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भूगोल

जल जीवन मिशन और प्रवासी श्रमिक

  • 17 Jun 2020
  • 5 min read

प्रीलिम्स के लिये

जल जीवन मिशन, मनरेगा

मेन्स के लिये 

प्रवासी श्रमिकों से संबंधित मुद्दे

चर्चा में क्यों?

हाल ही में जल शक्ति मंत्रालय ने विभिन्न राज्यों को पत्र लिखते हुए कहा है कि कोरोना वायरस (COVID-19) के कारण लागू किये गए लॉकडाउन के परिणामस्वरूप राज्यों में लौट रहे प्रवासी श्रमिकों को जल जीवन मिशन (Jal Jeevan Mission) के तहत कार्य प्रदान किया जा सकता है।

प्रमुख बिंदु

  • जल शक्ति मंत्रालय के अनुसार, इस कार्य के लिये विशेष तौर पर उन कुशल, अकुशल एवं अर्द्ध-कुशल श्रमिकों को नियुक्त किया जा सकता है, जो इससे पूर्व निर्माण क्षेत्र (Construction Sector) में कार्यरत थे।

आवश्यकता

  • उल्लेखनीय है कि भारत समेत विश्व की तमाम सरकारों द्वारा कोरोना वायरस (COVID-19) के प्रसार को रोकने के लिये लॉकडाउन को एक उपाय के रूप में प्रयोग किया गया था, इस व्यवस्था (लॉकडाउन) के कारण देश में सभी प्रकार की आर्थिक तथा गैर-आर्थिक गतिविधियाँ पूरी तरह से रुक गई थीं, जिसके कारण दैनिक अथवा साप्ताहिक आधार पर मज़दूरी प्राप्त करने वाले प्रवासियों के समक्ष आजीविका की एक बड़ी समस्या उत्पन्न हो गई थी।
    • आजीविका की इस समस्या को देखते हुए देश भर के लाखों प्रवासी मज़दूर अपने ग्रह राज्य लौटने लगे जिसके कारण ग्रह राज्य की सरकारों के समक्ष वापस लौट रहे प्रवासी श्रमिकों को उपयुक्त रोज़गार उपलब्ध कराना एक बड़ी चुनौती बन गई है।

महत्त्व

  • यदि इस व्यवस्था को कार्यान्वित किया जाता है तो यह वर्तमान में बेरोज़गार श्रमिकों को रोज़गार उपलब्ध कराने में मददगार साबित हो सकती है।
  • विभिन्न राज्यों द्वारा किये गए कौशल सर्वेक्षणों में सामने आया है कि लॉकडाउन के प्रभावस्वरूप वापस अपने ग्रह राज्य लौटने वाले अधिकांश प्रवासी श्रमिक निर्माण क्षेत्र से संबंधित हैं। 
  • आँकड़ों के अनुसार, अकेले उत्तर प्रदेश में लौटे कुल 18 लाख प्रवासी श्रमिकों में से 16 लाख निर्माण क्षेत्र से संबंधित हैं।

जल जीवन मिशन

  • जल जीवन मिशन की घोषणा अगस्त 2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा की गई थी, इस मिशन का प्रमुख उद्देश्य वर्ष 2024 तक सभी ग्रामीण घरों में पाइप जलापूर्ति (हर घर जल) सुनिश्चित करना है।
  • जल जीवन मिशन की प्राथमिकता देश भर के सभी भागों में सुरक्षित पेयजल उपलब्ध कराना है।
  • इस मिशन के तहत कृषि में पुन: उपयोग के लिये वर्षा जल संचयन, भू-जल पुनर्भरण और घरेलू अपशिष्ट जल के प्रबंधन हेतु स्थानीय बुनियादी ढाँचे के निर्माण पर भी ध्यान दिया जाएगा।
  • उल्लेखनीय है कि जल जीवन मिशन के कार्यान्वयन के लिये जल शक्ति मंत्रालय को नोडल मंत्रालय के रूप में नियुक्त किया गया है।
  • आँकड़े बताते हैं कि भारत में विश्व की कुल आबादी का तकरीबन 16 प्रतिशत हिस्सा मौजूद है, जबकि देश में पीने योग्य जल का मात्र 4 प्रतिशत हिस्सा ही उपलब्ध है। वहीं लगातार गिरता भू-जल और जल स्रोतों पर जलवायु परिवर्तन का प्रभाव जल संरक्षण में कुछ अन्य चुनौतियाँ हैं, ऐसे में पीने योग्य पानी की मांग और पूर्ति के मध्य संतुलन स्थापित करना सरकार के लिये एक बड़ी चुनौती है।

जल जीवन मिशन: मनरेगा के विकल्प के रूप में

  • कई विशेषज्ञ जल जीवन मिशन को मनरेगा के एक विकल्प के रूप में देख रहे हैं। साथ ही सरकार भी मौजूदा COVID-19 महामारी के परिदृश्य में ग्रामीण अर्थव्यवस्था में पूंजी निवेश करने के लिये जल जीवन मिशन के उपयोग की ओर अग्रसर दिखाई दे रही है। 
  • जल जीवन मिशन के तहत 2020-21 तक राज्यों को लगभग 30,000 करोड़ उपलब्ध कराए जाएँगे, जिसे ग्रामीण अर्थव्यवस्था में एक बड़े निवेश के रूप में देखा जा सकता है।
  • वहीं दूसरी ओर एक पक्ष यह भी है कि मनरेगा मौजूदा परिदृश्य में लोगों को उनकी मांग के अनुरूप कार्य उपलब्ध कराने में सक्षम नहीं है।

स्रोत: द हिंदू

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