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डेली न्यूज़

  • 17 Oct, 2019
  • 36 min read
भारतीय इतिहास

मणिपुर और त्रिपुरा का विलय

प्रीलिम्स के लिये:

मणिपुर और त्रिपुरा राज्य की अवस्थिति और भौगोलिक विशेषताएँ

मेन्स के लिये:

भारत का एकीकरण और उनसे संबंधित मुद्दे

चर्चा में क्यों?

15 अक्तूबर, 2019 को भारत के दो उत्तर-पूर्वी राज्यों (मणिपुर और त्रिपुरा) में यह तर्क देते हुए बंद का आह्वान किया गया कि भारत में इन राज्यों का विलय राज्य के प्रतिनिधियों से परामर्श किये बिना ही कर दिया गया था।

मुख्य बिंदु

  • गैरकानूनी विद्रोही समूहों, अलायंस फॉर सोशलिस्ट यूनिटी कंगलिपक (Alliance for Socialist Unity Kangleipak- ASUK) और नेशनल लिबरेशन फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (National Liberation Front of Tripura- NLFT) ने त्रिपुरा और मणिपुर में 15 अक्तूबर, 2019 को दो उत्तर-पूर्वी राज्यों को बंद का आह्वान इस तर्क के साथ किया था कि इन दोनों राज्यों को "विलय के तहत" भारतीय संघ में मिला दिया गया था।
  • NLFT पर वर्ष 1997 में गैरकानूनी गतिविधियाँ (रोकथाम) अधिनियम और फिर आतंकवाद निरोधक अधिनियम (Prevention of Terrorism Act- POTA) 2002 के तहत प्रतिबंध लगाया गया था।

भारत में मणिपुर का विलय

  • 15 अगस्त, 1947 से पहले शांतिपूर्ण वार्ता के ज़रिये ऐसे लगभग सभी राज्यों, जिनकी सीमाएँ भारतीय संघ के साथ लगती थीं, को एकजुट कर लिया गया था।
  • अधिकांश राज्यों के शासकों ने ‘परिग्रहण के साधन (Instrument of Accession)’ नामक एक दस्तावेज़ पर हस्ताक्षर किये, जिसका अर्थ था कि उनका राज्य भारत संघ का हिस्सा बनने के लिये सहमत हो गया था।
  • आज़ादी के समय मणिपुर के महाराजा बोधचंद्र सिंह ने मणिपुर की आंतरिक स्वायत्तता को बनाए रखने के लिये विलयपत्र पर हस्ताक्षर किये थे।
  • जनमत के दबाव में, महाराजा ने जून 1948 में मणिपुर में चुनाव कराए और राज्य एक संवैधानिक राजतंत्र बन गया। इस प्रकार मणिपुर चुनाव कराने वाला भारत का पहला भाग था।
  • मणिपुर की विधान सभा में विलय को लेकर अत्यधिक मतभेद थे। भारत सरकार ने सितंबर 1949 में मणिपुर की विधान सभा के परामर्श के बिना एक विलय पत्र पर हस्ताक्षर कराने में सफलता प्राप्त की थी।

भारत में त्रिपुरा का विलय

  • 15 नवंबर, 1949 को भारतीय संघ में विलय होने तक त्रिपुरा एक रियासत थी।
  • 17 मई, 1947 को त्रिपुरा के अंतिम महाराजा बीर बिक्रम सिंह के निधन के पश्चात् महारानी कंचनप्रभा (महाराजा बीर बिक्रम की पत्नी) ने त्रिपुरा राज्य का प्रतिनिधित्व संभाला।
  • भारतीय संघ में त्रिपुरा राज्य के विलय में उन्होंने सहायक की भूमिका निभाई थी।

गैरकानूनी समूहों के तर्क

  • दोनों राज्यों के अक्षम अधिकारियों द्वारा ड्यूरेस के तहत विलय समझौतों पर हस्ताक्षर किये गए थे।
  • एक निर्वाचित विधायिका और सरकार की स्थापना के बाद मणिपुर का राजा राज्य में नाममात्र का शासक रह गया था।
  • एकपक्षीय विलय के बाद त्रिपुरा रियासत में महारानी कंचनप्रभा की भूमिका हमेशा संदेहास्पद रही।
  • कुछ समूहों द्वारा यह तर्क भी दिया जाता है कि इन दोनों राज्यों का विलय अनुचित तरीके से किया गया था।

स्रोत: द हिंदू


सामाजिक न्याय

राज्यों की स्वास्थ्य प्रणाली पर रिपोर्ट

प्रीलिम्स के लिये:

रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष और इसके मापदंड; राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन एवं इससे संबंधित अन्य पहलें

मेन्स के लिये:

रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष, महत्त्व और भूमिका; राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की उपलब्धियाँ, भारत में स्वास्थ्य से संबंधित और उनके के सरकार के द्वारा किये गये प्रयास

चर्चा में क्यों?

हाल ही में केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने राज्यों की हेल्थ सिस्टम स्ट्रेंथनिंग- कंडीशनेलिटी रिपोर्ट ऑफ स्टेट्स (Health System Strengthening-Conditionality Report of States) 2018-19 जारी की।

  • रिपोर्ट के अनुसार, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (National Health Mission- NHM) के विभिन्न मानकों पर 14 राज्यों के खराब प्रदर्शन के कारण उनकी प्रोत्साहन राशि में कटौती की गई है।

कंडीशनेलिटी आधारित वित्तीयन का महत्त्व:

  • निष्पादन आधारित प्रोत्साहन (Performance Based Incentives) किसी भी प्रणाली की उत्पादकता और दक्षता बढ़ाने का कुशल तरीका है।
  • इसी उद्देश्य से स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन में कुछ कंडीशनेलिटिज़ (शर्तों) को जोड़ा गया है।
  • राष्ट्रीय स्वास्थ मिशन के तहत 80% वित्त का आवंटन सामान्य प्रक्रिया से किया जाता है, जबकि 20% वित्त का आवंटन राज्य के निष्पादन पर निर्भर करता है।
  • यह सहकारी और प्रतिस्पर्द्धी संघवाद के माध्यम से देशभर में बेहतर स्वास्थ्य परिणामों को प्रोत्साहित करता है।

कंडीशनेलिटी फ्रेमवर्क

  • वर्ष 2018-19 के लिये कंडीशनेलिटी फ्रेमवर्क में सात प्रमुख संकेतक शामिल हैं, जिनके आधार पर राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के निष्पादन का आकलन किया गया है।
  • प्रोत्साहनों (Incentives) का दावा करने के लिये पूर्ण प्रतिरक्षण कवरेज (Full Immunization Coverage) को क्वालीफाइंग मानक के रूप में स्थापित किया गया था।
संकेतक भारांश
नीति आयोग की रिपोर्ट आधारित स्वास्थ्य परिणामों पर वृद्धिशील सुधार 40
स्वास्थ्य एवं कल्याण केंद्रों का परिचालन 20
मानव संसाधन सूचना प्रणाली (Human Resource Information System- HRIS) का क्रियान्वयन 15
ज़िला अस्पतालों की ग्रेडिंग 10
ज़िलों में मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता 5
30 वर्ष से अधिक आयु वर्ग में गैर-संचारी रोगों की स्क्रीनिंग 5
प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों (ग्रामीण और शहरी) की कार्यात्मकता आधारित रेटिंग 5

रिपोर्ट के प्रमुख निष्कर्ष:

  • वर्ष 2018-19 के लिये 20 राज्य/केंद्रशासित प्रदेश प्रोत्साहन अर्जित करने में सफल रहे।
  • दो राज्यों ने न तो प्रोत्साहन राशि प्राप्त की और न ही उन्हें दंडित किया गया, जबकि शेष राज्यों को खराब प्रदर्शन के लिये दंडित किया गया।
  • अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, नगालैंड और सिक्किम पूर्ण टीकाकरण के न्यूनतम मानदंड (पूर्वोतर एवं EAG राज्यों के लिये 75%) को पूरा नहीं कर सके, इसलिये इन राज्यों के निष्पादन का मूल्यांकन नहीं किया गया तथा चारों राज्यों को दंडित किया गया।
  • पूर्वोत्तर राज्यों में असम, त्रिपुरा तथा मणिपुर ने ही प्रगति दर्ज कराई है और ये प्रोत्साहन राशि प्राप्त करने में सफल रहे।
  • बिहार, उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश तथा मिज़ोरम का प्रदर्शन सबसे खराब रहा। अत: दंडस्वरूप राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत इन राज्यों के निष्पादन आधारित प्रोत्साहन राशि में कटौती की गई है।
  • दादरा और नगर हवेली, हरियाणा, असम, केरल एवं पंजाब सबसे अच्छा निष्पादन करने वाले शीर्ष पाँच राज्य हैं।
  • जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड को निर्धारित संकेतकों पर खराब निष्पादन के कारण दंडित करते हुए इनके प्रोत्साहन राशि में कटौती की गई।
  • सशक्त कार्यवाही समूह राज्यों में ओडिशा ने सबसे अच्छा प्रदर्शन किया।

सशक्त कार्यवाही समूह

(Empowered Action Group- EAG)

  • आठ राज्यों के समूह जिसमें बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड, मध्य प्रदेश, ओडिशा, राजस्थान, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश शामिल हैं, को सशक्त कार्यवाही समूह कहा जाता है।
  • ये राज्य सामाजिक-आर्थिक रूप से पिछड़े हुए हैं, साथ ही जनसांख्यिकीय संक्रमण में पिछड़ गए हैं और देश में सबसे अधिक शिशु मृत्यु दर इन्हीं राज्यों में है।
  • देश की कुल शिशु मृत्यु दर में 60% हिस्सा इन्हीं राज्यों का है।
  • नीति आयोग के स्वास्थ्य परिणामों पर प्रदर्शन संकेतक में 36 में से 20 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों ने प्रगति दिखाई है, जबकि 16 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के प्रदर्शन में पिछले वर्ष की तुलना में गिरावट दर्ज की गई है।
  • पंजाब और दमन एवं दीव क्रमशः राज्यों तथा केंद्रशासित प्रदेशों में स्वास्थ्य व कल्याण केंद्रों के परिचालन के मामले में शीर्ष पर रहे।
  • मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के निर्धारित मानदंड क्रियान्वित न करने के कारण पश्चिम बंगाल, जम्मू-कश्मीर, अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह, बिहार एवं नगालैंड की प्रोत्साहन राशि में कटौती की गई है।
  • 31 में से 27 राज्यों में कम-से-कम 75% ज़िले मानसिक स्वास्थ्य सेवाएँ प्रदान कर रहे हैं। EAG राज्यों में केवल उत्तर प्रदेश और झारखंड ऐसे राज्य हैं जिनमे 75% से भी कम ज़िले मानसिक स्वास्थ्य सेवाएँ प्रदान करा रहे हैं।
  • 30 वर्ष से अधिक आयु वर्ग में गैर-संचारी रोगों की स्क्रीनिंग के मानक पर 23 राज्यों ने आवश्यक मापदंड पूरा किया। इस मानक पर तमिलनाडु, गोवा, दमन और दीव क्रमशः शीर्ष तीन राज्य रहे।
  • असम, छत्तीसगढ़, हरियाणा, केरल, पंजाब और त्रिपुरा ने मानव संसाधन सूचना प्रणाली के कार्यान्वयन के लिये पूर्ण प्रोत्साहन अर्जित किया।

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन: एक सिंहावलोकन

  • राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की वर्ष 2013 में शुरुआत की गई थी।
  • वर्ष 2018 में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन को मार्च, 2020 तक जारी रखने का निर्णय लिया गया।
  • राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन में चार घटक शामिल हैं-
  • राष्‍ट्रीय ग्रामीण स्‍वास्‍थ्‍य मिशन
  • राष्‍ट्रीय शहरी स्‍वास्‍थ्‍य मिशन
  • तृतीयक देखभाल कार्यक्रम
  • स्‍वास्‍थ्‍य तथा चिकित्‍सा शिक्षा के लिये मानव संसाधन।
  • राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत प्रजनन-मातृ-नवजात शिशु-बाल एवं किशोरावस्था स्वास्थ्य (Reproductive-Maternal-Neonatal-Child and Adolescent Health- RMNCH+A) तथा संक्रामक व गैर-संक्रामक रोगों के दोहरे बोझ से निपटने के लिये ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में स्वास्थ्य प्रणाली के सुदृढ़ीकरण पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है।
  • राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन का लक्ष्य न्‍यायसंगत, वहनीय और गुणवत्तायुक्‍त स्‍वास्‍थ्‍य सेवाओं तक सार्वभौम पहुँच सुनिश्चित करना है जो कि लोगों की आवश्यकताओं के प्रति ज़वाबदेह एवं उत्तरदायी हो।

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन का लक्ष्य निम्नलिखित संकेतकों की प्राप्ति सुनिश्चित करना है-

  • मातृ मृत्‍यु दर (MMR) को 1/1000 के स्तर पर लाना।
  • शिशु मृत्यु दर (IMR) को 25/1000 के स्तर पर लाना।
  • कुल प्रजनन दर (TFR) को कम करके 2.1 पर लाना।
  • 15-49 वर्ष की महिलाओं में एनीमिया रोकथाम एवं नियंत्रण।
  • संक्रामक और गैर-संक्रामक रोगों, चोटों तथा उभरते रोगों से होने वाली मौतों को नियंत्रित करना।
  • कुल स्वास्थ्य देखभाल खर्च में व्यक्तिगत आउट-ऑफ-पॉकेट व्यय में कमी लाना।
  • क्षय रोग के वार्षिक मामलों एवं मृत्‍यु दर को घटाकर आधा करना।
  • कुष्ठ रोग की व्यापकता को <1/10000 के स्तर पर लाना और सभी ज़िलों में नए मामलों को भी शून्य तक लाना।
  • मलेरिया के वार्षिक मामलों को <1/1000 के स्तर पर लाना।
  • सभी ज़िलों में माइक्रोफाइलेरिया की व्यापकता को एक प्रतिशत तक कम करना।

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की उपलब्धियाँ और नवीन पहलें

  • राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की शुरुआत के बाद से MMR, पाँच वर्ष से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर अर्थात् अंडर फाइव मॉर्टेलिटी रेट (U5MR) और IMR में गिरावट आई है।
  • भारत में मलेरिया से होने वाली मौतों में वर्ष 2013 और वर्ष 2017 में क्रमश: 49.09% एवं 50.52% तक की कमी दर्ज की गई है।
  • संशोधित राष्ट्रीय क्षयरोग नियंत्रण कार्यक्रम को और सघन किया गया है। पूरे देश में सभी टीबी रोगियों को बेडाक्विलीन और डेलमिनायड की नई दवा की खुराक एवं उपचारावधि के दौरान पोषण सहायता दी जा रही है।
  • वर्ष 2018-19 में 52744 आयुष्मान भारत- स्वास्थ्य एवं कल्याण केंद्रों (AB-HWC) को मंज़ूरी दी गई, जिसके तहत 15000 के लक्ष्य के प्रति 17149 HWC का संचालन किया गया।
  • टेटनस टॉक्साइड वैक्सीन को टेटनस डिप्थीरिया वैक्सीन से प्रतिस्थापित कर दिया गया है जिससे सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम के तहत वयस्कों में डिप्थीरिया प्रतिरक्षण सुनिश्चित किया जा सके।
  • वर्ष 2018 में 17 अतिरिक्त राज्यों में मीजल्स-रूबेला टीकाकरण अभियान चलाया गया, जिसमें मार्च 2019 तक 30.50 करोड़ बच्चों को शामिल किया गया।
  • वर्ष 2018-19 के दौरान रोटावायरस वैक्सीन अतिरिक्त दो राज्यों में शुरू किया गया जिससे वर्तमान में सभी राज्य/केंद्रशासित प्रदेश को इसके अंतर्गत लाभ पहुँचाया जा रहा है।
  • वर्ष 2018-19 के दौरान न्यूमोकोकल कंजुगेटेड वैक्सीन (Pneumococcal Conjugated Vaccine- PCV) का विस्तार मध्‍य प्रदेश, हरियाणा, बिहार, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के शेष ज़िलों में किया गया।
  • पोषण अभियान के तहत अप्रैल 2018 में एनीमिया-मुक्त भारत अभियान शुरू किया गया था।
  • राष्ट्रीय वायरल हेपेटाइटिस नियंत्रण कार्यक्रम को हेपेटाइटिस ए, बी, सी और ई की रोकथाम, प्रबंधन एवं उपचार के लिये अनुमोदित किया गया है जिससे हेपेटाइटिस के अनुमानित 5 करोड़ रोगी लाभान्वित होंगे।

स्रोत: द हिंदू बिज़नेसलाइन


कृषि

20 वीं पशुधन गणना

प्रीलिम्स के लिये:

पशुधन गणना रिपोर्ट

मेन्स के लिये:

पशुधन गणना रिपोर्ट के प्रमुख निष्कर्ष, पशुधन से संबंधित भारत की प्रमुख योजनाएँ

चर्चा में क्यों?

हाल ही में मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय (Ministry of Fisheries, Animal Husbandry and Dairying) ने 20वीं पशुधन गणना रिपोर्ट जारी की है। यह रिपोर्ट पिछली जनगणना के साथ-साथ विभिन्न प्रजातियों के समग्र योग को दर्शाती है।

प्रमुख बिंदु

  • पशुधन गणना-2018 के अनुसार देश में कुल पशुधन आबादी 535.78 मिलियन है, जिसमें पशुधन गणना- 2012 की तुलना में 4.6% की वृद्धि हुई है।
  • पश्चिम बंगाल में पशुओं की संख्या में सबसे अधिक (23%) की वृद्धि हुई, उसके बाद तेलंगाना (22%) का स्थान रहा।
  • देश में कुल मवेशियों की संख्या में 0.8% की वृद्धि हुई है।
  • यह वृद्धि मुख्य रूप से वर्ण शंकर मवेशियों और स्वदेशी मादा मवेशियों की आबादी में तेज़ी से वृद्धि का परिणाम है।

Livestock Heandacount

  • उत्तर प्रदेश में मवेशियों की आबादी में सबसे ज़्यादा कमी देखी गई है, हालाँकि राज्य ने मवेशियों को बचाने के लिये कई कदम उठाए हैं।
    • पश्चिम बंगाल में मवेशियों की आबादी में सबसे अधिक 15% की वृद्धि देखी गई है।
  • कुल विदेशी/क्रॉसब्रीड मवेशियों की आबादी में 27% की वृद्धि हुई है।
    • 2018-19 में भारत के कुल दूध उत्पादन में क्रॉस-ब्रीड मवेशियों का योगदान लगभग 28% था।
    • जर्सी या होलेस्टिन जैसे विदेशी और क्रॉसब्रीड मवेशियों की दुधारू क्षमता अधिक है, इसलिये कृषकों द्वारा इन मवेशियों को अधिक पसंद किया जा रहा है।
    • कुल देशी मवेशियों की आबादी में 6% की गिरावट देखी गई है।
  • राष्ट्रीय गोकुल मिशन के माध्यम से देशी नस्लों के संरक्षण को बढ़ावा देने के सरकार के प्रयासों के बावजूद, भारत के स्वदेशी मवेशियों की संख्या में गिरावट जारी है।
  • उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र आदि राज्यों में सबसे अधिक गिरावट देखी गई है, जिसका कारण बहुत हद तक गौहत्या कानून है।
  • कुल दुधारू मवेशियों में 6% की वृद्धि देखी गई है।
    • आँकड़े बताते हैं कि देश में कुल मवेशियों का लगभग 75% मादा (गाय) हैं, यह दुग्ध उत्पादक पशुओं के लिये डेयरी किसानों की वरीयताओं का एक स्पष्ट संकेत है। गायों की संख्या में वृद्धि का कारण सरकार द्वारा किसानों को उच्च उपज वाले बैल के वीर्य के साथ कृत्रिम गर्भाधान की सुविधा प्रदान करना है।
  • बेकयार्ड पोल्ट्री में लगभग 46% की वृद्धि हुई है।
    • बेकयार्ड मुर्गी पालन में वृद्धि ग्रामीण परिदृश्य में एक महत्त्वपूर्ण बदलाव है जो गरीबी उन्मूलन के संकेत को दर्शाता है।
    • कुल गोजातीय जनसंख्या (मवेशी, भैंस, मिथुन और याक) में लगभग 1% की वृद्धि देखी गई है।
    • भेड़, बकरी और मिथुन की आबादी दोहरे अंकों में बढ़ी है जबकि घोड़ों, सूअर, ऊँट, गधे, खच्चर और याक की गिनती में गिरावट आई है।

पशुधन की जनगणना

  • वर्ष 1919-20 से देश में समय-समय पर पशुधन की गणना आयोजित की जाती है। तब से प्रत्येक 5 वर्ष में एक बार यह गणना आयोजित की जाती है।
  • इसमें सभी पालतू जानवरों की कुल गणना को शामिल किया गया है।
  • राज्य सरकारों एवं केंद्र शासित प्रदेशों के साथ मिलकर मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी विभाग द्वारा अब तक ऐसी 19 गणनाएँ की जा चुकी हैं।
  • 20वीं पशुधन जनगणना में पहली बार फील्ड से ऑनलाइन प्रसारण के माध्यम से घरेलू स्तर के डेटा का उपयोग किया गया है।
  • जनगणना केवल नीति निर्माताओं के लिये ही नहीं बल्कि किसानों, व्यापारियों, उद्यमियों, डेयरी उद्योग और आम जनता के लिये भी फायदेमंद है।

स्रोत: pib


भारतीय अर्थव्यवस्था

वर्ल्ड इकॉनोमिक आउटलुक रिपोर्ट 2019

प्रीलिम्स के लिये:

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष, वर्ल्ड इकॉनोमिक आउटलुक रिपोर्ट

मेन्स के लिये:

व्यापार युद्ध का वैश्विक अर्थव्यवस्था और भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव

चर्चा में क्यों?

हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (International Monetary Fund-IMF) द्वारा वर्ल्ड इकॉनोमिक आउटलुक रिपोर्ट (World Economic Outlook Report) 2019 जारी की गई है।

प्रमुख बिंदु

  • इस रिपोर्ट के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2019 और वर्ष 2020 के लिये भारत की आर्थिक वृद्धि दर क्रमशः 6.1% और 7% रहने का अनुमान है। गौरतलब है कि अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष द्वारा अप्रैल में जारी की गई रिपोर्ट में संभावित आर्थिक वृद्धि दर का अनुमान 7.3% लगाया गया था, जिसे जुलाई की रिपोर्ट में घटाकर 7% कर दिया गया।
  • वित्तीय रूप से कमज़ोर गैर-बैंक वित्तीय क्षेत्र, बैंकों की बड़ी मात्रा में गैर-निष्पादक आस्तियों और वित्तीय संस्थाओं की संगठनात्मक कमी का भारत के आर्थिक विकास पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।

नोट- गैर निष्पादक आस्ति (Non Performing Asset)- भारतीय रिज़र्व बैंक के अनुसार गैर निष्पादित परिसंपत्ति (NPA) एक ऐसा ऋण या अग्रिम है जिसके लिये मूल या ब्याज भुगतान 90 दिनों की अवधि तक नहीं किया गया हो।

  • IMF ने रोज़गार और बुनियादी ढांँचे को बढ़ावा देने के लिये श्रम और भूमि कानूनों में संरचनात्मक सुधारों का आग्रह किया है। रिपोर्ट के मुताबिक घरेलू उपभोग मांग में कमी आर्थिक विकास दर के कम होने का सबसे बड़ा कारण है।
  • रिपोर्ट के अनुसार, भारत की विकास दर को बढ़ाने के लिये मौद्रिक नीति में ढील, कॉर्पोरेट कर में कटौती, पर्यावरण और कॉर्पोरेट अनिश्चितताओं को दूर करने के उपायों एवं ग्रामीण उपभोग को बढ़ाने के लिये सरकारी प्रयास किये जाने चाहिये।
  • गौरतलब है कि IMF ने वैश्विक आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान में भी कटौती करके इसे 3.8% से 3% कर दिया है।
  • रिपोर्ट के मुताबिक वैश्विक अर्थ व्यवस्था बढ़ती व्यापारिक बाधाओं और भू-राजनैतिक तनावों के कारण समकालिक मंदी के दौर में है।

नोट: राष्ट्रों की एक-दूसरे के प्रति संरक्षणवादी नीतियों और व्यापार युद्ध की वजह से अर्थव्यवस्थाओं में उत्पन्न मंदी को समकालिक मंदी कहा जाता है। समकालिक मंदी का सबसे ज्यादा बुरा प्रभाव भारत जैसी उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं पर पड़ता है।

  • अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष द्वारा अमेरिका, चीन, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया जैसी अन्य प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं की भी आर्थिक वृद्धि दर में कमी की गई है।
  • ज्ञातव्य है कि इससे पहले एशियाई डेवलपमेंट बैंक (Asian Development Bank- ADB) ने चालू वर्ष में भारत की आर्थिक विकास दर को 7.2% से घटा कर 6.5% कर दिया था।
  • विश्व बैंक ने भी अपनी रिपोर्ट में भारत की आर्थिक विकास दर का अनुमान 6.9% के मुकाबले 6% रहने की संभावना व्यक्त की है।

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष

(International Monetary Fund-IMF)

  • अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की स्थापना ब्रेटनवुड्स सम्मेलन के तहत वर्ष 1944 में हुई थी। यह औपचारिक रूप से वर्ष 1945 में अस्तित्व में आया।
  • इसका मुख्यालय वाशिंगटन डी सी में है। वर्तमान समय में इसकी प्रमुख क्रिश्टालीना जार्जीवा हैं। भारतीय मूल की गीता गोपीनाथ को प्रमुख अर्थशास्त्री के रूप में नियुक्त किया गया है।
  • इसके सदस्य देशों की संख्या 189 है। प्रशांत महासागर में स्थित द्वीपीय राष्ट्र नौरु गणराज्य, वर्ष 2016 में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष का 189वांँ सदस्य बना।
  • विशेष आहरण अधिकार अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की लेन-देन की एक इकाई है, जिसके तहत अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष अपने सदस्य देशों के आधिकारिक मुद्रा भंडार के पूरक के रूप में कार्य करता है।
  • विशेष आहरण अधिकार (Special Drawing Right) अंतर्राष्ट्रीय मुद्राओं की एक ऐसी टोकरी(Basket of currencies) है, जिसमें अमेरिकी डॉलर, जापानी येन, चाइनीस युआन, यूरो और पाउंड स्टर्लिंग शामिल हैं। चाइनीस युआन को वर्ष 2015 में विशेष आहरण अधिकार की मुद्रा टोकरी में शामिल किया गया।
  • वर्ल्ड इकॉनोमिक आउटलुक रिपोर्ट IMF द्वारा आमतौर पर एक वर्ष में दो बार प्रकाशित की जाती है। इस रिपोर्ट में समष्टि अर्थशास्त्र के विभिन्न पहलुओं जैसे- आर्थिक गतिविधि, रोज़गार मुद्रास्फीति, कीमत, विदेशी मुद्रा और वित्तीय बाज़ार, बाहरी भुगतान, वित्त पोषण तथा ऋण पर विचार करते हुए अर्थव्यवस्थाओं के विकास का विश्लेषण प्रस्तुत किया जाता है।

स्रोत- द हिंदू


विविध

Rapid Fire करेंट अफेयर्स (17 October)

1. चीन-नेपाल के बीच 20 समझौते

  • भारत में अनौपचारिक शिखर वार्ता के बाद चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग नेपाल के दौरे पर गए। इस दौरान दोनों देशों के बीच 20 समझौते हुए।
  • इनमें सड़क सुरंग (Road Tunnel) का निर्माण और तिब्बत की ओर रेलवे लिंक को सुविधाजनक बनाने का समझौता भी शामिल है। चीन केरुंग-काठमांडू टनल रोड के निर्माण में मदद करेगा।
  • दोनों देशों के बीच सबसे बड़ी डील ट्रांस-हिमालयन कनेक्टिविटी नेटवर्क को लेकर हुई। दोनों ही देश 2.75 अरब डॉलर के इस नेटवर्क को शुरू करने पर सहमत हुए, जो कि नेपाल को शी जिनपिंग के बेल्ट एंड रोड इशिनिएटिव (BRI) से जोड़ेगी।
  • चीनी राष्ट्रपति ने नेपाल के विकास कार्यक्रमों के लिये 56 अरब नेपाली रुपए की सहायता देने की घोषणा की।
  • इसके अलावा चीन ने काठमांडू को तातोपानी ट्रांजिट पॉइंट से जोड़ने वाले अर्निको राजमार्ग को दुरुस्त करने का भी वादा किया। यह राजमार्ग वर्ष 2015 में आए भूकंप के बाद से बंद है।
  • पिछले 23 वर्षों में किसी चीनी राष्ट्रपति की यह पहली नेपाल यात्रा थी। इससे पहले वर्ष 1996 में जियांग ज़मिन ने नेपाल का दौरा किया था।

क्षेत्र में लगातार बढ़ता जा रहा चीनी प्रभाव

  • गौरतलब है कि चीन का प्रभाव दक्षिण एशिया में लगातार बढ़ रहा है। नेपाल, श्रीलंका, पाकिस्तान या बांग्लादेश हर जगह चीन की मौजूदगी बढ़ी है। ये सभी देश चीन की बेल्ट रोड परियोजना में शामिल हो गए हैं। लेकिन भारत इस परियोजना के पक्ष में नहीं है।
  • हिंदू बहुल राष्ट्र में चीन का दिलचस्पी लेना काफी अहम है। नेपाल अपनी कई ज़रूरतों के लिये भारत पर निर्भर है, लेकिन वह लगातार भारत से निर्भरता को कम करने की कोशिश कर रहा है।
  • नेपाल के कई स्कूलों में चीनी भाषा मंदारिन को पढ़ना भी अनिवार्य कर दिया गया है। नेपाल में इस भाषा को पढ़ाने वाले शिक्षकों के वेतन का खर्चा भी चीन की सरकार ने उठाने के लिये तैयार है।

2. इंदिरा गांधी राष्ट्रीय एकता पुरस्कार

  • प्रसिद्ध पर्यावरणविद चंडी प्रसाद भट्ट को इंदिरा गांधी राष्ट्रीय एकता पुरस्कार दिया जाएगा।
  • गांधीवादी दर्शन के अनुयायी चंडी प्रसाद उत्तराखंड में प्रकृति और पर्यावरण को बचाने की लड़ाई के चर्चित चेहरे रहे हैं।
  • देश में राष्ट्रीय एकता के कार्यों के लिये चंडी प्रसाद भट्ट को वर्ष 2017 और वर्ष 2018 के 31वाँ इंदिरा गांधी राष्ट्रीय एकता पुरस्कार प्रदान किया जाएगा।
  • 31 अक्तूबर को पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की पुण्यतिथि पर यह पुरस्कार प्रदान किया जाएगा, जिसके तहत 10 लाख रुपये नकद और प्रशस्ति पत्र प्रदान किया जाता है।
  • ‘चिपको आंदोलन’ से जुड़े रहे 85 वर्षीय गांधीवादी पर्यावरणविद चंडी प्रसाद भट्ट को इससे पहले पद्म भूषण, रमन मैग्सेसे और गांधी शांति पुरस्कार जैसे प्रतिष्ठित सम्मान मिल चुके हैं।
  • इंदिरा गांधी राष्ट्रीय एकता पुरस्कार की स्थापना भारतीय राष्ट्रीय कॉन्ग्रेस ने अपने शताब्दी वर्ष 1985 में की थी।
  • राष्ट्रीय एकता एवं सद्भावना के विचार को बनाए रखने की दिशा में अनुकरणीय योगदान के लिये व्यक्तिगत रूप से या संस्थाओं को यह पुरस्कार प्रदान किया जाता है।

अब तक यह पुरस्कार स्वामी रंगनाथनदा, अरुणा आसफ अली, पी.एन. हक्सर, एम.एस. सुब्बुलक्ष्मी, डॉ. विशम्भरनाथ पांडे, पूर्व प्रधानमंत्री स्व. राजीव गांधी, डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम, डॉ. शंकर दयाल शर्मा, प्रख्यात वैज्ञानिक सतीश धवन, एम.एस. स्वामीनाथन, महाश्वेता देवी, गुलज़ार, ए.आर. रहमान सहित कई प्रमुख हस्तियों को दिया जा चुका है।


3. वज्र-प्रहार

  • भारत और अमेरिका के बीच होने वाला संयुक्त सैन्य अभ्यास वज्र प्रहार 13 अक्तूबर से अमेरिका सिएटल के जॉइंट बेस लुईस-मैककॉर्ड में शुरू हो हुआ।
  • ‘वज्र प्रहार’ संयुक्त सैन्य अभ्यास का यह 10वाँ संस्करण है जो 28 अक्तूबर तक चलेगा।
  • इसमें दोनों देशों की स्पेशल फोर्सेज़ हिस्सा ले रही हैं। भारत की तरफ से इस सैन्य अभ्यास में भाग लेने के लिये भारतीय सेना का 45 सदस्यीय पैरा कमांडो दस्ता अमेरिका गया हुआ है।
  • इस सैन्य अभ्यास का आयोजन बारी-बारी से भारत और अमेरिका में होता है। पिछले साल यह अभ्यास जयपुर में हुआ था।
  • भारत के COMCASA समझौते में शामिल होने के बाद से वज्र प्रहार अभ्यास का महत्त्व बढ़ा है दोनों देशों की सेनाओं ने इसमें कई नई चीजें शामिल की हैं।

गौरतलब है कि इससे पहले भारतीय सेना का एक दस्ता 'युद्ध अभ्यास 2019' के 15वें संस्करण में भाग लेने के लिये अमेरिका गया हुआ था। इस संयुक्त युद्धाभ्यास को वाशिंगटन डीसी के पास स्थित जॉइंट बेस लुईस मैककॉर्ड में आयोजित किया गया था। इसके कई संस्करणों का आयोजन भारत में पहले ही हो चुका है। यह अभ्यास 18 सितंबर तक चला था जिसमें साझा युद्ध-कौशल, आतंकवाद के विरुद्ध कार्रवाई और आपसी समन्वय पर जोर दिया गया था।


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