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डेली न्यूज़

  • 24 Feb, 2023
  • 42 min read
जैव विविधता और पर्यावरण

आदि गंगा पुनरुद्धार योजना

प्रिलिम्स के लिये:

आदि गंगा, राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन, राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण, गंगा नदी के कायाकल्प संरक्षण और प्रबंधन हेतु राष्ट्रीय गंगा परिषद, भुवन-गंगा वेब एप, नमामि गंगे कार्यक्रम।

मेन्स के लिये:

आदि गंगा से जुड़े प्रमुख मुद्दे, गंगा से जुड़ी पहल।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में आदि गंगा (कोलकाता शहर से प्रवाहित होने वाली गंगा नदी की मुख्य धारा) के पुनरुद्धार के संदर्भ में योजना की घोषणा की गई है।

  • राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन ने इस प्राचीन नदी के पुनरुद्धार के लिये लगभग 650 करोड़ रुपए आवंटित किये हैं तथा इसके प्रदूषण के उन्मूलन के लिये इसे बहु-देशीय दक्षिण एशियाई नदी परियोजना में शामिल किया गया है।

आदि गंगा से जुड़े प्रमुख मुद्दे और विकास:  

  • अतिक्रमण का इतिहास:  
    • यह नदी जो कभी 17वीं शताब्दी तक गंगा की मुख्य धारा थी और दशकों तक उपेक्षित रही और वर्तमान में काफी प्रदूषित होने के साथ ही इस पर अतिक्रमण कर लिया गया है। आदि गंगा के अवरुद्ध होने से क्षेत्र में प्राकृतिक जल निकासी पर गंभीर प्रभाव पड़ा है।
    • हालाँकि आदि गंगा वर्ष 1970 के दशक तक अनुकूल रूप से प्रवाहित होती रही। बाद में इसकी जल की गुणवत्ता धीरे-धीरे खराब होती गई और इसके तटों पर अतिक्रमण के कारण यह एक सीवर में तब्दील हो गई।
    • वर्ष 1998 में कलकत्ता उच्च न्यायालय ने एक महीने के भीतर नदी से सभी प्रकार के  अतिक्रमण हटाने का निर्देश दिया था।
      • हालाँकि एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार, इस पहले आदेश के दो दशक बाद भी अतिक्रमण अभी भी कायम है।
  • हालिया स्थिति:  
    • राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आँकड़ों के अनुसार, इस नदी को अब व्यावहारिक रूप से मृत माना जा सकता है और ऐसा कहा जा सकता है कि नदी के प्रति 100 मिलीलीटर जल में 17 मिलियन से अधिक मल बैक्टीरिया मौजूद हैं और यह एक गंदे नाले के रूप में परिवर्तित हो गई है। इसमें ऑक्सीजन की मात्रा भी शून्य है। 
  • पुनरुद्धार:  
    • राष्ट्रीय हरित अधिकरण (National Green Tribunal) द्वारा पश्चिम बंगाल सरकार को निर्देशित किया गया है कि नदी के पुनरुद्धार कार्य को सकारात्मक रूप से 30 सितंबर, 2025 तक पूरा किया जाए।
    • बांग्लादेश के सिलहट में गैर-लाभकारी एक्शन एड द्वारा आयोजित एक अंतर्राष्ट्रीय जल सम्मेलन के दौरान प्रदूषण संबंधी अध्ययन के लिये इस नदी का चयन किया गया था।
    • आदि गंगा के अतिरिक्त बांग्लादेश में बुरीगंगा, चीन में पुयांग, नेपाल में बागमती और मलेशिया में क्लैंग का भी इस सम्मेलन के दौरान प्रदूषण संबंधी अध्ययन के लिये चयन किया गया था।

नोट: 

  • आदि गंगा, जिसे गोबिंदपुर क्रीक, सुरमन नहर और (वर्तमान में) टोली नहर के रूप में भी जाना जाता है, 15वीं से 17वीं शताब्दी के बीच हुगली नदी की मुख्य धारा थी जो प्राकृतिक कारणों से सूख गई थी।
  • वर्ष 1750 के आसपास नदी के मुख्य मार्ग को हावड़ा से सटी सरस्वती नदी के निचले हिस्से से जोड़ने के लिये एक नहर का निर्माण किया गया था।
    • नतीजतन, आदि गंगा एक छोटी सहायक नदी में तब्दील होने के बाद हुगली मुख्य नदी बन गई।

राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (NMCG):

  • परिचय:  
    • 12 अगस्त, 2011 को NMCG को सोसायटी पंजीकरण अधिनियम, 1860 के तहत एक सोसायटी के रूप में सूचीबद्ध किया गया था। 
    • NMCG को गंगा नदी के कायाकल्प, संरक्षण एवं प्रबंधन के लिये राष्ट्रीय परिषद द्वारा लागू किया गया है जिसे राष्ट्रीय गंगा परिषद के रूप में भी जाना जाता है। 
  • उद्देश्य: 
    • NMCG का उद्देश्य प्रदूषण को कम करना एवं गंगा नदी का कायाकल्प सुनिश्चित करना है।
    • जल की गुणवत्ता और पर्यावरणीय रूप से सतत् विकास सुनिश्चित करने के उद्देश्य से  व्यापक योजना एवं प्रबंधन तथा नदी में न्यूनतम पारिस्थितिक प्रवाह को बनाए रखने के लिये अंतर-क्षेत्रीय समन्वय को बढ़ावा देना है। 
  • संगठन संरचना:
    • इस अधिनियम में गंगा नदी में पर्यावरण प्रदूषण की रोकथाम, नियंत्रण एवं उपशमन के उपाय करने हेतु राष्ट्रीय, राज्य और ज़िला स्तर पर पाँच स्तरीय संरचना की परिकल्पना की गई है। 
      • भारत के प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में राष्ट्रीय गंगा परिषद
      • केंद्रीय जल शक्ति मंत्री (जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण विभाग) की अध्यक्षता में गंगा नदी पर अधिकार प्राप्त कार्य बल (ETF)
      • राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (NMCG)
      • राज्य गंगा समितियाँ।
      • राज्यों में गंगा नदी और उसकी सहायक नदियों से सटे प्रत्येक निर्दिष्ट ज़िले में ज़िला गंगा समितियाँ

गंगा से संबंधित अन्य पहलें:

  • नमामि गंगे कार्यक्रम: नमामि गंगे कार्यक्रम एक एकीकृत संरक्षण मिशन है जिसे जून 2014 में केंद्र सरकार द्वारा 'फ्लैगशिप कार्यक्रम' के रूप में अनुमोदित किया गया था ताकि प्रदूषण के प्रभावी उन्मूलन और राष्ट्रीय नदी गंगा के संरक्षण एवं कायाकल्प जैसे दोहरे उद्देश्यों को पूरा किया जा सके।
    • गंगा नदी को वर्ष 2008 में भारत की 'राष्ट्रीय नदी' घोषित किया गया।
  • गंगा एक्शन प्लान: यह पहली नदी कार्ययोजना थी जो 1985 में पर्यावरण और वन मंत्रालय द्वारा लाई गई थी। इसका उद्देश्य जल अवरोधन, डायवर्ज़न व घरेलू सीवेज के उपचार द्वारा जल की गुणवत्ता में सुधार करना था।
    • राष्ट्रीय नदी संरक्षण योजना गंगा कार्ययोजना का विस्तार है। इसका उद्देश्य गंगा कार्ययोजना चरण-2 के तहत गंगा नदी की सफाई करना है
  • भुवन-गंगा वेब एप: यह गंगा नदी में प्रवेश करने वाले प्रदूषण की निगरानी में जनता की भागीदारी सुनिश्चित करता है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न. निम्नलिखित युग्मों पर विचार कीजिये: (2013)

     राष्ट्रीय उद्यान           उद्यान से होकर बहने वाली नदी

  1. कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान                  गंगा
  2. काज़ीरंगा राष्ट्रीय उद्यान             मानस
  3. साइलेंट वैली नेशनल पार्क         कावेरी

उपर्युक्त युग्मों में से कौन-सा/से सही सुमेलित है/हैं?  

(a) केवल 1 और 2 
(b) केवल 3 
(c) केवल 1 और 3 
(d) उपरोक्त में से कोई नहीं 

उत्तर: (d) 


प्रश्न. टिहरी जलविद्युत परियोजना निम्नलिखित में से किस नदी पर स्थित है? (2008) 

(a) अलकनंदा 
(b) भागीरथी 
(c) धौलीगंगा 
(d) मंदाकिनी 

उत्तर: (b) 

स्रोत: डाउन टू अर्थ


सामाजिक न्याय

मातृ मृत्यु दर प्रवृत्ति: संयुक्त राष्ट्र

प्रिलिम्स के लिये:

महिलाओं से संबंधित मुद्दे, मातृ मृत्यु दर, SDG

मेन्स के लिये:

मातृ मृत्यु दर प्रवृत्ति संयुक्त राष्ट्र। 

चर्चा में क्यों? 

संयुक्त राष्ट्र (UN) की नई रिपोर्ट "मातृ मृत्यु दर प्रवृत्ति (Trends in Maternal Mortality)" के अनुसार,वर्ष 2020 में दर्ज अनुमानित 287,000 मातृ मृत्यु की घटनाओं में से 70% उप-सहारा अफ्रीका में हुईं। 

  • उप-सहारा अफ्रीका में मातृ मृत्यु दर (MMR) प्रति लाख जीवित जन्म पर 545 मौतों के खतरनाक उच्च स्तर पर थी, जो वैश्विक औसत 223 से कई गुना अधिक थी। 

रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष:

  • सांख्यिकी: 
    • हर दो मिनट में गर्भावस्था या प्रसव के दौरान एक महिला की मृत्यु हो जाती है, जो हाल के वर्षों में महिलाओं के स्वास्थ्य की खतरनाक स्थिति का खुलासा करती है, क्योंकि विश्व के लगभग सभी क्षेत्रों में मातृ मृत्यु की घटनाएँ या तो बढ़ी या स्थिर रही हैं।
    • वर्ष 2020 में जब संयुक्त राष्ट्र के सतत् विकास लक्ष्य (SDG) लागू हुए थे उस समय विश्व भर में अनुमानतः 287,000 मातृ मृत्यु की घटनाएँ देखी गईं, जो वर्ष 2016 के 309,000 से थोड़ी कम हैं।
    • हालाँकि वर्ष 2000 और 2015 के मध्य मातृ मृत्यु के आँकड़े को कम करने में महत्त्वपूर्ण प्रगति हुई है, इसके बाद प्रगति काफी हद तक स्थित रही या कुछ मामलों में विपरीत भी देखी गई है।
  • मातृ मृत्यु अनुपात: 
    • वर्ष 2020 में कुल मातृ मृत्यु की लगभग 70% घटनाएँ उप-सहारा अफ्रीका में देखी गईं।
    • उच्च या अति उच्च MMR वाले विश्व के शीर्ष तीन उप-क्षेत्र उप-सहारा अफ्रीका में पाए गए।
      • यह पश्चिमी अफ्रीका में 754 मध्य अफ्रीका में 539 और पूर्वी अफ्रीका में 351 देखी गईं।
      • देश के स्तर पर दक्षिण सूडान (1,223), चाड (1,063) और नाइजीरिया (1,047) में एक समान प्रवृत्ति देखी गई, जिसमें बहुत अधिक यानी 1,000 से अधिक MMR दर्ज किया गया।
    • वर्ष 2020 में लगभग 82,000 मातृ मृत्यु के आँकड़े के साथ नाइजीरिया में महामारी वर्ष में कुल अनुमानित वैश्विक मातृ मृत्यु की लगभग एक-चौथाई (28.5%) घटनाएँ देखी गईं।
    • वर्ष 2000 से 2020 तक उप-सहारा अफ्रीका, उत्तरी अफ्रीका, ओशिनिया (ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड को छोड़कर) तथा पश्चिमी एशिया, पूर्वी एवं दक्षिण-पूर्वी एशिया में MMR में गिरावट की स्थिति स्थिर रही।
  • मातृ मृत्यु का कारण: 
    • मातृ मृत्यु के प्रमुख कारण गंभीर रक्तस्राव, उच्च रक्तचाप, गर्भावस्था से संबंधित संक्रमण, असुरक्षित गर्भपात की वजह से जटिलताएँ तथा अंतर्निहित स्थितियाँ हैं, जो गर्भावस्था (जैसे HIV/एड्स और मलेरिया) में क्षति पहुँचा सकती हैं।
      • विश्व स्तर पर 1,878 HIV से संबंधित अप्रत्यक्ष मातृ मृत्यु की घटनाएँ दर्ज की गईं, जिनमें से 1,738 (लगभग 92.5%) उप-सहारा अफ्रीका में हुईं। 
  • स्वास्थ्य देखभाल संबंधी अंतर: 
    • मोटे तौर पर एक-तिहाई महिलाएँ अनुशंसित आठ प्रसवपूर्व जाँचों में से चार भी नहीं करा पाती हैं या फिर उन्हें आवश्यक प्रसवोत्तर देखभाल की सुविधा प्राप्त नहीं होती है। साथ ही लगभग 270 मिलियन महिलाओं की आधुनिक परिवार नियोजन विधियों तक पहुँच नहीं है।  
  • जोखिम: 
    • आय, शिक्षा, नस्ल अथवा जातीयता से संबंधित असमानताएँ आवश्यक मातृत्त्व देखभाल तक सीमित पहुँच के साथ निम्नावस्था में रहने वाली गर्भवती महिलाओं के लिये जोखिम को और बढ़ा देती हैं, इनमें गर्भावस्था में अंतर्निहित स्वास्थ्य समस्याओं का अनुभव करने की सबसे अधिक संभावना है।

प्रमुख बिंदु: 

  • भारत वर्ष 2020 में 24,000 के आँकड़े के साथ मातृ मृत्यु दर के मामले में नाइजीरिया के बाद दूसरे स्थान पर था।
  • हालाँकि वर्ष 2000 से 2020 के बीच भारत में MMR में कुल मिलाकर 73.5% की कमी आई है
  • वर्ष 2020 में भारत का MMR 103 पर था, 20वीं सदी के अंत में भारत 384वें स्थान पर था।
    • तुलनात्मक दृष्टि से देखें तो अर्जेंटीना (वर्ष 2020 में MMR 45), भूटान (60), ब्राज़ील (72), किर्गिज़स्तान (50) और फिलीपींस (78) जैसे विकासशील देशों ने भारत से बेहतर प्रदर्शन किया है।

सुझाव:

  • अधिक लचीली स्वास्थ्य प्रणाली: 
    • त्वरित कार्रवाई के रूप में प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल में निवेश में वृद्धि कर और मज़बूत, अधिक लचीली स्वास्थ्य प्रणाली का निर्माण कर हम कई जीवन बचा सकते हैं, स्वास्थ्य सुधार एवं कल्याण में वृद्धि कर सकते हैं, महिलाओं तथा किशोरों के अधिकारों को बढ़ावा देकर उनके लिये संभावनाओं में वृद्धि कर सकते हैं। 
  • समुदाय-केंद्रित स्वास्थ्य देखभाल:
    • समुदाय-केंद्रित प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल से महिलाओं, बच्चों और किशोरों की ज़रूरतों को पूरा करने तथा प्रसव के समय एवं प्रसव पूर्व तथा प्रसवोत्तर देखभाल, बचपन में टीकाकरण, पोषण एवं परिवार नियोजन जैसी महत्त्वपूर्ण सेवाओं तक समान पहुँच को सुनिश्चित किया जा सकता है।  
  • प्रजनन स्वास्थ्य पर नियंत्रण:
    • अपने प्रजनन स्वास्थ्य पर नियंत्रण रखना, विशेष रूप से बच्चे पैदा करने के बारे में निर्णय लेना, यह सुनिश्चित करने के लिये महत्त्वपूर्ण है कि महिलाएँ बच्चे पैदा करने की योजना बना सकती हैं एवं अपने स्वास्थ्य की रक्षा कर सकती हैं।  
  • राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रयास:
    • मातृ- मृत्यु की रोकथाम तथा गुणवत्तापूर्ण मातृ स्वास्थ्य देखभाल तक सार्वभौमिक पहुँच प्रदान करने के लिये विशेष रूप से सबसे कमज़ोर आबादी हेतु निरंतर राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रयासों एवं अटूट प्रतिबद्धताओं की आवश्यकता होती है।  
    • यह सुनिश्चित करना हमारी सामूहिक ज़िम्मेदारी है कि प्रत्येक जगह, हर माँ प्रसव के दौरान जीवित रहे, ताकि वह और उसके बच्चे फल-फूल सकें।
  • वैश्विक लक्ष्यों को पूरा करना:
    • विश्व में मातृ मृत्यु को कम करने के लिये वैश्विक लक्ष्यों को पूरा करने की प्रगति में और तेज़ी लानी चाहिये अन्यथा वर्ष 2030 तक 1 मिलियन से अधिक महिलाओं का जीवन खतरे में पड़ जाएगा। 
      • मातृ मृत्यु के लिये SDG लक्ष्य वर्ष 2030 तक प्रति 100,000 जीवित जन्मों पर 70 से कम मातृ मृत्यु के वैश्विक MMR के लिये प्रतिबद्ध है।

स्रोत: डाउन टू अर्थ


शासन व्यवस्था

60% मतदाताओं ने आधार को मतदाता पहचान पत्र से जोड़ा

प्रिलिम्स के लिये:

निर्वाचन आयोग (EC), आधार संख्या, पुट्टास्वामी मामला (निजता का अधिकार), डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक, 2022 

मेन्स के लिये:

भारत में आधार लिंकिंग की स्थिति, आधार को मतदाता पहचान पत्र से जोड़ने से संबंधित मुद्दे।  

चर्चा में क्यों?

निर्वाचन आयोग के अनुसार, भारत के 94.5 करोड़ मतदाताओं में से 60% से अधिक मतदाताओं ने अपने आधार नंबर को मतदाता पहचान पत्र से जोड़ा है।

भारत में आधार लिंकिंग स्थिति:

  • त्रिपुरा में आधार लिंकिंग दर उच्चतम है, इस राज्य में 92% से अधिक मतदाताओं ने निर्वाचन आयोग के साथ अपना आधार विवरण साझा किया है।
  • आधार लिंकिंग दर में लक्षद्वीप दूसरे और मध्य प्रदेश तीसरे स्थान पर है, जहाँ क्रमशः 91% एवं 86% से अधिक मतदाताओं ने आधार संख्या को मतदाता पहचान पत्र से जोड़ा है।
  • दक्षिणी राज्यों में राष्ट्रीय औसत की तुलना में आधार पंजीकरण का अनुपात कम है, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में यह दर 71% है, तमिलनाडु तथा केरल में यह क्रमशः लगभग 63% और 61% है।
  • गुजरात में मतदाताओं का आधार पंजीकरण सबसे कम है, केवल 31.5% मतदाताओं ने आधार को अपने मतदाता पंजीकरण से लिंक किया है।
    • साथ ही दिल्ली में 34% से भी कम मतदाताओं के आधार मतदाता पहचान पत्र से जुड़े (लिंक्ड) हुए हैं।

सरकार द्वारा मतदाता पहचान पत्र को आधार से जोड़ने पर ज़ोर देने का कारण:

  • डेटाबेस को अद्यतित करना: 
    • इस लिंकिंग परियोजना से चुनाव आयोग को काफी मदद मिलेगी, जो आए दिन मतदाता आधार के अद्यतन और सटीक रिकॉर्ड को बनाए रखने के लिये नियमित अभ्यास करता रहता है।
  • प्रतिलिपियों (Duplicate) को हटाना: 
    • मतदाताओं के दोहराव को समाप्त करना, उदाहरण के लिये प्रवासी श्रमिक, जिनका विभिन्न निर्वाचन क्षेत्रों की मतदाता सूची में एक से अधिक बार पंजीकरण अथवा किसी व्यक्ति द्वारा एक ही निर्वाचन क्षेत्र में कई बार पंजीकरण कराया जाना,अतः इस प्रकार की समस्याओं से निपटने के लिये प्रतिलिपियों को हटाने का कार्य किया जा सकता है।
  • अखिल भारतीय मतदाता पहचान पत्र: 
    • सरकार के अनुसार, आधार को मतदाता पहचान पत्र से जोड़ने से यह सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी कि भारत के प्रत्येक नागरिक को केवल एक मतदाता पहचान पत्र जारी किया गया है।

आधार को मतदाता पहचान पत्र से जोड़ने संबंधी मुद्दे:

  • अस्पष्ट संवैधानिक स्थिति:
    • पुट्टास्वामी मामले (गोपनीयता का अधिकार) में सर्वोच्च न्यायालय ने जिन प्रश्नों की पड़ताल की उनमें से एक यह था कि क्या बैंक खातों के साथ आधार को अनिवार्य रूप से जोड़ना संवैधानिक है या नहीं
  • भिन्न उद्देश्य:
    • मतदाताओं का निर्धारण करने के उद्देश्य से आधार को प्राथमिकता देना हैरान करने वाला है क्योंकि आधार केवल निवास का प्रमाण है, न कि नागरिकता का प्रमाण
      • इसलिये इसके द्वारा मतदाता पहचान को सत्यापित करने से केवल दोहराव से निपटने में मदद मिलेगी, लेकिन यह मतदाता सूची से उन मतदाताओं को नहीं हटाएगा जो भारत के नागरिक नहीं हैं।

आगे की राह

  • मतदाता पहचान पत्र को आधार से लिंक करने के कार्य को आगे बढ़ाने के साथ सरकार डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण (DPDP) विधेयक, 2022 को लागू करने हेतु भी तत्पर है। DPDP व्यवस्था को सरकारी संस्थाओं पर भी लागू होना चाहिये जिसमें उन्हें विभिन्न सरकारी संस्थानों में अपने डेटा को साझा करने से पूर्व किसी व्यक्ति की स्पष्ट सहमति प्राप्त करने की आवश्यकता होती है। 

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, पिछले वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स: 

निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2018) 

  1. आधार कार्ड का प्रयोग नागरिकता या अधिवास के प्रमाण के रूप में किया जा सकता है। 
  2. एक बार जारी करने के पश्चात् इसे निर्गत करने वाला प्राधिकरण आधार संख्या को निष्क्रिय या लुप्त नहीं कर सकता है। 

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2

उत्तर: (d)


मेन्स:

प्रश्न. निजता के अधिकार पर उच्चतम न्यायालय के नवीनतम निर्णय के आलोक में मौलिक अधिकारों के विस्तार का परीक्षण कीजिये। (2017) 

स्रोत: द हिंदू


अंतर्राष्ट्रीय संबंध

रूस-यूक्रेन संघर्ष का एक वर्ष

प्रिलिम्स के लिये:

न्यू स्टार्ट संधि, उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (NATO), काला सागर अनाज पहल।

मेन्स के लिये:

भारत पर रूस-यूक्रेन युद्ध के प्रभाव, वैश्विक प्रभाव।

चर्चा में क्यों? 

रूस-यूक्रेन संघर्ष के एक वर्ष पूरे होने के बाद भी विश्व के कई क्षेत्रों में तनाव बढ़ने के संकेत हैं। दोनों पक्षों का यह मानना था कि यह एक तीव्र और कम समय तक चलने वाला युद्ध होगा, जो कि गलत साबित हुआ है।

संघर्ष की वर्तमान स्थिति: 

  • पश्चिमी देशों ने हाल ही में यूक्रेन को अधिक उन्नत हथियारों की आपूर्ति करने की घोषणा की है, जिससे इस संघर्ष में उनकी भागीदारी गहरी हुई है।
    • जवाब में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने पहले ही यूक्रेन में 1,000 किलोमीटर लंबी सीमा रेखा निर्माण के साथ रूस की स्थिति को मज़बूत कर दिया है।
  • युद्ध के विस्तार से रूस और उत्तर अटलांटिक संधि संगठन, दोनों परमाणु शक्तियों के बीच सीधे टकराव का जोखिम भी बढ़ रहा है।

Ukraine

  • रूस, यूक्रेन को पूर्व और दक्षिण, उत्तर-पूर्व में खार्किव से लेकर पूर्व में डोनबास (जिसमें लुहांस्क और दोनेत्स्क शामिल हैं) से दक्षिण-पश्चिम में काला सागर बंदरगाह शहर ओडेसा तक आधिपत्य स्थापित कर इस देश को एक भू-आबद्ध छोटे क्षेत्र (Land-locked Rump) में परिवर्तित करना चाहता था। रूस यहाँ मास्को के अनुकूल शासन भी स्थापित करना चाहता था परंतु रूस इनमें से किसी भी लक्ष्य को पूरा करने में विफल रहा है।
  • फिर भी रूस ने मारियुपोल सहित यूक्रेनी क्षेत्रों के पर्याप्त हिस्से पर कब्ज़ा कर लिया है। यूक्रेन में रूस का क्षेत्रीय लाभ मार्च 2022 में चरम पर था, जब उसने वर्ष 2014 से पहले के यूक्रेन के लगभग 22% हिस्से पर नियंत्रण कर लिया था।
  • यूक्रेन ने खार्किव और खेरसॉन में कुछ भूमि पर पुनः कब्ज़ा कर लिया फिर भी यूक्रेन के लगभग 17% हिस्से पर रूस का नियंत्रण है।
  • बखमुत, दोनेत्स्क और ज़ापोरिज़्ज़िया सहित कुछ सीमावर्ती क्षेत्रों पर लड़ाई जारी है।

पश्चिम की प्रतिक्रिया:

  • दृष्टिकोण:
    • रूस पर प्रतिबंध लगाकर उसकी अर्थव्यवस्था और युद्ध क्षमता को कमज़ोर करना। 
    • रूसी आक्रमण का मुकाबला करने के लिये यूक्रेन को हथियार प्रदान करना।  
  • प्रमुख सहायता प्रदाता:  
    • संयुक्त राज्य अमेरिका यूक्रेन का सबसे बड़ा सहायता प्रदाता है, इसने 70 बिलियन अमेरिकी डाॅलर से अधिक की सैन्य और वित्तीय सहायता का वादा किया है।
    • यूरोपीय संघ ने 37 बिलियन डाॅलर का वादा किया है और यूरोपीय संघ के देशों में ब्रिटेन और जर्मनी सूची में शीर्ष पर हैं।
  • पश्चिमी प्रतिक्रिया का मूल्यांकन:
    • यूक्रेन को सैन्य-उपकरण प्रदान करने का दृष्टिकोण हालाँकि रूसी प्रगति को रोकने में प्रभावी रहा है, जबकि रूस को आर्थिक रूप से क्षति पहुँचाना एक दोधारी तलवार के समान रहा है।
      • तेल एवं गैस के शीर्ष वैश्विक उत्पादकों में से एक रूस पर प्रतिबंधों ने वैश्विक अर्थव्यवस्था को बुरी तरह प्रभावित किया, जिससे पश्चिम में, विशेष रूप से यूरोप में मुद्रास्फीति का संकट गहरा गया।
      • इससे रूस को भी आघात लगा लेकिन उसने एशिया में ऊर्जा निर्यात के लिये अपने वैकल्पिक बाज़ार खोज लिये, जिससे वैश्विक ऊर्जा निर्यात परिदृश्य का पुनर्निर्धारण हुआ। वर्ष 2022 में प्रतिबंधों के बावजूद रूस ने अपने तेल उत्पादन में 2% की वृद्धि की और तेल निर्यात आय में 20% की वृद्धि हुई।
      • रूसी अर्थव्यवस्था में वर्ष 2023 में 2% की गिरावट का अनुमान लगाया गया था, लेकिन IMF के अनुसार, इसके वर्ष 2023 में 0.3% और वर्ष 2024 में 2.1% वृद्धि की उम्मीद है।
      • इसकी तुलना में यूरोप की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था जर्मनी में वर्ष 2023 में 0.1% की वृद्धि होने की उम्मीद है, जबकि यूक्रेन के दूसरे सबसे बड़े समर्थक ब्रिटेन में 0.6% की गिरावट का अनुमान है।

क्या बातचीत के ज़रिये समाधान की संभावना है?

  • दोनों पक्षों ने मार्च 2022 में संभावित शांति योजना के बारे में कई मसौदों का आदान-प्रदान किया था, लेकिन अमेरिका और ब्रिटेन ने यूक्रेन के रूस के साथ किसी भी समझौते पर पहुँचने का कड़ा विरोध किया था इसलिये वार्ता विफल हो गई।
  • जुलाई 2022 में तुर्की ने काला सागर के माध्यम से रूसी और यूक्रेनी खाद्यान्न की निकासी पर एक सौदा किया, जिसे ब्लैक सी ग्रेन पहल के रूप में जाना जाता है। इसके अलावा युद्धरत पक्ष कुछ कैदी विनिमय समझौतों पर पहुँचे थे।  
  • इन्हें छोड़कर दोनों पक्षों के मध्य वार्तालाप न के बराबर है।
    • रूस अपने "विशेष सैन्य अभियान" की धीमी प्रगति के बावजूद अडिग है।
    • ज़ेलेंस्की ने हाल ही में कहा था कि वह रूस के साथ क्षेत्रीय समझौता करने वाले किसी भी समझौते पर मध्यस्ता नहीं करेंगे।
    • वार्तालाप हेतु पश्चिमी देशों द्वारा किसी भी प्रकार का प्रयास नहीं किया गया है।
    • चीन ने अपनी शांति पहल के साथ कदम रखा है, जो अभी तक अधिकार क्षेत्र (domain) में नहीं है।
  • किसी भी शांति योजना को सफल होने के लिये कुछ प्रमुख मुद्दों पर ध्यान देना होगा।
    • यूक्रेन की क्षेत्रीय चिंताएँ।
    • रूस की सुरक्षा चिंताएँ।
    • वाशिंगटन और मास्को को किसी निष्कर्ष तक पहुँचना चाहिये क्योंकि यूक्रेन की पश्चिम के देशों पर निर्भरता को देखते हुए उसे किसी भी अंतिम समझौते पर सहमति के लिये पश्चिम के देशों से मंज़ूरी लेने की आवश्यकता होगी। 
      • हालाँकि नई स्टार्ट(START) संधि से रूसी वापसी के संदर्भ में निकट भविष्य में किसी तरह के समझौतें की संभावना धूमिल दिखती है।  

युद्ध ने भू-राजनीति को किस प्रकार नया रूप दिया है? 

  • सुरक्षा और रक्षा पर अधिक ध्यान:  
    • युद्ध ने यूरोप-अमेरिका सुरक्षा गठबंधन को फिर से सक्रिय कर दिया है। नाटो ने स्वीडन और फिनलैंड के प्रस्तावित अंतर्वेशन (Inclusion) के लिये अपने द्वार खोल दिये है, जो एक बार (तुर्की की मंज़ूरी की प्रतीक्षा है) रूस के खिलाफ गठबंधन की नई सैन्य सीमाओं का निर्माण करेगा।   
  • विश्वास की कमी:  
    • रूस और पश्चिम के मध्य विश्वास की कमी अब तक के उच्चतम स्तर पर है। अमेरिका के नेतृत्त्व वाला गठबंधन यूक्रेन में हथियारों की आपूर्ति कर रहा है। 
      • हालाँकि अमेरिकी राष्ट्रपति यूक्रेन की सभी मांगों को स्वीकार करने के लिये अनिच्छुक प्रतीत होते हैं, जिसमें F16s सहित लड़ाकू विमान की मांग शामिल है; शायद अमेरिकी राष्ट्रपति युद्ध के व्यापक होने के जोखिम के प्रति सचेत हैं।
  • चीन की भूमिका: 
    • मास्को ने वर्ष 2022 में चीन के साथ अपनी दोस्ती को "असीमित" घोषित किया लेकिन चीन भी अपने यूरोप के साथ संबंधों को खतरे में नहीं डालना चाहता है। 
    • चीन ने रूस को हथियारों में योगदान नहीं दिया है और परमाणु युद्ध के खिलाफ अपनी आपत्ति भी व्यक्त की है। 
  • हालाँकि अमेरिका और यूरोप रूस को चीनी हथियारों की आपूर्ति के बारे में अभी भी चिंतित हैं। 

भारत की स्थिति:

  • यूक्रेन युद्ध सामरिक स्वायत्तता का अभ्यास करने का एक अवसर रहा है। भारत ने तटस्थता अपनाते हुए वैश्विक शांति का समर्थन करते हुए मास्को, रूस के साथ अपने संबंध बनाए रखा है।
  • भारत ने रूस से तेल खरीदने हेतु पश्चिमी प्रतिबंधों के वातावरण में काम किया। भारत,  रूस से 25% तेल खरीद कर रहा है, जो पहले 2% से भी कम थी।
  • भारत हाल ही में युद्ध की पहली वर्षगाँठ पर UNGA के एक प्रस्ताव से अनुपस्थित रहा, जिसमें रूस को अपने क्षेत्र से हटने के लिये कहा गया, क्योंकि प्रस्ताव में स्थायी शांति स्थापित करने के स्थायी लक्ष्य की कमी थी।
    • रूसी आक्रमण के बाद से संयुक्त राष्ट्र महासभा में यूक्रेन संकट पर अब तक हुए तीन बार के मतदान में भारत सभी में अनुपस्थित रहा है।
  • लेकिन अगर युद्ध जारी रहता है तो पश्चिमी गठबंधन भारत पर "सही पक्ष" का समर्थन करने हेतु दबाव बढ़ाएगा।
  • भारत ने उम्मीद जताई है कि वह शांति हेतु अपनी G-20 अध्यक्षता का उपयोग कर सकता है। 

आगे की राह 

  • संघर्षशील पक्षों फिर से बात करने की तत्काल आवश्यकता है क्योंकि शत्रुता और हिंसा का बढ़ना किसी के हित में नहीं है।
  • अंतर्राष्ट्रीय सिद्धांत और न्यायशास्त्र स्पष्ट रूप से कहते हैं कि संघर्ष के पक्षकारों को यह सुनिश्चित करना चाहिये कि नागरिकों एवं नागरिक बुनियादी ढाँचे को लक्षित नहीं किया जाना चाहिये तथा वैश्विक व्यवस्था अंतर्राष्ट्रीय कानून, संयुक्त राष्ट्र चार्टर और सभी राज्यों की क्षेत्रीय अखंडता एवं संप्रभुता के सम्मान पर स्थापित होती है। इन सिद्धांतों का बिना किसी अपवाद के पालन किया जाना चाहिये।

स्रोत: द हिंदू


भारतीय राजनीति

EPS के तहत उच्च पेंशन

प्रिलिम्स के लिये:

EPFO, EPS, सर्वोच्च न्यायालय, कर्मचारी पेंशन (संशोधन) योजना, 2014।

मेन्स के लिये:

EPS के तहत उच्च पेंशन।

चर्चा में क्यों? 

सर्वोच्च न्यायालय (SC) के 4 नवंबर, 2022 के निर्णय के अनुसार, कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) ने अपने पुराने सदस्यों के एक वर्ग को कर्मचारी पेंशन योजना (EPS) के तहत उच्च पेंशन का विकल्प चुनने की अनुमति देने हेतु दिशा-निर्देश जारी किये हैं।

SC का नवंबर 2022 का निर्णय:

  • सर्वोच्च न्यायालय ने कर्मचारी पेंशन (संशोधन) योजना, 2014 को बरकरार रखा, लेकिन नई योजना का विकल्प चुनने की समय-सीमा को चार महीने बढ़ा दिया।
  • अनुच्छेद 142 के तहत सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय EPFO सदस्यों, जिन्होंने EPS का लाभ उठाया है, को अगले चार महीनों में अपने वास्तविक वेतन का 8.33% तक का विकल्प चुनने एवं योगदान करने का एक और अवसर प्रदान करता है, जबकि पेंशन योग्य वेतन का 8.33% पेंशन के लिये 15,000 रुपए प्रतिमाह तक सीमित है। 
    • पूर्व-संशोधन योजना के तहत पेंशन योग्य वेतन की गणना पेंशन फंड की सदस्यता से बाहर निकलने से पहले के 12 महीनों के दौरान प्राप्त वेतन के औसत के रूप में की गई थी। पेंशन फंड की सदस्यता से बाहर निकलने को लेकर संशोधनों ने इसे औसतन 60 महीने तक बढ़ा दिया।
  • न्यायालय ने फैसला सुनाया कि सदस्यों को प्रतिमाह 15,000 रुपए से अधिक वेतन का अतिरिक्त 1.16% योगदान करने की आवश्यकता वाला संशोधन कर्मचारी भविष्य निधि और विविध प्रावधान अधिनियम, 1952 का उल्लंघन करता है।

नए दिशा-निर्देश:

  • नए दिशा-निर्देश कर्मचारियों के EPS के लिये वास्तविक मूल वेतन (मूल वेतन + DA) के 8.33% के बराबर की राशि काटने के लिये विंडो की व्यवस्था करते हैं, जिससे बड़ी राशि जमा करने और उच्च पेंशन राशि प्राप्त करने में मदद मिलती है।
    • वर्तमान में कर्मचारियों से EPS योगदान पेंशन योग्य वेतन के लिये अधिकतम 15,000 रुपए है।
  • जो अंशधारक इसका विकल्प चुनते हैं, उनके लिये सितंबर 2014 से कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) में जाने वाले नियोक्ताओं के हिस्से को अर्जित ब्याज के साथ EPS में स्थानांतरित कर दिया जाएगा।
  • लाभ प्राप्त करने हेतु मूल मानदंड हैं: 
    • कर्मचारी जो 1 सितंबर, 2014 से पहले सदस्य थे और उस तारीख को या उसके बाद भी सदस्य बने रहे।
    • कर्मचारी और नियोक्ता जिन्होंने 5,000 रुपए या 6,500 रुपए की वेतन सीमा से अधिक वेतन में योगदान दिया था।
    • कर्मचारी और नियोक्ता जिन्होंने EPS सदस्य होने के दौरान संयुक्त विकल्प का प्रयोग नहीं किया था।

कर्मचारी पेंशन योजना (Employees' Pension Scheme- EPS): 

  • EPFO द्वारा प्रशासित EPS, वर्ष 1995 में अस्तित्व में आया। पेंशन फंड में PF कॉर्पस हेतु नियोक्ताओं के योगदान का 8.33% जमा करना होता है।
  • यह 58 वर्ष की आयु में सेवानिवृत्ति के बाद संगठित क्षेत्र के कर्मचारियों हेतु पेंशन का प्रावधान करता है।
  • जो कर्मचारी EPF के सदस्य हैं वे स्वत: ही EPS के सदस्य बन जाते हैं। 
    • कर्मचारी भविष्य निधि (Employees’ Provident Fund- EPF) योजना में नियोक्ता तथा कर्मचारी दोनों कर्मचारी के मासिक वेतन (मूल वेतन और महँगाई भत्ता) का 12% योगदान करते हैं।
    • EPF योजना उन कर्मचारियों हेतु अनिवार्य है जो प्रतिमाह 15,000 रुपए का मूल वेतन प्राप्त करते हैं।
    • नियोक्ता के 12% हिस्से में से 8.33% EPS में जमा किया किया जाता है।
    • केंद्र सरकार भी कर्मचारियों के मासिक वेतन का 1.16% योगदान करती है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न. भारत में नियोजित अनियत मज़दूरों के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2021)

  1. सभी अनियत मज़दूर कर्मचारी भविष्य निधि सुरक्षा के हकदार हैं।
  2. सभी अनियत मज़दूर नियमित कार्य समय और समयोपरि भुगतान के हकदार हैं।
  3. सरकार अधिसूचना द्वारा यह विनिर्दिष्ट कर सकती है कि कोई प्रतिष्ठान या उद्योग केवल अपने बैंक खातों के माध्यम से मज़दूरी का भुगतान करेगा।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-से सही हैं?

(a) केवल 1 और 2 
(b) केवल 2 और 3 
(c) केवल 1 और 3 
(d) 1, 2 और 3 

उत्तर: (d) 

स्रोत: द हिंदू


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