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डेली न्यूज़

  • 21 Oct, 2022
  • 39 min read
भारतीय विरासत और संस्कृति

लोथल: दुनिया का सबसे पुराना ज्ञात बंदरगाह

प्रिलिम्स के लिये:

सिंधु घाटी सभ्यता, विश्व विरासत का महत्त्व, ASI

मेन्स के लिये:

लोथल, मोहनजोदड़ो, यूनेस्को के विश्व धरोहर स्थल

चर्चा में क्यों?

हाल ही में प्रधानमंत्री ने गुजरात के लोथल में राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर (National Maritime Heritage Complex-NMHC) साइट के निर्माण की समीक्षा की है।

राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर:

  • यह परियोजना मार्च 2022 में शुरू हुई और इसे 3,500 करोड़ रुपए की लागत से विकसित किया जा रहा है।
  • इसमें लोथल मिनी-रिक्रिएशन जैसी कई नवीन विशेषताएँ होंगी, जो इमर्सिव तकनीक के माध्यम से हड़प्पा वास्तुकला और जीवन-शैली को फिर से बनाएंगी।
  • इसमें चार थीम पार्क हैं- मेमोरियल थीम पार्क, मैरीटाइम एंड नेवी थीम पार्क, क्लाइमेट थीम पार्क और एडवेंचर एंड एम्यूज़मेंट थीम पार्क।
  • यह भारत के समुद्री इतिहास को सीखने और समझने के केंद्र के रूप में कार्य करेगा।
  • NMHC को भारत की विविध समुद्री विरासत को प्रदर्शित करने और लोथल को विश्व स्तरीय अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन स्थल के रूप में उभरने में मदद करने के उद्देश्य से विकसित किया जा रहा है।

लोथल:

  • परिचय:
    • लोथल, सिंधु घाटी सभ्यता (IVC) के सबसे दक्षिणी स्थलों में से एक था, जो अब गुजरात राज्य के भाल क्षेत्र में स्थित है।
    • माना जाता है कि बंदरगाह शहर 2,200 ईसा पूर्व में बनाया गया था।
    • लोथल प्राचीन काल में एक फलता-फूलता व्यापार केंद्र था, जहाँ से मोतियों, रत्नों और गहनों का व्यापार पश्चिम एशिया तथा अफ्रीका तक किया जाता था।
    • गुजराती में लोथल (लोथ और थाल का एक संयोजन) का अर्थ है "मृतकों का टीला।
      • संयोग से मोहनजो-दड़ो शहर का नाम (सिंधु घाटी सभ्यता का हिस्सा, जो अब पाकिस्तान में है) का अर्थ सिंधी में भी यही है।
    • लोथल में दुनिया का सबसे पुराना ज्ञात बंदरगाह था, जो शहर को सिंध के हड़प्पा शहरों और सौराष्ट्र प्रायद्वीप के बीच व्यापार मार्ग पर साबरमती नदी के प्राचीन मार्ग से जोड़ता था
  • खोज:
    • भारतीय पुरातत्त्वविदों ने वर्ष 1947 के बाद गुजरात के सौराष्ट्र में हड़प्पा सभ्यता के शहरों की खोज शुरू की।
    • पुरातत्त्वविद् एस.आर. राव ने उस टीम का नेतृत्व किया जिसने उस समय कई हड़प्पा स्थलों की खोज की, जिसमें बंदरगाह शहर लोथल भी शामिल था।
      • लोथल में फरवरी 1955 से मई 1960 के बीच खुदाई का कार्य किया गया।
  • डॉकयार्ड की पहचान:
    • नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओशनोग्राफी, गोवा ने स्थल पर समुद्री माइक्रोफॉसिल और नमक, जिप्सम, क्रिस्टल की खोज की, जो दर्शाता है कि यह निश्चित रूप से डॉकयार्ड था।
    • बाद की खुदाई में ASI ने टीला, बस्ती, बाज़ार और बंदरगाह का पता लगाया।
    • खुदाई वाले क्षेत्रों के निकट पुरातात्त्विक स्थल संग्रहालय है, जहाँ भारत में सिंधु-युग की प्राचीन वस्तुओं के कुछ सबसे प्रमुख संग्रह प्रदर्शित किये गए हैं।

लोथल विरासत का महत्त्व:

  • लोथल को अप्रैल 2014 में यूनेस्को के विश्व धरोहर स्थल के रूप में नामित किया गया था और इसका आवेदन यूनेस्को की अस्थायी सूची में लंबित है।
  • लोथल का उत्खनन स्थल सिंधु घाटी सभ्यता का एकमात्र बंदरगाह शहर है।
  • इसका विरासत मूल्य दुनिया भर के अन्य प्राचीन बंदरगाह-नगरों के बराबर है, जिनमें शामिल हैं,
    • जेल हा (पेरू)
    • इटली में ओस्टिया (रोम का बंदरगाह) और कार्थेज़ (ट्यूनिस का बंदरगाह)
    • चीन में हेपू
    • मिस्र में कैनोपस
    • गैबेल (फोनीशियन के बायब्लोस)
    • इज़रायल में जाफा
    • मेसोपोटामिया में उर
    • वियतनाम में होई एन
  • इस क्षेत्र में इसकी तुलना बालाकोट (पाकिस्तान), खिरसा (गुजरात के कच्छ में) और कुंतासी (राजकोट में) के अन्य सिंधु बंदरगाह शहरों से की जा सकती है।

UPSC  सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न:

प्रिलिम्स:

प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन सा प्राचीन नगर अपने उन्नत जल संचयन और प्रबंधन प्रणाली के लिये सुप्रसिद्ध है, जहाँ बाँधों की शृंखला का निर्माण किया गया था और संबद्ध जलाशयों में नहर के माध्यम से जल को प्रवाहित किया जाता था? (2021)

(a) धोलावीरा
(b) कालीबंगा
(c) राखीगढ़ी
(d) रोपड़

उत्तर: (a)

व्याख्या:

  • धोलावीरा शहर कच्छ के रण में खादिर बेयत पर स्थित था, जहाँ ताज़ा पानी और उपजाऊ मिट्टी की उपलब्धता थी। कुछ अन्य हड़प्पा शहरों, जो दो भागों में विभाजित थे, के विपरीत धोलावीरा को तीन भागों में विभाजित किया गया था और प्रत्येक भाग विशाल पत्थरों की दीवारों से घिरा हुआ था, जिसमें प्रवेशद्वार थे।
  • इस बस्ती में एक बड़ा खुला क्षेत्र भी था, जहाँ सार्वजनिक समारोह आयोजित किये जा सकते थे। अन्य खोजों में हड़प्पा लिपि के बड़े अक्षर शामिल हैं जो सफेद पत्थर से उकेरे गए थे और शायद लकड़ी में जड़े हुए थे। यह एक अनूठी खोज है क्योंकि आमतौर पर हड़प्पाई लेखन छोटी वस्तुओं जैसे मुहरों पर पाया गया है।
  • अब तक खोजे गए 1,000 से अधिक हड़प्पा स्थलों में से छठवाँ सबसे बड़ा स्थल होने के नाते तथा 1,500 से अधिक वर्षों तक कब्जा किये गए धोलावीरा न केवल मानव जाति की इस प्रारंभिक सभ्यता के उत्थान एवं पतन के पूरे प्रक्षेपवक्र का गवाह है, बल्कि योजना, निर्माण तकनीक, जल प्रबंधन, सामाजिक शासन और विकास, कला, निर्माण, व्यापार व विश्वास प्रणाली के शहरी संदर्भ में अपनी बहुमुखी उपलब्धियों को भी प्रदर्शित करता है।
  • धोलावीरा की अच्छी तरह से संरक्षित शहरी बस्ती अपनी असाधारण रूप से समृद्ध कलाकृतियों, अनूठी विशेषताओं के साथ क्षेत्रीय केंद्र की एक विशद तस्वीर पेश करती है और समग्र रूप से हड़प्पा सभ्यता की हमारी समझ को बढ़ाने में मदद करती है।

अतः विकल्प (a) सही उत्तर है।


प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन सिंधु सभ्यता के लोगों की विशेषता/विशेषताएँ है/हैं? (2013)

  1. उनके पास बड़े-बड़े महल और मंदिर थे।
  2. वे देवी और देवताओं दोनों की पूजा करते थे।
  3. उन्होंने युद्ध में घोड़ों द्वारा खींचे जाने वाले रथों का उपयोग किया।

नीचे दिये गए कूट का उपयोग करके सही विकल्प चुनिये:

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2
(c) 1, 2 और 3
(d) उपर्युक्त कोई भी कथन सही नहीं है

उत्तर: (b)


प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन-सा हड़प्पा स्थल नहीं है? (2019)

(a) चन्हुदड़ो
(b) कोट दिजी
(c) सोहगौरा
(d) देसलपुर

उत्तर: (c)

व्याख्या:

  • कोट दीजी (अब पाकिस्तान के सिंध क्षेत्र में) सिंधु नदी के पूर्वी तट पर एक प्रारंभिक हड़प्पा स्थल था और इसकी खुदाई 1955 और 1957 के बीच की गई थी।
  • पाकिस्तान में चन्हुदड़ो और गुजरात में देसलपुर परिपक्व हड़प्पा स्थल हैं।
  • उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में इसे सोहगौरा तांबे की प्लेट शिलालेख के लिये जाना जाता है जिसे मौर्य काल का माना जाता है। यह हड़प्पा स्थल नहीं है।

अतः विकल्प (c) सही उत्तर है।


मेन्स

प्रश्न. सिंधु घाटी सभ्यता की नगरीय योजना और संस्कृति ने किस हद तक वर्तमान शहरीकरण में योगदान दिया है? चर्चा कीजिये (2014)

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस


भारतीय राजव्यवस्था

हिंदी भाषा विवाद

प्रिलिम्स के लिये:

हिंदी, भाषा आयोग, राजभाषा अधिनियम 1963 के प्रचार से संबंधित संवैधानिक प्रावधान।

मेन्स के लिये:

आधिकारिक/राष्ट्रीय भाषा के रूप में हिंदी का उपयोग, त्रिभाषा सूत्र, हिंदी विरोधी आंदोलन आदि।

चर्चा में क्यों?

भारत के राष्ट्रपति को सौंपी गई राजभाषा समिति की रिपोर्ट के 11वें खंड पर कुछ दक्षिणी राज्यों की नाराज़गी की प्रतिक्रियाएँ सामने आई हैं (वे रिपोर्ट को उन पर हिंदी थोपने के प्रयास के रूप में देखते हैं)।

पैनल की सिफारिशें:

  • हिंदी भाषी राज्यों में IIT, IIM और केंद्रीय विश्वविद्यालयों में शिक्षा का माध्यम हिंदी होना चाहिये।
  • प्रशासन में संचार के लिये इस्तेमाल की जाने वाली भाषा हिंदी होनी चाहिये और पाठ्यक्रम को हिंदी में पढ़ाने का प्रयास किया जाना चाहिये।
  • अन्य राज्यों में उच्च न्यायालय, जहाँ कार्यवाही अंग्रेज़ी या एक क्षेत्रीय भाषा में की जाती है, हिंदी में अनुवाद उपलब्ध करा सकते हैं, क्योंकि अन्य राज्यों के उच्च न्यायालयों के फैसले अक्सर निर्णयों में उद्धृत होते हैं।
    • उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, बिहार, हरियाणा और राजस्थान में निचली अदालतें पहले से ही हिंदी का उपयोग करती हैं।
  • हिंदी भाषी राज्यों में केंद्र सरकार के अधिकारियों और अन्य कर्मचारियों द्वारा हिंदी के उपयोग को उनकी वार्षिक प्रदर्शन मूल्यांकन रिपोर्ट (APAR) में दर्शाया जाएगा।
  • यह समिति की ज़िम्मेदारी और उत्तरदायित्व होगा कि आधिकारिक संचार में हिंदी भाषा को बढ़ावा दिया जाए।
  • आधिकारिक दस्तावेज़ं और निमंत्रणं पत्रों में भाषा को सरल बनाने के लिये विशिष्ट प्रस्ताव हैं।
    • "आधिकारिक संचार में अंग्रेज़ी भाषा के उपयोग को कम करने और हिंदी के उपयोग को बढ़ाने के लिये प्रयास किया जाना चाहिये"।
    • "कई सरकारी नौकरियों में हिंदी का ज्ञान अनिवार्य होगा"।

सिफारिशें राज्य सरकारों, उनके संस्थानों और विभागों हेतु लक्षित:

  • तमिलनाडु और केरल जैसे राज्यों को राजभाषा अधिनियम, 1963 एवं नियमों और विनियमों (अधिनियम के), 1976 के अनुसार छूट दी गई है।
  • कानून केवल 'A' श्रेणी के उन राज्यों में लागू किया गया है, जिनमें आधिकारिक भाषा हिंदी है।"
    • नियमों के अनुसार, श्रेणी 'A' में बिहार, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, उत्तराखंड, राजस्थान और उत्तर प्रदेश राज्य एवं केंद्रशासित प्रदेश दिल्ली तथा अंडमान और निकोबार द्वीप समूह शामिल हैं।
    • श्रेणी 'B' में गुजरात, महाराष्ट्र, पंजाब और केंद्रशासित प्रदेश चंडीगढ़, दमन एवं दीव तथा दादरा व नगर हवेली शामिल हैं।
    • अन्य राज्य, जहाँ हिंदी का उपयोग 65% से कम है, श्रेणी 'C' के अंतर्गत सूचीबद्ध हैं।
  • समिति ने सुझाव दिया है कि श्रेणी 'A' के राज्यों में हिंदी का शत-प्रतिशत प्रयोग करने का प्रयास किया जाना चाहिये।
    • श्रेणी 'A' के राज्यों में IIT, केंद्रीय विश्वविद्यालयों और केंद्रीय विद्यालयों (KV) में शिक्षा का माध्यम हिंदी होनी चाहिये, जबकि अन्य राज्यों में क्षेत्रीय भाषा का इस्तेमाल किया जाना चाहिये।
  • समिति के अनुसार, सरकारी विभागों में हिंदी का प्रयोग:
    • रक्षा और गृह मंत्रालयों में हिंदी का प्रयोग शत-प्रतिशत है लेकिन शिक्षा मंत्रालय अभी तक उस स्तर तक नहीं पहुँचा है।
    • भाषा के उपयोग का आकलन करने के लिये समिति के कुछ मानदंड थे।
      • दिल्ली विश्वविद्यालय, जामिया मिलिया इस्लामिया, BHU और AMU सहित कई केंद्रीय विश्वविद्यालयों में हिंदी का प्रयोग केवल 25-35% है, जबकि इसे शत-प्रतिशत होना चाहिये था।

राजभाषा पर संसदीय समिति:

  • राजभाषा पर संसदीय समिति का गठन वर्ष 1976 में राजभाषा अधिनियम, 1963 की धारा 4 के तहत किया गया था।
  • संविधान के अनुच्छेद 351 द्वारा अनिवार्य रूप से हिंदी के सक्रिय प्रचार के साथ आधिकारिक संचार में हिंदी के उपयोग की समीक्षा और प्रचार के लिये राजभाषा समिति का गठन किया गया था।
  • समिति की पहली रिपोर्ट वर्ष 1987 में प्रस्तुत की गई थी।
  • समिति का गठन और अध्यक्षता केंद्रीय गृह मंत्री करेता है और वर्ष 1963 के अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार, 30 सदस्य (लोकसभा से 20 सांसद और राज्यसभा से 10 सांसद) हैं।
  • अन्य संसदीय पैनल संसद को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करते हैं, जबकि इसके विपरीत यह पैनल अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति को सौंपता है, जो "रिपोर्ट को संसद के प्रत्येक सदन के समक्ष रखेगा और सभी राज्य सरकारों को भेजेगा।

हिंदी और अन्य क्षेत्रीय भाषाओं को बढ़ावा देने हेतु सरकार के प्रयास:

  • त्रिभाषा सूत्र (कोठारी आयोग 1968):
    • पहली भाषा: यह मातृभाषा या क्षेत्रीय भाषा होगी।
    • दूसरी भाषा: हिंदी भाषी राज्यों में यह अन्य आधुनिक भारतीय भाषाएँ या अंग्रेज़ी होगी। गैर-हिंदी भाषी राज्यों में यह हिंदी या अंग्रेज़ी होगी।
    • तीसरी भाषा: हिंदी भाषी राज्यों में यह अंग्रेज़ी या आधुनिक भारतीय भाषा होगी। गैर-हिंदी भाषी राज्य में यह अंग्रेज़ी या आधुनिक भारतीय भाषा होगी।
  • वर्ष 2020 की नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) में भी "हिंदी, “संस्कृत” और क्षेत्रीय भाषाओं को बढ़ावा देने का प्रयास किया गया था। NEP का मानना है कि कक्षा 5 से संभवतः कक्षा 8 तक मातृभाषा या क्षेत्रीय भाषा शिक्षा का माध्यम होगी।
    • NEP 2020 में बहुभाषावाद और राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देने के लिये त्रिभाषा फॉर्मूले पर ज़ोर देने का निर्णय लिया गया।

अन्य क्षेत्रीय भाषाओं की तुलना में भारत में हिंदी की स्थिति:

  • वर्ष 2011 की भाषायी जनगणना के अनुसार: भारत में 121 मातृभाषाएँ हैं।
    • 8 करोड़ व्यक्तियो या यूं कहें कि 43.6% आबादी ने हिंदी को अपनी मातृभाषा घोषित किया और 11% आबादी ने हिंदी को अपनी दूसरी भाषा के रूप में बताया है।
      • अतः 55% आबादी हिंदी को या तो मातृभाषा के रूप में या अपनी दूसरी भाषा के रूप में जानती है।
    • 72 करोड़ उपयोगकर्त्ताओं और 8% जनसंख्या के साथ, बांग्ला भारत में दूसरी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है।
    • बांग्ला, मलयालम और उर्दू भाषाओँ में गिरावट आई है लेकिन हिंदी और पंजाबी बोलने वालों की संख्या बढ़ी है।
    • वर्ष 1971 से वर्ष 2011 के बीच हिंदी बोलने वालों की संख्या 2.6 गुना बढ़कर 20.2 करोड़ से 52.8 करोड़ हो गई।

हिंदी की संवैधानिक स्थिति:

  • भारतीय संविधान की अनुसूची 8 में हिंदी सहित 22 आधिकारिक भाषाएँ हैं।
  • अनुच्छेद 351: यह हिंदी भाषा को विकसित करने के लिये इसके प्रसार का प्रावधान करता है ताकि यह भारत की मिश्रित संस्कृति में सभी के लिये अभिव्यक्ति के माध्यम के रूप में कार्य कर सके।
  • अनुच्छेद 348 (2) यह भी प्रावधान करता है कि अनुच्छेद 348 (1) के प्रावधानों के बावजूद किसी राज्य का राज्यपाल, राष्ट्रपति की पूर्व सहमति से उच्च न्यायालय की कार्यवाही में हिंदी या किसी भी आधिकारिक उद्देश्य के लिये इस्तेमाल की जाने वाली किसी अन्य भाषा के उपयोग को अधिकृत कर सकता है।
  • भारत के संविधान के अनुच्छेद 343 (1) के अनुसार, देवनागरी लिपि में हिंदी, संघ की आधिकारिक भाषा होगी।
  • राजभाषा अधिनियम, 1963 धारा 7 के तहत प्रावधान करता है कि अंग्रेज़ी भाषा के अलावा किसी राज्य में हिंदी या राजभाषा का उपयोग, भारत के राष्ट्रपति की सहमति से राज्य के राज्यपाल द्वारा उच्च न्यायालय द्वारा दिये गए निर्णय, आज्ञा आदि प्रयोजन के लिये अधिकृत किया जा सकता है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये:

  1. यूनिसेफ द्वारा 21 फरवरी को अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस घोषित किया गया है।
  2. बांग्ला को राष्ट्रीय भाषाओं में से एक बनाने की मांग पाकिस्तान की संविधान सभा में उठाई गई थी।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2

उत्तर: B

व्याख्या:

  • पाकिस्तान की संविधान सभा ने 23 फरवरी, 1948 को कराची में अपने सत्र में प्रस्ताव दिया कि सदस्यों को विधानसभा में उर्दू या अंग्रेजी में बोलना होगा। पूर्वी पाकिस्तान कॉन्ग्रेस पार्टी के एक सदस्य धीरेंद्रनाथ दत्ता ने बांग्ला को संविधान सभा की एक भाषा के रूप में शामिल करने के लिये संशोधन प्रस्ताव पेश किया। उसी वर्ष, पाकिस्तान के डोमिनियन की सरकार ने उर्दू को एकमात्र राष्ट्रीय भाषा के रूप में अपनाया, जिसका पूर्वी बंगाल के बांग्ला भाषी बहुमत वाले क्षेत्र में व्यापक विरोध हुआ।
  • ढाका विश्वविद्यालय के छात्रों और अन्य राजनीतिक कार्यकर्त्ताओं ने कानून की अवहेलना की और 21 फरवरी, 1952 को एक विरोध प्रदर्शन किया। वर्षों के संघर्ष के बाद सरकार ने नरमी बरतते हुए वर्ष 1956 में बांग्ला भाषा को आधिकारिक दर्जा दिया। बांग्लादेश में, 21 फरवरी को भाषा आंदोलन दिवस मनाया जाता है। अत: कथन 2 सही है।
  • प्रतिवर्ष 21 फरवरी को अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाया जाता है। यह यूनेस्को द्वारा घोषित किया गया था, न कि यूनिसेफ द्वारा। यह भाषा आंदोलन और दुनिया भर के लोगों के जातीय अधिकारों के लिये सम्मान प्रदर्शन है। अतः कथन 1 सही नहीं है

अतः विकल्प B सही उत्तर है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस


अंतर्राष्ट्रीय संबंध

भारत-अफ्रीका रक्षा वार्ता

प्रिलिम्स के लिये:

भारत-अफ्रीका रक्षा वार्ता, भारत-अफ्रीका व्यापार

मेन्स के लिये:

भारत अफ्रीका संबंध और समझौते, भारतीय अर्थव्यवस्था में अफ्रीका का महत्त्व।

चर्चा में क्यों?

दूसरा भारत-अफ्रीका रक्षा संवाद (IADD) गुजरात के गांधीनगर में डेफएक्सपो 2022 के मौके पर आयोजित किया गया था।

भारत-अफ्रीका रक्षा वार्ता:

  • थीम:
    • रक्षा और सुरक्षा सहयोग में तालमेल और सुदृढ़ीकरण के लिये रणनीति अपनाना।
  • परिणाम दस्तावेज़:
    • गांधीनगर घोषणा को IADD 2022 के परिणाम दस्तावेज़ के रूप में अपनाया गया था।
    • यह आपसी हित के सभी क्षेत्रों में प्रशिक्षण में सहयोग बढ़ाने का प्रस्ताव करता है:
      • प्रशिक्षण स्लॉट और प्रशिक्षण टीमों की प्रतिनियुक्ति बढ़ाना।
      • अफ्रीका के रक्षा बलों का सशक्तीकरण और क्षमता निर्माण।
      • अभ्यास में भागीदारी।
      • प्राकृतिक आपदाओं के दौरान मानवीय सहायता प्रदान करना।
    • भारत-अफ्रीका रक्षा सहयोग पर एक खंड भी जारी किया गया।
  • भारत-अफ्रीका सुरक्षा फैलोशिप कार्यक्रम:
    • IADD ने अफ्रीकी देशों के विशेषज्ञों को फेलोशिप की पेशकश के माध्यम से सुरक्षा मुद्दों संबंधो अनुसंधान को भी प्रोत्साहित किया।
    • यह भारत-अफ्रीका सुरक्षा फैलोशिप कार्यक्रम के तहत किया जाएगा।

अफ्रीका के साथ भारत के संबंध:

  • ऋण और सहायता:
    • भारत ने अफ्रीका को3 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक का रियायती ऋण दिया है।
    • इसके अलावा भारत ने 700 मिलियन अमेरिकी डॉलर की अनुदान सहायता प्रदान की है।
  • परियोजनाएँ:
    • भारत ने अब तक 197 परियोजनाएँ पूरी कर ली हैं, वर्तमान में 65 निष्पादन के अधीन हैं और 81 पूर्व-निष्पादन चरण में हैं।।
    • गाम्बिया में भारत ने नेशनल असेंबली भवन का निर्माण किया है और जल आपूर्ति, कृषि एवं खाद्य प्रसंस्करण में परियोजनाएँ शुरू की हैं।
    • जाम्बिया में भारत की महत्त्वपूर्ण जल-विद्युत परियोजना, पूर्व-निर्मित स्वास्थ्य केंद्रों के निर्माण और वाहनों की आपूर्ति शामिल है।
    • मॉरीशस में हाल की उल्लेखनीय परियोजनाओं में मेट्रो एक्सप्रेस, नया सर्वोच्च न्यायालय भवन और सामाजिक आवास शामिल हैं।
    • नामीबिया में IT हेतु एक नया उत्कृष्टता केंद्र अभी चालू हुआ है।
    • जबकि दक्षिण सूडान में भारत प्रशिक्षण और शिक्षा पर ध्यान दे रहा है।
  • कोविड- 19 सहायता:
    • 32 अफ्रीकी देशों को भारत से 150 टन की चिकित्सा सहायता मिली।
      • उनमें से कई देशों ने भारत से सीधे या अन्यथा प्राप्त 'मेक इन इंडिया' टीकों का भी उपयोग किया।
      • अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत ने TRIPS छूट के माध्यम से टीकों के लिये न्यायसंगत और सस्ती पहुँच हेतु दबाव बनाने के लिये मिलकर काम किया है।
  • मानव संसाधन:
    • भारत ने वर्ष 2015 में भारत-अफ्रीका फोरम शिखर सम्मेलन (आईएएफएस)-III के दौरान 50,000 छात्रवृत्तियों की घोषणा की थी, जिसमें से 32,000 से अधिक छात्रवृत्ति स्लॉट का पहले ही उपयोग किया जा चुका है।
    • भागीदारों को उच्च गुणवत्ता वाली आभासी शिक्षा और चिकित्सा सेवाएंँ प्रदान करने के लिये ई-विद्या भारती तथा ई-आरोग्य भारती नेटवर्क को क्रमश: टेली-एजुकेशन एवं टेली-मेडिसिन के लिये वर्ष 2019 में लॉन्च किया गया था।
  • राहत एवं सहायता:
    • वर्ष 2019 में चक्रवात इदाई से प्रभावित मोजाम्बिक की सहायता के लिये ऑपरेशन सहायता, जनवरी 2020 में मेडागास्कर में बाढ़ पीड़ितों को राहत प्रदान करने के लिये ऑपरेशन वनीला, वाकाशियो जहाज़ की ग्राउंडिंग के कारण तेल रिसाव को रोकने में मॉरीशस को सहायता।
  • ऊर्जा:
  • व्यापार एवं अर्थव्यवस्था:
    • वर्ष 2021-22 में अफ्रीका के साथ भारत का द्विपक्षीय व्यापार पिछले वर्ष के 56 बिलियन अमेरिकी डॉलर की तुलना में 89.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँच गया है।
    • वर्ष 1996-2021 तक 73.9 बिलियन अमेरिकी डॉलर के संचयी निवेश के साथ भारत अफ्रीका में निवेश करने वाले शीर्ष पाँच निवेशकों में शामिल है।
    • शुल्क मुक्त टैरिफ वरीयता (DFTP) योजना, जो भारत की कुल टैरिफ लाइनों के 98.2% तक शुल्क मुक्त पहुँच प्रदान करती है, के माध्यम से भारत ने अफ्रीकी देशों के लिये अपना बाज़ार खोल दिया है।
    • अब तक 33 LDC अफ्रीकी देश इस योजना के तहत लाभ पाने के हकदार हैं।

  यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न. भारत-अफ्रीका शिखर सम्मेलन के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2016)

  1. वर्ष 2015 में होने वाला आयोजन तीसरा शिखर सम्मेलन था।
  2. वास्तव में यह वर्ष 1951 में जवाहरलाल नेहरू द्वारा शुरू किया गया था।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2

उत्तर: (a)

व्याख्या:

  • भारत-अफ्रीका शिखर सम्मेलन भारत और अफ्रीकी देशों के बीच संबंधों को फिर से शुरू करने का एक मंच है।
  • इसकी शुरुआत वर्ष 2008 में नई दिल्ली में हुई थी। तब से शिखर सम्मेलन प्रत्येक तीन वर्ष पर बारी-बारी से भारत और अफ्रीका में आयोजित किया जाता है। अतः कथन 2 सही नहीं है।
  • दूसरा शिखर सम्मेलन वर्ष 2011 में अदीस अबाबा में आयोजित किया गया था। तीसरा शिखर सम्मेलन वर्ष 2014 में होने वाला था लेकिन इबोला के प्रकोप के कारण स्थगित कर दिया गया था तथा अक्तूबर 2015 में नई दिल्ली में आयोजित हुआ था। अत: कथन 1 सही है।

अतः विकल्प (a) सही उत्तर है।


प्रश्न. उभरते प्राकृतिक संसाधन समृद्ध अफ्रीका के आर्थिक क्षेत्र में भारत अपना क्या स्थान देखता है? (2014)

प्रश्न. अफ्रीका में भारत की बढ़ती रुचि के अपने सकारात्मक और नकारात्मक पक्ष हैं। समालोचनात्मक परीक्षण कीजिये। (2015)

स्रोत: पी.आई.बी.


भारतीय राजव्यवस्था

निजता का अधिकार

प्रिलिम्स के लिये:

डेटा संरक्षण, व्यक्तिगत डेटा, निजता, व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक, डेटा स्थानीयकरण, अन्य संबंधित कानून

मेन्स के लिये:

निजता का अधिकार

चर्चा में क्यों?

भारतीय प्रतिस्पर्द्धा आयोग (CCI) की 2021 की निजता नीति की जाँच के खिलाफ व्हाट्सएप-मेटा अपील को सर्वोच्च न्यायालय ने खारिज़ कर दिया।

  • व्हाट्सएप और मेटा दोनों ने तर्क दिया गया है कि एंटी-ट्रस्ट वॉचडॉग निजता नीति की जाँच नहीं कर सकता है क्योंकि इसे संशोधित डेटा संरक्षण विधेयक पेश होने तक स्थगित रखा जाता है।
  • CCI 2002 के प्रतिस्पर्द्धा अधिनियम के प्रावधानों के किसी भी उल्लंघन पर विचार करने के लिये एक स्वतंत्र प्राधिकरण है और इसे जाँच और प्रतिस्पर्द्धा अधिनियम, 2002 के कथित उल्लंघन से नहीं रोका जा सकता है।

व्हाट्सएप की गोपनीयता नीति से संबंधित मुद्दे:

  • व्हाट्सएप स्वचालित रूप से जो जानकारी एकत्र करता है और उसे फेसबुक के साथ साझा करता है, उसमें मोबाइल फोन नंबर, उपयोगकर्त्ता गतिविधि और व्हाट्सएप अकाउंट की अन्य बुनियादी जानकारी शामिल होती है।
    • फेसबुक के साथ वाणिज्यिक उपयोगकर्त्ता डेटा साझा करने के लिये व्हाट्सएप की गोपनीयता नीति यह स्थापित करती है कि यह स्वयं एक मध्यस्थ होने के बजाय डेटा का मालिक है।
  • नई नीति को समझने की कोशिश करें तो उपयोगकर्त्ताओं के पास अब यह विकल्प नहीं है कि वे अपने डेटा को अन्य स्वामित्त्व वाले और बाहरी एप्स के साथ साझा न करें।
  • व्हाट्सएप नीति श्रीकृष्ण समिति की रिपोर्ट की सिफारिशों का खंडन करती है, जो डेटा संरक्षण विधेयक 2019 का आधार है। उदाहरण के लिये:
    • डेटा स्थानीकरण का सिद्धांत का उद्देश्य देश के बाहर व्यक्तिगत डेटा के हस्तांतरण पर अंकुश लगाना है, हो सकता है कि यह व्हाट्सएप की गोपनीयता नीति के अनुकूल न हो ।

व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक:

  • व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक, 2019 को इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री द्वारा 11 दिसंबर, 2019 को लोकसभा में पेश किया गया था।
  • आमतौर पर इसे "गोपनीयता विधेयक" के रूप में जाना जाता है, इसका उद्देश्य व्यक्तिगत डेटा (जो कि व्यक्ति की पहचान कर सकता है) के संग्रह, संचालन और प्रक्रिया को विनियमित करके व्यक्तिगत अधिकारों की रक्षा करना है।
  • सरकार ने प्रौद्योगिकी दिग्गजों द्वारा उठाई गई विभिन्न आपत्तियों और आम लोगों द्वारा उठाए गए अन्य मुद्दों के कारण विधेयक को वापस ले लिया।

निजता का अधिकार:

  • आमतौर पर यह समझा जाता है कि गोपनीयता अकेला छोड़ दिये जाने के अधिकार (Right to Be Left Alone) का पर्याय है।
  • सर्वोच्च न्यायालय ने वर्ष 2017 में के.एस. पुट्टास्वामी बनाम भारतीय संघ ऐतिहासिक निर्णय में गोपनीयता और उसके महत्त्व को वर्णित किया। सर्वोच्च न्यायालय के अनुसार, निजता का अधिकार एक मौलिक और अविच्छेद्य अधिकार है तथा इसके तहत व्यक्ति से जुड़ी सभी सूचनाओं के साथ उसके द्वारा लिये गए निर्णय शामिल हैं।
  • निजता के अधिकार को अनुच्छेद 21 के तहत प्राण एवं दैहिक स्वतंत्रता के अधिकार के आंतरिक भाग के रूप में तथा संविधान के भाग-III द्वारा गारंटीकृत स्वतंत्रता के हिस्से के रूप में संरक्षित किया गया है।
  • प्रतिबंध (निर्णय में वर्णित):
    • इस अधिकार को केवल राज्य कार्रवाई के तहत तभी प्रतिबंधित किया जा सकता है, जब वे निम्नलिखित तीन परीक्षणों को पास करते हों :
      • पहला, ऐसी राजकीय कार्रवाई के लिये एक विधायी जनादेश होना चाहिये;
      • दूसरा, इसे एक वैध राजकीय उद्देश्य का पालन करना चाहिये;
      • तीसरा, यह यथोचित होनी चाहिये, अर्थात् ऐसी राजकीय कार्रवाई- प्रकृति और सीमा में समानुपाती होनी चाहिये, एक लोकतांत्रिक समाज के लिये आवश्यक होनी चाहिये तथा किसी लक्ष्य को प्राप्त करने हेतु उपलब्ध विकल्पों में से सबसे कम अंतर्वेधी होनी चाहिये।

निजता की सुरक्षा हेतु सरकार द्वारा उठाए गए कदम:

  • बी एन श्रीकृष्ण समिति:
    • सरकार ने न्यायमूर्ति बी एन श्रीकृष्ण की अध्यक्षता में डेटा संरक्षण पर विशेषज्ञों की एक समिति नियुक्त की जिसने जुलाई, 2018 में अपनी रिपोर्ट सौंपी।
  • सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000:
    • IT अधिनियम, कंप्यूटर प्रणाली से डेटा के संबंध में कुछ उल्लंघनों के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करता है। इसमें कंप्यूटर, कंप्यूटर प्रणाली और उसमें संग्रहीत डेटा के अनधिकृत उपयोग को रोकने के प्रावधान हैं।

भारतीय प्रतिस्पर्द्धा आयोग (CCI):

  • परिचय:
    • CCI की स्थापना मार्च 2009 में भारत सरकार द्वारा प्रतिस्पर्द्धा अधिनियम, 2002 के तहत अधिनियम के प्रशासन, कार्यान्वयन और प्रवर्तन के लिये की गई थी।
    • यह मुख्य रूप से बााज़ार में प्रतिस्पर्द्धा-विरोधी प्रथाओं के तीन मुद्दों का अनुसरण करता है:
    • प्रतिस्पर्द्धा-विरोधी समझौते।
    • प्रभुत्व का दुरुपयोग।
    • संयोजन।
  • उद्देश्य:
    • प्रतिस्पर्द्धा पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाली प्रथाओं को समाप्त करना।
    • प्रतिस्पर्द्धा को बढ़ावा देना और बनाए रखना।
    • उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करना।
    • भारत के बाज़ारों में व्यापार की स्वतंत्रता सुनिश्चित करना।
    • मज़बूत प्रतिस्पर्द्धी माहौल स्थापित करना:
      • उपभोक्ताओं, उद्योग, सरकार और अंतर्राष्ट्रीय न्यायालयों सहित सभी हितधारकों के साथ सक्रिय जुड़ाव।
  • संरचना:
    • आयोग में एक अध्यक्ष और छह सदस्य होते हैं जिन्हें केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त किया जाएगा।
    • आयोग एक अर्द्ध-न्यायिक निकाय (Quasi-Judicial Body) है जो सांविधिक प्राधिकरणों को परामर्श देने के साथ-साथ अन्य मामलों को भी संबोधित करता है।
    • अध्यक्ष और अन्य सदस्य पूर्णकालिक सदस्य होंगे।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न. 'निजता का अधिकार' भारत के संविधान के किस अनुच्छेद के तहत संरक्षित है?

(a) अनुच्छेद 15
(b) अनुच्छेद 19
(c) अनुच्छेद 21
(d) अनुच्छेद 29

उत्तर: (c)

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस


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