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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

जैव ईंधन आपूर्ति शृंखला

  • 04 Jul 2020
  • 4 min read

प्रीलिम्स के लिये:

कृत्रिम बुद्धिमत्ता, जैव ईंधन, ग्रीनहाउस गैस, कार्बन क्रेडिट

मेन्स के लिये:

जैव ईंधन आपूर्ति श्रृंखला का पर्यावरणीय संदर्भ में महत्त्व

चर्चा में क्यों?

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (Indian Institute of Technology- IIT) हैदराबाद के शोधकर्त्ताओं द्वारा ‘कृत्रिम बुद्धिमत्ता’ (Artificial Intelligence) पर आधारित ऐसी कम्प्यूटेशनल विधियों (Computational Methods) को विकसित किया जा रहा है जो देश में जैव ईंधन को शामिल करने से जुड़े विभिन्न मुद्दों एवं समस्याओं को समझने में मददगार साबित हो सकती हैं।

प्रमुख बिंदु:

  • इस शोध कार्य की एक विशेषता यह है कि इसके ढाँचे में केवल जैविक ईंधन की बिक्री को राजस्व सृजन का आधार नहीं माना गया है, बल्कि इस चक्र में 'ग्रीनहाउस गैस’ (Greenhouse Gas ) के उत्सर्जन में कटौती के माध्यम से प्राप्त ‘कार्बन क्रेडिट’ (Carbon Credit) को भी राजस्व सृजन में शामिल किया गया है।
  • शोधकर्ताओं द्वारा विकसित मॉडल से पता चला है कि मुख्यधारा में उपयोग होने वाले ईंधन में बायो-एथेनॉल क्षेत्र को शामिल करने पर इससे जुड़े खर्च लागत इस प्रकार हैं-
    • उत्पादन पर सबसे अधिक 43% खर्च का आकलन किया गया है।
    • आयात पर 25% खर्च का आकलन किया गया है।
    • परिवहन पर 17% खर्च का आकलन किया गया है।
    • ढाँचागत संसाधनों पर 15% खर्च का आकलन किया गया है।
    • इन्वेंटरी पर 0.43% खर्च का आकलन किया गया है।
  • अपने इस शोध कार्य के दौरान शोधकर्त्ताओं द्वारा देश के विभिन्न क्षेत्रों में जैविक ऊर्जा उत्पादन के लिये प्रयुक्त विभिन्न तकनीकों का भी विश्लेषण किया है जिसमे शोधकर्त्ताओं द्वारा आपूर्तिकर्ताओं, परिवहन, भंडारण एवं उत्पादन के आँकड़ों का उपयोग करके जैव ईंधन की व्यवहार्यता का अध्ययन किया है।
  • इस शोध कार्य में जैव ईंधन के आपूर्ति श्रृंखला नेटवर्क को समझने के लिये कृत्रिम बुद्धिमत्ता /मशीन लर्निंग तकनीक का उपयोग किया जा रहा है।
  • इस शोध कार्य को क्लीनर प्रोडक्शन (Cleaner Production) पत्रिका में प्रकाशित किया गया है।

शोध का महत्त्व:

  • कृत्रिम बुद्धिमत्ता तकनीकी पर आधारित देशव्यापी बहुस्तरीय जैवईंधन आपूर्ति श्रृंखला नेटवर्क तकनीकी-आर्थिक-पर्यावरणीय विश्लेषण, मांग पूर्वानुमान, आपूर्ति श्रृंखला मापदंडों में विद्यमान अनिश्चितता को दूर करने में सहायक होगा।
  • जैव ईंधन आपूर्ति श्रृंखला नेटवर्क परिचालन पर पड़ने वाले प्रभाव एवं दूरगामी निर्णय लेने में उपयोगी सिद्ध हो सकता है।
  • गैर-खाद्य स्रोतों से उत्पन्न जैविक ईंधन कार्बन-न्यूट्रल नवीकरणीय ऊर्जा का महत्त्वपूर्ण स्रोत है। जिनमें कृषि अपशिष्ट जैसे- पुआल, घास और लकड़ी जैसे अन्य उत्पाद शामिल हैं।
  • जीवाश्म ईंधन के घटते भंडार तथा इसके उपयोग से होने वाले प्रदूषण से जुड़ी चिंताओं का समाधान के तौर पर जैव ईंधन के क्षेत्र में इस शोध कार्य का खासा महत्त्व हो जाता है।

स्रोत: पीआईबी

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