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भारतीय अर्थव्यवस्था

चालू खाता घाटा में कमी

  • 03 Oct 2019
  • 4 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा ज़ारी आंँकड़ों के अनुसार चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में चालू खाता घाटा कम होकर सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का 2% अथवा 14.3 अरब डॉलर हो गया है।

  • पिछले वित्तीय वर्ष की इसी अवधि में चालू खाता घाटा 15.8 अरब डॉलर था जो कि सकल घरेलू उत्पाद का 2.3% था।

चालू खाता घाटा

(Current Account Deficit- CAD)

  • चालू खाता, निर्यात और आयात के कारण विदेशी मुद्रा के निवल अंतर को दर्शाता है।
  • यदि यह अंतर नकारात्मक होता है तो इसे चालू खाता घाटा (CAD) कहते हैं और सकारात्मक होने पर इसे चालू खाता सरप्लस कहा जाता है।
  • चालू खाता के अंतर्गत मुख्यत: तीन प्रकार के लेन-देन, जिसमें पहला वस्तुओं व सेवाओं का आयात-निर्यात और दूसरा कर्मचारियों व विदेशी निवेश से प्राप्त आय एवं खर्च तथा तीसरा विदेशों से प्राप्त अनुदान राशि, उपहार एवं विदेश में बसे कामगारों द्वारा भेजी जाने वाली विप्रेषण (Remittance) की राशि, को शामिल किया जाता है।
  • चालू खाता घाटा में उतार-चढ़ाव का सकल घरेलू उत्पाद (GDP) पर भी प्रभाव पड़ता है।
  • चालू खाता घाटा, व्यापार संतुलन (Balance of Trade) से अलग है।
  • व्यापार संतुलन केवल वस्तुओं और सेवाओं के निर्यात और आयात से होने वाली आय और खर्च में अंतर को मापता है, जबकि चालू खाता विदेशों में घरेलू पूंजी के प्रयोग से प्राप्त भुगतान को भी शामिल करता है।

प्रमुख बिंदु

  • अदृश्य मदों अर्थात् सेवाओं के निर्यात से ऊंँची प्राप्तियांँ चालू खाता घाटे में कमी का मुख्य कारण है।
  • पिछले वर्ष की इस अवधि में अदृश्य मदों से 29.9 अरब डॉलर की प्राप्ति हुई थी, जबकि इस वर्ष के लिये यह आंँकड़ा 31.9 अरब डॉलर रहा।
  • मुख्य रूप से ट्रेवल, वित्तीय सेवाओं, दूरसंचार, कंप्यूटर और सूचना सेवाओें से प्राप्त निवल आय में वृद्धि के कारण निवल सेवा प्राप्तियों (Net Services Receipts) में वर्ष-दर-वर्ष आधार पर 7.3% तक की वृद्धि दर्ज़ की गई ।
  • निवल प्रत्‍यक्ष विदेशी निवेश वर्ष 2018-19 की पहली तिमाही के 9.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर की तुलना में 2019-20 की पहली तिमाही में 13.9 बिलियन अमेरिकी डॉलर के स्तर पर रहा।
  • ऋण और इक्विटी दोनों बाज़ारों में निवल खरीद के कारण विदेशी पोर्टफोलियो निवेश में वर्ष 2018-19 की पहली तिमाही के 8.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर की निकासी की तुलना में वर्ष 2019-20 की पहली तिमाही में 4.8 बिलियन अमेरिकी डॉलर का निवल अंतर्वाह दर्ज किया गया।
  • बाह्य वाणिज्यिक उधारियों के कारण निवल अंतर्वाह एक वर्ष पहले के 1.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर की तुलना में वर्ष 2019-20 की पहली तिमाही में 6.3 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया।
  • भारत में वाणिज्यिक गतिविधियों के वित्तपोषण के लिये विदेशी स्रोतों से जो वित्त प्राप्त किया जाता है, उसे बाह्य वाणिज्यिक उधार कहा जाता है।
  • निजी अंतरण प्राप्तियाँ (Private Transfers Receipts), जिसमें मुख्यत: विप्रेषण (Remittance) को शामिल किया जाता है, 6.2% बढ़कर 19.9 अरब डॉलर हो गईं।
  • वर्ष 2018-19 की पहली तिमाही में 11.3 अरब डॉलर की गिरावट की तुलना में वर्ष 2019-20 में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 14 अरब डॉलर बढ़ गया।

स्रोत : द हिंदू

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