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डेली न्यूज़

  • 16 Oct, 2019
  • 35 min read
शासन व्यवस्था

विश्व खाद्य दिवस

प्रारंभिक परीक्षा के लिये:

विश्व खाद्य दिवस, राष्ट्रीय पोषण माह, ग्लोबल हंगर इंडेक्स

मेन्स के लिये:

राष्ट्रीय पोषण अभियान, भारत में कुपोषण के कारण और इससे निपटने के उपाय

चर्चा में क्यों?

प्रधानमंत्री द्वारा अपने मन की बात कार्यक्रम के संबोधन में सितंबर 2019 को ‘राष्ट्रीय पोषण माह’ के रूप में मनाने का आह्वान किया गया।

प्रमुख बिंदु

  • विश्व खाद्य दिवस 16 अक्तूबर को विश्व स्तर पर मनाया जाता है।वर्ष 2019 के लिये इसकी थीम हमारा कार्य हमारा भविष्‍य, स्वस्थ आहार दुनिया को वर्ष 2030 तक भूख से मुक्‍त बनाने के लिये है।
  • इस कार्यक्रम का उद्देश्य महिलाओं और बच्चों को कुपोषण से मुक्ति और एक स्वस्थ भविष्य सुनिश्चित करने के लिए राष्ट्रीय पोषण अभियान के बारे में लोगों के बीच जागरूकता फैलाना है।

भारत की स्थिति

  • वाशिंगटन विश्वविद्यालय द्वारा ग्लोबल बर्डन ऑफ डिज़ीज़ स्टडी-2017 (Burden of Disease Study-2019) के अनुसार, भारत में मृत्यु और विकलांगता के प्रमुख कारणों में कुपोषण एक मुख्य कारण है।
  • खाद्य और कृषि संगठन (Food and Agriculture Organization- FAO) के अनुसार भारत में लगभग 194.4 मिलियन लोग (कुल जनसंख्या का 14.5%) अल्पपोषित हैं।
  • ग्लोबल हंगर इंडेक्स-2018 में भारत ने 103वीं रैंक हासिल की थी जबकि वर्ष 2019 में इसकी स्थिति में केवल एक स्थान का सुधार हुआ है तथा यह 102वें स्थान पर पहुँच गया है जो कि एक दयनीय स्थिति है।
    • इस इंडेक्स को जारी करने के 4 मानदंड हैं।
  1. चाइल्ड स्टन्टिंग (Child Stunting)- 5 वर्ष तक की आयु के अनुसार उनकी लंबाई का कम होना।
  2. चाइल्ड वेस्टिंग (Child Wasting) - 5 वर्ष तक की आयु के बच्चों में उनकी लंबाई के अनुसार वज़न का कम होना
  3. बाल मृत्यु दर
  4. अल्पपोषण (Under Nutrition)

राष्ट्रीय पोषण अभियान

  • इस मिशन को भारत सरकार के महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय तथा नीति आयोग द्वारा संयुक्त रूप से वर्ष 2017-2018 में शुरू किया था।
  • मिशन का लक्ष्य कुपोषण और जन्म के समय बच्चों का वज़न कम होने संबंधी समस्याओं को प्रत्येक वर्ष 2 प्रतिशत तक कम करना है।
  • इसके साथ ही कुपोषण के उन्मूलन से संबंधित सभी मौजूदा योजनाओं एवं कार्यक्रमों को एकजुट कर एक बेहतर और समन्वित मंच प्रदान करना है।

भारत में कुपोषण की समस्या क्यों?

  • स्वस्थ आहार भोजन और पोषण आपूर्ति हेतु एक आवश्यक तत्त्व है
  • भारत में पिछले कुछ सालों में काफी हद तक खाद्य उपभोग के पैटर्न में बदलाव आया है जहाँ पहले खाद्य उपभोग में विविधता के लिये पारंपरिक अनाज (ज्वार, जौ, बाजरा आदि) उपयोग में लाया जाता था, वहीँ वर्तमान में इनका उपभोग कम हो गया है।
  • पारंपरिक अनाज, फल और अन्य सब्जियों के उत्पादन में कमी के कारण इनकी खपत भी कम हुई जिससे खाद्य और पोषण सुरक्षा प्रभावित हुई।
  • हालाँकि आज़ादी के बाद से खाद्यान्न उत्पादन में 5 गुना बढ़ोतरी हुई है। लेकिन कुपोषण का मुद्दा अभी भी चुनौती बना हुआ है।
  • भारत में भुखमरी की समस्या वास्तव में खाद्य की उपलब्धता न होने के कारण ही नहीं बल्कि देश में मांग और आपूर्ति के बीच अंतराल भी एक मुख्य समस्या है।
  • जनसंख्या के कुछ वर्गों की खरीद क्षमता में कमी भी एक प्रमुख समस्या है क्योंकि ये वर्ग पोषक खाद्य पदार्थों जैसे- दूध, फल, मांस, मछली, अंडा आदि खरीदने में समर्थ नहीं हैं।

खाद्य और कृषि संगठन

(Food and Agriculture Organization-FAO)

  • संयुक्‍त राष्‍ट्र संघ तंत्र की सबसे बड़ी विशेषज्ञता प्राप्त एजेंसियों में से एक है जिसकी स्‍थापना वर्ष 1945 में कृषि उत्‍पादकता और ग्रामीण आबादी के जीवन निर्वाह की स्‍थिति में सुधार करते हुए पोषण तथा जीवन स्‍तर को उन्‍नत बनाने के उद्देश्य के साथ की गई थी।
  • खाद्य और कृषि संगठन का मुख्यालय रोम, इटली में है।

आगे की राह

  • सार्वजनिक वितरण प्रणाली ( Public Distribution System-PDS) में खाद्य आपूर्ति और पोषण हेतु नए प्रकार के खाद्य आइटम शामिल किये जा सकते हैं।
  • बड़े किसानों हेतु कृषि प्रणाली में खाद्यान्न विविधता को बढ़ावा देने के लिये सरकार को नीतियाँ बनाने की आवश्यकता है।
  • SDG-30 की प्राप्ति के लिये कृषि पर फोकस करने की आवश्यकता है।
  • MSP के माध्यम से किसानों की क्षमता बढ़ाने की ज़रूरत है। कृषि क्षेत्र में अधिक निवेश, कृषि इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे- कोल्ड स्टोरेज, मंडियों तक सड़क का निर्माण, कृषि बाज़ार तथा मंडियों के बीच आपसी संपर्क स्थापित करने की ज़रूरत है।
  • सप्लाई चेन तथा कोल्ड स्टोरेज में निवेश के लिये निजी कंपनियों को आगे आना चाहिये।

एजेंडा 2030 क्या है?

  • वर्ष 2015 से शुरू संयुक्त राष्ट्र महासभा की 70वीं बैठक में अगले 15 वर्षों के लिये सतत् विकास लक्ष्य (Sustainable Development Goals-SDG) निर्धारित किये गए थे।
  • उल्लेखनीय है कि 2000-2015 तक की अवधि के लिये सहस्त्राब्दी विकास लक्ष्यों (Millennium Development Goals-MDG) की प्राप्ति की योजना बनाई गई थी जिनकी समयावधि वर्ष 2015 में पूरी हो चुकी है।
  • तत्पश्चात्, आने वाले वर्षों के लिये औपचारिक तौर पर एक नया एजेंडा (SDG-2030) को सभी सदस्य राष्ट्रों ने अंगीकृत किया था।

स्रोत: द हिंदू


भारत-विश्व

भारत-नीदरलैंड संबंध

प्रीलिम्स के लिये:

मैप पर नीदरलैंड की भौगोलिक स्थिति, LOTUS क्या है,

मेन्स के लिये:

भारत-नीदरलैंड संबंध

चर्चा में क्यों?

हाल ही में नीदरलैंड्स के राजा विलियम अलेक्जेंडर (Willem-Alexander) अपनी पत्नी मैक्सिमा (Maxima) के साथ भारत दौरे पर रहे।

netherland

मुख्य बिंदु

  • भारत और नीदरलैंड्स के बीच आर्थिक साझेदारी द्विपक्षीय संबंधों का एक प्रमुख स्तंभ है।
  • यूरोपीय संघ में नीदरलैंड्स भारत का चौथा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है और भारत में अग्रणी निवेशकों में से एक है।
  • भारत और नीदरलैंड समकालीन चुनौतियों, विशेष रूप से जलवायु संबंधी, साइबर सुरक्षा और आतंकवाद की चिंताओं को साझा करते हैं।
  • भारत और नीदरलैंड प्रौद्योगिकी के मामले में भी एक-दूसरे के पूरक हैं।
  • भारत-डच संबंध 400 वर्ष से अधिक पुराने हैं, लगभग 17वीं शताब्दी ईस्वी में भारत में पहली डच कंपनी (ईस्ट इंडिया कंपनी) स्थापित हुई थी।
  • दोनों देशों के बीच आधिकारिक संबंध वर्ष 1947 में स्थापित हुए थे, जो हमेशा से सौहार्द्रपूर्ण और मैत्रीपूर्ण रहे हैं।
  • दोनों देश लोकतंत्र, बहुलवाद और कानून के शासन के सामान्य आदर्शों को भी साझा करते हैं।

सांस्कृतिक संबंध:

  • वर्तमान में यूरोपीय संघ के देशों में से नीदरलैंड्स में भारतीय प्रवासियों की बड़ी संख्या मौजूद है। नीदरलैंड्स में भारतीय छात्रों और पेशेवर समुदायों की बढ़ती संख्या के चलते दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक संबंधो में मज़बूती देखी जा रही है, साथ ही इससे तकनीकी साझेदारी को भी बढ़ावा मिल रहा है। वर्तमान में नीदरलैंड्स यूरोप में सबसे अधिक भारतीय लोगों की आबादी वाला देश है।

भारत में नीदरलैंड्स का महत्त्व:

  • नीदरलैंड्स ने निर्यात नियंत्रण नियमों (Export Control Regimes) और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में एक स्थायी सीट के लिये भारत के दावे का समर्थन किया है।
  • भारत और नीदरलैंड्स समकालीन चुनौतियों के संबंध में आम चिंताओं को साझा करते हैं जिनमें जलवायु कार्रवाई, साइबर सुरक्षा और आतंकवाद शामिल हैं।
  • स्मार्ट सिटीज़, ग्रीन एनर्जी, स्टार्ट-अप्स, स्मार्ट सॉल्यूशंस आदि नवाचारों के माध्यम से दोनों देशों के बीच संबंधों में सुदृढ़ता देखी जा रही है।

लोटस (LOTUS):

  • इस दौरान केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने स्‍वस्‍थ्‍य पुन: उपयोग सयंत्र के लिये शहरी सीवेज स्ट्रीम के लिये स्‍थानीय उपचार (Local Treatment of Urban Sewage Streams for the Healthy Reuse: LOTUS-HR) कार्यक्रम के दूसरे चरण का शुभारंभ किया।
  • इसमें प्रतिदिन दस हज़ार लीटर सीवेज जल का उपचार किया जाएगा।
  • इस परियोजना को जुलाई 2017 में शुरू किया गया था। इस परियोजना का उद्देश्‍य एक अच्‍छी समग्र अपशिष्‍ट जल प्रबंधन पहुँच का प्रदर्शन करना है, जिसमें स्‍वच्‍छ जल का उत्‍पादन होगा और उसे विभिन्‍न कार्यों में दोबारा प्रयोग किया जा सकेगा।
  • LOTUS-HR परियोजना विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के जैव प्रौद्योगिकी विभाग तथा वैज्ञ‍ानिक अनुसंधान के लिये नीदरलैंड संगंठन (Netherlands Organization for Scientific Research/STW) द्वारा संयुक्‍त रूप से प्रायोजित है।

WETLAB:

  • यह डिज़ाइन से संबंधित एक चुनौती है जिसे जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायता परिषद के जैव प्रौद्योगिकी विभाग (DBT-BIRAC) और नीदरलैंड्स एंटरप्राइज़ एजेंसी द्वारा संयुक्त रूप से तैयार किया गया है।
  • यह प्रतियोगिता का एक नया तरीका है जो भारतीय और डच दोनों के युवा पेशेवरों एवं छात्रों को भारत की शहरी जल चुनौतियों के समाधान के लिये नवाचारी विचारों तथा भारत की नदियों को साफ करने के लिये योगदान हेतु अलग तरह से सोचने हेतु विशिष्‍ट शिक्षण और नेटवर्किंग मंच उपलब्‍ध कराता है।
  • भारत-डच सहयोग का उद्देश्य तकनीकी उद्यमशीलता का सृजन करने तथा स्‍वस्‍थ्‍य पुन: उपयोग के लिये सीवेज जल को स्‍वच्‍छ जल में परिवर्तित करने तथा स्थायी व्‍यापार मॉडल को प्रोत्‍साहन देने के लिये नया मार्ग प्रशस्‍त करना है।

स्रोत: PIB


अंतर्राष्ट्रीय संबंध

शांति के लिये नोबेल पुरस्कार 2019

प्रीलिम्स के लिये:

नोबल पुरस्कार, मैप पर इथियोपिया-इरीट्रिया की अवस्थिति,

मेन्स के लिये:

इथियोपिया-इरीट्रिया के बीच संबंध

चर्चा में क्यों

इथियोपिया के प्रधानमंत्री अबी अहमद को अंतर्राष्ट्रीय शांति और सहयोग के लिये किये गए उनके प्रयासों (विशेष रूप से शत्रु देश इरीट्रिया के साथ शांति स्थापित करने) के लिये वर्ष 2019 के नोबेल शांति पुरस्कार के लिये चुना गया है।

Abai Ahamad

मुख्य बिंदु

  • इथियोपिया के प्रधान मंत्री अबी अहमद अली ने पड़ोसी देश इरीट्रिया के साथ 20 वर्ष से चल रहे युद्ध का अंत किया।
  • दोनों देशों ने व्यापार, कूटनीतिक और यात्रा संबंधों को पुन: स्थापित किया तथा हॉर्न ऑफ अफ्रीका ‘शांति और मित्रता का एक नया युग’ प्रारंभ किया।

इथियोपिया-इरीट्रिया संघर्ष की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

  • वर्ष 1993 में इरीट्रिया इथियोपिया से अलग होकर एक स्वतंत्र देश बना, जो लाल सागर के तट पर हॉर्न ऑफ अफ्रीका (Horn of Africa) में स्थित था।

Horn of Africa

  • लेकिन इरीट्रिया के स्वतंत्र होने के पाँच वर्ष बाद ही बाडमे (Badme) शहर पर नियंत्रण को लेकर दोनों देशों के बीच फिर से सैन्य गतिरोध शुरू हो गया। उल्लेखनीय है बाडमे एक सीमावर्ती शहर है लेकिन इसका कोई स्पष्ट महत्त्व नहीं है।
  • जैसे ही दोनों देशों के बीच संघर्ष एक बड़े शरणार्थी संकट के रूप में विकसित हुआ इरीट्रिया के हज़ारों लोग देश छोड़कर यूरोप भाग गए।
  • जून 2000 में दोनों देशों ने एक शांति समझौते पर हस्ताक्षर किये। इस समझौते ने औपचारिक रूप से युद्ध को समाप्त कर दिया और विवाद को निपटाने के लिये एक सीमा आयोग की स्थापना की।
  • आयोग ने 2002 में अपना "अंतिम और बाध्यकारी" जनादेश दिया और बाडमे इरीट्रिया को सौंप दिया गया।

इथियोपिया-इरीट्रिया के बीच शांति

  • इथियोपिया एक स्थलाबद्ध देश है, यही कारण है कि और इरीट्रिया के साथ चले लंबे युद्ध के दौरान यह अदन की खाड़ी और अरब सागर तक पहुँच बनाने के लिये जिबूती पर बहुत अधिक निर्भर हो गया था।
  • इथियोपिया-इरीट्रिया के बीच हुए शांति समझौते के परिणामस्वरूप इथियोपिया के लिये इरीट्रिया बंदरगाहों के प्रयोग का मार्ग प्रशस्त कर दिया जिससे जिबूती पर इसकी निर्भरता को संतुलित करने में सहायता मिली।
  • दूसरी ओर, इथियोपिया के साथ निरंतर चले युद्ध के कारण इरीट्रिया को भी न केवल आर्थिक स्थिरता बल्कि सामाजिक एवं कूटनीतिक अलगाव का सामना करना पड़ा।
  • इरीट्रिया को देश में बार-बार मानवाधिकारों के उल्लंघन के लिये संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग के आरोपों का भी सामना करना पड़ा।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस


विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

तांबे को क्षरण से बचाने की एक नई तकनीक

प्रीलिम्स के लिये:

तांबा धातु तथा भारत में खनिजों की स्थिति, स्क्वेरिन (squaraine), ‘फ्लोटिंग फिल्म ट्रांसफर मैथड’ (Floating Film Transfer Method)

मेन्स के लिये:

तांबा क्षरण को रोकने का ‘फ्लोटिंग फिल्म ट्रांसफर मैथड’ (Floating Film Transfer Method)

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT), बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय(BHU), वाराणसी के शोधार्थियों ने प्रसिद्ध वाणिज्यिक धातु तांबे को क्षरण से बचाने के लिये अपेक्षाकृत कम लागत वाली विधि की खोज की है।

मुख्य बिंदु:

  • वैज्ञानिकों ने तांबा क्षरण की समस्या से निपटने के लिये पिछले कुछ वर्षों में कई तकनीकों का विकास किया है परंतु ये तकनीक बहुत महँगी और जटिल हैं तथा अम्लीय प्रभाव में तांबे को क्षरण से अपूर्ण सुरक्षा प्रदान करती हैं।
  • शोधार्थियों ने तांबे को क्षरण से बचाने के लिये ‘फ्लोटिंग फिल्म ट्रांसफर मैथड’ (Floating Film Transfer Method) का प्रयोग किया। इस विधि के अंतर्गत एक कार्बनिक पदार्थ ‘स्क्वेरिन’ (Squaraine) की बहुत पतली फिल्म प्राप्त करके उसे तांबे से निर्मित पदार्थों पर कई परतों के रूप में लपेटा जाता है।

फ्लोटिंग फिल्म ट्रांसफर मैथड:

  • तांबे के क्षरण की समस्या से निपटने के लिये भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, वाराणसी द्वारा प्रयोग में लाई गई ‘फ्लोटिंग फिल्म ट्रांसफर मैथड’ का हाइड्रोक्लोराइड की उपस्थिति में परीक्षण किया गया तथा वैद्युत रसायन तकनीकों के साथ-साथ सतही लक्षण तकनीकों का भी परीक्षण किया गया।
  • इस विधि के अंतर्गत किये गए परीक्षणों से पता चला कि तांबे से बने पदार्थों पर ‘स्क्वेरिन’ (Squaraine) की एक परत चढ़ाने से लगभग 40% तक क्षरण कम हो जाता है तथा ‘स्क्वेरिन’ (Squaraine) की चार परत चढ़ाने से तांबा क्षरण में लगभग 98% तक कमी आती है।
    • स्क्वेरिन (Squaraine)
      • स्क्वेरिन (Squaraine) एक कार्बनिक पदार्थ है जिसकी रासायनिक संरचना बहुत रोचक होती है।
      • स्क्वेरिन (Squaraine) के एक छोर पर जल विरोधी (Hydrofobic) कार्यात्मक समूह तथा दूसरे छोर पर जल स्नेही (Hydrophilic) कार्यात्मक समूह होता है तथा ये दोंनों समूह मध्य में एक वर्ग द्वारा जुड़े रहते हैं।
      • चूँकि ‘स्क्वेरिन’ (Squaraine) जल विरोधी और जल स्नेही दोनों विलायकों में घुल जाता है, अतः स्क्वेरिन का जल स्नेही छोर धातु की सतह की तरफ चिपका दिया जाता है तथा जल विरोधी छोर को हवा में छोड़ दिया जाता है। इस प्रकार ‘स्क्वेरिन’ (Squaraine) के जल विरोधी अणु संक्षारण अणुओं से प्रतिक्रिया करके तांबे को क्षरण होने से बचाए रखते हैं।
  • भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT), वाराणसी के शोधार्थियों के अनुसार, भविष्य में ‘फ्लोटिंग फिल्म ट्रांसफर मैथड’ (Floating Film Transfer Method) में ‘स्क्वेरिन’ (Squaraine) के स्थान पर कई अन्य सस्ते पदार्थों की परत को भी क्षरण से सुरक्षा के लिये प्रयोग में लाया जा सकता है।

तांबा (Copper):

  • तांबा प्रकृति में मुक्त तथा संयुक्तावस्था दोनों में पाया जाता है।
  • इसका परमाणु क्रमांक 29 है।
  • तांबे का प्रमुख अयस्क कैल्कोपाइराइट है, जिससे तांबे का निष्कर्षण फेन प्लवन विधि द्वारा होता है।
  • तांबा विद्युत का सुचालक होता है, इसीलिये विद्युत तार, विद्युत मीटर बाइंडिंग आदि में इसका प्रयोग किया जाता है।

स्रोत- डाउन टू अर्थ


भारतीय अर्थव्यवस्था

तीसरा भारतीय ऊर्जा मंच

प्रीलिम्स के लिये:

CERAWeek

मेन्स के लिये:

ऊर्जा क्षेत्र में संभावनाएँ

चर्चा में क्यों?

हाल ही में नई दिल्ली में कैम्ब्रिज एनर्जी रिसर्च एसोसिएट्स वीक (Cambridge Energy Research Associates-CERAWeek) के तीसरे भारतीय ऊर्जा फोरम में मंत्रिस्तरीय वार्ता संपन्न हुई।

प्रमुख बिंदु

  • राष्ट्रीय के साथ-साथ क्षेत्रीय ऊर्जा कंपनियों, संस्थानों और सरकारों ने पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय के संरक्षण में आयोजित इस मंच में भाग लिया।
  • भारत आने वाले दशकों में ऊर्जा की भारी मांग और विकास की संभावना को देखते हुए विश्व में वैश्विक ऊर्जा मांग का अत्यंत महत्त्वपूर्ण कारक साबित होगा।
  • ऊर्जा की इस भारी मांग को पूरा करने के लिये भारत व्यावसायिक दृष्टि से व्यवहार्य सभी ऊर्जा स्रोतों को लागू करेगा।
  • भारत ज़िम्मेदारी के साथ ऊर्जा के क्षेत्र में बदलाव की अपनी दिशा स्वयं तय करेगा और वैश्विक ऊर्जा में बदलाव को प्रभावित करेगा।
    • विद्युत क्षमता में नवीकरणीय ऊर्जा के हिस्से में पर्याप्त वृद्धि हुई है जो इस समय 22 प्रतिशत है, जबकि 2014-15 में यह करीब 10 प्रतिशत थी।
    • इथेनॉल सम्मिश्रण 2012-13 में 0.67% से बढ़कर अब 6% हो गया है।
    • इसके अलावा 95 % से ज्यादा परिवारों तक इस समय एलपीजी के पहुँच है।
  • भारतीय ऊर्जा क्षेत्र में तीन महत्त्वपूर्ण बदलाव किये गए हैं
    • गतिशीलता
    • शहरीकरण
    • विद्युत उत्पादन
  • वर्ष 2023 तक भारतीय रेलवे 100 प्रतिशत विद्युतीकरण की स्थिति प्राप्त करने की राह पर है।
  • भारत में कोयले की प्रति व्यक्ति खपत अमेरिका की तुलना में करीब 1/10वां हिस्सा है।
  • भारत खुद को उपरोक्त पहलों के अलावा गैस अर्थव्यवस्था में बदलने की योजना बना रहा है।
    • प्राकृतिक गैस संतुलित ईंधन के लिये एक विकल्प पेश करती है क्योंकि यह नवीकरणीय वस्तुओं की पूर्ति करने में सक्षम साबित हुई है।
  • ऊर्जा के बास्केट में प्राकृतिक गैस एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।

कैम्ब्रिज एनर्जी रिसर्च एसोसिएट्स वीक

(Cambridge Energy Research Associates-CERAWeek)

  • IHS मार्किट (लंदन स्थित वैश्विक सूचना प्रदाता) द्वारा CERAWeek दुनिया का प्रमुख ऊर्जा कार्यक्रम बन गया है।
  • कैम्ब्रिज एनर्जी रिसर्च एसोसिएट्स (CERA) की स्थापना वर्ष 1983 में कैम्ब्रिज में हुई थी।
  • CERA के क्लाइंट प्रत्येक वर्ष कुछ दिनों तक ह्यूस्टन, टेक्सास में एक कार्यकारी सम्मेलन में भाग लेने के लिये एकत्र हुए, जहाँ उन्होंने अपने साथियों के साथ जुड़ते हुए ऊर्जा भविष्य में अंतर्दृष्टि प्राप्त की। कुछ समय पश्चात् कार्यक्रम को पाँच दिवसीय, सूचनात्मक सत्रों और नेटवर्किंग के अवसरों हेतु विस्तारित किया गया जिसका नाम CERAWeek था।

स्रोत: PIB


विविध

Rapid Fire करेंट अफेयर्स (16 October)

1. ‘मेक इन इंडिया’ में मज़बूती लाने के लिये संशोधित कार्यक्रम लॉन्च

केंद्रीय अप्रत्‍यक्ष कर और सीमा शुल्‍क बोर्ड (CBIC) ने भारत में निवेश आकर्षित करने के साथ-साथ सीमा शुल्‍क (कस्‍टम्स) अधिनियम, 1962 के तहत बॉण्ड स्‍कीम के अंतर्गत विनिर्माण एवं अन्‍य परिचालनों के ज़रिये ‘मेक इन इंडिया’ में मज़बूती लाने के लिये एक संशोधित एवं सुव्‍यवस्थित कार्यक्रम शुरू किया है।

  • ज्ञातव्य है कि सीमा शुल्‍क अधिनियम, 1962 की धारा 65 से किसी भी कस्‍टम बॉण्डेड वेयरहाउस में विनिर्माण और अन्‍य परिचालन संभव हो पाते हैं।
  • इस योजना को स्‍पष्‍ट एवं पारदर्शी प्रक्रियाओं, परिचालन संबंधी आवश्‍यकताओं और ICT आधारित प्रलेखन तथा लेखा-जोखा रखने के ज़रिये आधुनिक बना दिया गया है।

योजना की प्रमुख बातें

  • तौर-तरीकों या परिचालन में एकरूपता के लिये एकल आवेदन-सह-मंज़ूरी फॉर्म निर्दिष्‍ट किया गया है।
  • सीमा शुल्क के क्षेत्राधिकार आयुक्त इस तरह की इकाइयों की स्‍थापना तथा उनके परिचालन पर करीबी नजर रखने के लिये मंज़ूरी के एकल बिंदु के रूप में काम करेंगे।
  • ऐसी कोई भौगोलिक सीमा नहीं है जहाँ इस तरह की इकाइयाँ स्‍थापित की जा सकती हैं।
  • सीमा शुल्‍क स्‍थगन कार्यक्रम के तहत संबंधित यूनिट विभिन्‍न वस्‍तुओं (कच्‍चा माल एवं पूंजीगत सामान) का आयात कर सकती है।
  • यदि प्रसंस्‍कृत वस्‍तुओं का निर्यात किया जाता है तो संबंधित शुल्‍क को पूरी तरह से माफ कर दिया जाता है।
  • इसके तहत कोई भी ब्‍याज देनदारी नहीं होगी और बेहतर तरलता (लिक्विडिटी) से संबंधित इकाइयाँ (यूनिट) लाभान्वित होंगी।
  • धारा 65 के अंतर्गत आने वाली यूनिट्स में विनिर्माण एवं अन्‍य परिचालनों में उपयोग के लिये घरेलू बाज़ार से GST अनुरूप वस्‍तुओं की खरीदारी की जा सकती है।
  • कारोबार में सुगमता के साथ-साथ आसान अनुपालन के लिये एकल डिजिटल खाते को निर्दिष्‍ट किया गया है।
  • CBIC ने इस योजना के बारे में आवश्‍यक जानकारी देने तथा इसे प्रोत्‍साहित करने के साथ-साथ निवेशकों की सुविधा के लिये ‘इन्वेस्ट इंडिया’ के साथ मिलकर एक विशेष माइक्रोसाइट लॉन्‍च की है।

इन्वेस्ट इंडिया

इन्वेस्ट इंडिया भारत सरकार की आधिकारिक निवेश संवर्द्धन एवं सुविधा प्रदाता एजेंसी है, जिसे देश में निवेश को सुविधाजनक बनाने की ज़िम्मेदारी सौंपी गई है। यह देश में संभावित वैश्विक निवेशकों के लिये सबसे पहला केंद्र है। ‘इन्वेस्ट इंडिया’ का मुख्य उद्देश्य उद्यमों को व्यावहारिक निवेश सूचनाएँ सुलभ कराते हुए प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को सुविधाजनक बनाना और संबद्ध देशों के आर्थिक विकास में सकारात्मक योगदान करने वाले अवसरों पर ध्यान केंद्रित करने वाली कंपनियों को आवश्यक सहयोग प्रदान करना है।


2. सौरव गांगुली बने BCCI के नए अध्यक्ष

  • पूर्व कप्तान सौरव गांगुली भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) के नए अध्यक्ष होंगे।
  • इसकी घोषणा BCCI के पूर्व सदस्य राजीव शुक्ला ने की।
  • सौरव गांगुली के अलावा अन्य किसी ने पद के लिये नामांकन दाखिल नहीं किया। उनके निर्विरोध निर्वाचन की विधिवत घोषणा 23 अक्तूबर को होगी।
  • वह 10 महीने के लिये बोर्ड के अध्यक्ष होंगे। सौरव गांगुली 5 साल 2 महीने से बंगाल क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष हैं।
  • नए नियमों के अनुसार, बोर्ड का कोई भी सदस्य लगातार 6 साल तक ही किसी पद पर रह सकता है।
  • इस तरह सौरव गांगुली का बोर्ड में कार्यकाल सितंबर 2020 में समाप्त हो जाएगा।
  • सौरव गांगुली BCCI के ऐसे पहले अध्यक्ष होंगे, जिनके पास 400 से ज़्यादा अंतर्राष्ट्रीय मैचों का अनुभव है, उन्होंने कुल 424 मैच खेले।
  • सौरव गांगुली से पहले वर्ष 1954 से वर्ष 1956 तक 3 टेस्ट खेलने वाले महाराजकुमार ऑफ विजयनगरम (विजय आनंद गणपति राजू) ही पूर्णकालिक अध्यक्ष थे। ।
  • सौरव गांगुली बोर्ड के 35वें अध्यक्ष होंगे, हालाँकि 233 अंतर्राष्ट्रीय मैच खेलने वाले सुनील गावस्कर और 42 मैच खेलने वाले शिवलाल यादव ने भी बोर्ड का नेतृत्व किया, लेकिन दोनों वर्ष 2014 में कुछ समय के लिये अंतरिम अध्यक्ष ही रहे थे।

Saurav Ganguli

BCCI क्या है?

भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) देश में क्रिकेट के लिये राष्ट्रीय शासकीय निकाय है। बोर्ड एक सोसाइटी, तमिलनाडु सोसायटी पंजीकरण अधिनियम के तहत पंजीकृत है और इसका गठन दिसंबर, 1928 में गकिया गया था। यह राज्य क्रिकेट संघों के एक संघ है और राज्य संघों के प्रतिनिधि निर्धारित समय पर BCCI के अधिकारियों का चुनाव करते हैं। BCCI भारतीय क्रिकेट को पोषित करता है और राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर क्रिकेट की भागीदारी सुनिश्चित करता है।बोर्ड का मुख्यालय मुंबई में है। यह जान लेना भी बेहद रोचक है कि भारत में एक स्वायत्त संस्था या सोसाइटी, जैसा कि भारतीय कानून में बीसीसीआई है, को केवल इसलिये एक खेल का आधिकारिक प्रशासक मान लिया गया है क्योंकि एक अंतर्राष्ट्रीय संस्था इसकी टीम को ही भारतीय टीम की मान्यता देती है।


3. समुद्री राज्‍य विकास परिषद की 17वीं बैठक

  • हाल ही में जहाजरानी मंत्रालय ने समुद्री राज्‍य विकास परिषद (MSDC) की 17वीं बैठक का आयोजित की।
  • जहाजरानी मंत्रालय देश के छोटे और बड़े बंदरगाहों के बीच आपसी क्रियाकलाप के आधार पर बंदरगाहों के लिये राष्‍ट्रीय ग्रिड बनाने की योजना पर काम कर रहा है।
  • देश में 204 छोटे बंदरगाह हैं, जिसमें से केवल 44 काम कर रहे हैं। ये सभी बंदरगाह पहले समुद्री गतिविधियों के केन्‍द्र थे और इन्‍हें पुनर्जीवित करने से ये एक बार फिर समुद्री व्‍यापार के महत्‍वपूर्ण केन्‍द्र बन सकते हैं।
  • सरकार चाहती है कि प्रमुख और छोटे बंदरगाह मिल-जुलकर काम करें, ताकि देश में बंदरगाह संचालित विकास हो सके।
  • तटीय जहाजरानी और अंतरदेशीय जलमार्ग क्षेत्र देश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। किफायती और प्रदूषण मुक्त जल परिवहन देश में लॉजिस्टिक की लागत कम कर सकती है, जिससे विश्व बाजार में भारतीय वस्तुएं अधिक प्रतिस्पर्द्धा कर सकती है।

समुद्री राज्‍य विकास परिषद (MSDC)

  • MSDC समुद्री क्षेत्र के विकास के लिये एक शीर्ष सलाहकार निकाय है और इसका उद्देश्य प्रमुख और गैर-प्रमुख बंदरगाहों के एकीकृत विकास को सुनिश्चित करना है।
  • MSDC का गठन मई, 1997 में राज्य सरकारों के साथ परामर्श करने संबंधित समुद्री राज्‍यों द्वारा या तो प्रत्‍यक्ष या कैप्टिव उपयोगकर्ताओं तथा निजी भागीदारी द्वारा मौजूदा और नए छोटे बंदरगाहों के भविष्‍य में विकास के लिये किया गया था।
  • इसके अलावा यह छोटे बंदरगाहों, कैप्टिव बंदरगाहों के विकास की भी निगरानी करता है ताकि उनका प्रमुख बंदरगाहों के साथ एकीकृत विकास सुनिश्चित करने के साथ-साथ सड़क/रेल/आईडब्‍ल्‍यूटी जैसी अन्‍य बुनियादी जरूरतों का आकलन करके संबंधित मंत्रालयों को उचित सिफारिशें की जा सकें।

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