इज़रायल एवं संयुक्त अरब अमीरात जैसे प्रमुख अभिकर्त्ताओं के साथ मज़बूत द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ावा देना चाहिये।
    • किसी भी विशेष गुट के साथ प्रत्यक्ष गठबंधन से बचकर भारत अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा करते हुए क्षेत्रीय प्रतिद्वंद्विता का सामना कर सकता है।
    • इज़रायल, सऊदी अरब और ईरान के बीच अब्राहम एकॉर्ड 2.0 जैसे कूटनीतिक प्रयासों का समर्थन और उनमें शामिल होकर भारत क्षेत्रीय स्थिरता तथा शांति को बढ़ावा देने वाले रचनात्मक साझेदार के रूप में अपनी भूमिका को मज़बूत कर सकता है।
  • आर्थिक और ऊर्जा संबंधों को मज़बूत करना: भारत को अपने ऊर्जा आयात को विविधीकृत करना चाहिये ताकि पश्चिम एशिया पर निर्भरता कम हो सके। नवीकरणीय ऊर्जा क्षमताओं को बढ़ाना समय के साथ पश्चिम एशियाई तेल पर निर्भरता को घटाने में सहायक होगा।
    • प्रौद्योगिकी, रक्षा और बुनियादी ढाँचे जैसे क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करते हुए, GCC देशों के साथ व्यापार और निवेश संबंधों को सुदृढ़ करना अत्यंत आवश्यक है।
    • भारत-UAE व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौता (CEPA) व्यापार को उल्लेखनीय रूप से बढ़ावा दे सकता है, और GCC के अन्य देशों के साथ इसी प्रकार के समझौते भारत के आर्थिक हितों की रक्षा करते हुए व्यापारिक संबंधों में स्थायी वृद्धि और विविधता को प्रोत्साहित करेंगे।
  • आतंकवाद का मुकाबला और सुरक्षा सहयोग: भारत को क्षेत्रीय सुरक्षा चिंताओं के समाधान और कट्टरपंथ जैसे साझा खतरों से निपटने के लिये इज़राइल, सऊदी अरब और बहरीन के साथ खुफिया जानकारी साझा करने के साथ, आतंकवाद विरोधी अभियानों एवं संयुक्त सैन्य अभ्यासों पर केंद्रित एक पारस्परिक सुरक्षा और सैन्य समझौते के माध्यम से सहयोग करना चाहिये।
    • इन देशों के साथ रक्षा सहयोग को सुदृढ़ करना भारत को इस क्षेत्र में अपने हितों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में सहायता करेगा।
  • जलवायु परिवर्तन की सहनशीलता और सतत् विकास: भारत को जलवायु परिवर्तन पर क्षेत्रीय सहयोग को I2U2 जैसे ढाँचों के माध्यम से बढ़ाना चाहिये, और इसे अधिक पश्चिम एशियाई देशों को शामिल करते हुए विस्तारित करना चाहिये।
    • जैसे पश्चिम एशिया मरुस्थलीकरण का सामना कर रहा है, भारत मरुस्थलीकरण प्रबंधन, जल संरक्षण रणनीतियों और विलवणीकरण में अपने विशेषज्ञता को साझा करके सहायता कर सकता है। साझीदार पहलों से शुष्क भूमि की समुत्थानशीलता को बढ़ावा मिल सकता है। सतत् कृषि और जल प्रबंधन में ज्ञान विनिमय और संयुक्त प्रयास महत्त्वपूर्ण होंगे।
  • सांस्कृतिक आदान-प्रदान और लोगों के बीच संबंधों में वृद्धि: भारत को दीर्घकालिक सहयोग के निर्माण के लिये क्षेत्र के युवाओं और शैक्षणिक संस्थानों के साथ जुड़ते हुए शैक्षणिक साझेदारी, सांस्कृतिक कूटनीति और पर्यटन को मज़बूत करना चाहिये।
    • डिजिटल सहयोग, मीडिया सह-निर्माण, युवा कूटनीति और खेल भागीदारी के माध्यम से सांस्कृतिक संबंधों को और अधिक गहरा किया जा सकता है, जिसका उदाहरण संयुक्त अरब अमीरात में IPL मैच और सऊदी अरब में IPL नीलामी है, जिससे आपसी समझ और साझा अनुभवों को बढ़ावा मिलता है।

निष्कर्ष

पश्चिम एशिया में भारत के रणनीतिक हितों के क्रम में क्षेत्रीय तनावों से निपटने के लिये संतुलित दृष्टिकोण की आवश्यकता है। मुद्दा-आधारित कूटनीति और बहुपक्षीय सहयोग को प्राथमिकता देकर, भारत स्वयं को इस क्षेत्र में एक स्थिर शक्ति के रूप में स्थापित कर सकता है, शांति और स्थिरता में योगदान करते हुए अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा कर सकता है।

दृष्टि मेन्स प्रश्न

प्रश्न: पश्चिम एशिया में निरंतर अस्थिरता के पीछे के कारकों और भारत क्षेत्र के साथ अपने संबंधों में संतुलित दृष्टिकोण बनाए रखने के तरीकों पर चर्चा कीजिये।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. दक्षिण-पश्चिम एशिया का निम्नलिखित में से कौन-सा एक देश भूमध्यसागर तक नहीं फैला है? (2015)

(a) सीरिया
(b) जॉर्डन
(c) लेबनान
(d) इज़रायल

उत्तर: (b)


प्रश्न. कभी-कभी समाचारों में "टू स्टेट सॉल्यूशन" शब्द का उल्लेख किस संदर्भ में किया जाता है? (2018)

(a) चीन
(b) इज़राइल
(c) इराक
(d) यमन

उत्तर: (b)


प्रश्न. “भारत के इज़रायल के साथ संबंधों ने हाल ही में एक ऐसी गहराई और विविधता हासिल की है, जिसकी पुनर्वापसी नहीं की जा सकती है।” विवेचना कीजिये। (2018)

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2