प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना
प्रिलिम्स के लिये:केंद्रीय बजट 2025-26, आकांक्षी ज़िला कार्यक्रम, न्यूनतम समर्थन मूल्य, कृषि अवसंरचना कोष मेन्स के लिये:कृषि विकास हेतु सरकारी योजनाएँ, ग्रामीण परिवर्तन में डेटा-संचालित शासन, कृषि अवसंरचना और मूल्य शृंखला विकास |
स्रोत: TH
चर्चा में क्यों?
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना (PMDDKY) को मंजूरी दे दी है, जो भारतीय कृषि को रूपांतरित करने की दिशा में एक प्रमुख पहल है। यह योजना मूल रूप से केंद्रीय बजट 2025–26 में घोषित की गई थी और इसका वार्षिक परिव्यय 24,000 करोड़ रुपए है, जिसकी अवधि छह वर्षों (2025–26 से प्रारंभ) तक होगी।
- PMDDKY, नीति आयोग के आकांक्षी ज़िला कार्यक्रम से प्रेरित है और इसका उद्देश्य 100 पिछड़े ज़िलों में कृषि उत्पादकता को बढ़ाना है। यह लक्ष्य बेहतर सिंचाई, भंडारण, ऋण की पहुँच और संधारणीय कृषि पद्धतियों के माध्यम से प्राप्त किया जाएगा।
क्या है पीएम धन-धान्य कृषि योजना?
- परिचय: PMDDKY एक व्यापक कृषि कार्यक्रम है, जिसे कृषि उत्पादकता बढ़ाने, सतत कृषि पद्धतियों को प्रोत्साहित करने और किसानों की आजीविका में सुधार लाने के उद्देश्य से तैयार किया गया है।
- यह योजना 11 केंद्रीय मंत्रालयों की 36 योजनाओं को एकीकृत करके एक एकीकृत कृषि सहायता प्रणाली का निर्माण करती है।
- ज़िला चयन के मानदंड:
- निम्न उत्पादकता: प्रति हेक्टेयर कृषि उत्पादन में कमी वाले ज़िले।
- कम फसल सघनता: जहाँ फसलों की विविधता कम है या वार्षिक फसल चक्र अपर्याप्त हैं।
- अल्प ऋण वितरण: ऐसे क्षेत्र जहाँ किसानों को वित्तीय संसाधनों की सीमित उपलब्धता है।
- राज्यों में संतुलित प्रतिनिधित्व: चयन में प्रत्येक राज्य/केंद्रशासित प्रदेश की शुद्ध बोई गई भूमि और परिचालन कृषि जोतों के अनुपात को ध्यान में रखा जाएगा।
- प्रत्येक राज्य से कम-से-कम एक ज़िला अनिवार्य रूप से चुना जाएगा, जिससे क्षेत्रीय संतुलित विकास सुनिश्चित हो सके।
- क्रियान्वयन और निगरानी:
- ज़िला कृषि एवं संबद्ध गतिविधि योजना: प्रत्येक ज़िला, ज़िला धन-धान्य समिति के माध्यम से एक योजना तैयार करेगा, जिसमें प्रगतिशील किसानों की भागीदारी होगी। यह योजना राष्ट्रीय उद्देश्यों जैसे कि फसल विविधीकरण, जल संरक्षण और कृषि आत्मनिर्भरता के अनुरूप होगी।
- निगरानी और मूल्यांकन: प्रत्येक धन धान्य ज़िले में योजना में प्रगति की निगरानी मासिक आधार पर डैशबोर्ड के माध्यम से 117 प्रमुख कार्य निष्पादन संकेतकों के अनुसार की जाएगी।
- इसके अलावा, प्रत्येक ज़िले में नियुक्त केंद्रीय नोडल अधिकारी भी नियमित आधार पर योजना की समीक्षा करेंगे।
- नीति आयोग जिला योजनाओं को मार्गदर्शन और समय-समय पर समीक्षा प्रदान करेगा।
- बहु-स्तरीय समितियाँ: ज़िला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर समितियाँ योजना की योजना निर्माण, कार्यान्वयन और प्रगति निगरानी का दायित्व निभाएंगी।
- अपेक्षित परिणाम: यह योजना देशभर के लगभग 1.7 करोड़ किसानों को प्रत्यक्ष रूप से लाभान्वित करेगी।
- यह योजना पशुपालन, डेयरी और मत्स्य जैसे संबद्ध क्षेत्रों को एकीकृत करती है, जिससे स्थानीय आजीविका को बढ़ावा मिलेगा। इसका मुख्य फोकस फसल कटाई के बाद भंडारण, बेहतर सिंचाई, आसान ऋण प्राप्ति तथा प्राकृतिक एवं जैविक खेती को प्रोत्साहित करने पर है, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था में वृद्धि होगी।
आकांक्षी ज़िला कार्यक्रम:
- प्रारंभ: यह कार्यक्रम भारत सरकार द्वारा वर्ष 2018 में शुरू किया गया था, जिसका उद्देश्य 112 सबसे पिछड़े ज़िलों का समग्र विकास सुनिश्चित करना है।
- मुख्य फोकस क्षेत्र: स्वास्थ्य, पोषण, शिक्षा, आधारभूत संरचना,आर्थिक अवसर
- मुख्य सिद्धांत एवं दृष्टिकोण
- 3C's फ्रेमवर्क:
- समन्वय (Convergence): केंद्र और राज्य सरकार की विभिन्न योजनाओं के बीच समन्वय सुनिश्चित करना।
- सहयोग (Collaboration): ज़िला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर की एजेंसियों की भागीदारी से कार्यान्वयन।
- प्रतिस्पर्द्धा (Competition): ज़िलों के बीच सकारात्मक प्रतिस्पर्द्धा को बढ़ावा देकर विकास की गति को तेज़ करना।
- डेटा-आधारित शासन (Data-Driven Governance): प्रगति की निगरानी "चैंपियंस ऑफ चेंज डैशबोर्ड" के माध्यम से की जाती है, जो पाँच क्षेत्रों में 49 संकेतकों पर आधारित है। यह डैशबोर्ड शिशु मृत्यु दर, स्कूल ड्रॉपआउट दर, स्वच्छता और फसल उत्पादकता जैसे ज़मीनी मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करता है।
- पारंपरिक रैंकिंग के विपरीत, ADP ‘डेल्टा रैंकिंग प्रणाली’ का उपयोग करता है, जो प्रगति की गति को मापता है और ज़िलों को उनके स्वयं के पूर्व प्रदर्शन के मुकाबले प्रतिस्पर्द्धा करने के लिये प्रेरित करता है।
- 3C's फ्रेमवर्क:
- सफलता के उदाहरण:
- चंबा, हिमाचल प्रदेश: कभी ग्रामीण अभाव का प्रतीक रहा यह ज़िला, फरवरी 2022 में ‘हर घर जल’ का दर्जा हासिल करने वाला 100वाँ ज़िला बन गया, जिससे हर घर को स्वच्छ नल का जल मिल रहा है।
- इस ज़िले ने प्रधानमंत्री जन धन योजना (PMJDY) के तहत 100% कवरेज भी प्राप्त किया, जिससे वित्तीय समावेशन सुनिश्चित हुआ।
- प्रमुख ज़िलों की सफलताएँ: वर्ष 2019 तक, 8 ज़िलों ने टियर IV से टियर I में बदलाव किया, जो कृषि, स्वास्थ्य और बुनियादी ढाँचे में महत्त्वपूर्ण प्रगति को दर्शाता है।
- आंध्र प्रदेश ने उल्लेखनीय प्रदर्शन किया, जहाँ इसके 3 में से 2 आकांक्षी ज़िले शीर्ष 10 में शामिल हुए, जिससे क्षेत्रीय प्रगति का स्पष्ट संकेत मिला।
- चंबा, हिमाचल प्रदेश: कभी ग्रामीण अभाव का प्रतीक रहा यह ज़िला, फरवरी 2022 में ‘हर घर जल’ का दर्जा हासिल करने वाला 100वाँ ज़िला बन गया, जिससे हर घर को स्वच्छ नल का जल मिल रहा है।
- ADP की वैश्विक मान्यता: सिंगापुर ने आकांक्षी ज़िला कार्यक्रम (ADP) को "वैश्विक रूप से प्रासंगिक मॉडल" के रूप में रेखांकित किया है, जो समुदायों को सशक्त बनाने और स्थानीय स्वास्थ्य प्रणालियों को मज़बूत करने में सहायक है।
- ADP द्वारा स्थानीयकृत और समावेशी शासन पर दिये गए ज़ोर को एक ऐसे मॉडल के रूप में मान्यता मिली है, जिसे अन्य विकासशील देशों में भी अपनाया जा सकता है।
भारत में कृषि उत्पादकता को बढ़ावा देने वाले भारत के प्रमुख प्रयास क्या हैं?
- कृषि बजट में वृद्धि: वर्ष 2008-09 में 11,915 करोड़ रुपए से बढ़ाकर वर्ष 2024-25 में 1,22,528 करोड़ रुपए कर दिये गए कृषि बजट ने इनपुट, अनुसंधान, सिंचाई और बुनियादी ढाँचे में बड़े निवेश को सक्षम बनाया है, जिससे कृषि उत्पादकता में वृद्धि हुई है।
- वर्ष 2020 में शुरू किये गए कृषि अवसंरचना कोष (AIF) ने 87,500 से ज़्यादा परियोजनाओं को सहायता प्रदान की है, जिससे कटाई के बाद के बुनियादी ढाँचे, जैसे गोदाम और कोल्ड चेन, को बढ़ावा मिला है। इससे फसल के नुकसान को कम करने और उच्च मूल्य वाली फसलों की कृषि को बढ़ावा देने में सहायता मिली है।
- फसल उपज में सुधार: वर्ष 2013-14 से 2023-24 के बीच, चावल, गेहूँ, मक्का और दलहनों जैसी प्रमुख फसलों की उपज में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई।
- उदाहरण के लिये, चावल (19.3%), गेहूँ (13.2%), मक्का (25.2%) और मोटे अनाज (71.5%) की पैदावार में वृद्धि हुई।
- न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में सुधार: उत्पादन लागत पर कम से कम 50% लाभ सुनिश्चित करने वाले MSP संशोधनों ने किसानों को इनपुट (बीज, उर्वरक आदि) में अधिक निवेश करने और बेहतर फसल प्रबंधन अपनाने के लिये प्रोत्साहित किया है, जिससे परोक्ष रूप से कृषि उत्पादकता को बढ़ावा मिला है।
- ई-नाम एकीकरण और बाज़ार पहुँच: इलेक्ट्रॉनिक राष्ट्रीय कृषि बाज़ार (e-NAM) के माध्यम से बेहतर मूल्य खोज (अब तक 1,410 मंडियों को जोड़ा गया है) ने किसानों को अधिक उत्पादकता वाली फसलों को अपनाने और गुणवत्ता सुधारने के लिये प्रेरित किया है।
- प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY): PMFBY के अंतर्गत फसल बीमा जोखिम उठाने और आधुनिक तरीकों को अपनाने को प्रोत्साहित करता है। अगर फसल खराब होने के जोखिम को शामिल किया जाता है, तो किसान बेहतर तकनीकों में निवेश करने के लिये अधिक इच्छुक होते हैं।
- मृदा स्वास्थ्य कार्ड: 25 करोड़ से अधिक मृदा स्वास्थ्य कार्ड वितरित किये जा चुके हैं, जिससे किसानों को उपयुक्त उर्वरकों के उपयोग में सहायता मिली है। इससे फसल की उपज में सुधार हुआ है और हानिकारक रसायनों के प्रयोग में कमी आई है।
- उर्वरक सब्सिडी: वर्ष 2025–26 के लिये सरकार ने उर्वरक सब्सिडी हेतु 1.67 लाख करोड़ रुपए से अधिक का आवंटन किया है, जो कृषि बजट का लगभग 70% और कुल सब्सिडी व्यय का 40% हिस्सा है।
- संस्थागत ऋण विस्तार और किसान क्रेडिट कार्ड (KCC): वर्ष 2014-15 में 6.4 लाख करोड़ रुपए से बढ़कर 2023-24 में 15.07 लाख करोड़ रुपए तक अल्पकालिक कृषि ऋण में वृद्धि से किसानों को उर्वरक, उच्च गुणवत्ता वाले बीज और कृषि यंत्र जैसे इनपुट्स तक बेहतर पहुँच मिली है, जिससे उत्पादकता में सुधार हुआ है।
- वर्ष 2024 तक, देश में 7.75 करोड़ सक्रिय किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) खाते हैं, जिनके माध्यम से 9.81 लाख करोड़ रुपए के ऋण वितरित किये गए हैं।
दृष्टि मेन्स प्रश्न: प्रश्न. चर्चा कीजिये कि प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना का उद्देश्य कम प्रदर्शन करने वाले ज़िलों में कृषि को कैसे बदलना है। |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)मेन्सप्रश्न. भारत में स्वतंत्रता के बाद कृषि में आई विभिन्न प्रकारों की क्रांतियों को स्पष्ट कीजिये। इन क्रांतियों ने भारत में गरीबी उन्मूलन और खाद्य सुरक्षा में किस प्रकार सहायता प्रदान की है? (2017) प्रश्न. भारतीय कृषि की प्रकृति की अनिश्चितताओं पर निर्भरता के मद्देनज़र, फसल बीमा की आवश्यकता की विवेचना कीजिये और प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पी० एम० एफ० बी० वाइ०) की मुख्य विशेषताओं का उल्लेख कीजिये। (2016) |
भारत में साइबर धोखाधड़ी
प्रिलिम्स के लिये:डिजिटल अरेस्ट, सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000, डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम, 2023, भारतीय कंप्यूटर आपातकालीन प्रतिक्रिया दल, राष्ट्रीय महत्त्वपूर्ण सूचना अवसंरचना संरक्षण केंद्र (NCIIPC), साइबर स्वच्छता केंद्र, रैनसमवेयर, बुडापेस्ट साइबर अपराध कन्वेंशन, साइबर अपराध मेन्स के लिये:भारत में साइबर सुरक्षा के लिये वर्तमान ढाँचा, भारत के डिजिटल परिदृश्य को प्रभावित करने वाले प्रमुख उभरते साइबर खतरे। |
स्रोत: IE
चर्चा में क्यों?
भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C), जो गृह मंत्रालय (MHA) के अंतर्गत कार्य करता है, ने भारतीय नागरिकों को लक्षित करने वाले वित्तीय साइबर धोखाधड़ी के मामलों में तीव्र वृद्धि की रिपोर्ट दी है, जिनका अधिकांश स्रोत दक्षिण-पूर्व एशियाई देश हैं।
I4C के विश्लेषण के अनुसार भारत में वित्तीय साइबर धोखाधड़ी की स्थिति क्या है?
- बढ़ते वित्तीय नुकसान: 2025 की पहली छमाही में भारत को साइबर धोखाधड़ी के कारण प्रति माह औसतन ₹1,000 करोड़ का नुकसान हुआ, जो कुल ₹7,000 करोड़ तक पहुँच गया।
- I4C के अनुसार, वर्ष 2025 में संभावित वार्षिक नुकसान ₹1.2 लाख करोड़ (₹1.2 ट्रिलियन) से अधिक हो सकता है, जो भारत की GDP का लगभग 0.7% है।
- धोखाधड़ी (स्कैम) की उत्पत्ति और प्रकृति: भारतीय नागरिकों को लक्षित करने वाली 50% से अधिक साइबर धोखाधड़ी दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों जैसे कि कंबोडिया, म्याँमार, वियतनाम, लाओस और थाईलैंड से संचालित हो रही हैं। ये धोखाधड़ी मुख्यतः उच्च-सुरक्षा परिसरों से संचालित की जाती हैं, जिनका संचालन कथित रूप से चीनी संचालकों द्वारा किया जाता है।
- प्रमुख धोखाधड़ी के प्रकारों में शामिल हैं: शेयर बाज़ार/निवेश धोखाधड़ी, डिजिटल अरेस्ट स्कैम, कार्य-आधारित और निवेश-आधारित धोखाधड़ी।
- भारतीय खुफिया एजेंसियों द्वारा कंबोडिया में 45, लाओस में 5, म्याँमार में 1 स्कैम केंद्र की पहचान की गई।
- कार्यप्रणाली (Modus Operandi): भारतीय नागरिकों सहित पीड़ितों को फर्जी नौकरी प्रस्तावों के माध्यम से मानव तस्करी का शिकार बनाया जाता है और उन्हें दुबई, चीन, थाईलैंड जैसे देशों के माध्यम से साइबर धोखाधड़ी में लगाया जाता है।
- भारत के विभिन्न राज्यों — महाराष्ट्र, तमिलनाडु, जम्मू-कश्मीर, उत्तर प्रदेश और दिल्ली, में सक्रिय भर्ती एजेंट इस प्रक्रिया का हिस्सा हैं।
- संरचनात्मक खामियाँ एवं प्रवर्तन: भारत के साइबर धोखाधड़ी पारिस्थितिकी तंत्र का दुरुपयोग के कारणों में डिजिटल बैंकिंग लेनदेन में खामियाँ, टेलीकॉम सेक्टर में PoS एजेंटों द्वारा फर्जी सिम कार्ड जारी करना, आव्रजन में कमज़ोर सत्यापन प्रक्रियाएँ, आदि शामिल हैं, जिससे गुमनाम और सीमापार साइबर अपराध संभव हो पाते हैं।
भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C)
- परिचय: I4C की स्थापना गृह मंत्रालय द्वारा वर्ष 2020 में की गई थी, जिसका उद्देश्य साइबर अपराधों (विशेष रूप से वित्तीय धोखाधड़ी) के लिये एक समन्वित और समग्र प्रतिक्रिया प्रदान करना है।
- मुख्य उद्देश्य:
- राष्ट्रीय नोडल एजेंसी के रूप में कार्य करना, जो साइबर अपराधों की निगरानी, रोकथाम और जाँच में समन्वय करना, विशेषकर महिलाओं, बच्चों और महत्त्वपूर्ण अवसंरचना को लक्षित करने वाले अपराधों के मामले में।
- प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली विकसित करना और प्रवृत्ति विश्लेषण, पैटर्न की पहचान तथा डेटा साझा करने की सुविधा प्रदान करना।
- साइबर अपराध की शिकायत दर्ज कराने की सुविधा प्रदान करना एवं साइबर स्वच्छता तथा धोखाधड़ी की रोकथाम पर जन-जागरूकता बढ़ाना।
- राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों को साइबर फॉरेंसिक और जाँच में पुलिस, अभियोजकों और न्यायिक अधिकारियों की क्षमता निर्माण में सहायता देना।
- राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल: यह एक नागरिक-केंद्रित ऑनलाइन पोर्टल है जो लोगों को साइबर धोखाधड़ी की शिकायत दर्ज कराने की सुविधा प्रदान करता है। दर्ज शिकायतों को संबंधित कानून प्रवर्तन एजेंसियों को अग्रेषित किया जाता है।
साइबर धोखाधड़ी (Cyber frauds) क्या है?
- परिचय: साइबर धोखाधड़ी वे आपराधिक गतिविधियाँ हैं, जो डिजिटल प्रौद्योगिकी (इंटरनेट) का उपयोग करके व्यक्तियों या संस्थानों को वित्तीय नुकसान पहुँचाने हेतु की जाती हैं।
- ये साइबर सुरक्षा, डिजिटल प्लेटफॉर्म या मानव व्यवहार की कमज़ोरियों का फायदा उठाकर धन, डेटा या पहचान की चोरी करते हैं।
साइबर धोखाधड़ी के प्रकार:
प्रकार |
विवरण |
डिजिटल गिरफ्तारी (Digital Arrests) |
पुलिस या आयकर अधिकारी बनकर डराकर धन वसूली करना। |
ऑनलाइन जॉब/कार्य-आधारित धोखाधड़ी |
घर बैठे कार्य के फर्जी प्रस्ताव और अग्रिम भुगतान की मांग। |
मालवेयर |
कंप्यूटर पर नियंत्रण पाने हेतु व्यक्तिगत जानकारी चुराने वाला सॉफ्टवेयर। |
रैनसमवेयर |
फाइलों को एन्क्रिप्ट कर उन्हें खोलने के बदले फिरौती माँगना (जैसे: 2016 का WannaCry हमला)। |
फिशिंग |
भरोसेमंद दिखने वाले ईमेल के ज़रिये उपयोगकर्त्ता को फर्जी लिंक पर क्लिक कराकर संवेदनशील जानकारी हासिल करना (जैसे: क्रेडिट कार्ड नंबर)। |
साइबर बुलीइंग (Cyberbullying) |
किसी व्यक्ति को धमकी देना, मानसिक रूप से परेशान करना या ब्लैकमेल करना। |
साइबर जासूसी (Cyber Spying) |
संवेदनशील डेटा, निजी जानकारी या बौद्धिक संपदा तक पहुँच प्राप्त करने के लिये नेटवर्क को निशाना बनाना। |
बिज़नेस ईमेल समझौता (BEC) |
वैध ईमेल हैक कर सप्लायर, कर्मचारी या टैक्स अधिकारियों की पहचान में धोखा देना (वाइट कॉलर अपराध)। |
डेटिंग हुडविंक्स (Dating Hoodwinks) |
डेटिंग साइट्स/ऐप्स का उपयोग कर भावनात्मक जुड़ाव के ज़रिये निजी जानकारी हासिल करना। |
एटीएम/PoS धोखाधड़ी |
कार्ड डिटेल्स की चोरी या अनधिकृत लेनदेन (स्किमिंग)। |
- साइबर धोखाधड़ी के परिणाम:
- व्यक्तिगत नुकसान: अनधिकृत वित्तीय लेनदेन, खाते तक पहुँच खोना और निजी डेटा का दुरुपयोग कर ब्लैकमेल।
- व्यावसायिक जोखिम: कानूनी दंड, नियामक जुर्माना और ग्राहक डेटा लीक होने पर ब्रांड की विश्वसनीयता और बाज़ार मूल्य में गिरावट।
- राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा: साइबर उल्लंघनों द्वारा रक्षा और महत्त्वपूर्ण सूचना प्रणालियों को निशाना बनाया जाना।
- उल्लेखनीय साइबर धोखाधड़ी घटनाएँ:
- आधार डेटा लीक (2018): 1.1 अरब आधार कार्डधारकों की व्यक्तिगत जानकारी लीक, जिसमें आधार संख्या, PAN और बैंक विवरण शामिल थे।
- केनरा बैंक ATM हमला (2018): हैकरों ने 300 डेबिट कार्ड्स पर स्किमिंग उपकरणों का प्रयोग कर ₹20 लाख से अधिक की चोरी की।
- पेगासस स्पाईवेयर मामला: इज़रायली स्पाईवेयर Pegasus का उपयोग बिना अनुमति के मोबाइल उपकरणों से डेटा चुराने के लिए हुआ, जिसमें 300 से अधिक प्रमाणित भारतीय मोबाइल नंबर प्रभावित हुए।
भारत के डिजिटल परिदृश्य को प्रभावित करने वाले प्रमुख उभरते साइबर खतरे क्या हैं?
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साइबर सुरक्षा से संबंधित प्रमुख पहल क्या हैं?
- साइबर सुरक्षा पर वैश्विक पहलें:
- बुडापेस्ट कन्वेंशन ऑन साइबरक्राइम: यह साइबर अपराध से निपटने के लिये बना पहला अंतरराष्ट्रीय संधि-पत्र है, जो कानूनी समरूपता (legal harmonization), जाँच में सहयोग (investigative cooperation) और क्षमता निर्माण (capacity building) को बढ़ावा देता है। यह 1 जुलाई, 2004 से लागू हुआ था।
- भारत इस संधि का पक्षकार नहीं है।
- इंटरनेट गवर्नेंस फोरम (IGF): IGF संयुक्त राष्ट्र (UN) के अंतर्गत एक बहु-हितधारक मंच (Multi-Stakeholder Platform) है, जो इंटरनेट गवर्नेंस और साइबर सुरक्षा से संबंधित सार्वजनिक नीति के मुद्दों पर सरकारों, निजी क्षेत्र, शिक्षाविदों और नागरिक समाज के बीच संवाद को बढ़ावा देता है।
- ICT सुरक्षा पर UNGA के प्रस्ताव: संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) ने साइबर सुरक्षा से संबंधित मुद्दों के समाधान हेतु दो प्रमुख मंचों की स्थापना की है:
- ओपन-एंडेड वर्किंग ग्रुप (OEWG): रूस द्वारा आरंभ किया गया।
- उद्देश्य: समावेशी संवाद और ICT सुरक्षा में क्षमता निर्माण को प्रोत्साहित करना।
- उद्देश्य: समावेशी संवाद और ICT सुरक्षा में क्षमता निर्माण को प्रोत्साहित करना।
- ग्रुप ऑफ गवर्नमेंटल एक्सपर्ट्स (GGE): अमेरिका द्वारा आरंभ किया गया।
- उद्देश्य: साइबर स्पेस में ज़िम्मेदार राज्य व्यवहार के मानदंड (norms) और अंतर्राष्ट्रीय कानूनी ढाँचे का विकास करना।
- ओपन-एंडेड वर्किंग ग्रुप (OEWG): रूस द्वारा आरंभ किया गया।
भारत की साइबर सुरक्षा पहल
- विधायी उपाय:
- संस्थागत ढाँचा:
- भारतीय कंप्यूटर इमर्जेंसी रिस्पांस टीम (CERT‑In)
- राष्ट्रीय संवेदनशील सूचना संरचना संरक्षण केंद्र (NCIIPC)
- भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C)
- साइबर स्वच्छता केंद्र
- नागरिक वित्तीय साइबर धोखाधड़ी रिपोर्टिंग एवं प्रबंधन प्रणाली — साइबर धोखाधड़ी मामलों की वास्तविक समय निगरानी, ट्रैकिंग और समाधान सुनिश्चित करने हेतु
- केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) — PoS एजेंटों द्वारा धोखाधड़ीपूर्ण सिम जारी करने पर FIR दर्ज की गई
- रणनीतिक पहल:
- भारत राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा अभ्यास 2024
- राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा नीति, 2013, साइबर स्पेस की सुरक्षा और संवेदनशील सूचना ढाँचे की रक्षा हेतु दृष्टि व रणनीति निर्धारित करती है
- चक्षु और डिजिटल इंटेलिजेंस प्लेटफॉर्म (DoT द्वारा):
- चक्षु: संचार साथी पोर्टल पर उपलब्ध एक उपकरण, जो नागरिकों को KYC समाप्ति या बैंक खाता अपडेट जैसे धोखाधड़ी संबंधी फर्जी कॉल/SMS/WhatsApp संदेश रिपोर्ट करने की सुविधा प्रदान करता है
- डिजिटल इंटेलिजेंस प्लेटफॉर्म (DIP): दूरसंचार संसाधनों के दुरुपयोग की रोकथाम हेतु हितधारकों (टीएसपी, बैंक, कानून प्रवर्तन, आदि) के बीच वास्तविक समय समन्वय व सूचना आदान–प्रदान सुनिश्चित करता है
- क्षेत्र-विशिष्ट नियमन:
- SEBI द्वारा विनियमित संस्थाओं हेतु साइबर सुरक्षा ढाँचा — प्रतिभूति बाज़ार में साइबर सुरक्षा नीतियों को बाध्यकारी बनाता है
- दूरसंचार (संवेदनशील दूरसंचार अवसंरचना) नियम, 2024
भारत में साइबर सुरक्षा ढाँचे को मज़बूत करने हेतु क्या उपाय किये जाने चाहिये?
- अवसंरचना एवं कृत्रिम बुद्धिमत्ता आधारित सुरक्षा: डिजिटल अवसंरचना को मज़बूत किया जाना चाहिये, जिसमें फायरवॉल, नियमित सॉफ्टवेयर/हार्डवेयर अपडेट तथा कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) आधारित खतरा पहचान प्रणाली शामिल हो।
- AI-आधारित उपकरणों को रैनसमवेयर की पूर्व-भविष्यवाणी, घटनाओं की त्वरित प्रतिक्रिया, और फॉरेंसिक विश्लेषण में सक्षम बनाया जाना चाहिये।
- AI-आधारित उपकरणों को रैनसमवेयर की पूर्व-भविष्यवाणी, घटनाओं की त्वरित प्रतिक्रिया, और फॉरेंसिक विश्लेषण में सक्षम बनाया जाना चाहिये।
- साइबर जागरूकता एवं साक्षरता: ग्रामीण समुदायों, युवाओं और वरिष्ठ नागरिकों को लक्षित करते हुए स्थानीय भाषाओं में राष्ट्रव्यापी साइबर साक्षरता कार्यक्रम शुरू किये जाएँ।
- स्कूलों और विश्वविद्यालयों में साइबर सुरक्षा शिक्षा को शामिल किया जाए, ताकि प्रारंभिक स्तर से डिजिटल समुत्थानशीलता विकसित हो सके। इसके लि सुरक्षित डिजिटल अवसंरचना और प्रशिक्षित स्टाफ की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए।
- संस्थागत सुधार एवं ऑडिट तंत्र: बैंकिंग, स्वास्थ्य सेवा और उपयोगिता क्षेत्रों जैसे महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों में अनिवार्य साइबर सुरक्षा ऑडिट, तनाव परीक्षण (stress tests) और कर्मचारी तैयारियों का मूल्यांकन किया जाना चाहिये।
- ज़िला-स्तरीय साइबर सुरक्षा इकाइयाँ स्थापित की जाएँ जो स्थानीय खतरों से निपटने और CERT-In के साथ समन्वय कर सकें।
- कॉर्पोरेट एवं बैंकिंग सुरक्षा उपाय: व्यवसायों और बैंकों में दो-चरणीय प्रमाणीकरण (2FA), डेटा एन्क्रिप्शन और सतत् निगरानी प्रणाली को अनिवार्य किया जाए।
- वित्तीय संस्थानों को संदिग्ध लेनदेन पर नज़र रखनी चाहिये, विदेशी IP लॉगिन का पता लगाना चाहिये तथा चोरी किये गए धन को क्रिप्टोकरेंसी में बदलने से रोकना चाहिये।
- वित्तीय संस्थानों को संदिग्ध लेनदेन पर नज़र रखनी चाहिये, विदेशी IP लॉगिन का पता लगाना चाहिये तथा चोरी किये गए धन को क्रिप्टोकरेंसी में बदलने से रोकना चाहिये।
- व्यक्तिगत साइबर स्वच्छता: नागरिकों को सुरक्षित डिजिटल व्यवहार अपनाने के लिये प्रेरित किया जाना चाहिए, जैसे: संदिग्ध संचार (ईमेल, कॉल, SMS आदि) से बचना, मज़बूत एवं अद्वितीय पासवर्ड का प्रयोग, सुरक्षा चेतावनियों को नज़रअंदाज़ न करना। इससे व्यक्तिगत स्तर पर साइबर धोखाधड़ी की भेद्यता में कमी लाई जा सकती है।
दृष्टि मुख्य परीक्षा प्रश्न: Q. भारत में साइबर सुरक्षा की प्रमुख चुनौतियाँ क्या हैं? भारत के साइबर सुरक्षा ढाँचे को मज़बूत करने के लिये व्यापक उपाय सुझाएँ? |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)प्रिलिम्स:प्रश्न.1 भारत में व्यक्तियों के लिये साइबर बीमा के तहत धन की हानि और अन्य लाभों के भुगतान के अलावा, निम्नलिखित में से कौन से लाभ आम तौर पर कवर किये जाते हैं? (वर्ष 2020)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (A) केवल 1, 2 और 4 उत्तर: (B) प्रश्न. 2 भारत में निम्नलिखित में से किसके लिये साइबर सुरक्षा घटनाओं पर रिपोर्ट करना कानूनी रूप से अनिवार्य है? (वर्ष 2017)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (A) केवल 1 उत्तर: (D) मेन्स:प्रश्न: साइबर सुरक्षा के विभिन्न घटक क्या हैं? साइबर सुरक्षा में चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए जाँच करें कि भारत ने व्यापक राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा रणनीति को किस हद तक सफलतापूर्वक विकसित किया है। (वर्ष 2022) |