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डेली न्यूज़

  • 19 Dec, 2018
  • 28 min read
सामाजिक न्याय

बाल सुरक्षा नीति का मसौदा

चर्चा में क्यों?


हाल ही में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने देश में बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने हेतु सुप्रीम कोर्ट द्वारा प्रस्तावित सुझावों के अनुसार बाल सुरक्षा नीति का मसौदा तैयार कर लिया है। मंत्रालय ने अपनी वेबसाइट पर मसौदा नीति अपलोड करते हुए 4 जनवरी तक हितधारकों से टिप्पणियाँ भी आमंत्रित की हैं।

मसौदा नीति

  • देश में बच्चों से संबंधित अपराध के ग्राफ में बढ़ोतरी के मद्देनज़र सुप्रीम कोर्ट ने भारत सरकार को बाल सुरक्षा नीति तैयार करने पर विचार करने को कहा था।
  • यह बच्चों की सुरक्षा हेतु समर्पित पहली नीति होगी, जो अब तक व्यापक राष्ट्रीय बाल नीति, 2013 का हिस्सा थी।
  • सभी बच्चे हिंसा, शोषण, उपेक्षा, वंचितता और अन्य सभी प्रकार के भेदभाव से मुक्त बचपन तथा सम्मानित जीवन जीने के अधिकारी हैं।
  • भारत युवाओं का देश है, जहाँ बच्चों की आबादी 472 मिलियन से भी अधिक है। इस युवा आबादी की सुरक्षा सुनिश्चित करना न केवल मानवाधिकार है बल्कि भारत के सुनहरे भविष्य के लिये एक निवेश भी है।
  • वर्तमान मसौदा नीति भारत के संविधान, विभिन्न बाल-केंद्रित कानूनों, अंतर्राष्ट्रीय संधि के साथ-साथ बच्चों की सुरक्षा और कल्याण हेतु अन्य मौजूदा नीतियों के तहत प्रदान किये गए सुरक्षा उपायों पर आधारित है। इस नीति के चार मुख्य पहलू इस प्रकार हैं-

♦ जागरूकता
♦ रोकथाम
♦ रिपोर्टिंग
♦ प्रतिक्रिया देना

  • इसका उद्देश्य बच्चों के शोषण और उपेक्षा की रोकथाम तथा प्रतिक्रिया के माध्यम से सभी बच्चों हेतु एक सुरक्षित एवं अनुकूल माहौल प्रदान करना है।
  • यह नीति सभी संस्थाओं और संगठनों (कॉर्पोरेट और मीडिया घरानों सहित), सरकारी या निजी क्षेत्र को व्यक्तिगत और सामूहिक रूप से बच्चों की सुरक्षा/बचाव के संबंध में उनकी ज़िम्मेदारियों को समझाने के लिये एक ढाँचा प्रदान करती है।

स्रोत– द हिंदू


विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

सौरमंडल में सबसे दूर स्थित पिंड की खोज

चर्चा में क्यों?


रहस्यों से भरे हमारे ब्रह्मांड में खगोलविदों की एक टीम ने सौरमंडल के अब तक के सबसे दूर स्थित पिंड की खोज की है।

  • यह पहला ज्ञात पिंड है जिसकी पहचान सौरमंडल के सबसे दूर स्थित पिंड के रूप में की गई है।
  • पृथ्वी से सूर्य के बीच की दूरी की तुलना में यह 100 गुना से अधिक दूरी पर स्थित है।

प्रमुख बिंदु

  • अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ के माइनर प्लैनेट सेंटर (International Astronomical Union's Minor Planet Center) ने 17 दिसंबर, 2018 को इस नए पिंड के बारे में घोषणा की थी और अस्थायी रूप से इसे 2018 वीजी18 (2018 VG18) नाम दिया गया है।
  • यह खोज कार्नेगी यूनिवर्सिटी (Carnegie University) के स्कॉट एस. शेपार्ड (Scott S. Sheppard), यूनिवर्सिटी ऑफ़ हवाई (University of Hawaii) के डेविड थॉलेन (David Tholen) और नॉर्थर्न एरिजोना यूनिवर्सिटी (Northern Arizona University) के चाड ट्रुजिलो (Chad Trujillo) द्वारा की गई थी।
  • 2018 VG18 लगभग 120 खगोलीय इकाई (astronomical units- AU) की दूरी पर स्थित है और इतनी दूर स्थित होने के कारण शोधकर्त्ताओं की टीम ने इसे ‘फ़ारआउट’ (Farout) उपनाम नाम दिया है। उल्लेखनीय है कि 1 AU को पृथ्वी और सूर्य के बीच की दूरी के रूप में परिभाषित किया गया है।
  • सौरमंडल में सबसे दूर देखा गया दूसरा पिंड एरिस (Eris) है जो लगभग 96 AU की दूरी पर स्थित है। प्लूटो (Pluto) वर्तमान में लगभग 34 AU की दूरी पर है, इसका तात्पर्य यह है कि 2018 VG18 सौरमंडल के सबसे प्रसिद्ध बौने ग्रह की तुलना में साढ़े तीन गुना अधिक दूरी पर स्थित है।
  • 2018 VG18 की चमक इस बात का संकेत देती है कि इसका व्यास लगभग 500 किमी. है, संभवतः इसका आकार गोल है और यह एक बौना ग्रह (Dwarf Planet) हो सकता है। इसका रंग थोड़ा गुलाबी है जो आमतौर पर बर्फ-समृद्ध पिंडो से जुड़ा रंग है।
  • 2018 VG18 सौरमंडल के किसी अन्य पिंड की तुलना में कहीं अधिक दूर है और बहुत धीमी गति चलायमान, इसलिये इसकी कक्षा पूरी तरह से निर्धारित करने में कुछ और साल लग सकते हैं।
  • अत्यधिक दूरी पर स्थित होने के कारण ही इस पिंड को संभवतः सूर्य के चारों ओर परिक्रमा करने के लिये 1,000 से अधिक वर्षों का समय लग सकता है।

कैसे हुई 2018 VG18 की पुष्टि?

VG18

  • 2018 VG18 की खोज सौरमंडल में अत्यधिक दूरी पर स्थित वस्तुओं की खोज के लिये जारी निरंतर खोज का हिस्सा है, जिसमें संदिग्ध ग्रह एक्स (Planet X) भी शामिल है, जिसे कभी-कभी प्लैनेट 9 (Planet 9) भी कहा जाता है।
  • 2018 VG18 की खोज से संबंधित तस्वीरें 10 नवंबर, 2018 को हवाई (Hawaii) में मौना किआ (Mauna Kea) के ऊपर स्थित जापानी टेलीस्कोप सुबारू से ली गई थी।
  • 2018 VG18 की खोज के बाद इसकी दूरी की पुष्टि के लिये इसे एक बार फिर से देखा जाना आवश्यक था क्योंकि पिंड की दूरी को सटीक रूप से निर्धारित करने में कई रातों का समय लगता है।
  • दिसंबर की शुरुआत में चिली (Chile) में कार्नेगी की लास कैम्पाना वेधशाला (Carnegie's Las Campanas Observatory) में मैगेलन टेलीस्कोप के ज़रिये 2018 VG18 को दूसरी बार देखा गया था।
  • अगले कुछ हफ़्तों तक शोधकर्त्ताओं की टीम ने इस पिंड का मार्ग सुनिश्चित करने और चमक तथा रंग जैसे भौतिक गुणों की प्राप्ति के लिये मैगेलन दूरबीन (Magellan telescope) के ज़रिये इसकी निगरानी की।
  • मैगेलन के अवलोकनों ने इस बात की पुष्टि की कि 2018 VG18 लगभग 120 AU की दूरी पर स्थित है।

स्रोत :  कार्नेगी साइंस (Carnegie science) वेबसाइट


जैव विविधता और पर्यावरण

जलवायु परिवर्तन से हिमालयी क्षेत्र में होगा जल संकट

चर्चा में क्यों?


हाल ही में अमेरिका के ओहियो स्टेट यूनिवर्सिटी (Ohio State University) के शोधकर्त्ताओं ने जलवायु परिवर्तन (climate change) के हिमालय पर प्रभाव के संबंध में एक अध्ययन प्रकाशित किया है। इस अध्ययन के अनुसार, जलवायु परिवर्तन के कारण हिमालय के ग्लेशियर्स काफी तेज़ी से पिघल रहे हैं। इसके चलते जल्द ही भारत, पाकिस्तान और नेपाल के कुछ हिस्सों को पानी की कमी का सामना करना पड़ सकता है।

अध्ययन के प्रमुख बिंदु

  • शोधकर्त्ताओं के अनुसार, वर्ष 2100 तक जलवायु परिवर्तन के कारण एंडीज़ पहाड़ (Andes mountains) और तिब्बती पठार (Tibetan plateau) पर विनाशकारी प्रभाव पड़ सकता है। यह भी संभव है इस क्षेत्र की आधी बर्फ पूरी तरह से गायब ही हो जाए, यदि इस संबंध में कोई प्रभावी कार्यवाही नहीं गई तो यह अनुमान 1/3 तक भी पहुँच सकता है।
  • अध्ययन पत्र में कहा गया है कि पिछले कुछ समय से इस क्षेत्र में पानी की आपूर्ति में कमी की समस्या सामने आ रही है। बढ़ती आबादी के कारण पानी की मांग में भी बढोत्तरी हो रही है, ऐसे में हिमालय के ग्लेशियर्स के पिघलने की दर की बात करें तो भविष्य में यह समस्या और अधिक जटिल रूप धारण कर सकती है।
  • इस संदर्भ में पेरू का उदाहरण लिया जा सकता है जहाँ ग्लेशियर के पानी से ही फसलों, पशुओं और साधारण जनता के लिये आवश्यक मात्रा में पानी की आपूर्ति होती हैं।

भारत और चीन के प्रयास

  • 2016 में भारत और चीन के शोधकर्त्ताओं ने तिब्बती पठार पर इसी तरह का एक शोध करने के लिये एक पहल की थी, इस शोध में अध्ययन के लिये हज़ारों ग्लेशियरों को शामिल किया गया था। शोध में शामिल ग्लेशियर अफगानिस्तान, भूटान, चीन, भारत, नेपाल, पाकिस्तान और तज़ाकिस्तान के कुछ हिस्सों में लोगों को पानी की आपूर्ति करते हैं।
  • अंतर्राष्ट्रीय शोध दल ने 'तीसरे ध्रुव' (Third Pole) पठार की खोद से इस कार्य को शुरू किया क्योंकि उत्तर और दक्षिण ध्रुवों में ताज़े पानी का सबसे बड़ा भंड़ार मौजूद है।
  • इसके बाद शोधकर्त्ताओं द्वारा तिब्बती पठार और एंडीज़ पहाड़ों से बर्फ के नमूने एकत्रित किये गए तथा इसके तापमान, वायु गुणवत्ता आदि के माध्यम से पूर्व में हुई घटनाओं के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिये इसकी जाँच की गई।
  • इस अध्ययन के तहत शोधकर्त्ताओं को प्राप्त जानकारी के अनुसार, इतिहास में भी अल-नीनो की वज़ह से कई बार ग्लेशियर्स के तापमान में वृद्धि होने के संकेत मिले हैं। हालाँकि, पिछली शताब्दी के भीतर एंडीज़ और हिमालय दोनों के ग्लेशियर्स में व्यापक तौर पर तापमान में लगातार वृद्धि होने के संकेत मिले हैं।

वर्तमान समय में हो रही तापमान वृद्धि सामान्य नहीं है। यह काफी तेज़ी से बढ़ रही है। इससे पेरू और भारत दोनों के ग्लेशियर्स प्रभावित हो रहे हैं। यह एक बड़ी समस्या है, क्योंकि बहुत से लोग पानी के लिये इन ग्लेशियर्स पर आश्रित हैं। यह समस्या इसलिये भी विकराल है क्योंकि ग्लेशियरों के पिघलने से हिमस्खलन और बाढ़ का खतरा भी बढ़ता है। इससे इस क्षेत्र की जलापूर्ति पर दीर्घकालिक प्रभाव पड़ने की संभावना है। निश्चित रूप से इस संदर्भ में गंभीर विचार-विमर्श किये जाने की आवश्यकता है ताकि आने वाली पीढ़ियों के भविष्य को सुरक्षित बनाया जा सकें।


स्रोत : द हिंदू और बिज़नेस लाइन


भारत-विश्व

विवादित द्वीपों पर रूसी सैन्य बैरक का निर्माण, जापान का विरोध

चर्चा में क्यों?


रूसी सेना ने प्रशांत महासागर में जापान के समीप स्थित चार विवादित द्वीपों कुनाशीर (Kunashir), इतुरूप (Iturup), शिकोतान (Shikotan) और हबोमाए (Habomai) पर नई सैन्य बैरकों का निर्माण किया है। रूसी रक्षा मंत्रालय द्वारा प्रदत्त जानकारी के अनुसार, रूस दक्षिणी कुरिल द्वीपों पर बख्तरबंद वाहनों (armoured vehicles) के लिये अन्य सुविधाएँ भी विकसित कर रहा है। इन चार द्वीपों में से दो द्वीपों पर आवासीय परिसरों का निर्माण किया गया है, जिनमें अगले हफ्ते से सैनिकों को भेजा जाएगा।

  • हालाँकि, इन द्वीपों पर रूसी गतिविधियों का जापान ने कड़ा विरोध किया है। इससे पहले जुलाई में भी जापान ने रूस द्वारा इन विवादित द्वीपों पर किये जा रहे क्रियाकलापों को कम करने के लिये कहा था।

नहीं हो सका है शांति समझौता

  • द्वितीय विश्वयुद्ध के अंत में तत्कालीन सोवियत सेना द्वारा इन द्वीपों पर कब्जा कर लिया गया था। उसके बाद से जापान और रूस इन द्वीपों पर अपनी संप्रभुता का दावा करते आए है। यही वज़ह है कि विश्वयुद्ध के बाद दोनों देशों के बीच शांति समझौता नहीं हो सका है।
  • इस विवाद को सुलझाने के लिये दोनों देशों के बीच कई बार राजनयिक स्तर की वार्ता हो चुकी है, लेकिन कोई ठोस परिणाम सामने नहीं आए है।

जापानी प्रधानमंत्री की रूस यात्रा

  • जानकारी के मुताबिक, अगले साल 21 जनवरी को जापानी प्रधानमंत्री शिंजो एबी इस मुद्दे पर बातचीत करने के लिये रूस का दौरा कर सकते है। अगुर करने वाली बात यह है कि जापानी प्रधानमंत्री के इस संभावित दौरे से पहले जापान और अमेरिका के बीच एक रक्षा सौदा होने वाला है।
  • रूस का कहना है कि यदि जापान इन द्वीपों पर अमेरिकी मिसाइल प्रणाली तैनात करने की योजना बना रहा है तो प्रधानमंत्री की यात्रा के बावजूद भी इस मामले को सुझाया नहीं जा सकता है।

कुरिल द्वीप को लेकर है विवाद

  • कुरिल द्वीपसमूह (Kuril Islands) प्रशांत महासागर के पश्चिमी किनारे पर स्थित एक ज्वालामुखीय द्वीपसमूह है। यह जापान के होक्काइदो (Hokkaido) द्वीप से रूस के कमचातका (kamchatka) प्रायद्वीप के दक्षिणी छोर तक फैला हुआ है।
  • कुरिल द्वीपों के पूर्वी ओर उत्तरी प्रशांत महासागर और पश्चिमी ओर ओख़ोत्स्क सागर (Sea of Okhotsk) है।
  • दूसरे विश्व युद्ध के बाद से ही यह दोनों देशों के बीच विवाद का कारण बना हुआ है। दूसरे विश्व युद्ध के अंत में जब जापान में युद्ध कमज़ोर पड़ गया तो रूसी सेना ने कुरिल द्वीपों पर कब्जा कर वहाँ बसे लगभग 17,000 जापानियों को भगा दिया था।
  • तब से कुरिल के चारों द्वीप जिन पर जापान अपना अधिकार बताता है, को लेकर विवाद बना हुआ है। ये चारों द्वीप समूह हैं-  कुनाशीर (Kunashir), इतुरूप (Iturup), शिकोतान (Shikotan) और हबोमाए (Habomai)

स्रोत :  बिज़नेस स्टैंडर्ड


अंतर्राष्ट्रीय संबंध

मालदीव के राष्ट्रपति की भारत यात्रा

संदर्भ


हाल ही में प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी के आमंत्रण पर मालदीव गणराज्‍य के राष्‍ट्रपति इब्राहिम मोहम्‍मद सोलेह 16-18 दिसंबर, 2018 तक भारत की राजकीय यात्रा पर रहे। मालदीव गणराज्‍य के राष्‍ट्रपति का पद ग्रहण करने के बाद राष्‍ट्रपति सोलेह की यह पहली विदेश यात्रा थी।

महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • यात्रा के दौरान दोनों पक्षों ने निम्‍नलिखित समझौतों/समझौता ज्ञापनों की संयुक्‍त घोषणा पर हस्‍ताक्षर किये:

♦ वीज़ा प्रबंधन सहायता पर समझौता
♦ सांस्‍कृतिक सहयोग पर समझौता ज्ञापन
♦ कृषि व्‍यवसाय व्‍यवस्‍था में सुधार हेतु पारस्‍परिक सहयोग के लिये समझौता ज्ञापन
♦ सूचना और संचार टेक्‍नोलॉजी तथा इलेक्‍ट्रॉनिक्‍स के क्षेत्र में सहयोग पर आशय की संयुक्‍त घोषणा

  • दोनों देशों ने संस्थागत संपर्क बनाने तथा निम्‍नलिखित क्षेत्रों में सहयोग के लिये रूपरेखा निर्धारित करने पर सहमति व्‍यक्‍त की।

♦ स्‍वास्‍थ्‍य विशेषकर कैंसर उपचार पर सहयोग
♦ आपराधिक मामलों पर पारस्‍परिक कानूनी सहायता
♦ मानव संसाधन विकास
♦ पर्यटन

  • मालदीव के राष्ट्रपति तथा भारत के प्रधानमंत्री दोनों ने भारत और मालदीव के बीच परंपरागत एवं मैत्रीपूर्ण संबंधों को और मजबूती प्रदान करने व जीवंत बनाने का संकल्‍प दोहराया।
  • भारत और मालदीव के बीच संबंध भौगोलिक निकटता, नस्लीय, ऐतिहासिक, सामाजिक-आर्थिक तथा दोनों देशों की जनता के बीच सांस्‍कृतिक संबंधों के चलते मज़बूत हुए हैं। दोनों शीर्ष नेताओं द्वारा लोकतंत्र, विकास तथा शांतिपूर्ण सह अस्‍तित्त्व में भरोसा जताया गया।
  • प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी सरकार की ‘पड़ोसी प्रथम’ नीति का स्‍मरण करते हुए मालदीव के सामाजिक-आर्थिक विकास तथा लोकतंत्र की मज़बूती और स्‍वतंत्र संस्‍थानों की आकांक्षा पूरी करने में भारत द्वारा यथासंभव सहयोग का आश्‍वासन दिया।
  • प्रधानमंत्री ने इस संबंध में बजटीय समर्थन, मुद्रा की अदला-बदली के रूप में 1.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर की वित्तीय सहायता तथा मालदीव के सामाजिक आर्थिक विकास कार्यक्रमों को पूरा करने के लिये रियायती ऋण के प्रावधान की घोषणा की।


स्रोत- पीआईबी


विविध

Rapid Fire 19 December

  • 18 दिसंबर को मनाया गया अंतर्राष्ट्रीय प्रवासी दिवस; 1990 में आज ही के दिन संयुक्त राष्ट्र महासभा ने इससे संबंधित प्रस्ताव को स्वीकार किया था; इस दिवस को मनाने का उद्देश्य प्रवासी कामगारों को आज़ादी के साथ काम करने और मानवाधिकार जैसे मुद्दों पर जागरूकता उत्पन्न करने के लिये किया जाता है; इस वर्ष अंतर्राष्ट्रीय प्रवासी दिवस की थीम Migration with Dignity रखी गई है
  • 19 दिसंबर को संचार उपग्रह GSAT-7A का श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से हुआ सफल प्रक्षेपण; 8 वर्ष के जीवनकाल वाले इस उपग्रह से भारतीय वायुसेना के विमानों, एयर-बोर्न अर्ली वार्निंग कंट्रोल प्लेटफॉर्म, ड्रोन और ग्राउंड स्टेशन आदि का एक केंद्रीकृत नेटवर्क बनाया जाएगा; प्रक्षेपण यान GSLV-F 11 ने इसे भूस्थैतिक स्थानांतरण कक्षा में स्थापित किया; GSLV-F 11 इसरो का चौथे चरण का प्रक्षेपण यान है और यह इससे छोड़ा जाने वाला 66वाँ उपग्रह है
  • जम्मू-कश्मीर में लागू हुआ राष्ट्रपति शासन; अब सभी विधायी और वित्तीय अधिकारों पर होगा संसद का नियंत्रण; 18 दिसंबर को राज्य में राज्यपाल शासन के 6 महीने हुए पूरे; अन्य राज्यों में राष्ट्रपति शासन धारा 356 के तहत सीधे लागू हो जाता है, लेकिन जम्मू-कश्मीर के संविधान की धारा 92 के तहत पहले 6 महीने के लिये राज्यपाल शासन लागू होता है; इसके बाद यदि ज़रूरी हुआ तो राष्ट्रपति शासन लागू किया जाता है
  • मद्रास हाई कोर्ट ने दवाओं और कॉस्मेटिक्स की ऑनलाइन बिक्री पर लगाई रोक; केंद्र सरकार की ओर से ई-फार्मेसी पर नियम नोटिफाई किये जाने तक जारी रहेगी रोक; इससे पहले दिल्ली हाई कोर्ट ने भी अपने अंतरिम आदेश में देशभर में दवाओं की ऑनलाइन बिक्री पर रोक लगा दी थी; सरकार ने संसद में ऑनलाइन बिक्री का नया मसौदा पेश किया; इसके तहत इस क्षेत्र में काम करने वाली कंपनियों के लिये फार्मेसी काउंसिल से लाइसेंस लेना ज़रूरी होगा
  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया ‘टाइमलेस लक्ष्मण’ नामक पुस्तक का विमोचन; देश के जाने-माने कार्टूनिस्ट आर.के. लक्ष्मण पर आधारित है कॉफी टेबल बुक ‘टाइमलेस लक्ष्मण’; आर.के. लक्ष्मण की रचनाओं के संसार को समझने में मदद करेगी यह पुस्तक
  • केंद्रीय संचार राज्य मंत्री मनोज सिन्हा ने स्वतंत्रता सेनानी राजकुमार शुक्ला पर जारी किया स्मारक डाक टिकट; विदेशी नील उत्पादकों के हाथों बिहार के चम्पारण में दमनकारी व्यवस्था का सामना कर रहे किसानों की तकलीफों की ओर महात्मा गांधी का ध्यान आकर्षित करने में राजकुमार शुक्ला ने निभाई थी प्रभावशाली भूमिका, 1917 में महात्मा गांधी के द्वारा चम्पारण सत्याग्रह में हुई थी इसकी परिणति
  • People for the Ethical Treatment of Animals (PETA) ने अभिनेत्री सोनम कपूर को पर्सन ऑफ द ईयर चुना है; उन्हें यह सम्मान शाकाहार को बढ़ावा देने और अपने फैशन ब्रांड ‘रीसन’ के हैंडबैग लिये पशुओं की खाल का उपयोग न करने के लिये दिया गया है; PETA विश्वभर में जानवरों पर होने वाले अत्याचारों के खिलाफ काम करने वाली गैर-सरकारी संस्था है; इसका मुख्यालय अमेरिका में वर्जिनिया के नॉरफोक में है
  • केंद्र सरकार ने अधिवक्ता माधवी दीवान को नया एडिशनल सॉलिसिटर जनरल नियुक्त किया है; वह सुप्रीम कोर्ट में भारत सरकार का प्रतिनिधित्व करेंगी; इस सरकार द्वारा नियुक्त की गई वह तीसरी महिला कानून अधिकारी हैं; उनसे पहले पिंकी आनंद और मनिंदर आचार्य को एडिशनल सॉलिसिटर जनरल नियुक्त किया जा चुका है
  • अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 'अंतरिक्ष कमान' के गठन के प्रस्ताव को दी मंज़ूरी; यह पेंटागन में एक नया संगठनात्मक ढाँचा होगा, जिसका सैन्य अंतरिक्ष अभियानों पर समग्र नियंत्रण होगा; अमेरिकी कानून के तहत 'यूनाइटेड स्टेट्स स्पेस कमांड' को कार्यात्मक एकीकृत युद्धक कमांड के तौर पर स्थापित किया जाएगा; यह नई कमान सैन्य इकाई 'स्पेस फोर्स' बनाने के लक्ष्य से अलग है; यह US Army की 11वीं कमांड होगी
  • इंडोनेशिया में सक्रिय हुआ सोपुतान ज्वालामुखी; इंडोनेशिया के उत्तरी सुलावेसी प्रांत में है माउंट सोपुतान; इंडोनेशिया के 129 सक्रिय ज्वालामुखियों में से एक है मध्य इंडोनेशिया स्थित माउंट सोपुतान; भूकंप के प्रति संवेदनशील इलाके में स्थित है यह ज्वालामुखी, इसे 'आग का गोला' भी कहा जाता है
  • श्रीलंका में प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद महिंदा राजपक्षे बने वहाँ के मुख्य विपक्षी नेता; उन्होंने संसद में वरिष्ठ तमिल नेता आर. संपतन का स्थान लिया, जो 2015 से इस भूमिका का निर्वहन कर रहे थे; विरोध के बावजूद स्पीकर कारू जयसूर्या ने राष्ट्रपति मैत्रीपाल सिरिसेना के युनाइटेड पीपल्स फ्रीडम अलायंस को सबसे बड़ा विपक्षी दल मानते हुए महिंदा राजपक्षे को विपक्ष के नेता के रूप में मान्यता दी
  • नेपाल के पहले प्रधानमंत्री तुलसी गिरी का निधन; नेपाली कांग्रेस से अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत करने वाले तुलसी गिरी ने नेपाल नरेश महेंद्र द्वारा 1960 में नेपाल में दलविहीन पंचायत राजनीतिक प्रणाली लागू करने का समर्थन किया था; नेपाल नरेश महेंद्र ने ही उन्हें प्रधानमंत्री नियुक्त किया था; वह 1963-1965 तक मंत्री परिषद के अध्यक्ष और 1975-1977 तक नेपाल के प्रधानमंत्री रहे थे


प्रारंभिक परीक्षा

प्रीलिम्स फैक्ट्स : 19 दिसंबर, 2018

बोगीबील सड़क-रेल पुल

  • बोगीबील असम के डिब्रूगढ़ को अरुणाचल प्रदेश के पासीघाट से जोड़ने वाला देश का सबसे लंबा सड़क और रेल पुल है।
  • इस पुल में सबसे ऊपर तीन लेन वाली एक सड़क है, जबकि उसके ठीक नीचे दोहरी रेल लाइन है। यह पुल ब्रह्मपुत्र के जलस्तर से 32 मीटर की ऊँचाई पर है।
  • इस पुल को स्वीडन और डेनमार्क को जोड़ने वाले पुल की तर्ज़ पर बनाया गया है।
  • यह पुल अरुणाचल प्रदेश की सीमा पर सशस्त्र बलों हेतु रसद की आपूर्ति में सहायता प्रदान करेगा।
  • बोगीबील सड़क-रेल पुल का निर्माण 2002 में शुरू हुआ था।

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