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प्रिलिम्स फैक्ट्स

  • 03 Sep, 2024
  • 45 min read
रैपिड फायर

विश्व नारियल दिवस 2024

स्रोत: पी.आई.बी.

विश्व नारियल दिवस (World Coconut Day- WCD) प्रतिवर्ष 2 सितंबर को मनाया जाता है, जो हमारे जीवन में नारियल के महत्त्व पर ज़ोर देता है तथा सतत् कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देता है

  • यह दिन नारियल के विभिन्न उपयोगों के बारे में जागरूकता बढ़ाने और उनके वैश्विक उपभोग को प्रोत्साहित करने के लिये समर्पित है।
  • विश्व नारियल दिवस 2024 की थीम है: “कोकोनेट फॉर ए सर्कुलर इकोनॉमी: बिल्डिंग पार्टनरशिप फॉर मैक्सिमम वैल्यू”।
  • विश्व नारियल दिवस पहली बार वर्ष 2009 में मनाया गया था, जिसकी स्थापना अंतर्राष्ट्रीय नारियल समुदाय, एक एशिया एवं प्रशांत के लिये संयुक्त राष्ट्र आर्थिक व सामाजिक आयोग (United Nations Economic and Social Commission for Asia and the Pacific – UNESCAP) अंतर-सरकारी संगठन द्वारा की गई थी।
    • 21 नारियल उत्पादक देशों का प्रतिनिधित्व करने वाली इंटरनेशनल कोकोनट कम्युनिटी (International Coconut Community- ICC) ने वर्ष 1969 में अपनी स्थापना के उपलक्ष्य में 2 सितंबर को विश्व नारियल दिवस के रूप में मनाने की शुरुआत की। भारत इसका संस्थापक सदस्य है।
    • ICC का सचिवालय जकार्ता, इंडोनेशिया में स्थित है।
    • ICC को वर्ष 2018 तक एशियाई और प्रशांत नारियल समुदाय के रूप में जाना जाता था।
  • नारियल के लाभ: नारियल हृदय-संवहनी स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है, लाल रक्त कोशिका उत्पादन में सहायता और मधुमेह का प्रबंधन करता है तथा एंटीऑक्सीडेंट सुरक्षा प्रदान करता है।
  • अपने समृद्ध पोषक तत्त्वों के कारण वे त्वचा के स्वास्थ्य, पाचन, जलयोजन और समग्र कल्याण में सहायता करते हैं।
  • भारत का नारियल विकास बोर्ड (CDB): कृषि मंत्रालय के तहत स्थापित एक वैधानिक निकाय है, जिसका उद्देश्य बेहतर उत्पादकता और उत्पाद विविधीकरण के माध्यम से नारियल की खेती तथा उद्योग को बढ़ावा देना है।
    • भारत में शीर्ष नारियल उत्पादक राज्य केरल, कर्नाटक और तमिलनाडु हैं।
    • भारत में कुल नारियल उत्पादन 20,535.88 मिलियन टन (2022-23) है।

अधिक पढ़ें: CPCRI ने नारियल और कोको की खेती के लिये पेश की नई


प्रारंभिक परीक्षा

एंबिपोलर विद्युत क्षेत्र

स्रोत: हिंदुस्तान टाइम्स 

चर्चा में क्यों

हाल ही में नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (NASA) ने पहली बार पृथ्वी के छिपे हुए उभयध्रुवीय/एंबिपोलर विद्युत क्षेत्र का पता लगाया है, जो आवेशित कणों को सुपरसोनिक गति से अंतरिक्ष में भेजने वाले ‘धुवीय पवनों’ के संचालन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है

  • जर्नल नेचर में प्रकाशित यह खोज पृथ्वी के आयनमंडल और अंतरिक्ष के साथ इसकी परस्पर-क्रियाओं की हमारी समझ में एक महत्त्वपूर्ण प्रगति को चिह्नित करती है।

एंबिपोलर विद्युत क्षेत्र क्या है?

  • परिभाषा: एंबिपोलर विद्युत क्षेत्र पृथ्वी पर व्याप्त एक दुर्बल विद्युत क्षेत्र है, जो पृथ्वी के वायुमंडल में आवेशित कणों की गति को प्रभावित करता है। इसे गुरुत्वाकर्षण और चुंबकत्व के समान ही मौलिक माना गया था। एंबिपोलर क्षेत्र की परिकल्पना सबसे पहले 1960 के दशक में की गई थी।
  • गतिकी: लगभग 150 मील की ऊँचाई पर उत्पन्न विद्युत क्षेत्र, आवेशित कणों (आयन तथा इलेक्ट्रॉन) के साथ परस्पर क्रिया करता है। यह आवेशों के पृथक्करण को रोकता है और कुछ आयनों को अंतरिक्ष में पलायन के लिये पर्याप्त ऊँचाई तक उन्नयन में सहायता करता है।
    • एंबिपोलर क्षेत्र ‘द्विदिशात्मक’ है, जिसका अर्थ है कि यह दोनों दिशाओं में कार्य करता है। जब आयन गुरुत्वाकर्षण के कारण तेज़ी से गिरते हैं तो इलेक्ट्रॉन उन्हें नीचे की ओर खींचते हैं, जबकि मुक्त आकाश में पलायन के दौरान इलेक्ट्रॉन आयनों को अधिक ऊँचाई तक उठाते/उन्नत करते हैं। एंबीपोलर क्षेत्र का शुद्ध प्रभाव वायुमंडल की ऊँचाई को बढ़ाना है, जिससे कुछ आयन इतने ऊपर उठ जाते हैं कि ध्रुवीय पवन के साथ उनका पलायन हो जाता है।
  • खोज़: यह खोज़ एंड्योरेंस मिशन के हिस्से के रूप में लॉन्च किये गए NASA सबऑर्बिटल रॉकेट के प्रयोग द्वारा की गई थी जिसने एंबिपोलर क्षेत्र की पुष्टि की और इसकी शक्ति का आकलन किया।

एंबिपोलर क्षेत्र पृथ्वी के वायुमंडल को किस प्रकार प्रभावित करता है?

  • बढ़ी हुई स्केल ऊँचाई: एंबिपोलर फील्ड आयनमंडल की ‘स्केल ऊँचाई’ को 271% तक बढ़ा देता है। इसका मतलब है कि उच्च अक्षांश पर बिना एंबिपोलर क्षेत्र के आयनमंडल की सघनता अधिक होती है। बढ़ा हुआ घनत्व ध्रुवीय पवन में योगदान देता है, जो आवेशित कणों को मुक्त आकाश में स्थानांतरित करता है।
  • आयनमंडल ऊपरी वायुमंडल की एक परत है, जहाँ आवेशित कण प्रचुर मात्रा में होते हैं।
  • ध्रुवीय पवन उच्च-अक्षांश आयनमंडल से मैग्नेटोस्फीयर (चुंबकीय क्षेत्र द्वारा प्रभावित पृथ्वी के आसपास का क्षेत्र) में थर्मल प्लाज़्मा का एक एंबिपोलर (द्विदिशात्मक) बहिर्वाह है, जिसमें मुख्य रूप से हाइड्रोजन, हीलियम और ऑक्सीजन के आयन व इलेक्ट्रॉन होते हैं।
  • हाइड्रोजन आयनों पर प्रभाव: यह क्षेत्र हाइड्रोजन आयनों पर गुरुत्वाकर्षण से 10.6 गुना अधिक बल लगाता है। यह महत्त्वपूर्ण बल उन्हें सुपरसोनिक गति से अंतरिक्ष में स्थानांतरित करता है, जिससे वायुमंडलीय पलायन बढ़ जाता है।
  • व्यापक निहितार्थ: इस क्षेत्र को समझने से पृथ्वी के वायुमंडलीय विकास के संदर्भ में जानकारी मिलती है और इसे शुक्र एवं मंगल जैसे वायुमंडल वाले अन्य ग्रहों पर लागू किया जा सकता है। इससे यह समझने में भी मदद मिल सकती है कि कौन-से ग्रह जीवन के लिये अनुकूल हो सकते हैं।

एंड्योरेंस मिशन

  • यह NASA द्वारा वित्तपोषित मिशन था, जिसे वर्जीनिया में NASA के वॉलॉप्स फ्लाइट सुविधा में साउंडिंग रॉकेट प्रोग्राम के माध्यम से संचालित किया गया था।
  • इसका प्राथमिक लक्ष्य पृथ्वी की वैश्विक विद्युत शक्ति का आकलन करना है, जिसे बहुत क्षीण/दुर्बल माना जाता है। यह विद्युत क्षमता यह समझने के लिये महत्त्वपूर्ण है कि शुक्र जैसे अन्य ग्रहों के विपरीत पृथ्वी जीवन का समर्थन क्यों कर सकती है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)  

प्रिलिम्स

प्रश्न.'ग्रीज्ड लाइट्निंग-10 (GL-10)', जिसका हाल ही में समाचारों में उल्लेख हुआ, क्या है?

(a) NASA द्वारा परीक्षित विद्युत् विमान
(b) जापान द्वारा डिज़ाइन किया गया सौर शक्ति से चलने वाला दो सीटों वाला
(c) चीन द्वारा लांच की गई अंतरिक्ष वेधशाला
(d) ISRO द्वारा डिजाइन किया गया पुनरोपयोगी रॉकेट

उत्तर: (a)


प्रारंभिक परीक्षा

खनिज अन्वेषण क्षेत्र का सुदृढ़ीकरण

स्रोत: पी.आई.बी

चर्चा में क्यों?

खान मंत्रालय ने राष्ट्रीय खनिज अन्वेषण ट्रस्ट (NMET) की छठी शासी निकाय बैठक में इसके प्रदर्शन की गहन समीक्षा की

  • बैठक के दौरान वर्ष 2023-24 के लिये NMET की वार्षिक रिपोर्ट आधिकारिक तौर पर जारी की गई।

प्रमुख घटनाक्रम क्या हैं?

  • NGDR पोर्टल का उन्नयन: राष्ट्रीय भूवैज्ञानिक डेटा भंडार (NGDR) पोर्टल का उन्नयन आरंभ किया गया।
    • इसका उद्देश्य राष्ट्र के लाभ के लिये भूवैज्ञानिक डेटा साझाकरण हेतु निर्बाध सहयोग को सुविधाजनक बनाना है।
  • प्रतिपूर्ति योजनाएँ: अन्वेषण व्यय की आंशिक प्रतिपूर्ति के लिये एक संशोधित योजना को मंज़ूरी दी गई है, जिसके तहत समग्र लाइसेंस (CL) धारकों के लिये प्रतिपूर्ति की अधिकतम सीमा बढ़ाई गई है।
  • वामपंथी उग्रवाद प्रभावित ज़िलों और स्टार्ट-अप हेतु सहायता: NMET वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित ज़िलों में फील्डवर्क के लिये मानक शुल्क अनुसूची से 1.25 गुना अधिक शुल्क प्रदान करके खनिज अन्वेषण को सक्रिय रूप से बढ़ावा दे रहा है।
  • महत्त्वपूर्ण और सामरिक खनिज अन्वेषण हेतु प्रोत्साहन: महत्त्वपूर्ण और सामरिक खनिजों की खोज में लगी एजेंसियों के लिये 25% अन्वेषण प्रोत्साहन की घोषणा की गई है।
  • राज्य स्तरीय खनिज अन्वेषण को प्रोत्साहित करना: राज्यों को लघु खनिजों के अन्वेषण को प्रोत्साहित करने के लिये NMET के समान राज्य खनिज अन्वेषण ट्रस्ट स्थापित करने की सलाह दी गई।
  • स्टार्ट-अप और उभरती प्रौद्योगिकियों पर ध्यान: खनन क्षेत्र में विशेष रूप से AI, ऑटोमेशन और ड्रोन टेक्नोलॉजी जैसे क्षेत्रों में स्टार्ट-अप स्थापित करने के महत्त्व पर ज़ोर दिया गया।

अपतटीय खनिज अन्वेषण और उत्पादन को बढ़ावा देने के नियम

  • परिचय: केंद्र ने अपतटीय क्षेत्र खनिज ट्रस्ट नियम, 2024 पेश किया है। यह भारत के अपतटीय क्षेत्रों में खनिज अन्वेषण और उत्पादन की देखरेख करने वाला पहला ढाँचा है।
    • अपतटीय क्षेत्र का तात्पर्य प्रादेशिक जल, महाद्वीपीय शेल्फ, अनन्य आर्थिक क्षेत्र तथा प्रादेशिक जल, महाद्वीपीय शेल्फ और अनन्य आर्थिक क्षेत्र के अंतर्गत भारत के अन्य समुद्री क्षेत्रों से है।
    • नये नियमों के तहत अपतटीय खदानों के उत्पादन पट्टे धारकों को सरकार को अपने रॉयल्टी भुगतान का 10% देकर अपतटीय क्षेत्र खनिज ट्रस्ट में योगदान करना आवश्यक है।
    • यह राशि भारत के सार्वजनिक खाते में जमा की जाएगी, जिससे ट्रस्ट की पहलों के लिये वित्तीय आधार उपलब्ध होगा।
  • अपतटीय क्षेत्र खनिज ट्रस्ट: यह एक कोष है, जो अपतटीय खनिज संसाधनों से उत्पन्न राजस्व का प्रबंधन एवं आवंटन करने के लिये स्थापित किया गया है, ताकि सतत् विकास सुनिश्चित हो सके और खनिज अन्वेषण तथा उत्पादन को बढ़ावा मिले।

राष्ट्रीय खनिज अन्वेषण ट्रस्ट (NMET)

  • स्थापना: NMET की स्थापना खान एवं खनिज (विकास एवं विनियमन) अधिनियम, 1957 की धारा 9सी के तहत की गई थी, जिसका उद्देश्य भारत में खनिज अन्वेषण में तीव्रता लाना है।
  • उद्देश्य: यह ट्रस्ट देश में क्षेत्रीय एवं विस्तृत खनिज अन्वेषण तथा शासी निकाय द्वारा अनुमोदित अन्य गतिविधियों का समर्थन करता है। इसके उद्देश्यों में शामिल हैं:
    • गहरे और छिपे हुए खनिज भंडारों की पहचान, अन्वेषण, निष्कर्षण, लाभकारी तथा परिशोधन के लिये विशेष अध्ययन एवं परियोजनाएँ
    • उन्नत वैज्ञानिक और तकनीकी प्रक्रियाओं को अपनाते हुए खनिज विकास, सतत् खनन, खनिज निष्कर्षण तथा धातु विज्ञान पर अध्ययन
  • शासन संरचना: NMET की दो-स्तरीय संरचना है
    • शासी निकाय: यह सर्वोच्च निकाय है, जिसकी अध्यक्षता खान मंत्री करते हैं। यह ट्रस्ट का समग्र नियंत्रण रखता है
    • कार्यकारी समिति: खान मंत्रालय के सचिव की अध्यक्षता वाली कार्यकारी समिति इसकी गतिविधियों का प्रशासन और प्रबंधन करती है
  • वित्त पोषण तंत्र: NMET फंड ट्रस्ट की गतिविधियों को लागू करने के लिये स्थापित किया गया है।
    •  फंड को खनन पट्टों या पूर्वेक्षण लाइसेंस-सह-खनन पट्टों के धारकों से योगदान प्राप्त होता है, जो MMDR अधिनियम, 1957 के अनुसार भुगतान की गई रॉयल्टी का 2% होता है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)  

प्रिलिम्स:

Q. भारत के संदर्भ में निम्नलिखित केंद्रीय अधिनियमों पर विचार कीजिये। (2011)

  1. आयात और निर्यात (नियंत्रण) अधिनियम, 1947
  2. खनन और खनिज विकास (विनियमन) अधिनियम, 1957
  3. सीमा शुल्क अधिनियम, 1962
  4. भारतीय वन अधिनियम, 1927

उपर्युक्त में से कौन-सा अधिनियम देश में जैव विविधता संरक्षण से संबंधित है?

(a) केवल 1 और 3
(b) केवल 2, 3 और 4
(c) 1, 2, 3 और 4
(d) उपर्युक्त में से कोई भी अधिनियम नहीं

उत्तर: (c)


रैपिड फायर

चार CPSE को नवरत्न का दर्जा

स्रोत: बिज़नेस स्टैण्डर्ड

हाल ही में सरकार ने चार केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उद्यमों (CPSE) - रेलटेल कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया, सोलर एनर्जी कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया, सतलुज जल विद्युत निगम लिमिटेड (SJVN) और नेशनल हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर कॉर्पोरेशन (NHPC) को 'नवरत्न' का दर्जा दिया है। इससे भारत में नवरत्न CPSE की कुल संख्या बढ़कर 25 हो गई है।

  • उद्देश्य: वर्ष 1997 में शुरू की गई नवरत्न योजना का उद्देश्य तुलनात्मक लाभ वाले CPSE की पहचान करना और उन्हें वैश्विक दिग्गज बनने में सहायता करना है।
    • नवरत्न वर्गीकरण उन सरकारी स्वामित्व वाली कंपनियों को दिया जाता है, जिन्हें पहले उनके उत्कृष्ट वित्तीय और बाज़ार प्रदर्शन के लिये 'मिनीरत्न' श्रेणी I के रूप में वर्गीकृत किया गया था।
  • वित्त मंत्रालय का सार्वजनिक उद्यम विभाग (DPE) कम्पनियों को नवरत्न का दर्जा देने के लिये ज़िम्मेदार है।
  • नवरत्न दर्जे के लाभ: इसे वित्तीय और परिचालन संबंधी स्वतंत्रता मिलती है तथा यह सरकार की मंजूरी के बिना किसी एक परियोजना पर 1,000 करोड़ रुपए या अपनी कुल संपत्ति का 15% तक निवेश करने का अधिकार देता है।
    • उन्हें संयुक्त उद्यम स्थापित करने, गठबंधन बनाने तथा विदेश में सहायक कम्पनियाँ स्थापित करने की भी स्वतंत्रता होती है।

                        CPSE का वर्गीकरण 

श्रेणी

        लॉन्च 

      मानदंड

    उदाहरण

महारत्न

  • मई, 2010 में CPSE के लिये महारत्न योजना शुरू की गई थी ताकि बड़े CPSE को अपने परिचालन का विस्तार करने और वैश्विक दिग्गज के रूप में उभरने में सक्षम बनाया जा सके।
  • नवरत्न का दर्जा प्राप्त हो।

  •  भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) के नियमों के तहत न्यूनतम निर्धारित सार्वजनिक शेयरधारिता के साथ भारतीय स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध हो।
  • पिछले 3 वर्षों के दौरान 25,000 करोड़ रुपए से अधिक का औसत वार्षिक कारोबार हो।

  •  पिछले 3 वर्षों के दौरान 15,000 करोड़ रुपए से अधिक की औसत वार्षिक निवल परिसंपत्ति हो।

  • पिछले 3 वर्षों के दौरान 5,000 करोड़ रुपए से अधिक का कर के बाद औसत वार्षिक निवल लाभ हो।

  • महत्त्वपूर्ण वैश्विक उपस्थिति/अंतर्राष्ट्रीय परिचालन होना चाहिये।
  • भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड, भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड, कोल इंडिया लिमिटेड, गेल (इंडिया) लिमिटेड, आदि।

नवरत्न

  • नवरत्न योजना वर्ष 1997 में शुरू की गई थी ताकि उन CPSE की पहचान की जा सके जो अपने संबंधित क्षेत्रों में तुलनात्मक लाभ का आनंद लेते हैं और वैश्विक भागीदार बनने के उनके अभियान में उनका समर्थन करते हैं।
  • मिनीरत्न श्रेणी-I और अनुसूची 'A' CPSE, जिन्होंने पिछले पाँच वर्षों में से तीन वर्षों में समझौता ज्ञापन प्रणाली के तहत 'उत्कृष्ट' या 'बहुत अच्छा' रेटिंग प्राप्त की है तथा छह चयनित प्रदर्शन मापदंडों में 60 या उससे अधिक का समग्र स्कोर है, अर्थात्,
    • निवल लाभ से निवल मूल्य।
    • उत्पादन/सेवाओं की कुल लागत में जनशक्ति लागत।
    • नियोजित पूंजी में मूल्यह्रास, ब्याज और करों से पहले लाभ।
    • टर्नओवर में ब्याज और करों से पहले लाभ।
    • प्रति शेयर आय।
    • अंतर-क्षेत्रीय प्रदर्शन।
  • भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड, हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड, आदि।

मिनिरत्न

  • मिनिरत्न योजना वर्ष 1997 में नीति के अनुसरण में शुरू की गई थी जिसका उद्देश्य सार्वजनिक क्षेत्र को अधिक कुशल और प्रतिस्पर्धी बनाना तथा लाभ कमाने वाले सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों को अधिक स्वायत्तता और शक्तियाँ सौंपना था।
  • मिनीरत्न श्रेणी-I: जिन CPSE ने पिछले तीन वर्षों में लगातार लाभ कमाया है, कम से कम तीन वर्षों में से एक वर्ष में कर-पूर्व लाभ 30 करोड़ रुपए या उससे अधिक है और जिनकी निवल परिसंपत्ति सकारात्मक है, उन्हें मिनीरत्न-I का दर्जा दिये जाने पर विचार किया जा सकता है। 
  • मिनीरत्न श्रेणी-II: जिन CPSE ने पिछले तीन वर्षों में लगातार लाभ कमाया है और जिनकी निवल परिसंपत्ति सकारात्मक है, उन्हें मिनीरत्न-II का दर्जा दिये जाने पर विचार किया जा सकता है। 
  • मिनीरत्न CPSE को सरकार को देय किसी भी ऋण पर ऋण/ब्याज भुगतान के पुनर्भुगतान में चूक नहीं करनी चाहिये। 
  • मिनीरत्न CPSE बजटीय सहायता या सरकारी गारंटी पर निर्भर नहीं होंगे।
  • श्रेणी-I: एयरपोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया, एंट्रिक्स कॉर्पोरेशन लिमिटेड, आदि। 
  • श्रेणी-II: कृत्रिम अंग निर्माण कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया, भारत पंप्स एंड कंप्रेसर्स लिमिटेड, आदि।

और पढ़ें: भारतीय अर्थव्यवस्था के क्षेत्र


रैपिड फायर

चक्रवात असना

स्रोत : द हिंदू 

हाल ही में भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने बताया कि गुजरात के कच्छ तट और पाकिस्तान के आस-पास के क्षेत्रों में चक्रवात असना उत्पन्न हुआ।

  • वर्ष 1891 के बाद से अगस्त में अरब सागर में केवल तीन चक्रवाती तूफान आए हैं, जिनमें से सबसे हालिया 2023 से पहले वर्ष 1976 में आया था।
  • उत्तरी आंध्र प्रदेश और दक्षिणी ओडिशा के पास बंगाल की खाड़ी में एक निम्न वायुदाब वाला क्षेत्र बना है - जो चक्रवात का एक बहुत ही प्रारंभिक संकेत था।
  • चक्रवाती तूफान असना के कारण गुजरात में अत्यधिक वर्षा हुई, जिसके कारण 26 लोगों की मृत्यु हो गई, 18,000 व्यक्तियों को दूसरे स्थानों पर जाना पड़ा और 1,200 लोगों को बाढ़ से बचाया गया।
  • निर्माण: चक्रवात गर्म समुद्री जल के ऊपर उत्पन्न होते हैं, जहाँ नम वायु ऊपर की ओर उठती है, जिससे कम दाब वाली प्रणाली बनती है। यह प्रणाली कोरिओलिस प्रभाव के कारण तीव्र हो जाती है, जिससे तेज़ वायु के साथ एक घूर्णनशील तूफान निर्मित होता है।
  • पाकिस्तान द्वारा नामित चक्रवात असना का अर्थ है "स्वीकार या प्रशंसा करने योग्य।"
    • चक्रवातों का नामकरण: सदस्य देशों द्वारा प्रस्तुत सुझावों की सूची में से नाम चुने जाते हैं। नाम प्रायः आक्रामक न होकर उच्चारण में आसान, सांस्कृतिक रूप से प्रासंगिक होते हैं।

और पढ़ें: IMD द्वारा मौसम की निगरानी, ​​विश्व मौसम विज्ञान दिवस, महासागरीय धाराएँ


रैपिड फायर

पेरिस ज़िंक रूफर्स

स्रोत: द हिंदू

हाल ही में फ्राँसीसी संस्कृति मंत्रालय ने पेरिस में ज़िंक रूफिंग पेशे को यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत (ICH) सूची के लिये नामित किया, जिसमें शिल्प कौशल पर प्रकाश डाला गया।

  • ज़िंक की छतें लगभग 200 वर्षों से पेरिस की वास्तुकला का अभिन्न अंग रही हैं, जिसके तहत भवनों के निर्माण में व्यापक रूप से 21.4 मिलियन वर्ग मीटर ज़िंक-रूफ का योगदान है।
    • ज़िंक की छतें पेरिस की भव्यता का हिस्सा हैं, लेकिन खराब इन्सुलेशन/तापावरोधन के कारण इमारतें गर्म हो जाती हैं, इस कारण इसकी आलोचना भी की जाती है; क्योंकि ज़िंक की छतें ऊष्मा के अवशोषण को बढ़ाती हैं जिससे आंतरिक तापमान में वृद्धि हो जाती है।
  • यूनेस्को की ICH सूची में ऐसे ज्ञान और कौशल शामिल हैं, जो पीढ़ियों से चले आ रहे हैं, जैसे: वाचिक /मौखिक परंपराएँ, प्रदर्शन कलाएँ, सामाजिक प्रथाएँ, अनुष्ठान, उत्सव, पारंपरिक शिल्प तथा समकालीन ग्रामीण व शहरी प्रथाएँ।
  • यूनेस्को  ICH सूची में भारत के कुल 15 तत्त्व अंकित हैं।

यूनेस्को में भारत की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सूची:

सूची

अमूर्त सांस्कृतिक विरासत तत्त्व 

यूनेस्को हेरिटेज नामांकन का वर्ष

1.

कुटियाट्टम, संस्कृत रंगमंच

2008

2.

वैदिक मंत्रोच्चार की परंपरा

2008

3.

रामलीला, रामायण का पारंपरिक प्रदर्शन

2008

4.

राममन, गढ़वाल हिमालय, भारत का धार्मिक उत्सव और अनुष्ठानिक रंगमंच

2009

5.

छऊ नृत्य

2010

6.

राजस्थान के कालबेलिया लोकगीत और नृत्य

2010

7.

मुदियेट्टू, केरल का अनुष्ठानिक रंगमंच और नृत्य नाटक

2010

8.

लद्दाख का बौद्ध मंत्रोच्चार: ट्रांस-हिमालयी में पवित्र बौद्ध ग्रंथों का पाठ

लद्दाख क्षेत्र, जम्मू और कश्मीर, भारत

2012

9.

मणिपुर का संकीर्तन, अनुष्ठानिक गायन, ढोल वादन और नृत्य

2013

10.

जंडियाला गुरु, पंजाब, भारत के ठठेरों के बीच बर्तन बनाने का पारंपरिक पीतल और ताँबे का शिल्प

2014

11.

नवरोज़

2016

12.

योग

2016

13.

कुंभ मेला

2017

14.

कोलकाता में दुर्गा पूजा

2021

15.

गुजरात का गरबा

2023


रैपिड फायर

सोशल मीडिया के लिये सेफ हार्बर प्रावधान

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस 

हाल ही में फ्राँसीसी पुलिस ने पेरिस के समीप टेलीग्राम के CEO पावेल दुरोव को गिरफ्तार कर लिया (बाद में सशर्त जमानत पर रिहा कर दिया गया) जो तकनीकी जवाबदेही (Tech Accountability) में एक महत्त्वपूर्ण बदलाव का संकेत है

  • यह कार्रवाई अवैध गतिविधियों में तकनीकी अधिकारियों की भूमिका के संबंध में उनकी कंपनियों पर बढ़ती जाँच को उजागर करती है।
  • डुरोव के खिलाफ आरोप: टेलीग्राम पर मादक पदार्थों की तस्करी, चाइल्ड पोर्नोग्राफी, हिंसक प्रचार और संगठित अपराध से संबंधित सामग्री के वितरण को सक्षम करने का आरोप है।
    • अधिकारियों ने टेलीग्राम पर आपत्तिजनक सामग्री को नियंत्रित करने के लिये कानून प्रवर्तन प्रयासों में सहयोग नहीं करने का आरोप लगाया।
  • सेफ हार्बर नियम: सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म उपयोगकर्ता द्वारा उत्पन्न सामग्री के लिये कानूनी रूप से उत्तरदायी नहीं हैं, जब तक कि वे चिह्नित आपत्तिजनक सामग्री को हटाने या हल करने के लिये कार्रवाई करते हैं, जिससे मुक्त अभिव्यक्ति को बढ़ावा मिलता है और यह गारंटी मिलती है कि प्लेटफॉर्म पूर्वव्यापी सामग्री प्रबंधन के लिये ज़िम्मेदार नहीं हैं।
    • संयुक्त राज्य अमेरिका: संचार शालीनता अधिनियम की धारा 230 के तहत सेफ हार्बर संरक्षण प्रदान किया गया है, जो प्लेटफार्मों को उपयोगकर्त्ता सामग्री के लिये उत्तरदायी होने से बचाता है।
    • भारत: सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 79 समान सुरक्षा प्रदान करती है।
      • सूचना प्रौद्योगिकी नियम, 2021 के अनुसार 5 मिलियन से अधिक उपयोगकर्त्ताओं वाली सोशल मीडिया कंपनियों को एक मुख्य अनुपालन अधिकारी नियुक्त करना होगा, जिसे निष्कासन अनुरोधों या अन्य विनियमों का अनुपालन न करने पर आपराधिक रूप से उत्तरदायी ठहराया जा सकता है

और पढ़ें: सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 69A, डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक 2022, नए IT नियम 2021


प्रारंभिक परीक्षा

केवल प्रतिभू ज़मानत का आधार नहीं: सर्वोच्च न्यायालय

स्रोत : द हिंदू 

चर्चा में क्यों ?

हाल ही में भारत के सर्वोच्च न्यायालय (SC) ने एक ऐसे मामले में जमानत की जटिलताओं को संबोधित किया, जिसमें 13 आपराधिक मामलों में जमानत प्राप्त एक आरोपी को पर्याप्त प्रतिभू हासिल करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। 

  • न्यायालय ने प्रतिभू प्राप्त करने में चुनौतियों को पहचाना, जिसके लिये प्रायः करीबी संबंधियों या दोस्तों पर निर्भर रहना पड़ता है। 
  • न्यायालय ने अनुच्छेद 21 के तहत आरोपी के मौलिक अधिकारों के साथ-साथ न्यायालय में उसकी उपस्थिति सुनिश्चित करने पर भी ज़ोर दिया। अनुच्छेद 21 जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार की रक्षा करता है, जो नागरिकों एवं गैर-नागरिकों दोनों पर लागू होता है।

जमानत, पैरोल और फरलो क्या है?

  • जमानत: जमानत, कानूनी हिरासत में रखे गए व्यक्ति की सशर्त/अनंतिम रिहाई है, जिसमें आवश्यकता पड़ने पर न्यायालय में उपस्थित होने का वादा किया जाता है।
  • जमानत के प्रकार:
    • नियमित जमानत: यह न्यायालय द्वारा किसी ऐसे व्यक्ति को रिहा करने का निर्देश है, जो पहले से ही गिरफ़्तार है और पुलिस हिरासत में है।
    • अंतरिम जमानत: अग्रिम जमानत या नियमित जमानत की मांग करने वाले आवेदन के न्यायालय के समक्ष लंबित रहने तक न्यायालय द्वारा अस्थायी और अल्प अवधि के लिये जमानत दी जाती है।
    • अग्रिम जमानत या गिरफ्तारी से पूर्व जमानत: यह एक कानूनी प्रावधान है, जो किसी आरोपी व्यक्ति को गिरफ्तार होने से पहले जमानत के लिये आवेदन करने की अनुमति देता है।
      • यह CrPC (अब BNSS) की धारा 438 के तहत दी जाती है। यह केवल सत्र न्यायालय और उच्च न्यायालय द्वारा जारी की जाती है।
  • पैरोल एक अधिकार नहीं है। यह किसी कैदी को किसी विशिष्ट कारण से दिया जाता है, जैसे परिवार में मृत्यु या किसी रक्त संबंधी का विवाह।
    • पैरोल: यह सजा के निलंबन के साथ कैदी को रिहा करने की एक व्यवस्था है। रिहाई सशर्त होती है, आम तौर पर व्यवहार के अधीन होती है और इसके तहत एक निश्चित अवधि के लिये अधिकारियों को समय-समय पर रिपोर्ट करने की आवश्यकता होती है।
    • यदि प्राधिकारी को लगता है कि दोषी को रिहा करना समाज के हित में नहीं होगा, तो कैदी को यह छूट तब भी नहीं दी जा सकती, भले ही वह पर्याप्त कारण बताता हो।
  • फरलो: यह लंबी अवधि के कारावास के मामलों में दी जाती है। कैदी को दी गई फरलो की अवधि को उसकी सजा में छूट के रूप में माना जाता है।
    • पैरोल के विपरीत फरलो को एक कैदी का अधिकार माना जाता है, जिसे किसी भी कारण से समय-समय पर प्रदान किया जाता है तथा यह केवल कैदी को पारिवारिक व सामाजिक संबंधों को बनाए रखने और जेल में लंबे समय तक रहने के दुष्प्रभावों का मुकाबला करने में सक्षम बनाता है।
  • पैरोल और फरलो दोनों को सुधारात्मक प्रक्रिया माना जाता है। इन प्रावधानों को जेल प्रणाली को मानवीय बनाने के उद्देश्य से पेश किया गया था। पैरोल और फरलो कारागार अधिनियम, 1894 के अंतर्गत आते हैं।


   UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)    

प्रश्न. भारत के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः (2021)    

  1. जब कोई कैदी पर्याप्त आधार प्रस्तुत करता है तो ऐसे कैदी को पैरोल से वंचित नहीं किया जा सकता क्योंकि यह उसके अधिकार का मामला बन जाता है।
  2. कैदी को पैरोल पर छोड़ने के लिये राज्य सरकारों के अपने नियम हैं।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2

उत्तर: (b)


प्रारंभिक परीक्षा

9KT सोने की हॉलमार्किंग

स्रोत: लाइव मिंट

चर्चा में क्यों

भारत 9-कैरेट (KT) सोने के आभूषणों हेतु अनिवार्य हॉलमार्किंग लागू करने के लिये तैयार है। यह कदम किफायती सोने के लिये उपभोक्ताओं की बढ़ती पसंद को देखते हुए उठाया गया है। इस नए विनियमन का उद्देश्य तेज़ी से बढ़ते सोने के बाज़ार के बीच गुणवत्ता सुनिश्चित करना और उपभोक्ताओं की सुरक्षा करना है।

9KT सोने की हॉलमार्किंग अनिवार्य क्यों की जा रही है?

  • बढ़ती उपभोक्ता प्राथमिकताएँ: अधिक किफायती सोने के आभूषणों के प्रति बढ़ती पसंद के कारण 9KT सोने की मांग में वृद्धि हुई है, जो उच्च शुद्धता वाले सोने की तुलना में कम महंगा है।
    • सोने की शुद्धता कैरेट में मापी जाती है, सबसे शुद्ध सोना 24 कैरेट का होता है, जिसका अर्थ है कि इसमें कोई अन्य धातु नहीं मिलायी गयी है।
    • जैसे-जैसे कैरेट की संख्या घटती है, यह सोने में अन्य धातुओं, सामान्यतः ताँबे और चाँदी की मौजूदगी को दर्शाता है। उदाहरण के लिये, 18 कैरेट सोने में 75% सोना और 25% अन्य धातुएँ होती हैं।
  • चेन-स्नैचिंग की बढ़ती घटनाएँ: चेन-स्नैचिंग के मामलों में वृद्धि ने विनियमित और प्रमाणित सोने के उत्पादों की आवश्यकता को बढ़ा दिया है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) ने वर्ष 2022 में ऐसे अपराधों में 32.54% की वृद्धि दर्ज की है।
    • हॉलमार्क प्रत्येक आभूषण के लिये एक अद्वितीय पहचान प्रदान करते हैं जिससे चोरी की गई वस्तुओं का पता लगाना आसान हो जाता है। इससे चोरों को रोका जा सकता है क्योंकि चोर को पता होता है कि चिह्नित वस्तुओं का पता लगाना आसान है।

नोट: विश्व स्वर्ण परिषद के अनुसार, चीन के बाद भारत विश्व का दूसरा सबसे बड़ा स्वर्ण उपभोक्ता है तथा कैलेंडर वर्ष 2024 के दौरान मांग 750 टन तक पहुँचने की उम्मीद है। वर्ष 2022 में भारत ने 9.22 बिलियन अमेरिकी डॉलर के सोने के आभूषणों का निर्यात किया, जो विश्व के कुल सोने के आभूषणों के निर्यात का 8.1% है। सोने के आभूषणों के निर्यात के मामले में देश चौथे स्थान पर रहा।

हॉलमार्किंग क्या है?

  • हॉलमार्किंग के बारे में: हॉलमार्किंग वस्तुओं में मौजूद बहुमूल्य धातु घटक का आधिकारिक रिकॉर्ड है, जिसका उपयोग शुद्धता की गारंटी के रूप में किया जाता है
    • इसका उद्देश्य जनता के विश्वास की सुरक्षा करना तथा विनिर्माताओं को कानूनी मानकों को बनाए रखने के लिये बाध्य करना है। भारत में सोना और चाँदी वर्तमान हॉलमार्किंग योजना के अंतर्गत आते हैं।
    • एक बार की गई हॉलमार्किंग, आभूषण के संपूर्ण जीवनकाल के लिये वैध होती है।
  • कार्यप्रणाली: BIS हॉलमार्किंग योजना के तहत भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) ने अनिवार्य किया है कि सभी हॉलमार्क वाले सोने के आभूषणों तथा कलाकृतियों पर 6 अंकीय अल्फान्यूमेरिक हॉलमार्क विशिष्ट पहचान संख्या (HUID) संख्या अंकित होनी चाहिये।
  • इस HUID का उद्देश्य उपभोक्ता विश्वास में सुधार लाना तथा स्वर्ण उत्पादों की बेहतर ट्रेसेबिलिटी सुनिश्चित करना है।
    • इस योजना के तहत, ज्वैलर्स को BIS द्वारा पंजीकरण प्रदान किया जाता है। BIS प्रमाणित ज्वैलर्स अपने आभूषणों को किसी भी BIS मान्यता प्राप्त परख और हॉलमार्किंग केंद्र (Assaying and Hallmarking Centres) से हॉलमार्क करवा सकते हैं।
      • प्रत्येक हॉलमार्क स्वर्ण आभूषण को एक विशिष्ट HUID संख्या दी जाती है।
    • उपभोक्ता BIS केयर ऐप में HUID नंबर दर्ज करके सोने के आभूषणों की प्रामाणिकता को सत्यापित कर सकते हैं, जो ज्वैलर, शुद्धता और हॉलमार्किंग केंद्र के बारे में विवरण प्रदान करता है।
  • महत्त्व: यदि कोई हॉलमार्क वाली वस्तु बताई गई शुद्धता से कम शुद्धता की पाई जाती है, तो खरीदार BIS नियम 2018 के तहत मुआवज़े के हकदार होते हैं
  • हॉलमार्किंग ट्रेसेबिलिटी आसान हो जाती है और यह सुनिश्चित होता है कि उपभोक्ता धोखाधड़ी तथा नकली सामान से सुरक्षित रहें।

नोट: हीरे की शुद्धता को आमतौर पर स्पष्टता (clarity) के रूप में संदर्भित किया जाता है, जो आंतरिक या बाह्य खामियों की उपस्थिति को मापता है, जिन्हें क्रमशः समावेशन और दोष के रूप में जाना जाता है।

  • स्पष्टता (clarity) का निर्धारण करने के लिये, विशेषज्ञ उच्च आवर्द्धन वाले सूक्ष्मदर्शी तथा पॉवर लेंस के साथ नेत्र दृश्यता का उपयोग करके हीरे की जाँच करते हैं और आंतरिक समावेशन व बाह्य दोषों के आधार पर इसे दोषरहित से अपूर्ण तक के पैमाने पर वर्गीकृत करते हैं।
  • कैरेट (carat) वज़न की एक इकाई है जिसका उपयोग हीरे जैसे रत्न के वज़न को मापने के लिये किया जाता है। जबकि कैरट सोने के 24 भागों के संबंध में सोने के मिश्र धातु की शुद्धता को मापता है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)  

प्रिलिम्स

प्रश्न. सरकार की 'संप्रभु स्वर्ण बॉण्ड योजना (Sovereign Gold Bond Scheme)' और 'स्वर्ण मुद्रीकरण योजना (Old Monetization Scheme)' का/के उद्देश्य क्या है/हैं? (2016) 

  1. भारतीय गृहस्थों के पास निष्क्रिय पड़े स्वर्ण को अर्थव्यवस्था में लाना
  2. स्वर्ण एवं आभूषण के क्षेत्र में FDI को प्रोत्साहित करना
  3. स्वर्ण के आयात पर भारत की निर्भरता में कमी लाना

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (c)

व्याख्या: 

  • सरकार ने वर्ष 2015 में संप्रभु स्वर्ण बॉण्ड योजना (Sovereign Gold Bond Scheme) और स्वर्ण मुद्रीकरण योजना (Old Monetization Scheme) की शुरुआत की थी। इन योजनाओं के मुख्य उद्देश्य भारत के गृहस्थों और संस्थानों के पास रखे स्वर्ण को अर्थव्यवस्था में लाना है। अत: कथन 1 सही है
  • बैंकों से ऋण पर कच्चे माल के रूप में सोना उपलब्ध कराकर देश में रत्न और आभूषण क्षेत्र को बढ़ावा देना। घरेलू मांग को पूरा करने के लिये समय के साथ सोने के आयात पर निर्भरता कम करने में सक्षम होना। अतः कथन 3 सही है।
  • सोने और आभूषण क्षेत्र में FDI को बढ़ावा देना इन योजनाओं का उद्देश्य नहीं है। अतः कथन 2 सही नहीं है।

अतः विकल्प (c) सही उत्तर है।


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