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प्रिलिम्स फैक्ट्स

रैपिड फायर

‘स्नैपबैक मैकेनिज़्म’ और ईरान परमाणु समझौता (JCPOA)

स्रोत: DD  इंडिया

ईरान के विदेश मंत्री देश के परमाणु कार्यक्रम पर ब्रिटेन, फ्राँस और जर्मनी के साथ चर्चा करने वाले हैं, ताकि 'स्नैपबैक मैकेनिज़्म' के तहत अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबंधों को फिर से लागू होने से रोका जा सके, जिन्हें वर्ष 2015 संयुक्त व्यापक कार्ययोजना/ईरान परमाणु समझौते (JCPOA) के तहत हटा लिया गया था। 

  • E3 (ब्रिटेन, फ्राँस, जर्मनी) ने संयुक्त राष्ट्र प्रतिबंधों को पुनः लागू करने के लिये 30-दिवसीय स्नैपबैक तंत्र का आह्वान किया है, जब तक कि ईरान अपने परमाणु स्थलों तक संयुक्त राष्ट्र परमाणु निरीक्षक की पहुँच बहाल नहीं कर देता और अमेरिका के साथ पुनः संपर्क स्थापित नहीं कर लेता। 
  • स्नैपबैक मैकेनिज़्म: यह संयुक्त व्यापक कार्य योजना (JCPOA) के किसी भी भागीदार को ईरान द्वारा “महत्त्वपूर्ण गैर-निष्पादन” किये जाने पर संयुक्त राष्ट्र प्रतिबंधों को पुनः लागू करने की अनुमति देता है। 
    • ऐसे मामले में इस मुद्दे को यूरोपीय संघ (EU) द्वारा समन्वित JCPOA संयुक्त आयोग को भेजा जा सकता है तथा इसके विवाद निवारण तंत्र (DRM) के माध्यम से इसका समाधान किया जा सकता है। 
  • IAEA के साथ ईरान का सहयोग: इससे पहले, ईरान ने परमाणु स्थल निरीक्षण सहित अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) के साथ सहयोग फिर से शुरू करने पर सहमति व्यक्त की थी, जून में तनावपूर्ण अवधि के बाद जब ईरानी सुविधाओं पर इज़रायल और अमेरिकी हमलों के कारण सुरक्षा चिंताओं के कारण निरीक्षण को अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया गया था। 

संयुक्त व्यापक कार्ययोजना (JCPOA) 

  • ईरान परमाणु समझौता (औपचारिक रूप से ‘संयुक्त व्यापक कार्ययोजना’ के रूप में जाना जाता है), जुलाई 2015 में ईरान और P5+1 (चीन, फ्राँस, रूस, ब्रिटेन, अमेरिका, जर्मनी) के बीच हस्ताक्षरित हुआ। 
  • इसके तहत ईरान को अपने परमाणु कार्यक्रम का अधिकांश हिस्सा समाप्त करना था तथा प्रतिबंधों में राहत के बदले में व्यापक अंतर्राष्ट्रीय निरीक्षण की अनुमति देनी थी। 
  • ईरान द्वारा समझौते का अनुपालन करने के बावजूद, अमेरिका मई 2018 में राष्ट्रपति ट्रंप के कार्यकाल में JCPOA से हट गया। 
  • ट्रंप प्रशासन की 'अधिकतम दबाव' नीति का उद्देश्य ईरान को समझौते पर पुनः बातचीत करने के लिये मजबूर करना था, लेकिन ईरान ने इस अनुरोध को अस्वीकार कर दिया।
और पढ़ें: ईरान परमाणु समझौता 

रैपिड फायर

पीएम विश्वकर्मा योजना की दूसरी वर्षगाँठ

स्रोत: पी. आई. बी. 

केंद्रीय सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय (MSME) ने बिहार के बोधगया में 'पीएम विश्वकर्मा एवं राष्ट्रीय SC-ST हब मेगा कॉन्क्लेव' का आयोजन किया। यह कार्यक्रम पीएम विश्वकर्मा योजना की दूसरी वर्षगाँठ के उपलक्ष्य में आयोजित किया गया। 

पीएम विश्वकर्मा योजना 

  • परिचय: यह एक केंद्रीय क्षेत्रक योजना है, जिसे 17 सितंबर, 2023 को हाथों और उपकरणों की सहायता से कार्य करने वाले पारंपरिक कारीगरों और शिल्पकारों को व्यापक सहायता प्रदान करने के लिये शुरू किया गया था। 
  • कार्यान्वयन: इस योजना का कार्यान्वयन केंद्रीय MSME, कौशल विकास और वित्त मंत्रालयों द्वारा संयुक्त रूप से किया जाएगा। 
  • पात्रता: आवेदक को स्वरोज़गार के आधार पर असंगठित क्षेत्र में 18 परिवार आधारित पारंपरिक व्यवसायों में से किसी एक में हाथों और औज़ारों की सहायता से कार्य करने वाला कारीगर या शिल्पकार होना चाहिये। पंजीकरण के समय उसकी आयु 18 वर्ष से अधिक होनी चाहिये तथा पंजीकरण के समय वह व्यापार में सक्रिय रूप से कार्यरत होना चाहिये। 
    • 18 पात्र व्यवसायों में बढ़ई, नाव निर्माता, शस्त्र निर्माता, लोहार, ताला बनाने वाला, सुनार, कुम्हार आदि शामिल हैं। 
  • बहिष्करण: वे लाभार्थी जिन्होंने विगत 5 वर्षों में स्वरोज़गार या व्यवसाय विकास के लिये केंद्र या राज्य की समान ऋण-आधारित योजनाओं के तहत ऋण लिया हो। 
  • उपलब्धियाँ: दो वर्षों में 23 लाख लोगों को निःशुल्क कौशल प्रशिक्षण प्राप्त हुआ, 8 लाख टूलकिट प्रदान किये गए । 5 लाख कारीगरों को बिना किसी गारंटी के 4,100 करोड़ रुपये के ऋण वितरित किये गए हैं।" 

PM Vishwakarma Yojana

और पढ़ें: PM विश्वकर्मा योजना 

प्रारंभिक परीक्षा

बीमा सुगम: बीमांकन हेतु एकीकृत डिजिटल बाज़ार

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस 

चर्चा में क्यों? 

बीमा सुगम इंडिया फेडरेशन (BSIF) ने बीमा सुगम नामक एक डिजिटल मंच की शुरुआत की है, जिसे विश्व का सबसे बड़ा एकीकृत ऑनलाइन बीमा बाज़ार बनाने की परिकल्पना की गई है। 

बीमा सुगम के संबंध में मुख्य तथ्य क्या हैं? 

  • परिचय: बीमा सुगम जीवन, स्वास्थ्य और सामान्य बीमा से जुड़ी सभी आवश्यकताओं के लिये एक एकीकृत डिजिटल बाज़ार है, जहाँ उपयोगकर्त्ता एक ही मंच पर पॉलिसी खरीद सकते हैं, नवीनीकरण कर सकते हैं, प्रबंधित कर सकते हैं तथा दावा कर सकते हैं। 
    • यह नीति दस्तावेज़ों को सुरक्षित रूप से संग्रहीत करेगी और UPI की तरह कार्य करते हुए बीमा के लिये एक डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (DPI) तैयार करेगी। 
    • यह IRDAI की बीमा ट्रिनिटी-बीमा विस्तार, बीमा वाहक और बीमा सुगम का हिस्सा है तथा इसे जीवन बीमा परिषद एवं सामान्य बीमा परिषद का समर्थन प्राप्त है। 
  • कवरेज: 
    • जीवन बीमा: टर्म प्लान, बचत (भागीदारी और गैर-भागीदारी), वार्षिकी, पेंशन, यूलिप। 
    • स्वास्थ्य बीमा: व्यापक हेल्थ एंड वेलनेस प्रोडक्ट। 
    • मोटर बीमा: तृतीय-पक्ष देयता और स्वयं-क्षति पॉलिसी। 
    • व्यक्तियों/परिवारों के लिये यात्रा और व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा। 
    • वाणिज्यिक बीमा: संपत्ति, समुद्री, कृषि, उद्योग-विशिष्ट उत्पाद। 
  • विशिष्ट विशेषता: बीमा सुगम, निजी वितरकों से भिन्न है, क्योंकि यह कम लागत पर संपूर्ण पॉलिसी सेवाएँ तथा दावा निपटान प्रदान करता है, जबकि निजी कंपनियाँ केवल पॉलिसी बेचती हैं और उच्च कमीशन कमाती हैं। 
  • महत्त्व: यह विकसित भारत 2047 के तहत इंश्योरेंस फॉर ऑल 2047का समर्थन करते हुए बीमा के लिये डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना के निर्माण में पहला कदम है। 
    • यह पारदर्शिता, कम लागत वाली पहुँच, एक केंद्रीकृत डेटाबेस सुनिश्चित करता है और नए उत्पादों को तेज़ी से अपनाने के साथ नवाचार को बढ़ावा देता है।

बीमा ट्रिनिटी 

  • बीमा सुगम: बीमा पॉलिसियों की खरीद, सेवा और निपटान हेतु एकीकृत डिजिटल मंच 
  • बीमा विस्तार: जीवन, स्वास्थ्य, संपत्ति और दुर्घटना को कवर करने वाली बंडल पॉलिसी, जिसमें त्वरित दावे के निपटान की सुविधा है। 
  • बीमा वाहक: महिलाओं द्वारा संचालित ज़मीनी नेटवर्क, जो बीमा जागरूकता बढ़ाने और बीमा विस्तार को अपनाने को प्रोत्साहित करता है। 

भारत में बीमा क्षेत्र 

  • भारत वैश्विक स्तर पर 10वाँ सबसे बड़ा बीमा बाज़ार है और वर्ष 2032 तक इसके 6वें स्थान पर पहुँचने का अनुमान है, जिससे यह जर्मनी, कनाडा, इटली और दक्षिण कोरिया को पार कर जाएगा। 
  • बीमा घनत्व FY23 में 92 अमेरिकी डॉलर से बढ़कर FY24 में 95 अमेरिकी डॉलर हो गया। इसकी गणना प्रति व्यक्ति प्रीमियम (प्रीमियम और जनसंख्या के अनुपात) के रूप में की जाती है। 
  • बीमा पैठ (Insurance Penetration) FY23 में 4% से घटकर FY24 में 3.7% रह गया, जबकि वैश्विक औसत 7% है। बीमा पैठ का आकलन बीमा प्रीमियम का GDP में प्रतिशत के रूप में किया जाता है। 

UPSC सिविल सेवा परीक्षा के विगत वर्ष के प्रश्न

प्रश्न. भारत में व्यक्तियों के लिये साइबर बीमा के तहत धन की हानि और अन्य लाभों के भुगतान के अलावा, निम्नलिखित में से कौन-से लाभ आमतौर पर कवर किये जाते हैं? (2020)

  1. किसी के कंप्यूटर तक पहुँच को बाधित करने वाले मैलवेयर के मामले में कंप्यूटर सिस्टम की बहाली की लागत।     
  2. एक नए कंप्यूटर की लागत अगर ऐसा साबित हो जाता है कि कुछ असामाजिक तत्त्वों ने जानबूझकर इसे नुकसान पहुँचाया है।     
  3. साइबर जबरन वसूली के मामले में नुकसान को कम करने के लिये एक विशेष सलाहकार को काम पर रखने की लागत।     
  4. यदि कोई तीसरा पक्ष मुकदमा दायर करता है तो न्यायालय में बचाव की लागत।

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1, 2 और 4  

(b) केवल 1, 3 और 4  

(c) केवल 2 और 3  

(d) 1, 2, 3 और 4 

उत्तर: (b) 


रैपिड फायर

एक्वामोनिट्रिक्स: पोर्टेबल आयन क्रोमैटोग्राफी

स्रोत: द हिंदू  

नाइट्रेट और नाइट्राइट आयनों का ऑन-साइट विश्लेषण करने के लिये एक पोर्टेबल आयन क्रोमैटोग्राफ एक्वामोनिट्रिक्स विकसित किया गया है, जिससे पर्यावरण निगरानी तथा कक्षा शिक्षण दोनों में लाभ होगा। 

  • आयन क्रोमैटोग्राफी एक प्रयोगशाला तकनीक है, जिसका उपयोग सैंपल में आयनों (आवेशित कणों) को पृथक् करने और मापने के लिये किया जाता है। 
    • इस तकनीक में एक तरल सैंपल को एक लंबे कॉलम से गुजारा जाता है जो आयनों को उनके स्वयं के गुणों के आधार पर पृथक् करता है। 

एक्वामोनिट्रिक्स 

  • परिचय: यह ऑस्ट्रेलियाई वैज्ञानिकों द्वारा विकसित एक पोर्टेबल आयन क्रोमैटोग्राफ है। 
    • यह छोटा, बैटरी चालित तथा पारंपरिक प्रयोगशाला आधारित उपकरण से लगभग दस गुना किफायती है। 
  • कार्य प्रणाली: मृदा के जल को वैक्यूम पंप का उपयोग करके एकत्र और फिल्टर किया जाता है तथा एक्वामोनिट्रिक्स इकाई में इंजेक्ट किया जाता है, जहाँ सोडियम क्लोराइड द्वारा विलयन सैंपल को ले जाया जाता है।
    • इकाई का UV प्रकाश डिटेक्टर नाइट्रेट और नाइट्राइट आयनों के लिये अलग-अलग शिखर प्रदर्शित करता है, जिससे अन्य आयनों के हस्तक्षेप से बचा जा सकता है। 
  • अनुप्रयोग: 
    • शिक्षा: एक्वामोनिट्रिक्स एक प्रभावी शिक्षण उपकरण के रूप में कार्य करता है, जो कक्षा में होने वाले अध्ययन और रसायन विज्ञान के वास्तविक जीवन में उपयोग के बीच की खाई को पाटता है। 
    • पर्यावरण निगरानी: एक्वामोनिट्रिक्स का उपयोग मृदा और जल में नाइट्रेट और नाइट्राइट प्रदूषण की निगरानी के लिये किया जा सकता है। 
    • कृषि: यह उर्वरकों के उपयोग को अनुकूलित करने में मदद करता है और अत्यधिक उपयोग को रोकता है। 
    • जल सुरक्षा: इस उपकरण का उपयोग साइट पर पेयजल की गुणवत्ता का परीक्षण करने के लिये किया जा सकता है।
और पढ़ें: नाइट्रोजन प्रदूषण 

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