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डेली न्यूज़

  • 30 Jan, 2019
  • 50 min read
अंतर्राष्ट्रीय संबंध

दक्षिण अफ्रीकी राष्ट्रपति का भारत दौरा

चर्चा में क्यों?


हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निमंत्रण पर दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति महामहिम सिरिल रामाफोसा भारत के दो दिवसीय दौरे पर आए।


महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • दक्षिण अफ्रीकी राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा को 26 जनवरी, 2019 को गणतंत्र दिवस के अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया था।
  • राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा के साथ इस दौरे में उनकी पत्नी फर्स्ट लेडी डॉ. शेपो मोटसेपे, नौ मंत्रियों का एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल, उनकी सरकार के वरिष्ठ अधिकारी और 50 सदस्यों वाला व्यापार प्रतिनिधिमंडल भी शामिल हुआ।
  • राष्ट्राध्यक्ष के रूप में राष्ट्रपति रामाफोसा का यह पहला भारत दौरा है। राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला के बाद वे ऐसे दूसरे राष्ट्रपति हैं जो भारत के गणतंत्र दिवस पर मुख्य अतिथि बने।

कार्यक्रम

  • प्रधानमंत्री मोदी के साथ राष्ट्रपति रामाफोसा ने 25 जनवरी, 2019 को भारत-दक्षिण अफ्रीका व्यापार मंच को संबोधित किया, जिसका उद्देश्य दोनों देशों के बीच व्यापार संबंधों को बढ़ाना था।
  • दक्षिण अफ्रीकी राष्ट्रपति ने IBSA मंच (India-South Africa Business Forum) की 15वीं वर्षगाँठ के अवसर पर IBSA की रूपरेखा के तहत भारतीय विश्व कार्यक्रम परिषद (Indian Council of World Affairs) द्वारा आयोजित ‘गांधी-मंडेला स्वतंत्रता व्याख्यान’ (Gandhi-Mandela Freedom Lecture) को भी संबोधित किया।

भारत-दक्षिण अफ्रीका संबंध

  • राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा और नरेंद्र मोदी के बीच हुई वार्ता में कई महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग बढ़ाने पर सहमति बनी। इसके तहत रक्षा, समुद्री सुरक्षा, व्यापार और निवेश संबंधी कुछ समझौतों पर हस्ताक्षर किये गए।
  • भारत, दक्षिण अफ्रीका के शीर्ष पाँच व्यापारिक साझेदारों में से एक है। दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार 2017-18 के 9.38 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 2018-19 में 10.65 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया है।
  • दोनों देशों के बीच व्यावसायिक प्रशिक्षण, क्षमता निर्माण आदि के क्षेत्रों में घनिष्ठ सहयोग है। दोनों देश वैश्विक मुद्दों पर समान दृष्टिकोण साझा करते हैं और विभिन्न बहुपक्षीय मंचों UN, BRICS, G-20, कॉमन वेल्थ, IORA और IBSA में सहयोग करते हैं।

पृष्ठभूमि

  • भारत-दक्षिण अफ्रीका के बीच 1997 से ही एक करीबी और बहुमुखी रणनीतिक साझेदारी रही है, जो ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और आर्थिक संबंधों से जुड़ी हुई है।
  • हाल के दिनों में कई उच्च स्तरीय दौरों का आदान-प्रदान किया गया है, जिनमें जोहान्सबर्ग में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के लिये प्रधानमंत्री का दौरा भी शामिल है।
  • लगभग 1.5 मिलियन भारतीय मूल के लोग दक्षिण अफ्रीका में रहते हैं और वे दोनों देशों के बीच एक चिरस्थायी कड़ी बने हुए हैं। 150 से अधिक भारतीय कंपनियों ने दक्षिण अफ्रीका में निवेश किया है तथा 20,000 से अधिक स्थानीय लोगों को रोज़गार दिया है।

स्रोत – विदेश मंत्रालय की आधिकारिक वेबसाइट


विविध

करप्शन परसेप्शन इंडेक्स-2018

चर्चा में क्यों?


हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय गैर-सरकारी संगठन ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल (Transparency International) ने करप्शन परसेप्शन इंडेक्स-2018/ भ्रष्टाचार बोध सूचकांक (Corruption Perception Index -2018) जारी किया है।

सूचकांक में भारत की स्थिति

  • इस सूचकांक के अनुसार, भ्रष्टाचार के क्षेत्र में भारत की स्थिति में सुधार हुआ है, लेकिन अभी भी काफी कुछ किया जाना शेष है।
  • ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल द्वारा जारी इस सूचकांक के अनुसार, भारत भ्रष्टाचार के मामले में 180 देशों की सूची में 78वें स्थान पर है। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2017 में भारत इस सूचकांक में 81वें स्‍थान पर था।
  • इस बार भारत को इस सूचकांक के अंतर्गत 41 अंक प्राप्त हुए हैं, जबकि वर्ष 2017 और 2016 में भारत को 40 अंक प्राप्त हुए थे तथा 2015 में भारत को 38 अंक प्राप्त हुए थे।

भारत के पड़ोसी देशों की स्थिति

  • चीन 39 अंकों के साथ 87वें स्‍थान पर।
  • श्रीलंका और इंडोनेशिया 38 अंकों के साथ 89वें स्‍थान पर।
  • पाकिस्‍तान 33 अंकों के साथ 117वें स्‍थान पर।
  • मालदीव और नेपाल 31 अंकों के साथ 124वें स्‍थान पर।
  • भूटान 68 अंकों के साथ 25वें स्थान पर।
  • म्‍याँमार 29 अंकों के साथ 132वें स्‍थान पर।
  • बांग्लादेश 26 अंकों के साथ 149वें स्‍थान पर।
  • अफगानिस्‍तान 16 अंकों के साथ 172वें स्‍थान पर।

वैश्विक परिदृश्य

  • डेनमार्क 88 अंकों के साथ इस सूचकांक में पहले स्थान पर है, जबकि सोमालिया 10 अंकों के साथ दुनिया का सबसे भ्रष्ट देश है।
  • इस वर्ष के CPI में दो-तिहाई से अधिक देशों का स्कोर औसतन 43 से कम है।

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  • पिछले सात वर्षों में केवल 20 देशों ने अपने CPI स्कोर में काफी सुधार किया है, जिनमें एस्टोनिया (Estonia), सेनेगल (Senegal), गुयाना (Guyana) और कोट डी'वायर (Côte D’Ivoire) शामिल हैं।
  • 71 अंकों के साथ, संयुक्त राज्य अमेरिका 2011 के बाद पहली बार CPI के शीर्ष 20 देशों से बाहर हो गया।
  • इसके साथ ही 16 देशों का CPI स्कोर इन्हीं 7 वर्षों के दौरान काफी कम हुआ है जिसमें ऑस्ट्रेलिया, चिली, माल्टा, हंगरी और तुर्की आदि देश शामिल हैं।
  • रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया भर में ऐसे नेताओं द्वारा सत्ता हासिल की जा रही है जो लोकलुभावन वादों के लिये मंचों का उपयोग करते है, ऐसे नेता लोकतंत्र को कमज़ोर करते हैं। भ्रष्टाचार की उच्च दर ऐसे उम्मीदवारों के समर्थन को बढ़ाने में मदद कर सकती है। पूरी दुनिया में इस तरह के 40% नेताओं पर भी भ्रष्टाचार के आरोप भी हैं।
  • पश्चिमी यूरोप और यूरोपीय संघ इस सूचकांक के तहत उच्चतम अंक प्राप्त करने वाला क्षेत्र है। इस क्षेत्र के कुल औसत अंक 66 हैं।

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  • उप-सहारा अफ्रीका इस सूचकांक के अंतर्गत निम्नतम अंक प्राप्त करने वाला क्षेत्र है। इस क्षेत्र के कुल औसत अंक 32 हैं।

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भ्रष्टाचार को रोकने के लिये सुझाव

  • संस्थानों को सशक्त किया जाना चाहिये, साथ ही जाँच और संतुलन को बनाए रखना चाहिये।
  • भ्रष्टाचार विरोधी कानून बनाने उन्हें व्यवहार में लाने और उनके प्रवर्तन के बीच के अंतराल को कम किया जाना चाहिये।
  • नागरिकों को अभिव्यक्ति और सरकारों की जवाबदेही तय करने का अधिकार दिया जाना चाहिये।
  • प्रेस की स्वतंत्रता की रक्षा की जाए ताकि भ्रष्टाचार के खिलाफ रिपोर्टिंग करने वाले किसी भी पत्रकार के जीवन को खतरा ना हो।
सूचकांक के बारे में
  • 1995 में अपनी स्थापना के बाद से करप्शन परसेप्शन इंडेक्स, सार्वजनिक क्षेत्र के भ्रष्टाचार का प्रमुख वैश्विक संकेतक बन गया है। सूचकांक दुनिया भर के देशों और क्षेत्रों की रैंकिंग के आधार पर भ्रष्टाचार के सापेक्ष एक वार्षिक रिपोर्ट प्रदान करता है।
  • वर्तमान में इसके तहत 180 देशों की रैंकिंग की जाती है। रैंकिंग के लिये इस सूचकांक में 0 से 100 के पैमाने का उपयोग किया जाता है, जहाँ शून्य अत्यधिक भ्रष्ट स्थिति को दर्शाता है वहीं, 100 ऐसे देश को दर्शाता है जहाँ भ्रष्टाचार नहीं है।
  • इस सूचकांक के तहत आकलन 13 अलग-अलग डेटा स्रोतों का उपयोग करके किया जाता है।

ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल

  • 1993 में कुछ व्यक्तियों ने भ्रष्टाचार के खिलाफ कदम उठाने का फैसला किया और ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल की स्थापना की।
  • वर्तमान में यह 100 से अधिक देशों में मौजूद है।
  • इसका सचिवालय बर्लिन (जर्मनी की राजधानी) में है।

स्रोत : ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल वेबसाइट


जैव विविधता और पर्यावरण

बाघ संरक्षण पर अंतर्राष्ट्रीय समीक्षा सम्मेलन

चर्चा में क्यों?


28-29 जनवरी, 2019 को नई दिल्ली में बाघ संरक्षण पर अंतर्राष्ट्रीय समीक्षा सम्मेलन (International Stock Taking Conference on Tiger Conservation) का आयोजन किया गया। उल्लेखनीय है कि बाघ संरक्षण पर यह तीसरा अंतर्राष्ट्रीय समीक्षा सम्मेलन था।

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महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • 2012 के बाद भारत में आयोजित होने वाला यह दूसरा समीक्षा सम्मेलन था।
  • तीसरे समीक्षा सम्मेलन में बाघ रेंज के 13 देशों द्वारा वैश्विक बाघ पुनः प्राप्ति कार्यक्रम (Global Tiger Recovery Program-GTRP) की स्थिति और वन्य जीव तस्करी से निपटने जैसे विषयों पर चर्चा की गई।
  • सम्मेलन का आयोजन राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (National Tiger Conservation Authority), पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (Ministry of Environment, Forest and Climate Change) द्वारा ग्लोबल टाइगर फोरम (Global Tiger Forum) जो दुनिया में बाघों के संरक्षण के लिये एक अंतर्राष्ट्रीय, अंतर सरकारी संगठन है, के सहयोग से किया गया ।

भारत में बाघों की अनुमानित संख्या

  • सरकार द्वारा बाघ संरक्षण के लिये किये जा रहे प्रयासों के परिणामस्वरूप बाघों की संख्या में वृद्धि हुई है। राष्ट्रीय स्तर पर हर चार वर्ष बाद आधुनिक तरीकों से बाघों की संख्या की गिनती की जाती है।
  • बाघ रेंज के देशों ने 2010 में सेंट पीटर्सबर्ग में घोषणा के दौरान 2022 तक अपनी-अपनी रेंज में बाघों की संख्या दोगुनी करने का संकल्प व्यक्त किया था।
  • सेंट पीटर्सबर्ग चर्चा के समय भारत में 1411 बाघ होने का अनुमान था जो कि अखिल भारतीय बाघ अनुमान 2014 के तीसरे चक्र के बाद दोगुना होकर 2226 हो गया है।
  • वर्तमान में अखिल भारतीय बाघ अनुमान 2018 (All India Tiger Estimation) का चौथा चक्र जारी है।

बाघ संरक्षण के लिये भारत सरकार के प्रयास


कानूनी उपाय

  • वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 में संशोधन किया गया ताकि राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण और बाघ एवं अन्य लुप्तप्राय प्रजाति अपराध नियंत्रण ब्यूरो (वन्य जीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो) का गठन किया जा सके।
  • बाघ आरक्षित वन क्षेत्र या बाघों की अधिक संख्या वाले क्षेत्र से संबंधित अपराधों के मामले में सजा में बढ़ोत्तरी की गई।

प्रोजेक्ट टाइगर (Project Tiger)

  • भारत सरकार ने 1973 में राष्ट्रीय पशु बाघ को संरक्षित करने के लिये 'प्रोजेक्ट टाइगर' लॉन्च किया।
  • 'प्रोजेक्ट टाइगर' पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की एक सतत केंद्र प्रायोजित योजना है जो नामित बाघ राज्यों में बाघ संरक्षण के लिये केंद्रीय सहायता प्रदान करती है।

ट्रैफिक-इंडिया के सहयोग से एक ऑनलाइन बाघ अपराध डाटा बेस की शुरुआत की गई है और बाघ आरक्षित क्षेत्रों के लिये सुरक्षा योजना बनाने के लिये दिशा-निर्देश तैयार किये गए हैं।

बाघों का पुनर्वास

  • सक्रिय प्रबंधन के अंतर्गत सरिस्का और पन्ना बाघ आरक्षित वन क्षेत्रों में, जहाँ स्थानीय रूप से बाघ लुप्त हो चुके थे, बाघ और बाघिनों के जोड़ों को वहाँ फिर से बसाया गया है।
  • जिन बाघ आरक्षित वन क्षेत्रों में बाघों और शिकार किये जाने वाले अन्य जीवों की संख्या कम है वहाँ सक्रिय प्रबंधन के ज़रिये उनकी संख्या बढ़ाने के संबंध में विशेष परामर्श और निर्देश जारी किये गए हैं।

अंतर्राष्ट्रीय सहयोग

  • चीन के साथ बाघ संरक्षण से संबंधित एक समझौते के अलावा सीमापार से वन्य जीवों के गैरकानूनी व्यापार को रोकने और वन्य जीव संरक्षण के लिये भारत ने नेपाल के साथ भी आपसी समझौते पर हस्ताक्षर किये हैं।
  • सुंदरवन के रायल बंगाल टाइगर के संरक्षण के लिये बांग्लादेश के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किये गए हैं।
  • बाघ/चीता संरक्षण के संबंध में रूसी संघ के साथ सहयोग के लिये एक उप-समूह बनाया गया है।

ग्लोबल टाइगर फोरम (Global Tiger Forum-GTF)

  • ग्लोबल टाइगर फोरम (GTF) बाघों की रक्षा के लिये इच्छुक देशों द्वारा स्थापित एकमात्र अंतर-सरकारी अंतरराष्ट्रीय निकाय है।
  • GTF दुनिया के 13 टाइगर रेंज के देशों में वितरित बाघों की शेष 5 उप प्रजातियों को बचाने पर केंद्रित है।
  • GTF का गठन 1993 में नई दिल्ली, भारत में बाघ संरक्षण पर आयोजित एक अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी की सिफारिशों पर किया गया था।
  • फोरम की स्थापना के लिये टाइगर रेंज के देशों की पहली बैठक 1994 में हुई थी, जिसमें भारत को अध्यक्ष चुना गया था और अंतरिम सचिवालय बनाने के लिये कहा गया था।
  • 1997 में, GTF एक स्वतंत्र संगठन बना।
  • इसका मुख्यालय नई दिल्ली में है।

राष्ट्रीय संरक्षण प्राधिकरण

  • राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के तहत एक वैधानिक निकाय (Statutory Body) है।
  • वर्ष 2006 में वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के प्रावधानों में संशोधन कर बाघ संरक्षण प्राधिकरण की स्थापना की गई। प्राधिकरण की पहली बैठक नवंबर 2006 में हुई थी।

स्रोत : पी.आई.बी


भारत-विश्व

वर्ष 2021 में पीसा (PISA) में भाग लेगा भारत

चर्चा में क्यों?


भारतीय छात्र पढ़ाई के मामले में दुनिया के अन्य देशों के छात्रों से पीछे नहीं हैं। यही दर्शाने के लिये केंद्र सरकार ने 2021 में आयोजित होने वाले अंतर्राष्ट्रीय छात्र मूल्यांकन कार्यक्रम (Program for International Student Assessment-PISA) में भाग लेने का फैसला लिया है। इसके लिये भारत सरकार और आर्थिक सहयोग एवं विकास संगठन (Organisation for Economic Cooperation and Development-OECD) के बीच समझौते पर हस्ताक्षर हुए हैं।

महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • आर्थिक सहयोग एवं विकास संगठन (OECD) वर्ष 2021 में अंतर्राष्ट्रीय छात्र मूल्यांकन कार्यक्रम (Program for International Student Assessment-PISA) का आयोजन करेगा।
  • इस कार्यक्रम में भारत की तरफ से केंद्रीय विद्यालय संगठन (Kendriya Vidyalaya Sangathan-KVS), नवोदय विद्यालय समिति (Navodaya Vidyalaya Samiti-NVS) द्वारा संचालित विद्यालय तथा केंद्रशासित क्षेत्र चंडीगढ़ के विद्यालय भाग लेंगे।
  • PISA के तहत मूल्यांकन के लिये किसी देश (बड़े देशों के मामले में विशिष्ट भौगौलिक क्षेत्र) के 15 साल की आयु के छात्रों को शामिल किया जाता है जो स्कूली शिक्षा के सभी रूपों अर्थात् सार्वजनिक, निजी, निजी-सहायता प्राप्त आदि का प्रतिनिधित्व करते हैं।
  • PISA सामग्री-आधारित मूल्यांकन के विपरीत एक सक्षमता आधारित मूल्यांकन है, जो यह मापता है कि छात्रों ने वे महत्त्वपूर्ण दक्षताएँ हासिल की हैं अथवा नहीं जो आधुनिक समाज में पूर्ण भागीदारी के लिये आवश्यक हैं।
  • यह भारतीय छात्रों के विवेक और उनकी ग्राह्यता का मार्गदर्शन कर उन्हें 21वीं सदी की वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिये तैयार करेगा।
  • केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (Central Board of Secondary Education-CBSE) और राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (National Council of Educational Research and Training-NCERT) वास्तविक परीक्षा की प्रक्रिया और उससे संबंधित गतिविधियों का हिस्सा होंगे।
  • वर्ष 2000 में आयोजित परीक्षण के पहले दौर के बाद से 44 मध्यम आय वाले देशों सहित 80 से अधिक देशों ने इस मूल्यांकन में भाग लिया है।
  • वर्ष 2021 में आयोजित होने वाले PISA हेतु पंजीकृत देशों की सूची में ब्राज़ील, चीन (शंघाई और बीजिंग जैसे कुछ क्षेत्र), तथा दक्षिण एशिया के थाईलैंड, इंडोनेशिया, मलेशिया और वियतनाम जैसे देश शामिल हैं।

अंतर्राष्ट्रीय छात्र मूल्यांकन कार्यक्रम (Program for International Student Assessment-PISA)

  • अंतर्राष्ट्रीय छात्र मूल्यांकन कार्यक्रम (PISA) का आयोजन पहली बार वर्ष 2000 में किया गया था। 
  • आर्थिक सहयोग एवं विकास संगठन (OECD) द्वारा समन्वित यह एक त्रैवार्षिक अंतर्राष्ट्रीय सर्वेक्षण है जिसमें दुनिया भर की शैक्षिक प्रणाली की गुणवत्ता का आकलन विज्ञान, गणित और पठन संबंधी क्षेत्रों में छात्रों का मूल्यांकन करके किया जाता है।
  • भारत में अधिकांश स्कूली परीक्षाओं के विपरीत, यह छात्र की स्मृति और पाठ्यचर्या आधारित ज्ञान का परीक्षण नहीं करता है। उदाहरण के लिये, PISA का विज्ञान परीक्षण तीन दक्षताओं को मापता है- वैज्ञानिक घटनाओं को समझने की क्षमता, डेटा एवं साक्ष्यों की वैज्ञानिक व्याख्या तथा वैज्ञानिक जिज्ञासाओं को डिज़ाइन और मूल्यांकन करने की क्षमता।

PISA और भारत

  • अब तक भारत ने PISA में केवल एक बार ही भाग लिया है। भारत ने 2009 के परीक्षण के "विस्तारित चक्र" में अपनी शुरुआत की, जिसमें हिमाचल प्रदेश और तमिलनाडु के 400 स्कूलों के 16,000 छात्रों ने भाग लिया। तब भारत को भाग लेने वाले 74 देशों में 72वें स्थान पर रखा गया था।

आलोचना

  • PISA के नतीजों ने भाग लेने वाले देशों में शिक्षा नीतियों को प्रभावित करना शुरू कर दिया है, शिक्षाविदों ने ऐसी रैंकिंग के प्रभाव पर चिंता व्यक्त की है। आलोचकों का मानना है कि PISA ने मानक परीक्षण के साथ एक स्थिर विचार में योगदान दिया है जो मात्रात्मक उपायों पर अत्यधिक निर्भर करता है।
  • अमेरिका के 'रेस टू द टॉप' कार्यक्रम को अक्सर इस संदर्भ में एक उदाहरण के रूप में उद्धृत किया जाता है क्योंकि यह छात्रों, शिक्षकों और प्रशासकों का मूल्यांकन करने के लिये मानकीकृत परीक्षण का उपयोग करता है।
  • इस त्रैवार्षिक सर्वेक्षण की भी कामचलाऊ उपायों को रोकने हेतु दीर्घकालिक और स्थायी समाधानों से ध्यान हटाने के लिये आलोचना की गई है। बाद में आलोचकों ने दावा किया कि देशों द्वारा अपनी रैंकिंग में सुधार के लिये इसे तेज़ी से अपनाया जा रहा है।
  • लेकिन OECD के अनुसार, ऐसा कोई साक्ष्य नहीं है कि PISA या किसी अन्य शैक्षिक तुलना ने अल्पकालिक सुधारों में बदलाव किया है बल्कि PISA ने नीति निर्माताओं और हितधारकों के लिये सीमा-पार सहयोग के अवसर पैदा किये हैं।

आर्थिक सहयोग एवं विकास संगठन (OECD)

oecd


स्थापना- 1961

मुख्यालय- पेरिस (फ्राँस)

सदस्य देशों की संख्या- 36


निष्कर्ष

  • PISA में भाग लेने से भारत को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपने छात्रों की शैक्षणिक क्षमता का पता चलेगा जिससे अपनी शिक्षा नीति को बेहतर बनाने में मदद मिलेगी साथ ही आधुनिक वैज्ञानिक युग में देश को अन्य देशों के साथ मुकाबला करने के लिये नवाचारी कार्यक्रमों के संचालन की प्रेरणा मिलेगी। PISA रैंकिंग में एशियाई देशों का हमेशा से वर्चस्व रहा है, अतः भले ही भारत का प्रदर्शन 2009 में संतोषजनक न रहा हो लेकिन भविष्य में भारत से बेहतर प्रदर्शन की आशा की जा सकती है।

स्रोत : पी.आई.बी


जैव विविधता और पर्यावरण

पहली बार बंधक हाथियों का सर्वेक्षण

चर्चा में क्यों?


हाल ही में वन और पर्यावरण मंत्रालय द्वारा देश में हाथियों का सर्वेक्षण कराया गया। इसमें स्वामित्व प्रमाणपत्र रहित/सहित दोनों को शामिल किया गया।


महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • भारत में पहली बार सर्वोच्च न्यायालय में दाखिल हलफनामे के अनुसार, बंदी हाथियों के सर्वेक्षण की रिपोर्ट प्रस्तुत की गई। इसके अनुसार सिर्फ केरल और असम में ही देश भर (2,454) के हाथियों की संख्या के आधे हैं, इनमें लगभग एक-तिहाई संख्या ऐसे हाथियों की है जो कानून द्वारा अनिवार्य किसी भी स्वामित्व प्रमाणपत्र के बिना निजी संरक्षण में तथा चिड़ियाघर, सर्कस और मंदिरों में हैं जो कि लगभग 207 हैं।
  • यह रिपोर्ट पर्यावरण और वन मंत्रालय (Ministry of Environment and Forests-MoEF) ने सर्वोच्च न्यायालय को सौंपी है जो खासकर केरल और असम में हाथियों की बढ़ती मौत तथा मानव-हाथी संघर्ष के चलते आई है।
  • कुछ दिन पहले न्यायालय ने वन्यजीव बचाव और पुनर्वास केंद्र द्वारा दायर एक रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए पर्यावरण और वन मंत्रालय (MoEF) को सभी बंदी हाथियों (स्वामित्व प्रमाणपत्र रहित/सहित) की पहचान करने का निर्देश दिया गया था।
  • हाल ही में जस्टिस ए. के. सीकरी और एस. अब्दुल नजीर की पीठ द्वारा राज्यों के मुख्य वन्यजीव प्रबंधकों को सभी बंदी हाथियों की उम्र का पता लगाने का निर्देश दिया गया है, इस मामले की सुनवाई 12 फरवरी को सुनिश्चित की गई है।

पर्यावरण और वन मंत्रालय (MoEF) की रिपोर्ट

  • हलफनामे में 28 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के आँकड़े शामिल किये गए हैं।
  • इसके अनुसार, बंदी 2,454 हाथियों में से 560 वन विभाग के संरक्षण में हैं और 1,687 हथियों को लोगों ने अपने पास रखा है।
  • हालाँकि, देश में कुल बंदी हाथियों में से 664 को मालिकाना हक के बिना रखा गया है, जबकि चिड़ियाघरों में 85, सर्कस में 26 और मंदिरों/धार्मिक संस्थानों में 96 हाथी हैं।
  • महाराष्ट्र (13 बंदी हाथी) ने वन विभाग के साथ अपने हाथियों की संख्या को हलफनामे में शामिल नहीं किया है।
  • इसमें 664 हाथियों के लिये कोई स्वामित्व प्रमाणपत्र नहीं है, या प्रमाणपत्र प्रक्रियाधीन हैं।
  • 469 में असम से (335) और केरल (134) में इनकी ऐसी संख्या है जिसके लिये मालिकों के पास प्रमाणपत्र नहीं है। असम में 752 और केरल में 479 ऐसे हाथी हैं जो निजी स्वामित्व में हैं।
  • पर्यावरण और वन मंत्रालय (MoEF) ने शीर्ष अदालत को बताया कि सभी बंदी हाथियों में से 58 प्रतिशत दो राज्यों में केंद्रित हैं - असम में 905 और केरल में 518।

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  • हलफनामे में बिहार द्वारा प्रस्तुत बंदी हाथियों के आँकड़ों में विसंगतियों को दर्शाया गया है जिनकी संख्या 66 है। सात ही पिछले दो सालों में 73 लोगों के खिलाफ निजी हिरासत में 59 हाथियों को रखने का आरोप सामने आया है।

स्रोत – इंडियन एक्सप्रेस


भारतीय अर्थव्यवस्था

काली मिर्च के मूल्य में गिरावट

चर्चा में क्यों?


हाल ही में दक्षिण भारत (केरल और कर्नाटक) में मौसम एवं जलवायु परिवर्तन के कारण काली मिर्च के कम उत्पादन तथा इसकी कीमत में भारी गिरावट दर्ज की गई। यह एक चिंता का विषय है क्योंकि काली मिर्च का सबसे ज़्यादा उत्पादन यहीं होता है।

मूल्य में गिरावट का कारण

  • केरल और कर्नाटक के काली मिर्च उत्पादित क्षेत्रों में कुछ महीने पहले हुई मूसलाधार बारिश से फसल के उत्पादन में भारी गिरावट आई है।
  • बारिश के कारण नमी बढ़ जाने से क्विक विल्ट (Quic Wilt) और सॉफ्ट विल्ट (Soft Wilt) जैसे कवक रोग ने काली मिर्च की फसल को बड़े पैमाने पर नष्ट कर दिया।
  • वियतनाम से सस्ती काली मिर्च को श्रीलंका के माध्यम से निरंतर बाज़ार में लाया जा रहा है जिसे आसियान (दक्षिण-पूर्व राष्ट्र संघ) व्यापार समझौते, SAFTA (दक्षिण एशियाई मुक्त व्यापार क्षेत्र) और भारत-श्रीलंका मुक्त व्यापार समझौते (Indo-Sri Lanka Free Trade Agreement-ISFTA) के तहत एक कम-शुल्क संरचना द्वारा सहायता प्राप्त है। विभिन्न व्यापार समझौते ही इस घटती कीमत के प्रमुख कारण हैं।

♦ पटना, रांची, लखनऊ, वाराणसी, इंदौर, दिल्ली आदि जैसे प्रमुख काली मिर्च के बाज़ारों में अवैध रूप से आयातित वियतनामी सस्ते काली मिर्च की भरमार हो गई है क्योंकि यह काली मिर्च नेपाल, म्याँमार और बांग्लादेश की सीमाओं के माध्यम से श्रीलंका द्वारा भेजी जा रही है।

सरकार का प्रयास

  • वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने घरेलू काली मिर्च उत्पादक किसानों के संरक्षण के लिये 2018 में काली मिर्च पर न्यूनतम आयात मूल्य (न्यूनतम मूल्य प्रति टन जो भारतीय फर्मों को भारत में उत्पादों का आयात करते समय चुकाना पड़ता है) लगाया था लेकिन अभी तक इसका कोई सकारात्मक प्रभाव नहीं दिखा है।
  • भारतीय काली मिर्च और मसाला व्यापारियों, किसानों, उत्पादकों और प्लांटर्स कंसोर्टियम (IPSTPC) ने वाणिज्य मंत्रालय से घरेलू उत्पादकों को बचाने के लिये SAFTA और ISFTA आयात सूची से काली मिर्च को हटाने का आग्रह किया था, लेकिन अभी तक इस पर विचार नहीं किया गया है।

दक्षिण एशिया मुक्त व्यापार समझौता (SAFTA)

  • दक्षिण एशिया मुक्त व्यापार समझौता (SAFTA) उन सात दक्षिण एशियाई देशों का एक समझौता है, जिसके तहत दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (SAARC) - बांग्लादेश, भूटान, भारत, मालदीव, नेपाल, पाकिस्तान और श्रीलंका का गठन किया गया है।
  • SAFTA ने पूर्व के दक्षिण एशिया अधिमान्य व्यापार समझौते (SAARC Preferential Trading Arrangement-SAPTA) का स्थान लिया है। इसका उद्देश्य SAARC सदस्यों के बीच अंतर्राज्यीय व्यापार को बढ़ावा देने के लिये शुल्कों को कम करना है।

स्रोत - द हिंदू


जैव विविधता और पर्यावरण

असम की गोल्डन लंगूर प्रजनन परियोजना को मिली सफलता

चर्चा में क्यों?


असम के पर्यावरण एवं वन मंत्रालय ने राज्य में गोल्डन लंगूर संरक्षण कार्यक्रम (Golden Langur Conservation Project-GLCP) की सफलता की घोषणा की है।


प्रमुख बिंदु

  • असम राज्य चिड़ियाघर, गुवाहाटी में 26 जनवरी, 2019 को एक मादा गोल्डन लंगूर ने एक बच्चे को जन्म दिया।
  • उल्लेखनीय है कि पिछले वर्ष अप्रैल में असम राज्य चिड़ियाघर के गोल्डन लंगूर संरक्षण प्रजनन कार्यक्रम के तहत प्रायोगिक आधार पर गोल्डन लंगूर की एक उपयुक्त जोड़ी ‘लवली’ (मादा) तथा ‘बोलिन’ (नर) के बीच प्रजनन के उद्देश्य से प्रजनन स्थल पर स्थानांतरित कर दिया गया था।
  • केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण (Central Zoo Authority), नई दिल्ली की ओर से जारी एक घोषणा के अनुसार, असम राज्य चिड़ियाघर, गुवाहाटी को गोल्डन लंगूर के संरक्षण प्रजनन कार्यक्रम के लिये चुना गया था।

गोल्डन लंगूर

  • गोल्डन लंगूर, ट्रेचिपिथेकस गीई (trachypithecus geei) पश्चिमी असम और भारत-भूटान की सीमा से सटे इलाकों में पाया जाता है। यह भारत में वैज्ञानिक समुदाय द्वारा हाल ही में खोजे गए प्राइमेट्स में से एक है।
  • इसकी खोज 1953 में ई.पी.गी द्वारा औपचारिक रूप से की गई थी। IUCN की लाल सूची में इस प्रजाति को संकटापन्न (Endangered) की श्रेणी में रखा गया है।
  • हाल के वर्षों में कई एनजीओ और प्राइमेटोलॉजिस्टों ने असम के आसपास कई खंडित वन अधिवासों में प्राइमेट्स के संरक्षण के लिये काम शुरू किया है।

गोल्डन लंगूर संरक्षण प्रजनन कार्यक्रम

  • असम चिड़ियाघर में गोल्डन लंगूर संरक्षण परियोजना (GLCP) की शुरुआत वर्ष 2011-12 में की गई थी। इस परियोजना के लिये धन की व्यवस्था केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण, नई दिल्ली द्वारा की गई थी।
  • इस कार्यक्रम का उद्देश्य विलुप्त हो रहे गोल्डन लंगूर की प्रजाति को संरक्षित करना है।

असम राज्य चिड़ियाघर

  • असम राज्य चिड़ियाघर राजधानी गुवाहाटी के हेंगारी रिज़र्व फॉरेस्ट में स्थित है। यह चिड़ियाघर 175 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला है जिसमें 82 हेक्टेयर क्षेत्र में फैले वनस्पति उद्यान शामिल हैं।
  • चिड़ियाघर में विभिन्न वनस्पतियों और जीवों की प्रजातियों की अनूठी विविधता के साथ 112 प्रजातियाँ पाई जाती हैं।
  • गुवाहाटी चिड़ियाघर की स्थापना वर्ष 1957 में हुई थी और इसका उद्घाटन वर्ष 1958 में किया गया था।
  • अपने समृद्ध जीवों के कारण, असम राज्य चिड़ियाघर को गुवाहाटी शहर के "ग्रीन लंग" के रूप में जाना जाता है।

स्रोत : द हिंदू


भारतीय अर्थव्यवस्था

डेटा पॉइंट: डॉलर के मुकाबले रुपए में हालिया सुधार

संदर्भ


वर्ष 2018 में भारतीय रुपए में काफी उतार-चढ़ाव देखा गया। जनवरी-अक्तूबर के दौरान रुपए में 15% की गिरावट (जनवरी 2018 में मासिक औसत 63.6 रुपए प्रति डॉलर से अक्तूबर में 73.5 रुपए प्रति डॉलर तक) दर्ज़ की गई थी। हालाँकि हाल ही में अक्तूबर 2018 से जनवरी 2019 के दौरान डॉलर के मुकाबले रुपए की कीमत में काफी सुधार दर्ज़ किया गया। गौरतलब है कि पिछले साल अक्तूबर में डॉलर के मुकाबले रुपए की कीमत सबसे निचले स्तर पर पहुँच गई थी।


प्रमुख बिंदु

  • रुपए की कीमत में आने वाला यह उतार-चढ़ाव विभिन्न वैश्विक और घरेलू कारणों की वज़ह से होता है। मसलन, कच्चे तेल की बढ़ती कीमतें, अनियमित व्यापार संतुलन, डॉलर की मज़बूती और विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (Foreign Portfolio Investments-FPI) का निरंतर बहिर्वाह। इसके अलावा, अमेरिका और चीन के बीच व्यापार युद्ध और ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंधों के साथ भू-राजनीतिक तनाव, अमेरिकी फेडरल रिज़र्व द्वारा ब्याज दरों में बढ़ोतरी तथा इसके परिणामस्वरूप FPI का भारतीय मुद्रा पर अधिक भार होना।
  • अक्तूबर 2018-जनवरी 2019 के दौरान डॉलर के मुकाबले रुपए की कीमत में दर्ज़ किया गया सुधार नीचे दिये गए ग्राफ में प्रदर्शित है।

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  • 2018 के दौरान डॉलर के मुकाबले रुपए की कीमत में दर्ज़ किया गया उतार-चढ़ाव नीचे दिये गए ग्राफ में प्रदर्शित है।

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हालिया सुधार के पीछे कारक

  • भारत अपनी तेल आवश्यकताओं का 80% से अधिक हिस्सा आयात करता है। पेट्रोलियम प्लानिंग एंड एनालिसिस सेल (PPAC) के अनुसार, भारत की औसत कच्चे तेल आयात पर निर्भरता 2018 में कुल कच्चे तेल की खपत का 82.8% थी, जबकि यही आँकड़ा 2017 में 81.7% था।
  • ईरान से भौगोलिक निकटता के कारण भारत कच्चे तेल हेतु इस पर बहुत अधिक निर्भर है। इस निकटता के कारण भारत के लिये कम शिपिंग लागत और लंबी अवधि की क्रेडिट जैसी अनुकूल वित्तीय स्थितियाँ उपलब्ध हैं।
  • अमेरिका द्वारा ईरान पर लगे प्रतिबंधों को भारत के लिये हटाए जाने के बाद भारत ने बड़ी मात्रा में तेल का आयात किया। इसके साथ ही तेल की वैश्विक कीमत गिरने से भी भारत को काफी फायदा हुआ जिसकी वज़ह से रुपए पर अनुकूल प्रभाव पड़ा।
  • व्यापार घाटे में कमी, FPI का अंतर्वाह जैसे कारकों ने भी रुपए को मज़बूती प्रदान की।
  • रुपए की मज़बूती का एक अन्य महत्त्वपूर्ण कारक अमेरिकी शटडाउन का प्रभाव भी है। भारत जैसी उभरती अर्थव्यवस्थाओं की मुद्राओं को अमेरिकी सरकार के 35- दिवसीय शटडाउन का कम किंतु सकारात्मक लाभ मिला।

स्रोत- द हिंदू, केयर रेटिंग


विविध

Rapid Fire करेंट अफेयर्स (30 January)

  • 30 जनवरी: देशभर में शहीद दिवस का आयोजन। 1948 में आज ही के दिन नाथूराम गोडसे ने दिल्ली के बिड़ला हाउस में महात्मा गांधी की गोली मारकर हत्या कर दी थी। शहीद दिवस पर दो मिनट का मौन धारण कर महात्मा गांधी को तथा देश की आज़ादी के लिये शहीद होने वाले अन्य स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि दी जाती है।
  • DRDO ने एंटी-रेडिएशन मिसाइल का सफल परीक्षण किया। ओडिशा के तट से एक युद्धपोत से लंबी दूरी तक सतह से हवा में मार करने वाला यह प्रक्षेपास्त्र (LRSAM) एक नई एंटी-रेडिएशन मिसाइल है, जो करीब 100 किमी. तक दुश्मनों को निशाना बना सकती है। DRDO ने इसका विकास इज़राइल एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज़ के साथ मिलकर भारतीय नौसेना के लिये किया है। यह मिसाइल सभी तरह के सर्विलांस और राडार सिस्टम को ध्वस्त कर सकने में सक्षम है।
  • केंद्रीय विद्यालयों में रोज़ाना सुबह की प्रार्थना सभा में हिंदी और संस्कृत में प्रार्थना करने के खिलाफ दायर जनहित याचिका को सुनवाई के लिये संविधान पीठ के पास भेज दिया है। सुप्रीम कोर्ट में दो जजों की बेंच के अनुसार, यह धार्मिक महत्त्व का मुद्दा है, इसलिये संविधान पीठ ही इस पर कोई फैसला ले सकती है। गौरतलब है कि केंद्रीय विद्यालयों में 1964 से संस्कृत और हिंदी में सुबह की प्रार्थना होती रही है। जनहित याचिका में 'रिवाइज्ड एजुकेशन कोड ऑफ केंद्रीय विद्यालय संगठन' की वैधता को चुनौती दी गई है और इसे संविधान के अनुच्छेद 25 और 28 के खिलाफ बताया है। आपको बता दें कि अनुच्छेद 92 में केंद्रीय विद्यालयों में होने वाली सुबह की प्रार्थना की प्रक्रिया के बारे में बताया गया है। इसके अनुसार, 'स्कूल में पढ़ाई की शुरुआत सुबह की प्रार्थना से होगी और सभी बच्चे, अध्यापक एवं प्रधानाचार्य इस प्रार्थना में हिस्सा लेंगे।
  • गणतंत्र दिवस के मौके पर निकाली गई झांकियों (Tableau) में त्रिपुरा, केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की झाँकियों ने प्रथम पुरस्कार हासिल किया। राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों की श्रेणी में त्रिपुरा को पहले पुरस्कार के लिये चुना गया। इस बार त्रिपुरा की झाँकी में ‘गांधीवादी तरीके से ग्रामीण अर्थव्यवस्था का सशक्तीकरण’ की झलक दिखाई गई थी। केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल की झाँकी ‘50 गौरवशाली वर्षों से राष्ट्रीय संपदा की सुरक्षा’ की थीम पर आधारित थी, जबकि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की झाँकी को ‘किसान गांधी’ की तर्ज पर तैयार किया गया था। केंद्रीय लोक निर्माण विभाग को ‘वंदे मातरम’ पर उसकी झाँकी के लिये विशेष पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
  • प्रयागराज में चल रहे कुंभ में उत्तर प्रदेश कैबिनेट की बैठक आयोजित हुई। इस बैठक में हिस्सा लेने के लिये 22 कैबिनेट मंत्री प्रयागराज पहुँचे थे। इस बैठक प्रयागराज की कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिये 600 किमी. लंबा गंगा एक्सप्रेस वे बनाने का फैसला लिया गया। गौरतलब है कि वर्ष 2000 में उत्तराखंड के अलग होने के बाद यह पहला मौका है, जब राज्य में कैबिनेट बैठक राजधानी लखनऊ से बाहर हुई। इससे पहले 1962 में गोविंद बल्लभ पंत के शासन में एक बार प्रदेश कैबिनेट की मीटिंग नैनीताल में हुई थी।
  • भारत का वैश्विक ब्रांड ‘टाटा’ दुनिया के टॉप-100 सबसे कीमती ब्रांड्स में शामिल होने वाला देश का पहला ब्रांड बना। 2019 की शुरुआत में टाटा ब्रांड की वैल्यू 19.5 बिलियन डॉलर (लगभग 1.36 लाख करोड़ रुपए) आँकी गई। लंदन की ब्रांड फाइनेंस द्वारा जारी इस लिस्ट में ‘टाटा’ को 86वाँ स्थान मिला है, जबकि पिछ्ले वर्ष यह 104वें स्थान पर था।
  • थल सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत सहित 19 वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों को परम विशिष्ट सेवा पदक से सम्मानित किया गया है। परम विशिष्ट सेवा पदक शांतिकाल में असाधारण सेवाओं के लिये दिया जाने वाला सर्वोच्च सम्मान है। 15 लेफ्टिनेंट जनरलों और तीन मेजर जनरलों को भी परम विशिष्ट सेवा पदक से सम्मानित किया गया है। आपको बता दें कि सेना, नौसेना, वायुसेना के साथ-साथ प्रादेशिक सेना की टुकड़ियाँ, अतिरिक्त सैन्य बल एवं रिज़र्व बल (सम्मिलित किये जाने पर), अथवा विधि दवारा स्थापित किसी भी सशस्त्र बल के सभी रैंकों के सैनिक व अधिकारी, सशस्त्र सैन्य बलों में कार्यरत नर्सिंग अधिकारी तथा नर्सिंग सेवा से जुड़े अन्य सदस्य इसके लिये पात्र (Eligible) हैं।
  • कुछ समय पहले गोल्डन ग्लोब समुद्री रेस में गंभीर रूप से घायल हुए नौसेना के कमांडर अभिलाष टॉमी को उनके उल्लेखनीय साहस के लिये नाव सेना मेडल से नवाज़ा गया। इस रेस में ऑस्ट्रेलिया के निकट बीच समुद्र में उनकी पाल नौका तूफान में फँसकर क्षतिग्रस्त हो गई थी और वे चार दिन तक घायलावस्था में उसी नाव में मौत से संघर्ष करते रहे। आपको बता दें कि गोल्डन ग्लोब रेस में 50 साल पहले नौका दौड़ में उपयोग की जाने वाली नौकाओं में अकेले ही दुनियाभर के समुद्रों में 30 हज़ार मील का चक्कर लगाना होता है, जिसमें संचार उपकरणों को छोड़कर किसी भी आधुनिक तकनीक की अनुमति नहीं होती।
  • केंद्र सरकार ने क्षेत्रीय संपर्क योजना उड़ान (उड़े देश का आम नागरिक) के तीसरे चरण में छोटे तथा मझोले शहरों के लिये 235 नए वायुमार्ग शुरू करने का फैसला किया है। इनमें सी-प्लेन के 6 मार्ग (वाटरड्रोम) भी शामिल हैं। इनमें गुवाहाटी रिवर फ्रंट, नागार्जुन सागर, साबरमती रिवर फ्रंट, शत्रुंजय बांध, स्टैच्यू ऑफ यूनिटी और उमरांगसो संरक्षित क्षेत्र शामिल हैं। इनके अलावा 16 बिल्कुल नए और 17 कम उपयोग में लाए जा रहे हवाई अड्डों से भी उड़ान के इस चरण में सेवा शुरू होगी। कुल आवंटित 235 मार्गों में से 189 का आवंटन पारंपरिक उड़ान योजना के तहत किया गया है, जबकि 46 मार्गों का आवंटन 'पर्यटन उड़ान' के तहत किया गया है, जिसके लिये ऑपरेटरों को क्षतिपूर्ति की राशि विमानन मंत्रालय के बजाय पर्यटन मंत्रालय द्वारा दी जाएगी।
  • केरल में हाल ही में ‘ऑपरेशन ओलंपिक’ शुरू किया गया है। इसके तहत राज्य का खेल विभाग और राज्य खेल परिषद मिलकर 123 एथलीट्स को ओलंपिक के लिये तैयार करेंगे। ऑपरेशन ओलंपिक का उद्देश्य भारत और विदेशों के प्रख्यात प्रशिक्षकों की सहायता से इन एथलीट्स को अंतर्राष्ट्रीय स्तर का प्रशिक्षण प्रदान करना है। इसके तहत एथलेटिक्स, मुक्केबाजी, साइकिलिंग, तैराकी, शूटिंग, कुश्ती, बैडमिंटन, तलवारबाज़ी, नौकायन और तीरंदाज़ी में विशेषज्ञों द्वारा प्रशिक्षण दिया जाएगा।
  • अफगानिस्तान में लगभग दो दशकों से जारी संघर्ष को समाप्त करने के लिये अमेरिका और तालिबान के बीच वार्ताओं का दौर जारी है। हाल ही में इसमें तब महत्त्वपूर्ण प्रगति हुई, जब दोनों पक्ष शांति समझौते के मसौदे पर सैद्धांतिक तौर पर सहमत हो गए। अमेरिका के विशेष दूत जालमे खलीलजाद इस मुद्दे पर तालिबान के प्रतिनिधियों से वार्ता कर रहे हैं।
  • पाकिस्तान सरकार ने गन्ने के रस को राष्ट्रीय पेय घोषित किया है। पाकिस्तान सरकार द्वारा कराए गए एक पोल (Poll) के आधार पर ऐसा किया गया है। पाकिस्तान सरकार ने एक ट्विटर पोल करवाया था, जिसमें यह पूछा गया था कि नेशनल ड्रिंक किसे होना चाहिये। इस ट्विटर पोल में संतरे का जूस, गाजर का जूस और गन्ने का रस शामिल था। सबसे ज्यादा 81 फीसदी वोट गन्ने के रस को मिले।

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