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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

आँत के सूक्ष्मजीवों में उपापचय

  • 16 Jun 2020
  • 5 min read

प्रीलिम्स के लिये:

आँत के सूक्ष्मजीवों के बारे में

मेन्स के लिये: 

शोध का चिकित्सीय क्षेत्र में महत्त्व 

चर्चा में क्यों?

हाल ही में आईआईटी मद्रास के शोधकर्त्ताओं के द्वारा आमतौर पर आँत में पाये जाने वाले बैक्टीरिया के 36 उपभेदों (Strains) के उपापचय (Metabolism) का अध्ययन किया गया जो प्रोबायोटिक्स के विकास को और अधिक मज़बूती प्रदान कर सकते है।

प्रमुख बिंदु:

  • प्रोबायोटिक्स, आँत में मौज़ूद बैक्टीरिया के सहायक बैक्टीरिया/कॉकटेल (Cocktails) होते हैं।
    • ये जीवित सूक्ष्मजीव होते हैं जो अन्य उपयोगों के साथ, पाचन तंत्र में मौज़ूद बैक्टीरिया के कार्य को संपूरित करते हैं।
  • मानव आँत के माइक्रोबायोम में भारी संख्या में लाभकारी बैक्टीरिया विद्यमान होते हैं जिन्हें सामूहिक रूप से सहभोजी (Commensals) कहा जाता है। 
    • इनमें बिफीडोबैक्टीरियम जीनस के जीवाणु प्रमुख  हैं जो वयस्क मानव एवं शिशुओं  की आँत में पाए जाते हैं । 
    • बिफीडोबैक्टीरियम अडोलेसेंटिस (Bifidobacterium adolescentis) वयस्क मानव आँत में तथा बिफीडोबैक्टीरियम लोंगम (Bifidobacterium longum) शिशु आँत में पाए जाते हैं।
  • बिफीडोबैक्टीरियम आँत में मौज़ूद बैक्टीरिया एवं इसकी प्रजातियों के सबसे बड़े संघ (Genera) में से एक है।

शोधकार्य में शामिल बैक्टीरिया:

  • मानव आँत में बिफीडोबैक्टीरियम की लगभग 80 से अधिक प्रजातियाँ पाई जाती हैं। जिनमें से उपापचय नेटवर्क मॉडलिंग (Metabolic Network Modelling) के माध्यम से शोधकर्त्ताओं द्वारा 20 प्रजातियों के 36 उपभेदों का अध्ययन किया गया है।
  • शोधकर्त्ताओं द्वारा उपभेदों के उपापचय में भाग लेने वाले कुछ महत्वपूर्ण एंजाइमों की पहचान की गई। जिसके लिये अवरोध-आधारित मॉडलिंग तकनीक (Constraint-Based Modelling System) का प्रयोग किया गया है।
    • यह तकनीकी अणुओं के कोशिकीय आदान- प्रदान (Cellular Trafficking of Molecules) पर आधारित है अर्थात् इसके माध्यम से इस बात का पता लगाया जाता है कि कौन सी प्रतिक्रियाएँ हैं जो विभिन्न अणुओं का उत्पादन करती हैं तथा विभिन्न परिस्थितियों में क्या करती हैं। 
    • ये स्थितियाँ विभिन्न आहारों से माध्यम से उत्पन्न हो सकती हैं जो अंत में आँत में मौज़ूद सूक्ष्मजीवों को प्रभावित कर सकती हैं।
  • शोधकर्त्ताओं द्वारा इस कार्य के लिये जीवाणुओं के अध्ययन में प्रयोग किये गए उपभेदों को तीन समूहों में वर्गीकृत किया गया।
  • विशेष रूप से, शोधकर्त्ताओं ने बैक्टीरिया की शॉर्ट-चेन फैटी एसिड (short-chain fatty acids) उत्पादन क्षमता का अनुमान लगाया है जो आँत में अम्लता के स्तर (pH) को बनाए रखने में सहायक है। 
  • बैक्टीरिया के उपभेदों के अध्ययन में शोधकर्ताओं द्वारा देखा गया कि लैक्टेट के उत्पादन के विपरीत एसीटेट का उत्पादन उपभेद-विशिष्ट (Strain-Specific) होता है।

अध्ययन का महत्त्व:

  • यह अध्ययन मानव आँत में मौज़ूद सूक्ष्मजीवों के गुणों को परिभाषित करने के लिये उपापचय क्षमताओं का विश्लेषण करने की क्षमता को बेहतर तरीके से रेखांकित करता है। 
  • शोध का प्रयोग व्यावसायिक उद्देश्यों के लिये प्रोबायोटिक्स का उत्पादन करने के लिये भी किया जा सकता है।
  • पिछले कुछ वर्षों में, प्रोबायोटिक्स की संरचना में उल्लेखनीय सुधार होने के बावज़ूद फिर भी इनके विकास के लिये किये गए परीक्षणों में त्रुटियाँ होती है,यह शोध इस दिशा में अधिक व्यवस्थित दृष्टिकोण प्रदान कर सकता है।

स्रोत: द हिंदू

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