इंदौर शाखा: IAS और MPPSC फाउंडेशन बैच-शुरुआत क्रमशः 6 मई और 13 मई   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

प्रिलिम्स फैक्ट्स

  • 20 Aug, 2021
  • 19 min read
प्रारंभिक परीक्षा

प्रिलिम्स फैक्ट्स: 20 अगस्त, 2021

राष्ट्रीय जैव उद्यमिता प्रतियोगिता 

National Bio Entrepreneurship Competition

हाल ही में भारत सरकार के जैव प्रौद्योगिकी विभाग ने सेंटर फॉर सेल्युलर एंड मॉलिक्यूलर प्लेटफॉर्म (C-CAMP) द्वारा आयोजित राष्ट्रीय जैव उद्यमिता प्रतियोगिता (NBEC) के पाँचवें संस्करण की शुरुआत की।

  • NBEC का संचालन बायोटेक्नोलॉजी इंडस्ट्री रिसर्च असिस्टेंस काउंसिल रीज़नल एंटरप्रेन्योरशिप सेंटर के एक हिस्से के रूप में किया जाता है, जिसे BIRAC की साझेदारी में सेंटर फॉर सेल्युलर एंड मॉलिक्यूलर प्लेटफॉर्म (C-CAMP) में स्थापित किया गया है।
    • BIRAC एक सार्वजनिक क्षेत्र का उद्यम है, जिसे जैव प्रौद्योगिकी विभाग (DBT) द्वारा स्थापित किया गया है।

सेंटर फॉर सेल्युलर एंड मॉलिक्यूलर प्लेटफॉर्म (C-CAMP)

  • C-CAMP जैव प्रौद्योगिकी विभाग (DBT) के तहत जीवन विज्ञान के क्षेत्र में प्रौद्योगिकी आधारित नवाचार और उद्यमिता केंद्रों में से एक है।
  • यह अत्याधुनिक तकनीकों को विकसित करने, अकादमिक और उद्योग को इन प्रौद्योगिकियों से संबंधित  प्रशिक्षण प्रदान करता है।

प्रमुख बिंदु: 

NBEC के बारे में:

  • यह जैव-उद्यमियों हेतु भारत की सबसे बड़ी और सबसे प्रतिष्ठित राष्ट्रीय प्रतियोगिता है। 
  • इसे पहली बार वर्ष 2017 में लॉन्च किया गया, NBEC भारत में जैव-उद्यमियों और नवप्रवर्तकों (Innovators) के गहन विज्ञान संचालित विचारों को प्रदर्शित करने हेतु एक प्रमुख मंच के रूप में उभरा है और महत्त्वपूर्ण प्रभाव उत्पन्न करता है।
  • इसे जीवन विज्ञान के क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण विज्ञान-संचालित व्यावसायिक विचारों की पहचान और पोषण करने हेतु प्रतिवर्ष आयोजित किया जाता है, जिसमें सामाजिक चुनौतियों का समाधान प्रस्तुत करने की अपार संभावनाएंँ  विद्यमान हैं।

पुरस्कार:

  • इसमें विजेताओं को 8.5 करोड़ रुपए का नकद पुरस्कार के साथ ही इस वर्ष निवेश के लिये अवसर प्रदान किये जाएंगे।

निवेश भागीदार:

  • इस प्रतियोगिता के माध्यम से भारत में जैव-उद्यमिता को प्रोत्साहित करने और समर्थन देने हेतु  30 से अधिक उद्योग और निवेश भागीदार आगे आए हैं।

उपलब्धियांँ:

  • NBEC ने चार वर्षों में जीवन विज्ञान के सभी उप-क्षेत्रों से  1,000 से अधिक सावधानीपूर्वक जांँचे गए और विशेषज्ञों द्वारा चुने गए व्यावसायिक विचारों को एकत्र किया है।
    • डिजिटल स्वास्थ्य, मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य, रोगाणुरोधी प्रतिरोध, पानी और स्वच्छता, हरित रसायन एवं व्यक्तिगत देखभाल जैसे विशेष रूप से उभरते क्षेत्रों के साथ ही स्वास्थ्य सेवा, कृषि और पर्यावरण पर विशेष ध्यान दिया गया है ।
  • इसने वाणिज्यिक व्यवहार्यता के प्रदर्शन के साथ नवीन प्रौद्योगिकियों के सतत् चरण का निर्माण किया है।

इनसेल मूवमेंट 

Incel Movement

हाल ही में इंसेल मूवमेंट /आंदोलन (Incel Movement) को वैश्विक स्तर पर गंभीर हिंसा से जोड़कर देखा जा रहा है।

  • यह आंदोलन ब्रिटेन के प्लायमाउथ में एक बार फिर सुर्खियों में आया, जहांँ एक 22 वर्षीय व्यक्ति ने एक बच्चे सहित पांँच लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी।

प्रमुख बिंदु: 

इंसेल मूवमेंट के बारे में: 

  • यह एक खतरनाक ऑनलाइन उपसंस्कृति है जिसमें ऐसे पुरुष शामिल हैं जो स्वयं को  'अनैच्छिक ब्रह्मचारी' (Involuntary Celibates) के रूप में मानते हैं और महिलाओं के बारे में लगातार गलत अवधारणा का प्रचार करते हैं।
  • जो पुरुष इस मूवमेंट /आंदोलन का हिस्सा हैं, वे महिलाओं और यौन रूप से सक्रिय अन्य पुरुषों दोनों के प्रति गहरी नाराज़गी रखते हैं। 
  • ये महिलाओं को उनकी खराब यौन और सामाजिक स्थिति के लिये दोषी मानते हैं।
  • जबकि कुछ के विचार अलग हैं, कुछ का मानना ​​है कि यौन उनका अधिकार है ठीक उसी प्रकार जैसे पुरुषों को पुरुष होने होने के कारण यह दिया जाता है।
    • विशेषज्ञों का कहना है कि इंसेल का एक चरमपंथी वर्ग महिलाओं के खिलाफ हिंसा की भी वकालत करता है। हालांँकि उपसंस्कृति के सभी सदस्य हिंसक नहीं हैं ।

‘रेड पिल’ (Red pill)  और  ‘ब्लैक पिल’ (Black Pill) की मानसिकता:  

  • ब्लैक पिल’ थ्योरी, जो अक्सर इंसेल्स से जुड़ी है, पराजयवादी विचार (Defeatist Idea) को बढ़ावा देती है कि जन्म के समय ही आपका भाग्य निर्धारित कर दिया जाता है और आप जो भी बदलाव करने की कोशिश करते हैं, उससे आपकी यौन पूंजी (Sexual Capital) को बदला नहीं जा सकता है। 
  • दूसरी ओर ‘रेड पिल’ थ्योरी मानने वालों का विश्वास हैं कि विश्व महिलाओं के प्रति पक्षपाती है और नारीवाद को महिला वर्चस्व के रूप में देखते हैं। उनका मानना है कि महिलाओं के पक्ष में एक व्यवस्थित पूर्वाग्रह विद्यमान है। 

चिंताएँ:

  • इस मूवमेंट की पहचान युवा श्वेत पुरुषों (Young White Males) के ऑनलाइन कट्टरपंथी विचारों को प्रसारित करने की प्रवृत्ति के रूप में की गई है। 
  • यह बेटर ऑल्ट-राइट मूवमेंट  (Alt-Right Movement) के साथ समानता रखता है, दोनों समूहों ने सामाजिक उदारवाद, महिलाओं और जातीय अल्पसंख्यकों को समाज में व्याप्त कमियों हेतु ज़िम्मेदार ठहराया है।
    • ऑल्ट-राइट (संक्षिप्त रूप से वैकल्पिक अधिकार) एक शिथिल रूप से जुड़ा हुआ दूर-दक्षिणपंथी, श्वेत राष्ट्रवादी आंदोलन/मूवमेंट है।
  • न्यू अमेरिका फाउंडेशन द्वारा घरेलू आतंकी हमलों के विश्लेषण के अनुसार, अभी तक अन्य सुदूर-दक्षिणपंथी (Far-right) विचारधाराओं के अनुयायियों द्वारा किये गए हिंसक हमलों की तुलना में इंसेल-संबंधित हमलों को अमेरिका में एक आतंकी खतरे के रूप में नहीं देखा जाता है।
    • लेकिन इसी विश्लेषण में यह भी कहा गया कि इंसेल आतंकवाद, सुदूर-वामपंथी (Far-left) आतंकवाद की तुलना में अधिक घातक है।

कैस्केड मेंढक की नई प्रजाति: अरुणाचल प्रदेश

New Species of Cascade Frog: Arunachal Pradesh

हाल ही में शोधकर्त्ताओं की एक टीम ने अरुणाचल प्रदेश में कैस्केड मेंढक (Cascade Frog) की एक नई प्रजाति की खोज की है।

Cascade-Frog

प्रमुख बिंदु:

संदर्भ:

  • यह मुख्य रूप से भूरे रंग का मेंढक है जिसका आकार लगभग 4 सेमी से 7 सेमी के बीच होता है।
  • इसे औपचारिक रूप से अमोलोप्स एडिकोला (Amolops Adicolasp.nov.) के रूप में वर्णित किया गया है, जो कि रूपात्मक रूप से वर्ण/रंग के मामले में अपने जन्मदाताओं से अलग होता है। इस भिन्नता में वयस्क मेंढक आकार, शरीर का रंग और चिह्न, त्वचा की बनावट, थूथन का आकार, पैरों की संरचना और डिजिट टिप जैसे आकृति विज्ञान शामिल हैं।

नामकरण:

  • अरुणाचल प्रदेश की आदि पहाड़ियों में रहने वाली स्वदेशी आदि जनजाति के नाम पर इसका नाम आदि कैस्केड मेंढक (अमोलोप्स एडिकोला) रखा गया है। आदि का शाब्दिक अर्थ "पहाड़ी" या "पहाड़ की चोटी" है।
    • ऐतिहासिक रूप से इस क्षेत्र को अबोर पहाड़ियों के नाम से भी जाना जाता था।

कैस्केड मेंढक:

  • इसका नाम कास्केड मेंढक इसलिये रखा गया है क्योंकि यह पहाड़ी धाराओं में बहने वाले छोटे झरनों या झरनों में रहना पसंद करता है।
  • कैस्केड मेंढक जीनस अमोलॉप्स से संबंधित हैं।
    • जीनस अमोलॉप्स वर्तमान में 73 ज्ञात प्रजातियों के साथ रैनिड मेंढक (परिवार रानीडे) के सबसे बड़े समूहों में से एक है, जो व्यापक रूप से पूर्वोत्तर और उत्तर भारत, नेपाल, भूटान, चीन, इंडो-चाइना के माध्यम से मलय प्रायद्वीप में वितरित हैं।

आदि जनजाति:

  • माना जाता है कि अरुणाचल प्रदेश की आदि जनजाति 16वीं शताब्दी में दक्षिणी चीन से आई थी
  • यह तिब्बती-बर्मन भाषा बोलने वाली आबादी हैं।
  • ये अरुणाचल प्रदेश के पूर्वी सियांग और निचली दिबांग घाटी ज़िलों के सुदूर उत्तर में निवास करते हैं।
  • आदि जनजाति बेंत और बाँस के सामान बनाने में कुशल है।
  • सोलुंग (फसल काटने का त्योहार जहाँ जानवरों की बलि और अनुष्ठान किये जाते हैं) और अरन (एक शिकार उत्सव जहाँ परिवार के सभी पुरुष सदस्य शिकार के लिये जाते हैं) आदि जनजातियों के दो प्रमुख त्योहार हैं।
  • यह अरुणाचल प्रदेश में एक अनुसूचित जनजाति है।


विविध

Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 20 अगस्त, 2021

डॉ. शंकर दयाल शर्मा

19 अगस्त, 2021 को राष्‍ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पूर्व राष्‍ट्रपति डॉक्‍टर शंकर दयाल शर्मा को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित की। एक अनुभवी स्वतंत्रता सेनानी, वकील और राजनीतिज्ञ डॉ. शंकर दयाल शर्मा का जन्म 19 अगस्त, 1918 को भोपाल (मध्य प्रदेश) में हुआ था। उन्होंने अपनी उच्च शिक्षा आगरा और लखनऊ विश्वविद्यालयों से प्राप्त की, इसके पश्चात् उन्होंने ‘कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय’ से विधि (कानून) में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की। वर्ष 1940 में लखनऊ में उन्होंने वकील के तौर पर प्रैक्टिस शुरू की, जिसके कुछ समय पश्चात् वे काॅन्ग्रेस में शामिल हो गए। भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लेने के कारण उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और वे लगभग आठ महीनों तक जेल में रहे। वर्ष 1947 में स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद डॉ. शंकर दयाल शर्मा स्वतंत्र भारत के राजनीतिक वातावरण में और अधिक सक्रिय हो गए और उन्होंने राज्य तथा राष्ट्रीय स्तर पर कई महत्त्वपूर्ण राजनीतिक पदों पर कार्य किया। डॉ. शंकर दयाल शर्मा ने वर्ष 1992 से वर्ष 1997 तक देश के नौवें राष्ट्रपति के तौर पर कार्य किया, उन्हें वर्ष 1984 में आंध्र प्रदेश का राज्यपाल नियुक्त किया गया था। 26 दिसंबर, 1999 को नई दिल्ली में 81 वर्ष की उम्र में डॉ. शंकर दयाल शर्मा का निधन हो गया।

भारत-बांग्लादेश आपदा प्रबंधन समझौता

प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारत और बांग्लादेश के बीच आपदा प्रबंधन, सहनीयता और शमन के क्षेत्र में सहयोग पर समझौता ज्ञापन (MoU) को मंज़ूरी दे दी है। इस समझौता ज्ञापन के तहत एक ऐसी प्रणाली स्थापित करने का प्रयास किया जाएगा, जिससे भारत और बांग्लादेश एक-दूसरे की आपदा प्रबंधन व्यवस्था से लाभान्वित हो सकेंगे। इससे आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में तैयारी, त्वरित बचाव व राहत कार्य एवं क्षमता निर्माण को मज़बूती प्रदान करने में सहायता मिलेगी। इस समझौते की प्रमुख विशेषताओं में त्वरित बचाव व राहत कार्य, पुनर्निर्माण और रिकवरी हेतु समर्थन; प्रासंगिक जानकारी, रिमोट सेंसिंग डेटा तथा अन्य वैज्ञानिक डेटा का आदान-प्रदान करना; त्वरित बचाव व राहत कार्य के अनुभव/सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करना; आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में अधिकारियों के प्रशिक्षण का समर्थन करना; दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय रूप से संयुक्त आपदा प्रबंधन अभ्यास आयोजित करना; आपदा सहनीय समुदाय बनाने के लिये मानक, नवीनतम तकनीक और उपकरण साझा करना आदि शामिल हैं। इस समझौते में भारत की ओर से ‘राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण’ (NDMA) और बांग्लादेश की ओर से ‘आपदा प्रबंधन और राहत मंत्रालय’ शामिल हैं। 

विश्व मानवता दिवस 

प्रतिवर्ष 19 अगस्त को दुनिया भर में ‘विश्व मानवतावादी दिवस’ या ‘विश्व मानवता दिवस’ (World Humanitarian Day) का आयोजन किया जाता है। यह दिन उन लोगों की स्मृति में मनाया जाता है जिन्होंने विश्व स्तर पर मानवतावादी संकट में अपनी जान गंवाई या मानवीय उद्देश्यों के कारण दूसरों की सहायता हेतु अपने जीवन का सर्वोच्च बलिदान दिया है। ‘विश्व मानवतावादी दिवस’ उस घटना को भी चिह्नित करता है, जब 19 अगस्त, 2003 को बगदाद में संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय पर बमबारी में इराक के महासचिव के तत्कालीन विशेष प्रतिनिधि ‘सर्जियो विएरा डी मेलो’ और 21 सहायता कर्मियों की मृत्यु हो गई थी। इस घटना के बाद वर्ष 2009 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 19 अगस्त को विश्व मानवतावादी दिवस के रूप में नामित करने के लिये एक प्रस्ताव अपनाया। वर्ष 2021 के लिये इस दिवस की थीम है- ‘द ह्यूमन रेस’ (The Human Race)। 

भारत-ऑस्ट्रेलिया नौसेना के लिये 'जॉइंट गाइडेंस’ दस्तावेज़

भारतीय और ऑस्ट्रेलियाई नौसेनाओं के प्रमुखों ने हाल ही में दोनों सेनाओं के बीच विभिन्न स्तरों पर बातचीत को कारगर बनाने के लिये एक मार्गदर्शन दस्तावेज़ पर हस्ताक्षर किये हैं। ‘जॉइंट गाइडेंस फॉर द ऑस्ट्रेलिया-इंडिया नेवी टू नेवी रिलेशनशिप’ नामक इस दस्तावेज़ के माध्यम से दोनों देशों की नौसेना के बीच समन्वय स्थापित करने में मदद मिलेगी। यह दस्तावेज़ दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों द्वारा सहमत '2020 व्यापक रणनीतिक साझेदारी' से जोड़ा गया है। इसका उद्देश्य क्षेत्रीय और वैश्विक सुरक्षा चुनौतियों के लिये साझा दृष्टिकोण सुनिश्चित करना है। गौरतलब है कि अमेरिका और जापान के साथ ऑस्ट्रेलिया तथा भारत चार देश ‘चतुर्भुज सुरक्षा संवाद’ या क्वाड का हिस्सा हैं, जिसका उद्देश्य 'मुक्त, स्वतंत्र और समृद्ध' भारत-प्रशांत क्षेत्र सुनिश्चित करना है। यह 'जॉइंट गाइडेंस’ दस्तावेज़ दोनों देशों की नौसेनाओं के द्विपक्षीय संबंधों को और मज़बूत करने हेतु दिशा-निर्देश दस्तावेज़ के रूप में कार्य करेगा। दस्तावेज़ की प्रमुख विशेषताओं में ‘हिंद महासागर नौसेना संगोष्ठी’ (IONS), ‘पश्चिमी प्रशांत नौसेना संगोष्ठी’ (WPNS), ‘हिंद महासागर रिम एसोसिएशन’ (IORA) और ‘आसियान रक्षा मंत्रियों की बैठक- प्लस’ के अधीनस्थ विशेषज्ञ कार्य समूहों सहित विभिन्न क्षेत्रीय एवं बहुपक्षीय मंचों में घनिष्ठ सहयोग स्थापित करना है।


close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2