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प्रिलिम्स फैक्ट्स

  • 27 Jun, 2022
  • 19 min read
प्रारंभिक परीक्षा

जलकुंभी

हाल ही में पश्चिम बंगाल ने छोटे पैमाने पर कुटीर उद्योग विकसित करने के लिये जलकुंभी (विषाक्त जलीय खरपतवार पौधा) का उपयोग करके एक उत्कृष्ट उदाहरण स्थापित किया है जो आर्थिक रूप से फायदेमंद और पर्यावरण के अनुकूल है। 

Basketweave Arum-Plants

प्रमुख बिंदु 

  • परिचय: 
    • जलकुंभी को वैज्ञानिक तौर पर इचोर्निया क्रैसिप्स मार्ट के रूप में जाना जाता है। पोंटेडरियासी (Pontederiaceae) भारत सहित पूरे दक्षिण एशिया में जल निकायों में पाया जाने वाला एक जलीय खरपतवार है। 
    • यह स्वदेशी प्रजाति नहीं है, लेकिन ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के दौरान इसे दक्षिण अमेरिका से सजावटी जलीय पौधे के रूप में भारत लाया गया था। 
    • इस पौधे पर आकर्षक बैंगनी रंग के पुष्प खिलते हैं जिनका उच्च सौंदर्य मूल्य होता है।  
  • मुद्दे: 
    • यह साधारण तैरता जलीय पौधा, दुर्भाग्य से एक अप्रिय खरपतवार भी है जो नदियों, नालों, धाराओं, तालाबों, बाँंधों, झीलों और दलदल जैसे सतही मीठे पानी के स्रोतों में आक्सीजन की कमी का कारण बन रहा है, जिससे जल निकाय व्यावसायिक मत्स्य पालन, परिवहन एवं मनोरंजन के लिये अनुपयुक्त होते जा रहे हैं। 
    • यह एक ‘प्रोलिफोलिक’ वनस्पति पदार्थ-उत्पादक पौधा है और किसी भी बंद जलाशय को आश्चर्यजनक दर से समाप्त करने की क्षमता रखता है। 
      • एक पौधा जो ‘प्रोलिफोलिक’ होता है, वह बड़ी संख्या में युवा पौधे या फलों की उत्पत्ति करता है। 
      • यह सूर्य के प्रकाश को कम करने के साथ ही पानी में ऑक्सीजन के स्तर को कम करता है, जिससे यह व्यावसायिक उपयोग के लिये अनुपयुक्त हो जाता है। 
      • इस खरपतवार को समय-समय पर हटाना एक महँगी और श्रमसाध्य प्रक्रिया है। 
    • यह जलकुंभी पारिस्थितिकी तंत्र के लिये एक गंभीर समस्या वाला पौधा बन गया है। 
  • महत्त्व: 
    • कुछ जैविक कृषि पद्धतियों में इस पौधे का उपयोग जैव-उर्वरक के रूप में किया जाता है।  
    • यह पौधा फाइटोरेमेडिएशन गुण वाली प्रजाति का पौधा है,  जिसमें ज़हरीले मेटाबोलाइट्स और हानिकारक भारी धातुओं को पानी से निकालने की क्षमता है। 

स्रोत: डाउन टू अर्थ 


प्रारंभिक परीक्षा

2030 तक यूरोप में कीटनाशकों के उपयोग को आधा करना

यूरोपीय संघ की कार्यकारी शाखा, यूरोपीय आयोग (EC) ने 2030 तक पूरे यूरोप में कीटनाशकों के उपयोग को आधा करने के लिये एक मसौदा कानून का प्रस्ताव रखा है। 

  • जलवायु परिवर्तन पर अंतर-सरकारी पैनल (IPCC) ने अपने छठे आकलन में जलवायु परिवर्तन में  कमी लाने के लिये  अनुकूल पारिस्थितिकी तंत्र की तत्काल बहाली का आह्वान किया है। 
  • ग्लासगो जलवायु समझौते ने भी जलवायु शमन और अनुकूलन के लिये प्राकृतिक पारिस्थितिक तंत्र के महत्त्व को रेखांकित किया था। 
  • यूरोपीय संघ, 2011 और 2020 के बीच यूरोपीय संघ की जैवविविधता रणनीति के अनुसार, जैवविविधता के क्षति को रोकने में सफल नहीं रहा है, जिसका स्वैच्छिक लक्ष्य 2020 तक कम-से-कम 15% निम्नीकृत पारिस्थितिक तंत्र को बहाल करना था। 

मसौदा कानून: 

  • मसौदा पारिस्थितिक तंत्र एक विस्तृत शृंखला में कई बाध्यकारी बहाली लक्ष्य और दायित्वों को निर्धारित करता है। इसमें 2030 तक यूरोपीय संघ की 20% भूमि और समुद्री क्षेत्र पर क्षेत्र-आधारित बहाली उपायों के लिये व्यापक उद्देश्य शामिल हैं। 
  • प्राकृतिक और अर्द्ध-प्राकृतिक जैवविविधता पारिस्थितिक तंत्र आर्द्रभूमि, जंगल, घास के मैदान, नदी, झीलें एवं यहांँ तक कि टीले का बड़े पैमाने पर सुधार और पुनः स्थापित किया जाएगा। 
  • यह अन्य मुद्दों के अलावा नदियों के मुक्त प्रवाह हेतु बड़े बांँधों को नष्ट करने का प्रयास करता है। 
  • 2030 तक मधुमक्खियों, तितलियों, भौंरों, होवरफ्लाइज़ और अन्य परागणकों की आबादी में गिरावट को रोकने हेतु रासायनिक कीटनाशकों के उपयोग एवं जोखिम को 2030 तक 50% कम कर दिया जाएगा। 
  • प्रस्ताव का उद्देश्य हरित शहरी स्थानों के नुकसान को कम करना है ताकि वर्ष 2030 तक हरित शहरी स्थानों का कोई नुकसान न हो। वास्तविक लक्ष्य वर्ष 2050 तक इन स्थानों में 5% की वृद्धि सुनिश्चित करना है। 
  • प्रस्ताव में कहा गया है कि सभी शहरों और कस्बों में कम-से-कम 10% वितान (canopy) कवर में वृद्धि होनी चाहिये। 
  • प्रस्ताव में वर्ष 2030 तक 25,000 किलोमीटर नदियों को एक मुक्त-प्रवाह वाली स्थिति में बहाल करने का लक्ष्य रखा गया है। इसके लिये सतही जल की कनेक्टिविटी को रोकने या बाधित करने वाले अवरोधों की पहचान करके उन्हें दूर किया जाएगा। 

कीटनाशक : उपयोग और मुद्दे 

  • परिचय: 
    • रासायनिक यौगिक जो कीटाणुओं को खत्म करने के लिये तैयार किये जाते हैं उन्हें कीटनाशक कहा जाता है। 
      • इनका उपयोग कृंतकों (कृंतकनाशक), कीटाणुओं (कीटनाशक), खरपतवार (शाकनाशी) और कवक (कवकनाशी) जैसे कीटों को मारने या भगाने के लिये किया जाता है। 
    • इनका उपयोग सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रबंधन में मच्छर जैसे रोग वाहकों को खत्म करने के लिये किया जाता है। 
    • फसलों को नुकसान पहुंँचाने वाले कीटों को खत्म करने के लिये इनका उपयोग कृषि में किया जाता है। 
  • मुद्दे: 
    • किसानों पर हानिकारक प्रभाव: विशेषज्ञों का मानना है कि पुराने निम्न-स्तर के कीटनाशक के संपर्क में आने से सिरदर्द, थकान, चक्कर आना, तनाव, क्रोध, अवसाद और ख़राब  स्मृति, पार्किंसंस रोग एवं अल्जाइमर रोग जैसे तंत्रिका तंत्र के लक्षणों की एक विस्तृत शृंखला है। 
    • उपभोक्ताओं पर हानिकारक प्रभाव: कीटनाशक पर्यावरण के माध्यम से और मिट्टी या जल प्रणालियों द्वारा खाद्य शृंखला तक पहुँचते हैं जिसके बाद उन्हें जलीय जानवरों या पौधों व अंततः मनुष्यों द्वारा खाया जाता है। इस प्रक्रिया को जैव-आवर्द्धन/बायोमैग्निफिकेशन (Biomagnification) कहा जाता है। 
    • कृषि पर हानिकारक प्रभाव: दशकों से कीटनाशकों के निरंतर उपयोग ने भारतीय कृषि क्षेत्र के वर्तमान पारिस्थितिक, आर्थिक और अस्तित्व के संकट को निरंतर बढ़ावा दिया है। 
    • नियामकता से संबंधित मुद्दे: हालांँकि कृषि उत्पादन राज्य  का विषय है, यह शिक्षा और अनुसंधान कीटनाशक अधिनियम, 1968 जो कि एक केंद्रीय अधिनियम है, के तहत शासित होता है, अत: इसलिये राज्य सरकारों की इसमें संशोधन करने में कोई प्रत्यक्ष भूमिका नहीं है। 
      • इसका कारण यह है कि अनुमानित 104 कीटनाशक अभी भी भारत में उत्पादित/ उपयोग किये जाते हैं, जिन्हें विश्व के दो या दो से अधिक देशों में प्रतिबंधित कर दिया गया है। 
  • भारत में कीटनाशकों का विनियमन: 
    • 1968 का कीटनाशक अधिनियम भारत में कीटनाशकों के पंजीकरण, निर्माण और बिक्री से संबंधित है। 
    • पिछले पाँच दशकों में इस अधिनियम को लागू करने के अनुभव ने कुछ कमियों को उजागर किया है। इस संदर्भ में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने हाल ही में कीटनाशक प्रबंधन विधेयक, 2020 को मंज़ूरी दी है। 
    • विधेयक कीटनाशकों के व्यापार को नियंत्रित करता है और कृषि रसायनों के उपयोग से होने वाले नुकसान के मामले में किसानों को मुआवज़ा देता है। 

विगत वर्षों के प्रश्न: 

प्रश्न: भारत में कार्बोफ्यूरान, मिथाइल पैराथियान, फोरेट और ट्रायजोफोस के उपयोग को आशंका के साथ देखा जाता है। इन रसायनों का उपयोग किया जाता है: (2019) 

(a) कृषि में कीटनाशक
(b) प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों में संरक्षक
(c) फल पकाने वाले पदार्थ
(d) सौंदर्य प्रसाधन में मॉइस्चराइज़िंग कारक

उत्तर: (a)  

  • जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिये कृषि विभाग, केरल ने 2011 से लगभग 17 कीटनाशकों के उपयोग पर प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया है। 
  • प्रतिबंधित कीटनाशकों की सूची: 
    • कीटनाशक: कार्बोफ्यूरान, मिथाइल डेमेटन, मिथाइल पैराथियन, मोनोक्रोटोफॉस, फोरेट, मिथाइलमोल, प्रोफेनोफोस, ट्रायजोफोस, एंडोसल्फान 
    • कवकनाशी: एमईएमसी, एडिफेनफोस, ट्राईसाइक्लाज़ोल, ऑक्सीथियोक्विनॉक्स 
    • खरपतवारनाशी: अनिलोफोस, पैराक्वाट, थियोबेनकार्ब, एट्राजीन 
  • अतः विकल्प (A) सही उत्तर है। 

स्रोत- डाउन टू अर्थ


विविध

Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 27 जून, 2022

अंतर्राष्ट्रीय एमएसएमई दिवस 

हर वर्ष 27 जून को सतत् विकास लक्ष्यों (Sustainable Development Goals- SDGs) के कार्यान्वयन में सूक्ष्म, लघु और मध्यम आकार के उद्यमों के योगदान को मान्यता देने हेतु सूक्ष्म, लघु और मध्यम आकार के उद्यम (Micro, Small and Medium-sized Enterprises (MSMEs) दिवस का आयोजन जाता है। अप्रैल 2017 में संयुक्त राष्ट्र (United Nations- UN) ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में पारित एक प्रस्ताव के माध्यम से 27 जून को सूक्ष्म, लघु और मध्यम आकार के उद्यम दिवस के रूप में नामित किया। मई 2017 में ‘एनहेनसिंग नेशनल केपेसिटीज़ फॉर अनलेशिंग फुल पोटेंशियल्स ऑफ एमएसएमई इन अचीविंग द एसडीजीज़ इन डेवलपिंग कंट्रीज़' (Enhancing National Capacities for Unleashing Full Potentials of MSMEs in Achieving the SDGs in Developing Countries') नामक एक कार्यक्रम शुरू किया गया। इसे संयुक्त राष्ट्र शांति और विकास कोष (United Nations Peace and Development Fund) के सतत् विकास उप-निधि के लिये 2030 एजेंडा द्वारा वित्तपोषित किया गया है। MSME दिवस 2022 की थीम “आत्मनिर्भर MSMEs को शक्ति प्रदान करने के लिये भारत की आपूर्तिं शृंखला को मज़बूत करना”है। नीति, प्रौद्योगिकी, नेतृत्व, कौशल और पूरे पारिस्थितिकी तंत्र को नई क्षमताओं को विकसित करने, मौजूदा को बढ़ाने और एक नई दुनिया के लिये तैयार रहने की आवश्यकता है।  

डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम 

27 जुलाई, 2022 को देश भर में पूर्व राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम की सातवीं पुण्‍यतिथि मनाई जा रही है। डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्तूबर, 1931 को तमिलनाडु के रामेश्वरम में हुआ था। उन्होंने वर्ष 2002 से वर्ष 2007 तक भारत के 11वें राष्ट्रपति के रूप में कार्य किया। वे न केवल एक सुविख्यात एयरोस्पेस वैज्ञानिक थे, बल्कि महान शिक्षक भी थे, जिन्होंने रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) तथा भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के साथ काम किया था। डॉ. कलाम वर्ष 1962 में ‘भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन’ से जुड़े और वहाँ उन्हें प्रोजेक्ट डायरेक्टर के तौर पर भारत का पहला स्वदेशी उपग्रह (SLV- lll) प्रक्षेपास्त्र बनाने का श्रेय हासिल हुआ। अब्दुल कलाम भारत के मिसाइल कार्यक्रम के जनक माने जाते हैं, वे ‘आम जनमानस के राष्ट्रपति’ के तौर पर प्रसिद्ध हैं। डॉ. कलाम ने अपने ‘सादा जीवन, उच्च विचार’ के दर्शन से भारत समेत दुनिया भर के लाखों युवाओं को प्रेरित किया है। संयुक्त राष्ट्र (UN) ने डॉ. कलाम के जन्म दिवस को चिह्नित करते हुए वर्ष 2010 में 15 अक्तूबर को विश्व छात्र दिवस के रूप में नामित किया था। डॉ. कलाम की उपलब्धियों को इस बात से समझा जा सकता है कि उन्हें भारत एवं विदेशों के 48 विश्वविद्यालयों और संस्थानों द्वारा डॉक्टरेट की मानद उपाधि से सम्मानित किया गया था। उन्होंने वर्ष 1992 से वर्ष 1999 तक प्रधानमंत्री के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार के रूप में भी कार्य किया। डॉ. कलाम को वर्ष 1981 में पद्मभूषण, वर्ष 1990 में पद्मविभूषण और वर्ष 1997 में ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया गया। 

नशीली दवाओं के दुरुपयोग और अवैध तस्करी के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय दिवस 

 
हर वर्ष 26 जून को संयुक्त राष्ट्र द्वारा नशीली दवाओं के दुरुपयोग और अवैध तस्करी के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय दिवस  मनाया जाता है। इस दिवस को वर्ष 1989 से मनाया जा रहा है। 26 जून की तारीख को ग्वांगडोंग में लिन ज़ेक्सू द्वारा अफीम व्यापार को समाप्त करने के उपलक्ष्य में चुनी गई है। संयुक्त राष्ट्र की वर्ल्ड ड्रग रिपोर्ट के अनुसार, वैश्विक स्तर पर अवैध ड्रग का मूल्य प्रतिवर्ष 322 बिलियन अमेरिकी डाॅलर है। वर्ल्ड ड्रग रिपोर्ट में इस बात पर भी प्रकाश डाला गया है कि वर्ष 2018 में लगभग 269 मिलियन लोगों ने ड्रग्स का इस्तेमाल किया जो वर्ष 2009 की तुलना में 30% अधिक है। UNODC संयुक्त राष्ट्र का एक अंग है जो विश्व को ड्रग्स, भ्रष्टाचार, अपराध और आतंकवाद से सुरक्षित रखने में मदद करता है। 

वाणिज्य भवन और निर्यात पोर्टल 

23 जून, 2022 को प्रधानमंत्री ने नए “वाणिज्य भवन” का उद्घाटन किया।  वाणिज्य भवन  उद्योग और निर्यातकों को अपने लिये दीर्घकालिक निर्यात लक्ष्य निर्धारित करने के साथ-साथ उन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिये सरकार को सुझाव देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएगायह भारत के विकासशील राष्ट्र से विकसित राष्ट्र में परिवर्तित होने में निर्यात द्वारा निभाई गई महत्त्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डालता है। प्रधानमंत्री ने निर्यात पोर्टल (NIRYAT – National Import-Export Record for Yearly Analysis of Trade) का भी शुभारंभ किया। इस पोर्टल को हितधारकों के लिये वन-स्टॉप प्लेटफॉर्म के रूप में विकसित किया गया है, जहाँ उन्हें भारत के विदेशी व्यापार से संबंधित सभी आवश्यक जानकारी प्राप्त होगी। यह सभी हितधारकों को रीयल टाइम डेटा प्रदान करेगा। 


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