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डेली न्यूज़

  • 20 Dec, 2018
  • 60 min read
विविध

वैश्विक लैंगिक अंतराल रिपोर्ट-2018

चर्चा में क्यों?


हाल ही में विश्व आर्थिक मंच (World Economic Forum- WEF) ने वैश्विक लैंगिक अंतराल रिपोर्ट- 2018 (Gender Gap Report- 2018) जारी की है। WEF द्वारा जारी इस रिपोर्ट में भारत को समग्र रूप से 0.665 अंकों के साथ 108वाँ स्थान हासिल हुआ है। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2017 में भी भारत इस रिपोर्ट में 108वें स्थान पर था।

क्या है लैंगिक असमानता?


लैंगिक असमानता का तात्पर्य लैंगिक आधार पर महिलाओं के साथ भेद-भाव से है। परंपरागत रूप से समाज में महिलाओं को कमज़ोर वर्ग के रूप में देखा जाता रहा है। वे घर और समाज दोनों जगहों पर शोषण, अपमान और भेद-भाव से पीड़ित होती हैं। महिलाओं के खिलाफ भेद-भाव दुनिया में हर जगह प्रचलित है।

प्रमुख बिंदु

  • वैश्विक स्तर पर लैंगिक अंतराल को 68.0% तक कम किया गया है, दूसरे शब्दों में आज भी दुनिया में औसतन 32.0% लैंगिक अंतराल व्याप्त है। 89 देशों में लैंगिक अंतराल को कम करने की दिशा में सुधारात्मक और दिशात्मक प्रवृत्ति देखी गई है।
  • रिपोर्ट में शामिल चार उप-सूचकांकों में सबसे अधिक लैंगिक असमानता राजनीतिक सशक्तीकरण के मामले में है जो वर्तमान में 77.1% है। इसके बाद दूसरी सबसे अधिक लैंगिक असमानता वाला क्षेत्र आर्थिक भागीदारी और अवसर है जो वर्तमान में 41.9% के स्तर पर है।
  • शिक्षा प्राप्ति तथा स्वास्थ्य एवं उत्तरजीविता में यह अंतराल क्रमशः 4.4% और 4.6% है। उल्लेखनीय है कि केवल आर्थिक भागीदारी और अवसर के क्षेत्र में यह अंतराल पिछले वर्ष की तुलना में थोड़ा कम हुआ है।
  • यद्यपि आर्थिक अवसर के क्षेत्र में अंतराल इस वर्ष थोड़ा कम हुआ है, लेकिन विशेष रूप से श्रम बल के क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी में प्रगति धीमी रही है।
  • राजनीतिक सशक्तीकरण के संदर्भ में पिछले दशक में हासिल की गई प्रगति में भी धीरे-धीरे कमी आनी शुरू हो गई है।
  • उल्लेखनीय है कि पश्चिमी देशों में लैंगिक समानता में थोड़ी कमी आई है, जबकि अन्य स्थानों पर इस क्षेत्र में औसत प्रगति जारी है।
  • शिक्षा-विशिष्ट लिंग अंतर अगले 14 वर्षों के भीतर समाप्त होकर समानता के मार्ग पर अग्रसर है।
  • स्वास्थ्य के क्षेत्र में लैंगिक अंतराल में भले ही 2006 के बाद थोड़ी वृद्धि हुई हो, लेकिन वैश्विक रूप से यह लगभग समाप्त हो गया है मूल्यांकन में शामिल देशों के तीसरे हिस्से में यह पूरी तरह से समाप्त हो चुका है।

राजनीतिक-आर्थिक नेतृत्व के आधार पर मूल्यांकन

  • यदि राजनीतिक और आर्थिक नेतृत्व की बात की जाए तो दुनिया को इस क्षेत्र में अभी भी काफी लंबा सफर तय करना है। मूल्यांकन में शामिल किये गए 149 देशों में केवल 17 देश ऐसे हैं जहाँ वर्तमान में महिलाएँ राज्य की मुखिया हैं, जबकि औसतन 18% मंत्री और 24% संसद सदस्य वैश्विक रूप से महिलाएँ हैं।
  • इसी तरह जिन देशों के बारे डेटा उपलब्ध है वहाँ केवल 34% प्रबंधकीय पदों पर महिलाएँ नियुक्त हैं, जबकि सबसे खराब प्रदर्शन करने वाले चार वाले देशों (मिस्र, सऊदी अरब, यमन और पाकिस्तान) में यह आँकड़ा 7% से कम है। इस सूचकांक में पूर्ण समानता पहले से ही पाँच देशों (बहामा, कोलंबिया, जमैका, लाओ पीडीआर और फिलीपींस) में एक वास्तविकता है और 19 देश ऐसे हैं जहाँ प्रबंधकीय पदों पर कम-से-कम 40% महिलाएँ हैं।

व्यापक आर्थिक शक्ति के आधार पर

  • व्यापक आर्थिक शक्ति के संदर्भ में वित्तीय परिसंपत्तियों के नियंत्रण और अवैतनिक कार्यों पर खर्च किये गए समय में अंतराल पुरुषों और महिलाओं के बीच आर्थिक असमानता को बरकरार रखता है। केवल 60% देशों में महिलाओं की पुरुषों के समान वित्तीय सेवाओं तक पहुँच है और मूल्यांकन में शामिल देशों में से केवल 42% देशों में भू-स्वामित्व का अधिकार महिलाओं के पास है। इसके अलावा, 29 देशों में (जिनके लिये डेटा उपलब्ध है) घर के काम और अवैतनिक गतिविधियों में महिलाएँ औसतन पुरुषों की तुलना में दोगुना अधिक समय व्यतीत करती हैं।

शिक्षा के क्षेत्र में लैंगिक अंतराल

  • हालाँकि शिक्षा के क्षेत्र में लैंगिक समानता की औसत प्रगति अन्य क्षेत्रों की तुलना में अपेक्षाकृत बेहतर है, फिर भी 44 देशों में 20% से अधिक महिलाएँ अशिक्षित हैं।
  • इसी तरह उच्च शिक्षा नामांकन दर में अक्सर पुरुषों और महिलाओं दोनों की कम भागीदारी होती है। औसतन 65% लड़कियाँ और 66% लड़कों ने वैश्विक स्तर पर माध्यमिक शिक्षा में दाखिला लिया है, जबकि केवल 39% महिलाएँ और 34% पुरुष कॉलेज या विश्वविद्यालय में हैं।
  • यह तथ्य महिलाओं और पुरुषों दोनों के लिये मानव पूंजी को बेहतर ढंग से विकसित करने के लिये अधिक महत्त्वाकांक्षी लक्ष्यों की मांग करता है।

कृत्रिम बुद्धिमत्ता के क्षेत्र

  • आज के श्रम बाज़ारों में तेज़ी से बदलाव के चलते इस वर्ष विश्लेषण आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के क्षेत्र में लैंगिक अंतराल का भी मूल्यांकन किया गया।
  • लिंक्डइन (LinkedIn,) के सहयोग के आधार पर यह निष्कर्ष निकाला गया कि वैश्विक स्तर पर AI पेशेवरों में केवल 22% महिलाएँ हैं, जबकि 78% पुरुष हैं।
  • इस खोज के प्रभाव व्यापक हैं और तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता को दर्शाते हैं।

शीर्ष 10 देश

  • आज तक सबसे अधिक लैंगिक समानता वाला देश आइसलैंड (Iceland) है। इसने कुल लैंगिक अंतराल में 85% से अधिक कमी की है।
  • इस सूची में आइसलैंड के बाद नॉर्वे (83.5%), स्वीडन और फिनलैंड (82.2%) आते हैं।
  • यद्यपि सूची में नॉर्डिक (Nordic) देशों का प्रभुत्व है, शीर्ष दस में एक लैटिन अमेरिकी देश निकारागुआ (Nicaragua ) 5वें स्थान पर, दो उप-सहारा अफ्रीकी देश (Sub-Saharan African Countries) रवांडा (Rwanda) और नामीबिया (Namibia) क्रमशः 6ठे और 10वें स्थान पर तथा पूर्वी एशिया का फिलीपींस (Philippines) 8वें स्थान पर है।
  • इस सूची में न्यूज़ीलैंड 7वें और आयरलैंड 9वें स्थान पर है।

global outlook

भौगौलिक क्षेत्र के आधार पर मूल्यांकन

  • रिपोर्ट में मूल्यांकन के लिये शामिल किये गए सभी आठ भौगोलिक क्षेत्रों ने कम से कम 60% लैंगिक समानता हासिल की है और दो क्षेत्र ऐसे हैं जिन्होंने 70% से अधिक प्रगति की है।
  • पश्चिमी यूरोप इस क्रम में पहले स्थान पर (औसतन 75.8% के लैंगिक समानता) है। जबकि उत्तरी अमेरिका (72.5%) दूसरे और लैटिन अमेरिका (70.8%) तीसरे स्थान पर है।
  • इसके बाद पूर्वी यूरोप और मध्य एशिया (70.7%), पूर्वी एशिया और प्रशांत (68.3%), उप-सहारा अफ्रीका (66.3%), दक्षिण एशिया (65.8%) और मध्य-पूर्व तथा उत्तरी अफ्रीका (60.2%) है।
  • इस साल रिपोर्ट में शामिल 149 देशों में पाँच नए देशों को शामिल किया गया है जिनमें शामिल हैं- कांगो (Congo), डीआरसी (DRC); इराक (Iraq), ओमान (Oman), सिएरा लियोन (Sierra Leone) और टोगो (Togo)। सिएरा लियोन 114वें स्थान पर है जबकि अन्य की रैंकिंग निम्नतम है।
  • यदि भविष्य में वर्तमान दरें कायम रहती हैं, तो संपूर्ण वैश्विक लैंगिक अंतराल को समाप्त करने में पश्चिमी यूरोप में 61 वर्ष, दक्षिण एशिया में 70 वर्ष, लैटिन अमेरिका और कैरीबियाई देशों में 74 वर्ष, उप-सहारा अफ्रीका में 135 वर्ष, पूर्वी यूरोप और मध्य एशिया में 124 वर्ष, मध्य-पूर्व और उत्तरी अफ्रीका में 153 वर्ष, पूर्वी एशिया एवं प्रशांत में 171 वर्ष और उत्तरी अमेरिका में 165 वर्ष का समय लगेगा।

भारतीय परिदृश्य

  • भारत को इस रिपोर्ट में 0.665 औसत अंकों के साथ 108वाँ स्थान हासिल हुआ है।
  • रिपोर्ट में शामिल चार प्रमुख क्षेत्रों में भारत का स्कोर इस प्रकार है-
  1. आर्थिक भागीदारी और अवसर (Economic Participation and Opportunity)- 0.385
  2. शिक्षा प्राप्ति (Educational Attainment)- 0.953
  3. स्वास्थ्य और उत्तरजीविता (Health and Survival)- 0.940
  4. राजनीतिक सशक्तीकरण (Political Empowerment)- 0.382

india rank

  • भारत के पड़ोसी देशों में बांग्लादेश 48वें स्थान पर, श्रीलंका 100वें स्थान पर, चीन 103वें स्थान पर, नेपाल 105वें स्थान पर, भूटान 122वें स्थान पर तथा पाकिस्तान 148वें स्थान पर है।

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आगे की राह

  • रिपोर्ट के अनुसार, यदि मौज़ूदा रुझानों को भविष्य से जोड़कर देखा जाए तो वैश्विक लैंगिक अंतराल के पहले संस्करण के बाद से दुनिया के 106 देशों में लैंगिक असमानता को समाप्त होने में 108 वर्षों का समय लगेगा।
  • सबसे अधिक चुनौतीपूर्ण लैंगिक अंतराल वाले क्षेत्र आर्थिक और राजनीतिक सशक्तीकरण हैं जिन्हें समाप्त होने में क्रमश: 202 और 107 वर्षों का समय लगेगा।

वैश्विक लैंगिक अंतराल रिपोर्ट

  • वैश्विक लैंगिक अंतराल रिपोर्ट विश्व आर्थिक मंच (World Economic Forum) द्वारा जारी की जाती है।
  • वैश्विक लैंगिक अंतराल सूचकांक निम्नलिखित चार क्षेत्रों में लैंगिक अंतराल का परीक्षण करता है।

♦ आर्थिक भागीदारी और अवसर 
♦ शैक्षिक उपलब्धियाँ 
♦ स्वास्थ्य एवं उत्तरजीविता 
♦ राजनीतिक सशक्तीकरण 

  • यह सूचकांक 0 से 1 के मध्य विस्तारित है। 
  • इसमें 0 का अर्थ पूर्ण लिंग असमानता तथा 1 का अर्थ पूर्ण लैंगिक समानता है।
  • पहली बार लैंगिक अंतराल सूचकांक वर्ष 2006 में जारी किया गया था।

निष्कर्ष


भले ही ये अनुमान लैंगिक समानता प्राप्त करने की दिशा में आज की गति को दर्शाते हैं लेकिन नीति निर्माताओं और अन्य हितधारकों को चाहिये कि वे इस प्रक्रिया को तेज़ी से आगे बढाएँ और आने वाले वर्षों में लैंगिक असमानता को दूर करने के लिये कड़ी कार्रवाई करें। न्याय और सामाजिक समानता के साथ-साथ मानव पूंजी के विविध व्यापक आधारों के संदर्भ में ऐसा करना बहुत ज़रूरी है।


स्रोत : वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम वेबसाइट


विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

GSAT-7A का सफल प्रक्षेपण

चर्चा में क्यों?


19 दिसंबर, 2018 को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (Indian Space Research Organisation-ISRO) द्वारा भू-समकालिक उपग्रह लॉन्च वाहन (Geosynchronous Satellite Launch Vehicle, GSLV-F 11) के ज़रिये श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (Satish Dhawan Space Centre-SDSC) से संचार उपग्रह GSAT-7A को सफलतापूर्वक प्रपेक्षित किया गया।


GSAT-7A के बारे में

  • GSAT-7A इसरो (ISRO) द्वारा निर्मित 35वाँ भारतीय संचार उपग्रह है।
  • GSAT-7A को इसरो के मानक आई-2000 किग्रा. (I-2K) बस पर कन्फिगर (Configure) किया गया है।
  • GSAT-7A, स्वदेशी क्रायोजेनिक इंजन वाले GSLV के ज़रिये लॉन्च किया जाने वाला अब तक का सबसे भारी संचार उपग्रह है।
  • यह वर्ष 2018 में सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया जाने वाले इसरो का 7वाँ मिशन है तथा GSLV-MkII की यह 13 वीं उड़ान थी।
  • इस सैटेलाइट को भारतीय क्षेत्र में केयू-बैंड (KU-band) में उपयोगकर्ताओं को संचार क्षमता प्रदान करने के लिये बनाया गया है।
  • GSAT-7A एक ग्रेगोरियन एंटीना (Gregorian Antenna) और कई अन्य नई प्रौद्योगिकियों से युक्त एक उन्नत संचार उपग्रह है।

GSAT-7A का महत्त्व

  • इस उपग्रह के ज़रिये भारतीय वायुसेना को पानी संचार प्रणाली मज़बूत बनाने में मदद मिलेगी।
  • GSAT-7A भारतीय वायुसेना के अलग-अलग राडार (RADAR) स्टेशन एयरबेस और वायु चेतावनी एवं नियंत्रण प्रणाली- अवाक्स (Airborne Warning and Control System-AWACS) को जोड़ने में सक्षम बनाएगा।
  • यह मानव रहित विमानों अर्थात् ड्रोन द्वारा किये जाने वाले ऑपरेशन को भी मज़बूत बनाएगा तथा ड्रोन की स्थिरता, उड़ान क्षमता और दूरी मापन की क्षमता को और अधिक सटीक बनाने में मदद करेगा।

GSLV के बारे में

  • GSLV तीन चरणों वाला इसरो का चौथी पीढ़ी का लॉन्च वाहन (fourth generation launch vehicle) है।
  • इसके प्रथम चरण में चार तरल (liquid) स्ट्रैप-ऑन (strap-ons) और एक ठोस रॉकेट मोटर लगे हुए हैं।
  • इसका दूसरा चरण तरल ईंधन का उपयोग करने वाले प्रणोदक इंजन (thrust engine) से युक्त है।
  • इसका क्रायोजेनिक ऊपरी चरण (cryogenic upper stage) वाहन के तीसरे और अंतिम चरण का निर्माण करता है।

GSLV 7A

स्रोत : इसरो वेबसाइट


विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

2018 में परमाणु ऊर्जा विभाग की पहल एवं उपलब्धियाँ

संदर्भ


वर्ष 2018 के दौरान परमाणु ऊर्जा विभाग (Department of Atomic Energy) ने ऊर्जा सुरक्षा और समाज के लाभ के लिये विभिन्‍न पहल किये और इस प्रकार राष्ट्र निर्माण में योगदान किया।

प्रमुख उपलब्धियाँ


कैगा जेनरेटिंग स्‍टेशन ने बनाया लगातार परिचालन का रिकॉर्ड

Kaiga Generating

  • कैगा जेनरेटिंग स्‍टेशन (Kaiga Generating Station- KGS) की यूनिट-1 ने 10 दिसंबर, 2018 को 941 दिनों का लगातार परिचालन दर्ज किया और इसके साथ ही इस इकाई ने ब्रिटेन की हेशैम-2 (Heysham-2) यूनिट-8 (610 मेगावॉट AGR) के 940 दिनों के लगातार परिचालन का रिकॉर्ड तोड़ दिया।
  • यह PHWR (Pressurized Heavy-Water Reactor) की परमाणु बिजली उत्‍पादन प्रौद्योगिकी में राष्‍ट्र की विकसित क्षमता को दर्शाता है।
  • यह डिज़ाइन, निर्माण, सुरक्षा, गुणवत्‍ता और परिचालन एवं रखरखाव कार्यों में भारत के परमाणु ऊर्जा निगम (Nuclear Power Corporation of India-NPCIL) की उत्‍कृष्‍टता का प्रमाण है।

गुजरात और राजस्थान में प्रेशराइज़्ड हैवी वाटर रिएक्टरों का निर्माण

Power Station Units

  • गुजरात के काकरापार और राजस्थान में स्‍थापित होने वाले 700 मेगावॉट क्षमता के प्रेशराइज़्ड हैवी वाटर रिएक्टरों के निर्माण कार्य प्रगति पर है।
  • गुजरात के काकरापार परमाणु बिजली संयंत्र यूनिट-2 (Kakarapar Nuclear Power Station Unit-2) में नवीनीकरण एवं आधुनिकीकरण कार्यों, जैसे- एन मैसी कूलैंट चैनल रिप्‍लेसमेंट (En Masse Coolant Channel Replacement- EMCCR) और एन मैसी फीडर रीप्‍लेसमेंट (En Masse Feeder Replacement- EMFR) एवं अन्‍य सुरक्षा उन्‍नयन उपायों के पूरा होने के बाद निर्धारित समय से साढ़े तीन महीने पहले सितंबर 2018 में इसका परिचालन सुचारू कर दिया गया।

फास्‍ट ब्रीडर टेस्‍ट रिएक्‍टर का परिचालन शुरू

  • फास्‍ट ब्रीडर टेस्‍ट रिएक्‍टर (Fast Breeder Test Reactor- FBTR) का परिचालन 30 मेगावॉट क्षमता के साथ मार्च 2018 में शुरू किया गया जो इसके इतिहास का एक प्रमुख पड़ाव है। इसके टर्बो जेनरेटर को ग्रिड के साथ सिंक्रोनाइज़्ड किया गया है जो 6.1 मेगावॉट बिजली की आपूर्ति करता है।

अप्सरा-उन्नत (APSARA-U)

  • अप्सरा-उन्नत (APSARA-U) एक नवीनीकृत स्‍वीमिंग पूल के आकार का रिएक्‍टर है जिसका परिचालन सितंबर 2018 में ट्रॉम्‍बे में शुरू हुआ।
  • इस रिएक्‍टर को विभिन्‍न तरह के आइसोटोप के उत्‍पादन के लिये डिज़ाइन किया गया है।

साइक्‍लोन-30

  • साइक्‍लोन-30 (Cyclone-30) भारत का सबसे बड़ा चिकित्‍सा साइक्‍लोट्रॉन (Cyclotron) है जो 30 MeV बीम डिलीवर करता है।
  • यह साइक्‍लोट्रॉन पूरे पूर्वी भारत की रेडियो आइसोटोप की ज़रूरतों को पूरा करने में समर्थ है। साथ ही यह पूरे देश के लिये पैलेडियम 103 (Palladium PD-103) और जरमैनियम 68 (Germanium-68 or Ge-68) की ज़रूरतों को भी पूरा करने में सक्षम है।

रेडियोन्‍यूक्‍लाइड जेनेरेटर का विकास

  • कैंसर के निदान एवं उपचार के लिये 21 रेडियोफार्मास्‍यूटिकल्‍स (21 radiopharmaceuticals) के साथ सस्‍ती एवं प्रभावी दवाओं का विकास और दो रेडियोन्‍यूक्‍लाइड जेनरेटर (Radionuclide generators) विकसित किये गए हैं।

महत्त्वपूर्ण समझौते


अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बेहतर बनाने के क्रम में कुछ नए समझौतों पर हस्‍ताक्षर किये गए जो इस प्रकार हैं-

भारत-अमेरिका

  • न्‍यूट्रिनो भौतिकी (Neutrino Physics) के क्षेत्र में DAE ने अमेरिका के फर्मिलैब (Fermilab) के साथ अंतर- सरकारी समझौते पर हस्‍ताक्षर किये।
  • अप्रैल 2018 में अमेरिकी सेक्रेटरी ऑफ एनर्जी के भारत दौरे के दौरान इस समझौते पर हस्‍ताक्षर किये गए।

भारत-फ्राँस

  • महाराष्ट्र के जैतापुर में लगभग 10,000 मेगावाट की कुल क्षमता वाले छह परमाणु ऊर्जा रिएक्टर स्‍थापित करने के लिये मार्च 2018 में भारत के NPCIL और फ्राँस के EDF (Électricité de France) के बीच इंडस्ट्रियल वे फॉरवार्ड एग्रीमेंट (Industrial Way Forward agreement) पर हस्‍ताक्षर किये गए।
  • इन परमाणु ऊर्जा रिएक्टरों में EPR प्रौद्योगिकी का उपयोग किया गया है। इवोल्यूशनरी प्रेशराइज़्ड रिएक्टर (Evolutionary Pressurized Reactors- EPRs) विकासवादी रिएक्टर हैं, इनका विकास ‘कोंवोइ’ (KONVOI) और ‘एन 4’ (N4) रिएक्टरों जो क्रमशः जर्मनी और फ्राँस में लगभग दो दशकों तक चल रहे हैं, से हुआ है।

भारत-कनाडा

  • फरवरी 2018 में भारत के परमाणु ऊर्जा विभाग और कनाडा के डिपार्टमेंट ऑफ नैचुरल रिसोर्सेज़ (Department of Natural Resources) के बीच परमाणु विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी और नवाचार पर एक समझौते पर हस्‍ताक्षर किये गए।

भारत-वियतनाम

  • मार्च 2018 में वियतनाम परमाणु ऊर्जा संस्थान, वीनाटोम (Vietnam Atomic Energy Institute- VINATOM) के साथ प्रशिक्षण एवं क्षमता निर्माण के क्षेत्र में एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्‍ताक्षर किये गए।

स्रोत : पी.आई.बी


जैव विविधता और पर्यावरण

रैट-होल कोयला खनन

संदर्भ


हाल ही में मेघालय के पूर्वी जयंतिया हिल्स ज़िले में एक रैट-होल कोयला खदान ढह गई जिसमें जिससे लगभग 15 लोगों की मृत्यु होने की आशंका जताई जा रही है। गौरतलब है कि प्रतिबंध के बावजूद रैट-होल खनन मेघालय में प्रचलित प्रथा बनी हुई है। आइये जानते हैं कि यह प्रथा असुरक्षित क्यों है और असुरक्षित होने के बावजूद इतने व्यापक स्तर पर क्यों अपनाई जाती है?

रैट-होल खनन क्या है?

  • भारत में अधिकांश खनिज राष्ट्रीयकृत हैं और इनका निष्कर्षण सरकारी अनुमति के पश्चात् ही संभव है।
  • किंतु उत्तर-पूर्वी भारत के अधिकांश जनजातीय क्षेत्रों में खनिजों का स्वामित्व व्यक्तिगत स्तर पर व समुदायों को प्राप्त है। मेघालय में कोयला, लौह अयस्क, चूना पत्थर व डोलोमाइट के विशाल निक्षेप पाए जाते हैं।
  • जोवाई व चेरापूँजी में कोयले का खनन परिवार के सदस्यों द्वारा एक लंबी संकीर्ण सुरंग के रूप में किया जाता है, जिसे रैट-होल खनन कहते हैं।
  • इसमें बहुत छोटी सुरंगों की खुदाई की जाती है, जो आमतौर पर केवल 3-4 फीट ऊँची होती हैं जिसमें प्रवेश कर श्रमिक (अक्सर बच्चे भी) कोयले का निष्कर्षण करते हैं।

रैट-होल खनन प्रथा पर प्रतिबंध

  • राष्ट्रीय हरित अधिकरण (National Green Tribunal) ने मेघालय में 2014 से अवैज्ञानिक और असुरक्षित कोयला खदानों पर प्रतिबंध लगा रखा है।

पारिस्थितिकी

  • एनजीटी के पास दायर की गई याचिका में असम दीमासा छात्र संघ और दीमा हसओ जिला समिति ने बताया था कि मेघालय में रैट-होल खनन ने कोपिली नदी (यह मेघालय और असम से होकर बहती है) को अम्लीय बना दिया है।
  • एनजीटी ने अपने आदेश में एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि खनन क्षेत्रों के आसपास सड़कों का उपयोग कोयले के ढेर को जमा करने के लिये किया जाता है जो वायु, जल और मृदा प्रदूषण का एक प्रमुख स्रोत है।
  • इस पूरे क्षेत्र में ट्रक और अन्य वाहनों के ऑफ-रोड आवागमन की वज़ह से क्षेत्र की पारिस्थितिकी को नुकसान पहुँचता है।

जीवन को भी खतरा

  • एनजीटी के अनुसार, बरसात के मौसम में रैट-होल खनन की वज़ह से घटित काफी मामले संज्ञान में आते हैं। खनन क्षेत्रों में जल प्लावन की वज़ह से कर्मचारियों/श्रमिकों सहित कई अन्य व्यक्तियों की मौत हो जाती है।

किस हद तक हो रहा है रैट-होल खनन?

  • उपलब्ध सरकारी आँकड़ों के मुताबिक, NGT द्वारा प्रतिबंध के आदेश से पहले मेघालय का वार्षिक कोयला उत्पादन करीब 6 मिलियन टन था।
  • ऐसा माना जाता है कि इस उत्पादन का ज़्यादातर हिस्सा रैट-होल खनन प्रथा द्वारा प्राप्त होता था।
  • एनजीटी ने केवल रैट-होल खनन पर ही नहीं बल्कि सभी ‘अवैज्ञानिक और अवैध खनन’ पर भी प्रतिबंध लगाया है।
  • मेघालय में खनन हेतु पहले से ही ‘मेघालय खान और खनिज नीति, 2012’ लागू है किंतु खान और खनिज (विनियमन और विकास) अधिनियम सहित तमाम केंद्रीय कानूनों के तहत मंज़ूरी तथा अनुमति लेनी आवश्यक होती है।

राज्य का रुख क्या है?

  • NGT ने पाया कि मेघालय की 2012 की नीति रैट-होल खनन की समस्या का समाधान करने में असफल है क्योंकि यह नीति रैट-होल खनन की समस्या का समाधान करने की जगह इसे बढ़ावा देने की बात करती है।

स्रोत- इंडियन एक्सप्रेस


शासन व्यवस्था

नीति आयोग की अभिनव भारत @75 कार्यनीति

चर्चा मे?


नीति आयोग ने ‘अभिनव भारत @75 के लिये कार्यनीति’ (Strategy for New India @ 75) जारी की है जिसमें 2022-23 हेतु उद्देश्‍यों को परिभाषित किया गया है। यह 41 महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों का विस्‍तृत विवरण है जिसमें पहले से हो चुकी प्रगति को मान्‍यता दी गई है, प्रगति के मार्ग में बाध्‍यकारी रुकावटों की पहचान की गई है और स्‍पष्‍ट रूप से वर्णित उद्देश्‍यों को प्राप्‍त करने के विषय में सुझाव दिये गए है।

Key Messages

चार खंडों में किया गया है विभाजन

  • इस दस्‍तावेज़ के 41 अध्‍यायों को चार खंडों : वाहक, अवसंरचना, समावेशन और गवर्नेंस में विभाजित किया गया है।

वाहक (Drivers)

  • वाहकों पर आधारित पहला खंड आर्थिक निष्‍पादन के साधनों, विकास और रोज़गार, किसानों की आमदनी दोगुनी करने, विज्ञान प्रौद्योगिकी और नवोन्‍मेष पारिस्थितिकी को उन्‍नत बनाने और फिनटेक तथा पर्यटन जैसे उभरते क्षेत्रों को बढ़ावा देने संबंधी अध्‍यायों पर ध्‍यान केंद्रित करता है।

Drivers

वाहकों से संबंधित खंड में की गई कुछ प्रमुख सिफारिशों में शामिल हैं:  

  • वर्ष 2018-23 के दौरान लगभग 8 प्रतिशत सकल घरेलू उत्‍पाद (GDP) की विकास दर प्राप्‍त करने के लिये अर्थव्‍यवस्‍था की गति को निरंतर तेज़ी से बढ़ाना। इससे अर्थव्‍यवस्‍था के आकार में वास्‍तविक अर्थ में विस्‍तार होगा और यह 2017-18 के 2.7 ट्रिलियन डॉलर से बढ़कर 2022-23 तक लगभग चार ट्रिलियन डॉलर तक पहुँच जाएगी।
  • सकल स्‍थायी पूंजी निर्माण (Gross Fixed Capital Formation- GFCF) द्वारा आँकी गई निवेश दरों में GDP के मौजूदा 29 प्रतिशत में वृद्धि लाते हुए 2022 तक 36 प्रतिशत तक बढ़ाना।
  • कृषि क्षेत्र में, ई-राष्‍ट्रीय कृषि मंडियों (e-NAM) का विस्‍तार करते हुए तथा कृषि उपज विपणन समिति अधिनियम के स्थान पर कृषि उपज और मवेशी विपणन अधिनियम लाकर किसानों को ‘कृषि उद्यमियों’ में परिवर्तित करने पर बल दिया जाए।
  • ‘शून्‍य बजट प्राकृतिक खेती’ की तकनीकों पर दृढ़ता से बल देना जिससे लागत में कमी आती है, मृदा की गुणवत्ता में सुधार होता है तथा किसानों की आमदनी बढ़ती है। यह वातावरण के कार्बन को मृदा में ही रखने की एक जाँची परखी पद्धति है।
  • रोज़गार के अधिकतम साधनों का सृजन सुनिश्चित करने के लिये श्रम कानूनों का संहिताकरण (codification) करने और प्रशिक्षुताओं को बढ़ाने के प्रबल प्रयास किये जाने चाहिए।
  • खनन अन्‍वेषण और लाइसेसिंग नीति का पु‍नर्निर्माण करने के लिये ‘एक्‍सप्‍लोर इन इंडिया’ (Explore in India) मिशन का आरंभ करना।

अवसंरचना (Infrastructure)

  • दूसरा खंड अवसंरचना से संबंधित है जो विकास के भौतिक आधारों का उल्‍लेख करता है। यह भारतीय कारोबारों की प्रतिस्पर्द्धात्‍मकता बढ़ाने और नागरिकों के जीवन की सुगमता सुनिश्चित करने के लिये महत्त्वपूर्ण है।

Infrastructure

अवसंरचना से संबंधित खंड में की गई कुछ प्रमुख सिफारिशों में शामिल हैं:  

  • पहले से मंज़ूर किये जा चुके रेल विकास प्राधिकरण (Rail Development Authority-RDA) की स्‍थापना में तेज़ी लाना। RDA रेलवे के लिये एकीकृत, पारदर्शी और गतिशील मूल्‍य व्‍यवस्‍था के संबंध में परामर्श देने या विवेकपूर्ण निर्णय लेने का कार्य करेगा।
  • तटीय जहाजरानी और अंतर्देशीय जलमार्गों द्वारा फ्रेट परिवहन के अंश का दोहरा करना। बुनियादी ढाँचा पूरी तरह तैयार होने तक शुरुआत में, वायबिलिटी गैप फंडिंग उपलब्‍ध कराई जाएगी।
  • परिवहन के विभिन्‍न साधनों को एकीकृत करने तथा मल्‍टी–मॉडल और डिजिटाइज़्ड गतिशीलता को बढ़ावा देने के लिये IT-सक्षम मंच का विकास।
  • 2019 में भारत नेट कार्यक्रम के पूरा होने के साथ ही 2.5 लाख ग्राम पंचायतें डिजिटल रूप से जुड़ जाएंगी। वर्ष 2022-23 तक सभी सरकारी सेवाएँ राज्‍य, ज़िला और ग्राम पंचायत स्‍तर पर उपलब्‍ध कराने का लक्ष्‍य है।

समावेशन (Inclusion)

  • समावेशन से संबंधित खंड समस्‍त भारतीय नागरिकों की क्षमताओं में निवेश के अत्यावश्यक कार्य से संबंधित है। इस खंड के तीन विषय स्‍वास्‍थ्‍य, शिक्षा और परंपरागत रूप से हाशिये पर मौज़ूद आबादी के वर्गों को मुख्‍य धारा में लाने के आयामों के इर्द-गिर्द घूमते हैं।

Inclusion

समावेशन से संबंधित खंड में की गई कुछ प्रमुख सिफारिशों में शामिल हैं:

  • देश भर में 150,000 हेल्थ एंड वेलनेस सेंटरों की स्‍थापना और प्रधानमंत्री जन आरोग्‍य अभियान (PM-JAY) प्रारंभ करने सहित आयुष्‍मान भारत कार्यक्रम का सफल कार्यान्‍वयन।
  • केंद्रीय स्‍तर पर राज्‍य के समकक्षों के साथ सार्वजनिक स्‍वास्‍थ्‍य के लिये फोकल प्‍वाइंट बनाना। समेकित चिकित्‍सा पाठ्यक्रम को प्रोत्‍साहन देना।
  • 2020 तक कम से कम 10,000 अटल टिंकरिंग लैब्‍स की स्‍थापना के ज़रिये जमीनी स्‍तर पर नई नवोन्‍मेषी व्‍यवस्‍था सृजित करते हुए स्‍कूली शिक्षा प्रणाली और कौशलों की गुणवत्ता में सुधार लाना।
  • प्रत्‍येक बच्‍चे की शिक्षा के निष्‍कर्षों पर नजर रखने के लिये इलेक्‍ट्रॉनिक राष्‍ट्रीय शैक्षिक रजिस्‍ट्ररी की संकल्‍पना करना।
  • आर्थिक विकास पर विशेष बल देते हुए कामगारों के जीवन स्‍तर में सुधार लाने तथा समानता सुनिश्चित करने के लिये ग्रामीण क्षेत्रों की ही तरह शहरी क्षेत्रों में भी किफायती घरों को प्रोत्‍साहन देना।

गवर्नेंस (Governance)


गवर्नेंस से संबंधित अंतिम खंड में इस बात पर गहन चिंतन किया गया है कि विकास के बेहतर निष्‍कर्ष प्राप्‍त करने के लिये गवर्नेंस के ढाँचों को किस तरह सुव्‍यवस्थित और प्रक्रियाओं को अनुकूल बनाया जा सकता है।

Governance

गवर्नेंस से संबंधित खंड में की गई कुछ प्रमुख सिफारिशों में शामिल हैं:

  • उभरती प्रौद्योगिकियों के बदलते संदर्भ तथा अर्थव्‍यवस्‍था की बढ़ती जटिलताओं के बीच सुधारों का उत्तराधिकारी नियुक्‍त करने से पहले दूसरे प्रशासनिक सुधार आयोग की सिफारिशों (Second ARC Recommendations) जैसे- तर्कसंगतता और सेवाओं में सामंजस्य के माध्यम से केंद्रीय और राज्य स्तर पर मौजूदा 60 से अधिक अलग सिविल सेवाओं को कम करना, सिविल सेवाओं के लिये अधिकतम आयु सीमा को 2022-23 तक सामान्य श्रेणी के लिये 27 साल तक सिमित किया जाना आदि का कार्यान्‍वयन करना।
  • मध्‍यस्‍थता की प्रक्रिया को किफायती और त्‍वरित बनाने तथा न्‍यायालय के हस्‍तक्षेप की आवश्‍यकता का स्‍थान लेने के लिये मध्‍यस्‍थता संस्‍थाओं और प्रत्यायित मध्‍यस्‍थों का आकलन करने के लिये नए स्‍वायत्त निकाय यथा भारतीय मध्‍यस्‍थता परिषद की स्‍थापना।
  • लंबित मामलों को निपटाना- नियमित न्‍याय प्रणाली के कार्य के दबाव को हस्‍तांतरित करना।
  • भराव के क्षेत्रों को कवर करने, प्‍लास्टिक अपशिष्‍ट और नगर निगम के अपशिष्‍ट तथा अपशिष्‍ट से धन सृजित करने की पहलों को शामिल करते हुए स्‍वच्‍छ भारत मिशन के दायरे का विस्‍तार करना।

गहन विचार-विमर्श के बाद बनी कार्यनीति

  • इस कार्यनीति को तैयार करने में नीति आयोग ने अत्‍यंत सहभागितापूर्ण दृष्टिकोण का अनुसरण किया है। नीति आयोग के प्रत्‍येक क्षेत्र में हितधारकों के तीनों समूहों यथा कारोबारी व्‍यक्ति, वैज्ञानिकों सहित शिक्षाविद् और सरकारी अधिकारियों- के साथ गहन विचार-विमर्श किया गया।
  • इसके बाद, उपाध्‍यक्ष के स्‍तर पर हितधारकों के 7 सेटों में से प्रमुख व्‍यक्तियों के विविधतापूर्ण समूह के साथ विचार-विमर्श किया गया। इन प्रमुख व्‍यक्तियों में वैज्ञानिक और नवोन्‍मेषी, किसान, सामाजिक संगठन, थिंक टैंक, श्रमिकों के प्रतिनिधि और श्रम संगठन तथा उद्योग जगत के प्रतिनिधि शामिल थे।

Constituents Consulted

  • प्रत्‍येक अध्‍याय के मसौदे को विचार-विमर्श के लिये वितरित किया गया और जानकारियां, सुझाव तथा टिप्‍पणियां प्राप्‍त करने के लिये केंद्रीय मंत्रियों को भी साथ जोड़ा गया। इसके दस्‍तावेज का मसौदा सभी राज्‍यों और संघ शासित प्रदेशों में भी वितरित किया गया जहां से प्राप्‍त बहुमूल्‍य सुझावों को इसमें शामिल किया गया।
  • इस दस्‍तावेज को तैयार करते समय सरकार के भीतर– केंद्रीय राज्‍य और जिला स्‍तर पर 800 के ज्‍यादा हितधारकों और लगभग 550 बाहरी विशेषज्ञों के साथ विचार-विमर्श किया गया।
  • इस कार्यनीति दस्‍तावेज में नीतिगत वातावरण में और सुधार लाने पर महत्त्वपूर्ण रूप से ध्‍यान केंद्रित किया गया है, ताकि निजी निवेशक और अन्‍य हितधारक अभिनव भारत 2022 के लिये निर्धारित लक्ष्‍यों की प्राप्ति की दिशा में अपनी पूरी क्षमता के साथ योगदान दे सके और 2030 तक भारत को 5 ट्रिलियन डॉलर वाली अर्थव्‍यवस्‍था बनाने की दिशा में आगे बढ़ा सके।

इस दस्तावेज़ को शासन की पुन:कल्पना के संदर्भ में तैयार किया जा रहा है। इसका कारण यह है कि भारत को ऐसी 'Development State’ में पहुँचने की ज़रूरत है जो प्रमुख वस्तुओं और सेवाओं के मुश्किल और उत्तरदायी वितरण पर केंद्रित हो। इसके लिये सार्वजनिक-निजी साझेदारी के इष्टतम स्तर को हासिल करने का सतत् प्रयास किया जा रहा है। वस्तुओं और सेवाओं के अधिक कुशल वित्रन के लिये नीतियाँ लागू की गई हैं जैसे-स्वास्थ्य, शिक्षा, बिजली, शहरी जल आपूर्ति एवं संयोजकता (connectivity)। इस संदर्भ में उद्यमिता और निजी निवेश को बढ़ावा देकर लालफीताशाही और बोझिल विनियमन को खत्म करने के लिये एक सुचिन्तित प्रयास किया जा रहा है। साथ ही, 'अभिनव भारत @75 कार्यनीति’ को संयुक्त राष्ट्र के SDG (Sustainable Development Goals) के साथ संरेखित करने का भी प्रयास किया जा रहा है, यही कारण है कि कार्यनीति के सभी अध्यायों को उक्त लक्ष्यों की प्राप्ति के संदर्भ में तैयार किया गया है। वर्तमान में भारत ‘सबका साथ, सबका विकास’ के दर्शन के साथ 'Development State’  के रूप में परिणत हो रहा है। 2022-23 में अभिनव इंडिया के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिये सबसे महत्त्वपूर्ण यह है कि निजी क्षेत्र, नागरिक समाज और यहाँ तक कि सभी व्यक्तियों को सरकार के लक्ष्यों को पूरा करने और उनमें वृद्धि करने हेतु अपनी रणनीति तैयार करनी चाहिये। इसमें कोई संदेह नहीं है कि 21वीं शताब्दी में मौज़ूद प्रौद्योगिकी के साथ विकास की गति को व्यापक रूप दिया जा सकता है। सभी भारतीयों के संकल्प के साथ भारत को सिद्धि प्राप्त होगी।


स्रोत : नीति आयोग, द हिंदू


कृषि

खाद्यान्नों हेतु अनिवार्य जूट पैकेजिंग

संदर्भ


हाल ही में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (CCEA) ने जूट की बोरियों में अनिवार्य पैकेजिंग संबंधी मानकों का दायरा बढ़ाने को मंज़ूरी दे दी।

महत्त्वपूर्ण बिंदु


प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (CCEA) ने जूट पैकेजिंग सामग्री (JPM) अधिनियम, 1987 के तहत अनिवार्य पैकेजिंग मानकों का दायरा बढ़ाने हेतु मंज़ूरी निम्नलिखित रूप में दी है-

  • CCEA ने यह मंज़ूरी दी है कि 100 प्रतिशत खाद्यान्नों और 20 प्रतिशत चीनी की पैकिंग अनिवार्य रूप से जूट (पटसन) की विविध प्रकार की बोरियों में ही करनी होगी। विभिन्न प्रकार की जूट की बोरियों में चीनी की पैकिंग करने के निर्णय से जूट उद्योग के विविधीकरण को बढ़ावा मिलेगा।
  • आरंभ में खाद्यान्न की पैकिंग के लिये जूट की बोरियों के 10 प्रतिशत ऑर्डर रिवर्स नीलामी के ज़रिये ‘जेम पोर्टल’ पर दिये जाएंगे, जिससे धीरे-धीरे कीमतों में सुधार का दौर शुरू हो जाएगा।

क्या होगा प्रभाव?

  • इस निर्णय से जूट उद्योग के विकास को बढ़ावा मिलेगा, कच्चे जूट की गुणवत्ता एवं उत्पादकता बढ़ेगी, जूट क्षेत्र का विविधीकरण होगा और इसके साथ ही जूट उत्पाद की मांग बढ़ेगी जो आगे भी निरंतर जारी रहेगी।
  • लगभग 3.7 लाख मज़दूर और कृषि क्षेत्र से जुड़े लाखों परिवार अपनी आजीविका के लिये जूट क्षेत्रों पर ही निर्भर हैं, इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए सरकार द्वारा उठाया गया यह कदम सराहनीय है।
  • जूट उद्योग मुख्य रूप से सरकारी क्षेत्र पर ही निर्भर रहता है क्योंकि सरकारी क्षेत्र से ही खाद्यान्नों की पैकिंग के लिये प्रत्येक वर्ष 6500 करोड़ रुपए से भी ज़्यादा मूल्य की जूट बोरियों की खरीद की जाती है।
  • इससे जूट उद्योग की मांग निरंतर बनी रहती है और साथ ही इस क्षेत्र पर निर्भर मज़दूरों एवं किसानों की आजीविका भी चलती रहती है।
  • CCEA द्वारा लिये गए इस निर्णय से देश के पूर्वी एवं पूर्वोत्तर क्षेत्रों, विशेषकर पश्चिम बंगाल, बिहार, ओडिशा, असम, आंध्र प्रदेश, मेघालय और त्रिपुरा में रहने वाले किसान एवं मज़दूर लाभान्वित होंगे।

जूट क्षेत्र को आवश्यक सहयोग देने हेतु सरकार द्वारा किये गए अन्य उपाय:

  • भारत सरकार ‘जूट आईकेयर’ के ज़रिये कच्चे जूट की उत्पादकता एवं गुणवत्ता बढ़ाने के उद्देश्य से लगभग एक लाख जूट किसानों को आवश्यक सहयोग देती रही है।
  • कृषि विज्ञान से जुड़ी उन्नत प्रथाओं अथवा तौर-तरीकों का प्रचार-प्रसार किया जाता रहा है, जिनमें सीड ड्रिल का इस्तेमाल कर कतारबद्ध बुवाई करना, पहिए वाले फावड़े एवं खूँटे वाले निराई उपकरणों का उपयोग कर खरपतवार का समुचित प्रबंधन करना, उन्नत प्रमाणित बीजों का वितरण करना और सूक्ष्म जीवाणुओं की सहायता से फसल को गलाने की व्यवस्था करना शामिल हैं।
  • जूट क्षेत्र में पारदर्शिता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से दिसंबर, 2016 में ‘जूट स्मार्ट’ के नाम से एक ई-सरकारी पहल का शुभारंभ किया गया था।
  • इसके अलावा, भारतीय पटसन निगम MSP और वाणिज्यिक परिचालनों के तहत जूट की खरीद के लिये जूट किसानों को 100 प्रतिशत धनराशि ऑनलाइन हस्तांतरित कर रहा है।

स्रोत- पीआईबी


विविध

Rapid Fire 20 December

  • 19 दिसंबर को मनाया गया गोवा मुक्ति दिवस; 1961 में इसी दिन गोवा को मिली थी पुर्तगालियों से आज़ादी; भारत के आज़ाद होने के करीब साढ़े 14 साल बाद भारतीय सेना के ‘ऑपरेशन विजय’ के डेढ़ दिन के भीतर पुर्तगाली जनरल मैनुएल एंटोनियो वसालो ए. सिल्वा ने कर दिये थे आत्मसमर्पण के दस्तावेज़ पर दस्तखत; 30 मई 1987 को गोवा को मिला था पूर्ण राज्य का दर्जा ; इससे पहले केंद्रशासित प्रदेश थे गोवा, दमन और दीव
  • भारतीय सेना ने युद्ध में दुश्मनों से निपटने के लिये बनाई नई रणनीति; Integrated Battle Groups (IBG) में होंगे सेना के सभी कॉम्बैट ऑपरेशन; सेना के नए Land Warfare Doctrine-2018 के मुताबिक देश के जवान आने वाले समय में माइक्रो सैटेलाइट, डायरेक्टेड-एनर्जी वाले हथियार, ऑर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और रोबोटिक्स जैसे अत्याधुनिक गैजेट्स का कर सकेंगे इस्तेमाल
  • उप नौसेना प्रमुख वाइस एडमिरल अजित कुमार ने पोर्ट ब्लेयर में IN LCU (Landing Craft Utility) L-55’ को नौसेना में शामिल किया; भारत में ही मैसर्स गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स, कोलकाता द्वारा बनाया गया यह इस तरह का पाँचवां जहाज़ है; इसका उपयोग युद्धक टैंकों, बख्तरबंद गाड़ियों, सैनिकों और उपकरणों को जहाज़ से ज़मीन पर पहुँचाने के लिये किया जाएगा;  इन जहाज़ों की तैनाती भारत की समुद्री सुरक्षा की आवश्यकताओं के मद्देनज़र की गई है
  • ज़बर्दस्ती ‘आधार’ की मांग करने पर एक करोड़ रुपए तक जुर्माना और 10 साल तक की हो सकती है सज़ा; प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट और भारतीय टेलीग्राफ एक्ट में संशोधन के तहत पहचान और पते के प्रमाण के तौर पर आधार के लिये दबाव बनाने पर बैंक और टेलीकॉम कंपनियों को एक करोड़ रुपए तक का ज़ुर्माना भरना पड़ सकता है; साथ ही आधार कार्ड मांगने वाले कर्मचारी अथवा ज़िम्मेदार व्यक्ति को तीन से दस साल तक की हो सकती है कैद
  • भारत-दक्षिण कोरिया संयुक्त आयोग की नौवीं बैठक का नई दिल्ली में हुआ आयोजन; आतंकवाद की चुनौती का सामना करने के लिये क्षेत्रीय तथा वैश्विक समन्वय को मज़बूत करने और व्यापार तथा निवेश संबंधों को बढ़ाने के लिये नए रास्ते तलाशने पर हुई चर्चा; भारत की ओर से विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और दक्षिण कोरिया का प्रतिनिधित्व विदेश मंत्री कांग क्यूंग-व्हा ने किया
  • संयुक्त अरब अमीरात (UAE) ने 2019 को ‘सहिष्णुता वर्ष’ के रूप में मनाने का निर्णय लिया; UAE सरकार ने क्षेत्र में स्थिरता और समृद्धि को प्रोत्साहित करने के लिये ऐसा किया है; गौरतलब है कि पिछले महीने दुबई में पहला विश्व सहिष्णुता सम्मेलन आयोजित किया गया था
  • अमेरिका के Federal Aviation Administration (FAA) ने भारत की विमानन सुरक्षा रैंकिंग श्रेणी-1 में बरकरार रखी; FAA ने भारत में Director General of Civil Aviation (DGCA) द्वारा अपनाए गए सुरक्षा उपायों को पर्याप्त बताया; इसके साथ ही International Civil Aviation Organisation (ICAO) ने भी भारत की रैंकिंग बढ़ा दी है, जो उसने पहले कम कर दी थी
  • अमेरिकी राष्ट्रपति की चेतावनी के बावजूद अमेरिकी फेडरल रिज़र्व ने एक बार फिर किया ब्याज दरों में इज़ाफा; ब्याज दरों में 0.25 फीसदी के इज़ाफे के बाद अब यह दर बढ़कर 2.5 फीसदी हो गई है; फेडरल रिज़र्व के चेयरमैन जेरोम पॉवेल के अनुसार केंद्रीय बैंक स्वायत्त है और इसके फैसलों में राजनीतिक दबाव की कोई भूमिका नहीं होती
  • ‘रिपोर्टर्स विदआउट बॉर्डर्स’ की एक रिपोर्ट के अनुसार, इस साल अब तक कुल 80 पत्रकारों की हत्या हुई; इनमें 63 प्रोफेशनल पत्रकार थे; राजनीतिक, आर्थिक, धार्मिक और आपराधिक संगठनों में हलचल पैदा करने वाले पत्रकारों को बनाया गया निशाना; पिछले साल मारे गए थे 55 प्रोफेशनल पत्रकार; रिपोर्ट में भारत को पत्रकारों के लिये पाँचवां सबसे खतरनाक देश बताया गया; अफगानिस्तान बना पत्रकारों के लिये सबसे खतरनाक देश
  • बेल्जियम के राष्ट्रपति चार्ल्स मिशेल ने दिया इस्तीफा; आव्रजन के मुद्दे पर सहयोगी दलों ने वापस ले लिया था समर्थन; संयुक्त राष्ट्र आव्रजन समझौते को लेकर थे गठबंधन में मतभेद; बेल्जियम के किंग फिलिप इस्तीफ़ा स्वीकार करने से पहले करेंगे विचार-विमर्श
  • पाकिस्तान के पंजाब प्रांत की सरकार ने बसंतोत्सव पर लगा प्रतिबंध हटाया; पिछले 12 वर्षों से लगी हुई थी इस पर रोक; फरवरी 2019 के दूसरे सप्ताह में मनाया जाएगा यह परंपरागत उत्सव; पाकिस्तान के पंजाब में 2007 में इस उत्सव पर यह कहते हुए पाबंदी लगा दी गई थी कि पतंग उड़ाने के लिये इस्तेमाल होने वाले माँझे से लोगों को चोट पहुँचती है और इससे उनकी जान को खतरा होता है
  • पाकिस्तान की मानवाधिकार कार्यकर्त्ता असमां जहाँगीर को मरणोपरांत संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार पुरस्कार से सम्मानित किया गया; यह पुरस्कार प्रत्येक पाँच साल में एक बार दिया जाता है; असमां जहाँगीर को United Nations Human Rights Prize वैश्विक शांति बनाए रखने में उनके योगदान के लिये दिया गया है
  • पनामा में खोजे गए एक नए उभयचर का नाम अमेरिकी राष्ट्रपति के नाम पर डेरमोफिस डोनाल्डट्रंपी रखा गया है; यह उभयचर देख नहीं सकता और इसके पैर भी नहीं हैं; गौरतलब है कि ज़मीन और पानी दोनों में रहने वाले जीवों को उभयचर (Amphibians) कहा जाता है

प्रारंभिक परीक्षा

प्रीलिम्स फैक्ट्स : 20 दिसंबर, 2018

काली गर्दन वाले सारस (Black-necked Crane)

  • काली गर्दन वाले सारस जिन्हें 'ट्रंग-ट्रंग कारमो' (Trung-Trung Karmo) के नाम से भी जाना जाता है, हर साल सर्दियों के मौसम में तिब्बत और चीन के शिंजियांग (Xinjiang) प्रांत से भारत के अरुणाचल प्रदेश में प्रवास करते हैं।
    पश्चिम कामेंग (West Kameng) ज़िले में सांगती घाटी (Sangti Valley) और अरुणाचल प्रदेश में ज़ेमिथांग (Zemithang) ऐसे स्थान हैं जहाँ शीतकाल के दौरान ये पक्षी प्रवास करते हैं। काली गर्दन वाले सारस लद्दाख और भूटान में भी पाए जाते हैं।
  • पक्षियों को दलाई लामा के एक अवतार (Tsangyang Gyatso) के रूप में मोनपास (अरुणाचल प्रदेश के प्रमुख संस्कृति वाला बौद्ध समूह) के समुदाय द्वारा परम पूज्यनीय माना जाता है, लेकिन आस-पास की जलविद्युत परियोजना के विकास के कारण यह पक्षी संकट की स्थित में है।
  • यह पक्षी वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 (पक्षियों और वन्यजीवन को दी गई उच्चतम कानूनी सुरक्षा) की अनुसूची 1 के तहत संरक्षित है।
  • इसे प्रकृति संरक्षण के लिये अंतर्राष्ट्रीय संघ (International Union for Conservation of Nature-IUCN) की संकटग्रस्त प्रजातियों की लाल सूची के अंतर्गत 'सुभेद्य' (Vulnerable) के रूप में वर्गीकृत किया गया है।

वानूआतू में ड्रोन से वैक्सीन की प्रथम डिलीवरी
(World’s First Drone-delivered Vaccine in Vanuatu)

  • वानूआतू (Vanuatu) में दुनिया के प्रथम वाणिज्यिक ड्रोन द्वारा डिलीवर किये गए वैक्सीन का उपयोग करके महज एक महीने के बच्चे का टीकाकरण किया गया है।
  • अब यह उम्मीद की जा रही है कि यह तरीका अन्य दूरदराज के इलाकों में भी जीवनदायी साबित हो सकता है।
  • वैक्सीन को किसी दूरस्थ इलाकों में डिलीवर करना मुश्किल होता है क्योंकि उन्हें विशिष्ट तापमान पर रखना आवश्यक होता है।
  • ड्रोन की उड़ान के दौरान, वैक्सीन को स्टायरोफोम (Styrofoam) के डब्बे में बर्फ में पैक करके रखा गया था, जिसमें तापमान सेंसर भी लगा हुआ था।

'आईएन एलसीयू एल-55
‘IN LCU L55’


19 दिसंबर, 2018 को पोर्ट ब्लेयर में ‘IN LCU L55’ को नौसेना में शामिल किया गया। यह इस LCU (Landing Craft Utility) Mk-IV का पाँचवा जहाज़ है जिसे नौसेना में शामिल किया गया है। जहाज़ को भारत में ही मैसर्स गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (GRSE), कोलकाता द्वारा बनाया गया है। LCU L55 स्वदेशी डिज़ाइन और जहाज़ निर्माण क्षमता की दिशा में एक और उपलब्धि है।

  • यह पोत पानी के साथ-साथ ज़मीन पर भी काम करेगा।
  • इसका उपयोग युद्धक टैंकों, बख्तरबंद गाड़ियों, सैनिकों और उपकरणों को जहाज़ से ज़मीन पर पहुंचाने के लिए किया जाता है।
  • इसे अंडमान और निकोबार कमान के तहत तैनात किया गया है तथा खोज और बचाव और आपद राहत अभियानों, आपूर्ति और अन्य गतिविधियों के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
  • इस जहाज की कमान लेफ्टिनेंट कमांडर अभिषेक कुमार को सौंपी गई है। जहाज पर 5 अधिकारी और 45 नौसैनिक तैनात हैं। इसके अलावा यह 160 सैनिकों को ले जाने में भी सक्षम है।
  • यह जहाज टी-72 जैसे भारी टैंक और अन्य वाहन ले जाने में सक्षम है। इसमें अत्याधुनिक उपकरण जैसे- एकीकृत ब्रिज सिस्टम (Integrated Bridge System-IBS) और एकीकृत प्लेटफार्म प्रबंधन प्रणाली (Integrated Platform Management System-IPMS) है।
  • इन जहाजों की तैनाती भारत की समुद्री सुरक्षा की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए की गई है और इनका निर्माण माननीय प्रधानमंत्री के ‘मेक इन इंडिया’ विजन के अनुरूप है।

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