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डेली न्यूज़

  • 27 Jun, 2022
  • 40 min read
भारतीय अर्थव्यवस्था

विश्व व्यापार संगठन का अपीलीय निकाय

प्रिलिम्स के लिये:

विश्व व्यापार संगठन, विश्व व्यापार संगठन का अपीलीय निकाय, एंटी डंपिंग ड्यूटीज़। 

मेन्स के लिये:

विश्व व्यापार संगठन का अपीलीय निकाय और इसके निहितार्थ तथा संबंधित मुद्दे। 

चर्चा में क्यों?  

हाल ही में संपन्न 12वें मंत्रिस्तरीय सम्मेलन में विश्व व्यापार संगठन (World Trade Organization’s- WTO) के अपीलीय निकाय (Appellate Body- AB) जो कि वर्ष 2019 से महत्तवपूर्ण बनी हुई है, को पुनर्जीवित करने हेतु कोई चर्चा नहीं हुई। 

प्रमुख बिंदु  

विश्व व्यापार संगठन का अपीलीय निकाय: 

  • विश्व व्यापार संगठन की स्थापना मुक्त व्यापार करने हेतु नियम बनाने के साथ-साथ बहुपक्षीय व्यापारों की निगरानी और प्रशासन के लिये बातचीत हेतु एक मंच प्रदान करने को की गई थी। 
  • इसके प्रमुख उद्देश्यों में से एक वैश्विक व्यापार के लिये न्यायालय के रूप में कार्य करके अपने सदस्यों की शिकायतों का समाधान करना भी था। 
  • 1995 में स्थापित अपीलीय निकाय, सीमित चार साल के कार्यकाल के साथ सात सदस्यों की एक स्थायी समिति है जो विश्व व्यापार संगठन के सदस्यों द्वारा लाए गए व्यापार से संबंधित विवादों में पारित निर्णयों के विरुद्ध अपील की अध्यक्षता करती है। 
  • विवाद तब उत्पन्न होते हैं जब एक सदस्य देश यह देखता है कि कोई अन्य सदस्य देश  विश्व व्यापार संगठन में किये गए  व्यापार समझौते का उल्लंघन कर रही है। 
  • विश्व व्यापार संगठन के दिशा-निर्देशों के तहत व्यापार उपचार का मतलब है कि सदस्य देशअपने टैरिफ को एक निश्चित मार्जिन से ऊपर नहीं बढ़ा सकते हैं लेकिन यह सरकारों को व्यापार उपायों को लागू करने के लिये इन नियमों को समाप्त करने का एक प्रावधान प्रदान करता है, जिसमें एंटी-डंपिंग शुल्क शामिल हैं, इसमें विनिर्माता देश द्वारा बाज़ार की तुलना में सस्ती दर पर माल का निर्यात करके बाज़ार को विकृत किया जाता है। 
  • देशों को अपने सस्ते आयात और अन्य ऑफसेटिंग ड्यूटीज़ (Offsetting Duties) की रक्षा के लिये कदम उठाने की अनुमति होती है ताकि आयात वृद्धि का मुकाबला करने वाले टैरिफ की रक्षा के लिये सब्सिडी वाले आयात से खुद को बचाया जा सके। 

WTO-DSS

संबंधित मुद्दे: 

  • न्यायाधीशों की नियुक्ति पर रोक: 
    • वर्ष 2017 में उनकी कार्य अवधि समाप्त होने के बाद संयुक्त राज्य अमेरिका ने न्यायाधीशों की पुनर्नियुक्ति की प्रक्रिया को रोक दिया। परिणामस्वरूप दिसंबर 2019 में न्यायालयों में न्यायाधीशों की आवश्यक न्यूनतम संख्या तीन से भी नीचे गिर गई। 
      • यह मानता है कि विश्व व्यापार संगठन इसके खिलाफ पक्षपाती है और "अनुचित" होने के कारण इसकी आलोचना की गई। 
    • अपील की अध्यक्षता करने के लिये कम-से-कम तीन न्यायाधीशों की आवश्यकता होती है और यदि दो सेवानिवृत्त न्यायाधीशों के स्थान पर नए सदस्यों को नियुक्त नहीं किया जाता है, तो निकाय प्रासंगिक नहीं रह जाएगा। 
  • सीमित दक्षता: 
    • वर्ष 1995 में इसके गठन के बाद से 600 से अधिक मामले निकाय तक पहुंँचे जबकि लगभग 350 में फैसले जारी किये गए। 
    • इसने यह भी आरोप लगाया है कि AB 90 दिनों की समय-सीमा के भीतर निर्णय जारी करने में विफल रही है। 
  • कुछ प्रावधान असंगत हैं: 
    • काउंटरवेलिंग और एंटी-डंपिंग उपायों को लागू करने के लिये कई यू.एस. प्रावधान डब्ल्यूटीओ समझौतों के मुख्य प्रावधानों के साथ असंगत पाए गए हैं। 

निहितार्थ: 

  • अपीलीय निकाय के नए आवेदनों की समीक्षा करने में असमर्थ होने के कारण विश्व व्यापार संगठन की विवाद निपटान प्रक्रिया को लेकर पहले ही काफी अनिश्चितता कि स्थिति है। 
  • यदि निकाय को गैर-कार्यात्मक घोषित किया जाता है, तो देशों को पैनल के फैसलों को लागू करने के लिये मजबूर किया जा सकता है, भले ही उन्हें लगता है कि इसमें बड़ी त्रुटियाँ हैं। 
  • देश इस आधार पर पैनल के आदेश का पालन करने से इनकार कर सकते हैं कि उनके पास अपील के लिये कोई रास्ता नहीं है। यह विवाद में दूसरे पक्ष द्वारा शुरू की गई मध्यस्थता कार्यवाही का सामना करने का जोखिम बढ़ाएगा। 
  • यह भारत के लिये भी शुभ संकेत नहीं है, जो विशेष रूप से कृषि उत्पादों पर विवाद के मामलों की बढ़ती संख्या का सामना कर रहा है। 
  • अमेरिका और चीन के बीच बढ़ते व्यापार तनाव की पृष्ठभूमि में विश्व व्यापार संगठन के ढाँचे के समग्र रूप से कमज़ोर होने से वैश्विक व्यापार में संरक्षणवाद से बचने के दो दशकों के प्रयासों को पूर्ववत होने का जोखिम हो सकता है। 

विश्व व्यापार संगठन में भारत को शामिल करने संबंधी विवाद: 

  • जिन विवादों में भारत एक शिकायतकर्त्ता पक्ष है, वे हैं- भारतीय इस्पात उत्पादों पर अमेरिका द्वारा प्रतिसंतुलनकारी शुल्क; गैर-आप्रवासी वीज़ा के संबंध में अमेरिका द्वारा उपाय; अमेरिका के अक्षय ऊर्जा कार्यक्रम और अमेरिका द्वारा स्टील एवं एल्युमीनियम उत्पादों पर आयात शुल्क। 
  • विश्व व्यापार संगठन के विवाद में जहाँ भारत एक प्रतिवादी पक्ष है, में अमेरिका द्वारा दायर किये गए पोल्ट्री और पोल्ट्री उत्पादों के आयात पर भारत द्वारा प्रतिबंध तथा यूरोपीय संघ, जापान, ताइवान द्वारा दायर कुछ सूचना और संचार प्रौद्योगिकी सामानों पर आयात शुल्क शामिल हैं। 
  • जनवरी 2022 में भारत ने विश्व व्यापार संगठन के व्यापार विवाद निपटान पैनल के एक फैसले के खिलाफ अपील की, जिसने फैसला सुनाया कि चीनी और गन्ने के लिये देश के घरेलू समर्थन उपाय वैश्विक व्यापार मानदंडों के साथ असंगत हैं। 

आगे की राह 

  • नए सदस्य हेतु समर्थन प्रस्ताव: 
    • आमतौर पर अपीलीय निकाय में नई नियुक्तियाँ विश्व व्यापार संगठन के सदस्यों की सहमति से की जाती हैं, लेकिन जहाँ आम सहमति संभव नहीं है, वहाँ मतदान का प्रावधान भी है। 
    • भारत सहित 17 सबसे कम विकसित और विकासशील देशों का समूह, जो अपीलीय निकाय में गतिरोध को समाप्त करने हेतु एक साथ काम करने के लिये प्रतिबद्ध हैं, इस आशय का एक प्रस्ताव प्रस्तुत करने या उसका समर्थन कर सकते हैं और बहुमत से अपीलीय निकाय में नए सदस्यों को शामिल करने का प्रयास कर सकते हैं।  
    • लेकिन यह अंतिम उपाय के रूप में एक विकल्प हो सकता है, क्योंकि सभी देशों को अमेरिका द्वारा सीधे अपने वीटो का विरोध करने के परिणामस्वरूप एकतरफा पहल का डर है। 
  • कानून तोड़ने पर उपयुक्त सज़ा: 
    • अगर किसी देश ने कुछ गलत किया है, तो उसे अपनी गलती को तेज़ी से सुधारना चाहिये और अगर यह समझौते को खंडन करना जारी रखता है, तो उसे मुआवज़े की पेशकश करनी होगी या उपयुक्त प्रतिक्रिया का सामना करना पड़ेगा, हालांँकि यह वास्तव में सज़ा नहीं है, यह एक "उपाय" है, जिसका पालन करना देश के लिये अंतिम लक्ष्य है। 
  • सुधारात्मक दृष्टिकोण: 
    • सुधारात्मक दृष्टिकोण के आधार पर स्थायी दीर्घकालिक समाधानों में निवर्तमान सदस्यों के लिये संक्रमणकालीन नियम शामिल हैं, जो उन्हें अपनी शर्तों की समाप्ति के बाद भी लंबित अपीलों को पूरी तरह से निपटाने की अनुमति देता है, साथ ही अपीलीय निकाय की व्याख्या को नीतिगत कदम उठाए बिना सहमति वाले राष्ट्रीय कानूनों के अर्थ तक सीमित कर दिया जाता है, ताकि राष्ट्रों की संप्रभुता को संरक्षित किया जा सके। 
  • सदस्यों की नियमित बैठक: 
    • अन्य दीर्घकालिक समाधानों में प्रभावी संचार और तत्काल निवारण तंत्र सुनिश्चित करने के लिये अपीलीय निकाय के साथ विश्व व्यापार संगठन के सदस्यों की नियमित बैठकें शामिल हैं। 
    • इस प्रकार सभी राष्ट्रों को संकट से निपटने के लिये एक समान आधार हेतु एक साथ आना चाहिये ताकि सबसे खराब स्थिति का सामना न करना पड़े। 

स्रोत: डाउन टू अर्थ 


अंतर्राष्ट्रीय संबंध

14वांँ ब्रिक्स शिखर सम्मेलन

प्रिलिम्स के लिये:

ब्रिक्स, यूएनएससी, बीजिंग घोषणा। 

मेन्स के लिये:

समूह और समझौते, ब्रिक्स शिखर सम्मेलन, यूएनएससी. 

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में भारत के प्रधानमंत्री ने 14वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भाग लिया, जिसकी वर्चुअली मेज़बानी चीन द्वारा की गई थी। 

  • 14वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन का विषय है: उच्च गुणवत्ता वाली ब्रिक्स साझेदारी को बढ़ावा देना, वैश्विक विकास के लिये एक नए युग की शुरुआत करना। 
  • संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, मिस्र, कज़ाखस्तान, इंडोनेशिया, अर्जेंटीना, नाइजीरिया, सेनेगल और थाईलैंड सहित देशों के मंत्रियों के साथ मुख्य बैठक के हिस्से के रूप में ब्रिक्स प्लस आभासी सम्मेलन भी आयोजित किया गया था। 

शिखर सम्मेलन की मुख्य विशेषताएंँ: 

  • बीजिंग घोषणा: 
    • इसमें कहा गया है कि ब्रिक्स (BRICS) रूस और यूक्रेन के बीच वार्ता का समर्थन करता है। 
    • यह समूह यूक्रेन को मानवीय सहायता प्रदान करने के लिये संयुक्त राष्ट्र एवं रेड क्रॉस की अंतर्राष्ट्रीय समिति (ICRC) के प्रयासों का समर्थन करने को तैयार है। 
    • देशों ने तालिबान द्वारा नियंत्रित अफगानिस्तान की स्थिति के बारे में भी चिंता व्यक्त की। 
  • मुद्दों पर चर्चा: 
    • यूक्रेन में मानवीय स्थिति: 
      • यूक्रेन और उसके आसपास मानवीय स्थिति पर चिंता तथा मानवता, तटस्थता एवं निष्पक्षता के बुनियादी सिद्धांतों के अनुसार मानवीय सहायता प्रदान करने के लिये संयुक्त राष्ट्र महासचिव, संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों व रेड क्रॉस की अंतर्राष्ट्रीय समिति (ICRC) के प्रयासों के प्रति अपना समर्थन व्यक्त किया। 
    • आतंकवाद: 
      • आतंकवाद और आतंकी सहयोग पर चर्चा करते हुए ब्रिक्स देशों ने कहा कि प्रतिबंध लगाने का अधिकार केवल संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पास है। 
      • अफगानिस्तान के संबंध में ब्रिक्स देशों ने "अफगानिस्तान के अधिकारियों से बातचीत के माध्यम से राष्ट्रीय सुलह प्रक्रिया शुरू करने के साथ-साथ एक व्यापक-आधार वाली समावेशी और प्रतिनिधि राजनीतिक संरचना स्थापित करने का आग्रह किया," साथ ही कहा कि अफगान क्षेत्र का उपयोग आतंकवादियों को शरण देने या किसी अन्य देश पर हमला करने के लिये नहीं किया जाना चाहिये। 
    • भ्रष्टाचारियों को सुरक्षित आश्रय से वंचित करने की पहल: 
      • भ्रष्टाचरियों को सुरक्षित आश्रय से वंचित करने पर ब्रिक्स पहल का उद्देश्य शिक्षा और प्रशिक्षण कार्यक्रमों के माध्यम से भ्रष्टाचार विरोधी क्षमता निर्माण को और मज़बूत करना तथा बहुपक्षीय ढांँचे के अंतर्गत भ्रष्टाचार विरोधी आदान-प्रदान एवं सहयोग को बढ़ाना है। 
    • ई-कॉमर्स में उपभोक्ता संरक्षण हेतु ढांँचा: 
      • घोषणा ने ई-कॉमर्स वर्किंग ग्रुप को उन्नयन करके डिजिटल इकॉनमी वर्किंग ग्रुप की स्थापना का स्वागत किया। 
      • ब्रिक्स राष्ट्र ई-कॉमर्स में उपभोक्ता संरक्षण के लिये ब्रिक्स फ्रेमवर्क के कार्यान्वयन को आगे बढ़ाकर ई-कॉमर्स में उपभोक्ता संरक्षण को बढ़ावा देने हेतु सहमत हुए हैं। 
    • अंतर्राष्ट्रीय मादक पदार्थों की तस्करी से निपटने पर अधिक ध्यान: 
      • शिखर सम्मेलन ने विश्व में मादक दवाओं की गंभीर स्थिति पर भी चिंता व्यक्त की। ब्रिक्स घोषणा अंतर्राष्ट्रीय मादक पदार्थों की तस्करी का मुकाबला करने एवं वैश्विक ड्रग गवर्नेंस को बढ़ावा देने में ब्रिक्स एंटी-ड्रग वर्किंग ग्रुप की सक्रिय भूमिका की सराहना करती है तथा दवा नियंत्रण सहयोग को और मज़बूत करेगी। 

ब्रिक्स (BRICS): 

  • परिचय: 
    • ब्रिक्स दुनिया की प्रमुख उभरती अर्थव्यवस्थाओं, जैसे- ब्राज़ील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका के समूह के लिये एक संक्षिप्त शब्द है। 
    • 2001 में ब्रिटिश अर्थशास्त्री जिम ओ'नील ने ब्राज़ील, रूस, भारत और चीन की चार उभरती अर्थव्यवस्थाओं का वर्णन करने के लिये BRIC शब्द गढ़ा। 
    • 2006 में ब्रिक विदेश मंत्रियों की पहली बैठक के दौरान समूह को औपचारिक रूप दिया गया था। 
    • दिसंबर 2010 में दक्षिण अफ्रीका को BRIC में शामिल होने के लिये आमंत्रित किया गया था, जिसके बाद समूह ने BRICS का संक्षिप्त नाम अपनाया। 
  • BRICS का हिस्सा: 
    • ब्रिक्स विश्व के पाँच सबसे बड़े विकासशील देशों को एक साथ लाता है, जो वैश्विक आबादी के 41%, वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद के 24% और वैश्विक व्यापार के 16% का प्रतिनिधित्व करते हैं। 
  • अध्यक्षता: 
    • ब्रिक्स शिखर सम्मलेन की अध्यक्षता प्रतिवर्ष B-R-I-C-S क्रमानुसार सदस्य देश के सर्वोच्च नेता द्वारा की जाती है। 
    • भारत 2021 के लिये अध्यक्ष था। 
  • ब्रिक्स की पहल: 
    • न्यू डेवलपमेंट बैंक (NDB): 
      • वर्ष 2014 में ब्राज़ील के फोर्टालेजा में छठे ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान BRICS नेताओं ने न्यू डेवलपमेंट बैंक (NDB) की स्थापना के लिये समझौते पर हस्ताक्षर किये। 
      • इसने अब तक 70 बुनियादी ढाँचे और सतत् विकास परियोजनाओं को मंज़ूरी दी है। 
    •  आकस्मिक रिज़र्व व्यवस्था: 
      • वैश्विक वित्तीय संकट की संभावना के मद्देनज़र ब्रिक्स राष्ट्रों ने वर्ष 2014 में छठे ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में फोर्टालेजा घोषणा के दौरान ब्रिक्स आकस्मिक रिज़र्व व्यवस्था (CRA) बनाने पर सहमति जताई। 
      • CRA का उद्देश्य भुगतान संतुलन संकट की स्थिति को कम करने और वित्तीय स्थिरता को मज़बूत करने में मदद के लिये मुद्रा विनिमय के माध्यम से सदस्यों को अल्पकालिक मौद्रिक सहायता प्रदान करना है। 
    • ब्रिक्स भुगतान प्रणाली: 
      • स्विफ्ट भुगतान प्रणाली के विकल्प के रूप में ब्रिक्स भुगतान प्रणाली। 
      • यूक्रेन युद्ध के बाद रूस को स्विफ्ट से बाहर कर दिया गया है, इसलिये यह एक नई तात्कालिक व्यवस्था है। 
    • सीमा शुल्क समझौते: 
      • ब्रिक्स देशों के बीच व्यापार परिवहन के समन्वय और सुगमता के लिये सीमा शुल्क समझौते पर हस्ताक्षर किये गए। 
    • सुदूर संवेदन उपग्रह का प्रक्षेपण: 
      • उपग्रहों का एक रिमोट सेंसिंग तारामंडल लॉन्च किया गया है- जिसमें 6 उपग्रह शामिल हैं जिनमें 2 भारत से, 2 चीन से, 1 रूस से और 1 ब्राज़ील-चीन सहयोग द्वारा विकसित किये गए हैं। 

आगे की राह:  

  • ब्रिक्स देशों के लिये जी-20, विश्व व्यापार संगठन, विश्व बैंक और आईएमएफ के ढांँचे के भीतर समन्वय को मज़बूत करना अनिवार्य है। 
  • ब्रिक्स को व्यापक आर्थिक नीतियों और बहुपक्षीय सहयोग पर समन्वय को मज़बूत करना चाहिये। 
  • ब्रिक्स देशों को सांस्कृतिक और लोगों के मध्य आदान-प्रदान एवं सहयोग के लिये इंटरनेट सहित तंत्र का पूरा उपयोग करना चाहिये। 

यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्षों के प्रश्न: 

प्रश्न: निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2016) 

  1. न्यू डेवलपमेंट बैंक की स्थापना एन.पी.ई.सी. द्वारा की गई है।
  2. न्यू डेवलपमेंट बैंक का मुख्यालय शंघाई में हैं।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? 

(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों 
(d) न तो 1, न ही 2 

उत्तर: (b) 

  • न्यू डेवलपमेंट बैंक (NDB) का गठन ब्रिक्स डेवलपमेंट बैंक के रूप में किया गया था। 
  • यह ब्रिक्स राज्यों (ब्राज़ील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका) द्वारा स्थापित एक बहुपक्षीय विकास बैंक है। अतः कथन 1 सही नहीं है। 
  • बैंक का मुख्यालय शंघाई, चीन में है। अत: कथन 2 सही है। 
  • फोर्टालेजा (2014) में छठे ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान ब्रिक्स के बीच सहयोग को मज़बूत करने और वैश्विक विकास के लिये बहुपक्षीय व क्षेत्रीय वित्तीय संस्थानों के प्रयासों के पूरक के लिये फोर्टालेजा घोषणा द्वारा न्यू डेवलपमेंट बैंक (एनडीबी) की स्थापना की गई थी। 
  • इसकी आरंभिक अधिकृत पूंजी 100 बिलियन अमेरिकी डॉलर थी, जिसकी आरंभिक अभिदान पूंजी 50 बिलियन अमेरिकी डॉलर थी, जिसे संस्थापक सदस्यों के बीच समान रूप से साझा किया गया था। 

अतः विकल्प (b) सही उत्तर है। 

स्रोत: द हिंदू 


जैव विविधता और पर्यावरण

राजस्थान का मेनार पक्षी गाँव बनेगा आर्द्रभूमि

प्रिलिम्स के लिये:

भारत में आर्द्रभूमि, आर्द्रभूमि। 

मेन्स के लिये:

आर्द्रभूमि का महत्त्व रामसर लिस्टिंग का महत्त्व। 

चर्चा में क्यों? 

विभिन्न संरक्षण प्रयासों के बाद "पक्षी गाँव" के रूप में मान्यता प्राप्त उदयपुर ज़िले के मेनार गाँव को राजस्थान की नई आर्द्रभूमि के रूप में अधिसूचित किया जाना तय किया गया है। 

  • इससे मेवाड़ क्षेत्र के इस ग्रामीण क्षेत्र को रामसर स्थल का दर्जा मिलने का मार्ग प्रशस्त होगा। 

आर्द्रभूमि तथा इसका महत्त्व: 

  • आर्द्रभूमि: 
    • आर्द्रभूमियांँ पानी में स्थित मौसमी या स्थायी पारिस्थितिक तंत्र हैं। इनमें मैंग्रोव, दलदल, नदियाँ, झीलें, डेल्टा, बाढ़ के मैदान और बाढ़ के जंगल, चावल के खेत, प्रवाल भित्तियाँ, समुद्री क्षेत्र (6 मीटर से कम ऊँचे ज्वार वाले स्थान) के अलावा मानव निर्मित आर्द्रभूमि जैसे- अपशिष्ट जल उपचार तालाब एवं जलाशय आदि शामिल होते हैं। 
  • महत्त्व: 
    • आर्द्रभूमियांँ हमारे प्राकृतिक पर्यावरण का महत्त्वपूर्ण हिस्सा हैं। ये बाढ़ की घटनाओं में कमी लाती हैं, तटीय इलाकों की रक्षा करती हैं, साथ ही प्रदूषकों को अवशोषित कर पानी की गुणवत्ता में सुधार करती हैं। 
    • आर्द्रभूमि मानव और पृथ्वी के लिये महत्त्वपूर्ण हैं। 1 बिलियन से अधिक लोग जीवन-यापन के लिये उन पर निर्भर हैं और दुनिया की 40% प्रजातियाँ आर्द्रभूमि में रहती हैं तथा प्रजनन करती हैं। 
    • ये भोजन, कच्चे माल, दवाओं के लिये आनुवंशिक संसाधनों और जलविद्युत के महत्त्वपूर्ण स्रोत हैं। 
    • भूमि आधारित कार्बन का 30% पीटलैंड (एक प्रकार की आर्द्रभूमि) में संग्रहीत है। 
    • ये परिवहन, पर्यटन और लोगों के सांस्कृतिक एवं आध्यात्मिक कल्याण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। 
    • कई आर्द्रभूमियाँ प्राकृतिक सुंदरता के क्षेत्र हैं और आदिवासी लोगों के लिये महत्त्वपूर्ण हैं। 

मेनार वेटलैंड की मुख्य विशेषताएंँ: 

  • मेनार वेटलैंड के बारे में: 
    • मेनार गाँव की दो झीलें- ब्रह्मा और धंध हर वर्ष बड़ी संख्या में प्रवासी पक्षियों की मेज़बानी करती हैं। 
      • वन विभाग ने मेनार को आर्द्रभूमि के रूप में अधिसूचित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है, जो तलछट और पोषक तत्त्वों के भंडारण में इसकी भूमिका को पहचानेगी तथा संबंधित झीलों के संरक्षण में स्थानीय अधिकारियों को मदद करेगी। 
    • आर्द्रभूमि की स्थिति के साथ जलीय पौधों को बढ़ाने और जैवविविधता की रक्षा के लिये दो झीलों को मज़बूत किया जाएगा। 
  • निवास करने वाली स्पीशीज़: 
    • सर्दियों के मौसम में दोनों झीलों में स्थानीय और प्रवासी पक्षियों की 150 से अधिक प्रजातियांँ निवास करती हैं। 
      • इनमें ग्रेटर फ्लेमिंगो, व्हाइट-टेल्ड लैपविंग, पेलिकन, मार्श हैरियर, बार-हेडेड गूज, कॉमन टील, ग्रीनशैंक, पिंटेल, वैग्टेल, ग्रीन सैंडपाइपर और रेड-वॉटल्ड लैपविंग शामिल हैं। 
  • अन्य रामसर स्थल: 
    • वर्तमान में राजस्थान में रामसर स्थलों के रूप में मान्यता प्राप्त दो आर्द्रभूमि हैं- 

रामसर सूची का महत्त्व: 

  • यह एक ISO (International Organization for Standardization) सर्टिफिकेशन की तरह है। किसी भी स्थल को इस सूची से हटाया भी जा सकता है  यदि यह लगातार उनके मानकों को पूरा नहीं करता है। यह उस मूल्यवान वस्तु की तरह है जिसकी एक लागत तो है पर उस लागत का भुगतान तभी किया जा सकता है जब उस वस्तु की ब्रांड वैल्यू हो। 
  • रामसर टैग किसी भी स्थल की मज़बूत सुरक्षा व्यवस्था पर निर्भर करता है और अतिक्रमण के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करता है। 
  • पक्षियों की कई प्रजातियाँ यहाँ प्रवेश करने के दौरान हिमालय क्षेत्र में जाने से बचना पसंद करती हैं और इसके बजाय गुजरात और राजस्थान के माध्यम से भारतीय उपमहाद्वीप में प्रवेश करने के लिये अफगानिस्तान व पाकिस्तान से गुज़रने वाले मार्ग का चयन करती हैं। इस प्रकार गुजरात कई अंतर्राष्ट्रीय प्रवासी प्रजातियों जैसे- बतख, वेडर, प्लोवर, टर्न, गल आदि व शोरबर्ड के साथ-साथ शिकारी पक्षियों का पहला ‘लैंडिंग पॉइंट’ बन गया है। 
  • भारत में आर्द्रभूमि सर्दियों के दौरान प्रवासी पक्षियों के लिये चारागाह और विश्राम स्थल के रूप में कार्य करती है। 

UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQs): 

प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: 

  1. रामसर सम्मेलन के अनुसार, भारत के राज्यक्षेत्र में सभी आर्द्रभूमियों को बचाना और संरक्षित रखना भारत सरकार के लिये अधिदेशात्मक है। 
  2. आर्द्रभूमि (संरक्षण और प्रबंधन) नियम, 2010, भारत सरकार ने रामसर सम्मेलन की संस्तुतियों के आधार पर बनाए थे। 
  3. आर्द्रभूमि (संरक्षण और प्रबंधन) नियम, 2010, आर्द्रभूमियों के अपवाह क्षेत्र या जलग्रहण क्षेत्रों को भी सम्मिलित करते हैं, जैसा कि प्राधिकार द्वारा निर्धारित किया गया है।।। 

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? 

(a) केवल 1 और 2 
(b) केवल 2 और 3 
(c) केवल 3 
(d) 1, 2 और 3 

उत्तर: C 

स्रोत: द हिंदू 


भारतीय अर्थव्यवस्था

नमक क्षेत्र संकट

प्रिलिम्स के लिये:

सेंधा नमक खनन, रण सरोवर, न्यूनतम समर्थन मूल्य 

मेन्स के लिये:

नमक क्षेत्र का संकट, नमक उद्योग के विकास में सरकार की भूमिका 

चर्चा में क्यों? 

नमक उद्योग को मांग को पूरा करने और नमक किसानों एवं श्रमिकों के सामने आने वाले संकट से निपटने में भारी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। 

  • न्यूनतम समर्थन मूल्य न होने से जहांँ किसान कम कीमतों का सामना कर रहे हैं, वहीं मज़दूरी और सामाजिक सुरक्षा की उचित व्यवस्था नहीं होने से श्रमिक भी संकट में हैं। 

नमक क्षेत्र की स्थिति:  

  • भारत: 
    • अमेरिका और चीन के बाद दुनिया में नमक के उत्पादन में भारत तीसरे स्थान पर है। 
    • समुद्री नमक देश के कुल नमक उत्पादन का लगभग 70% है। 
    • नमक निर्माण गतिविधियाँ गुजरात, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, गोवा के तटीय राज्यों और राजस्थान के भीतरी इलाकोंं में की जाती हैं। 
      • गुजरात में प्रतिवर्ष लगभग 28.5 मिलियन टन नमक का उत्पादन होता है, जो देश के कुल उत्पादन का 80% से अधिक है। 
  • विश्व: 
    • दुनिया भर में नमक का उत्पादन वर्तमान में 200 मिलियन टन है और इसमें तेज़ी से वृद्धि हो रही है। 
    • दुनिया भर के उद्योग न केवल उपभोग के लिये बल्कि अखाद्य और औद्योगिक उद्देश्यों के लिये भी बड़ी मात्रा में नमक का उत्पादन करते हैं। 

उत्पादन विधि: 

  • सौर वाष्पीकरण विधि: 
    • सौर नमक उत्पादन आमतौर पर उथले तालाबों में खारे जल का संचयन है जहांँ सूर्य अधिकांश जल को वाष्पित करता है। 
  • रॉक साॅल्ट खनन विधि: 
    • नमक प्राचीन भूमिगत समुद्र तल में जमा के रूप में मौजूद है, जो हज़ारों वर्षों में विवर्तनिक परिवर्तनों के माध्यम से दब गया। कई नमक खदानें खनन के "कमरे और स्तंभ (Room and Pillar)" प्रणाली का उपयोग करती हैं।  
      • शाफ्ट को खदान के तल पर नीचे डुबो दिया जाता है और कमरे को शाफ्ट के बीच ड्रिलिंग, काटने और ब्लास्टिंग द्वारा सावधानीपूर्वक बनाया जाता है, जिससे एक चेकरबोर्ड स्वरूप बनता है। 
      • नमक को हटाने और तोड़ने के बाद एक कन्वेयर बेल्ट द्वारा इसे सतह पर ले जाया जाता है। इस तरह से उत्पादित अधिकांश नमक का उपयोग रॉक साॅल्ट के रूप में किया जाता है। 
  • निर्वात वाष्पीकरण विधि: 
    • इसमें बड़े वाणिज्यिक बाष्पीकरणकर्त्ताओं, जिन्हें वैक्यूम पैन कहा जाता है, में भाप की गर्मी द्वारा नमकीन जल का वाष्पीकरण शामिल है। 
    • इस विधि से प्राप्त उच्च शुद्धता वाला नमक, जो कि बनावट में महीन होता है, मुख्य रूप से उन अनुप्रयोगों में उपयोग किया जाता है जिनमें उच्चतम गुणवत्ता वाले नमक की आवश्यकता होती है। 

नमक क्षेत्र का संकट: 

  • न्यूनतम समर्थन मूल्य: 
    • इंडियन सॉल्ट मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (ISMA) ने उद्योग और खान मंत्रालय द्वारा शासित उद्योग के रूप में अपनी वर्तमान स्थिति के बजाय कृषि मंत्रालय के तहत नमक उत्पादन को कृषि गतिविधि के रूप में वर्गीकृत करने की मांग की है। 
      • खनन से मुश्किल से 0.5% नमक पैदा होता है। 99.5% नमक या तो समुद्र के जल से या मृदा के नीचे के जल से बनता है और पूरी प्रक्रिया बीज, खेती एवं कटाई द्वारा की जाती है। 
      • बेमौसम वर्षा और बाढ़ के कारण न्यूनतम समर्थन मूल्य की मांग बढ़ रही है। 
        • न्यूनतम समर्थन मूल्य (Minimum Support Price-MSP) कृषि उत्पादकों को कृषि कीमतों में किसी भी तीव्र ह्रास या गिरावट कि स्थिति में बीमा के माध्यम से भारत सरकार द्वारा बाज़ार में हस्तक्षेप का एक रूप है। 
          • प्रमुख उद्देश्य किसानों को उनकी उपज के कम मूल्य की स्थिति में समर्थन देना और सार्वजनिक वितरण के लिये खाद्यान्न की खरीद करना है। 
  • मज़दूरी और सामाजिक सुरक्षा: 
    • कंपनियों ने सहकारी समितियों की जगह ले ली है और वे इन श्रमिकों की मज़दूरी और किसानों के उत्पादन का फैसला करती हैं। इनमें ज़्यादातर प्रवासी मज़दूर हैं। 
    • सहकारी क्षेत्र कमोबेश निष्क्रिय है। न्यूनतम मज़दूरी या सामाजिक सुरक्षा के बिना श्रमिक गंभीर स्वास्थ्य मुद्दों और आर्थिक संकट से गुज़र रहे हैं। 
      • मोरबी में एक पैकिंग यूनिट की दीवार गिरने से 12 मज़दूरों की मौत हो गई। 
      • इस क्षेत्र के 5,000 वर्ग किलोमीटर में मीठे पानी की झील के निर्माण की परियोजना (रण सरोवर) लगभग 50,000 लोगों को बेरोज़गार कर देगी।

नमक उद्योग के विकास में सरकार की भूमिका: 

  • नमक एक केंद्रीय विषय है जिसे संविधान की 7वीं अनुसूची की संघ सूची की मद संख्या 58 के रूप में सूचीबद्ध किया गया है। यह एक खनन उद्योग के रूप में सूचीबद्ध है। 
    • भारत सरकार ने केंद्रीय उत्पाद शुल्क और नमक अधिनियम, 1944 में नमक से संबंधित प्रावधानों को हटाकर नमक उद्योग को लाइसेंस मुक्त कर दिया है। 
  • नमक आयुक्त संगठन देश में नमक उद्योग के समग्र विकास और विकास में सहायक की भूमिका निभाता है। 
  • नमक उत्पादन के संबंध में सामान्य नियमों और विनियमों के साथ एक अलग नोडल एजेंसी की आवश्यकता है। पूरे देश के लिये एक समान नीति के साथ न्यूनतम मज़दूरी एवं सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित की जानी चाहिये। 

विगत वर्षों के प्रश्न: 

प्रश्न: निम्नलिखित में से किसने अप्रैल 1930 में नमक कानून तोड़ने के लिये तंजौर तट पर एक मार्च का आयोजन किया था? (2015)  

(a) वी.ओ. चिदंबरम पिल्लै 
(b) सी. राजगोपालाचारी 
(c) के. कामराज 
(d) एनी बेसेंट 

उत्तर: (b) 

  • दांडी मार्च की तर्ज पर वेदारण्यम नमक मार्च का नेतृत्व सी. राजगोपालाचारी ने त्रिचिनोपोली से तटीय शहर वेदारण्यम तक किया। 
  • राजगोपालाचारी और 150 से अधिक स्वयंसेवकों ने नमक कानून को दरकिनार करते हुए सीधे नमक एकत्र किया। जातिगत भेदभाव और खादी के उपयोग जैसे राष्ट्रीय मुद्दों पर जागरूकता इस मार्च का हिस्सा थी। 

अतः विकल्प (B) सही उत्तर है। 

स्रोत: द हिंदू 


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