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प्रिलिम्स फैक्ट्स

  • 01 Sep, 2022
  • 23 min read
प्रारंभिक परीक्षा

भारतीय नौसेना ध्वज

हाल ही में प्रधानमंत्री ने भारत के पहले विमानवाहक पोत INS विक्रांत के प्रक्षेपण को चिह्नित करने हेतु कोच्चि में भारतीय नौसेना के नए पताका/ध्वज का अनावरण किया।

ध्वज़/पताका (Ensign)

  • परिचय:
    • पताका राष्ट्रीय ध्वज है जो जहाज़ों और विमानों पर प्रायः सशस्त्र बलों की शाखा या इकाई के विशेष प्रतीक चिन्ह के साथ प्रदर्शित होता है।
  • भारतीय नौसेना का वर्तमान ध्वज:
    • वर्तमान ध्वज के ऊपरी बाएँ कोने (कैंटन) में तिरंगे के साथ सेंट जॉर्ज क्रॉस मौजूद है।

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ध्वज बदलने की आवश्यकता:

  • लंबे समय से लंबित मांग:
    • नौसेना के ध्वज में बदलाव की लंबे समय से मांग चल रही थी।
      • परिवर्तन के लिये मूल सुझाव वाइस एडमिरल वी.ई.सी. बारबोज़ा ने दिया था जो नौसेना से फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ पश्चिमी नौसेना कमान के रूप में सेवानिवृत्त हुए थे।
  • औपनिवेशिक अतीत को बदलना:
    • वर्तमान ध्वज अनिवार्य रूप से भारतीय नौसेना के स्वतंत्रता पूर्व ध्वज का उत्तराधिकारी है, जिसके ऊपरी बाएँ कोने पर यूनाइटेड किंगडम के यूनियन जैक के साथ सफेद पृष्ठभूमि पर रेड जॉर्ज क्रॉस था।
    • स्वतंत्रता के बाद 15 अगस्त, 1947 को भारतीय रक्षा बलों ने ब्रिटिश औपनिवेशिक झंडे और बैज को जारी रखा तथा 26 जनवरी, 1950 को इसके स्वरूप/डिज़ाइन में बदलाव किया गया।
    • नौसेना के शिखा और ध्वज को बदल दिया गया था, लेकिन ध्वज में एकमात्र अंतर यह था कि यूनियन जैक चिह्न को तिरंगे से प्रतिस्थापित कर दिया गया और रेड जॉर्ज क्रॉस को जारी रखा गया।

नौसेना के ध्वज में किये गए परिवर्तन:

  • नौसेना के ध्वज में परिवर्तन वर्ष 2001 में किया गया था जब रेड जॉर्ज क्रॉस को सफेद ध्वज के मध्य में नौसेना शिखा से बदल दिया गया था, जबकि शीर्ष में बाँए कोने पर तिरंगे का स्थान बरकरार रखा गया।
  • इसके अलावा वर्ष 2004 में ध्वज को फिर से रेड जॉर्ज क्रॉस में बदल दिया गया था क्योंकि नए ध्वज में नौसेना के शिखर का नीला रंग आकाश और समुद्र दोनों की तरह प्रतीत हो रहा था।
    • ध्वज में एक नया परिवर्तन किया गया और रेड जॉर्ज क्रॉस के बीच में अब अशोक स्तंभ के सिंह को प्रतीक चिह्न के रूप में शामिल किया गया।
  • वर्ष 2014 में एक और बदलाव किया गया, जब देवनागरी लिपि में अशोक स्तंभ के नीचे ध्वज पर 'सत्यमेव जयते' शब्द को अंकित किया गया।

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सेंट जॉर्ज क्रॉस:

  • परिचय:
    • एक सफेद पृष्ठभूमि पर रेड क्रॉस को सेंट जॉर्ज क्रॉस के रूप में प्रदर्शित किया  जाता है, इसका नाम एक ईसाई योद्धा के नाम पर रखा गया है, जो ईसाईयों के तृतीय धर्मयुद्ध में शामिल एक वीर  योद्धा था।
    • यह  क्रॉस इंग्लैंड के ध्वज के रूप में भी कार्य करता है जो यूनाइटेड किंगडम का एक घटक है।
      • इसे इंग्लैंड और लंदन शहर ने वर्ष 1190 में भूमध्य सागर में प्रवेश करने वाले अंग्रेजी जहाज़ों की पहचान करने के लिये अपनाया था।
      • अधिकांश राष्ट्रमंडल देशों ने अपनी स्वतंत्रता के समय रेड जॉर्ज क्रॉस को बरकरार रखा है, हालाँकि कई देशों ने वर्षों से अपने संबंधित नौसैनिकों पर रेड जॉर्ज क्रॉस को हटा दिया है।
        • उनमें से प्रमुख हैं ऑस्ट्रेलिया, न्यूज़ीलैंड और कनाडा।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस


प्रारंभिक परीक्षा

अंतर्राष्ट्रीय व्हेल शार्क दिवस

हाल ही में दिल्ली स्थित गैर-लाभकारी ‘वाइल्डलाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया’' (Wildlife Trust of India-WTI) ने कर्नाटक, केरल और लक्षद्वीप के साथ मिलकर मंगलौर में 'व्हेल शार्क बचाव अभियान’ (Save the Whale Shark Campaign) की शुरूआत की है।

  • 30 अगस्त, 2022 को अंतर्राष्ट्रीय व्हेल शार्क दिवस के रूप मनाया गया, इस वर्ष का विषय "शार्क का भविष्य: हमारे समुद्र के संरक्षक" (The Future of Sharks: Guardians of Our Seas) है।

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व्हेल शार्क बचाव अभियान:

  • इस अभियान को कर्नाटक, केरल के वन और मत्स्य विभाग एवं लक्षद्वीप प्रशासन के सहयोग से तटीय कर्नाटक, केरल और लक्षद्वीप में संचालित किया जाएगा।
    • इसके अलावा इस अभियान का उद्देश्य मछली पकड़ने के जाल में व्हेल शार्क के फँसने एवं इससे होने वाली मौतों की घटना में कमी लाना और मछुआरों को व्हेल शार्क के बचाव हेतु जागरूक करना है।
    • इसी क्रम में व्हेल शार्क की पहचान और बचाव को रिकॉर्ड करने के लिये एक मोबाइल एप्लीकेशन का विकास किया गया है।

 व्हेल शार्क से संबंधित प्रमुख बिंदु:

  • परिचय:
    • व्हेल शार्क (राइनकोडोन टाइपस) पृथ्वी पर सबसे बड़ी मछली है और समुद्री पारिस्थितिक तंत्र में कीस्टोन प्रजाति है।
      • इसकी अधिकतम लंबाई लगभग 18 मीटर और वज़न 21 टन तक हो सकता है।
    • ये ओवोविविपेरस होती हैं, जिसका अर्थ है कि ये अंडे देने के बजाय बच्चों को जन्म देती हैं जो लगभग 10 वर्ष की उम्र में परिपक्वता स्थिति में पहुँचते हैं।
  • प्राकृतिक आवास:
    • व्हेल शार्क विश्व के सभी उष्णकटिबंधीय महासागरों में पाई जाती हैं, जो मछली, स्क्विड और अन्य छोटे जीवों को खाती हैं।
    • भारत:
      • व्हेल शार्क भारतीय तट पर समग्र रूप में पाई जाती है।
      • हालाँकि इन प्रजातियों की सबसे बड़ी संख्या गुजरात के तट पर देखी जा सकती है।
      • अन्य क्षेत्र:
        • WTI ने अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (International Union for Conservation of Nature- IUCN) के समर्थन से वर्ष 2012-13 के दौरान पश्चिमी तट (गुजरात को छोड़कर) पर एक सर्वेक्षण किया और पाया कि व्हेल शार्क की सबसे अधिक संख्या (गुजरात तट के बाद) लक्षद्वीप समुद्री तटों के पास देखी गई।
          • इसके अलावा व्हेल शार्क के तटों पर बहकर आने और जाल में फँसे होने की सूचना बड़े पैमाने पर केरल से प्राप्त होती है।
    • संरक्षण की स्थिति:
    • खतरे के प्रमुख कारण:
      • मछुआरों का जाल:
        • इनके लिये मुख्य खतरा मछली पकड़ने के जाल में फँस जाना है।
        • अधिकांश मछुआरे जानते हैं कि उनके जाल में व्हेल शार्क फँस सकती हैं।
        • इसके बावजूद वे ग्रूपर, छोटी समुद्री मछलियों और झींगा आदि पकड़ने के लिये इन जालों का उपयोग करते हैं।
      • समुद्र में प्लास्टिक का बढ़ता स्तर:
        • महासागरों में प्लास्टिक कचरे का बढ़ता स्तर बड़े पैमाने पर पर्यावरणीय समस्या है।
          • यह ‘फिल्टर फीडिंग मेगाफौना’ अपनी खाद्य रणनीतियों के कारण विशेष रूप से अतिसंवेदनशील है।
    • संरक्षण:
      • इनकी मृत्यु दर पर अंकुश लगाने के लिये बिना किसी देरी के मछली पकड़ने के जाल में उलझी व्हेल शार्क की निकालना सुनिश्चित करना है।
        • इसके लिये प्राथमिक लक्ष्य समूह जो कि मछुआरे हैं, को व्हेल शार्क के प्रति संवेदनशील बनाने की ज़रूरत है।
    • पहल:
      • WTI पिछले 20 वर्षों से गुजरात में एक परियोजना चला रहा है जिसके तहत मछुआरों ने अरब सागर में 852 व्हेल शार्क को छोड़ा है।
      • लक्ष्य:
        • इस परियोजना का मुख्य लक्ष्य व्हेल शार्क को स्वैच्छिक रूप से छोड़कर मछली पकड़ने के जाल से होने वाली मौतों को कम करना तथा उन्मूलन करना है।
        • यह पहल दो राज्यों और लक्षद्वीप द्वीप के साथ समुद्री मछुआरों को लक्षित करती है।

IUCN हरित स्थिति मूल्यांकन (Green Status Assessment)

  • IUCN हरित स्थिति मूल्यांकन, प्रजातियों को नौ प्रजातियों की पुनर्प्राप्त श्रेणियों में वर्गीकृत (Species Recovery Categories) करता है जो यह दर्शाता है कि किस हद तक प्रजातियाँ उनके ऐतिहासिक जनसंख्या स्तरों की तुलना में विलुप्त या पुनर्प्राप्त की गई हैं।
    • प्रत्येक हरित स्थिति मूल्यांकन प्रजाति पर पिछले संरक्षण प्रभाव को मापता है, जो प्रजाति के निरंतर संरक्षण पर निर्भर करता है कि अगले दस वर्षों में संरक्षण कार्रवाई से किसी प्रजाति को कितना लाभ होगा और अगली शताब्दी में  इसमें कितना सुधार होने की संभावना है।

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UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न:

प्रश्न: निम्नलिखित में से कौन अंडे देता है और सीधे बच्चे पैदा नहीं करता है? (2008)

(a) एकिडना
(b) कंगारू
(c) साही
(d) व्हेल

उत्तर: a

व्याख्या:

  • कभी-कभी स्पाइनी थिएटर के रूप में जाना जाने वाला एकिडना प्राणी अंडे देने वाले स्तनधारियों के मोनोट्रीम क्रम में टैचीग्लोसिडे परिवार से संबंधित है।
  • एकिडना प्राणी और प्लैटिपस की चार मौजूदा प्रजातियाँ एकमात्र जीवित स्तनधारी हैं जो अंडे देती हैं एवं मोनोट्रेमाटा क्रम की एकमात्र जीवित सदस्य हैं।
  • एकिडना प्राणी 20 से 50 मिलियन वर्ष पहले विकसित हुआ था, जो प्लैटिपस जैसे मोनोट्रेम से संबंधित था, यह जलीय जीव थे लेकिन भूमि पर जीवन के लिये भी अनुकूलित था। अतः विकल्प (a) सही है।

स्रोत: डाउन टू अर्थ


प्रारंभिक परीक्षा

साइबर सुरक्षा अभ्यास

हाल ही में कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम - इंडिया (CERT-In) ने ‘इंटरनेशनल काउंटर रैनसमवेयर इनिशिएटिवके हिस्से के रूप में 13 देशों के साथ साइबर सुरक्षा अभ्यास "सिनर्जी" को सफलतापूर्वक डिज़ाइन और संचालित किया।

  • यह अभ्यास ‘इंटरनेशनल काउंटर रैनसमवेयर इनिशिएटिव- रेजिलिएशन वर्किंग ग्रुप’ के हिस्से के रूप में आयोजित किया गया था, जिसका नेतृत्व राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय (NSCS) के नेतृत्त्व में भारत कर रहा है।

CERT-In:

  • कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम - इंडिया (CERT-In), भारतीय साइबर क्षेत्र को सुरक्षित करने के उद्देश्य से इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय का संगठन है।
  • यह एक नोडल एजेंसी है जिसका कार्य हैकिंग और फ़िशिंग जैसे साइबर सुरक्षा खतरों से निपटना है।
  • यह संगठन साइबर घटनाओं पर जानकारी को एकत्र करने, उसका विश्लेषण और प्रसार करता है, साथ ही साइबर सुरक्षा घटनाओं पर अलर्ट भी जारी करता है।
  • CERT-In घटना निवारण और प्रतिक्रिया सेवाओं के साथ-साथ सुरक्षा गुणवत्ता प्रबंधन सेवाएँ भी प्रदान करता है।

सिनर्जी:

  • परिचय:
    • सिनर्जी एक साइबर सुरक्षा अभ्यास है, जिसे CERT-In द्वारा सिंगापुर की साइबर सुरक्षा एजेंसी (CSA) के सहयोग से सफलतापूर्वक डिज़ाइन और संचालित किया गया है।
    • यह अभ्यास परिदृश्य वास्तविक जीवन की साइबर घटनाओं से लिया गया था, जिसमें घरेलू स्तर की (सीमित प्रभाव वाली) रैनसमवेयर की एक घटना जटिल होकर वैश्विक साइबर सुरक्षा संकट का रूप ले लेती है।
    • प्रत्येक राज्य ने एक राष्ट्रीय संकट प्रबंधन टीम के रूप में भाग लिया, जिसमें राष्ट्रीय सीईआरटी/सीएसआईआरटी, कानून प्रवर्तन एजेंसियों (एलईए), संचार तथा आईटी/आईसीटी मंत्रालय और सुरक्षा एजेंसियों सहित विभिन्न सरकारी एजेंसियों के लोग शामिल थे।
  • उद्देश्य:
    • रैनसमवेयर और जबरन वसूली के उद्देश्य से किये गए साइबर हमलों के खिलाफ सुदृढ़ नेटवर्क बनाने हेतु सदस्य-देशों के बीच विभिन्न रणनीतियों एवं कार्यप्रणालियों का आकलन व आदान - प्रदान करना और उन्हें बेहतर बनाना था।
  • थीम:
    • “रैनसमवेयर हमलों से निपटने के लिये सुदृढ़ नेटवर्क बनाना"

रैंसमवेयर:

  • रैंसमवेयर एक मैलवेयर है जिसे किसी उपयोगकर्ता या संगठन को उनके कंप्यूटर पर फ़ाइलों तक पहुंच से वंचित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
  • इन फाइलों को एन्क्रिप्ट करके और डिक्रिप्शन कुंजी के लिये फिरौती भुगतान की मांग करके, साइबर हमलावर संगठनों को ऐसी स्थिति में रखते हैं जहाँ फिरौती का भुगतान करना उनकी फ़ाइलों तक पहुँच हासिल करने का सबसे आसान और सस्ता तरीका है।
  • रैंसमवेयर पीड़ितों को फिरौती का भुगतान करने के लिये मजबूर करने हेतु कुछ वेरिएंट ने अतिरिक्त कार्यक्षमता को जोड़ा है - जैसे कि डेटा चोरी ।

 साइबर सुरक्षा के लिये सरकार की पहल:

स्रोत: पी.आई.बी.


विविध

Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 01-सितंबर, 2022

अभिजीत सेन 

भारत के प्रसिद्ध अर्थशास्त्री और योजना आयोग के पूर्व सदस्य अभिजीत सेन का 29 अगस्त, 2022 को 72 वर्ष की आयु में निधन हो गया। अभिजीत सेन का जन्म नई दिल्ली में रहने वाले एक बंगाली परिवार में हुआ था। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंट स्टीफंस कॉलेज से भौतिकी में स्नातक किया और वर्ष 1981 में उन्होंने कैंब्रिज विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में पीएचडी की, यहाँ वे ट्रिनिटी हॉल के सदस्य भी रहे। ग्रामीण अर्थव्यवस्था में सुधार लाने के लिये उन्होंने कई महत्त्वपूर्ण काम किये। वर्ष 1997 में भारत सरकार द्वारा उन्हें ‘कृषि लागत और मूल्य आयोग’ का अध्यक्ष नियुक्त किया गया। उन्होंने कृषि वस्तुओं के लिये न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की सिफारिश की थी। वर्ष 2014 में उन्हें सरकार ने ‘दीर्घकालिक अनाज नीति पर विशेषज्ञों की उच्च-स्तरीय समिति’ का अध्यक्ष बनाया। सेन कई वैश्विक अनुसंधान और बहुपक्षीय संगठनों जैसे संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP), एशियाई विकास बैंक, संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (FAO), कृषि विकास के लिये अंतर्राष्ट्रीय कोष और ओईसीडी विकास केंद्र से भी जुड़े रहे हैं। वर्ष 2010 में उन्हें सार्वजनिक सेवा के लिये पद्म भूषण से सम्मानित किया गया।

‘विश्व नारियल दिवस 

नारियल विकास बोर्ड (Coconut Development Board- CDB) 2 सितंबर, 2022 को 24वाँ विश्व नारियल दिवस पर समारोह आयोजित कर रहा है। इस वर्ष का मुख्य विषय है- ‘खुशहाल भविष्य और जीवन के लिये नारियल की खेती करें’ (Growing Coconut for a Better Future and Life)। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री इस समारोह का उद्घाटन जूनागढ़ (गुजरात) में करेंगे। इस दौरान कृषि मंत्री बहुमाली भवन, जूनागढ़ में बोर्ड के ‘राज्य स्तरीय केंद्र’ का लोकार्पण करेंगे और बोर्ड के राष्ट्रीय पुरस्कारों एवं निर्यात उत्कृष्टतता पुरस्कारों के विजेताओं की घोषणा करेंगे। साथ ही वे किसानों को संबोधित करेंगे। इस कार्यक्रम के बाद जूनागढ़ कृषि विश्वविद्यालय में नारियल की अच्छी कृषि पद्धतियाँ और विपणन विषयक तकनीकी सत्र भी आयोजित होंगे। जूनागढ़ के कार्यक्रम में लगभग एक हज़ार नारियल-किसान और विभिन्न समूहों के पदाधिकारी भाग लेंगे। एशिया प्रशांत क्षेत्र के सभी नारियल उत्पाादक देश ‘अंतर्राष्ट्रीय नारियल समुदाय’ (International Coconut Community-ICC) के स्थाापना दिवस अर्थात् 2 सितंबर को प्रत्येक वर्ष विश्व नारियल दिवस के रूप  मनाते हैं। ICC एक अंतर-शासकीय संगठन है। नारियल दिवस मनाने का उद्देश्य नारियल उत्पादन के प्रति जागरूकता बढ़ाना और उसके महत्त्व को उजागर करना तथा इसके संदर्भ में राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ध्यान आकर्षित करना है।

मुख्यमंत्री उदयमान खिलाड़ी उन्नयन योजना 

उत्तराखंड में मुख्यमंत्री पुष्कर धामी के द्वारा देहरादून में 29 अगस्त, 2022 को राष्ट्रीय खेल दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री उदीयमान खिलाड़ी उन्नयन योजना का शुभारंभ किया है। इस योजना के तहत 8 से लेकर 14 वर्ष के उभरते हुए खिलाड़ियों को प्रतिमाह 1500 रुपए की खेल छात्रवृत्ति दी जाएगी। छात्रवृत्ति देने के लिये प्रदेश में 3900 प्रतिभावान छात्रों का चयन हुआ है। जिसमें प्रदेश के प्रत्येक ज़िले से 150 बालक एवं 150 बालिकाओं को चयनित करके शामिल किया गया है। अर्थात् इस योजना के तहत सरकार प्रत्येक वर्ष खेल प्रतिभा को बढ़ावा देने के लिये 1950 बालक एवं 1950 बालिकाओं को खेल छात्रवृत्ति देकर प्रोत्साहित करेगी। इसके अलावा प्रदेश में खेल प्रशिक्षकों की कमी को देखते हुए प्रत्येक ज़िले में आठ खेल प्रशिक्षकों की नियुक्ति भी की जाएगी। खिलाड़ियों को आर्थिक लाभ देने के लिये मुख्यमंत्री खेल विकास कोष की स्थापना की जाएगी। साथ ही खिलाड़ियों को चोट लगने पर दुर्घटना बीमा या वित्तीय सहायता प्रदान करने का भी प्रावधान किया गया है। दूसरी तरफ प्रतियोगिताओं में भाग लेने हेतु खिलाड़ियों को यात्रा सुविधा प्रदान करने का भी निर्णय लिया गया है। उत्तराखंड सरकार ने नवंबर 2021 में राज्य की नई खेल नीति को पारित किया था। इस नीति के तहत खिलाड़ियों की प्रतिभा को बढ़ावा देने हेतु 5 वर्ष, 10 वर्ष और 15 वर्ष के आधार पर कार्य योजना तैयार करने का प्रावधान है। साथ ही राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भाग लेने वाले खिलाड़ियों को उच्च स्तरीय प्रशिक्षण देने की भी व्यवस्था की गई है।


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