भारतीय राजव्यवस्था
पुलिस थानों में CCTV: SC
- 05 Dec 2020
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चर्चा में क्यों?
हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) ने राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों की सरकारों से यह सुनिश्चित करने के लिये कहा है कि प्रत्येक पुलिस स्टेशन में CCTV (Closed-Circuit Television) कैमरे लगाए जाएँ।
प्रमुख बिंदु
- पृष्ठभूमि:
- डी.के. बसु बनाम पश्चिम बंगाल राज्य (2015) के मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने निर्देश दिया कि मानवाधिकारों के हनन की जाँच के लिये हर थाने और जेल में CCTV लगाए जाएँ।
- 2018 में सर्वोच्च न्यायालय ने गृह मंत्रालय (The Ministry of Home Affairs) को जाँच के दौरान अपराध स्थल की वीडियोग्राफी का उपयोग करने हेतु एक केंद्रीय पर्यवेक्षण निकाय (Central Oversight Body) गठित करने को कहा।
- सर्वोच्च न्यायालय ने पाया है कि अधिकांश राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के पुलिस थानों में CCTV नहीं लग पाए हैं।
- नवीनतम दिशा-निर्देश:
- राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को यह सुनिश्चित करना चाहिये कि प्रत्येक पुलिस स्टेशन के सभी प्रवेश और निकास बिंदुओं, मुख्य द्वार, लॉक-अप, गलियारों, लॉबी तथा रिसेप्शन पर CCTV कैमरे लगाए जाएँ। साथ ही लॉक-अप कमरों के बाहर के क्षेत्र में भी कोई स्थान खुला नहीं छोड़ा जाए।
- सीसीटीवी सिस्टम को नाइट विज़न से लैस किया जाना चाहिये और इसमें ऑडियो के साथ-साथ वीडियो फुटेज की व्यवस्था भी होनी चाहिये। साथ ही केंद्र, राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के लिये ऐसे सिस्टम खरीदना अनिवार्य होगा जिससे कम-से-कम एक साल से अधिक समय के लिये डेटा का भंडारण किया जा सके।
- केंद्र सरकार द्वारा केंद्रीय जाँच ब्यूरो (Central Bureau of Investigations), प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate) और राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (National Investigation Agency) सहित उन सभी जाँच एजेंसियों के कार्यालयों में सीसीटीवी कैमरे तथा रिकॉर्डिंग उपकरण लगाए जाने चाहिये जिन्हें पूछताछ एवं गिरफ्तारी का अधिकार प्राप्त है।
- पर्यवेक्षण निकाय का कार्यान्वयन राज्य और ज़िला स्तर तक बढ़ाया जाना चाहिये।
- संवैधानिक आयाम: सर्वोच्च न्यायालय के वर्तमान दिशा-निर्देश भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 (जीवन की सुरक्षा और व्यक्तिगत स्वतंत्रता) में निहित मौलिक अधिकार को प्रतिष्ठापित करते हैं।
- अनुच्छेद 21: इसमें कहा गया है कि किसी भी व्यक्ति को विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया के अतिरिक्त जीवन और वैयक्तिक स्वतंत्रता के अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता है।
- अनुच्छेद 21 के विस्तृत दायरे को सर्वोच्च न्यायालय ने उन्नीकृष्णन बनाम आंध्र प्रदेश राज्य (1993) मामले में विस्तार से बताया है तथा सर्वोच्च न्यायालय ने स्वयं दिये गए निर्णय के आधार पर अनुच्छेद 21 के तहत कुछ अधिकारों की सूची प्रदान की है, इनमें से कुछ इस प्रकार हैं:
- विदेश जाने का अधिकार, निजता का अधिकार, आश्रय का अधिकार, सामाजिक न्याय और आर्थिक सशक्तीकरण का अधिकार, एकांत कारावास के विरुद्ध अधिकार, हथकड़ी लगाने के विरुद्ध अधिकार, विलंबित फाँसी के खिलाफ अधिकार, हिरासत में मृत्यु के खिलाफ अधिकार, सार्वजनिक फाँसी के विरुद्ध अधिकार, डॉक्टरों की सहायता, सांस्कृतिक विरासत का संरक्षण, प्रत्येक बच्चे को पूर्ण विकास का अधिकार, प्रदूषण मुक्त जल और वायु का अधिकार।
- हिरासत में हिंसा से संबंधित डेटा:
- राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (According to National Crime Records Bureau) के आँकड़ों के अनुसार, भारत में वर्ष 2001-2018 के बीच इस प्रकार की 1,727 मौतें दर्ज की गईं जिनके लिये केवल 26 पुलिसकर्मियों को दोषी ठहराया गया था।
- 2018 में ऐसी 70 मौतों में से केवल 4.3% मौतों के लिये ही पुलिसकर्मियों को दोषी ठहराया गया था जहाँ हिरासत के दौरान पीटे जाने से मौतें हुई थीं।
- अभिरक्षा (Custodial) में मौतों के अलावा 2000-2018 के बीच पुलिस के खिलाफ 2,000 से अधिक मानवाधिकार उल्लंघन के मामले भी दर्ज किये गए थे जिनमें केवल 344 पुलिसकर्मियों को दोषी ठहराया गया था।
- यातना के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन (United Nations Convention Against Torture) का भारत हस्ताक्षरकर्ता नहीं है, जिसके तहत राज्यों को अपने अधिकार क्षेत्र के किसी भी क्षेत्र में अत्याचार को रोकने के लिये प्रभावी उपाय करने की आवश्यकता होती है। यह देशों को अपने नागरिक उन देशों में भेजने से मना करता है, जहाँ यह आशंका होती है कि उन्हें यातना झेलनी पड़ सकती है।
- CCTV:
- यह एक टेलीविज़न प्रणाली है जिसमें संकेतों को सार्वजनिक रूप से प्रसारित नहीं किया जाता है बल्कि निगरानी और सुरक्षा उद्देश्यों हेतु इसका उपयोग किया जाता है।
- घटक: इसमें सिर्फ आधारभूत घटक शामिल होते हैं जो बहुत ज़्यादा उपकरणों से नहीं जुड़े होते हैं। इनमें एक कैमरा (लेंस के साथ), केबल, एक डिजिटल वीडियो रिकॉर्डर (Digital Video Recorder) या नेटवर्क वीडियो रिकॉर्डर (Network Video Recorder) और एक वीडियो मॉनिटर शामिल हैं।
- सुरक्षा उपयोग:
- यह आतंकवाद और अन्य सुरक्षा खतरों को रोकने के लिये एक महत्त्वपूर्ण सुरक्षा नियंत्रक है।
- न्याय के लिये सबूत उपलब्ध करने के साथ ही सभी प्रकार के शारीरिक और इलेक्ट्रॉनिक खतरों का पता लगाने में भी CCTV का उपयोग महत्त्वपूर्ण है।