इंदौर शाखा: IAS और MPPSC फाउंडेशन बैच-शुरुआत क्रमशः 6 मई और 13 मई   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

डेली न्यूज़

  • 18 Dec, 2018
  • 51 min read
जैव विविधता और पर्यावरण

विलुप्त होने की कगार पर सोन चिरैया

चर्चा में क्यों?


आईयूसीएन (IUCN) रेड लिस्ट (Red List) के अनुसार, वर्ष 1969 में ग्रेट इंडियन बस्टर्ड पक्षी की आबादी लगभग 1,260 थी और वर्तमान में देश के पाँच राज्यों में मात्र 150 सोन चिरैया हैं। हाल ही में भारतीय वन्यजीव संस्थान (Wildlife Institute of India-WII) के ताज़ा शोध में यह बात सामने आई है।

indian bustard

सोन चिरैया

  • बहुत कम लोग यह जानते होंगे कि एक समय सोन चिरैया भारत की राष्ट्रीय पक्षी घोषित होते-होते रह गई थी।
  • जब भारत के ‘राष्ट्रीय पक्षी’ के नाम पर विचार किया जा रहा था, तब ‘ग्रेट इंडियन बस्टर्ड’ का नाम भी प्रस्तावित किया गया था जिसका समर्थन प्रख्यात भारतीय पक्षी विज्ञानी सलीम अली ने किया था। लेकिन ‘बस्टर्ड’ शब्द के गलत उच्चारण की आशंका के कारण ‘भारतीय मोर’ को राष्ट्रीय पक्षी चुना गया था।
  • सोन चिरैया, जिसे ग्रेट इंडियन बस्टर्ड (great Indian bustard) के नाम से भी जाना जाता है, आज विलुप्त होने की कगार पर है। शिकार, बिजली की लाइनों (power lines) आदि के कारण इसकी संख्या में निरंतर कमी होती जा रही है।

परिचय

  • ‘ग्रेट इंडियन बस्टर्ड’ भारत और पाकिस्तान की भूमि पर पाया जाने वाला एक विशाल पक्षी है। यह विश्व में पाए जाने वाली सबसे बड़ी उड़ने वाली पक्षी प्रजातियों में से एक है।
  • ‘ग्रेट इंडियन बस्टर्ड’ को भारतीय चरागाहों की पताका प्रजाति (Flagship species) के रूप में जाना जाता है।
  • इस पक्षी का वैज्ञानिक नाम आर्डीओटिस नाइग्रीसेप्स (Ardeotis nigriceps) है, जबकि मल्धोक, घोराड येरभूत, गोडावण, तुकदार, सोन चिरैया आदि इसके प्रचलित स्थानीय नाम हैं।
  • ‘ग्रेट इंडियन बस्टर्ड’ राजस्थान का राजकीय पक्षी भी है, जहाँ इसे गोडावण नाम से भी जाना जाता है।
  • ‘ग्रेट इंडियन बस्टर्ड’ की जनसंख्या में अभूतपूर्व कमी के कारण अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति एवं प्राकृतिक संसाधन संरक्षण संघ (International Union for Conservation of Nature and Natural Resources) ने इसे संकटग्रस्त प्रजातियों में भी ‘गंभीर संकटग्रस्त’ (Critically Endangered) प्रजाति के तहत सूचीबद्ध किया है।

विशेषताएँ

  • एक वयस्क सोन चिरैया की ऊँचाई करीब एक मीटर तक होती है। नर पक्षी की ऊँचाई मादा पक्षी के मुकाबले अधिक होती है।
  • नर पक्षी की गर्दन लंबी होती है तथा उसमें पाउच जैसी एक थैली होती है जिससे वह प्रणय के लिये भारी आवाजें निकाल कर मादा को अपनी और आकर्षित करता है।
  • नर और मादा दोनों हल्के भूरे रंग के होते हैं। इनके शरीर पर काले छींट नुमा निशान होते हैं।
  • नर के सर पर मौजूद कलगी के कारण दूर से ही इसकी पहचान हो जाती है।
  • सोन चिरैया ज़मीन पर ही अपना घोंसला बनाती है, यही वजह है कि कुत्तों तथा दूसरे अन्य जानवरों से इसके अण्डों को खतरा होता है।

विलुप्ति का कारण क्या है?

  • प्रश्न यह उठता है कि यदि वर्ष 1969 में सोन चिरैया की 1000 से भी अधिक संख्या मौजूद थी, तो 1969 के बाद ऐसा क्या बदल गया कि आज यह प्रजाति विलुप्त होने के कगार पर है। संभवतः शिकार एक ऐसा कारण है जिसकी वजह से पिछले कुछ दशकों में इस प्रजाति की संख्या में उल्लेखनीय कमी आई है।
  • भारतीय सीमा से सटे पाकिस्तानी क्षेत्रों में सोन चिरैया का शिकार माँस प्राप्त करने के लिये किया जाता है। लंबे क्षेत्र में विचरण करने की प्रवृत्ति के कारण अक्सर सोन चिरैया पाकिस्तानी क्षेत्र में भी प्रवेश कर जाती हैं, जहाँ उसे शिकारी अपना निशाना बनाते है। भारत में सोन चिरैया को WII की श्रेणी1 के संरक्षित वन्य प्राणियों में शामिल किया गया है और इसके शिकार पर पूर्णतः पाबंदी है।
  • वर्तमान समय में यह संकट इसलिये भी गहरा गया है कि घटते मैदान तथा रेगिस्तान में बेहतर सिंचाई व्यवस्था न होने के कारण इनके प्राकृतिक निवास यानी घास के मैदान कम होते जा रहे हैं।
  • सोन चिरैया की सीधे देखने की क्षमता (poor frontal vision) का कम होना और भारी शरीर इसके लिये घातक साबित हुए है। सीधे देखने की क्षमता कम होने के कारण ये बिजली के तारों से टकरा जाती है। यही कारण है कि भारतीय वन्यजीव संस्थान के वैज्ञानिकों द्वारा सोन चिरैया के संरक्षण के लिये इसके वास स्थलों के समीप मौजूद बिजली लाइनों को भूमिगत करने का विचार प्रस्तुत किया है।
  • साथ ही इसके निवास स्थानों को कई हिस्सों में बाँटकर अंडों को संरक्षित कर इनके सुरक्षित प्रजनन के संबंध में भी संस्तुति की है। गौरतलब है कि एक मादा बस्टर्ड एक मौसम में केवल एक ही अंडा देती है। यदि ऐसे वैज्ञानिक तरीके विकसित कर लिये जाएँ जिनसे वह एक बार में ही कई अंडे देने में सक्षम हो तो यह इसके सरंक्षण में महत्त्वपूर्ण साबित होगा।

स्थिति इतनी भयानक हो गई है कि तीन गैर-लाभकारी संगठनों - कॉर्बेट फाउंडेशन (Corbett Foundation), कंज़र्वेशन इंडिया (Conservation India) और अभयारण्य नेचर फाउंडेशन (Sanctuary Nature Foundation‌) ने एक ऑनलाइन याचिका (6,000 से भी अधिक लोगों द्वारा हस्ताक्षरित) शुरू की है। इस याचिका के माध्यम से केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आर.के. सिंह से बिजली लाइनों को भूमिगत किये जाने की मांग की गई है।


अंतर्राष्ट्रीय संबंध

भारत मालदीव को वित्तीय सहायता देगा

चर्चा में क्यों


हाल ही में मालदीव के नव-निर्वाचित राष्ट्रपति इब्राहिम सोलेह भारत की तीन दिवसीय यात्रा पर आए। राष्ट्रपति का पद संभालने के बाद सोलेह की यह पहली यात्रा है। भारत ने मालदीव को 1.4 बिलियन डॉलर की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की है।

हालिया यात्रा

  • मालदीव के राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सोलेह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच वार्ता के बाद संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस वित्तीय सहायता की घोषणा की।
  • मालदीव के राष्ट्रपति इब्राहिम सोलेह से बातचीत के बाद दोनों पक्ष हिंद महासागर में सुरक्षा सहयोग को और मज़बूत करने पर भी सहमत हुए।
  • सितंबर में राष्ट्रपति पद हेतु चुनाव में सोलेह ने ताकतवर नेता अब्दुल्ला यामीन को मात दी थी।
  • हिंद महासागर क्षेत्र में स्थिरता बनाए रखने हेतु दोनों देशों के बीच सहयोग आवश्यक है और भारत तथा मालदीव को अपने द्विपक्षीय संबंध में मज़बूती लाना आवश्यक है।

मालदीव और भारत

  • मालदीव रणनीतिक रूप से भारत के नज़दीक और हिंद महासागर में महत्त्वपूर्ण समुद्री मार्ग पर स्थित है।
  • मालदीव में चीन जैसी किसी प्रतिस्पर्द्धी शक्ति की मौजूदगी भारत के सुरक्षा हितों के संदर्भ में उचित नहीं है।
  • चीन वैश्विक व्यापार और इंफ्रास्ट्रक्चर प्लान के माध्यम से मालदीव जैसे देशों में तेज़ी से अपना वर्चस्व बढ़ा रहा है।
  • मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति यामीन भी ‘इंडिया फर्स्ट’ की नीति अपनाने का ज़ोर-शोर से दावा करते थे लेकिन जब भारत ने उनके निरंकुश शासन का समर्थन नहीं किया तो उन्होंने चीन और पाकिस्तान का रुख कर लिया।
  • इस संदर्भ में तीन वज़हों से भारत की चिंताएँ उभरकर सामने आई थीं। पहली, मालदीव में चीन की आर्थिक और रणनीतिक उपस्थिति में वृद्धि; दूसरी, भारतीय परियोजनाओं और विकास गतिविधियों में व्यावधान, जिसकी वज़ह से भारत के तकनीकी कर्मचारियों को मालदीव द्वारा वीज़ा देने से इनकार किया जाना और तीसरा, इस्लामी कट्टरपंथियों का बढ़ता डर।

नए संबंधों का सृजन

  • भारतीय नौसैनिक रणनीति में मालदीव जैसे देश को शामिल करना भारत के लिये महत्त्वपूर्ण है।
  • भारत को लेकर मालदीव की नई सरकार की सोच का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि राष्ट्रपति पद संभालने के बाद इब्राहिम मोहम्मद सोलेह ने पहली विदेश यात्रा हेतु भारत को चुना है।
  • मालदीव के राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सोलेह ने भारत को अपना सबसे करीबी दोस्त भी बताया।

आगे की राह


शुरुआती रुझानों में मालदीव में सत्ता परिवर्तन भारत के लिये सकारात्मक प्रतीत होता है। किंतु मालदीव में चीन के बढ़ते वर्चस्व पर लगाम लगाने हेतु भारत को यह अवसर भुनाना होगा। अपनी चिंताओं को ध्यान में रखते हुए भारत को नई सत्ता के साथ समझदारी से काम लेते हुए मालदीव का साथ देना होगा।


स्रोत- द हिंदू


शासन व्यवस्था

एकलव्‍य मॉडल रेज़िडेंशियल स्‍कूल

चर्चा में क्यों?


प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (Cabinet Committee on Economic Affairs- CCEA) ने 50 प्रतिशत से ज़्यादा जनजातीय आबादी और 20,000 जनजातीय जनसंख्या वाले प्रत्येक प्रखंड (block) में एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय अथवा एकलव्य मॉडल रेज़िडेंशियल स्कूल (Eklavya Model Residential Schools- EMRSs) खोलने को सैद्धांतिक मंज़ूरी दे दी है।

  • आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने इस योजना को प्रारंभ करने के लिये वित्‍त वर्ष 2018-19 और वित्‍त वर्ष 2019-20 के दौरान 2242.03 करोड़ रुपए की वित्‍तीय लागत को मंज़ूरी दी है।

CCEA की मंज़ूरी के अनुसार-

  • EMRS के संचालन के लिये जनजातीय कार्य मंत्रालय के अंतर्गत नवोदय विद्यालय समिति (Navodaya Vidyalaya Samiti) के समान एक स्‍वायत्‍त संस्‍था होगी।
  • पहले से स्‍वीकृत EMRS में प्रति स्‍कूल 5 करोड़ रुपए तक की अधिकतम राशि की लागत के आधार पर आवश्‍यकता के अनुसार सुधार कार्य किया जाएगा।
  • 163 जनजातीय बहुल ज़िलों में प्रति 5 करोड़ रुपए लागत वाली खेल सुविधाएँ (Sports Facilities) स्थापित की जाएंगी, इसमें से प्रत्‍येक का निर्माण 2022 तक पूरा कर लिया जाएगा।
  • वित्‍त वर्ष 2018-19 और वित्‍त वर्ष 2019-20 के दौरान कुल 15 खेल सुविधाओं के लिये वित्‍तीय प्रावधानों को स्‍वीकृति दी गई है।
  • रख-रखाव के लिये आर्थिक सहायता जो प्रति पाँच वर्ष के लिये 10 लाख रुपए स्‍वीकार्य है, को बढ़ाकर 20 लाख रुपए किया जाएगा।

नया क्या है?

  • उल्लेखनीय है कि 50 प्रतिशत से ज़्यादा जनजातीय आबादी और 20,000 जनजातीय जनसंख्या वाले 102 प्रखंडों में पहले से ही EMRS का संचालन किया जा रहा है। इस प्रकार देश भर में इन प्रखंडों में 462 नए EMRS की स्‍थापना की जाएगी।
  • नई योजना में निर्माण की गुणवत्‍ता में सुधार लाने तथा छात्रों हेतु बेहतर सुविधाओं की उपलब्‍धता सुनिश्चित करने के लिये EMRS की निर्माण लागत को मौजूदा 12 करोड़ रुपए से बढ़ाकर 20 करोड़ रुपए करने की परिकल्‍पना की गई है।
  • वित्‍त वर्ष 2019-20 से छात्रों पर बार-बार होने वाले खर्च की राशि मौजूदा 61,500 रुपए प्रति छात्र से बढ़ाकर 1,09,000 रुपए की जाएगी।
  • पूर्वोत्‍तर (North East), पर्वतीय क्षेत्रों (Hilly Areas), दुर्गम क्षेत्रों (difficult areas) तथा वामपंथी उग्रवाद से ग्रसित क्षेत्रों (areas affected by Left Wing Extremisma) में निर्माण के लिये 20 प्रतिशत अतिरिक्‍त राशि उपलब्‍ध कराई जाएगी।

योजना का महत्त्व

  • जनजातीय लोगों की शिक्षा संबंधी ज़रूरतों को पूरा करने हेतु विशेष हस्‍तक्षेपों पर ध्‍यान केंद्रित किये जाने से उनके जीवन में सुधार लाने के साथ ही उनके अन्‍य सामाजिक समूहों के समकक्ष आने की संभावना है और इसका प्रभाव 2021 की जनगणना में परिलक्षित होगा।

EMRS योजना

  • एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय (EMRS) योजना की शुरुआत वर्ष 1998 में की गई थी और इस तरह के प्रथम स्‍कूल का शुभारंभ वर्ष 2000 में महाराष्‍ट्र में हुआ था।
  • EMRS आदिवासी छात्रों के लिये उत्‍कृष्‍ट संस्‍थानों के रूप में कार्यरत हैं।
  • राज्यों/संघ शासित प्रदेशों में 480 छात्रों की क्षमता वाले EMRS की स्थापना भारतीय संविधान के अनुच्छेद-275 (1) के अंतर्गत अनुदान द्वारा विशेष क्षेत्र कार्यक्रम (Special Area Programme- SAP) के तहत की जा रही है।
  • अनुसूचित जनजाति के बच्‍चों को अच्‍छी शिक्षा प्रदान करने के लिये EMRS एक उत्‍कृष्‍ट दृष्टिकोण है। EMRS में छात्रावासों और स्टाफ क्‍वार्टरों सहित स्‍कूल की इमारत के निर्माण के अलावा खेल के मैदान, छात्रों के लिये कंप्यूटर लैब, शिक्षकों के लिये संसाधन कक्ष आदि का भी प्रावधान किया गया है।

स्रोत : पी.आई.बी.


शासन व्यवस्था

लोकसभा में ट्रांसजेंडर विधेयक पास

चर्चा में क्यों?


17 दिसंबर, 2018 को लोकसभा द्वारा ट्रांसजेंडर विधेयक को 27 संशोधनों के साथ पारित किया गया। इस विधेयक को दो वर्ष पूर्व सदन के समक्ष प्रस्तुत किया गया था।  विधेयक को परामर्श के लिये सामाजिक न्याय और सशक्तीकरण विभाग की स्थायी समिति को भेजा गया, सरकार ने स्थायी समिति द्वारा प्रस्तुत 27 संशोधनों के साथ इसे स्वीकृति प्रदान की।

इस विधेयक को यह एक प्रगतिशील विधेयक है, क्योंकि इसके अंतर्गत एक ट्रांसजेंडर व्यक्ति को 'पुरुष', 'महिला' या 'ट्रांसजेंडर' के रूप में पहचानने का अधिकार प्रदान किया गया है। इस बिल के माध्यम से भारत सरकार की कोशिश एक ऐसी व्यवस्था लागू करने की है, जिससे किन्नरों को भी सामाजिक जीवन, शिक्षा और आर्थिक क्षेत्र में आज़ादी से जीने का अधिकार मिल सके।

ट्रांसजेंडर व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षण) विधेयक, 2016 [Transgender Persons (Protection of Rights) Bill 2016]

ट्रांसजेंडर व्यक्ति को परिभाषित करना।

  • ट्रांसजेंडर व्यक्ति के विरुद्ध विभेद का प्रतिषेध करना।
  • ऐसे व्यक्ति को उस रूप में मान्यता देने के लिये अधिकार प्रदत्त करने और स्वत: अनुभव की जाने वाली लिंग पहचान का अधिकार प्रदत्त करना।
  • पहचान-पत्र जारी करना।
  • यह उपबंध करना कि ट्रांसजेंडर व्यक्ति को किसी भी स्थापन में नियोजन, भर्ती, प्रोन्नति और अन्य संबंधित मुद्दों के विषय में विभेद का सामना न करना पड़े।
  • प्रत्येक स्थापन में शिकायत निवारण तंत्र स्थापित करना।
  • विधेयक के उपबंधों का उल्लंघन करने के संबंध में दंड का प्रावधान सुनिश्चित करना।

विधेयक के संबंध में समिति की रिपोर्ट

  • ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के संबंध में गठित स्थायी समिति द्वारा रिपोर्ट में ‘एक ट्रांसजेंडर व्यक्ति' की परिभाषा को भी पुनर्परिभाषित किया गया है, ताकि इसे और अधिक  समावेशी और सटीक बनाया जा सके।
  • इसके अतिरिक्त इस समुदाय के संदर्भ में भेदभाव की परिभाषा और भेदभाव के मामलों को हल करने के लिये एक शिकायत निवारण तंत्र की स्थापना की भी सिफारिश की गई।
  • साथ ही इसमें ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को आरक्षण देने की बात भी शामिल की गई है।
  • उक्त समिति की सिफारिशों में उभयलिंगियों को कानूनी मान्यता प्रदान करने तथा धारा 377 के तहत उन्हें सुरक्षा प्रदान करने की बात कही गई थी।
  • संसदीय समिति द्वारा प्रस्तुत सिफारिशों में उभयलिंगियों के लिये आरक्षण, भेदभाव के खिलाफ मज़बूत प्रावधान, ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के साथ दुर्व्यवहार करने वाले सरकारी अधिकारियों हेतु दंड का प्रावधान, उन्हें भीख मांगने से रोकने के लिये कौशल प्रशिक्षण प्रदान करना तथा उनके लिये अलग से सार्वजनिक शौचालयों की व्यवस्था करना आदि शामिल है।
  • सके अतिरिक्त समिति द्वारा अधिकारों और कल्याण से परे यौन पहचान के मुद्दे को भी संबोधित किया गया। साथ ही इसके द्वारा इंटरसेक्स भ्रूण (intersex fetuses) होने की स्थिति में गर्भपात के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई करने तथा इंटरसेक्स शिशुओं (intersex infants) के संबंध में ज़बरन शल्य कार्य के संदर्भ में भी प्रावधान किये जाने की बात कही गई।
  • इसके अतिरिक्त सबसे महत्त्वपूर्ण बात यह है कि इस समिति द्वारा विधेयक में निहित अन्य कई शर्तों को फिर से परिभाषित किया गया।
  • हिजड़ा या अरवानी समुदायों द्वारा ट्रांसजेंडर बच्चों को गोद लेने जैसी वैकल्पिक पारिवारिक संरचनाओं की पहचान के लिये इस विधेयक में परिवार को "रक्त, विवाह या गोद लिये गए ट्रांसजेंडर व्यक्ति से संबंधित लोगों के समूह” के रूप में परिभाषित किया गया है।

अधिकार विहीन दृष्टिकोण

  • ध्यातव्य है कि नालसा मामले में प्रयोग किये गए अधिकारों की भाषा (rights language) के अनुरूप 2016 के विधेयक में ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के मौलिक  अधिकारों को संविधान में प्रदत्त मौलिक अधिकारों (अनुच्छेद 14, 19 एवं 21) के साथ संबद्ध करते हुए व्याख्यायित किया गया है।
  • मानसिक स्वास्थ्य देखरेख विधेयक (Mental Healthcare Bill) 2016 तथा विकलांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम (Rights of Persons with Disabilities Act) 2016 में भी अधिकारों की इसी भाषा (rights language) का प्रयोग किया गया है।
  • एक अन्य समस्या यह है कि 2016 के विधेयक के अंतर्गत इस कानून के संचालन एवं क्रियान्वयन के विषय में कोई विशेष जानकारी प्रदान नहीं की गई है।
  • ध्यातव्य है कि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा नालसा मामले में ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिये नागरिक अधिकारों को सुलभ बनाने की आवश्यकता पर विशेष बल दिया गया है।
  • हालाँकि, वर्तमान विधेयक इस दृष्टिकोण पर खरा नहीं उतरता है। अंततः यहाँ यह स्पष्ट करना अत्यावश्यक है कि उपरोक्त सभी विधेयकों में से किसी भी विधेयक में धारा 377 के प्रावधानों को शामिल नहीं किया गया है।
  • ध्यातव्य है कि धारा 377 के अंतर्गत ट्रांसजेंडर व्यक्तियों, विशेषकर ट्रांसजेंडर महिलाओं के शोषण संबंधी प्रावधानों को शामिल किया गया है।

ट्रांसजेंडर कौन होता है?


ट्रांसजेंडर वह व्यक्ति होता है, जो अपने जन्म से निर्धारित लिंग के विपरीत लिंगी की तरह जीवन बिताता है। जब किसी व्यक्ति के जननांगों और मस्तिष्क का विकास उसके जन्म से निर्धारित लिंग के अनुरूप नहीं होता है, महिला यह महसूस करने लगती है कि वह पुरुष है और पुरुष यह महसूस करने लगता है कि वह महिला है।

भारत में ट्रांसजेंडर्स के समक्ष आने वाली परशानियाँ:

  • ट्रांसजेंडर समुदाय की विभिन्न सामाजिक समस्याएँ जैसे- बहिष्कार, बेरोज़गारी, शैक्षिक तथा चिकित्सा सुविधाओं की कमी, शादी व बच्चा गोद लेने की समस्या आदि।
  • ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को मताधिकार 1994 में ही मिल गया था, परंतु उन्हें मतदाता पहचान-पत्र जारी करने का कार्य पुरुष और महिला के प्रश्न पर उलझ गया।
  • इन्हें संपत्ति का अधिकार और बच्चा गोद लेने जैसे कुछ कानूनी अधिकार भी नहीं दिये जाते हैं।
  • इन्हें समाज द्वारा अक्सर परित्यक्त कर दिया जाता है, जिससे ये मानव तस्करी का आसानी से शिकार बन जाते हैं।
  • अस्पतालों और थानों में भी इनके साथ अपमानजनक व्यवहार किया जाता है।

सामाजिक तौर पर बहिष्कृत

  • भारत में किन्नरों को सामाजिक तौर पर बहिष्कृत कर दिया जाता है। इसका मुख्य कारण उन्हें न तो पुरुषों की श्रेणी में रखा जा सकता है और न ही महिलाओं में, जो लैंगिक आधार पर विभाजन की पुरातन व्यवस्था का अंग है।
  • इसका नतीज़ा यह होता है कि वे शिक्षा हासिल नहीं कर पाते हैं। बेरोज़गार ही रहते हैं। सामान्य लोगों के लिये उपलब्ध चिकित्सा सुविधाओं का लाभ तक नहीं उठा पाते हैं।
  • इसके अलावा वे अनेक सुविधाओं से भी वंचित रह जाते हैं।

उच्चतम न्यायालय द्वारा ट्रांसजेंडर्स के पक्ष में दिये गए महत्त्वपूर्ण आदेश निम्नलिखित हैं-

  • उच्चतम न्यायालय ने ट्रांसजेंडर व्यक्तियों द्वारा स्वयं अपना लिंग निर्धारित किये जाने के अधिकार को सही ठहराया था तथा केंद्र और राज्य सरकारों को पुरुष, महिला या थर्ड जेंडर के रूप में उनकी लैंगिक पहचान को कानूनी मान्यता प्रदान करने का निर्देश दिया था।
  • न्यायालय ने यह भी निर्णय दिया कि ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को शैक्षणिक संस्थाओं में प्रवेश और नौकरियों में आरक्षण प्रदान किया जाएगा, क्योंकि उन्हें सामाजिक और आर्थिक दृष्टि से पिछड़ा वर्ग माना जाता है।
  • उच्चतम न्यायालय ने केंद्र और राज्य सरकारों को थर्ड जेंडर समुदाय के लिये कल्याणकारी योजनाएँ चलाने और इस सामाजिक कलंक को मिटाने के लिये जन जागरूकता अभियान चलाने का निर्देश दिया था।

निष्कर्ष


भारत में ऐसे लोगों को सामाजिक कलंक के तौर पर देखा जाता है। इनके लिये काफी कुछ किये जाने की आवश्यकता है। यह विधेयक भी इसी दिशा में एक प्रयास है। इस विधेयक के माध्यम से किन्नरों को मुख्यधारा से जोड़ने की कोशिश की जा रही है, जिसके लिये वे लंबे समय से प्रयत्नशील हैं। शिक्षा, स्वास्थ्य, आजीविका और कानूनी अधिकारों की प्राप्ति आदि सभी मोर्चों पर ट्रांसजेंडर्स के लिये कारगर कदम उठाए जाने की आवश्यकता है।


विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

मिश्रित बायो-फ्यूल के साथ भारतीय वायुसेना की पहली उड़ान

चर्चा में क्यों?


भारतीय वायुसेना (Indian Air Force) के प्रमुख परीक्षण स्थल ASTE, बंगलूरू में 17 दिसंबर, 2018 को पायलटों और इंजीनियरों ने An-32 सैनिक परिवहन विमान (transport aircraft) में पहली बार मिश्रित बायो-जेट ईंधन (blended bio-jet fuel) का इस्तेमाल करते हुए प्रायोगिक उड़ान भरी। यह परियोजना भारतीय वायुसेना, DRDO, डायरेक्टोरेट जनरल एरोनॉटिकल क्वालिटी एश्योरेंस (Directorate General Aeronautical Quality Assurance-DGAQA) और CSIR-भारतीय पेट्रोलियम संस्थान (Indian Institute of Petroleum) का मिला-जुला प्रयास है।

प्रमुख बिंदु

  • भारतीय वायुसेना ने ज़मीन पर बड़े पैमाने पर ईंजन परीक्षण किये। इसके बाद 10 प्रतिशत मिश्रित एटीएफ का इस्तेमाल करते हुए विमान का परीक्षण किया गया।
  • इस ईंधन को छत्तीसगढ़ जैव डीज़ल विकास प्राधिकरण (Chattisgarh Biodiesel Development Authority-CBDA) से प्राप्त जट्रोफा तेल से बनाया गया है, जिसका बाद में CSIR-IIP में प्रसंस्करण किया गया है।
  • भारतीय वायुसेना 26 जनवरी, 2019 को गणतंत्र दिवस पर फ्लाईपास्ट (Republic Day flypast) में बायो-जेट ईंधन का इस्तेमाल करते हुए An-32 विमान उड़ाना चाहती है।

एविएशन बायो-फ्यूल

  • पौधों में मौजूद अखाद्य तेलों, लकड़ी और उसके उत्पादों, जानवरों की वसा और बायोमास से बनने वाले बायो-फ्यूल के एक हिस्से को पारंपरिक ईंधन, जैसे पेट्रोल या डीज़ल में मिलाकर एविएशन बायो-फ्यूल बनाया जाता है।

जट्रोफा से बायो-फ्यूल

  • वर्तमान समय में हमारे सामने परमाणु ऊर्जा, सौर-ऊर्जा, पवन ऊर्जा एवं प्राकृतिक गैस आदि के रूप में कई विकल्प उपलब्ध हैं परंतु विकिरण से जुड़े खतरों,अत्यधिक लागत व अन्य सीमाओं के कारण इन विकल्पों पर पूरी तरह से निर्भर नहीं रहा जा सकता है। यही कारण है कि कुछ देशों में तिलहनों व वृक्षों से प्राप्त होने वाले बीज के तेलों को पेट्रोलियम उत्पादों के स्थान पर उपयोग में लाया जा रहा है।
  • अमेरिका व यूरोप के कुछ देशों में वनस्पति से प्राप्त खाद्य तेल जैसे- सोयाबीन, सूरजमुखी, मूँगफली तथा मक्का को डीज़ल के विकल्प के रूप में उपयोग किया जा रहा हैं, परंतु भारत में खाद्य तेल की बढ़ती मांग के चलते इनके किसी अन्य उपयोग के बारे में विचार करना भी कठिन प्रतीत होता है। इन्हीं सब बातों को ध्यान में रखते हुए वैज्ञानिकों द्वारा वृक्षमूल वाले तिलहनों जैसे- नीम, तुंग, करंज व जेट्रोफा (रतनजोत) इत्यादि से प्राप्त होने वाले तेलों को ईंधन के रूप में इस्तेमाल करने पर बल दिया जा रहा है।
  • कम सिंचाई, पथरीली एवं ऊँची-नीची बंज़र भूमियों में उगने की क्षमता तथा जंगली जानवरों से कोई हानि न होने जैसी विलक्षण विशेषताओं के कारण जट्रोफा की खेती करना बहुत आसान है। जेट्रोफा के तेल से बने डीज़ल में सल्फर की मात्रा बहुत ही कम होने के कारण इसको बायो-डीज़ल की श्रेणी में रखा गया है।

जैव ईंधन के प्रमुख लाभ

  • नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत।
  • गैर-विषाक्त और बायोडिग्रेडेबल।
  • इसमें कोई सल्फर नहीं होता है जो एसिड बारिश का कारण बनता है।
  • पर्यावरण अनुकूल कम उत्सर्जन।
  • ग्रामीण रोज़गार क्षमता।

जैव ईंधन संचालित पहली जेट उड़ान

  • जेट्रोफा बीज से निर्मित तेल और विमानन टरबाइन ईंधन के मिश्रण से प्रणोदित उड़ान देश की पहली जैव ईंधन संचालित उड़ान होगी।
  • उल्लेखनीय है कि यह उड़ान सेवा दिल्ली से देहरादून के बीच संचालित हुई, जिसमें 43 मिनट का समय लगा। यह सेवा स्पाइस जेट (Bombardier Q-400) द्वारा मुहैया कराई गई। इस उड़ान में चालक दल के पाँच सदस्यों सहित कुल 25 व्यक्ति सवार थे।
  • विमान के ईंधन में जैव-ईंधन और विमानन टरबाइन ईंधन का अनुपात 25:75 था। ध्यातव्य है कि अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुसार, विमानन टरबाइन ईंधन के साथ 50% की दर से जैव ईंधन मिश्रित करने की अनुमति प्राप्त है।
  • उल्लेखनीय है कि देहरादून स्थित वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद के साथ भारतीय पेट्रोलियम संस्थान को स्वदेशी रूप से ईंधन के निर्माण में आठ वर्ष का समय लग गया।
  • ध्यातव्य है कि 2008 में वर्जिन अटलांटिक द्वारा वैश्विक स्तर पर पहली टेस्ट उड़ान के बाद ही संस्थान ने जैव ईंधन पर अपना प्रयोग कार्य शुरू किया था।

विश्व जैव-ईंधन दिवस

  • 10 अगस्त, 2018 को नई दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में विश्व जैव-ईंधन दिवस का आयोजन किया गया।
  • परंपरागत जीवाश्म ईंधनों के विकल्प के तौर पर गैर-जीवाश्म ईंधनों के महत्त्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने और सरकार द्वारा जैव-ईंधन के क्षेत्र में की गई पहलों को दर्शाने के उद्देश्य से प्रतिवर्ष 10 अगस्त को विश्व जैव-ईंधन दिवस आयोजित किया जाता है।
  • पिछले तीन वर्षों से तेल एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय विश्व जैव-ईंधन दिवस का आयोजन कर रहा है।
  • सर रुदाल्फ डीज़ल (डीज़ल इंजन के आविष्कारक) ने 10 अगस्त, 1893 को पहली बार मूँगफली के तेल से यांत्रिक इंजन को चलाने में सफलता हासिल की थी।

जैव-ईंधन पर राष्ट्रीय नीति, 2018

  • इस नीति के द्वारा गन्ने का रस, चीनी युक्त सामग्री, स्टार्च युक्त सामग्री तथा क्षतिग्रस्त अनाज, जैसे- गेहूँ, टूटे चावल और सड़े हुए आलू का उपयोग करके एथेनॉल उत्पादन हेतु कच्चे माल के दायरे का विस्तार किया गया है।
  • नीति में जैव-ईंधनों को ‘आधारभूत जैव-ईंधनों’ यानी पहली पीढ़ी (1जी) के बायो-एथेनॉल और बायो-डीज़ल तथा ‘विकसित जैव-ईंधनों’ यानी दूसरी पीढ़ी (2जी) के एथेनॉल, निगम के ठोस कचरे (एमएसडब्‍ल्‍यू) से लेकर ड्रॉप-इन ईंधन, तीसरी पीढ़ी (3जी) के जैव ईंधन, बायो-सीएनजी आदि को श्रेणीबद्ध किया गया है, ताकि प्रत्‍येक श्रेणी के अंतर्गत उचित वित्तीय और आर्थिक प्रोत्‍साहन बढ़ाया जा सके।
  • अतिरिक्‍त उत्‍पादन के चरण के दौरान किसानों को उनके उत्‍पाद का उचित मूल्‍य नहीं मिलने का खतरा होता है। इसे ध्‍यान में रखते हुए इस नीति में राष्‍ट्रीय जैव ईंधन समन्‍वय समिति की मंज़ूरी से एथेनॉल उत्‍पादन के लिये (पेट्रोल के साथ उसे मिलाने हेतु) अधिशेष अनाजों के इस्‍तेमाल की अनुमति दी गई है।
  • जैव-ईंधनों के लिये नीति में 2जी एथेनॉल जैव रिफाइनरी को 1जी जैव-ईंधनों की तुलना में अतिरिक्‍त कर प्रोत्‍साहन, उच्‍च खरीद मूल्‍य आदि के अलावा 6 वर्षों में 5000 करोड़ रुपए की निधियन योजना हेतु वायबिलिटी गैप फंडिंग का संकेत दिया गया है।

राजस्थान, केंद्र सरकार द्वारा मई 2018 में प्रस्तुत की गई जैव-ईंधन पर राष्ट्रीय नीति को लागू करने वाला पहला राज्य बन गया है। राजस्थान अब तेल बीजों के उत्पादन में वृद्धि करने पर ध्यान केंद्रित करेगा तथा वैकल्पिक ईंधन और ऊर्जा संसाधनों के क्षेत्र में अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिये उदयपुर में एक उत्कृष्टता केंद्र स्थापित करेगा। जैव-ईंधन पर राष्ट्रीय नीति किसानों को उनके अधिशेष उत्पादन का आर्थिक लाभ प्रदान करने और देश की तेल आयात निर्भरता को कम करने में सहायक होगी।


शासन व्यवस्था

प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के विस्तार को मंज़ूरी

र्चा में क्यों?


आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने पेट्रोलियम और गैस मंत्रालय के प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (Pradhan Mantri Ujjwala Yojana) का विस्तार करने वाले प्रस्ताव को मंज़ूरी दे दी है।

प्रमुख बिंदु

  • उज्ज्वला योजना के विस्तार के बाद उन गरीब परिवारों को नि:शुल्क LPG कनेक्शन उपलब्ध कराया जा सकेगा जिनके पास LPG कनेक्शन नहीं है और योजना के मौजूदा प्रावधानों के तहत ये परिवार अभी तक इसका लाभ प्राप्त करने के पात्र नहीं थे।
  • उज्ज्वला योजना के मौज़ूदा प्रावधानों के अंतर्गत LPG कनेक्शन 2011 की सामाजिक-आर्थिक जाति जनगणना के आधार पर दिये जाते थे। बाद में इसका दायरा बढ़ाकर इसमें निम्नलिखित को शामिल किया गया-

♦ सभी अनुसूचित जाति एवं जनजाति परिवार
♦ वन्य निवासी (Forest Dwellers)
♦ अति पिछड़ा वर्ग (Most Backward Classes- MBC)
♦ द्वीपों/नदी द्वीपों पर रहने वाले लोग (people residing in Islands / river islands)
♦ चाय और पूर्व-चाय बागान जनजाति (Tea & Ex-Tea Garden Tribes)
♦ प्रधानमंत्री आवास योजना- ग्रामीण (Prime Minister Housing Scheme (Rural)) के लाभार्थी
♦ अंत्योदय अन्न योजना (Antyodaya Anna Yojana) के लाभार्थी

  • पेट्रोलियम और गैस मंत्रालय के प्रस्ताव के बाद अब इस योजना का दायरा बढ़ाते हुए इसमें सभी गरीब परिवारों को शामिल किया गया है।

पृष्ठभूमि

  • BPL (Below Poverty Line) यानी गरीबी रेखा से नीचे गुज़र-बसर करने वाले परिवार की महिलाओं को निःशुल्क LPG कनेक्शन देने के लिये प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने 10 मार्च, 2016 को ‘प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना’ को स्वीकृति दी थी।
  • इस योजना की शुरुआत 1 मई, 2016 को उत्तर प्रदेश के बलिया ज़िले से हुई थी।
  • इस योजना में नया LPG कनेक्शन उपलब्ध कराने के लिये 1600 रुपए की नकद सहायता शामिल है और यह सहायता केंद्र सरकार द्वारा उपलब्ध कराई जाती है।

स्रोत : पी.आई.बी


विविध

Rapid Fire 18 December

  • 27 संशोधनों के साथ लोकसभा ने पारित किया ट्रांसजेंडर विधेयक; संसद की स्थायी समिति ने इस पर विचार कर दिये थे 27 सुझाव; विधेयक में उभयलिंगी व्यक्ति को परिभाषित करने, उनके खिलाफ होने वाले भेदभाव को रोकने, उन्हें स्वत: अनुभव की जाने वाली लिंग पहचान का अधिकार देने, पहचान प्रमाणपत्र प्रदान करने के साथ नियोजन, भर्ती, पदोन्नति और अन्य संबंधित मुद्दों पर उनके साथ विभेद नहीं करने का किया गया है प्रावधान; विधेयक में शिकायत निवारण तंत्र स्थापित करने तथा राष्ट्रीय उभयलिंगी परिषद स्थापित करने का भी है प्रावधान
  • मालदीव के नए राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सोलेह अपनी पहली विदेश यात्रा पर भारत आए; भारत ने 1.4 बिलियन डॉलर के आर्थिक सहायता देने की घोषणा की; हिंद महासागर में सुरक्षा सहयोग को और मज़बूत करने पर भी दोनों पक्षों ने सहमति जताई; वीज़ा सुविधा सहित चार समझौतों पर दोनों देशों ने हस्ताक्षर किये; मालदीव जारी रखेगा ‘इंडिया फर्स्ट’ की नीति
  • 1971 के मुक्ति संग्राम में शहीद हुए भारतीय सैनिकों की स्मृति में बांग्लादेश बनाएगा वॉर मेमोरियल; चटगाँव के Bhramanbaria में बनाया जाने वाला यह वॉर मेमोरियल पूरी तरह भारतीय सैनिकों को समर्पित होगा; 47वें विजय दिवस के उपलक्ष्य में कोलकाता के फोर्ट विलियम स्थित थल सेना के पूर्वी कमान मुख्यालय में आयोजित कार्यक्रम के दौरान बांग्लादेश की ओर से 12 शहीद भारतीय सैनिकों के परिजनों को सम्मानित किया गया
  • भारत और फ्रांस ने मिलकर आतंकवाद का मुकाबला करने की प्रतिबद्धता दोहराई; फ्रांस के विदेश मंत्री जेआन-यवेस ले ड्रिआन की भारत यात्रा के दौरान महाराष्ट्र के जैतापुर में यूरोपियन प्रेशराइज्ड रिएक्टर परियोजना की स्थिति की हुई समीक्षा; इस पावर प्लांट के निर्माण हेतु प्रभावी अंतिम फैसला लेने के लिये हुई चर्चा; हिंद-प्रशांत क्षेत्र में आपसी सहयोग बढ़ाने पर भी हुआ विचार
  • भारतीय वायुसेना के प्रमुख परीक्षण स्थल ASTE, बंगलुरु में पायलटों और इंजीनियरों ने AN-32 सैनिक परिवहन विमान में पहली बार मिश्रित बायो जेट ईंधन का इस्तेमाल करते हुए सफल प्रायोगिक उड़ान भरी; इससे पहले भारतीय वायुसेना ने ज़मीन पर बड़े पैमाने पर इंजन का परीक्षण किया और इसके बाद 10 प्रतिशत मिश्रित एटीएफ का इस्तेमाल करते हुए विमान का परीक्षण किया गया; इस ईंधन को छत्तीसगढ़ जैव डीज़ल विकास प्राधिकरण से प्राप्त जट्रोफा ऑयल से बनाया गया है
  • देश में 5G टेलीकॉम सेवाएँ 2020 तक शुरू होने की संभावना; अगले साल अगस्त तक पूरी हो सकती है 5G स्पेक्ट्रम की नीलामी प्रक्रिया; टेलीकॉम रेगुलेटर TRAI इसके लिये दे चुका है अपनी शुरुआती सिफारिशें; दूरसंचार विभाग की कार्यकारी समिति इन पर गौर कर रही है; कार्यदल ने निर्धारित कर दिये हैं स्पेक्ट्रम के बैंड
  • बैंक खाते और मोबाइल नंबर के लिये अब जरूरी नहीं होगा आधार; आधार की अनिवार्यता समाप्त करने के लिये बैंकिंग एक्ट और प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट में संशोधन को सरकार ने दी मंज़ूरी; गौरतलब है सितंबर 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने आधार को संवैधानिक रूप से वैध करार देते हुए बैंक खाते और मोबाइल नंबर के लिये आधार की अनिवार्यता को समाप्त कर दिया था
  • जम्मू-कश्मीर में राज्य प्रशासनिक परिषद ने दी लद्दाख के लिये पहली क्लस्टर यूनिवर्सिटी को मंज़ूरी; लेह और कारगिल में पाँच डिग्री कॉलेजों के लिये बनाई जाएगी क्लस्टर यूनिवर्सिटी, अभी तक कश्मीर यूनिवर्सिटी से संबद्ध ये पाँचों कॉलेज जुड़ जाएंगे लद्दाख क्लस्टर यूनिवर्सिटी के साथ
  • HSIL के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक संदीप सोमानी को उद्योग संगठन Federation of Indian Chambers of Commerce & Industry (FICCI) का नया अध्यक्ष चुना गया है; अभी तक वह FICCI के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट थे; वह रशेश शाह का स्थान लेंगे; स्टार इंडिया के चेयरमैन एवं सीईओ उदय शंकर को बनाया गया उपाध्यक्ष
  • प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना के तहत तेलंगाना और तमिलनाडु में बनेंगे दो नए एम्स; तमिलनाडु में मदुराई और तेलंगाना में बीबी नगर में बनाए जाएंगे ये एम्स; 45 महीने के भीतर काम करना शुरू कर देंगे; इनकी स्थापना से क्षेत्र के लोगों को सुपर स्पेशियलिटी स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने और डॉक्टरों तथा अन्य स्वास्थ्य कर्मियों का पूल बनाने का दोहरा उद्देश्य प्राप्त होगा
  • बंगाल की खाड़ी के पश्चिम-मध्य में आया चक्रवाती तूफान ’फेथाई’ आंध्र प्रदेश के तटीय इलाकों में हुआ इस चक्रवाती तूफान का असर; Real Time Governance Centre के अनुसार ज़मीन से टकराने के बाद कमज़ोर पड़ गया ‘फेथाई’
  • पुरातत्त्वविदों ने मिस्र के नेक्रोपोलिस के सक्कारा प्रांत में 4400 वर्ष पुराने एक मकबरे की खोज की है; नेफेरिकर ककाई के शासन के दौरान बने ‘बाह्ते’ नाम के इस मकबरे में बनी हैं कुछ प्रतिमाएँ; रंग-बिरंगी चित्रलिपियाँ हैं और दीवारों पर फैरो की प्रतिमाएँ बनी हैं
  • ऑस्ट्रेलिया ने पर्थ में खेले गए दूसरे टेस्ट मैच में भारत को 146 रनों से हरा दिया; भारत को चौथी पारी में 287 रन बनाने थे, लेकिन टीम इंडिया 140 रनों पर ही आल आउट हो गई; इस जीत से ऑस्ट्रेलिया ने सीरीज़ में 1-1 की बराबरी कर ली; ऑस्ट्रेलियाई कप्तान के रूप में टिम पेन की यह पहली जीत है

प्रारंभिक परीक्षा

प्रीलिम्स फैक्ट्स : 18 दिसंबर, 2018

रंगमंच महोत्सव ‘अंडर द साल ट्री’ (Under the Sal Tree)


हर साल दिसंबर के महीने में ‘अंडर द साल ट्री’ रंगमंच महोत्सव का आयोजन असम के गोलपाड़ा ज़िले में किया जाता है।

  • इस महोत्सव का आयोजन गोलपाड़ा स्थित रामपुर गाँव के साल वन में किया जाता है।
  • इस रंगमंच महोत्सव का आयोजन मनुष्य को प्रकृति से जोड़ने के उद्देश्य से जंगल के बीचों-बीच किया जाता है।
  • इस रंगमंच महोत्सव का आयोजन तीन दिनों तक किया जाता है।
  • इस उत्सव की शुरुआत असमिया थियेटर के विख्यात कलाकार शुक्राचार्य राभा (Sukracharya Rabha) ने की थी।

ब्रह्मांड का सबसे चमकीला पिंड (Brightest Object in the Universe)


10 रेडियो टेलीस्कोप (10 Radio Telescope)
की बहुत लंबी बेसलाइन श्रृंखला (Very Long Baseline Array- VLBA) प्रणाली का उपयोग करने वाले खगोलविदों ने ब्रह्मांड में क्वासर पी 352-15 (Quasar P352-15) नामक सबसे चमकीले पिंड की खोज की है।

      • क्वासर (Quasar) ब्रह्मांड में सबसे चमकीला पिंड है। यह आकाशगंगाओं के केंद्र में मौजूद है और अत्यधिक विशाल कृष्ण छिद्रों (supermassive black holes) से ऊर्जा प्राप्त करता है।
      • P352-15 लगभग 13 बिलियन प्रकाश वर्ष की दूरी पर है जिसका अर्थ है कि क्वासर साक्ष्य के रूप में उस समय से संबंधित है जब ब्रह्मांड एक बिलियन वर्ष से कम पुराना था, या वर्तमान ब्रह्मांड का केवल 7% था।
      • यह खोज बिग बैंग (Big Bang) से होने वाले संक्रमण के दौरान क्या हुआ होगा, यह समझने के लिये ब्रह्मांड के शुरुआती चरणों का अध्ययन करने वाले विशेषज्ञों की सहायता कर सकती है।

कंचनजंगा लैंडस्केप (Kanchenjunga Landscape)


भारत, नेपाल और भूटान की सरकारें राजनीतिक सीमाओं में वन्यजीवों के मुक्त आवागमन की अनुमति देने और कंचनजंगा लैंडस्केप (जो नेपाल, भारत और भूटान में फैला एक अंतर-सीमा क्षेत्र है) में वन्यजीवों की तस्करी की जाँच करने के लिये संयुक्त कार्यबल की नियुक्ति पर विचार कर रही हैं।

      • कंचनजंगा पर्वत के दक्षिणी किनारे तक इस भू-परिदृश्य में पूर्वी नेपाल (21%), सिक्किम और पश्चिम बंगाल (56%) और भूटान के पश्चिमी और दक्षिण-पश्चिम हिस्सों (23%) में फैले 25,080 वर्ग किमी का क्षेत्रफल शामिल है।
      • इंटरनेशनल सेंटर फॉर इंटीग्रेटेड माउंटेन डेवलपमेंट (International Centre for Integrated Mountain Development- ICIMOD) के अनुसार, 2000 से 2010 के बीच इस क्षेत्र के 1,118 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल में फैला नदी तटीय घास का मैदान (riverine grassland) कृषि योग्य भूमि और रेंजलैंड (Rangeland) के रूप में परिवर्तित हो चुका था।
      • कंचनजंगा लैंडस्केप सात मिलियन से अधिक लोगों के अलावा, स्तनधारियों की 169 और पक्षियों की 713 प्रजातियों का घर है।

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2