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शासन व्यवस्था

व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक, 2019 का मसौदा

  • 22 Sep 2021
  • 8 min read

प्रीलिम्स के लिये:

व्यक्तिगत डेटा, गैर-व्यक्तिगत डेटा, डेटा संरक्षण विधेयक, संयुक्त संसदीय समिति

मेन्स के लिये:

व्यक्तिगत डेटा संरक्षण: लाभ एवं चुनौतियाँ 

चर्चा में क्यों?

हाल ही में संयुक्त संसदीय समिति (JPC) ने व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक, 2019 (Personal Data Protection Bill, 2019) पर चर्चा करते हुए इसे परामर्श के लिये पुनः खोल दिया है।

  • इसने संसद के शीतकालीन सत्र 2021 में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने की संभावना व्यक्त की है।

प्रमुख बिंदु 

  • परिचय:
    • इसे आमतौर पर "गोपनीयता विधेयक" के रूप में जाना जाता है और यह डेटा के संग्रह, संचालन और प्रसंस्करण को विनियमित करके व्यक्तिगत अधिकारों की रक्षा करने का वादा करता है जिससे व्यक्ति की पहचान हो सके।
      • दिसंबर 2019 में संसद ने इसे संयुक्त समिति के पास भेजने की मंज़ूरी दी थी।
    • यह विधेयक सरकार को विदेशों से कुछ प्रकार के व्यक्तिगत डेटा के हस्तांतरण को अधिकृत करने की शक्ति देता है और सरकारी एजेंसियों को नागरिकों के व्यक्तिगत डेटा एकत्र करने की अनुमति देता है।
    • विधेयक डेटा को तीन श्रेणियों में विभाजित करता है तथा प्रकार के आधार पर उनके संग्रहण को अनिवार्य करता है।
      • व्यक्तिगत डेटा: वह डेटा जिससे किसी व्यक्ति की पहचान की जा सकती है जैसे नाम, पता आदि।
      • संवेदनशील व्यक्तिगत डेटा: कुछ प्रकार के व्यक्तिगत डेटा जैसे- वित्तीय, स्वास्थ्य, यौन अभिविन्यास, बायोमेट्रिक, आनुवंशिक, ट्रांसजेंडर स्थिति, जाति, धार्मिक विश्वास और अन्य श्रेणी शामिल हैं।
      • महत्त्वपूर्ण व्यक्तिगत डेटा: कोई भी वस्तु जिसे सरकार किसी भी समय महत्त्वपूर्ण मान सकती है, जैसे- सैन्य या राष्ट्रीय सुरक्षा डेटा।
    • यह डेटा मिर्ररिंग (Data Mirroring) (व्यक्तिगत डेटा के मामले में) की आवश्यकता को हटा देता है। विदेश में डेटा ट्रांसफर के लिये सिर्फ व्यक्तिगत सहमति की ही आवश्यकता होती है।
      • डेटा मिर्ररिंग (Data Mirroring) वास्तविक समय या रियल टाइम में डेटा को एक स्थान से स्टोरेज डिवाइस में कॉपी करने का कार्य करता है।
    • यह डेटा न्यासियों को मांग किये जाने पर सरकार को कोई भी गैर-व्यक्तिगत डेटा प्रदान करने के लिये अनिवार्य करता है।
      • डेटा न्यासी: यह एक सेवा प्रदाता के रूप में कार्य कर सकता है जो ऐसी वस्तुओं और सेवाओं को प्रदान करने के दौरान डेटा को एकत्र एवं भंडारित करके उसका उपयोग करता है।
      • गैर-व्यक्तिगत डेटा अज्ञात डेटा को संदर्भित करता है, जैसे टैफिक पैटर्न या जनसांख्यिकीय डेटा। सितंबर 2019 में सरकार ने गैर-व्यक्तिगत डेटा को विनियमित करने के लिये एक फ्रेमवर्क की सिफारिश करने हेतु नई समिति का गठन किया।
    • बिल में कंँपनियों और सोशल मीडिया जैसे मध्यस्थों की आवश्यकता पर बल दिया गया है, जो भारत में उपयोगकर्त्ताओं को स्वेच्छा से अपने खातों को सत्यापित करने में सक्षम बनाने के लिये ‘महत्त्वपूर्ण डेटा सहायक/ सिग्निफेंट डेटा फिड्यूशियरी (Significant Data Fiduciaries) हैं।
      • इसका "सत्यापन स्पष्ट दृश्य चित्रों द्वारा किया जाएगा जिन्हें उपयोगकर्त्ताओं द्वारा देखा जा सकेगा।
      • यह उपयोगकर्त्ताओं की अनदेखी और ट्रोलिंग को कम करने में सहायक है।
    • कानून के अनुपालन को सुनिश्चित करने के लिये एक डेटा संरक्षण प्राधिकरण की परिकल्पना की गई है।
    • इसमें 'भूल जाने के अधिकार' (Right to be Forgotten’) का भी उल्लेख किया गया है। इसमें कहा गया है कि "डेटा प्रिंसिपल (जिस व्यक्ति से डेटा संबंधित है) को डेटा फिड्यूशरी द्वारा अपने व्यक्तिगत डेटा के निरंतर प्रकटीकरण को प्रतिबंधित करने या रोकने का अधिकार होगा"।
  • लाभ:
    • डेटा स्थानीयकरण कानून-प्रवर्तन एजेंसियों को जांँच और प्रवर्तन हेतु डेटा तक पहुंँच प्रदान करने में कारगर साबित हो सकता है तथा सरकार की इंटरनेट दिग्गजों पर कर लगाने की क्षमता को भी बढ़ा सकता है।
    • साइबर हमलों (उदाहरण के लिये पेगासस स्पाइवेयर की निगरानी और जाँच की जा सकती है।
    • सोशल मीडिया, जिसका उपयोग कभी-कभी गलत और भ्रामक सूचनाओं को प्रसारित करने हेतु किया जाता है, की निगरानी और जाँच की जा सकती है, ताकि समय रहते उभरते राष्ट्रीय खतरों को रोका जा सके।
    • एक मज़बूत डेटा संरक्षण कानून भी डेटा संप्रभुता को लागू करने में मदद करेगा।
  • नुकसान: 
    • कई लोगों का तर्क है कि डेटा की फिज़िकल लोकेशन विश्व संदर्भ में प्रासंगिक नहीं है क्योंकि ‘एन्क्रिप्शन की’ (Encryption Keys) अभी भी राष्ट्रीय एजेंसियों की पहुंँच से बाहर हो सकती है।
    • राष्ट्रीय सुरक्षा या तर्कशील उद्देश्य स्वतंत्र और व्यक्तिपरक शब्द हैं, जिससे नागरिकों के निजी जीवन में राज्य का हस्तक्षेप हो सकता है।
    • फेसबुक और गूगल जैसे प्रौद्योगिकी दिग्गज इसके खिलाफ हैं और उन्होंने डेटा के स्थानीयकरण की संरक्षणवादी नीति की आलोचना की है क्योंकि उन्हें डर है कि इसका अन्य देशों पर भी प्रभाव पड़ेगा।
      • सोशल मीडिया फर्मों, विशेषज्ञों और यहांँ तक कि मंत्रियों ने भी इसका विरोध किया था, उनका तर्क है कि उपयोगकर्त्ताओं और कंपनियों दोनों के लिये प्रभावी एवं फायदेमंद होने के संदर्भ में इसमें बहुत सी खामियांँ हैं।
    • इसके अलावा यह भारत के युवा स्टार्टअप, जो कि वैश्विक विकास का प्रयास कर रहे हैं, या भारत में विदेशी डेटा को संसाधित करने वाली बड़ी फर्मों को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकता है।
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