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एक डोर के दो छोर : पर्यटन और आर्थिक विकास

"सैर कर दुनिया की ग़ाफ़िल ज़िंदगानी फिर कहाँ,
ज़िंदगी गर कुछ रही तो ये जवानी फिर कहाँ।"

ख़्वाजा मीर दर्द का ये शेर हर यात्री की कहानी है। दुनिया में कई लोग हैं जो चाहते हैं कि वो अपनी ज़िंदगी खत्म होने से पहले पृथ्वी का हर कोना घूम सकें, प्रकृति सुंदरता का मनोहर दर्शन कर सकें। हालाँकि, घुमक्कड़ लोगों की ये सोच आज पूरी दुनिया के आर्थिक ज़ख़्मों को भरने का दम रखती है। दरअसल, इस समय दुनिया आर्थिक संकट से जूझ रही है। ऐसे में कई देश अब पर्यटन के ज़रिए अपना ख़ज़ाना भरना चाहते हैं। सऊदी अरब हो या भारत...हर देश अब पर्यटन की ओर तेज़ी से काम कर रहा है। ऐसा नहीं है कि दुनिया को पर्यटन का मोल अभी हाल फिलहाल में समझ आया है, बल्कि विकसित देशों ने इसकी ताकत को पहले ही भाँप लिया था। यही वजह है कि वर्ष 1979 में संयुक्त राष्ट्र विश्व पर्यटन संगठन (यूएनडब्ल्यूटीओ) ने हर साल 27 सितंबर को विश्व पर्यटन दिवस मनाने की घोषणा की थी। हालाँकि, आधिकारिक तौर पर देखें तो इसे पहली बार 27 सितंबर 1980 को मनाया गया। इस दिन का मुख्य उद्देश्य होता है कि दुनियाभर के तमाम देश और विभिन्न संगठन पर्यटन को बढ़ावा दें, ताकि लोग इतिहास, विरासत, संस्कृतियों, स्थानों और रोमांच को फिर से तलाशने तथा उनके बारे में जानने एवं समझने में जुट जाएँ।

पर्यटन के ज़रिए आर्थिक स्थिति में सुधार

भारत तेज़ी से अपने आप को पर्यटन के लिए विकसित कर रहा है। यही वजह है कि भारत की आर्थिक स्थिति में पर्यटन अच्छा खासा योगदान भी दे रहा है। वर्ल्ड ट्रैवल एंड टूरिज्म काउंसिल (डब्ल्यूटीटीसी) द्वारा जारी आँकड़ों के अनुसार, वर्ष 2022 में, भारत की अर्थव्यवस्था में भारत के यात्रा और पर्यटन क्षेत्र का योगदान 15.7 ट्रिलियन रुपए था। वहीं इस साल के अंत तक ये 16.5 ट्रिलियन हो सकता है। वहीं इस रिपोर्ट पर डब्ल्यूटीटीसी की अध्यक्ष और सीईओ जूलिया सिम्पसन ने कहा था, “अगले दस वर्षों के लिए हमारा पूर्वानुमान लगभग 37 ट्रिलियन का है। हमें उम्मीद है कि भारत इस लक्ष्य को हासिल करे लेगा।” वहीं स्टैटिस्टा (statista) की रिपोर्ट के अनुसार, वैश्विक स्तर पर, सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में यात्रा और पर्यटन का प्रत्यक्ष योगदान वर्ष 2022 में लगभग 7.7 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर था। यह कुल वैश्विक जीडीपी का, 7.6 प्रतिशत हिस्सा था। जबकि, वर्ष 2022 में, वैश्विक ऑनलाइन ट्रैवल बाज़ार की बात करें तो ये 474.8 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँच गया था। अनुमान है कि वर्ष 2030 यह आँकड़ा एक ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर से ज़्यादा का हो सकता है।

रोज़गार का साधन पर्यटन

यूएनडब्ल्यूटीओ की रिपोर्ट के अनुसार, वैश्विक पर्यटन को वर्ष 2023 से वर्ष 2030 के बीच हर साल लाखों हॉस्पिटैलिटी ग्रेजुएट्स की ज़रूरत पड़ेगी जो ट्रैवेल और टूरिज्म के काम को समझते हों। वहीं इसके अलावा हर साल इस सेक्टर से जुड़े अतिरिक्त 8,00,000 नौकरियों के लिए हमें विशिष्ट व्यावसायिक प्रशिक्षण की ज़रूरत होगी। वहीं भारत की बात करें तो स्टेटिस्टा रिसर्च डिपार्टमेंट द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में ट्रैवल और पर्यटन क्षेत्र ने वित्तीय वर्ष 2020 में लगभग 80 मिलियन लोगों को रोज़गार प्रदान किया। वहीं अगस्त 2023 में आयोजित रोज़गार मेले को संबोधित करते हुए खुद देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि साल 2030 तक अकेले भारत का पर्यटन 130 से 140 मिलियन नई नौकरियाँ पैदा करेगा। इसके साथ ही उन्होंने कहा था कि वर्ष 2030 तक पर्यटन क्षेत्र की ओर से भारतीय अर्थव्यवस्था में 20 ट्रिलियन रुपए के योगदान की उम्मीद है।

एक टूरिस्ट से दो लाख की कमाई

पर्यटन मंत्रालय द्वारा जारी किए गए आँकड़ों पर नज़र डालें तो पता चलता है कि भारत सरकार हर विदेशी पर्यटक से औसतन 2 लाख रुपए की कमाई करती है। इसके साथ-साथ इस सेक्टर से जुड़ अन्य भारतीय प्लेयर जो कमाई करते हैं उसे तो छोड़ ही दीजिए। साल 2019 की बात करें तो भारत में विदेशी पर्यटकों की संख्या 1.09 करोड़ थी। इन 1.09 करोड़ विदेशी पर्यटकों से भारत सरकार को 2.11 लाख करोड़ रुपए की विदेशी मुद्रा की कमाई हुई थी। वहीं वर्ष 2020 की बात करें तो इस साल भारत में विदेशी पर्यटकों की संख्या 27.44 लाख थी। इन पर्यटकों से भारत को 50,136 करोड़ रुपए की कमाई हुई थी। विदेशी पर्यटकों की इस गिरावट का बड़ा कारण कोरोना वायरस था। दरअसल, भारत में कोरोना का पहला मामला 27 जनवरी 2020 को पाया गया था।

भारत में सबसे ज़्यादा पर्यटक कब आते हैं

पर्यटन मंत्रालय द्वारा जारी की गई रिपोर्ट के अनुसार, भारत में सबसे ज़्यादा विदेशी पर्यटक नवंबर से लेकर मार्च के बीच आते हैं। दरअसल, इस समय भारत में सर्दी का मौसम होता है और पूरा भारत घूमने के लिहाज़ से सबसे अनुकूल जगह होती है। आँकड़ों की बात करें तो वर्ष 2019 से 2020 तक नवंबर से मार्च के बीच भारत में 48 लाख विदेशी पर्यटक आए। अब आते हैं इस सवाल पर कि सबसे ज़्यादा विदेशी पर्यटक आते कहाँ से हैं? मिनिस्ट्री ऑफ टूरिज्म की रिपोर्ट के अनुसार, साल 2020 में सबसे ज़्यादा विदेशी पर्यटक बांग्लादेश से आए थे। इनकी संख्या 5.49 लाख थी। इसके बाद नंबर अमेरिका का था। यहाँ से 3.94 लाख लोग भारत घूमने आए थे। आपको बता दें, भारत आने वाला एक विदेशी पर्यटक औसतन 25 दिन रुकता है। वहीं अमेरिका और कनाडा से आने वाला पर्यटक औसतन 35 दिन भारत में बिताता है। जबकि, पश्चिमी यूरोप से आने वाले पर्यटक भारत में औसतन 24.4 दिन और पूर्वी यूरोप से आने वाले पर्यटक औसतन 17.9 दिन भारत में बिताते हैं।

वर्ष 2023 में कहाँ मनाया गया था ‘विश्व पर्यटन दिवस’

विश्व पर्यटन दिवस हर साल 27 सितंबर को मनाया जाता है। साल 2023 में इसकी मेज़बानी सऊदी अरब ने की थी। सबसे खास बात की इस साल विश्व पर्यटन दिवस की थीम थी 'पर्यटन और हरित निवेश' यानी टूरिज्म एंड ग्रीन इन्वेस्टमेंट। 27 से 28 सितंबर के बीच सऊदी अरब में 120 देशों के 500 से अधिक सरकारी और उद्योग जगत के दिग्गज इकट्ठा हुए थे। वहीं साल 2022 में विश्व पर्यटन दिवस की मेज़बानी इंडोनेशिया ने की थी। वहीं इस साल की थीम थी रीथिंकिंग टूरिज्म। कोरोना महामारी ने जिस सेक्टर को सबसे ज़्यादा नुकसान पहुँचाया वो पर्यटन ही है। यही वजह है कि दुनियाभर की सरकारें और संस्थाएँ अब इस सेक्टर पर तेज़ी से काम कर रही हैं।

पर्यटन के लिए भारत सबसे बेहतर

पर्यटन के दृष्टिकोण से भारत हमेशा से बेहतर स्थान रहा है। चीनी यात्री ह्वेनसांग इसका एक महत्त्वपूर्ण उदाहरण हैं। इसके साथ ही भारत में यात्रा की शुरुआत पर अगर नज़र डालें तो आप पाएँगे कि ये तीर्थ यात्राओं से कहीं-ना-कहीं जुड़ा है। आज भी भारत के अंदर घूमने वाले यात्रियों में सबसे ज़्यादा तादाद अगर किसी की होती है तो वो तीर्थ यात्रियों की या फिर किसी धार्मिक यात्रा पर जाने वाले लोगों की होती है।

खैर, अब अगर पर्यटन के नज़रिए से भारत को देखें तो ये दुनिया के किसी भी देश के मुकाबले सबसे बेहतर है। ये एक ऐसा देश है जहाँ आप एक दिन की यात्रा में पूरा मौसम बदला हुआ पा सकते हैं। सर्दियों में अगर आपको हल्की गर्मी का आनंद लेना है तो आप दक्षिण भारत या गोवा की ओर जा सकते हैं। गर्मियों में अगर आपको सर्दी का आनंद चाहिए तो आप कश्मीर, लेह या लद्दाख जा सकते हैं। इस देश में एक दिन की यात्रा कर के आप रेगिस्तान से समुद्र तक और समुद्र से बर्फिली पहाड़ियों तक पहुँच सकते हैं। यहाँ घूमना किसी भी विकसित देश के मुकाबले काफी सस्ता है। इसके साथ ही आपको सिर्फ इसी एक देश में कई तरह के कल्चर, कई तरह के फूड और कई तरह की वेशभूषा देखने को मिलेगी। उत्तर से लेकर दक्षिण तक, पूरब से लेकर पश्चिम तक...भारत और भारतीय लोग एक दूसरे से भिन्न हैं। यही वजह है कि भारत को विविधताओं का देश कहते हैं।

गौरव पाण्डेय

गौरव, मूलत: प्रयागराज ज़िले से हैं। इन्होंने आईआईएमसी नई दिल्ली से हिंदी पत्रकारिता की पढ़ाई की है। इंडिया टुडे ग्रुप में पाँच साल से अधिक पत्रकारिता करने के बाद वर्तमान में फ्रीलांस लेखन कर रहे हैं।

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