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Rapid Fire करेंट अफेयर्स (03 October)

  • 03 Oct 2019
  • 11 min read

1. UAE का पहला अंतरिक्ष यात्री ISS पहुँचा

  • 25 सितंबर को संयुक्त अरब अमीरात (UAE) के हाज़ा अल मंसूरी (Haaza Al-Mansoori) कज़ाखस्तान के बैकोनूर (Baikonur) के कोस्मोड्रोम से अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) में जाने वाले अरब देशों के पहले अंतरिक्ष यात्री बन गए।
  • वे ISS में 7 दिन की यात्रा पर गए हैं तथा उनके साथ एक महिला अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री जेसिका अलरिका मीर (Jessica Ulrika Meir) तथा रूसी अंतरिक्ष यात्री ओलेग स्क्रिपोचका (Oleg Skripochka) भी गए हैं।
  • अल-मंसूरी 3 अक्तूबर को नासा के निक हेग (Nick Hague) और रूसी अंतरिक्ष यात्री एलेक्सी ओविचिन (Aleksey Ovchinin) के साथ पृथ्वी पर लौट आएँगे।
  • स्क्रिपोचका और मीर वर्ष 2020 के वसंत तक ISS पर रहने के लिये गए हैं।
  • संयुक्त अरब अमीरात, जिसे कभी-कभी अमीरात कहा जाता है, फारस की खाड़ी पर अरब प्रायद्वीप के दक्षिण-पूर्वी छोर पर पश्चिमी एशिया में स्थित एक देश है।
  • अपनी अंतरिक्ष योजनाओं के हिस्से के रूप UAE ने वर्ष 2021 तक मंगल ग्रह की कक्षा में मानवरहित मिशन भेजने हेतु प्रथम अरब देश बनने का भी लक्ष्य रखा है, जिसका नाम मिशन का ‘होप’ रखा गया है।
  • गौरतलब है कि बाहरी अंतरिक्ष में सऊदी अरब के सुल्तान बिन सलमान अल-सऊद पहले व्यक्ति थे, जिन्होंने वर्ष 1985 में अमेरिकी शटल मिशन पर उड़ान भरी थी।

क्या है ISS?

  • तमाम तनावों और मतभेदों के बावजूद अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) रूस और पश्चिम जगत के बीच सहयोग का एक दुर्लभ उदाहरण है, जो वर्ष 1998 के बाद से लगभग 28,000 किमी. प्रति घंटे की रफ्तार से पृथ्वी की परिक्रमा कर रहा है। ISS मे परिचालन और स्थायी रूप से निवास किया जा सकता है।
  • यह पृथ्वी की निचली कक्षा में स्थित है। ISS कार्यक्रम पाँच प्रतिभागी अंतरिक्ष एजेंसियों के बीच एक संयुक्त परियोजना है, जिसमें NASA, रोस्कोस्मोस, JXA, ESA, और CSA शामिल हैं। अंतरिक्ष स्टेशन का स्वामित्व और उपयोग अंतर-सरकारी संधियों तथा समझौतों द्वारा तय किया गया है।
  • 2 नवंबर, 2000 से लगातार अंतरिक्ष यात्री ISS में कार्य कर रहे हैं। इसमें कई सोलर पैनल लगे हुए हैं और इसका वज़न लगभग 391000 किलोग्राम है। इसमें एक बार में छह अंतरिक्ष यात्री छह महीने तक रह सकते हैं।

2. दिल्ली में शुरू हुई 112 हेल्पलाइन; लॉन्च हुईं प्रखर वैन

  • दिल्ली में तत्काल आपात सहायता मुहैया कराने के लिये एक आपात हेल्पलाइन नंबर 112 की शुरुआत की गई है।
  • इस नए इमरजेंसी रिस्पांस सपोर्ट सिस्टम (ERSS-112) के लागू होने के साथ ही पुलिस प्रतिक्रिया का समय बहुत कम हो जाएगा।
  • इस नई प्रणाली में एक कॉल मोबाइल एप के ज़रिये पुलिस नियंत्रण कक्ष (PCR) के साथ-साथ कम-से-कम पाँच लोगों के पास पहुँचेगी।

कैसे काम करेगी 112 हेल्पलाइन?

अब तक 100 या फिर 101 डायल करने पर कॉल पहले दिल्ली पुलिस मुख्यालय में स्थित कंट्रोल रूम में रिकॉर्ड की जाती थी। फिर उसे वायरलेस के ज़रिये संबंधित थाने-दमकल सेवा केंद्र या फिर अस्पताल को नोट कराया जाता था। इस प्रक्रिया में धन, श्रम, समय व्यर्थ होता था। अब 'डायल-112' पर इमरजेंसी कॉल रिकार्ड होने के साथ बिना किसी बिलंब के स्वयं संबंधित विभाग को जाती रहेगी।

फिलहाल सिंगल इमरजेंसी नंबर की सेवा उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, राजस्थान, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु, केरल, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, हिमाचल प्रदेश और नगालैंड में काम कर रही है।

C-DEC ने बनाया सॉफ्टवेयर

दिल्ली में 'डायल-112' को व्यावहारिक रूप देने में सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ एडवांस कम्प्यूटिंग (C-DAC) का योगदान रहा। डायल-112 का सॉफ्टवेयर सी-डेक ने ही बनाया है। अब 100, 101, 102, 108 पर कोई व्यक्ति मदद के लिये डायल करेगा, तो उसकी कॉल 'डायल-112' पर ही जाकर स्वत: कनेक्ट हो जाएगी। गौरतलब है कि C-DAC एक अर्द्ध-सरकारी निकाय है, जो सॉफ्टवेयर एवं इलेक्ट्रॉनिक्स के क्षेत्र में एक जाना-माना नाम है। हिंदी जगत में यह मुख्य रूप से भाषाई कम्प्यूटिंग संबंधी विकास कार्यों के लिये जानी जाती है।

दिल्ली पुलिस को मिली ‘प्रखर’ वैन

इसके साथ ही शहर में सड़कों पर होने वाले अपराधों को रोकने के लिये दिल्ली पुलिस की 'प्रखर' वैन भी लॉन्च की गई। 'प्रखर' वैनों को शुरू में 15 अपराध संभावित स्थानों पर तैनात किया जाएगा और आवश्यकता अनुसार इनकी संख्या बढ़ाई जाएगी। दिल्ली पुलिस ने राजधानी के सभी 15 पुलिस ज़िलों में एक-एक ‘प्रखर’ वैन तैनात की है। ये वैन हाई-टेक तकनीक और हथियारों से लैस हैं।


3. उत्तर प्रदेश में नई स्टार्टअप नीति

  • उद्यमिता को नए आयाम देने के लिये उत्तर प्रदेश सरकार नई स्टार्टअप नीति लेकर आ रही है। अभी तक राज्य के स्टार्टअप्स को आईटी नीति के तहत ही छूट दी जाती रही है।
  • नई नीति के तहत स्कूल से ही बच्चों को स्टार्टअप के लिये तैयार किया जाएगा और विश्वविद्यालयों में उद्यमिता सेल बनाए जाएंगे।
  • राज्य सरकार आईटी व स्टार्टअप नीति वर्ष 2017 में लाई थी, लेकिन अब स्वतंत्र तौर पर स्टार्टअप नीति लाई जा रही है। इस नीति के तहत हर क्षेत्र के स्टार्टअप को प्रोत्साहन दिया जाएगा।
  • इस नीति के तहत उद्यम लगाने वाले को कई तरह की छूट दी जाएगी।

ODOP से जोड़ी जाएगी नई नीति

अभी तक राज्य में जो नीति है वह आईटी व इलेक्ट्रॉनिक के ईद-गिर्द बनी है। इसलिये अब स्टार्टअप को आईटी व इलेक्ट्रॉनिक नीति से अलग कर वन डिस्ट्रिक वन प्रोडक्ट (ODOP) से जोड़ा जाएगा। उदाहरण के लिये जहाँ कालीन का काम होता है वहाँ लोग इस विधा को नई तरह से इस्तेमाल करें और इसमें स्टार्टअप की शुरुआत करें ताकि आसपास के लोगों को भी इससे रोज़गार मिल सके। इसके लिये मेंटर (मार्गदर्शक) से लेकर अन्य प्रोत्साहन दिये जाएंगे। इसमें मेडिकल, खेती-किसानी, घरेलू उत्पाद से संबंधित स्टार्टअप शामिल हो सकते हैं। इस नीति में MSME के साथ 18 क्षेत्रों में इंक्यूबेशन सेंटर भी बनाए जाएंगे ताकि ODOP की अवधारणा को उद्यमिता में बदला जा सके।

नई नीति के तहत राज्य में स्थापित होने वाले 16 विश्वविद्यालयों में छोटा इंक्यूबेशन सेंटर-कम-उद्यमिता सेल खोला जाएगा और इसके लिये सरकार आर्थिक मदद भी देगी।

  • छोटी व लंबी अवधि के पाठ्यक्रम भी चलाए जाएंगे ताकि स्नातक करते-करते युवाओं को स्टार्टअप का पूरा ज्ञान हो जाए।
  • चुनिंदा स्कूलों में प्रत्येक वर्ष राज्य सरकार ई-सेल बनाएगी और इसे अटल इनोवेशन सेंटर से लिंक किया जाएगा ताकि स्कूली पढ़ाई के दौरान ही बच्चों को स्टार्टअप की जानकारी मिल सके।

क्या है स्टार्टअप व इंक्यूबेशन सेंटर

किसी भी नए आइडिया पर रोज़गारपरक काम शुरू करना ही स्टार्टअप कहलाता है। अधिकांश स्टार्टअप इस तरह के प्रोडक्ट्स या सर्विस लॉन्च करते हैं, जो कि बाज़ार में उपलब्ध नहीं होते। वहीं इंक्यूबेशन सेंटर में वह सारी सुविधाएँ होती हैं जो किसी नए काम या रोज़गार को शुरू करने में मदद करती हैं। यहाँ मार्गदर्शक से लेकर उत्पाद को बाज़ार में लाने तक मदद की जाती है।


4. हिमाचल सरकार खरीदेगी प्लास्टिक

  • प्रदेश को प्लास्टिक कचरा मुक्त करने के उद्देश्य से हिमाचल सरकार ने रि-साइकल (पुनःचक्रित) न होने वाले प्लास्टिक को खरीदने का निर्णय लिया है।
  • इस प्रक्रिया को किस प्रकार कार्यान्वयित किया जाएगा और प्लास्टिक किस मूल्य पर एवं कहाँ से खरीदी जाएगी, इसका प्रस्ताव पर्यावरण, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग ने तैयार किया है।
  • चूँकि कचरे के बदले सरकार पैसे देगी, इसलिये लोग भी इस योजना से जुड़ेंगे और कचरा कम फैलेगा।
वर्ष 1999 में प्लास्टिक की थैलियों पर प्रतिबंध लगाने वाले देश के पहले राज्य हिमाचल प्रदेश ने अब चिप्स, कुरकुरे, नमकीन और बिस्कुट जैसे विभिन्न उत्पादों की पैकिंग में इस्तेमाल होने वाले प्लास्टिक से भी प्रदेश को मुक्त करने की तैयारी कर ली है।

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