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डेली न्यूज़

  • 17 Dec, 2018
  • 43 min read
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

राष्ट्रीय सुपरकंप्यूटिंग मिशन

चर्चा में क्यों?


तीन वर्षों से अधिक की देरी के बाद हाल ही में भारत ने राष्ट्रीय सुपरकंप्यूटिंग मिशन (National Supercomputing Mission) के तहत 70 से अधिक सुपर कंप्यूटर बनाने के लिये फ्रांसीसी प्रौद्योगिकी फर्म अटोस (Atos)के साथ 4,500 करोड़ रूपए का अनुबंध किया है।


महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • इस अनुबंध को प्राप्त करने के लिये अटोस, लेनोवो, एचपी और नेटवेब टेक्नोलॉज़ी के मध्य प्रतिस्पर्द्धा थी।
  • इस अनुबंध द्वारा भारत में 73 सुपर कंप्यूटर डिज़ाइन और निर्मित किये जाने की संभावना है जिसकी बदौलत भारत की सुपरकंप्यूटिंग क्षमता को बढ़ावा मिलेगा।
  • इस अनुबंध के तहत फ्राँस की कंपनी अटोस भारत में सुपर कंप्यूटर निर्माण की दिशा में काम करेगी।
  • गौरतलब है कि देश में उच्च क्षमता वाली 70 से भी अधिक सुपरकंप्यूटिंग सुविधाओं से युक्त विभिन्न शैक्षणिक और शोध संस्थानों का नेटवर्क बनाया जाएगा।

क्या है राष्ट्रीय सुपरकंप्यूटिंग मिशन?

  • 25 मार्च, 2015 को आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति ने राष्ट्रीय सुपरकंप्यूटिंग मिशन को मंज़ूरी दी थी।
  • संचार और सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र में अग्रणी क्षेत्र के अनुसंधान एवं विकास, वैश्विक प्रौद्योगिकी के रुझानों और बढ़ती हुई आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए सरकार ने राष्ट्रीय सुपरकंप्यूटिंग मिशन को मंज़ूरी दी थी।
  • इस मिशन को विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग तथा इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी विभाग कार्यान्वित कर रहे हैं।
  • सुपरकंप्यूटिंग के क्षेत्र में कार्यकलापों को शुरु करने के लिये 2014-15 में राष्ट्रीय सुपरकंप्यूटिंग मिशन के लिये 42.50 करोड़ रुपए का प्रस्ताव किया गया था।
  • ये नए सुपर कंप्यूटर न केवल सरकार की ई-प्रशासन नीति को बेहतर बनाएंगे बल्कि यह डिजिटल इंडिया कार्यक्रम को भी आम जनता तक पहुँचाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
  • ये सुपर कंप्यूटर विभिन्न मंत्रालयों, वैज्ञानिकों व शोध करने वाले संस्थानों के काम आएंगे। इनका उपयोग वाहन बनाने से लेकर नई दवाओं के निर्माण, ऊर्जा के स्रोत तलाशने व जलवायु परिवर्तन आदि क्षेत्रों में किया जाएगा।
  • इस कार्यक्रम के तहत भारत को विश्व स्तरीय कम्प्यूटिंग शक्ति बनाना है।
  • भारत के पास लगभग 30 सुपर कंप्यूटर हैं जिनमें से अधिकांश उच्च अधिगम वाले संस्थानों, जैसे भारतीय विज्ञान संस्थान, आईआईटी और राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं जैसे भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान, सी-डैक सीएआईआर-चतुर्थ प्रतिमान संस्थान और राष्ट्रीय मध्यम रेंज मौसम पूर्वानुमान केंद्र आदि में स्थित हैं।
  • सुपरकंप्यूटिंग मिशन के पूर्ण कार्यान्वयन के बाद भारत की गिनती अमेरिका, जापान, चीन और यूरोपीय संघ जैसे सुपरकंप्यूटर से संपन्न देशों में होगी।

परियोजना में देरी क्यों?

  • अलग-अलग मंत्रालयों की मिलकर काम करने में उत्पन्न चुनौतियों के साथ-साथ वित्त की कमी, इस परियोजना के शुरू होने में तीन साल की देरी की वज़ह रही।

कहाँ लगेंगे ये सुपर कंप्यूटर?

  • पहले तीन सुपर कंप्यूटर आईआईटी बीएचयू, आईआईटी खड़गपुर और आईआईआईटीएम पुणे में स्थापित किये जाएंगे। आईआईटी बीएचयू को एक पेटा फ्लॉप सुपर कंप्यूटर मिलेगा, जबकि अन्य दो संस्थानों को 650 टेरा फ्लॉप सुपर कंप्यूटर मिलेंगे।
  • C-DAC सभी सुपर कंप्यूटर को एक सामान्य ग्रिड से जोड़ने की योजना बना रहा है, जो किसी भी संस्थान को सुपरकंप्यूटिंग पावर तक पहुँचने की सुविधा प्रदान करेगा जिससे यह दुनिया की सबसे तेज़ सुपरकंप्यूटिंग प्रणाली बन जाएगी।

स्रोत- बिज़नेस लाइन


भूगोल

'फैथई' तूफान

चर्चा में क्यों?


दक्षिण-पश्चिम एवं बंगाल की खाड़ी से सटे हुए पश्चिम-मध्य क्षेत्र में चक्रवाती तूफान ‘फेथई’ से भारी-बारिश होने का अनुमान है। उल्लेखनीय है कि ‘फेथई’ नामक चक्रवाती तूफ़ान का नामकरण थाईलैंड द्वारा किया गया है।


चक्रवात

  • चक्रवात कम वायुमंडलीय दाब के चारों ओर गर्म हवाओं की तेज़ आँधी को कहा जाता है। दोनों गोलार्द्धों के चक्रवाती तूफानों में अंतर यह है कि उत्तरी गोलार्द्ध में ये चक्रवात घड़ी की सुइयों की विपरीत दिशा में (Counter-Clockwise) तथा दक्षिणी गोलार्द्ध में घड़ी की सुइयों की दिशा (Clockwise) में चलते हैं।
  • उत्तरी गोलार्द्ध में इसे हरिकेन, टाइफून आदि नामों से जाना जाता है।

चक्रवातों का नामकरण

  • हिंद महासागर क्षेत्र के आठ देश (बांग्लादेश, भारत, मालदीव, म्याँमार, ओमान, पाकिस्तान, श्रीलंका तथा थाईलैंड) एक साथ मिलकर आने वाले चक्रवातों के नाम तय करते हैं।
  • जैसे ही चक्रवात इन आठों देशों के किसी भी हिस्से में पहुँचता है, सूची से अगला या दूसरा सुलभ नाम इस चक्रवात का रख दिया जाता है।
  • इस प्रक्रिया के चलते तूफ़ान को आसानी से पहचाना जा सकता है और बचाव अभियानों में भी मदद मिलती है। किसी नाम का दोहराव नहीं किया जाता है।
  • नामकरण करने वाला शासी निकाय क्षेत्रीय विशिष्ट मौसम विज्ञान केंद्र (Regional Specialised Meteorological Centre- RSMC), नई दिल्ली में स्थित है।
  • प्रत्येक देश उन दस नामों की एक सूची तैयार करता है जो उन्हें चक्रवात के नामकरण के लिये उपयुक्त लगते हैं। शासी निकाय अर्थात् RSMC प्रत्येक देश द्वारा सुझाए गए नामों में आठ नामों को चुनता है और उसके अनुसार आठ सूचियाँ तैयार करता है जिनमें शासी निकाय द्वारा अनुमोदित नाम शामिल होते हैं।

चक्रवातों के नामकरण का इतिहास

  • 1900 के मध्य में समुद्री चक्रवाती तूफान का नामकरण करने की शुरुआत हुई ताकि इससे होने वाले खतरे के बारे में लोगों को समय रहते सतर्क किया जा सके, संदेश आसानी से लोगों तक पहुँचाया जा सके तथा सरकारें और लोग इसे लेकर बेहतर प्रबंधन और तैयारियाँ कर सकें, लेकिन तब नामकरण की प्रक्रिया व्यवस्थित नही थी।
  • विशेषज्ञों के अनुसार, नामकरण की विधिवत प्रक्रिया बन जाने के बाद यह ध्यान रखा जाता है कि चक्रवाती तूफानों का नाम आसान और याद रखने लायक होना चाहिये इससे स्थानीय लोगों को सतर्क करने, जागरूकता फैलाने में मदद मिलती है।
    1950 के मध्य में नामकरण को और भी क्रमवार ढंग से सुनिश्चित करने के उद्देश्य से विशेषज्ञों ने इसकी बेहतर पहचान के लिये इनके नामों को पहले से क्रमबद्ध तरीके से रखने हेतु अंग्रेज़ी वर्णमाला के शब्दों के प्रयोग पर ज़ोर दिया।
  • 1953 से मायामी नेशनल हरिकेन सेंटर और वर्ल्ड मेटियोरोलॉजिकल ऑर्गनाइज़ेशन (WMO) तूफानों और उष्णकटिबंधीय चक्रवातों के नाम रखता आ रहा है। WMO जेनेवा स्थित संयुक्त राष्ट्र संघ की एक संस्था है।
  • पहले उत्तरी हिंद महासागर में उठने वाले चक्रवातों का कोई नाम नहीं रखा जाता था क्योंकि ऐसा करना विवादास्पद काम था। इसके पीछे कारण यह था कि जातीय विविधता वाले इस क्षेत्र में सावधान और निष्पक्ष रहने की जरूरत थी ताकि यह लोगों की भावनाओं को ठेस न पहुँचाए।
  • वर्ष 2004 से चक्रवातों को RSMC द्वारा अनुमोदित सूची के अनुसार नामित किया जाता है।

सुरक्षा

समुद्री सुरक्षा को बढ़ावा देगा सूचना संलयन केंद्र

चर्चा में क्यों?


भारतीय नौसेना औपचारिक रूप से हिंद महासागर क्षेत्र (Indian Ocean Region- IOR) के लिये सूचना संलयन केंद्र (Information Fusion Centre- IFC) की शुरुआत करने को तैयार है।

  • इस केंद्र के माध्यम से समुद्री क्षेत्र में सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये हिंद महासागरीय देशों के साथ व्हाइट शिपिंग (white shipping) या वाणिज्यिक शिपिंग संबंधी जानकारी का आदान-प्रदान किया जाएगा।
  • IFC-IOR की स्थापना इस क्षेत्र के लिये समुद्री सूचना केंद्र के रूप में कार्य करके क्षेत्र में और उससे परे समुद्री सुरक्षा को मज़बूत करने के दृष्टिकोण से की गई है।

IFC के बारे में

  • IFC की स्थापना गुरुग्राम में नौसेना के सूचना प्रबंधन और विश्लेषण केंद्र (Information Management and Analysis Centre- IMAC) में की गई है।
  • भारत के साथ पहले से ही व्हाइट शिपिंग सूचना विनिमय समझौतों (white shipping information exchange agreements) पर हस्ताक्षर करने वाले देशों में लगभग 21 देश IFC साझेदार हैं।
  • शुरुआत में सूचनाओं का आदान-प्रदान वर्चुअल माध्यम- टेलीफोन कॉल, फैक्स, ई-मेल और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग द्वारा किया जाएगा। इसके बाद बेहतर इंटरकनेक्शन और समय पर प्राप्त सूचनाओं के त्वरित विश्लेषण के लिये, IFC-IOR में दूसरे देशों के संपर्क अधिकारी भी तैनात किये जाएंगे।

महत्त्व

  • भारत के साथ व्हाइट शिपिंग सूचना विनिमय समझौते पर हस्ताक्षर करने वाले सभी देश अब IFC में अपने संपर्क अधिकारी नियुक्त कर सकते हैं।
  • इसके अतिरिक्त यह केंद्र समुद्री सूचना संग्रह और साझाकरण में समुद्री अभ्यास और प्रशिक्षण संबंधी जानकारियों का संग्रहण भी करेगा।
  • IFC-IRO की स्थापना से पूरे क्षेत्र में आपसी सहयोग और सूचना का आदान-प्रदान सुनिश्चित होगा इसके अलावा यह क्षेत्र में व्याप्त चिंताओं और खतरों को समझने में भी सहायक होगा।
  • IFC-IOR एक अलग मंच है जिसमें हिंद महासागर नौसेना संगोष्ठी (Indian Ocean Naval Symposium- IONS) के सभी सदस्यों के भाग लेने की उम्मीद है। 2008 में लॉन्च IONS, हिंद महासागर क्षेत्र में समुद्री सहयोग बढ़ाने की मांग करता है।

ट्रांस-रीजनल मैरीटाइम नेटवर्क (Trans-Regional Maritime Network, T-RMN)

  • हाल ही में भारत ने ट्रांस-रीजनल मैरीटाइम नेटवर्क समझौते पर हस्ताक्षर किये हैं।
  • इस बहुपक्षित समझौते में 30 देश शामिल हैं तथा इस नेटवर्क का संचालन इटली (Italy) द्वारा किया जाता है।
  • यह समझौता समुद्रों में होने वाली वाणिज्यिक यातायात संबंधी गतिविधियों के बारे में सूचनाओं के विनिमय की सुविधा प्रदान करता है।

सूचनाओं के आदान-प्रदान की प्रक्रिया

  • सूचनाएँ प्राथमिक रूप से स्वचालित पहचान प्रणाली (Automatic Identification System- AIS) के ज़रिये प्राप्त होती हैं। उल्लेखनीय है कि अंतर्राष्ट्रीय समुद्री संगठन के दिशा-निर्देशों के अनुसार सकल रूप से 300 टन से अधिक वज़न वाले पंजीकृत व्यापारिक जहाजों पर स्वचालित पहचान प्रणाली (AIS) लगाना अनिवार्य है।
  • AIS सूचना में नाम, MMSI संख्या, स्थिति, जलमार्ग, गति, अंतिम बंदरगाह का दौरा, गंतव्य आदि शामिल होते हैं।
  • इस जानकारी को तटीय AIS श्रृंखला और उपग्रह आधारित रिसीवर सहित विभिन्न AIS सेंसर के माध्यम से प्राप्त किया जा सकता है।

IMAC

  • समुद्री सुरक्षा पर निगरानी तंत्र को मज़बूत करने के लिये वर्ष 2014 में सूचना प्रबंधन एवं विश्लेषण केंद्र की स्थापना की गई थी।
  • यह नेशनल कमांड कंट्रोल कम्युनिकेशन एंड इंटेलिजेंस नेटवर्क (National Command Control Communication and Intelligence Network) की नोडल संस्था है।
  • IMAC भारतीय नौसेना, तटरक्षक बल और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड की संयुक्त पहल है। यह राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (National Security Advisor- NSA) के अधीन कार्य करता है।

नेशनल कमांड कंट्रोल कम्युनिकेशन एंड इंटेलिजेंस नेटवर्क
(National Command Control Communication and Intelligence Network- NC3IN)

  • भारतीय नौसेना ने नोडल सूचना प्रबंधन और विश्लेषण केंद्र (IMAC) के साथ, नौसेना के 20 और तटरक्षक बल के 31 स्टेशनों सहित कुल 51 स्टेशनों को जोड़ने वाले NC3IN की स्थापना की है।
  • NC3IN सभी तटीय रडार (RADAR) श्रृंखलाओं को जोड़ने वाला एकल बिंदु केंद्र है और लगभग 7,500 किलोमीटर लंबी समुद्र तट की एक समेकित तथा वास्तविक स्थिति को प्रदर्शित करता है।

स्रोत : द हिंदू


जैव विविधता और पर्यावरण

कॉन्फ्रेंस ऑफ़ पार्टीज (COP) का 24वाँ सत्र संपन्न

संदर्भ


जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क (United Nations Framework Convention on Climate Change- UNFCCC) के अंतर्गत शीर्ष निकाय कॉन्फ्रेंस ऑफ़ पार्टीज के 24वें सत्र का आयोजन 2 से 15 दिसंबर, 2018 तक पोलैंड के काटोविस (Katowice) में किया गया।

इस सम्मेलन में तीन प्रमुख मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया गया, जिसमें शामिल थे-

  • पेरिस समझौते के कार्यान्वयन के लिये दिशा निर्देशों/तौर-तरीकों/नियमों को अंतिम रूप देना।
  • सुविधा प्रदान करने वाले तालानोआ संवाद-2018 (2018 Facilitative Talanoa Dialogue) का समापन।
  • 2020 से पूर्व उठाए जाने वाले कदमों का कार्यान्वयन एवं महत्त्वाकांक्षाओं का सर्वेक्षण।

कॉन्फ्रेंस ऑफ़ पार्टीज (COP) क्या है?

  • यह UNFCCC सम्मेलन का सर्वोच्च निकाय है। इसके तहत विभिन्न दलों के प्रतिनिधियों को सम्मेलन में शामिल किया गया है। यह हर साल अपने सत्र आयोजित करता है।
  • COP, सम्मेलन के प्रावधानों के प्रभावी कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिये आवश्यक निर्णय लेता है और नियमित रूप से इन प्रावधानों के कार्यान्वयन की समीक्षा करता है।

COP 24

  • लगभग 2 सप्ताह तक चली वार्ता के बाद ऐतिहासिक 2015 पेरिस समझौते (2015 Paris Agreement) जिसका उद्देश्य पूर्व-औद्योगिक स्तर की तुलना में ग्लोबल वार्मिंग को 2 डिग्री सेल्सियस से नीचे रखना है, के कार्यान्वयन के लिये दिशा-निर्देशों के ‘मज़बूत’ सेट को अपनाया गया।
  • पेरिस समझौते को क्रियान्वित करने के लिये एक नियम पुस्तिका का विकास एक महत्त्वपूर्ण कदम है, विशेष रूप से उस स्थिति में जब जलवायु परिवर्तन पर अंतर-सरकारी पैनल की रिपोर्ट (जलवायु परिवर्तन के लिये संयुक्त राष्ट्र के वैज्ञानिक निकाय) में पूर्व-औद्योगिक स्तरों पर ग्लोबल वार्मिंग को सीमित करने की आवश्यकता और व्यवहार्यता पर बल दिया गया है ताकि यह पूर्व-औद्योगिक स्तर पर 1.5 डिग्री सेल्सियस से अधिक न हो पाए।
  • एक दर्जन से अधिक बैठकों ने 2015 में हस्ताक्षर किये गए पेरिस समझौते को लागू करने के उद्देश्य से सिद्धांतों के संबंध में विभिन्न विषयों पर वार्ता को सफल बनाने में सक्षम बनाया। इस दौरान जलवायु परिवर्तन संबंधी मुद्दों की एक विस्तृत श्रृंखला पर चर्चा की गई, जिसने जटिल और कठिन दस्तावेज़ को जन्म दिया। इस दस्तावेज़ के प्रमुख पहलू वित्त, पारदर्शिता और अनुकूलन हैं।

COP 24 और भारत

  • भारत ने पेरिस समझौते को कार्यान्वित करने के अपने वादे को दोहराते हुए COP-24 के दौरान प्रतिबद्धता एवं नेतृत्व और जलवायु परिवर्तन पर ध्यान देने के लिये सामूहिक रूप से कार्य करने की भावना प्रदर्शित की।
  • भारत विकसित एवं विकासशील देशों के विभिन्न आरंभिक बिंदुओं की स्वीकृति; विकासशील देशों के लिये लचीलेपन एवं समानता सहित सिद्धांतों पर विचार और समान लेकिन विभेदकारी ज़िम्मेदारियों एवं संबंधित क्षमताओं (Common but Differentiated Responsibilities and Respective Capabilities, CBDR-RC) सहित देश के प्रमुख हितों की रक्षा करते हुए सभी वार्ताओं में सकारात्मक एवं रचनात्मक तरीके से संलग्न रहा।
  • राष्ट्रीय तौर पर निर्धारित योगदानों पर जारी दिशा-निर्देश NDC की राष्ट्रीय रूप से निर्धारित प्रकृति को संरक्षित करते है तथा पार्टियों के लिये अनुकूलन सहित विभिन्न प्रकार के योगदानों को प्रस्तुत करते हैं।
  • ये समग्र दिशा-निर्देश पेरिस समझौते के सिद्धांतों को प्रदर्शित करते हैं तथा विकसित देशों द्वारा पेरिस समझौते के उद्देश्यों को अर्जित करने वाले नेतृत्व को स्वीकृति देते हैं।
  • अनुकूलन पर दिशा-निर्देश विकासशील देशों के संयोजन की आवश्यकता को स्वीकृति देता है और यह CBDR-RC के अति सफल सिद्धांत पर आधारित है।
  • भारत एक मज़बूत पारदर्शी व्यवस्था के पक्ष में है और अंतिम रूप से संवर्द्धित पारदर्शिता संरचना विकासशील देशों के लिये लचीलापन प्रदान करते हुए मौजूदा दिशा-निर्देशों पर आधारित है।
  • वित्तीय प्रावधानों पर दिशा-निर्देश विकासशील देशों को कार्यान्वयन का माध्यम प्रदान करने में विकसित देशों के उत्तरादायित्व को परिचालित करता है तथा जलवायु वित्त के नए एवं अतिरिक्त तथा जलवायु विशिष्ट होने की आवश्यकता की स्वीकृति देता है।
  • पार्टियों ने 100 बिलियन डॉलर के निम्न मूल्य (Floor) से 2020 के बाद नए सामूहिक वित्तीय लक्ष्यों की स्थापना हेतु कार्य शुरू करने पर भी सहमति जताई है।
  • प्रौद्योगिकी के लिये सफल संरचना के परिचालन की दिशा में अधिक समर्थन की आवश्यकता की बात स्वीकार की गई है तथा यह प्रौद्योगिकी विकास एवं अंतरण के सभी चरणों को व्यापक रूप से कवर करती है।
  • भारत COP24 के परिणाम को सकारात्मक मानता है जो सभी पार्टियों की चिंताओं पर ध्यान देता है तथा पेरिस समझौते के सफल कार्यान्वयन की दिशा में कदम बढ़ाता है।

पेरिस जलवायु समझौता 

  • इस ऐतिहासिक समझौते को 2015 में ‘जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन फ्रेमवर्क’ (UNFCCC) की 21वीं बैठक में अपनाया गया, जिसे COP21 के नाम से जाना जाता है।  इस समझौते को 2020 से लागू किया जाना है।
  • इसके तहत यह प्रावधान किया गया है कि सभी देशों को वैश्विक तापमान को औद्योगिकीकरण से पूर्व के स्तर से 2 डिग्री सेल्सियस से अधिक नहीं बढ़ने देना है (दूसरे शब्दों में कहें तो 2 डिग्री सेल्सियस से कम ही रखना है) और 1.5 डिग्री सेल्सियस से नीचे रखने के लिये सक्रिय प्रयास करना है। 
  • पहली बार, विकसित और विकासशील देश, दोनों ने राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित अंशदान (INDC) को प्रस्तुत किया, जो प्रत्येक देश का अपने स्तर पर स्वेच्छा से जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिये एक विस्तृत कार्रवाइयों का समूह है।
  • पेरिस समझौते का मुख्य सार इसके 27 में से छः अनुच्छेदों में निहित है। ये इस प्रकार हैं-
  1. 'बाज़ार तंत्र' (market mechanism) (A-6) : यह एक देश को किसी दूसरे देश में हरित परियोजनाओं को वित्तपोषित करने और क्रेडिट खरीदने की अनुमति देता है।
  2. 'वित्त' (Finance) (A-9)
  3. 'प्रौद्योगिकी विकास और हस्तांतरण' (technology development and transfer) (A-10);
  4. 'क्षमता निर्माण' capacity building (A-11);
  5. 'पारदर्शिता ढाँचा' (transparency framework) (A-13), यह प्रत्येक देश के कार्यों की रिपोर्टिंग से संबंधित है;
  6. 'ग्लोबल स्टॉक-टेक' (global stock-take) (A-14), यह जलवायु परिवर्तन से लड़ने में प्रत्येक देश की प्रतिबद्धता और उसकी कार्रवाई की आवधिक समीक्षा करता है तथा उसमें सुधार की मांग करता है।

UNFCCC

  • यह एक अंतर्राष्ट्रीय समझौता है जिसका उद्देश्य वायुमंडल में ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को नियंत्रित करना है।
  • यह समझौता जून, 1992 के पृथ्वी सम्मेलन के दौरान किया गया था। विभिन्न देशों द्वारा इस समझौते पर हस्ताक्षर के बाद 21 मार्च, 1994 को इसे लागू किया गया।
  • वर्ष 1995 से लगातार UNFCCC की वार्षिक बैठकों का आयोजन किया जाता है। इसके तहत ही वर्ष 1997 में बहुचर्चित क्योटो समझौता (Kyoto Protocol) हुआ और विकसित देशों (एनेक्स-1 में शामिल देश) द्वारा ग्रीनहाउस गैसों को नियंत्रित करने के लिये लक्ष्य तय किया गया। क्योटो प्रोटोकॉल के तहत 40 औद्योगिक देशों को अलग सूची एनेक्स-1 में रखा गया है।
  • UNFCCC की वार्षिक बैठक को कॉन्फ्रेंस ऑफ द पार्टीज (COP) के नाम से जाना जाता है।

ग्लोबल वार्मिंग का प्रभाव

  • ग्लोबल वार्मिंग के परिणामस्वरूप पृथ्वी के तापमान में वृद्धि हुई है। पृथ्वी पर तापमान बढ़ने के कारण ध्रुवों की बर्फ तेज़ी से पिघलने लगी है जिसके कारण समुद्र का जलस्तर बढ़ रहा है।
  • ग्लोबल वार्मिंग का प्रभाव पृथ्वी की ओज़ोन परत पर भी पड़ा है और इसके क्षरण से पराबैंगनी किरणों के दुष्प्रभाव में वृद्धि हुई है।
  • न केवल मनुष्य बल्कि पशु-पक्षी और वनस्पतियों पर भी इसके दुष्प्रभाव में वृद्धि हो रही है। इसके कारण कई दुर्लभ प्रजातियाँ नष्ट हो चुकी हैं।
  • पशु-पक्षियों की संख्या में निरंतर कमी आ रही है और बाढ़, सूखा, समुद्री तूफान, चक्रवात, भूकंप, भूस्खलन जैसी प्राकृतिक आपदाओं में भी वृद्धि हुई है।

आगे की राह

  • सितंबर 2019 में भी संयुक्त राष्ट्र दुनिया भर में जलवायु परिवर्तन पर कार्रवाई को मज़बूती प्रदान करने के लिये संगठित रूप से राजनीतिक और आर्थिक प्रयास करने के लिये जलवायु शिखर सम्मेलन का आयोजन करेगा।
  • पेरिस समझौते के तहत देशों द्वारा की गई प्रतिबद्धताओं को हासिल करने के बावजूद इस सदी के अंत तक पूरी दुनिया का तापमान 3 डिग्री सेल्सियस से अधिक होने के का अनुमान है।
  • शिखर सम्मेलन छह क्षेत्रों अर्थात् ऊर्जा संक्रमण (energy transition), जलवायु वित्त (climate finance) और कार्बन मूल्य निर्धारण (carbon pricing), उद्योग संक्रमण (industry transition), प्रकृति-आधारित समाधान (nature-based solutions), शहर और स्थानीय स्तर पर कार्रवाई (cities and local action) तथा लचीलेपन (resilience) में जारी कार्रवाई पर ध्यान केंद्रित करेगा।

स्रोत : cop24 वेबसाइट, UNFCC वेबसाइट, द हिंदू (बिज़नेस लाइन) एवं पी.आई.बी


विविध

Rapid Fire 17 December

  • 16 दिसंबर: भारत में हर साल इस दिन विजय दिवस मनाया जाता है; 1971 में बांग्लादेश (तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान) को आज़ादी दिलाने वाले युद्ध की स्मृति में यह दिवस मनाया जाता है; पाकिस्तान के साथ 14 दिनों तक चला यह युद्ध 16 दिसंबर को तब खत्म हुआ, जब पाकिस्तानी सेना के जनरल नियाज़ी ने 93 हज़ार पाकिस्तानी सैनिकों के साथ भारतीय सेना के सामने आत्मसमर्पण किया था
  • गुजरात के वड़ोदरा में देश का पहला रेल विश्वविद्यालय रेल मंत्री पीयूष गोयल ने राष्ट्र को समर्पित किया; रूस और चीन के बाद यह दुनिया का ऐसा तीसरा विश्वविद्यालय है जो रेल के कामकाज से जुड़े अध्ययन के क्षेत्र में काम करेगा; मानव संसाधन, कौशल और क्षमता निर्माण को बढ़ावा देने के लिये इसकी स्थापना की गई है
  • नीति आयोग ने किया वीमैन ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया अवार्ड्स के तीसरे संस्करण का आयोजन; वीमैन ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया अवार्ड्स का गठन देश में महिलाओं की अनुकरणीय गाथाओं को प्रोत्साहन और पहचान देने के लिये किया गया है;  इस वर्ष की थीम ‘महिलाएँ और उद्यमिता’ रखी गई; उन्नत महिला उद्यमिता प्लेटफॉर्म की भी हुई शुरुआत; यह प्लेटफॉर्म भविष्य में उभरती महिला उद्यमियों के लिये एकल संसाधन केंद्र के रूप में काम करेगा
  • राजस्थान में कांग्रेस के अशोक गहलोत बने 22वें मुख्यमंत्री, सचिन पायलट को मिला उप-मुख्यमंत्री का पदभार; मध्य प्रदेश में कांग्रेस के कमलनाथ बने 18वें मुख्यमंत्री; तेलंगाना राष्ट्र समिति के चंद्रशेखर राव ने तेलंगाना में एक बार फिर संभाली मुख्यमंत्री की गद्दी; मिज़ोरम में मिज़ो नेशनल फ्रंट के जोरामथांगा ने तीसरी बार संभाली राज्य की कमान; छत्तीसगढ़ में भूपेश सिंह बघेल बने राज्य के तीसरे मुख्यमंत्री
  • भारत सरकार ने जारी किये विमान में मोबाइल और इंटरनेट सेवाएँ देने के लिये नियम; नियमों के लिये जारी अधिसूचना में Flight & Maritime Connectivity Rules, 2018 लागू करने की बात कही गई है; विमान के 3000 मीटर से अधिक ऊँचाई पर उड़ते समय मोबाइल औए डेटा सेवाएँ भारतीय सीमा के भीतर मुहैया कराई जाएंगी
  • सरदार पटेल की पुण्यतिथि पर 15 दिसंबर को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने गुजरात के नर्मदा ज़िले में किया केवादिया रेलवे स्टेशन का शिलान्यास; 'स्टैच्यू ऑफ यूनिटी' से 5 किलोमीटर दूर बनेगा ग्रीन बिल्डिंग वाला यह स्टेशन; केवादिया के निकट बनी है 182 मीटर ऊँची दुनिया की सबसे ऊँची प्रतिमा 'स्टैच्यू ऑफ यूनिटी'; नर्मदा ज़िले में स्थित केवादिया अभी सीधा रेलमार्ग से जुड़ा हुआ नहीं है
  • राष्ट्रीय हरित अधिकरण (National Green Tribunal-NGT) ने तूतीकोरिन स्थित वेदांता ग्रुप की कंपनी स्टरलाइट के कॉपर प्लांट को बंद करने के तमिलनाडु सरकार के फैसले को निरस्त किया; Tamil Nadu Pollution Control Board को दिया नया सहमति-पत्र जारी करने का आदेश; NGT चेयरपर्सन जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की बेंच ने वेदांता लिमिटेड को अगले 3 साल में कल्याणकारी गतिविधियों पर 100 करोड़ रुपए खर्च करने का दिया निर्देश; सालाना 6 लाख टन कॉपर उत्पादन करने वाले इस प्लांट को मई में बंद किया गया था
  • श्रीलंका में राजनीतिक अस्थिरता और संवैधानिक संकट का बायस बने प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे ने पद से इस्तीफ़ा दे दिया; श्रीलंकाई सुप्रीम कोर्ट के फैसलों के बाद राजपक्षे ने दिया इस्तीफा; 26 अक्तूबर को रानिल विक्रमसिंघे को बर्खास्त कर राष्ट्रपति मैत्रीपाल सिरिसेना ने पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे को बनाया था प्रधानमंत्री; पुनः प्रधानमंत्री बने रानिल विक्रमसिंघे
  • तिब्बत को लेकर अमेरिकी संसद में पारित विधेयक (The Reciprocal Access to Tibet Act) पर चीन ने जताई आपत्ति; विधेयक में अमेरिकी नागरिकों, अधिकारियों और पत्रकारों को तिब्बत जाने से रोकने वाले चीन के अधिकारियों के वीज़ा पर पाबंदी लगाने का है प्रावधान; चीन ने अमेरिका द्वारा तथ्यों पर ध्यान न देने और इसे चीन के आंतरिक मामलों में दखल तथा अंतर्राष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन बताया
  • पी.वी. सिंधु विश्व चैंपियन जापान की नोजुमी ओकुहारा को 21-19, 21-17 से हराकर वर्ल्ड टूर फाइनल्स जीतने वाली पहली भारतीय बनीं; चीन के ग्वांगझू में सिंधु ने यह चैंपियनशिप जीतकर लगातार छह फाइनल मैचों में हारने का सिलसिला तोड़ा
  • भुवनेश्वर के कलिंगा स्टेडियम में खेले गए वर्ल्ड कप हॉकी के फाइनल में बेल्जियम ने नीदरलैंड्स को पेनाल्टी शूटआउट में 3-2 से हराकर पहली बार खिताब जीता; विश्व कप के इतिहास में पहली बार किसी फाइनल मुकाबले में पेनाल्टी शूटआउट से फैसला हुआ; नीदरलैंड्स इससे पहले तीन बार यह खिताब जीत चुका है; ऑस्ट्रेलिया ने इंग्लैंड को हराकर तीसरा स्थान प्राप्त किया
  • बैंकॉक में आयोजित मिस यूनिवर्स 2018 प्रतियोगिता में फिलिपींस की कैटरिओना ग्रे ने बाज़ी मारी; 2017 की मिस यूनिवर्स रहीं दक्षिण अफ्रीका की डेमी ले नेल-पीटर्स ने उन्हें ताज पहनाया; दक्षिण अफ्रीका की टैमरिन ग्रीन फर्स्ट रनर-अप और वेनेजुएला की स्थेफनी गुटरेज सेकंड रनर-अप रहीं; भारत की नेहल टॉप-20 में जगह बनाने में असफल रहीं; स्पेन की ऐंजेला पॉन्स प्रतियोगिता में शिरकत करने वाली पहली ट्रांसजेंडर बनीं

प्रारंभिक परीक्षा

प्रीलिम्स फैक्ट्स : 17 दिसंबर, 2018

वीमैन ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया अवार्ड्स ( Women Transforming India Awards)


नीति आयोग द्वारा 16 दिसंबर, 2018 को वीमैन ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया अवार्ड्स के तीसरे संस्करण का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम के दौरान उन्नत महिला उद्यमिता प्लेटफार्म (Women Entrepreneurship Platform) का भी शुभारंभ किया गया।

थीम


इस वर्ष की थीम ‘महिलाएँ और उद्यमिता’ है।

उद्देश्य

  • वीमैन ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया अवार्ड्स का गठन समूचे भारत में महिलाओं की अनुकरणीय गाथाओं को प्रोत्‍साहन और पहचान देने के उद्देश्‍य से किया गया है।

अन्य प्रमुख बिंदु

  • महिला उद्यमिता प्लेटफार्म न सिर्फ देश में उद्यमी पारिस्थितिकी तंत्र में परिवर्तन लाने के प्रयास करेगा बल्कि भविष्य में उभरती महिला उद्यमियों के लिये एकल संसाधन केंद्र के रूप में भी कार्य करेगा।
  • यह प्लेटफार्म अर्थव्यवस्था में विभिन्न हितधारकों को एकसाथ जोड़ने के साथ-साथ इनक्यूबेटर समर्थन, अनुपालन आदि जैसी एकीकृत सेवाएँ प्रदान करने का भी माध्‍यम भी बनता है।
  • कार्यक्रम के दौरान ‘उद्यमी का परिप्रेक्ष्य: स्टार्टअप से वृद्धि तक और इसकी अग्रिम बढ़ोतरी: डब्‍ल्‍यूईपी एक प्‍लेटफार्म के रूप में कैसे सहायता कर सकता है’ जैसे विषयों पर विभिन्‍न सामूहिक चर्चाओं का आयोजन भी किया गया।

खजियार झील


हिमाचल प्रदेश के चंबा ज़िले के खजियार (Khajjiar) को ‘मिनी स्विट्ज़रलैंड’ कहा जाता है। पिछले कुछ समय से झील में भारी मात्रा में गाद जमा होने के कारण यह सिकुड़ती जा रही है। यह झील करीब दो हेक्टेयर क्षेत्रफल में फैली हुई है। हालाँकि, कई बार झील से गाद निकालने के प्रयास किये गए, लेकिन इसे पूरी तरह से गाद मुक्त नहीं किया जा सका। झील में सड़ रही घास के कारण दुर्गंध की समस्या ने इसकी खूबसूरती को और भी अधिक क्षति पहुँचाने का काम किया है।

‘मिनी स्विट्ज़रलैंड’ नाम कैसे पड़ा?

      • 7 जुलाई, 1992 को स्विट्ज़रलैंड के तत्कालीन वाइस काउंसलर विली टी. ब्लेजर द्वारा खजियार को ‘मिनी स्विट्ज़रलैंड’ नाम दिया गया। गौरतलब है कि विश्व भर के तकरीबन 160 बेहद सुंदर स्थानों को इस खिताब से नवाज़ा गया है।

खजियार झील

      • खजियार का मुख्य आकर्षण चीड़ एवं देवदार के वृक्षों से ढ़की खजियार झील (Khajjiar Lake) है। पर्यटन की दृष्टि से यह झील बहुत महत्त्वपूर्ण है।
      • खजियार डलहौज़ी और चंबा ( Dalhousie and Chamba) के बीच करीब 1,920 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। यह झील देवदार के वृक्षों (cedar trees) से घिरे घास के मैदान (grassy landscape) में अवस्थित है।
      • इसे यह नाम खज्जीनागा (Khajjinags) मंदिर के नाम पर दिया गया है। यहाँ नागदेव की पूजा होती है।

वन्यजीवन हेतु कृत्रिम द्वीप

      • हाल ही में डच अभियंताओं ने वन्यजीवन की सहायता में एक कृत्रिम द्वीपसमूह का निर्माण किया है।
      • पाँच द्वीपों के इस द्वीपसमूह को एक महत्त्वाकांक्षी परियोजना के तहत बनाया गया है। जिसे बनाने में ढाई वर्ष का समय लगा है।
      • इस द्वीप के प्रति जंगली बत्तख, अबाबील और बगुले की कई अन्य प्रजातियाँ आकर्षित हो रही हैं।
      • मार्कर वैडन (Marker Wadden) नामक यह कृत्रिम द्वीप नीदरलैंड के मार्करमेर (Markermeer) झील में स्थित है।
      • मार्करमेर (Markermeer) झील यूरोप की ताज़े पानी की सबसे बड़ी झीलों में से एक है।
      • 700 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ यह जल क्षेत्र जलीय जीवन से रहित हो गया था। इस कृत्रिम द्वीपसमूह के निर्माण ने इस क्षेत्र में जलीय जीवन की वापसी शुरू कर दी है।
      • यह झील साउदर्न सी (southern sea) का हिस्सा हुआ करती थी। लेकिन 1932 में बाढ़ से निपटने के लिये इस क्षेत्र में कराए गए विशाल निर्माण कार्य ने कई हिस्सों में छोटी-छोटी झीलें और तालाब बना दिये जिससे जैव विविधता को भारी नुकसान पहुँचा था।

भारतीय डाक की दीन दयाल स्पर्श योजना (India Post’s Deen Dayal SPARSH Yojana)

      • संचार मंत्रालय के अधीन डाक विभाग (Department of Posts, under Ministry of Communications) ने दीन दयाल स्पर्श (Scholarship for Promotion of Aptitude & Research in Stamps as a Hobby- SPARSH) योजना के तहत छात्रों के लिये एक छात्रवृत्ति प्रस्तुत की है।
      • डाक टिकट संग्रह (philately) को प्रोत्‍साहन देने के लिये दीन दयाल स्पर्श योजना की शुरुआत की गई थी।
      • स्‍पर्श योजना के तहत कक्षा VI से IX तक उन बच्‍चों को वार्षिक तौर पर छात्रवृत्ति दी जाएगी, जिनका शैक्षणिक परिणाम अच्‍छा है और जिन्‍होंने डाक टिकट संग्रह को एक रूचि के रूप में चुना है।
      • यह पूरे भारत के स्‍कूली बच्‍चों के लिये छात्रवृत्ति योजना है।

मेघदूत पुरस्कार (Meghdoot Award)

    • संचार मंत्रालय (Ministry of Communications) के अधीन भारतीय डाक विभाग ने ग्रामीण डाक सेवकों और विभाग के कर्मचारियों को मेघदूत पुरस्कार से सम्मानित किया।
    • डाक कर्मचारियों के उच्च पुरस्कार के प्रदर्शन को चिन्हित करते हुए उन्हें प्रोत्साहित करने के लिये वर्ष 1984 में 'मेघदूत पुरस्कार' के रूप में राष्ट्रीय पुरस्कार योजना शुरू की गई।
    • आधिकारिक काम के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिये आठ श्रेणियों में यह पुरस्कार प्रदान किया जाता है।

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