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डेली न्यूज़

जैव विविधता और पर्यावरण

राष्ट्रीय क्षेत्राधिकार से परे जैव विविधता पर संधि (BBNJ)

  • 22 Mar 2022
  • 7 min read

प्रिलिम्स के लिये:

UNCLOS, BBNJ, IUCN

मेन्स के लिये:

BBNJ संधि, संरक्षण 

चर्चा में क्यों?

हाल ही में अंतर-सरकारी सम्मेलन की चौथी बैठक (IGC-4) न्यूयॉर्क में आयोजित की गई, जिसमें राष्ट्रीय क्षेत्राधिकार से परे जैव विविधता (BBNJ) क्षेत्रों में समुद्री जैविक विविधता के संरक्षण और सतत् उपयोग पर एक उपकरण का मसौदा तैयार किया गया था।

BBNJ संधि:

  • "BBNJ संधि", जिसे "उच्च समुद्री संधि" के रूप में भी जाना जाता है, वर्तमान में संयुक्त राष्ट्र में वार्ता के तहत राष्ट्रीय क्षेत्राधिकार से परे क्षेत्रों की समुद्री जैविक विविधता के संरक्षण और सतत् उपयोग पर एक अंतर्राष्ट्रीय समझौता है।
  • यह नया उपकरण UNCLOS के ढाँचे के अंतर्गत विकसित किया जा रहा है, जो समुद्र में मानव गतिविधियों को नियंत्रित करने वाला मुख्य अंतर्राष्ट्रीय समझौता है।
  • यह उच्च समुद्री गतिविधियों का अधिक समग्रता के साथ प्रबंधन करेगा, जिससे समुद्री संसाधनों के संरक्षण और सतत् उपयोग के बीच बेहतर संतुलन स्थापित किया जा सकेगा।
  • BBNJ विशेष आर्थिक क्षेत्रों या देशों के राष्ट्रीय जल क्षेत्र से परे उच्च समुद्रों को शामिल करता है।
    • इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंज़र्वेशन ऑफ नेचर (IUCN) के अनुसार, इन क्षेत्रों में "पृथ्वी की सतह का लगभग आधा हिस्सा" मौजूद है।
    • इन क्षेत्रों को शायद ही जैव विविधता के लिये विनियमित और विस्तृत किया जाता है, इनमें सिर्फ 1% क्षेत्र का ही संरक्षण किया जाता हैं।
  • फरवरी 2022 में  शुरू किया गया वन ओशन समिट राष्ट्रीय क्षेत्राधिकार से परे जैव विविधता के उच्चतम स्तर पर महत्त्वाकांक्षी परिणाम तथा BBNJ वार्ता में शामिल कई प्रतिनिधिमंडलों को एक साथ लाता है।
  • यह वार्ता वर्ष 2015 में सहमत तत्त्वों के एक पैकेज के आसपास केंद्रित है, अर्थात्:
    • विशेषतः एक साथ और समग्र रूप से राष्ट्रीय क्षेत्राधिकार से परे क्षेत्रों की समुद्री जैविक विविधता का संरक्षण तथा सतत् उपयोग एवं समुद्री आनुवंशिक संसाधन जिसमें लाभों के बँटवारे से संबंधित प्रश्न शामिल हैं।
    • समुद्री संरक्षित क्षेत्रों सहित क्षेत्र-आधारित प्रबंधन उपकरण।
    • पर्यावरणीय प्रभाव आकलन।
    • क्षमता निर्माण और समुद्री प्रौद्योगिकी का हस्तांतरण आदि।

BBNJ के लिये कानूनी रूप से बाध्यकारी साधन की आवश्यकता:

  • राष्ट्रीय अधिकार क्षेत्र से परे के क्षेत्रों में समुद्र का 95% हिस्सा शामिल है जो मानवता को अमूल्य पारिस्थितिक, आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, वैज्ञानिक और खाद्य-सुरक्षा लाभ प्रदान करते हैं।
  • हालांँकि जीवन से परिपूर्ण ये क्षेत्र अब बढ़ते खतरों के प्रति संवेदनशील हैं जिनमें प्रदूषण, अतिदोहन और जलवायु परिवर्तन जैसे पहले से ही दिखाई देने वाले प्रभाव शामिल हैं।
    • आने वाले दशकों में समुद्री संसाधनों की बढ़ती मांग, जिसमे भोजन, खनिज या जैव प्रौद्योगिकी शामिल हैं, इस समस्या को और अधिक गंभीर बना सकते हैं।
  • उच्च समुद्र अत्यंत जैव विविधता वाले क्षेत्र होते हैं और इसके प्रभावों को जाने बिना ही उनका दोहन किया गया है।
  • उच्च समुद्रों के सतही जल में वैज्ञानिक अन्वेषण हुए हैं, जबकि गहरे समुद्र अर्थात् सतह के 200 मीटर नीचे शायद ही कोई अध्ययन कार्य किया गया हो।
  • गहरे समुद्र तल, जिसे सबसे कठोर आवास माना जाता है, के विलुप्त होने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।
    • 184 प्रजातियों (मोलस्क की) के मूल्यांकन में 62% प्रजातियाँ संकटग्रस्त रूप में सूचीबद्ध: 39 प्रजातियों को गंभीर रूप से संकटग्रस्त, 32 प्रजातियाँ को लुप्तप्राय और 43 को सुभेद्य रूप से सूचीबद्ध किया गया है।
    • हिंद महासागर के गड्ढों और दरारों में 100% मोलस्क पहले से ही गंभीर रूप से संकटग्रस्त रूप में सूचीबद्ध हैं। यह उन्हें विलुप्त होने से बचाने की तत्काल आवश्यकता को दर्शाता है। फिर भी जमैका स्थित अंतर-सरकारी निकाय, अंतर्राष्ट्रीय समुद्र तल प्राधिकरण, गहरे समुद्र में खनन अनुबंधों की अनुमति दे रहा है।

संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून संधि (UNCLOS):

  • समुद्र के कानून पर संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून संधि (United Nations Convention on the Law of the Sea- UNCLOS) वर्ष 1982 का एक अंतर्राष्ट्रीय समझौता है जो समुद्री और समुद्री गतिविधियों के लिये कानूनी ढांँचा स्थापित करता है। इसे समुद्र का नियम ( Law of the Sea) भी कहा जाता है।
  • यह समुद्री क्षेत्रों को पाँच मुख्य क्षेत्रों में विभाजित करता है जिसमे शामिल हैं- आंतरिक जल, प्रादेशिक सागर, सन्निहित क्षेत्र, अनन्य आर्थिक क्षेत्र और उच्च समुद्र।
  • यह एक अंतर्राष्ट्रीय समझौता है जो विश्व के सागरों और महासागरों पर देशों के अधिकार एवं ज़िम्मेदारियों का निर्धारण करता है तथा समुद्री साधनों के प्रयोग के लिये नियमों की स्थापना करता है।
  • यह तटीय राज्यों और महासागरों को नेविगेट करने वाले राज्यों को एक आधार प्रदान करता है।.
  • यह न केवल तटीय राज्यों के अपतटीय क्षेत्रों के ज़ोन को बल्कि पाँच संकेंद्रित क्षेत्रों में राज्यों के अधिकारों और ज़िम्मेदारियों हेतु विशिष्ट मार्गदर्शन भी प्रदान करता है।

Continental-Shelf

स्रोत: डाउन टू अर्थ  

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