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डेली अपडेट्स


प्रारंभिक परीक्षा

प्रीलिम्स फैक्ट्स: 28 जुलाई, 2020

  • 28 Jul 2020
  • 11 min read

शार्क

Shark

हाल ही में किये गए एक नए अध्ययन के अनुसार, दुनिया की 19% प्रवाल भित्तियों में शार्क (Shark) की अनुपस्थिति दर्ज की गई है जो अब तक दर्ज की गई शार्क की संख्या में सबसे बड़ी गिरावट है।

Shark

प्रमुख बिंदु: 

  • अध्ययन से पता चलता है कि मछलियों को अत्यधिक पकड़ना, घनी मानव आबादी एवं कमज़ोर शासन व्यवस्था के कारण आठ देशों से संबंधित तटीय जल निकाय से शार्क ‘कार्यात्मक रूप से विलुप्त’ हो गई है।
    • कनाडा के साइमन फ्रेज़र विश्वविद्यालय के संरक्षण जीवविज्ञानी बताते हैं कि यह अध्ययन एक ‘टूर डी फोर्स’ (Tour De Force) है अर्थात् एक प्रदर्शन या उपलब्धि जिसे बड़ी कुशलता के साथ पूरा या प्रबंधित किया गया है। 
    • यह अब तक का सबसे व्यापक अध्ययन है जो शार्क की बहुतायत को देखने के लिये किया गया है।

ग्लोबल फिनप्रिंट (Global FinPrint):

Global-finprint

  • वर्ष 2015 में ‘फ्लोरिडा इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी’ के समुद्री जीव विज्ञानियों ने ग्लोबल फिनप्रिंट (Global FinPrint) नामक एक बड़ी सहयोगात्मक परियोजना शुरू की।
  • इस परियोजना का उद्देश्य एक मानकीकृत तरीके से विश्व की प्रवाल भित्तियों की सभी शार्क प्रजातियों जैसे- टाइगर शार्क एवं हैमरहेड्स (Hammerheads) शार्क का सर्वेक्षण करना था।
  • विश्व स्तरीय सर्वेक्षण में शोधकर्त्ताओं ने पाया कि 69 प्रवाल भित्तियों या लगभग 19% प्रवाल भित्तियों में शार्क मौज़ूदगी लगभग न के बराबर थी। दुनिया भर में बहामास शार्क की बहुतायत के लिये शीर्ष स्थान पर है जबकि गुआम अंतिम स्थान पर था।

बहामास:

  • बहामास कैरेबियन सागर में वेस्टइंडीज के ल्युसयन द्वीपसमूह (Lucayan Archipelago) के अंतर्गत एक देश है।

गुआम:

  • गुआम पश्चिमी प्रशांत महासागरीय क्षेत्र में माइक्रोनेशिया में एक अमेरिकी द्वीपीय क्षेत्र है।

हालाँकि ‘ग्लोबल फिनप्रिंट’ परियोजना समाप्त हो गई है किंतु शोधकर्त्ताओं ने शार्क की पारिस्थितिक भूमिका का अध्ययन करने के लिये संगृहीत डेटा का उपयोग करके शार्क की अनुपस्थिति में प्रवाल भित्ति पारिस्थितिकी प्रणाली का विश्लेषण करने की योजना बना रहे हैं।

UP-PCS


साइक्लोस्पोरा

Cyclospora

हाल ही में साइक्लोस्पोरा (Cyclospora) नामक बीमारी से संयुक्त राज्य अमेरिका के 11 राज्यों में 640 से अधिक लोगों प्रभावित हुए हैं।

Cyclospora-Cayetanensis

प्रमुख बिंदु: 

  • माना जा रहा है कि साइक्लोस्पोरा (साइक्लोस्पोरियासिस) पैकेट वाले सलाद उत्पादों से संबंधित बीमारी है। पैक्ड सलाद में आइसबर्ग लेट्यूस, रेड गोभी एवं गाजर शामिल थे।  
  • यह रोग ‘साइक्लोस्पोरा सायेटानेंसिस’ (Cyclospora Cayetanensis) नामक सूक्ष्म एकल कोशिकीय परजीवी के कारण होता है।
  • दूषित भोजन या जल जिसमें इस परजीवी की उपस्थिति होती है, के सेवन से लोगों में  साइक्लोस्पोरा संक्रमण हो सकता हैं।
    • यह आंतों से संबंधित बीमारी है जो सूक्ष्म परजीवी साइक्लोस्पोरा सायेटानेंसिस के कारण होती है।
  • उन देशों में रहने वाले या यात्रा करने वाले लोग जहाँ साइक्लोस्पोरिसिस संक्रमण का खतरा अधिक है वहाँ से अन्य क्षेत्रों में इस संक्रमण के फैलने की संभावना अधिक होती है।

लक्षण:

इस बीमारी में भूख न लगना एवं वजन में कमी, सूजन, मितली, निम्न-श्रेणी का बुखार, कमज़ोरी एवं दस्त जैसे लक्षण दिखाई देते हैं।

UP-PCS


बीआईएस-केयर

BIS-Care

27 जुलाई, 2020 को केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री ने उपभोक्ताओं के लिये भारतीय मानक ब्यूरो का मोबाइल एप ‘बीआईएस-केयर’ (BIS-Care) और www.manakonline.in पर ई-बीआईएस (e-BIS) के तीन पोर्टलों- मानकीकरण, अनुरूपता आकलन तथा प्रशिक्षण को लॉन्च किया।

BIS-Care

प्रमुख बिंदु:

  • उपभोक्ता इस एप का उपयोग करके आईएसआई (Indian Standards Institute- ISI) चिन्हित एवं हॉलमार्क्ड उत्पादों की प्रमाणिकता की जाँच कर सकते हैं और अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं।
  • यह एप दोनों भाषाओँ (हिन्दी एवं अंग्रेजी) में संचालित किया जा सकता है।
  • भारतीय मानक ब्यूरो (Bureau of Indian Standards- BIS) की कार्यप्रणाली का एक अन्य महत्त्वपूर्ण पहलू मानकों का कार्यान्वयन लागू करने के लिये प्रमाणन एवं निगरानी है। 
  • ई-बीआईएस के कार्यान्वयन से बीआईएस (BIS) प्रवर्तन की अपनी क्षमता को सुदृढ़ कर रहा है। ई-बीआईएस (e-BIS) एक एकीकृत पोर्टल है। जिसमें निम्नलिखित कार्य शामिल हैं:
    • कारखानों के लिये बाहरी एजेंसियों की सेवाओं को सूचीबद्ध करना।
    • बाज़ार की निगरानी।
    • मोबाइल एप आधारित  विकास।
    • AI-सक्षम निगरानी विधियों को विकसित करना। 
  • वर्तमान COVID-19 महामारी के दौरान बीआईएस ने कवर-ऑल एवं वेंटिलेटर के लिये COVID मानकों को भी विकसित किया और N-95 मास्क, सर्जिकल मास्क एवं आई प्रोटेक्टर्स (Eye Protectors) के लिये लाइसेंस प्रदान करने हेतु मानक जारी किये हैं।
  • इससे आईएसआई-चिन्हित पीपीई वस्तुओं के उत्पादन में वृद्धि हुई है। देश में आईएसआई-चिह्नित N95 मास्क के लिये दैनिक उत्पादन क्षमता दो लाख से बढ़कर चार लाख से अधिक हो गई है।

बीआईएस प्रयोगशाला:

  • केवल 8 बीआईएस प्रयोगशालाओं में ही नहीं बल्कि हैदराबाद, अहमदाबाद, जम्मू, भोपाल, रायपुर एवं लखनऊ जैसे कई ब्रांच ऑफिसों में पीने के पानी और स्वर्ण आभूषणों की परख के लिये सुविधाओं का विकास किया जा रहा है।

उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019

(Consumer Protection Act, 2019):

  • उपभोक्ता संरक्षण (ई-कॉमर्स) नियम, 2020 सहित उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के सभी प्रावधान 24 जुलाई, 2020 से लागू हो गए हैं।
  • नया अधिनियम ई-कॉमर्स में अनुचित व्यापार प्रथाओं को रोकने के लिये और उपभोक्ताओं के विवादों के निपटारे एवं समय पर व प्रभावी प्रशासन के लिये तंत्र स्थापित करते हुए उपभोक्ताओं के हितों एवं अधिकारों की रक्षा करने के लिये, नियमों के माध्यम से कई उपाय प्रदान करता है।
    • ये नियम डिजिटल या इलेक्ट्रॉनिक नेटवर्क पर खरीदे या बेचे जाने वाले सभी सामानों एवं ई-कॉमर्स के सभी मॉडलों पर लागू होंगे जिनमें मार्केट प्लेस यानी बाज़ार (जैसे अमेज़न एवं फ्लिपकार्ट) और इन्वेंट्री मॉडल (जहाँ ई-कॉमर्स इकाई के पास भी स्टॉक हैं) भी शामिल हैं। 
    • ये नियम ई-कॉमर्स कंपनियों (मार्केट प्लेस एवं इन्वेंट्री मॉडल) और ई-कॉमर्स कंपनियों के मार्केट प्लेस पर बेचने वालों के कर्तव्यों एवं उत्तरदायित्वों को निर्दिष्ट करते हैं।

UP-PCS


डेयर टू ड्रीम 2.0

Dare to Dream 2.0 

27 जुलाई, 2020 को रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (Defence Research and Development Organisation- DRDO) ने पूर्व राष्ट्रपति एवं प्रख्यात वैज्ञानिक डॉ. अब्दुल कलाम की 5वीं पुण्य तिथि के अवसर पर नवाचार प्रतियोगिता ‘डेयर टू ड्रीम 2.0’ (Dare to Dream 2.0) का शुभारंभ किया। 

प्रमुख बिंदु:

  • भारतीय प्रधानमंत्री के ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’ के आह्वान के बाद देश में रक्षा एवं एयरोस्पेस प्रौद्योगिकियों में नवाचार हेतु व्यक्तियों एवं स्टार्टअप को बढ़ावा देने के लिये तथा उभरती हुई प्रौद्योगिकी को प्रोत्साहन देने के लिये इस योजना की शुरुआत की है।
  • ‘डेयर टू ड्रीम 2.0’ देश के इनोवेटर्स एवं स्टार्टअप्स को बढ़ावा देने के लिये एक नवाचार प्रतियोगिता है।
  • एक विशेषज्ञ समिति द्वारा मूल्यांकन के बाद विजेताओं का चयन किया जाएगा। पुरस्कार की धनराशि के रूप में विजेता स्टार्टअप को 10 लाख रुपए और व्यक्तिगत श्रेणी में 5 लाख रुपए तक दिये जाएंगे।
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