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डेली न्यूज़

  • 18 Mar, 2023
  • 27 min read
इन्फोग्राफिक्स

संयुक्त राष्ट्र की विशेष एजेंसियाँ- (भाग III - ILO, WHO and ITU)

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आंतरिक सुरक्षा

अंतर-सेवा संगठन विधेयक, 2023

प्रिलिम्स के लिये:

भारतीय वायु सेना, नौसेना, थल सेना, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में संयुक्त कमान

मेन्स के लिये:

अंतर-सेवा संगठन विधेयक, 2023 

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में लोकसभा में अंतर-सेवा संगठन (कमान, नियंत्रण और अनुशासन) विधेयक, 2023 पेश किया गया ताकि नामित सैन्य कमांडरों, चाहे वे किसी भी सेवा से संबंधित हों, को सैनिकों का कार्यभार संभालने और अनुशासन लागू करने का अधिकार दिया जा सके।

  • इस विधेयक को एकीकृत अथवा संयुक्त कमान/कमांड की स्थापना से पहले पेश किया गया है, जिसके अनुसार सभी संसाधन और सैन्यकर्मी भारतीय थल सेना, नौसेना और भारतीय वायु सेना के एक एकल 3-स्टार रैंक वाले जनरल के परिचालन नियंत्रण में होंगे।

प्रमुख बिंदु 

  • इस प्रणाली में पाँच संयुक्त सेवा कमान- पश्चिमी, पूर्वी, उत्तरी, समुद्री और वायु रक्षा के शामिल होने की संभावना है।
  • केंद्र सरकार एक अंतर-सेवा संगठन का गठन कर सकती है, जिसमें एक संयुक्त सेवा कमान शामिल हो सकती है। 
  • यह अंतर-सेवा संगठनों के कमांडर-इन-चीफ/ऑफिसर-इन-कमांड को अनुशासन बनाए रखने एवं थल सेना, नौसेना और वायु सेना के सभी कर्मियों के कर्त्तव्यों का उचित निर्वहन सुनिश्चित करने में सशक्त बनाएगा।
  • किसी अंतर-सेवा संगठन का कमांडर-इन-चीफ या ऑफिसर-इन-कमांड ऐसे अंतर-सेवा संगठन का प्रमुख होगा।

भारतीय सशस्त्र बलों की वर्तमान व्यवस्था:

  • वर्तमान में संबंधित सेवाओं के सैनिक संसद के विभिन्न अधिनियमों द्वारा शासित होते हैं।
    • ये हैं- 1957 का नौसेना अधिनियम, 1950 का वायु सेना अधिनियम और 1950 का थल सेना अधिनियम
    • वर्तमान संयुक्त सेवा व्यवस्था में नौसेना अधिकारी की कमान वाले सैनिक को किसी भी अनुशासनात्मक कार्यवाही के लिये उसकी मूल इकाई में वापस भेजना होगा। नौसेना अधिकारी के पास ऐसे  सैनिक के संबंध में प्रशासनिक शक्तियाँ नहीं हैं। 
  • भारतीय सशस्त्र बलों के पास वर्तमान में 17 कमान/कमांड हैं। थल सेना और वायु सेना प्रत्येक में 7 और नौसेना के पास 3 कमांड हैं।
    • प्रत्येक कमांड का नेतृत्व एक 4-स्टार रैंक का सैन्य अधिकारी करता है।
  • अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में एक संयुक्त कमान है जो भारत के अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के पोर्ट ब्लेयर में स्थित भारतीय सशस्त्र बलों की पहली त्रि-सेवा थियेटर कमान है।
  • अन्य त्रि-सेवा कमान जैसे कि सामरिक बल कमान (SFC), देश की परमाणु संपत्ति के वितरण और परिचालन नियंत्रण की देखभाल करती है।
  • कुछ त्रि-सेवा संगठन भी हैं जैसे- रक्षा खुफिया एजेंसी, रक्षा साइबर एजेंसी, रक्षा अंतरिक्ष एजेंसी आदि।

चीन द्वारा अपने सशस्त्र बलों का संचालन:

  • वर्ष 2016 में चीन ने आक्रामक क्षमताओं को बढ़ावा देने के लिये अपनी 2.3 मिलियन पीपुल्स लिबरेशन आर्मी को पाँच थिएटर कमांड में पुनर्गठित किया।
    • इसका वेस्टर्न थिएटर कमांड पूर्वी लद्दाख से अरुणाचल प्रदेश तक 3,488 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा की देख-रेख करता है।
  • चीन से लगी उत्तरी सीमाओं हेतु भारत के पास चार सेनाएँ और तीन भारतीय वायु सेना कमांड हैं।

पहल का महत्त्व:

  • यह विधेयक विभिन्न प्रकार के मूर्त लाभों का मार्ग प्रशस्त करेगा, जिसमें त्वरित मामला निपटान, कई कार्यवाहियों से बचकर समय और सार्वजनिक धन की बचत, साथ ही सशस्त्र बलों के कर्मियों के बीच अधिक एकीकरण एवं संयुक्त कौशल शामिल हैं।

स्रोत: द हिंदू


कृषि

आधारभूत पशुपालन सांख्यिकी 2022

प्रिलिम्स के लिये:

पशुपालन, पशुधन, पशुपालन अवसंरचना विकास निधि।

मेन्स के लिये:

आधारभूत पशुपालन सांख्यिकी 2022, भारत के पशुधन क्षेत्र की स्थिति।

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय ने ‘आधारभूत पशुपालन सांख्यिकी 2022' जारी की जो भारत में दूध, अंडे और मांस उत्पादन में वृद्धि को दर्शाती है।

  • कृषि क्षेत्र में पशुधन के योगदान में लगातार सुधार देखा जा रहा है जो देश की अर्थव्यवस्था में इसके बढ़ते महत्त्व को दर्शाता है।

मुख्य आकर्षण:

  • दुग्ध उत्पादन: 
    • भारत में कुल दुग्ध उत्पादन वर्ष 2021-2022 में 221.06 मिलियन टन था, जिससे यह विश्व का सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक देश बना हुआ है। 
    • विगत वर्ष की तुलना में उत्पादन में 5.29% की वृद्धि हुई।
    • देश के कुल दुग्ध उत्पादन में स्वदेशी मवेशियों का योगदान 10.35% है, जबकि गैर-वर्णित (Non-descript) मवेशियों का योगदान 9.82% और गैर-वर्णित भैंसों का योगदान देश के कुल दुग्ध उत्पादन में 13.49% है।
    • शीर्ष पाँच प्रमुख दुग्ध उत्पादक राज्य हैं- राजस्थान (15.05%), उत्तर प्रदेश (14.93%), मध्य प्रदेश (8.06%), गुजरात (7.56%) एवं आंध्र प्रदेश (6.97%)
  • अंडा उत्पादन: 
    • कुल अंडा उत्पादन 129.60 बिलियन है और यह पिछले वर्ष की तुलना में 6.19% अधिक है।
    • शीर्ष पाँच अंडा उत्पादक राज्यों में आंध्र प्रदेश (20.41%), तमिलनाडु (16.08%), तेलंगाना (12.86%), पश्चिम बंगाल (8.84%) और कर्नाटक (6.38%) शामिल हैं तथा ये राज्य मिलकर देश में कुल अंडा उत्पादन का 64.56% योगदान करते हैं।
  • मांस उत्पादन:
    • देश में कुल मांस उत्पादन 9.29 मिलियन टन है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 5.62% अधिक है।
    • कुल मांस उत्पादन में पोल्ट्री क्षेत्र का योगदान लगभग 51.44% है।
    • शीर्ष पाँच मांस उत्पादक राज्यों में महाराष्ट्र (12.25%), उत्तर प्रदेश (12.14%), पश्चिम बंगाल (11.63%), आंध्र प्रदेश (11.04%) और तेलंगाना (10.82%) शामिल हैं। ये राज्य देश में कुल मांस उत्पादन का 57.86% का योगदान करते हैं।
  • ऊन: 
    • देश में वर्ष 2021-22 के दौरान कुल ऊन उत्पादन 33.13 हज़ार टन था जिसमें पिछले वर्ष की तुलना में 10.30% की कमी देखी गई है।
    • शीर्ष पाँच प्रमुख ऊन उत्पादक राज्य हैं- राजस्थान (45.91%), जम्मू-कश्मीर (23.19%), गुजरात (6.12%), महाराष्ट्र (4.78%) और हिमाचल प्रदेश (4.33%)

पशुपालन: 

  • परिचय: 
    • पशुपालन से तात्पर्य पशुधन को बढ़ाने और इनके चयनात्मक प्रजनन से है। यह एक प्रकार का पशु प्रबंधन तथा देखभाल है, जिसमें लाभ के लिये पशुओं के आनुवंशिक गुणों एवं व्यवहारों को विकसित किया जाता है।
    • भारत में विश्व का सबसे अधिक पशुधन है।
      • भारत में 20वीं पशुधन जनगणना (20th Livestock Census) के अनुसार, देश में कुल पशुधन आबादी 535.78 मिलियन है। इस पशुधन जनगणना में वर्ष 2018 की जनगणना की तुलना में 4.6% की वृद्धि हुई है।
    • पशुपालन के बहुआयामी लाभ हैं। 
      • उदाहरण के लिये डेयरी किसानों के विकास के साथ वर्ष 1970 में शुरू हुए ऑपरेशन फ्लड (Operation Flood) ने दूध उत्पादन और ग्रामीण लोगों की आय में वृद्धि की तथा उपभोक्ताओं के लिये एक उचित मूल्य सुनिश्चित किया।
  • महत्त्व: 
    • आर्थिक विकास: पशुपालन का कई देशों की अर्थव्यवस्था में महत्त्वपूर्ण योगदान है। यह पशु-आधारित उत्पादों के निर्यात के माध्यम से रोज़गार के अवसर, आय और विदेशी मुद्रा सृजित करता है।
    • सतत् कृषि: पशुपालन मृदा की उर्वरता, कीटों और खरपतवारों को नियंत्रित करने तथा रासायनिक उर्वरकों एवं कीटनाशकों के उपयोग को कम करने के लिये खाद प्रदान कर स्थायी कृषि में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
    • आनुवंशिक सुधार: पशुपालन चयनात्मक प्रजनन और आनुवंशिक इंजीनियरिंग के माध्यम से पशुधन के आनुवंशिक सुधार में भी योगदान देता है, जिससे उच्च उत्पादकता, बेहतर रोग प्रतिरोधक क्षमता और पशु-आधारित उत्पादों की गुणवत्ता बेहतर होती है
  • संबंधित पहलें: 

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन-सी 'मिश्रित खेती' की प्रमुख विशेषता है? (2012)

(a) नगदी और खाद्य दोनों फसलों की खेती
(b) दो या दो से अधिक फसलों को एक ही खेत में उगाना
(c) पशुपालन और फसल उत्पादन को एक साथ करना
(d) उपरोक्त में से कोई नहीं

उत्तर: (c)  


मेन्स:

प्रश्न. ग्रामीण क्षेत्रों में कृषितर रोज़गार और आय का प्रबंधन करने में पशुधन पालन की बड़ी संभाव्यता है। भारत में इस क्षेत्रक की प्रोन्नति करने के उपयुक्त उपाय सुझाते हुए चर्चा कीजिये। (2015)

स्रोत: पी.आई.बी.


शासन व्यवस्था

केंद्रीय कर वितरण में अंतर्राज्यीय भिन्नता

प्रिलिम्स के लिये:

15वाँ वित्त आयोग, केंद्रीय कर वितरण, क्षैतिज समानता, संविधान का अनुच्छेद 280

मेन्स के लिये:

राज्यों के बीच कर वितरण, 15वें वित्त आयोग की सिफारिशें

चर्चा में क्यों?

आलोचकों का तर्क है कि 15वें वित्त आयोग का कर वितरण फॉर्मूला/सूत्र कुछ राज्यों के पक्ष में है, जिसके परिणामस्वरूप व्यापक अंतर्राज्यीय भिन्नता की स्थिति देखी जाती है।

तमिलनाडु द्वारा केंद्र को दिये गए प्रत्येक एक रुपए हेतु केवल 29 पैसे वापस मिलते हैं, जबकि उत्तर प्रदेश को 2.73 रुपए और बिहार को 7.06 रुपए वापस मिलते हैं।

राज्यों के बीच करों के वितरण की विधि: 

  • परिचय:  
    • केंद्र राज्यों से कर एकत्र करता है और उन्हें वित्त आयोग (XVFC) के फार्मूले के आधार पर वितरित करता है।
  • XVFC फॉर्मूला:  
    • XVFC फॉर्मूला प्रत्येक राज्य की आवश्यकताओं (जनसंख्या, क्षेत्र, वन एवं पारिस्थितिकी), इक्विटी (प्रति व्यक्ति आय अंतर) एवं प्रदर्शन (स्वयं का कर राजस्व और कम प्रजनन दर) पर आधारित है।
  • भार:  
    • आवश्यकताओं को 40%, इक्विटी को 45% और प्रदर्शन को 15% वेटेज दिया जाता है। 
    • XVFC ने प्रजनन स्तर को कम करने वाले राज्यों को पुरस्कृत करने के लिये प्रजनन दर घटक की शुरुआत की किंतु इक्विटी और आवश्यकताओं की तुलना में इसका भार कम है।
  • तर्क:  
    • आलोचकों का तर्क है कि यह फॉर्मूला कुछ उत्तरी राज्यों के पक्ष में है, क्योंकि इस फॉर्मूले में जनसंख्या को अधिक महत्त्व दिया जाता है।
      • वित्त आयोगों में दक्षिणी राज्यों की हिस्सेदारी में लगातार गिरावट आई है। 
    • कुछ लोगों का तर्क है कि स्थानांतरण राज्य को सेवाओं के तुलनीय स्तर प्रदान करने और क्षैतिज इक्विटी सुनिश्चित करने में सक्षम बनाता है।
      • हालाँकि अन्य का तर्क है कि सूत्र का किसी राज्य की दक्षता और प्रगति पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ना चाहिये।

Central-Taxes

15वाँ वित्त आयोग:

  • परिचय:  
    • वित्त आयोग एक संवैधानिक निकाय है, जो केंद्र एवं राज्यों के बीच तथा राज्यों के मध्य संवैधानिक व्यवस्था और वर्तमान आवश्यकताओं के अनुरूप कर से प्राप्त आय के वितरण के लिये विधि व सूत्र निर्धारित करता है।
  • संवैधानिकता:  
    • संविधान के अनुच्छेद 280 के तहत भारत के राष्ट्रपति के लिये प्रत्येक पाँच वर्ष या उससे पहले वित्त आयोग का गठन करना आवश्यक है।
  • 15वाँ वित्त आयोग: 
    • 15वें वित्त आयोग का गठन भारत के राष्ट्रपति द्वारा नवंबर 2017 में एन.के. सिंह की अध्यक्षता में किया गया था। 
    • इसकी सिफारिशें वर्ष 2021-22 से वर्ष 2025-26 तक पाँच वर्ष की अवधि के लिये मान्य होंगी।
      • सरकार ने वर्ष 2021-22 से शुरू होने वाली पाँच वर्ष की अवधि के लिये करों के विभाज्य पूल में राज्यों की हिस्सेदारी को 41% तक बनाए रखने हेतु 15वें वित्त आयोग की सिफारिश को स्वीकार कर लिया। 

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्षों के प्रश्न  

प्रश्न. भारत के 14वें वित्त आयोग की संस्तुतियों ने राज्यों को अपनी राजकोषीय स्थिति में सुधार करने में कैसे सक्षम किया है? (2021)

स्रोत: द हिंदू


भारतीय अर्थव्यवस्था

पीएम मित्र योजना एवं वस्त्र क्षेत्र

प्रिलिम्स के लिये:

पीएम मित्र योजना, वस्त्र क्षेत्र, सार्वजानिक-निजी भागीदारी (PPP), प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI), GDP, कृषि, IIP, SAFTA 

मेन्स के लिये:

भारत का कपड़ा क्षेत्र, क्षमता और चुनौतियाँ

चर्चा में क्यों? 

केंद्र ने पीएम मेगा इंटीग्रेटेड टेक्सटाइल रीजन एंड अपैरल (PM-MITRA) योजना के तहत नए टेक्सटाइल पार्क स्थापित करने के लिये तमिलनाडु, तेलंगाना, कर्नाटक, महाराष्ट्र, गुजरात, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में स्थानों का चयन किया है।

  • वर्ष 2026-27 तक पार्कों की स्थापना की जाएगी। परियोजना के लिये कुल परिव्यय 4,445 करोड़ रुपए है, हालाँकि वर्ष 2023-24 के बजट में प्रारंभिक आवंटन केवल 200 करोड़ रुपए है।

पीएम मित्र योजना:

  • परिचय: 
    • ‘पीएम मित्र’ पार्क को सार्वजनिक निजी भागीदारी (PPP) मोड में एक ‘विशेष प्रयोजन वाहन’ (SPV) द्वारा विकसित किया जाएगा, जिसका स्वामित्त्व केंद्र और राज्य सरकार के पास होगा।
    • प्रत्येक ‘मित्र’ पार्क में एक इन्क्यूबेशन सेंटर, कॉमन प्रोसेसिंग हाउस और एक कॉमन एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट तथा अन्य टेक्सटाइल संबंधी सुविधाएँ जैसे- डिज़ाइन सेंटर और टेस्टिंग सेंटर होंगे।
  • कार्यान्वयन: 
    • विशेष प्रयोजन वाहन: केंद्र और राज्य सरकार के स्वामित्त्व वाली एक SPV प्रत्येक पार्क के लिये स्थापित की जाएगी जो परियोजना के कार्यान्वयन की निगरानी करेगी।
    • विकास हेतु पूंजी सहायता: कपड़ा मंत्रालय SPV को प्रति पार्क 500 करोड़ रुपए तक की वित्तीय सहायता विकास हेतु पूंजी सहायता के रूप में प्रदान करेगा।
    • प्रतिस्पर्द्धी प्रोत्साहन सहायता (CIS): पीएम मित्र पार्क में इकाइयों को प्रति पार्क 300 करोड़ रुपए तक का CIS भी तेज़ी से कार्यान्वयन को प्रोत्साहित करने के लिये प्रदान किया जाएगा।
    • अन्य योजनाओं के साथ अभिसरण: मास्टर डेवलपर और निवेशक इकाइयों को अतिरिक्त प्रोत्साहन के लिये भारत सरकार की अन्य योजनाओं के साथ अभिसरण की सुविधा भी प्रदान की जाएगी।

योजना का महत्त्व:

  • रसद लागत में कमी:
    • यह रसद लागत को कम करेगा और कपड़ा क्षेत्र की मूल्य शृंखला को विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्द्धी बनने हेतु मज़बूत करेगा।
    • कपड़ा निर्यात को बढ़ावा देने के भारत के लक्ष्य में उच्च रसद लागत को एक प्रमुख बाधा माना जाता है।
    • रोज़गार सृजन: 
    • इन पार्कों में 70,000 करोड़ रुपए के निवेश से करीब 20 लाख लोगों के लिये रोज़गार सृजित होने की उम्मीद है।
    • प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में वृद्धि: 
    • ये पार्क देश में ‘प्रत्यक्ष विदेशी निवेश’ (FDI) को आकर्षित करने हेतु महत्त्वपूर्ण हैं।
    • अप्रैल 2000 से सितंबर 2020 तक भारत के कपड़ा क्षेत्र को 20,468.62 करोड़ रुपए का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश प्राप्त हुआ था, जो इस अवधि के दौरान कुल विदेशी निवेश प्रवाह का मात्र 0.69% है।
    • प्रतिस्पर्द्धात्मकता:
    • यह क्लस्टर-आधारित दृष्टिकोण क्षेत्र के बढ़ते अपव्यय और रसद लागत को कम करेगा और इस प्रकार देश के कपड़ा क्षेत्र की प्रतिस्पर्द्धात्मकता में सुधार करेगा।

भारत के वस्त्रोद्योग क्षेत्र का परिदृश्य:

  • अवस्था: 
    • कपड़ा क्षेत्र भारतीय अर्थव्यवस्था के महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों में से एक है, जो कुल सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के 2% से अधिक और विनिर्माण क्षेत्र के सकल घरेलू उत्पाद के 12% से अधिक के लिये उत्तरदायी है।
    • टेक्सटाइल सेक्टर में फाइबर से लेकर रेडीमेड गारमेंट्स तक एक विविध मूल्य शृंखला है।
  • क्षमता: 
    • यह क्षेत्र भारत में कृषि के बाद दूसरा सबसे बड़ा रोज़गार प्रदाता है। 
      • यह अनुमानित 45 मिलियन लोगों को प्रत्यक्ष रूप से और अन्य 60 मिलियन लोगों को अप्रत्यक्ष रूप से संबद्ध गतिविधियों के माध्यम से रोज़गार प्रदान करता है।
    • वस्त्र और परिधान में वैश्विक व्यापार के 4% हिस्से के साथ भारत विश्व में वस्त्र और परिधान का छठा सबसे बड़ा निर्यातक है।
    • वित्त वर्ष 2012 में भारत का वस्त्र और परिधान निर्यात (हस्तशिल्प सहित) 44.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर का रहा, जो कि 41% की वृद्धि को दर्शाता है।
    • भारत के वस्त्र उद्योग में देश भर में संलग्न नियोजित कर्मचारियों की संख्या लगभग 4.5 करोड़ है जिनमें से हथकरघा श्रमिकों की संख्या 35.22 लाख है। 
  • चुनौतियाँ: 
    • उत्पादन में गिरावट: 
      • औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (Index of Industrial Production- IIP) के आकलन के अनुसार, वस्त्रों के उत्पादन में मार्च 2022 से लगातार गिरावट दर्ज की गई है।
      • सूचकांक मूल्य, जो कि मार्च 2022 में 118.5 था, अक्तूबर 2022 में गिरकर 102.3 हो गया है।
    • आयात में वृद्धि: 
      • अप्रैल से नवंबर 2022 की अवधि में वस्त्र आयात का मूल्य 433 बिलियन रुपए था, पिछले वर्ष की इसी अवधि में यह 313 अरब रुपए का था।
      • भारत ने वर्ष 2006 में दक्षिण एशियाई मुक्त व्यापार समझौते (South Asian Free Trade Agreement- SAFTA) के तहत बांग्लादेश से रेडीमेड वस्त्रों के शुल्क मुक्त आयात की अनुमति दी, जिसके परिणामस्वरूप चीनी कपड़ों और धागों से बने परिधानों के आयात में वृद्धि हुई।
    • निर्यात में कमी: 
      • भारत का वस्त्र उद्योग आयातक देशों द्वारा लगाए जा रहे शुल्कों से होने वाले नुकसान से काफी प्रभावित होता है।
      • बांग्लादेश, श्रीलंका और अफ्रीका जैसे देशों को शुल्क-मुक्त पहुँच की सुविधा प्राप्त है तथा यह अंतर्राष्ट्रीय परिदृश्य में भारत के वस्त्रों को तुलनात्मक रूप से कम प्रतिस्पर्द्धी बनाते हैं। 
    • विपरीत सीमा शुल्क संरचना: 
      • वस्त्र उद्योग में मानव निर्मित फाइबर (Man-Made Fibre- MMF) मूल्य शृंखला वर्तमान में विपरीत शुल्क संरचना की समस्या का सामना कर रही है, जिसका अर्थ है कि वस्त्र के घटकों पर लगने वाला सीमा शुल्क अंतिम उत्पाद पर लगने वाले शुल्क से अधिक होता है।
      • यह आमतौर पर सरकार द्वारा वापस कर दिया जाता है, इससे सरकार के राजस्व का बहिर्वाह होता है, लेकिन साथ ही यह व्यवसायों के लिये महत्त्वपूर्ण कार्यशील पूंजी प्रवाह को भी बाधित करता है।

वस्त्रोद्योग क्षेत्र से संबंधित पहल: 

आगे की राह 

  • व्यापार उपचार महानिदेशालय (Directorate General of Trade Remedies- DGTR ) ने इंडोनेशिया से आयातित VSF पर एंटी-डंपिंग ड्यूटी (ADD) लगाने की सिफारिश की है। इस जाँच से पता चला है कि डंपिंग रोधी शुल्क हटाए जाने के बाद इंडोनेशिया से आयात बढ़ा है।
  • भारत वस्त्र उद्योग हेतु मेगा परिधान पार्क और सामान्य बुनियादी ढाँचा स्थापित करके इस क्षेत्र को संगठित कर सकता है। इसके अलावा अप्रचलित मशीनरी एवं प्रौद्योगिकी के आधुनिकीकरण पर ध्यान देना होगा।
  • भारत को वस्त्र क्षेत्र के लिये एक व्यापक ढाँचे की ज़रूरत है। इसके तैयार हो जाने के परिणामस्वरूप देश को मिशन मोड के रूप में संचालित करने की ज़रूरत है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2020)

  1. पिछले दशक में भारत-श्रीलंका व्यापार के मूल्य में सतत् वृद्धि हुई है।
  2. भारत और बांग्लादेश के बीच होने वाले व्यापार में "कपड़े और कपड़े से बनी चीज़ों" का व्यापार प्रमुख है।
  3. पिछले पाँच वर्षों में दक्षिण एशिया में भारत के व्यापार का सबसे बड़ा भागीदार नेपाल रहा है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1 और 2 
(b) केवल 2
(c) केवल 3 
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (b)


प्रश्न. भारत में अत्यधिक विकेंद्रीकृत सूती वस्त्र उद्योग के लिये कारकों का विश्लेषण कीजिये। (मुख्य परीक्षा, 2013)

स्रोत: द हिंदू


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