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प्रिलिम्स फैक्ट्स

  • 20 Jul, 2020
  • 12 min read
प्रारंभिक परीक्षा

प्रीलिम्स फैक्ट्स: 20 जुलाई, 2020

टी सेल प्रतिरक्षा

T Cell Immunity

हाल ही में सिंगापुर के वैज्ञानिकों ने स्वस्थ्य हुए COVID-19 एवं सार्स रोगियों और असंक्रमित व्यक्तियों में भी में सार्स-सीओवी-2 (SARS-CoV-2) के लिये विशिष्ट टी सेल (कोशिका) प्रतिरक्षा (T Cell Immunity) का पता लगाया है।

T-cell-Immunity

प्रमुख बिंदु:

  • टी सेल प्रतिरक्षा से संबंधित अध्ययन ‘नेचर’ (Nature) पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।    

टी सेल (T Cell):

  • मानव शरीर में टी सेल, एंटीबॉडी के साथ वायरल संक्रमण के खिलाफ मानव प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया का हिस्सा है।
  • टी सेल सीधे तौर पर संक्रमित कोशिकाओं को निशाना बनाती हैं और उन्हें मार देती हैं।
  • टी सेल एक प्रकार का लिम्फोसाइट (Lymphocyte) है जो थाइमस ग्रंथि (Thymus Gland) में विकसित होता है और मानव प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया में एक केंद्रीय भूमिका निभाता है।
  • वैज्ञानिकों द्वारा किये गए अध्ययन में बताया गया है कि विशिष्ट टी सेल (कोशिकाओं) को उन सभी लोगों में पाया गया जो 17 वर्ष पहले सार्स (SARS) से ठीक हुए थे या सार्स-सीओवी-1 (SARS-CoV-1) एवं सार्स-सीओवी-2 (SARS-CoV-2) के 50% से अधिक असंक्रमित थे।  
  • शोधकर्त्ताओं का कहना है कि सामान्य आबादी में पहले से ही सार्स-सीओवी-2 (SARS-CoV-2) प्रतिरक्षा का एक स्तर मौजूद है।
    • उन्होंने अनुमान लगाया कि संक्रमण एवं कोरोनावायरस के संपर्क में आने से मानव शरीर में लंबे समय तक कार्य करने वाली टी कोशिकाएँ (T Cell) उत्पन्न होती हैं।
    • अतः COVID-19 के संक्रमण एवं संसर्ग को प्रबंधित करने में टी सेल (कोशिकाओं) मददगार साबित हो सकती हैं।    

बाथिनोमस रक्सासा

Bathynomus Raksasa

हाल ही में सिंगापुर के शोधकर्त्ताओं ने पूर्वी हिंद महासागर में पहली 'सुपरजाएंट' (Supergiant) आइसोपॉड प्रजाति ‘बाथिनोमस रक्सासा’ (Bathynomus Raksasa) की खोज की है।

Bathynomus-Raksasa

प्रमुख बिंदु:

  • ‘बाथिनोमस रक्सासा’ एक प्रकार का कॉकरोच (Cockroach) है।
  • सिंगापुर के शोधकर्त्ताओं की एक टीम ने वर्ष 2018 में इंडोनेशिया में पश्चिम जावा के दक्षिणी तट से दूर हिंद महासागर के अस्पष्टीकृत जल में एक जीव की खोज की थी।
    • जुलाई, 2020 की शुरुआत में दो वर्ष के अध्ययन के बाद टीम ने इस जीव को ‘बाथिनोमस रक्ससा’ नाम दिया जो ‘सुपरजाएंट’ बाथिनोमस है और इसे तब से ‘समुद्र का कॉकरोच’ कहा जाता है।
    • शोधकर्त्ताओं ने 8 जुलाई, 2020 को पीयर-रिव्यू, ओपन-एक्सेस बायोडायवर्सिटी रिसर्च जर्नल ‘ज़ूकीस’ (ZooKeys) में अपने निष्कर्षों की सूचना दी।
  • ‘बाथिनोमस रक्सासा’ जीनस बाथिनोमस (Bathynomus) का एक विशाल आइसोपॉड (Isopod) है। ये विशाल आइसोपाॅड्स केकड़ों, लॉबस्टर एवं झींगा मछलियों से संबंधित हैं और ये प्रशांत महासागर, अटलांटिक महासागर एवं हिंद महासागर की गहराई में पाए जाते हैं।
    • गौरतलब है कि केकड़े, लॉबस्टर एवं झींगा मछलियाँ डेकापोड्स (Decapods) ऑर्डर से संबंधित हैं।

शारीरिक विशेषताएँ:

  • इस समुद्री कॉकरोच के 14 पैर हैं किंतु इन पैरों का उपयोग ये भोजन की तलाश में महासागरों के तल पर रेंगने के लिये करते हैं।
  • इसके शरीर पर ‘डार्थ वाडेर’ (Darth Vader) के हेलमेट जैसी आकृति की उपस्थिति इसके सिर एवं युग्मित आँखों के आकार के कारण है।

डार्थ वाडेर (Darth Vader):

  • डार्थ वाडेर, स्टार वार्स फ्रैंचाइज़ी (Star Wars Franchise) में एक काल्पनिक चरित्र है।
  • स्टार वार्स (Star Wars) एक अमेरिकी महाकाव्य अंतरिक्ष-ओपेरा मीडिया फ्रेंचाइज़ी है जो जॉर्ज लुकास (George Lucas) द्वारा बनाई गई है।
  • ‘बाथिनोमस रक्सासा’ की लंबाई लगभग 50 सेंटीमीटर (1.6 फीट) है जो सामान्य आइसोपाॅड्स से बड़ा होता है।
    • उल्लेखनीय है कि सामान्य आइसोपाॅड्स 33 सेंटीमीटर से अधिक नहीं बढ़ते हैं। यदि आइसोपाॅड्स की लंबाई 50 सेंटीमीटर तक बढ़ती है तो उसे 'सुपरजाएंट' (Supergiant) आइसोपॉड कहा जाता है।  
    • आइसोपॉड प्रजाति का एकमात्र सदस्य जो आकार में ‘बाथिनोमस रक्सासा’ से अधिक है ‘बाथिनोमस गिगेंटियस’ (Bathynomus Giganteus) है जो आमतौर पर पश्चिमी अटलांटिक महासागर के गहरे जल में पाया जाता है।

मोबाइल एप कूर्मा

Mobile app KURMA

23 मई, 2020 को विश्व कछुआ दिवस (World Turtle Day) पर कछुआ संरक्षण के लिये कूर्मा (KURMA) नामक एक मोबाइल-आधारित एप्लिकेशन लॉन्च किया गया था। 

Kurma

प्रमुख बिंदु: 

  • इस एप को ‘टर्टल सर्वाइवल अलायंस-इंडिया’ (Turtle Survival Alliance-India) और ‘वाइल्डलाइफ कंज़र्वेशन सोसाइटी-इंडिया’ (Wildlife Conservation Society-India) के सहयोग से ‘इंडियन टर्टल कंज़र्वेशन एक्शन नेटवर्क’ (Indian Turtle Conservation Action Network- ITCAN) द्वारा विकसित किया गया है।
  • यह एप न केवल उपयोगकर्त्ताओं को देश भर में कछुओं की प्रजातियों की पहचान करने के लिये डेटाबेस प्रदान करता है बल्कि निकटतम संरक्षण केंद्र की अवस्थिति भी बताता है।
  • यह एक डिजिटल डेटाबेस के रूप में कार्य करता है जिसमें भारत के ताजे जल के कछुओं सहित कछुओं की 29 प्रजातियों को शामिल किया गया है।
  • इसमें कछुओं की पहचान, वितरण, स्थानीय नाम एवं खतरों के बारे में जानकारी दी गई है।

TRAFFIC की रिपोर्ट:

  • अंतर्राष्ट्रीय वन्यजीव व्यापार निगरानी संगठन ‘TRAFFIC’ द्वारा वर्ष 2019 में जारी एक रिपोर्ट में बताया गया है कि प्रत्येक वर्ष कम-से-कम 11000 सामान्य कछुओं एवं मीठे जल के कछुओं का अवैध शिकार एवं तस्करी होती है। 
    • सितंबर 2009 से सितंबर 2019 के बीच 1,11,130 कछुओं का अवैध शिकार या तस्करी की गई है।

इंडियन टर्टल कंज़र्वेशन एक्शन नेटवर्क

(Indian Turtle Conservation Action Network- ITCAN): 

  • प्रमुख संरक्षण एजेंसियों का एक समूह ‘नागरिक-विज्ञान पहल’ (Citizen-Science Initiative) शुरू करने के लिये एक साथ कार्य कर रहा है जिसे ‘इंडियन टर्टल कंज़र्वेशन एक्शन नेटवर्क’ (ITCAN) नाम दिया गया है।
  • यह कछुओं पर महत्त्वपूर्ण जानकारी का आदान-प्रदान करने के लिये एक मंच प्रदान करता है जो आम जनता को स्थानीय डेटा संग्रह में संलग्न करने एवं प्रवर्तन एजेंसियों/वन विभागों को सहायता प्रदान करने में मदद करता है।

वाइल्डलाइफ कंज़र्वेशन सोसाइटी-इंडिया’

(Wildlife Conservation Society-India):

  • वाइल्डलाइफ कंज़र्वेशन सोसाइटी ने बाघ पारिस्थितिकी के विस्तृत अध्ययन के साथ शुरुआत करते हुए वर्ष 1988 से भारत में अपने वैश्विक मिशन को आगे बढ़ाया है।
  • वाइल्डलाइफ कंज़र्वेशन सोसाइटी-इंडिया मिशन सरकारी एवं गैर-सरकारी सहयोगियों के साथ रचनात्मक सहयोग के माध्यम से वन्यजीवों के संरक्षण तरीकों एवं राष्ट्रीय क्षमता-निर्माण के साथ अनुसंधान को बढ़ावा देती है।

टर्टल सर्वाइवल अलायंस

(Turtle Survival Alliance):

  • ‘टर्टल सर्वाइवल अलायंस’ का गठन वर्ष 2001 में मीठे जल के कछुओं एवं सामान्य कछुओं के ‘स्थायी बंदी प्रबंधन’ (Sustainable Captive Management) के लिये IUCN की साझेदारी में किया गया था।
  • इसका गठन एशियाई कछुआ संकट के मद्देनज़र किया गया था। एशियाई कछुआ संकट चीनी बाज़ारों में अवैध तरीके से निरंतर कछुआ आपूर्ति से संबंधित है।

इस्नोफिल गणना

Eosinophil Count

शोधकर्त्ताओं ने रोगियों में COVID-19 की शुरूआती पहचान के लिये इस्नोफिल गणना (Eosinophil Count) परीक्षण को प्रभावकारी बताया है।

प्रमुख बिंदु: 

  • ‘द जर्नल ऑफ द अमेरिकन ओस्टियोपैथिक एसोसिएशन’ (The Journal of the American Osteopathic Association) में एक नए शोध के अनुसार, एक रैपिड प्रयोगशाला परीक्षण ‘इस्नोफिल गणना’ (Eosinophil Count) एक नियमित रूप से ‘पूर्ण रक्त कोशिका गणना’ (Complete Blood Cell Count-CBC) से प्राप्त की जाती है जो रोगियों में COVID-19 की शुरुआती पहचान में सहायता कर सकती है साथ ही रोग निरोधी जानकारी भी प्रदान कर सकती है।
    • उल्लेखनीय है कि किसी व्यक्ति में एलर्जी से संबंधी बीमारियाँ, संक्रमण तथा अन्य चिकित्सीय स्थितियों में इस्नोफिल्स सक्रिय हो जाते हैं।
    • एक इस्नोफिल्स एक प्रकार की श्वेत रुधिर कोशिका (White Blood Cell) है। ये पूरे मानव शरीर के ऊतकों में जमा होते हैं और कई सप्ताह तक जीवित रहते हैं।

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