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डेली न्यूज़

  • 19 Jul, 2025
  • 14 min read
शासन व्यवस्था

प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना

प्रिलिम्स के लिये:

केंद्रीय बजट 2025-26, आकांक्षी ज़िला कार्यक्रम, न्यूनतम समर्थन मूल्य, कृषि अवसंरचना कोष

मेन्स के लिये:

कृषि विकास हेतु सरकारी योजनाएँ, ग्रामीण परिवर्तन में डेटा-संचालित शासन, कृषि अवसंरचना और मूल्य शृंखला विकास

स्रोत: TH

चर्चा में क्यों? 

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना (PMDDKY) को मंजूरी दे दी है, जो भारतीय कृषि को रूपांतरित करने की दिशा में एक प्रमुख पहल है। यह योजना मूल रूप से केंद्रीय बजट 2025–26 में घोषित की गई थी और इसका वार्षिक परिव्यय 24,000 करोड़ रुपए है, जिसकी अवधि छह वर्षों (2025–26 से प्रारंभ) तक होगी।

  • PMDDKY, नीति आयोग के आकांक्षी ज़िला कार्यक्रम से प्रेरित है और इसका उद्देश्य 100 पिछड़े ज़िलों में कृषि उत्पादकता को बढ़ाना है। यह लक्ष्य बेहतर सिंचाई, भंडारण, ऋण की पहुँच और संधारणीय कृषि पद्धतियों के माध्यम से प्राप्त किया जाएगा।

क्या है पीएम धन-धान्य कृषि योजना?

    • परिचय: PMDDKY एक व्यापक कृषि कार्यक्रम है, जिसे कृषि उत्पादकता बढ़ाने, सतत कृषि पद्धतियों को प्रोत्साहित करने और किसानों की आजीविका में सुधार लाने के उद्देश्य से तैयार किया गया है।
      • यह योजना 11 केंद्रीय मंत्रालयों की 36 योजनाओं को एकीकृत करके एक एकीकृत कृषि सहायता प्रणाली का निर्माण करती है।
      • नीति आयोग के आकांक्षी ज़िला कार्यक्रम से प्रेरित यह योजना 100 पिछड़े ज़िलों को लक्षित करती है, ताकि बेहतर सिंचाई, भंडारण, और ऋण की पहुँच के माध्यम से कृषि उत्पादकता को बढ़ाया जा सके, साथ ही सतत् कृषि को भी बढ़ावा दिया जा सके।
    • ज़िला चयन के मानदंड:
      • निम्न उत्पादकता: प्रति हेक्टेयर कृषि उत्पादन में कमी वाले ज़िले।
      • कम फसल सघनता: जहाँ फसलों की विविधता कम है या वार्षिक फसल चक्र अपर्याप्त हैं।
      • अल्प ऋण वितरण: ऐसे क्षेत्र जहाँ किसानों को वित्तीय संसाधनों की सीमित उपलब्धता है।
      • राज्यों में संतुलित प्रतिनिधित्व: चयन में प्रत्येक राज्य/केंद्रशासित प्रदेश की शुद्ध बोई गई भूमि और परिचालन कृषि जोतों के अनुपात को ध्यान में रखा जाएगा।
      • प्रत्येक राज्य से कम-से-कम एक ज़िला अनिवार्य रूप से चुना जाएगा, जिससे क्षेत्रीय संतुलित विकास सुनिश्चित हो सके।
    • क्रियान्वयन और निगरानी:
      • ज़िला कृषि एवं संबद्ध गतिविधि योजना: प्रत्येक ज़िला, ज़िला धन-धान्य समिति के माध्यम से एक योजना तैयार करेगा, जिसमें प्रगतिशील किसानों की भागीदारी होगी। यह योजना राष्ट्रीय उद्देश्यों जैसे कि फसल विविधीकरण, जल संरक्षण और कृषि आत्मनिर्भरता के अनुरूप होगी।
      • निगरानी और मूल्यांकन: प्रत्येक धन धान्य ज़िले में योजना में प्रगति की निगरानी मासिक आधार पर डैशबोर्ड के माध्यम से 117 प्रमुख कार्य निष्पादन संकेतकों के अनुसार की जाएगी।
        • इसके अलावा, प्रत्येक ज़िले में नियुक्त केंद्रीय नोडल अधिकारी भी नियमित आधार पर योजना की समीक्षा करेंगे।
        • नीति आयोग जिला योजनाओं को मार्गदर्शन और समय-समय पर समीक्षा प्रदान करेगा।
      • बहु-स्तरीय समितियाँ: ज़िला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर समितियाँ योजना की योजना निर्माण, कार्यान्वयन और प्रगति निगरानी का दायित्व निभाएंगी।
    • अपेक्षित परिणाम: यह योजना देशभर के लगभग 1.7 करोड़ किसानों को प्रत्यक्ष रूप से लाभान्वित करेगी।
      • यह योजना पशुपालन, डेयरी और मत्स्य जैसे संबद्ध क्षेत्रों को एकीकृत करती है, जिससे स्थानीय आजीविका को बढ़ावा मिलेगा। इसका मुख्य फोकस फसल कटाई के बाद भंडारण, बेहतर सिंचाई, आसान ऋण प्राप्ति तथा प्राकृतिक एवं जैविक खेती को प्रोत्साहित करने पर है, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था में वृद्धि होगी।

    GREENER FIELD

    आकांक्षी ज़िला कार्यक्रम:

    • प्रारंभ: यह कार्यक्रम भारत सरकार द्वारा वर्ष 2018 में शुरू किया गया था, जिसका उद्देश्य 112 सबसे पिछड़े ज़िलों का समग्र विकास सुनिश्चित करना है।
    • मुख्य फोकस क्षेत्र: स्वास्थ्य, पोषण, शिक्षा, आधारभूत संरचना,आर्थिक अवसर
    • मुख्य सिद्धांत एवं दृष्टिकोण
      • 3C's फ्रेमवर्क:
        • समन्वय (Convergence): केंद्र और राज्य सरकार की विभिन्न योजनाओं के बीच समन्वय सुनिश्चित करना।
        • सहयोग (Collaboration): ज़िला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर की एजेंसियों की भागीदारी से कार्यान्वयन।
        • प्रतिस्पर्द्धा (Competition): ज़िलों के बीच सकारात्मक प्रतिस्पर्द्धा को बढ़ावा देकर विकास की गति को तेज़ करना।
      • डेटा-आधारित शासन (Data-Driven Governance): प्रगति की निगरानी "चैंपियंस ऑफ चेंज डैशबोर्ड" के माध्यम से की जाती है, जो पाँच क्षेत्रों में 49 संकेतकों पर आधारित है। यह डैशबोर्ड शिशु मृत्यु दर, स्कूल ड्रॉपआउट दर, स्वच्छता और फसल उत्पादकता जैसे ज़मीनी मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करता है।
      • पारंपरिक रैंकिंग के विपरीत, ADP ‘डेल्टा रैंकिंग प्रणाली’ का उपयोग करता है, जो प्रगति की गति को मापता है और ज़िलों को उनके स्वयं के पूर्व प्रदर्शन के मुकाबले प्रतिस्पर्द्धा करने के लिये प्रेरित करता है।
    • सफलता के उदाहरण:
      • चंबा, हिमाचल प्रदेश: कभी ग्रामीण अभाव का प्रतीक रहा यह ज़िला, फरवरी 2022 में ‘हर घर जल’ का दर्जा हासिल करने वाला 100वाँ ज़िला बन गया, जिससे हर घर को स्वच्छ नल का जल मिल रहा है।
        • इस ज़िले ने प्रधानमंत्री जन धन योजना (PMJDY) के तहत 100% कवरेज भी प्राप्त किया, जिससे वित्तीय समावेशन सुनिश्चित हुआ।
      • प्रमुख ज़िलों की सफलताएँ: वर्ष 2019 तक, 8 ज़िलों ने टियर IV से टियर I में बदलाव किया, जो कृषि, स्वास्थ्य और बुनियादी ढाँचे में महत्त्वपूर्ण प्रगति को दर्शाता है।
        • आंध्र प्रदेश ने उल्लेखनीय प्रदर्शन किया, जहाँ इसके 3 में से 2 आकांक्षी ज़िले शीर्ष 10 में शामिल हुए, जिससे क्षेत्रीय प्रगति का स्पष्ट संकेत मिला।
    • ADP की वैश्विक मान्यता: सिंगापुर ने आकांक्षी ज़िला कार्यक्रम (ADP) को "वैश्विक रूप से प्रासंगिक मॉडल" के रूप में रेखांकित किया है, जो समुदायों को सशक्त बनाने और स्थानीय स्वास्थ्य प्रणालियों को मज़बूत करने में सहायक है।
      • ADP द्वारा स्थानीयकृत और समावेशी शासन पर दिये गए ज़ोर को एक ऐसे मॉडल के रूप में मान्यता मिली है, जिसे अन्य विकासशील देशों में भी अपनाया जा सकता है।

    भारत में कृषि उत्पादकता को बढ़ावा देने वाले भारत के प्रमुख प्रयास क्या हैं?

    • कृषि बजट में वृद्धि: वर्ष 2008-09 में 11,915 करोड़ रुपए से बढ़ाकर वर्ष 2024-25 में 1,22,528 करोड़ रुपए कर दिये गए कृषि बजट ने इनपुट, अनुसंधान, सिंचाई और बुनियादी ढाँचे में बड़े निवेश को सक्षम बनाया है, जिससे कृषि उत्पादकता में वृद्धि हुई है।
      • वर्ष 2020 में शुरू किये गए कृषि अवसंरचना कोष (AIF) ने 87,500 से ज़्यादा परियोजनाओं को सहायता प्रदान की है, जिससे कटाई के बाद के बुनियादी ढाँचे, जैसे गोदाम और कोल्ड चेन, को बढ़ावा मिला है। इससे फसल के नुकसान को कम करने और उच्च मूल्य वाली फसलों की कृषि को बढ़ावा देने में सहायता मिली है।
    • फसल उपज में सुधार: वर्ष 2013-14 से 2023-24 के बीच, चावल, गेहूँ, मक्का और दलहनों जैसी प्रमुख फसलों की उपज में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई।
      • उदाहरण के लिये, चावल (19.3%), गेहूँ (13.2%), मक्का (25.2%) और मोटे अनाज (71.5%) की पैदावार में वृद्धि हुई।
    • न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में सुधार: उत्पादन लागत पर कम से कम 50% लाभ सुनिश्चित करने वाले MSP संशोधनों ने किसानों को इनपुट (बीज, उर्वरक आदि) में अधिक निवेश करने और बेहतर फसल प्रबंधन अपनाने के लिये प्रोत्साहित किया है, जिससे परोक्ष रूप से कृषि उत्पादकता को बढ़ावा मिला है।
    • ई-नाम एकीकरण और बाज़ार पहुँच: इलेक्ट्रॉनिक राष्ट्रीय कृषि बाज़ार (e-NAM) के माध्यम से बेहतर मूल्य खोज (अब तक 1,410 मंडियों को जोड़ा गया है) ने किसानों को अधिक उत्पादकता वाली फसलों को अपनाने और गुणवत्ता सुधारने के लिये प्रेरित किया है।
    • प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY): PMFBY के अंतर्गत फसल बीमा जोखिम उठाने और आधुनिक तरीकों को अपनाने को प्रोत्साहित करता है। अगर फसल खराब होने के जोखिम को शामिल किया जाता है, तो किसान बेहतर तकनीकों में निवेश करने के लिये अधिक इच्छुक होते हैं।
    • मृदा स्वास्थ्य कार्ड: 25 करोड़ से अधिक मृदा स्वास्थ्य कार्ड वितरित किये जा चुके हैं, जिससे किसानों को उपयुक्त उर्वरकों के उपयोग में सहायता मिली है। इससे फसल की उपज में सुधार हुआ है और हानिकारक रसायनों के प्रयोग में कमी आई है।
    • उर्वरक सब्सिडी: वर्ष 2025–26 के लिये सरकार ने उर्वरक सब्सिडी हेतु 1.67 लाख करोड़ रुपए से अधिक का आवंटन किया है, जो कृषि बजट का लगभग 70% और कुल सब्सिडी व्यय का 40% हिस्सा है।
    • संस्थागत ऋण विस्तार और किसान क्रेडिट कार्ड (KCC): वर्ष 2014-15 में 6.4 लाख करोड़ रुपए से बढ़कर 2023-24 में 15.07 लाख करोड़ रुपए तक अल्पकालिक कृषि ऋण में वृद्धि से किसानों को उर्वरक, उच्च गुणवत्ता वाले बीज और कृषि यंत्र जैसे इनपुट्स तक बेहतर पहुँच मिली है, जिससे उत्पादकता में सुधार हुआ है।

    दृष्टि मेन्स प्रश्न:

    प्रश्न. चर्चा कीजिये कि प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना का उद्देश्य कम प्रदर्शन करने वाले ज़िलों में कृषि को कैसे बदलना है।

      UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)  

    मेन्स 

    प्रश्न. भारत में स्वतंत्रता के बाद कृषि में आई विभिन्न प्रकारों की क्रांतियों को स्पष्ट कीजिये। इन क्रांतियों ने भारत में गरीबी उन्मूलन और खाद्य सुरक्षा में किस प्रकार सहायता प्रदान की है? (2017)

    प्रश्न. भारतीय कृषि की प्रकृति की अनिश्चितताओं पर निर्भरता के मद्देनज़र, फसल बीमा की आवश्यकता की विवेचना कीजिये और प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पी० एम० एफ० बी० वाइ०) की मुख्य विशेषताओं का उल्लेख कीजिये। (2016)


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