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डेली न्यूज़

  • 03 Oct, 2019
  • 47 min read
भारतीय अर्थव्यवस्था

चालू खाता घाटा में कमी

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा ज़ारी आंँकड़ों के अनुसार चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में चालू खाता घाटा कम होकर सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का 2% अथवा 14.3 अरब डॉलर हो गया है।

  • पिछले वित्तीय वर्ष की इसी अवधि में चालू खाता घाटा 15.8 अरब डॉलर था जो कि सकल घरेलू उत्पाद का 2.3% था।

चालू खाता घाटा

(Current Account Deficit- CAD)

  • चालू खाता, निर्यात और आयात के कारण विदेशी मुद्रा के निवल अंतर को दर्शाता है।
  • यदि यह अंतर नकारात्मक होता है तो इसे चालू खाता घाटा (CAD) कहते हैं और सकारात्मक होने पर इसे चालू खाता सरप्लस कहा जाता है।
  • चालू खाता के अंतर्गत मुख्यत: तीन प्रकार के लेन-देन, जिसमें पहला वस्तुओं व सेवाओं का आयात-निर्यात और दूसरा कर्मचारियों व विदेशी निवेश से प्राप्त आय एवं खर्च तथा तीसरा विदेशों से प्राप्त अनुदान राशि, उपहार एवं विदेश में बसे कामगारों द्वारा भेजी जाने वाली विप्रेषण (Remittance) की राशि, को शामिल किया जाता है।
  • चालू खाता घाटा में उतार-चढ़ाव का सकल घरेलू उत्पाद (GDP) पर भी प्रभाव पड़ता है।
  • चालू खाता घाटा, व्यापार संतुलन (Balance of Trade) से अलग है।
  • व्यापार संतुलन केवल वस्तुओं और सेवाओं के निर्यात और आयात से होने वाली आय और खर्च में अंतर को मापता है, जबकि चालू खाता विदेशों में घरेलू पूंजी के प्रयोग से प्राप्त भुगतान को भी शामिल करता है।

प्रमुख बिंदु

  • अदृश्य मदों अर्थात् सेवाओं के निर्यात से ऊंँची प्राप्तियांँ चालू खाता घाटे में कमी का मुख्य कारण है।
  • पिछले वर्ष की इस अवधि में अदृश्य मदों से 29.9 अरब डॉलर की प्राप्ति हुई थी, जबकि इस वर्ष के लिये यह आंँकड़ा 31.9 अरब डॉलर रहा।
  • मुख्य रूप से ट्रेवल, वित्तीय सेवाओं, दूरसंचार, कंप्यूटर और सूचना सेवाओें से प्राप्त निवल आय में वृद्धि के कारण निवल सेवा प्राप्तियों (Net Services Receipts) में वर्ष-दर-वर्ष आधार पर 7.3% तक की वृद्धि दर्ज़ की गई ।
  • निवल प्रत्‍यक्ष विदेशी निवेश वर्ष 2018-19 की पहली तिमाही के 9.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर की तुलना में 2019-20 की पहली तिमाही में 13.9 बिलियन अमेरिकी डॉलर के स्तर पर रहा।
  • ऋण और इक्विटी दोनों बाज़ारों में निवल खरीद के कारण विदेशी पोर्टफोलियो निवेश में वर्ष 2018-19 की पहली तिमाही के 8.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर की निकासी की तुलना में वर्ष 2019-20 की पहली तिमाही में 4.8 बिलियन अमेरिकी डॉलर का निवल अंतर्वाह दर्ज किया गया।
  • बाह्य वाणिज्यिक उधारियों के कारण निवल अंतर्वाह एक वर्ष पहले के 1.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर की तुलना में वर्ष 2019-20 की पहली तिमाही में 6.3 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया।
  • भारत में वाणिज्यिक गतिविधियों के वित्तपोषण के लिये विदेशी स्रोतों से जो वित्त प्राप्त किया जाता है, उसे बाह्य वाणिज्यिक उधार कहा जाता है।
  • निजी अंतरण प्राप्तियाँ (Private Transfers Receipts), जिसमें मुख्यत: विप्रेषण (Remittance) को शामिल किया जाता है, 6.2% बढ़कर 19.9 अरब डॉलर हो गईं।
  • वर्ष 2018-19 की पहली तिमाही में 11.3 अरब डॉलर की गिरावट की तुलना में वर्ष 2019-20 में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 14 अरब डॉलर बढ़ गया।

स्रोत : द हिंदू


विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

द गांधियन चैलेंज

चर्चा में क्यों?

महात्मा गांधी की 150वीं जयंती पर अटल नवाचार मिशन (Atal Innovation Mission- AIM), अटल टिंकरिंग लैब्स (Atal Tinkering Labs- ATL), यूनिसेफ इंडिया (UNICEF India) और जेनरेशन अनलिमिटेड (Generation Unlimited) द्वारा सम्मिलित रूप से 'द गांधियन चैलेंज' प्रारंभ किया गया।

The Gandhian Challenge

संदर्भ:

  • इस वर्ष महात्मा गांधी की 150वीं जयंती मनाई जा रही है। वह न केवल एक महान नेता और समाज सुधारक थे बल्कि एक उत्कृष्ट नवोन्मेषक भी थे। उनके रचनात्मक और प्रगतिशील विचार आज भी प्रासंगिक हैं।
  • महात्मा गांधी सामाजिक न्याय, अहिंसा, आत्मनिर्भरता और समानता के प्रबल समर्थक थे। अफसोस की बात यह है कि आज पूरी दुनिया इन सिद्धांतों से दूर होकर एक समावेशी समाज के बजाय एक विशिष्ट समाज की दिशा में बढ़ती हुई दृष्टिगोचर हो रही है।
  • आज दुनिया में ग्लोबल वार्मिंग, बढ़ती हिंसा की घटनाएँ और असहिष्णुता जैसी कई समस्याएँ उभर कर सामने आ रही हैं। इस मुश्किल घड़ी में यह अपरिहार्य है कि कैसे गांधीजी के मूल्यों का इस्तेमाल कर एक नई दुनिया बनाई जाए, एक ऐसी दुनिया जो प्यार, व्यवहार, शांति और न्याय से परिपूर्ण हो।

द गांधियन चैलेंज के लिये समस्या-कथन

(Problem-Statement):

"गांधी के सिद्धांतों का पालन करते हुए अपने सपनों के अनुरूप एक भविष्योन्मुख और स्थायी विश्व बनाने हेतु अपने अभिनव समाधान/विचारों को साझा करें।" (“Share your innovative solutions/ideas to create a futuristic and sustainable world of your dreams, following Gandhi's principles.”)

मुख्य बिंदु:

  • द गांधियन चैलेंज के विचार और समाधान व्यापक श्रेणियों के माध्यम से व्यक्त किये जा सकते हैं:
    • कला और नवोन्मेष (पत्र, कविताएँ, पेंटिंग, वीडियो और फोटो आदि)।
    • विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार [रोबोटिक्स, इन्टरनेट ऑफ थिंग्स (Internet of Things- IoT), सेंसर और 3-डी प्रिंटर आदि]।
  • यह नवाचार चुनौती भारत के प्रत्येक बच्चे को गांधी के सिद्धांतों का उपयोग करते हुए उनके सपनों के एक स्थायी भारत के लिये अभिनव समाधान तैयार करने हेतु एक मंच प्रदान करती है।
  • द गांधियन चैलेंज के विजेताओं को नई दिल्ली में नवंबर में बाल दिवस के अवसर पर नीति आयोग के अटल नवाचार मिशन (Atal Innovation Mission- AIM) और यूनिसेफ द्वारा सम्मानित किया जाएगा।

दृष्टिकोण एवं उद्देश्य:

  • भागीदारी प्रत्येक बच्चे का एक अहम अधिकार है और उनकी सार्थक भागीदारी को सक्षम करना अत्यंत महत्त्वपूर्ण है।
  • इस तरह की चुनौतियाँ हमें बच्चों के दृष्टिकोण को समझने के साथ-साथ अपनी राय और नज़रिये को जाँचते हुए बाल अधिकार के परिप्रेक्ष्य में चीज़ो को समझने में सहायता करती हैं।
  • इसका उद्देश्य उचित सहयोग, समर्थन एवं अवसर प्रदान कर बच्चों को युवा नवोन्मेषकों और उद्यमियों के रूप में विकसित करना तथा इस बात को बढ़ावा देना है कि छात्र अपने नूतन व प्रगतिशील विचारों को व्यक्त करने के लिये महात्मा गांधी के सिद्धांतों को पढ़ें और समझें।
  • इस चुनौती का लक्ष्य बापू के जीवन जीने के तरीके और विचार को देश के छात्रों तक पहुँचाना है।

अटल नवाचार मिशन (Atal Innovation Mission- AIM):

  • AIM देश में नवाचार और उद्यमिता की संस्कृति को बढ़ावा देने के लिये भारत सरकार की प्रमुख पहल है।
  • AIM के प्रमुख उद्देश्य:
    • अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में नवाचार को बढ़ावा देने के लिये नए कार्यक्रमों और नीतियों को विकसित करना।
    • विभिन्न हितधारकों के लिये मंच और सहयोग के अवसर प्रदान करना।
    • जागरूकता पैदा करना।
    • देश के नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र की निगरानी के लिये एक एकीकृत संरचना बनाना।
  • AIM की छह प्रमुख पहल:
    • अटल टिंकरिंग लैब्स (Atal Tinkering Labs): भारत के स्कूलों में समस्याओं को सुलझाने की मानसिकता (Problem-solving Mindset) को विकसित करना।
    • अटल इन्क्यूबेशन सेंटर्स (Atal Incubation Centers): विश्व स्तर के स्टार्ट-अप को बढ़ावा देना और इनक्यूबेटर मॉडल में एक नया आयाम जोड़ना।
    • अटल न्यू इंडिया चैलेंजेज़ (Atal New India Challenges): विभिन्न क्षेत्रों/मंत्रालयों की ज़रूरतों को पूरा करने के लिये उत्पाद नवाचारों को बढ़ावा देना।
    • मेंटर इंडिया कैंपेन (Mentor India Campaign): मिशन की सभी पहलों का समर्थन करने के लिये सार्वजनिक क्षेत्र, कॉरपोरेट्स और संस्थानों के सहयोग से एक नेशनल मेंटर नेटवर्क (National Mentor Network) विकसित करना।
    • अटल सामुदायिक नवाचार केंद्र (Atal Community Innovation Center): टियर-2 और टियर-3 शहरों सहित देश के दूरस्थ क्षेत्रों में समुदाय केंद्रित नवाचार और विचारों को प्रोत्साहित करने के लिये।
    • उन्नत मरम्मत और औद्योगिक कौशल संवर्द्धन (Advanced Repair & Industrial Skill Enhencement- ARISE): सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग (Micro, Small and Medium Enterprises- MSME) में नवाचार तथा अनुसंधान को प्रोत्साहित करने के लिये।

जेनरेशन अनलिमिटेड

(Generation Unlimited):

  • जेनरेशन अनलिमिटेड यूनिसेफ की अगुवाई वाली एक नई वैश्विक साझेदारी है।
  • प्रमुख उद्देश्य:
    • 10-24 वर्ष की आयु के प्रत्येक युवा की वर्ष 2030 तक स्कूल, शिक्षण, प्रशिक्षण, स्वरोजगार या आयु-उपयुक्त रोज़गार के किसी-न-किसी रूप से संबद्धता सुनिश्चित करना है।
    • बालिकाओं पर विशेष ध्यान देते हुए माध्यमिक आयु-शिक्षा (Secondary Age-Education), कौशल, रोज़गार और सशक्तीकरण से संबंधित प्रामाणिक समाधानों का सह-सृजन एवं इसके लिये मानक तैयार करना है।

स्रोत: PIB


शासन व्यवस्था

धार्मिक स्वतंत्रता

चर्चा में क्यों?

कर्नाटक उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ ने धार्मिक त्योहारों या समारोहों के लिये सड़कों और फुटपाथों पर अस्थायी संरचनाओं के निर्माण की अनुमति देने से इनकार कर दिया है।

प्रमुख बिंदु:

  • कर्नाटक उच्च न्यायालय ने कहा है कि भारतीय संविधान का अनुच्छेद 25 (article 25), सभी व्यक्तियों को अंतःकरण की स्वतंत्रता एवं धर्म को अबाध रूप से मानने, आचरण करने और प्रचार करने का समान अधिकार प्रदान करता है, लेकिन त्योहारों व उत्सव के लिये सार्वजनिक सड़क तथा फुटपाथ पर व्यक्ति को अतिक्रमण करने की अनुमति प्रदान नहीं करता है।
  • खंडपीठ ने कहा कि कर्नाटक नगर निगम अधिनियम, 1976 की धारा 288 (2) के तहत नगरपालिका प्राधिकरण धार्मिक त्योहारों को मनाने सहित किसी भी उद्देश्य के लिये अस्थायी रूप से सार्वजनिक सड़कों या फुटपाथों का उपयोग करने की अनुमति नहीं दे सकता है।
  • कर्नाटक बेंच का यह आदेश सभी धर्मों और समुदायों के धार्मिक त्योहारों तथा कार्यों पर लागू होगा।
  • प्राधिकृत अधिकारियों को परिसर, सड़क और फुटपाथों का निरीक्षण करना चाहिये तथा यातायात विभाग से एक रिपोर्ट भी लेनी चाहिये जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि अधिनियम की धारा 288 (2) के तहत अस्थायी संरचनाओं की अनुमति देने से यातायात में रुकावट उत्पन्न न हो।

कर्नाटक नगर निगम अधिनियम, 1976 की धारा 288

(Section 288 of the Karnataka Municipal Corporations Act,1976):

  • कर्नाटक नगर निगम अधिनियम की धारा 288 नगर निगम आयुक्त को अस्थायी सरंचनाओं के निर्माण हेतु अधिकार प्रदान करती है।
  • धारा 288 (2) नगर निगम आयुक्त को सड़क पर अस्थायी संरचनाओं के निर्माण हेतु लाइसेंस प्रदान करने की शक्ति देती है।

स्रोत: द हिंदू


सामाजिक न्याय

अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989

चर्चा में क्यों?

सर्वोच्च न्यायालय ने 20 मार्च, 2018 के फैसले में अपने उन निर्देशों को वापस ले लिया है, जिसने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 {The Scheduled Castes & Scheduled Tribes (Prevention of Atrocities) Act, 1989} के तहत गिरफ्तारी के प्रावधानों को प्रभावी रूप से कमज़ोर कर दिया था।

न्यायालय द्वारा की गई समीक्षा:

  • समीक्षा में कहा गया है कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की सामाजिक-आर्थिक स्थितियों में सुधार के विभिन्न उपायों के बावजूद वे कमज़ोर बने हुए हैं।
  • अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति समुदायों द्वारा समानता तथा नागरिक अधिकारों की प्राप्ति के लिये संघर्ष किया जा रहा है।
  • समाज में आज भी उनके प्रति भेदभाव एवं अस्पृश्यता विद्यमान है।

न्यायालय द्वारा जारी दिशा-निर्देश:

  • ऐसे मामलों में किसी भी निर्दोष को कानूनी प्रताड़ना से बचाने के लिये कोई भी शिकायत मिलने पर तत्काल एफआईआर (FIR) दर्ज नहीं की जाएगी। सबसे पहले शिकायत की जाँच डीएसपी स्तर के पुलिस अफसर द्वारा की जाएगी।
  • न्यायालय द्वारा स्पष्ट किया गया है कि यह जाँच पूर्ण रूप से समयबद्ध होनी चाहिये। जाँच किसी भी स्थिति में 7 दिन से अधिक समय तक न चले।
  • इन नियमों का पालन न करने की स्थिति में पुलिस पर अनुशासनात्मक एवं न्यायालय की अवमानना करने के संदर्भ में कार्यवाही की जाएगी।
  • अभियुक्त की तत्काल गिरफ्तारी नहीं की जाएगी। सरकारी कर्मचारियों को नियुक्त करने वाली अथॉरिटी की लिखित मंज़ूरी के बाद ही गिरफ्तारी हो सकती है और अन्य लोगों को ज़िले के एसएसपी की लिखित मंज़ूरी के बाद ही गिरफ्तार किया जा सकेगा।
  • इतना ही नहीं, गिरफ्तारी के बाद अभियुक्त की पेशी के समय मजिस्ट्रेट द्वारा उक्त कारणों पर विचार करने के बाद यह तय किया जाएगा कि क्या अभियुक्त को और अधिक समय के लिये हिरासत रखा जाना चाहिये अथवा नहीं।
  • एससी-एसटी एक्ट की धारा 18 में अग्रिम ज़मानत की मनाही है, लेकिन अदालत ने अपने आदेश में अग्रिम ज़मानत की इजाज़त देते हुए कहा कि पहली नज़र में अगर ऐसा लगता है कि कोई मामला नहीं है या जहाँ न्यायिक समीक्षा के बाद लगता है कि कानून के अंतर्गत शिकायत में दुर्भावना है, वहाँ अग्रिम ज़मानत पर संपूर्ण रोक नहीं है।

क्या है SC/ST (अत्याचार निवारण) संशोधन अधिनियम?

  • अनुसूचित जाति/जनजाति (अत्याचार निवारण) संशोधन अधिनियम, 2015 को अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के खिलाफ अत्याचारों की रोकथाम के लिये लाया गया था। मुख्यतः अधिनियम अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम,1989 का यह संशोधित प्रारूप है।

आगे की राह:

  • लोकतंत्र में प्रत्येक नागरिक को समान अधिकार दिये गए हैं और कानून के समक्ष भी सभी को समान माना गया है। ऐसे में किसी भी नागरिक के अधिकारों का हनन अनुचित है फिर चाहे वह सवर्ण हो या दलित। न्यायालय द्वारा दिया गया निर्णय भी इसी तर्क की पुष्टि करता है।
  • यह शासनतंत्र की ज़िम्मेदारी है कि वह पिछड़े समुदायों और दलितों के संरक्षण हेतु बनाए गए कानूनों का ईमानदारीपूर्वक और भेदभाव रहित दृष्टिकोण अपनाकर अनुपालन सुनिश्चित करे, जिससे इन वर्गों के भीतर उत्पन्न असुरक्षा और उत्पीड़न का डर समाप्त हो सके एवं इनका शासनतंत्र और न्याय प्रणाली में विश्वास बना रहे।
  • सरकार का दायित्व है कि इन कानूनों का दुरुपयोग किसी निरपराध को परेशान करने में न किया जाए और ये आपसी दुश्मनी निकालने का एक 'टूल' बनकर न रह जाएँ।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस


शासन व्यवस्था

महात्मा गांधी की 150वीं जयंती

चर्चा में क्यों ?

2 अक्तूबर 2019 को महात्मा गांधी की 150 वीं जयंती पर भारत सरकार ने स्वच्छ भारत दिवस- 2019 के साथ-साथ आइंस्टीन चुनौती और नईतालीम जैसी पहलों का शुभारंभ तथा स्वच्छ स्टेशन सर्वे जारी किया है।

स्वच्छ भारत दिवस-2019

  • महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के उपलक्ष्य में सरकार ने डाक टिकट और चांँदी का सिक्का जारी किया। कुछ दिन पहले संयुक्त राष्ट्र द्वारा गांधीजी पर डाक टिकट जारी किया गया था।
  • भारत को खुले में शौच से मुक्त घोषित किया गया।
  • जन भागीदारी के महत्त्व पर ज़ोर देते हुए जल जीवन मिशन और वर्ष 2022 तक प्लास्टिक (Single Use Plastic) के प्रयोग की समाप्ति जैसी महत्त्वपूर्ण सरकारी पहलों की सफलता के लिये सामूहिक प्रयास का आह्वान किया गया है।

जल जीवन मिशन

इस मिशन के तहत 'नल से जल' कार्यक्रम के माध्यम से वर्ष 2024 तक प्रत्येक घर को नल का पानी उपलब्ध कराया जाएगा।

आइंस्टीन चुनौती

  • न्यूयार्क टाइम्स में प्रकाशित “भारत और विश्व को क्यों है गांधी की जरुरत” शीर्षक वाले भारत सरकार के एक आलेख के अनुसार-
    • भावी पीढियांँ महात्मा गांधी के उद्देश्यों को कैसे याद रख सकें इसके लिये आइंस्टीन चुनौती की पेशकश की गई।
    • इस चुनौती का मुख्य उद्देश्य महात्मा गांधी के आदर्शों को अमर बनाना है।
    • इसके लिये विचारकों, उद्यमियों और तकनीकी विशेषज्ञों से अपील की गई कि वे आगे आएँ और नवाचार के माध्यम से गांधीजी के विचारों को प्रसारित करें।

स्टेशन स्वच्छता सर्वे

  • महात्‍मा गांधी की 150वीं जयंती पर रेल तथा वाणिज्‍य एवं उद्योग मंत्रालय द्वारा ‘स्‍टेशन स्‍वच्‍छता सर्वे रिपोर्ट’ (गैर-उप शहरी एवं उप शहरी स्‍टेशनों का स्‍वच्‍छता आकलन 2019) जारी की गई।
  • जहाँ उत्तर पश्चिम रेलवे ज़ोन को सबसे स्वच्छ ज़ोन का दर्ज़ा मिला, वहीं मध्य रेलवे ज़ोन स्वच्छता रैंकिंग में सबसे नीचे है।

प्रमुख नगरों को दी जाने वाली रैंकिंग इस प्रकार है-

गैर-उपनगरीय स्‍टेशन रैंक उपनगरीय स्‍टेशन रैंक
जयपुर 1 अँधेरी 1
जोधपुर 2 विरार 2
दुर्गापुर 3 नौगाँव 3
जम्मू-तवी 4 कांदिवली (Kandivli) 4
गांधीनगर 5 संतरागाछी (Santragachi) 5
सूरतगढ़ 6 कारी रोड 6
विजयवाड़ा 7 डोम्बिवली (Dombivli) 7
उदयपुर सिटी 8 किंग्स सर्कल 8
अज़मेर 9 बोरीवली 9
हरिद्वार 10 सांताक्रूज़ (Santacruz) 10

नई तालीम

  • भारत को अकुशल समुदाय की दुनिया से सबसे कुशल राष्ट्रों में से एक के रूप में स्थापित करने के लिये नई तालीम नामक चार दिवसीय उत्सव का आयोजन किया ।
  • इस उत्सव का आयोजन एशियन हेरिटेज फाउंडेशन द्वारा किया जा रहा है।
  • उत्सव के दौरान प्रदर्शित प्रदर्शनी उन लोगों की 'परम्परा' का प्रदर्शन करेगी, जो दूसरों के लिये शिल्प बनाते हैं और कौशल भारत की विरासत का एक अभिन्न हिस्सा हैं।
  • नई तालीम, शरीर, मन और आत्मा की संपूर्ण शिक्षा को कुशल श्रम के माध्यम से प्रसारित करने का सिद्धांत है।
  • 75 वर्ष पहले गांधीजी ने (अक्तूबर 1937) में नई तालीम के नाम से एक जीवन दर्शन तथा शिक्षा पद्धति देश के समक्ष प्रस्तुत की थी, जो अहिंसक, समतामूलक, न्यायपूर्ण समाज निर्माण का उद्देश्य रखती थी।

स्रोत: PIB


भारतीय अर्थव्यवस्था

उद्यम विकास केंद्र

चर्चा में क्यों?

केंद्रीय सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग मंत्रालय ने सभी ज़िलों में उद्यम विकास केंद्रों (Enterprise Development Centres- EDC) की स्थापना करने की घोषणा की है।

उद्यम विकास केंद्र

  • उद्यम विकास केंद्र (EDC) सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों के क्षेत्र में स्वदेशी उद्यमियों का एक कैडर विकसित करेगा।
  • यह स्टार्ट-अप के लिये इन्क्यूबेटर (Incubators) के समान होगा।

प्रमुख बिंदु

  • केंद्रीय सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग मंत्रालय द्वारा वर्ष 2019-20 के अंत तक नियोजित 500 EDCs में से 20 EDCs को संचालित करने का लक्ष्य रखा गया है।
  • EDC नवोदित उद्यमियों के लिये उद्यम विकास पाठ्यक्रम, व्यावसायिक मार्गदर्शन और कौशल विकास की पेशकश करेंगे।
  • उद्यम विकास केंद्र का उद्देश्य सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों (MSMEs) द्वारा सामना की जाने वाली वित्तीय कठिनाईयों का भी निदान करना है ।
  • सरकार द्वारा MSMEs को प्रदान की जाने वाली सहायता व ऋण EDCs के माध्यम से ही प्रदान किया जाएगा।
  • यह केंद्र क्रेडिट सुविधा, निर्यात संवर्द्धन और आपूर्तिकर्त्ता समावेशन (Supplier Inclusion) की पेशकश करेगा।

सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम

सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम विकास (MSMED) अधिनियम 2006 के प्रावधानों के अंतर्गत MSME को दो वर्गों में विभाजित किया जाता है, जिसकी निवेश सीमा निम्नलिखित है-

उद्यम विनिर्माण क्षेत्र (निवेश सीमा) सेवा क्षेत्र (निवेश सीमा)
सूक्ष्म उद्यम 25 लाख रुपए तक 10 लाख रुपए तक
लघु उद्यम 25 लाख रुपए से 5 करोड़ रुपए तक 10 लाख रुपए से 2 करोड़ रुपए तक 
मध्यम उद्यम 5 करोड़ रुपए से 10 करोड़ रुपए तक 2 करोड़ रुपए से 5 करोड़ रुपए तक

स्रोत: बिजनेस स्टैंडर्ड


भारतीय इतिहास

हैदराबाद के निज़ाम के धन पर फैसला

चर्चा में क्यों?

हाल ही में इंग्लैंड और वेल्स के उच्च न्यायालय ने विभाजन के बाद हैदराबाद के तत्कालीन निज़ाम के धन को लेकर भारत और निजाम के उत्तराधिकारियों के पक्ष में फैसला सुनाया है।

  • न्यायालय ने लंदन के एक बैंक खाते में जमा हैदराबाद के निज़ाम से संबंधित निधियों के इस मामले में पाकिस्तान के दावे को खारिज कर दिया (जो कि 1948 से पहले का है)|

पृष्ठभूमि

  • यह मामला 16 सितंबर, 1948 को पाकिस्तान के उच्चायुक्त के खाते में निज़ाम के दूत और विदेश मंत्री द्वारा (लंदन में) लगभग 35 मिलियन पाउंड (लगभग 306 करोड़ रूपए) की राशि के हस्तांतरण से संबंधित है।
  • हैदराबाद के सशस्त्र बलों ने पहले ही एक सैन्य अभियान (अभियान पोलो) के बाद 17 सितंबर, 1948 को भारतीय सेना के सामने आत्मसमर्पण कर दिया था।
  • आत्मसमर्पण के बाद हैदराबाद रियासत के अंतिम निजाम उस्मान अली खान ने नेशनल वेस्टमिंस्टर बैंक को एक संदेश भेजा और धन को अपने खाते में वापस करने की मांग की। लेकिन उस समय पाकिस्तान ने भी इस धनराशि पर दावा किया था।
  • इसलिये पाकिस्तान द्वारा धन हस्तांतरित करने के लिये बैंक के खिलाफ वर्ष 2013 में यह मामला दर्ज किया गया था।

भारत में हैदराबाद रियासत का एकीकरण

  • हैदराबाद निज़ामों द्वारा शासित, भारत की सबसे बड़ी देशी रियासतों में से एक था। इस रियासत ने ब्रिटिश संप्रभुता को स्वीकार किया था।
  • जूनागढ़ के नवाब की तरह हैदराबाद के निज़ाम और कश्मीर के शासक आज़ादी की तारीख तक यानी 15 अगस्त, 1947 को भारत में सम्मिलित नहीं हुए थे।
  • हैदराबाद रियासत को पाकिस्तान और मुस्लिम मूल के लोगों द्वारा एक स्वतंत्र शक्ति के रूप में बने रहने और एकीकरण का विरोध करने के लिये अपने सशस्त्र बलों में सुधार करने हेतु प्रोत्साहित किया गया था।
  • इस सैन्य सुधार के दौरान हैदराबाद राज्य में अराजकता उत्पन्न हुई, जिसके कारण 13 सितंबर, 1948 को आपरेशन पोलो (हैदराबाद के भारत संघ में प्रवेश करने के लिये सैन्य अभियान) के तहत भारतीय सेना को हैदराबाद भेजा गया क्योंकि हैदराबाद में कानून और व्यवस्था की अराजक स्थिति ने दक्षिण भारत की शांति को खतरे में डाल दिया।
  • एकीकरण के बाद निज़ाम को भारत में रहने वाले अन्य राजकुमारों की तरह ही राज्य के प्रमुख के रूप में बनाए रखा गया था।
  • निज़ाम द्वारा संयुक्त राष्ट्र में की गई शिकायतों और पाकिस्तान तथा अन्य देशों की तीखी आलोचना के बावजूद संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने इस मुद्दे को समाप्त करते हुए हैदराबाद के भारत संघ में समाहित किये जाने वाले फैसले का समर्थन किया।

स्रोत: द हिंदू


सामाजिक न्याय

रुमेटिक बुखार

चर्चा में क्यों ?

आमवाती बुखार/रुमेटिक (Rheumatic Fever) और आमवाती/रुमेटिक हृदय रोगों (Rheumatic Heart Diseases) से लड़ने के लिये भारत सरकार ने पेनिसिलिन के प्रचलन की दोबारा योजना बनाई है।

पेनिसिलिन

  • पेनिसिलिन पहली एंटीबायोटिक है तथा इसकी खोज सर अलेक्ज़ेंडर फ्लेमिंग (Sir Alexander Fleming) ने वर्ष 1928 में की थी।
  • यह एंटीबायोटिक दवाओं का समूह है जो शरीर के कई हिस्सों जैसे- मुंँह, गले, कोमल ऊतक, टॉन्सिल, हृदय, फेफड़े और कान आदि में संक्रमण के खिलाफ उपयोगी है।
  • पश्चिमी देशों में यह अभी भी प्रथम स्थान पर प्रयोग की जाने वाली एंटीबायोटिक है, द्वितीय विश्व युद्ध में घायल अमेरिकी सैनिकों के लिये इस एंटीबायोटिक का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया गया था।
  • भारत में अवास्तविक मूल्य निर्धारण के कारण बाजारों में इसका प्रचलन बंद हो गया था।
  • सरकार द्वारा इस दवा का मूल्य बहुत कम निर्धारित किया गया था जिससे इसका उत्पादन बंद हो गया था।

पेनिसिलिन की बहाली के कारण

  • भारत में रुमेटिक बुखार और रुमेटिक हृदय रोग के मरीज़ों की संख्या अधिक है, बच्चे के जन्म के समय इस रोग का अनियंत्रित होना मातृ मृत्यु का कारण बन सकता है।
    • रुमेटिक बुखार भारत में स्थानिक है और हृदय रोगों के प्रमुख कारणों में से एक बना हुआ है।
  • जनसंख्या आधारित एक अध्ययन के अनुसार, भारत में रुमेटिक बुखार और रुमेटिक हृदय रोगों से प्रति 1000 लोगों में 2 लोग पीड़ित हैं।
    • हालाँकि भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (Indian Council Of Medical Research- ICMR) के अनुसार 5-16 वर्ष की आयु के प्रति 1000 बच्चों में से 6 बच्चे इससे पीड़ित हैं।

rheumatic heart

  • स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के अनुसार, पेनिसिलिन के सेवन से रुमेटिक बुखार और रुमेटिक हृदय रोग का इलाज संभव है।
    • रुमेटिक बुखार के इलाज के लिये पेनिसिलिन सबसे सस्ता विकल्प है।

मातृ मृत्यु

विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organisation- WHO) के अनुसार, गर्भावस्था के दौरान या बच्चे के जन्म के 42 दिनों के भीतर प्रसूति महिला की गर्भावस्था या प्रबंधन से संबंधित कारणों से हुई मृत्यु, मातृ मृत्यु कहलाती है, इसमें आकस्मिक कारणों को शामिल नहीं किया जाता है।

मातृ मृत्यु दर

मातृ मृत्यु दर का आशय एक निश्चित समयावधि के दौरान प्रति 100000 पंजीकृत, जन्म या गर्भावस्था से संबंधित जटिलताओं के कारण मातृ मृत्यु की संख्या से होता है। भारत में यह आंँकड़ा वर्ष 2016 के अनुसार 130/100000 था।

रुमेटिक बुखार (Rheumatic Fever)

  • यह एक संक्रामक रोग है जो लाल बुखार (गला ख़राब करता है) का भी कारक है।
  • रुमेटिक बुखार हृदय को स्थायी रूप से नुकसान पहुंँचा सकता है जिसमें ह्रदय वाल्व की क्षतिग्रस्तता से लेकर ह्रदय की विफलता (Heart Failure) तक हो सकती है।
  • प्रसार: रुमेटिक बुखार 5-15 वर्ष के बच्चों में सबसे सामान्य है, हालांँकि यह शिशुओं और वयस्कों को भी हो सकता है।
  • कारण: रुमेटिक बुखार, समूह ए स्ट्रेप्टोकोकस (Group A streptococcus) नामक जीवाणु के कारण हुए गले के संक्रमण से होता है।
  • इसलिये भारत सरकार पेनिसिलिन को प्रयोग में लाने की कोशिश कर रही है तथा इसे 5-15 वर्ष की आयु तक के उन बच्चों में वितरित किया जाएगा जिन्हें कम-से-कम एक बार गले में संक्रमण हुआ है।
  • दवा को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के माध्यम से या मान्यता प्राप्त सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्त्ताओं (आशा) द्वारा वितरित किया जाएगा।
  • सरकार इसे मूल्य नियंत्रण सूची से हटाने के लिये राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (National Pharmaceutical Pricing Authority- NPPA) के साथ भी परामर्श कर रही है।
  • उत्पादन को फिर से शुरू करने के लिये सरकार तीन वर्ष तक दवा की खरीद करेगी जिससे निर्माताओं को उत्पादन प्रक्रिया फिर से शुरू करने हेतु प्रोत्साहित किया जा सकेगा।

स्रोत : इंडियन एक्सप्रेस


विविध

Rapid Fire करेंट अफेयर्स (03 October)

1. UAE का पहला अंतरिक्ष यात्री ISS पहुँचा

  • 25 सितंबर को संयुक्त अरब अमीरात (UAE) के हाज़ा अल मंसूरी (Haaza Al-Mansoori) कज़ाखस्तान के बैकोनूर (Baikonur) के कोस्मोड्रोम से अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) में जाने वाले अरब देशों के पहले अंतरिक्ष यात्री बन गए।
  • वे ISS में 7 दिन की यात्रा पर गए हैं तथा उनके साथ एक महिला अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री जेसिका अलरिका मीर (Jessica Ulrika Meir) तथा रूसी अंतरिक्ष यात्री ओलेग स्क्रिपोचका (Oleg Skripochka) भी गए हैं।
  • अल-मंसूरी 3 अक्तूबर को नासा के निक हेग (Nick Hague) और रूसी अंतरिक्ष यात्री एलेक्सी ओविचिन (Aleksey Ovchinin) के साथ पृथ्वी पर लौट आएँगे।
  • स्क्रिपोचका और मीर वर्ष 2020 के वसंत तक ISS पर रहने के लिये गए हैं।
  • संयुक्त अरब अमीरात, जिसे कभी-कभी अमीरात कहा जाता है, फारस की खाड़ी पर अरब प्रायद्वीप के दक्षिण-पूर्वी छोर पर पश्चिमी एशिया में स्थित एक देश है।
  • अपनी अंतरिक्ष योजनाओं के हिस्से के रूप UAE ने वर्ष 2021 तक मंगल ग्रह की कक्षा में मानवरहित मिशन भेजने हेतु प्रथम अरब देश बनने का भी लक्ष्य रखा है, जिसका नाम मिशन का ‘होप’ रखा गया है।
  • गौरतलब है कि बाहरी अंतरिक्ष में सऊदी अरब के सुल्तान बिन सलमान अल-सऊद पहले व्यक्ति थे, जिन्होंने वर्ष 1985 में अमेरिकी शटल मिशन पर उड़ान भरी थी।

क्या है ISS?

  • तमाम तनावों और मतभेदों के बावजूद अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) रूस और पश्चिम जगत के बीच सहयोग का एक दुर्लभ उदाहरण है, जो वर्ष 1998 के बाद से लगभग 28,000 किमी. प्रति घंटे की रफ्तार से पृथ्वी की परिक्रमा कर रहा है। ISS मे परिचालन और स्थायी रूप से निवास किया जा सकता है।
  • यह पृथ्वी की निचली कक्षा में स्थित है। ISS कार्यक्रम पाँच प्रतिभागी अंतरिक्ष एजेंसियों के बीच एक संयुक्त परियोजना है, जिसमें NASA, रोस्कोस्मोस, JXA, ESA, और CSA शामिल हैं। अंतरिक्ष स्टेशन का स्वामित्व और उपयोग अंतर-सरकारी संधियों तथा समझौतों द्वारा तय किया गया है।
  • 2 नवंबर, 2000 से लगातार अंतरिक्ष यात्री ISS में कार्य कर रहे हैं। इसमें कई सोलर पैनल लगे हुए हैं और इसका वज़न लगभग 391000 किलोग्राम है। इसमें एक बार में छह अंतरिक्ष यात्री छह महीने तक रह सकते हैं।

2. दिल्ली में शुरू हुई 112 हेल्पलाइन; लॉन्च हुईं प्रखर वैन

  • दिल्ली में तत्काल आपात सहायता मुहैया कराने के लिये एक आपात हेल्पलाइन नंबर 112 की शुरुआत की गई है।
  • इस नए इमरजेंसी रिस्पांस सपोर्ट सिस्टम (ERSS-112) के लागू होने के साथ ही पुलिस प्रतिक्रिया का समय बहुत कम हो जाएगा।
  • इस नई प्रणाली में एक कॉल मोबाइल एप के ज़रिये पुलिस नियंत्रण कक्ष (PCR) के साथ-साथ कम-से-कम पाँच लोगों के पास पहुँचेगी।

कैसे काम करेगी 112 हेल्पलाइन?

अब तक 100 या फिर 101 डायल करने पर कॉल पहले दिल्ली पुलिस मुख्यालय में स्थित कंट्रोल रूम में रिकॉर्ड की जाती थी। फिर उसे वायरलेस के ज़रिये संबंधित थाने-दमकल सेवा केंद्र या फिर अस्पताल को नोट कराया जाता था। इस प्रक्रिया में धन, श्रम, समय व्यर्थ होता था। अब 'डायल-112' पर इमरजेंसी कॉल रिकार्ड होने के साथ बिना किसी बिलंब के स्वयं संबंधित विभाग को जाती रहेगी।

फिलहाल सिंगल इमरजेंसी नंबर की सेवा उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, राजस्थान, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु, केरल, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, हिमाचल प्रदेश और नगालैंड में काम कर रही है।

C-DEC ने बनाया सॉफ्टवेयर

दिल्ली में 'डायल-112' को व्यावहारिक रूप देने में सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ एडवांस कम्प्यूटिंग (C-DAC) का योगदान रहा। डायल-112 का सॉफ्टवेयर सी-डेक ने ही बनाया है। अब 100, 101, 102, 108 पर कोई व्यक्ति मदद के लिये डायल करेगा, तो उसकी कॉल 'डायल-112' पर ही जाकर स्वत: कनेक्ट हो जाएगी। गौरतलब है कि C-DAC एक अर्द्ध-सरकारी निकाय है, जो सॉफ्टवेयर एवं इलेक्ट्रॉनिक्स के क्षेत्र में एक जाना-माना नाम है। हिंदी जगत में यह मुख्य रूप से भाषाई कम्प्यूटिंग संबंधी विकास कार्यों के लिये जानी जाती है।

दिल्ली पुलिस को मिली ‘प्रखर’ वैन

इसके साथ ही शहर में सड़कों पर होने वाले अपराधों को रोकने के लिये दिल्ली पुलिस की 'प्रखर' वैन भी लॉन्च की गई। 'प्रखर' वैनों को शुरू में 15 अपराध संभावित स्थानों पर तैनात किया जाएगा और आवश्यकता अनुसार इनकी संख्या बढ़ाई जाएगी। दिल्ली पुलिस ने राजधानी के सभी 15 पुलिस ज़िलों में एक-एक ‘प्रखर’ वैन तैनात की है। ये वैन हाई-टेक तकनीक और हथियारों से लैस हैं।


3. उत्तर प्रदेश में नई स्टार्टअप नीति

  • उद्यमिता को नए आयाम देने के लिये उत्तर प्रदेश सरकार नई स्टार्टअप नीति लेकर आ रही है। अभी तक राज्य के स्टार्टअप्स को आईटी नीति के तहत ही छूट दी जाती रही है।
  • नई नीति के तहत स्कूल से ही बच्चों को स्टार्टअप के लिये तैयार किया जाएगा और विश्वविद्यालयों में उद्यमिता सेल बनाए जाएंगे।
  • राज्य सरकार आईटी व स्टार्टअप नीति वर्ष 2017 में लाई थी, लेकिन अब स्वतंत्र तौर पर स्टार्टअप नीति लाई जा रही है। इस नीति के तहत हर क्षेत्र के स्टार्टअप को प्रोत्साहन दिया जाएगा।
  • इस नीति के तहत उद्यम लगाने वाले को कई तरह की छूट दी जाएगी।

ODOP से जोड़ी जाएगी नई नीति

अभी तक राज्य में जो नीति है वह आईटी व इलेक्ट्रॉनिक के ईद-गिर्द बनी है। इसलिये अब स्टार्टअप को आईटी व इलेक्ट्रॉनिक नीति से अलग कर वन डिस्ट्रिक वन प्रोडक्ट (ODOP) से जोड़ा जाएगा। उदाहरण के लिये जहाँ कालीन का काम होता है वहाँ लोग इस विधा को नई तरह से इस्तेमाल करें और इसमें स्टार्टअप की शुरुआत करें ताकि आसपास के लोगों को भी इससे रोज़गार मिल सके। इसके लिये मेंटर (मार्गदर्शक) से लेकर अन्य प्रोत्साहन दिये जाएंगे। इसमें मेडिकल, खेती-किसानी, घरेलू उत्पाद से संबंधित स्टार्टअप शामिल हो सकते हैं। इस नीति में MSME के साथ 18 क्षेत्रों में इंक्यूबेशन सेंटर भी बनाए जाएंगे ताकि ODOP की अवधारणा को उद्यमिता में बदला जा सके।

नई नीति के तहत राज्य में स्थापित होने वाले 16 विश्वविद्यालयों में छोटा इंक्यूबेशन सेंटर-कम-उद्यमिता सेल खोला जाएगा और इसके लिये सरकार आर्थिक मदद भी देगी।

  • छोटी व लंबी अवधि के पाठ्यक्रम भी चलाए जाएंगे ताकि स्नातक करते-करते युवाओं को स्टार्टअप का पूरा ज्ञान हो जाए।
  • चुनिंदा स्कूलों में प्रत्येक वर्ष राज्य सरकार ई-सेल बनाएगी और इसे अटल इनोवेशन सेंटर से लिंक किया जाएगा ताकि स्कूली पढ़ाई के दौरान ही बच्चों को स्टार्टअप की जानकारी मिल सके।

क्या है स्टार्टअप व इंक्यूबेशन सेंटर

किसी भी नए आइडिया पर रोज़गारपरक काम शुरू करना ही स्टार्टअप कहलाता है। अधिकांश स्टार्टअप इस तरह के प्रोडक्ट्स या सर्विस लॉन्च करते हैं, जो कि बाज़ार में उपलब्ध नहीं होते। वहीं इंक्यूबेशन सेंटर में वह सारी सुविधाएँ होती हैं जो किसी नए काम या रोज़गार को शुरू करने में मदद करती हैं। यहाँ मार्गदर्शक से लेकर उत्पाद को बाज़ार में लाने तक मदद की जाती है।


4. हिमाचल सरकार खरीदेगी प्लास्टिक

  • प्रदेश को प्लास्टिक कचरा मुक्त करने के उद्देश्य से हिमाचल सरकार ने रि-साइकल (पुनःचक्रित) न होने वाले प्लास्टिक को खरीदने का निर्णय लिया है।
  • इस प्रक्रिया को किस प्रकार कार्यान्वयित किया जाएगा और प्लास्टिक किस मूल्य पर एवं कहाँ से खरीदी जाएगी, इसका प्रस्ताव पर्यावरण, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग ने तैयार किया है।
  • चूँकि कचरे के बदले सरकार पैसे देगी, इसलिये लोग भी इस योजना से जुड़ेंगे और कचरा कम फैलेगा।
वर्ष 1999 में प्लास्टिक की थैलियों पर प्रतिबंध लगाने वाले देश के पहले राज्य हिमाचल प्रदेश ने अब चिप्स, कुरकुरे, नमकीन और बिस्कुट जैसे विभिन्न उत्पादों की पैकिंग में इस्तेमाल होने वाले प्लास्टिक से भी प्रदेश को मुक्त करने की तैयारी कर ली है।


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