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डेली न्यूज़

  • 15 Oct, 2019
  • 40 min read
शासन व्यवस्था

लोकसभा के बारे में वर्तमान चर्चाएँ

प्रीलिम्स के लिये:

लोकसभा की वर्तमान स्थिति, लोकसभा सदस्यों का निर्वाचन एवं अन्य तथ्य

मेन्स के लिये:

लोकसभा एवं संसदीय प्रणाली, लोकसभा की स्थिति में हुए क्रमिक परिवर्तन

चर्चा में क्यों?

हाल ही में एक पूर्व केंद्रीय मंत्री द्वारा यह मांग की गई कि जनसंख्या के आधार पर लोकसभा सीटों की संख्या को तर्कसंगत बनाया जाना चाहिये। निम्न सदन की रचना लगभग चार दशकों से एक जैसी ही है।

लोकसभा की वर्तमान स्थिति:

  • लोकसभा संसद का निम्न सदन है। इसके सदस्यों का निर्वाचन जनता द्वारा प्रत्यक्ष रूप से होता है। भारत का हर नागरिक जिसकी आयु 18 वर्ष से कम नहीं है, लोकसभा के चुनावों में वोट देने का अधिकारी है (अनुच्छेद-326)।
  • संविधान का अनुच्छेद-81 लोकसभा की संरचना को परिभाषित करता है। इसमें कहा गया है कि सदन में 550 से अधिक निर्वाचित सदस्य नहीं होंगे, जिनमें से राज्यों के प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्रों से 530 से अधिक तथा संघशासित प्रदेशों का प्रतिनिधित्व करने के लिये 20 से अधिक सदस्य नहीं होंगे।
  • इसके अलावा अनुच्छेद-331 के अनुसार, राष्ट्रपति आंग्ल-भारतीय समुदाय को प्रतिनिधित्व प्रदान करने के लिये अधिक-से-अधिक दो सदस्य मनोनीत कर सकता है। इस प्रकार लोकसभा सदस्यों की अधिकतम संख्या 552 निश्चित की गई है।
  • अनुच्छेद 81 यह भी कहता है कि किसी राज्य को आवंटित लोकसभा सीटों की संख्या ऐसी होगी कि उस संख्या और राज्य की जनसंख्या के बीच का अनुपात, जहाँ तक संभव हो, सभी राज्यों के लिये समान हो। हालाँकि, यह तर्क उन छोटे राज्यों पर लागू नहीं होता है जिनकी आबादी 60 लाख से अधिक नहीं है। इसलिये कम-से-कम एक सीट हर राज्य को आवंटित की जाती है, भले ही उस राज्य का जनसंख्या-सीट-अनुपात उस सीट के लिये योग्य होने के लिये पर्याप्त नहीं हो।

स्थिति में परिवर्तन:

  • संविधान के प्रारंभ में लोकसभा के सदस्यों की अधिकतम संख्या 500 निर्धारित थी। वर्ष 1952 में गठित पहले सदन में 497 लोकसभा सदस्य थे। चूँकि संविधान जनसंख्या के आधार पर सीटों के आवंटन का निर्धारण करता है, इसलिये निम्न सदन की संरचना (कुल सीटों के साथ-साथ विभिन्न राज्यों को आवंटित सीटों का पुनर्मूल्यांकन) भी प्रत्येक जनगणना के साथ बदल गई है।
  • पहला बड़ा बदलाव वर्ष 1956 में राज्यों के समग्र पुनर्गठन के बाद हुआ, जिसने देश को 14 राज्यों और 6 केंद्रशासित प्रदेशों में विभाजित किया।
  • राज्य पुनर्गठन के बाद मौजूदा राज्यों की सीमाओं में हुए बड़े बदलावों के साथ-साथ राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों की सीटों के आवंटन में भी बदलाव हुआ। इसलिये पुनर्गठन के साथ सरकार ने संविधान में भी संशोधन किया जिसके द्वारा राज्यों को आवंटित सीटों की अधिकतम संख्या 500 हो गई, लेकिन छह केंद्रशासित प्रदेशों का प्रतिनिधित्व करने के लिये अतिरिक्त 20 सीटें (अधिकतम सीमा) भी जोड़ी गईं। इसलिये वर्ष 1957 में चुनी गई दूसरी लोकसभा में 503 सदस्य थे।
  • इसके बाद के वर्षों में, लोकसभा की संरचना में तब और बदलाव आया जब वर्ष 1966 में हरियाणा राज्य को पंजाब से अलग किया गया तथा वर्ष 1961 में गोवा और दमन-दीव का भारतीय संघ में विलय कर दिया गया।

लोकसभा सीटों की स्थिति में अंतिम परिवर्तन:

  • लोकसभा सीटों का निर्धारण जनसंख्या के अनुपात में होने के कारण ऐसे राज्यों का लोकसभा में अधिक प्रतिनिधित्व हो गया जो राज्य जनसंख्या नियंत्रण में रुचि नहीं दिखा रहे थे।
  • दक्षिणी राज्य, जिन्होंने परिवार नियोजन का अच्छी तरह से अनुसरण किया था उन्हें यह चिंता होने लगी कि जनसंख्या के कम अनुपात के कारण कहीं उनका प्रतिनिधित्व लोकसभा में कम न हो जाए।
  • इन आशंकाओं को दूर करने के लिये, आपातकालीन शासन के दौरान संविधान में संशोधन किया गया, जिसने वर्ष 2001 तक परिसीमन को स्थगित कर दिया तथा यह प्रावधान किया गया कि जनसंख्या शब्द का अर्थ वर्ष 2000 तक 1971 की जनगणना से माना जायेगा।
  • 84वें संविधान संशोधन, 2001 के द्वारा यह कालावधि वर्ष 2026 तक बढ़ा दी गई है।

निष्कर्ष:

वर्ष 1970 के बाद यह महसूस किया जाता रहा है कि उत्तर भारत के राज्यों, जिनकी आबादी देश के बाकी हिस्सों की तुलना में तेजी से बढ़ी है, का प्रतिनिधित्व संसद में संवैधानिक रूप से कम हो गया है।

स्रोत-द इंडियन एक्सप्रेस


सामाजिक न्याय

मिज़ोरम: सर्वाधिक HIV प्रभावित राज्य

प्रीलिम्स के लिये:

HIV (Human Immunodeficiency Virus)

मेन्स के लिये:

मिज़ोरम के HIV संक्रमण से सर्वाधिक प्रभावित होने के मुख्य कारण।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में मिज़ोरम में HIV/AIDS (Human Immunodeficiency Virus) के कुछ नए मामले सामने आए।

मुख्य बिंदु:

  • मिज़ोरम राज्य एड्स नियंत्रण सोसाइटी (MCACS) द्वारा एकत्रित आँकड़ों के अनुसार, मिज़ोरम 2.04% की HIV संक्रमण दर के साथ देश का सर्वाधिक HIV प्रभावित राज्य है।
  • मिज़ोरम के बाद मणिपुर (1.43% HIV संक्रमण दर) तथा नगालैंड (1.15% HIV संक्रमण दर) के साथ क्रमशः दूसरे तथा तीसरे स्थान पर सबसे ज्यादा HIV प्रभावित राज्य हैं।
  • वर्ष 2012-13 के दौरान मिज़ोरम में HIV संक्रमण दर 4.8 से 3.8% तक कम हो गई।
  • मिज़ोरम में वर्ष 2017-18 के दौरान HIV संक्रमण में 7.2% की दर से तथा वर्ष 2018-19 में 9.2% की दर से सर्वाधिक वृद्धि हुई।
  • कुल HIV संक्रमित व्यक्तियों में 25-34 वर्ष की आयु वर्ग के व्यक्ति सर्वाधिक, 35-49 वर्ष आयु वर्ग तथा 15-24 आयु वर्ग क्रमशः दूसरे तथा तीसरे स्थान पर सर्वाधिक सुभेद्य मिले।

प्रभावित होने के कारण:

  • मिज़ोरम राज्य एड्स नियंत्रण सोसाइटी (MCACS) द्वारा एकत्रित आँकड़ों के अनुसार, वर्ष 2006 से मार्च 2019 तक पाए गए एड्स प्रभावित व्यक्तियों में 67.21% व्यक्ति यौन संबंधों के कारण प्रभावित हुए।
  • HIV संक्रमण का दूसरा मुख्य कारण ड्रग्स लेने के लिये प्रयोग में लाई गई संक्रमित सुई थी जिसके द्वारा लगभग 28.12% व्यक्ति HIV से प्रभावित हुए।
  • ईसाई बहुल मिज़ोरम राज्य में म्याँमार और बांग्लादेश की सीमा से लगा है एवं लम्बे समय से ड्रग्स एवं मानव तस्करी की समस्या से जूझ रहा है।

मिज़ोरम सरकार ने HIV संक्रमण से बचाव तथा उपचार के लिये मिज़ोरम की राजधानी आइजोल में एक मुहिम की शुरुआत की।

निष्कर्ष

मिज़ोरम की भौगोलिक सीमाएँ म्याँमार तथा बांग्लादेश जैसे देशों के साथ मिलती हैं जहाँ से मानव दुर्व्यापार तथा ड्रग्स जैसे अवैध कार्यों के मामले सामने आते रहते हैं। चूँकि मिज़ोरम का युवा वर्ग इस समस्या से सर्वाधिक प्रभावित है, अतः भविष्य को ध्यान में रखते हुए केंद्र तथा राज्य सरकारों को ऐसी नीतियों और योजनाओं का निर्माण करना चाहिये जिससे HIV के दंश से मिज़ोरम को बचाया जा सके।

स्रोत-द हिंदू


भारतीय अर्थव्यवस्था

औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (IIP)

प्रीलिम्स के लिये:

औद्योगिक उत्पादन का सूचकांक, केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (CSO)

मुख्य परीक्षा के लिये:

भारत के विकास के बारे में गणना करने हेतु IIP कितना उपयोगी है।

चर्चा में क्यों?

सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (Ministry of Statistics and Programme Implementation-MoSPI) द्वारा अगस्त माह के लिये "औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (Index of Industrial Production-IIP) के आँकड़े जारी किये गए हैं।

प्रमख बिंदु

  • आँकड़ों के अनुसार, भारत के औद्योगिक क्षेत्र के उत्पादन में इस वर्ष अगस्त 2018 की तुलना में लगभग 1.1 प्रतिशत की गिरावट हुई है।
  • वर्ष-दर-वर्ष की तुलना के अनुसार, पिछले बार IIP में गिरावट जून 2017 में हुई थी।
  • विनिर्माण उत्पादन में वृद्धि दर नकारात्मक रही है - अर्थात् यह 1.2 प्रतिशत कम हुई है।
    • विनिर्माण क्षेत्र के 23 उप-समूहों में से 15 में अगस्त 2019 में नकारात्मक वृद्धि देखी गई है।

औद्योगिक उत्पादन सूचकांक क्या है?

  • यह सूचकांक अर्थव्यवस्था में विभिन्न क्षेत्रों के विकास का विवरण प्रस्तुत करता है, जैसे कि खनिज खनन, बिजली, विनिर्माण आदि।
  • इसे सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के अंतर्गत केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (Central Statistics Office-CSO),  द्वारा मासिक रूप से संकलित और प्रकाशित किया जाता है।
  • IIP एक समग्र संकेतक है जो कि प्रमुख क्षेत्र (Core Sectors) एवं उपयोग आधारित क्षेत्र के आधार पर आँकड़े उपलब्ध कराता है।

इसमें शामिल आठ प्रमुख क्षेत्र (Core Sectors) निम्नलिखित हैं:

रिफाइनरी उत्पाद (Refinery Products) 28.04%
विद्युत (Electricity) 19.85%
इस्पात (Steel) 17.92%
कोयला (Coal) 10.33%
कच्चा तेल (Crude Oil) 8.98%
प्राकृतिक गैस (Natural Gas) 6.88%
सीमेंट (Cement) 5.37%
उर्वरक (Fertilizers) 2.63%

Industrial Production

IIP के आँकड़े कितने उपयोगी हैं?

  • IIP में आँकड़े मासिक स्तर पर जारी किये जाते हैं इसीलिये ये आँकड़े ऊपर-नीचे जाते रहते हैं।
  • इन आँकड़ों को एक या दो महीने के बाद संशोधित किया जाता है, इसलिये इसे "त्वरित अनुमान" कहा जाता है।
  • चूँकि 1 वर्ष के प्रोजेक्ट के लिये केवल 1 माह के आँकड़ों को आधार नहीं बनाया जा सकता, इसलिये यह पूरे वर्ष का होना चाहिये।

केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (CSO)

  • विभिन्न केंद्रीय मंत्रालयों एवं राज्य सरकारों की सांख्यिकीय गतिविधियों के मध्य समन्वयन एवं सांख्यिकीय मानकों के संवर्द्धन हेतु मई 1951 में ‘केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय’ (Central Statistics Office-CSO) की स्थापना की गई थी।
  • यह राष्ट्रीय खातों को तैयार करने, औद्योगिक आँकड़ों को संकलित एवं प्रकाशित करने के साथ ही आर्थिक जनगणना एवं सर्वेक्षण कार्य भी आयोजित करता है।
  • यह देश में सतत् विकास लक्ष्यों (Sustainable Development Goals-SDG) की सांख्यिकीय निगरानी के लिये भी उत्तरदायी है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस


सामाजिक न्याय

CS जेंडर 3000 रिपोर्ट

प्रीलिम्स के लिये:

क्रेडिट सुइस रिसर्च इंस्टिट्यूट, सी.एस.जेंडर 3000 रिपोर्ट

मेन्स के लिये:

लैंगिक समानता संबंधी मुद्दे, इस संदर्भ में सरकार द्वारा उठाए कदम, महिलाओं से संबंधी विषय

चर्चा में क्यों?

हाल ही में क्रेडिट सुइस रिसर्च इंस्टीट्यूट द्वारा CS जेंडर 3000 रिपोर्ट (CS Gender 3000 Report) जारी की गई।

प्रमुख बिंदु

  • रिपोर्ट में बताया गया है कि वर्तमान समय में भी विशेष तौर पर उच्च पदों पर पुरुष वर्चस्व कायम है जिसे कम या दूर करने के लिये निजी क्षेत्र द्वारा काफी कार्य किये जाने की आवश्यकता है।
  • यह रिपोर्ट लैंगिक असमानता व कंपनी के बेहतर प्रदर्शन के मध्य संबंध को बदलते परिदृश्य के अनुरुप प्रदर्शित करती है।

क्या है लैंगिक असमानता?

लैंगिक असमानता का तात्पर्य लैंगिक आधार पर महिलाओं के साथ भेदभाव से है। पारंपरागत रूप से समाज में महिलाओं को कमज़ोर वर्ग के रूप में देखा जाता रहा है। वे घर और समाज दोनों जगहों पर शोषण, अपमान और भेद-भाव से पीड़ित होती हैं। महिलाओं के खिलाफ भेदभाव दुनिया में हर जगह प्रचलित है।

चिंताजनक मुद्दे

  • लिंगानुपात एक अति संवेदनशील सूचक है जो महिलाओं की स्थिति को दर्शाता है। बच्चों में लिंगानुपात निरंतर कम होता जा रहा है।
  • निरंतर कम होते लिंगानुपात के कारण जनसंख्या में असंतुलन पैदा हो होता है जिससे महिलाओं के विरुद्ध अपराध बढ़ने जैसी अनेक सामाजिक समस्याएँ पैदा होती हैं।
  • ये सभी संकेतक लिंग समानता और मूलभूत अधिकारों के संबंध में महिलाओं की निराशजनक स्थिति के द्योतक हैं। अतः महिलाओं के सशक्तीकरण के लिये सरकार प्रत्येक वर्ष विभिन्न योजनाओं और कार्यक्रमों को लागू करती है ताकि इनका लाभ महिलाओं को प्राप्त हो लेकिन ज़मीनी हकीकत यह है कि इतने कार्यक्रमों के लागू किये जाने के बाद भी महिलाओं की स्थिति में कोई खास परिवर्तन नज़र नहीं आता है।
  • यह रिपोर्ट वर्तमान समय में कार्यस्थल पर महिलाओं की बढ़ती भागीदारी को प्रदर्शित करती है।
  • साथ ही उच्च पदों पर महिलाओं की बढ़ती भागीदारी को भी इंगित करती है।
  • इस रिपोर्ट के लिये विश्व के 56 राष्ट्रों की 3000 कंपनियों का सर्वे किया गया जिसके आधार पर यह पाया गया कि विश्व स्तर पर महिलाओं की भागीदारी बढ़ी है, इसमें नॉर्वे, फ्राँस, स्वीडन एवं इटली शीर्ष स्थान पर हैं परंतु इस संदर्भ में भारत की स्थिति बहुत अच्छी नहीं मानी जा सकती है।

क्रेडिट सुइस रिसर्च इंस्टीट्यूट

(Credit Suisse Research Institute)

  • यह एक इन-हाउस थिंक टैंक है।
  • इस संस्था की स्थापना वर्ष 2008 के वित्तीय संकट के परिणामस्वरूप की गई थी।
  • इसका उद्देश्य लंबे समय के वित्तीय विकास हेतु अध्ययन करना है व इसके प्रभावों का आर्थिक क्षेत्र व उसके बाहर भी अध्ययन करना है।

समानता हेतु भारत द्वारा उठाए गए कदम:

  • भारत द्वारा स्वतंत्रता के बाद से ही इस अंतर को मिटाने के प्रयास किये गए है जिसमें सरकारी नौकरी व शिक्षा में आरक्षण तथा आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्ग के छात्रों को निजी विद्यालयों में 25% कोटा प्रदान करने का फैसला शामिल है।
  • महिलाओं के खिलाफ होने वाले भेदभाव को समाप्त करने और लैंगिक समानता को बढ़ावा देने के लिये 2005 से भारत ने औपचारिक रूप से वित्तीय बजट में जेंडर उत्तरदायी बजटिंग (Gender Responsive Budgeting- GRB) को अंगीकार किया था। जीआरबी का उद्देश्य है- राजकोषीय नीतियों के माध्यम से लिंग संबंधी चिंताओं का समाधान करना।
  • लैंगिक समानता का सूत्र श्रम सुधारों और सामाजिक सुरक्षा कानूनों से भी जुड़ा है, फिर चाहे कामकाजी महिलाओं के लिये समान वेतन सुनिश्चित करना हो या सुरक्षित नौकरी की गारंटी देना। मातृत्व अवकाश के जो कानून सरकारी क्षेत्र में लागू हैं, उन्हें निजी और असंगठित क्षेत्र में भी सख्ती से लागू करना होगा। जेंडर बजटिंग और समाजिक सुधारों के एकीकृत प्रयास से ही भारत को लैंगिक असमानता के बन्धनों से मुक्त किया जा सकता है।

रिपोर्ट में बताए गए विभिन्न पक्ष:

  1. परिवार के स्वामित्व वाली कंपनियाँ: रिपोर्ट में बताया गया है कि इस प्रकार की कंपनियों में महिलाओं की भागीदारी 10% से कम है।
  2. भविष्य व परिवार को संवारना: सभी जानते हैं कि भविष्य को संवारना व परिवार को संभालना दोनों कार्य एक साथ करना काफी मुश्किल हो है, इसी पक्ष को रिपोर्ट में भी बताया गया है कि गृहस्थ जीवन में महिलाओं की अत्यधिक भागीदारी और उत्तरदायित्व न केवल उन्हें घर से बाहर कार्य करने के प्रति अनिच्छुक बनाते हैं बल्कि सामाजिक रूप से भी दबाव की स्थिति उत्पन्न करते हैं।
  3. लैंगिक आधार पर वेतन में असमानता: रिपोर्ट में बताया गया है कि सभी क्षेत्रों में महिलाओं की तुलना में पुरुषों का वेतन अधिक है और यह अंतर लैंगिक आधार पर पेशा निर्धारण की पूर्वमान्यताओ के कारण है।

वर्तमान परिदृश्य

वर्तमान दौर में महिलाओं की संख्या पिछले दशकों में 20% बढ़ी है जो कि शासन व्यवस्था के संदर्भ में एक अच्छा संकेत है, साथ ही वर्ष 2016 में एक अध्ययन में पाया गया कि प्रबंधन के क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी 14% से बढकर 17% हो गई है। इस परिपेक्ष्य में क्षेत्रीय स्तर पर यूरोप (17%) निम्न स्तर पर है जबकि उत्तरी अमेरिका 21% एवं एशिया-प्रशांत क्षेत्र 19% प्रबंधन विविधता के साथ उच्च स्तर को बनाए हुए हैं।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस


भारतीय अर्थव्यवस्था

लघु उद्योगों पर ILO की रिपोर्ट

प्रीलिम्स के लिये:

अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (International Labour Organization)

मेन्स के लिये:

ILO द्वारा जारी रिपोर्ट के सभी महत्त्वपूर्ण पक्ष

चर्चा में क्यों:

हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) ने विकसित और विकासशील देशों के संदर्भ में लघु उद्योगों की प्रासंगिकता पर एक रिपोर्ट जारी की है।

मुख्य बिंदु:

  • अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन की नवीनतम रिपोर्ट में पाया गया कि अल्प-विकसित और विकासशील देशों में कुल रोज़गार का दो-तिहाई से अधिक हिस्सा लघु आर्थिक इकाईयों द्वारा प्रदान किया जाता है।
  • 10 अक्तूबर, 2019 को ILO द्वारा जारी इस रिपोर्ट में यह तर्क दिया गया है कि लघु उद्योग समर्थित दृष्टिकोण निम्न और मध्यम आय वाले देशों के लिये आवश्यक है, जहाँ बहुसंख्यक लोग लघु आर्थिक इकाइयों में कार्यरत हैं।
  • स्वरोज़गार की स्थिति में दक्षिण एशिया (66 प्रतिशत) प्रथम स्थान पर है। उसके बाद क्रमशः उप-सहारा अफ्रीका (50 प्रतिशत), मध्य पूर्व एवं उत्तरी अफ्रीका (44 प्रतिशत) दूसरे तथा तीसरे स्थान पर हैं।
  • रिपोर्ट के अनुसार, भारत में लगभग 85 प्रतिशत श्रमिक स्व-नियोजित हैं।
  • निम्न आय वाले देशों की आय में स्वरोज़गार का योगदान उच्च आय वाले देशों से लगभग 5 गुना अधिक होता है।
  • निम्न आय वाले देशों में कृषि क्षेत्र में रोज़गार के अधिकांश अवसर अनौपचारिक श्रेणी में आते हैं। रिपोर्ट के अनुसार दक्षिण एशिया और उप-सहारा अफ्रीका में लगभग 95 प्रतिशत कृषि क्षेत्र का रोज़गार अनौपचारिक है।

अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन:

  • यह ‘संयुक्त राष्ट्र’ की एक विशिष्ट एजेंसी है, जो श्रम संबंधी समस्याओं/मामलों, मुख्य रूप से अंतर्राष्ट्रीय श्रम मानक, सामाजिक संरक्षा तथा सभी के लिये कार्य अवसर जैसे मामलों को देखती है।
  • यह संयुक्त राष्ट्र की अन्य एजेंसियों से इतर एक त्रिपक्षीय एजेंसी है, अर्थात् इसके पास एक ‘त्रिपक्षीय शासी संरचना’ (Tripartite Governing Structure) है, जो सरकारों, नियोक्ताओं तथा कर्मचारियों का (सामान्यतः 2:1:1 के अनुपात में) इस अंतर्राष्ट्रीय मंच पर प्रतिनिधित्व करती है।
  • यह संस्था अंतर्राष्ट्रीय श्रम कानूनों का उल्लंघन करने वाली संस्थाओं के खिलाफ शिकायतों को पंजीकृत तो कर सकती है, किंतु सरकारों पर प्रतिबंध आरोपित नहीं कर सकती है।
  • इस संगठन की स्थापना प्रथम विश्वयुद्ध के पश्चात् ‘लीग ऑफ नेशन्स’ (League of Nations) की एक एजेंसी के रूप में सन् 1919 में की गई थी। भारत इस संगठन का संस्थापक सदस्य रहा है।
  • इस संगठन का मुख्यालय स्विट्ज़रलैंड के जिनेवा में स्थित है।
  • वर्तमान में 187 देश इस संगठन के सदस्य हैं, जिनमें से 186 देश संयुक्त राष्ट्र के 193 सदस्य देशों में से हैं तथा एक अन्य दक्षिणी प्रशांत महासागर में अवस्थित ‘कुक्स द्वीप’ (Cook's Island) है।
  • ध्यातव्य है कि वर्ष 1969 में इसे प्रतिष्ठित ‘नोबेल शांति पुरस्कार’ प्रदान किया गया था।

स्रोत: द हिंदू


शासन व्यवस्था

विदेश यात्रा हेतु अनुमति

प्रीलिम्स के लिये:

मुख्यमंत्री, मैप पर डेनमार्क की अवस्थिति,

मेन्स के लिये:

विदेश यात्रा संबंधी राजनीतिक अनुमति का महत्त्व, राजनीतिक निकासी संबंधी नियम

चर्चा में क्यों?

हाल ही में दिल्ली के मुख्यमंत्री ने डेनमार्क में आयोजित एक सम्मेलन को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से संबोधित किया।

वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग द्वारा संबोधन का कारण:

  • उल्लेखनीय है कि डेनमार्क में आयोजित C-40 क्लाइमेट समिट में भाग लेने हेतु विदेश मंत्रालय ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को मंज़ूरी नहीं दी थी, जिसके कारण उन्हें वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सम्मेलन को संबोधित करना पड़ा।

मुख्य बिंदु:

  • ध्यातव्य है कि किसी भी शासकीय कर्मचारी को विदेश यात्रा हेतु विदेश मंत्रालय से अनुमति की आवश्यकता होती है।
  • वर्ष 2016 से इस प्रकार की अनुमति ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से भी प्राप्त की जा सकती है।
  • यह अनुमति कई पक्षों जैसे- कार्यक्रम की प्रकृति और सहभागियों का स्तर आदि को ध्यान में रखकर प्रदान की जाती है।
  • सरकारी कर्मचारियों तथा उच्च पदों पर कार्यरत लोगों को राजनीतिक अनुमति के अतिरिक्त भिन्न परिस्थितियों में कुछ अन्य प्रकार की अनुमतियों की भी आवश्यकता होती है। जैसे-
    • मुख्यमंत्री, राज्य के अन्य मंत्री तथा राज्य अधिकारीगणों को आर्थिक मामलों के विभाग से भी अनुमति लेने की आवश्यकता होती है।
    • देश के केंद्रीय मंत्रियों के लिये विदेश मंत्रालय से अनुमति के पश्चात् प्रधानमंत्री से भी अनुमति लेना आवश्यक होता है।
    • लोकसभा सदस्यों को इस संबंध सदन अध्यक्ष से अनुमति लेनी होती है, जबकि राज्यसभा के सदस्यों को इस संबंध में अनुमति सभापति से अनुमति लेनी होती है।
    • विभिन्न मंत्रालयों से संबंधित अधिकारियों से लेकर जोइंट सेक्रेटरीज़ स्तर तक के अधिकारियों को अपने-अपने मंत्रालयों से भी अनुमति लेनी होती है।

अन्य तथ्य:

उल्लेखनीय है कि यात्रा का समय, किस देश की यात्रा की जानी है व साथ ही कितने शिष्ट मंडल सदस्य (Delegation) जाने हैं आदि तथ्यों के आधार पर नियमों में परिवर्तन संभव है।

स्रोत: द इंडियन एक्सप्रेस


विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

चिकित्सा क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार

प्रीलिम्स के लिये:

नोबल पुरस्कार, विश्व डोपिंग रोधी संस्था से संबंधित तथ्य

मेन्स के लिये:

डोपिंग से संबंधित मुद्दे और खेल नैतिकता

चर्चा में क्यों

अमेरिकी वैज्ञानिक विलियम जी. कैलिन, ग्रेग सेमेंजा और ब्रिटेन के पीटर जे. रैटक्लिफ को वर्ष 2019 के चिकित्सा क्षेत्र के नोबेल पुरस्कार के लिये चुना गया है।

प्रमुख बिंदु:

  • यह पुरस्कार कोशिकाओं द्वारा शरीर में ऑक्सीजन की उपलब्धता के अनुसार अनुकूलित होने की प्रक्रिया पर अनुसंधान हेतु दिया गया है।
  • तीनों वैज्ञानिकों ने उस आनुवंशिक प्रक्रिया के बारे में बताया जो कोशिकाओं को ऑक्सीजन के विभिन्न स्तरों पर प्रतिक्रिया करने की अनुमति देती है।
  • गर्दन में बड़ी रक्त वाहिकाओं के बगल में मौजूद विशिष्ट कोशिकाएँ रक्त में ऑक्सीजन स्तर को महसूस करती हैं और मस्तिष्क को सतर्क करती हैं कि जब रक्त में ऑक्सीजन का स्तर कम हो तो वह श्वसन की दर को बढ़ाने हेतु आदेश दे। इस खोज को पहले ही 1938 में नोबेल पुरस्कार मिल चुका है।
    • पिछली शताब्दी की शुरुआत में वैज्ञानिकों को पता था कि गुर्दे में मौजूद विशेष कोशिकाएँ एरिथ्रोपोइटिन नामक एक हार्मोन को उत्पादित और स्त्रावित करती हैं। ऊँचाई में जाने पर जब शरीर में ऑक्सीजन का स्तर कम होता है तो कोशिकाओं द्वारा इस हार्मोन का उत्पादन और स्त्रावण अधिक मात्रा में किया जाता है, जिससे अस्थि मज्जा में लाल रक्त कोशिकाओं के उत्पादन में वृद्धि होती है तथा शरीर को अधिक ऊँचाई हेतु अनुकूलित होने में मदद मिलती है।
    • लाल रक्त कोशिकाओं को बढ़ाने के अलावा यह हार्मोन शरीर में रक्त की आपूर्ति बढ़ाने के लिये नई रक्त वाहिकाओं में भी वृद्धि करता है।

शोध संबंधी महत्त्वपूर्ण बिंदु :

  • प्रो. ग्रेग सेमेंजा और सर रैटक्लिफ ने शोध किया कि किस प्रकार विभिन्न ऑक्सीजन स्तरों द्वारा एरिथ्रोपोइटिन (Erythropoitin) जीन को नियंत्रित किया जाता है।
  • शोध के अनुसार, ऑक्सीजन संवेदी तंत्र केवल एरिथ्रोपोइटिन उत्सर्जित करने वाले गुर्दों तक ही सीमित नहीं है बल्कि यह अन्य ऊतकों की कोशिकाओं द्वारा भी नियंत्रित होता है।
  • प्रो.सेमेंज़ा द्वारा एक जीन के जोड़े की पहचान की गई है, जो 2 प्रोटीनों को मुक्त करता है। इन प्रोटीनों में एक hif-1alpha है, जो ऑक्सीजन स्तर कम होने की स्थिति में एरिथ्रोपोइटिन हॉर्मोन के उत्पादन को बढ़ाने हेतु एरिथ्रोपोइटिन जीन सहित कुछ अन्य जीनों को सक्रिय कर देता है। हॉर्मोन के सक्रिय होते ही लाल रक्त कोशिकाओं के उत्पादन में वृद्धि कर ऑक्सीजन स्तर को बढ़ा देता है।
  • प्रो.कैलिन “वॉन हिप्पेल-लिंडौ” (Von Hippel Lindau-VHL) नामक एक वंशानुगत बीमारी पर अध्ययन कर रहे थे, जिसमें उन्होंने पाया कि कोशिकाएँ, ऑक्सीजन के प्रति जो भी प्रतिक्रिया देती हैं, उसमें VHL जीन शामिल होता है।
  • HIF-1alpha प्रोटीन, जो अधिक एरिथ्रोपोइटिन का उत्पादन करने के लिये जीन को सक्रिय करता है, ऑक्सीजन स्तर के सामान्य होने पर अवरुद्ध हो जाता है, लेकिन ऑक्सीजन का स्तर गिरते ही यह पुनः अपना कार्य शुरू कर देता है।
  • सर रैटक्लिफ ने पाया कि VHL, HIF-1alpha प्रोटीन के साथ संपर्क करता है और ऑक्सीजन स्तर सामान्य होने पर इससे संपर्क तोड़ देता है। इसी कारण ऑक्सीजन स्तर सामान्य होने पर अतिरिक्त लाल रक्त कोशिकाओं का उत्पादन नहीं होता है।

शोध के अनुप्रयोग:

  • जीव-जंतुओं के जीवन हेतु ऑक्सीजन अत्यंत आवश्यक है। इसके अतिरिक्त भोजन को उपयोगी ऊर्जा में बदलने के लिये भी माइट्रोकॉन्ड्रिया द्वारा ऑक्सीजन का ही उपयोग किया जाता है।
  • ऑक्सीजन कोशिकाओं के अस्तित्व के लिये भी आवश्यक है, ऑक्सीजन कीअधिक या बहुत कम मात्रा प्रतिकूल स्वास्थ्य परिणाम पैदा कर सकती है।
  • गहन व्यायाम के दौरान ऑक्सीजन की आपूर्ति मांसपेशियों में अस्थायी रूप से कम हो जाती है और ऐसी स्थितियों में कोशिकाएँ अपने चयापचय को कम ऑक्सीजन स्तर तक अनुकूलित करती हैं।
  • भ्रूण और प्लेसेंटा की उचित वृद्धि कोशिकाओं की ऑक्सीजन को प्रबंधित करने की क्षमता पर निर्भर करती है।
  • ऑक्सीजन संवेदी तंत्र के संबंध में अनुसंधान को बढ़ावा देकर कई बीमारियों का उपचार किया जा सकता है।

एरिथ्रोपोइटिन (Erythropoitin) क्या है?

  • एरिथ्रोपोइटिन, जिसे हेमेटोपोइटिन (Hematopoietin) या हेमोपोइटिन (Hemopoietin) कहा जाता है, मुख्य रूप से गुर्दे की कोशिकाओं द्वारा उत्पादित हॉर्मोन है जो लाल रक्त कोशिकाओं के उत्पादन को बढ़ाने में सहायता करता है।
  • क्रोनिक किडनी रोग के कारण रक्ताल्पता (Anaemia) के शिकार लोगों में एरिथ्रोपोइटिन का उपयोग रक्त में ऑक्सीजन का स्तर बढ़ाने हेतु किया जाता है।
  • एथलीट्स के लिये एरिथ्रोपोइटिन का प्रयोग विश्व डोपिंग रोधी संस्था (World Anti Doping Agency-WADA) द्वारा प्रतिबंधित है।

वॉन हिप्पेल-लिंडौ (Von Hippel Lindau-VHL) सिंड्रोम:

  • VHL एक वंशानुगत विकार है जिससे शरीर के अलग-अलग हिस्सों में ट्यूमर या अल्सर हो जाता है।

विश्व डोपिंग रोधी संस्था

(World Anti Doping Agency- WADA):

  • विश्व डोपिंग रोधी एजेंसी की स्थापना वर्ष 1999 में स्विट्ज़रलैंड के लुसेन शहर में की गई थी।
  • वैज्ञानिक अनुसंधान, शिक्षा, डोपिंग रोधी क्षमता का विकास और विश्व एंटी-डोपिंग कोड की निगरानी, सभी खेलों तथा देशों में डोपिंग विरोधी नीतियों में सामंजस्य रखना इसका प्रमुख काम है।

स्रोत: द हिन्दू


विविध

Rapid Fire करेंट अफेयर्स (15 October)

1. जल्द शुरू होगा भारत का ‘नाविक’

  • स्मार्टफोन पर रास्ता या भौगोलिक स्थिति (Location-लोकेशन) ढूँढने के लिये अमेरिका के ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (GPS) की जगह पर इस साल के अंत से भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन, इसरो द्वारा विकसित 'नाविक' का इस्तेमाल किया जा सकेगा।
  • मोबाइल तथा अन्य दूरसंचार उपकरणों के लिये चिपसेट बनाने वाली अमेरिकी कंपनी क्वॉलकॉम ने भौगोलिक स्थिति तथा मापन के लिये इसरो के नेविगेशन विद इंडियन कॉन्सटेलेशन (नाविक) सिस्टम का परीक्षण पूरा कर लिया है।
  • 'नाविक' इसरो द्वारा स्थापित उपग्रहों के तंत्र पर काम करता है जिसे भारतीय उपमहाद्वीप में GPS के विकल्प के रूप में विकसित किया गया है।
  • क्वालकॉम के स्नैपड्रैगन प्लेटफॉर्म पर 'नाविक' का पहला प्रदर्शन राजधानी के एयरोसिटी में तीन दिवसीय भारतीय मोबाइल कांग्रेस के दौरान किया गया।
  • क्वालकॉम ने भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी के साथ मिलकर अपना नया चिपसेट प्लेटफॉर्म विकसित किया है।
  • 'नाविक' के इस्तेमाल के लिये इसरो से प्रौद्योगिकी खरीदने वाली क्वालकॉम पहली बड़ी चिपसेट कंपनी है।
  • इससे भारतीय उपमहाद्वीप में 'नाविक' के प्रसार, भौगोलिक स्थिति के मापन को बेहतर बनाने तथा ऑटोमोटिव और इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) से जुड़े समाधान ढूँढने में मदद मिलेगी।

2. एस.एस. मल्लिकार्जुन राव

  • वित्तीय सेवा विभाग के एस.एस. मल्लिकार्जुन राव को पंजाब नेशनल बैंक का प्रबंध निदेशक (Managing Director-MD) और मुख्य कार्यकारी अधिकारी (Chief Executive Officer-CEO) नियुक्त किया गया है।
  • इससे पहले वह इलाहाबाद बैंक के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी थे। इस नए पद पर उनका कार्यकाल 18 सितंबर, 2021 तक का होगा।

गौरतलब है कि यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया (UBI), पंजाब नेशनल बैंक (PNB) और ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स (OBC) की विलय की गई इकाइयाँ 1 अप्रैल 2020 से कार्य शुरू करेंगी। संभव है कि इसे कोई नया नाम दिया जाए।


3. अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार

  • रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंस ने वर्ष 2019 के अर्थशास्त्र के नोबेल पुरस्कार के लिये भारतीय मूल के अभिजीत बनर्जी, फ्रांस-अमेरिका मूल की एस्थर डुफ्लो और माइकल क्रेमर को संयुक्त रूप से विजेता घोषित किया है।
  • इन तीनों को यह पुरस्कार वैश्विकी गरीबी को कम करने के लिये किये गए उपायों के लिये दिया गया है।
  • गौरतलब है कि अभिजीत बनर्जी और एस्थर डुफ्लो पति-पत्नी हैं, एस्थर डुफ्लो अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार जीतने वाली सबसे युवा (46 वर्षीय) विजेता हैं।
  • नोबेल पुरस्कार की 9 मिलियन डॉलर की राशि तीनों अर्थशास्त्रियों के बीच बराबर-बराबर बाँटी जाएगी

कौन है अभिजीत बनर्जी?

  • अभिजीत बनर्जी का जन्म भारत के कोलकाता में 21 फरवरी, 1961 को हुआ था। फिलहाल वह एक अमेरिकी नागरिक हैं।
  • अभिजित बनर्जी ने जवाहर लाल नेहरु यूनिवर्सिटी (JNU) से अर्थशास्त्र में MA की पढ़ाई पूरी की है। इसके बाद वह आगे की पढ़ाई के लिये अमेरिका चले गए थे।
  • अभिजीत बनर्जी अब्दुल लतीफ जमील पॉवर्टी एक्शन लैब के सह-संस्थापक हैं। इसके अलावा वह कंसोर्टियम ऑन फाइनेंशियल सिस्टमस एंड पॉवर्टी के भी सदस्य हैं।

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