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सामाजिक न्याय

ग्लोबल टीचर प्राइज़ 2020

  • 05 Dec 2020
  • 8 min read

चर्चा में क्यों?

महाराष्ट्र के सोलापुर के एक प्राथमिक शिक्षक रणजीत सिंह डिसाले ग्लोबल टीचर प्राइज़ 2020 (Global Teacher Prize 2020) के विजेता बने हैं।

प्रमुख बिंदु

  • ग्लोबल टीचर प्राइज़: 
    • इसके तहत 1 मिलियन डॉलर की पुरस्कार राशि दी जाती है और यह  पुरस्कार प्रतिवर्ष एक ऐसे असाधारण शिक्षक को प्रदान किया जाता है जिसने अपने पेशे हेतु उत्कृष्ट योगदान दिया है। 
    • वर्की फाउंडेशन इस पुरस्कार का संस्थापक है, जो कि एक वैश्विक धर्मार्थ संस्थान है तथा शिक्षा के मानकों में सुधार लाने पर केंद्रित है। यह पुरस्कार यूनेस्को (UNESCO) की साझेदारी में आयोजित किया जाता है।
  • उद्देश्य:
    • यह शिक्षकों के महत्त्व को बढ़ावा देता है और इस तथ्य को रेखांकित करने का कार्य करता है कि दुनिया भर में शिक्षकों द्वारा किये जाने वाले प्रयासों को सम्मान और प्रतिष्ठा देने की आवश्यकता है।
    • यह न केवल छात्रों बल्कि आस-पास के समुदायों पर भी सर्वोत्तम शिक्षकों के प्रभाव को मान्यता प्रदान करता है।
      • आज दुनिया के सामने आने वाले सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के पीछे अपर्याप्त शिक्षा एक प्रमुख कारक है। शिक्षा में गरीबी, पूर्वाग्रह और संघर्ष को कम करने की शक्ति होती है।
  • रणजीत सिंह डिसाले का योगदान:
    • उन्होंने एक जीर्ण-शीर्ण स्कूल को ऐसे स्कूल में परिवर्तित कर दिया जो क्विक रिस्पॉन्स (क्यूआर) कोड प्रस्तुत करने वाला महाराष्ट्र का पहला स्कूल बना।
      • क्यूआर कोड एक प्रकार का बारकोड होता है जिसमें डॉट्स का एक मैट्रिक्स होता है। इसे एक क्यूआर स्कैनर या एक स्मार्टफोन के कैमरे का उपयोग करके स्कैन किया जा सकता है।
    • उन्होंने न केवल कक्षा की पाठ्यपुस्तकों का अपने विद्यार्थियों की मातृभाषा में अनुवाद किया, बल्कि छात्रों को ऑडियो कविताओं, वीडियो लेक्चर, कहानियों और असाइनमेंट्स को एम्बेड करने वाले अद्वितीय क्यूआर कोड का निर्माण किया।
    • वह संघर्षरत क्षेत्रों में रहने वाले युवाओं के मध्य शांति स्थापित करने हेतु भी प्रयासरत हैं। इनके द्वारा शुरू किया गया “लेट्स क्रॉस द बॉर्डर्स” प्रोजेक्ट भारत व पाकिस्तान, फिलिस्तीन, इज़रायल, इराक, ईरान तथा अमेरिका और उत्तर कोरिया के युवाओं को जोड़ने का कार्य करता है।
  • डिसाले के प्रयासों का प्रभाव:
    • अब गाँव में किशोर विवाह नहीं होते हैं और स्कूल में लड़कियों की शत-प्रतिशत उपस्थिति होती है।
    • राज्य सरकार ने वर्ष 2017 में घोषणा की थी कि वह सभी स्नातकों के लिये राज्य भर में क्यूआर कोड युक्त पाठ्यपुस्तकें प्रस्तुत करेगी।
      • वर्ष 2018 में यह घोषणा की गई थी कि सभी एनसीईआरटी पाठ्यपुस्तकों में क्यूआर कोड एम्बेडेड होंगे।

शिक्षा क्षेत्र में सुधार हेतु कुछ भारतीय पहलें

  • राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (National Education Policy 2020)
    • शिक्षक को शिक्षा प्रणाली से संबंधित मूलभूत सुधारों के केंद्र में होना चाहिये।
    • इस नीति के तहत शिक्षण प्रणाली में सुधार हेतु ‘शिक्षकों के लिये राष्ट्रीय व्यावसायिक मानक’ (National Professional Standards for Teachers- NPSTs) का विकास और चार वर्ष के एकीकृत बी.एड. कार्यक्रम की अवधारणा प्रस्तुत की गई है। 
  • वर्ष 2022 तक शिक्षा क्षेत्र में अवसंरचना और प्रणालियों को मज़बूती प्रदान करना
    (Revitalising Infrastructure and Systems in Education– RISE)
  • यह गुणवत्तापूर्ण तरीके से वर्ष 2022 तक भारत में अनुसंधान और शैक्षणिक बुनियादी ढाँचे को वैश्विक सर्वोत्तम मानकों के अनुरूप उन्नत करने पर ध्यान केंद्रित करता है।
    • इसका उद्देश्य भारतीय उच्च शिक्षण संस्थानों में उच्च गुणवत्ता युक्त अनुसंधान बुनियादी ढाँचा उपलब्ध कर भारत को एक शिक्षा केंद्र बनाना है।
  • यू.जी.सी. का लर्निंग आउटकम-बेस्ड कर्रिकुलम फ्रेमवर्क (LOCF)
    • विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) द्वारा वर्ष 2018 में जारी किये गए LOCF दिशा-निर्देशों का उद्देश्य यह निर्दिष्ट करना है कि स्नातक विद्यार्थी अपने अध्ययन कार्यक्रम के अंत में क्या जानने, समझने और करने में सक्षम हैं। यह छात्रों को एक सक्रिय शिक्षार्थी और शिक्षक को एक अच्छा सूत्रधार बनाता है।
  • ग्लोबल इनिशिएटिव फॉर एकेडमिक नेटवर्क (GIAN): 
    • इस कार्यक्रम का उद्देश्य प्रतिष्ठित शिक्षाविदों, उद्यमियों, वैज्ञानिकों तथा विश्व भर में ख्याति प्राप्त संस्थानों के विशेषज्ञों को भारत के उच्च शिक्षण संस्थानों में पढ़ाने के लिये आमंत्रित करना है।
  • ऑल इंडिया सर्वे ऑन हायर एजुकेशन (AISHE): 
    • सर्वेक्षण के प्रमुख उद्देश्यों में देश भर में उच्च शिक्षा के सभी संस्थानों की पहचान कर उनके बारे में जानकारी संग्रहीत करना तथा उच्च शिक्षा के विभिन्न पहलुओं पर सभी उच्च शिक्षण संस्थानों से डेटा एकत्र करना शामिल है।
  • ई-पाठशाला: 
    • इसे वर्ष 2015 में स्कूली छात्रों के बीच सेल्फ लर्निंग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से शुरू किया गया था।
      • यह पोर्टल विभिन्न शिक्षाविदों, शोधकर्त्ताओं, विशेषज्ञों, अभिभावकों और इनमें सबसे महत्त्वपूर्ण छात्रों की मेज़बानी करता है जो अपने प्रश्नों को हल करने हेतु सुविधा तक पहुँच प्राप्त कर सकते हैं।
  • वैश्विक पहल
  • वैश्विक शिक्षा निगरानी रिपोर्ट (Global Education Monitoring Report): इसे संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) द्वारा जारी किया जाता है जिसका उद्देश्य सतत् विकास लक्ष्य में निहित शिक्षा संबंधी लक्ष्यों (SDG -4) की दिशा में प्रगति की निगरानी करना है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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