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ट्रैफिक नियमों का ज्ञान, बचाए रोड एक्सीडेंट से जान

जगह बदलता रहता है, आँकड़े बदलते रहते हैं, वाहन बदलते रहते हैं, होने वाली मौतों की संख्या बदलती रहती है, लेकिन 'सड़क दुर्घटना' की खबर सबमें कॉमन ही रहती है। हम अपने आसपास हर रोज़ सड़क हादसों के बारे में पढ़ते हैं, सुनते हैं, लेकिन क्या कभी हमने इन हादसों के पीछे की वजहों को जानने की कोशिश की?

क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर क्यों सड़क पर तमाम नीले-पीले-लाल बोर्ड लगे होते हैं? इन पर क्या कोडवर्ड में लिखा रहता है? इनका क्या मतलब होता है?

क्या आपने कभी सोचा कि आखिर क्यों ट्रैफिक पुलिस ओवरस्पी़डिंग करने के लिये मना करती है, क्यों कहा जाता है कि सीट बेल्ट लगाकर चलिये, हेलमेट पहनकर ही बाइक चलाइए?

इन सारे सवालों का है, “सड़क सुरक्षा!”

ये सारे प्रावधान इसलिये किये गए हैं ताकि आप सड़क पर सुरक्षित रहें और दूसरों के लिये भी खतरा ना बनें। क्योंकि सड़क पर एक छोटी सी गलती आपके और आपके परिवार के लिये बहुत भारी पड़ सकती है। सड़क पर चल रहे दूसरे लोगों के लिये भी ये जीवन का खतरा हो सकता है। भारत में पिछले साल हर घंटे 19 लोगों की मौत सड़क दुर्घटना में हुई। सोचिए कितना बड़ा आँकड़ा है ये। ये आँकड़ा खुद भारत सरकार ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट में जारी किया है। एक नज़र इस रिपोर्ट पर डालते हैं और फिर सड़क सुरक्षा एवं ट्रैफिक नियमों पर बात करेंगे।

हर साल की तरह इस साल भी भारत सरकार के सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने 31 अक्टूबर को ‘भारत में सड़क दुर्घटनाएँ - 2022’ शीर्षक से अपनी वार्षिक रिपोर्ट जारी कर दी। मंत्रालय हर साल ये रिपोर्ट जारी करता है जिसमें साल भर में हुई सड़क दुर्घटनाओं और उनसे जुड़े ब्यौरे होते हैं। इस रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2022 में कुल 4,61,312 सड़क दुर्घटनाएँ दर्ज हुईं। जिनमें 1,68,491 लोगों की जान चली गई और 4,43,366 लोग घायल हुए। इसका मतलब हुआ कि साल 2022 में हर घंटे 53 सड़क हादसे हुए और हर घंटे 19 लोगों ने अपनी जान सड़क हादसों में गवांई। पिछले साल की तुलना में सड़क हादसों में 11.9%, मृत्यु में 9.4% और चोटों में 15.3% की वृद्धि हुई है।

एक नज़र रिपोर्ट से सामने आए प्रमुख निष्कर्षों पर डाल लेते हैं:

1. जानलेवा ओवरस्पीडिंग

वर्ष 2022 में कुल सड़क दुर्घटनाओं में से 72.3 प्रतिशत दुर्घटनाएँ ओवरस्पीडिंग यानी तेज़ गति की वजह से हुईं। इतना ही नहीं सड़क हादसों में हुई मौतों में से 71.2 प्रतिशत मौत और 72.8 प्रतिशत चोटों के लिये भी ओवरस्पीडिंग ज़िम्मेदार था।

2. सीधी सड़कों पर ज़्यादा हादसे

आँकड़ों के मुताबिक, 67 फीसदी दुर्घटनाएँ सीधी सड़कों पर हुईं। यह घुमावदार सड़कों, गड्ढों वाली सड़कों और तेज़ ढलान वाली सड़कों पर होने वाली दुर्घटनाओं की कुल संख्या (13.8 प्रतिशत) से चार गुना अधिक है।

3. पीछे से टक्कर ज़्यादा

रिपोर्ट के मुताबिक अधिकतर सड़क हादसों में टक्कर पीछे से हुई हैं। वर्ष 2022 में हुए कुल हादसों में 21 प्रतिशत हादसे पीछे से टक्कर की वजह से हुए जबकि आमने-सामने की टक्कर में 16.9 प्रतिशत हादसे शामिल हैं।

4. अधिकांश सड़क हादसे साफ दिन में हुए

लगभग तीन-चौथाई दुर्घटनाएँ और मौतें 'धूप/साफ' मौसम में हुईं। वर्ष 2022 में बारिश, कोहरे और ओलावृष्टि जैसी प्रतिकूल मौसम स्थितियों में होने वाली दुर्घटनाएँ कुल सड़क दुर्घटनाओं का लगभग 16.6 प्रतिशत थीं।

5. दुपहिया वाहन सबसे ज़्यादा हादसों के शिकार

वर्ष 2022 में दोपहिया वाहनों से जुड़ी कुल 63,115 दुर्घटनाएँ हुईं। जिसमें 25,228 लोगों ने अपनी जान गंवाई। कार से कुल 29,005 दुर्घटना और 10,174 मौत, जबकि पैदल चलने वालों के साथ 20,513 हादसे दर्ज किए गए और 10,160 लोगों की मौत हुई।

आँकड़े बताते हैं कि पिछले साल की तुलना में वर्ष 2022 में सड़क दुर्घटनाओं और उससे होने वाली मौतों की संख्या में तेज़ी से बढ़ोतरी दर्ज की गई है। इस तेज़ी से बढ़ते आँकड़े को कम करने के लिये सबसे ज़रूरी है उन वजहों की पहचान होना जिनकी वजह से दुर्घटनाएँ हो रही है और फिर उन्हें नियंत्रित करने के उपाय करना। सड़क हादसों को कम करने के लिये सड़क पर चलने वाले प्रत्येक व्यक्ति को सड़क सुरक्षा और ट्रैफिक नियमों के बारे में जानकारी होना भी ज़रूरी है। इन दोनों विषयों पर एक-एक करके नज़र डालते हैं।

सबसे पहले बात उन वजहों की जो ज़्यादातर सड़क हादसों के लिये ज़िम्मेदार हैं।

सड़क दुर्घटनाओं के सामान्य कारण

बहुत तेज़ गति से वाहन चलानाः सभी को पीछे छोड़ देना एक मानव प्रवृति है किंतु अधिकतर घातक दुर्घटनाएँ बहुत तेज़ गति के कारण होती हैं। कम गति से चलने वाले वाहनों की तुलना में तेज़ गति के वाहनों की दुर्घटना की संभावना अधिक रहती है और तेज़ गति के वाहनों के मामले में दुर्घटना की गंभीरता भी अत्यधिक होती है। गति जितनी अधिक होगी, उतना ही अधिक जोखिम होता है।

नशे में गाड़ी चलानाः खुशी का कोई मौका मनाने के लिये शराब का सेवन आम बात हो गई है। लेकिन, जब ड्राइविंग के साथ इसे मिलाया जाए तो यह खुशी बदकिस्मती में बदल सकती है। शराब के सेवन से ध्यान केंद्रित करने में कमी आती है। इससे मानव शरीर तत्काल प्रतिक्रिया नहीं कर पाता। अल्कोहल के अलावा, कई नशीले पदार्थ एवं औषधियाँ ड्राइविंग और ध्यान केंद्रित करने पर प्रतिकूल असर डालती हैं।

ड्राइवर का ध्यान बंटाने वाली चीज़ें: गाड़ी चलाते समय थोड़ा-सा भी ध्यान बंटने से बड़ी दुर्घटनाएँ हो सकती हैं। ध्यान बंटाने वाले कारण वाहन के बाहर या भीतर हो सकते हैं। इसमें ड्राइविंग के साथ फोन पर बात करना सबसे बड़ा कारक है। इसके अलावा ड्राइविंग के समय स्टीरियो/रेडियो सेट करना, खाते या पीते हुए ड्राइविंग करना, सड़क पर जानवरों का आना, नींद या झपकी आ जाना, विज्ञापन और सूचना पट भी ड्राइवर का ध्यान बंटाती है। जिसकी वजह से सड़क पर दुर्घटनाएँ होती हैं।

सड़क सुरक्षा और ट्रैफिक नियमों का पालन न करना:

सड़क सुरक्षा और ट्रैफिक नियमों की जानकारी ना होना एवं इनका पालन न करना, सड़क दुर्घटनाओं की एक बड़ी वजह है। ट्रैफिक सिग्नल्स की परवाह किए बिना लाल बत्ती पार करना आम बात है। लाल बत्ती लाँघने वाला व्यक्ति न सिर्फ अपना स्वयं का जीवन जोखिम में डालता है, बल्कि सड़क पर चल रहे बाकी लोगों के लिये भी ये खतरनाक होता है। सिग्नल लाँघने की एक ड्राइवर की प्रवृति दूसरे ड्राइवर को भी लाल बत्ती लाँघने के लिये उकसाती है और अंततः क्रॉसिंग पर अराजकता पैदा हाती है, जिससे जाम लग जाता है।

इसी तरह से लेन ड्राइविंग और ओवरटेकिंग भी सड़क पर दुर्घटनाओं की एक बड़ी वजह है। अगर सही तरीके से लेन ड्राइविंग की जाए तो ओवरटेकिंग भी काफी कम हो जाए और सड़क दुर्घटनाएँ भी। इसके अलावा सीट बेल्ट व हेलमेट न पहनने की प्रवृत्ति भी आम है। ट्रैफिक पुलिस सीट बेल्ट और हेलमेट नियम पालन न करने वालों पर ज़ुर्माना लगाती है। लेकिन इसके बावजूद इसका पालन नहीं किया जाता। बल्कि इससे बचने के उपाय खोजे जाते हैं। जबकि यह बात सबको पता है कि सड़क दुर्घटना के दौरान हेलमेट और सीट बेल्ट जीवन रक्षक साबित होते हैं। लेकिन इसके बावजूद इस नियम का पालन आम प्रवृत्ति नहीं बन पाई है।

सड़क सुरक्षा के उपाय:

आर्थिक विकास, तेज़ी से बढ़ती तकनीक और बढ़ती ज़रूरतों की वजह से सड़क पर ट्रैफिक बहुत तेज़ी से बढ़ा है। सड़कों पर यह बढ़ा हुआ ट्रैफिक, सड़क पर चलने वाले लोगों की सुरक्षा को लेकर एक चुनौती भी पेश करता है। सड़क पर होने वाले दुर्घटनाओं की वजह से देश में हर साल बड़ी संख्या में जान-माल का नुकसान होता है। हालाँकि यह ज़रूरी नहीं है कि इससे पूरी तरह से बचा जा सकता है। लेकिन अगर सड़क सुरक्षा के नियमों को ध्यान में रखा जाए, कायदे से उनका पालन किया जाए, तो इन्हें काफी कम किया जा सकता है। अगर सड़क दुर्घटना के पीछे की वजहों की पहचान की जाए और उन्हें कम करने की दिशा में प्रयास किये जाएँ। इसके लिये ज़रूरी है कि लोगों को ट्रैफिक नियमों और संकेतों के बारे में पूरी जानकारी हो तथा सड़क पर चलते समय उनका पालन किया जाए।

ट्रैफिक कंट्रोल करने में सड़क संकेतकों की भूमिका बहुत महत्त्वपूर्ण होती है। सड़क सुरक्षा सुनिश्चित करने में सड़क संकेतक बेसिक आवश्यक तत्त्व हैं। सड़क संकेतक, सड़क पर लगे वे संकेतक होते हैं जो सड़क पर चलने वालों का मार्गदर्शन करने, उन्हें सचेत करने और ट्रैफिक कंट्रोल करने में मददगार होते हैं। सड़क संकेतक और चिह्न, वाहन चालकों को आदेश, चेतावनी या मार्गदर्शन देते हैं। इसलिये सड़क पर चलने से पहले इन इन संकेतों और चिह्नों का अर्थ समझना तथा सड़क पर चलते समय इनका पालन करना बहुत ज़रूरी है।

मोटे तौर सड़क पर दिखने वाले चिह्नों को 3 भागों में बाँटा गया है:

1- चेतावनी

2- आदेशात्मक

3- सूचनात्मक

1. चेतावनी चिह्न:

चेतावनी चिह्न वे चिह्न होते हैं जो ड्राइवर को सड़क पर आगे आने वाले खतरों/परिस्थितियों के बारे में चेतावनी देने के लिये होते हैं, जैसे— आगे कार्य प्रगति पर है, आगे खड़ी चढ़ाई है, आगे रेलवे क्रॉसिंग है आदि। सड़क पर चलते समय अक्सर हमें ये चेतावनी संकेतक दिखते हैं। अपनी सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए ड्राइवर को इनका पालन करना चाहिए। हालाँकि इन सड़क चिह्नों का उल्लंघन करने पर कानूनी कार्यवाही नहीं की जाती है, लेकिन ये सड़क पर आपकी सुरक्षा के लिये महत्त्वपूर्ण होते हैं। इन्हें अनदेखा करना आपके लिये काफी जोखिम भरा और दुर्घटना की वजह हो सकता है। इसलिये इनका पालन करना ज़रूरी होता है। ये चेतावनी/सचेतक चिह्न त्रिकोणीय आकृति में और लाल किनारे वाले होते हैं। चित्र–1 (चेतावनी सड़क चिह्न)

2. आदेशात्मक सड़क चिह्न:

सड़क पर चलते समय एक निश्चित क्षेत्र में इन ट्रैफिक चिह्नों का पालन करना अनिवार्य होता है। ये चिह्न सड़क पर चलने वाले चालकों को बताते हैं कि क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए, जैसे- रुकिये, नो एंट्री, नो ओवरटेकिंग, गति सीमा, मुड़ना या रुकना आदि। आम तौर पर आदेशात्मक चिह्न गोल आकृति में और लाल किनारे वाले होते हैं। इनमें से कुछ नीले रंग में भी होते हैं। कुछ चिह्नों के उल्लंघन पर भारी ज़ुर्माने या दंड का भुगतान करना भी पड़ सकता है। महत्त्वपूर्ण बात यह भी है कि इनके उल्लंघन से बड़ी दुर्घटनाएँ भी हो सकती हैं। चित्र–2 ( आदेशात्मक चिह्न)

3. सूचनात्मक सड़क चिह्न:

सूचनात्मक सड़क चिह्न, सड़क पर चलते समय वाहन चालकों को दिशा, गंतव्य, स्थान, सड़क किनारे की सुविधाओं आदि के बारे में जानकारी देते हैं, जैसे– पेट्रोल पम्प, हॉस्पिटल, स्कूल, जगह का नाम, आगे बड़े शहरों/जगहों की दूरी या दिशा आदि। सूचनात्मक चिह्नों की मदद से वाहन चालक का समय मिलता है और इधर-उधर भटके बिना गंतव्य तक पहुँचने में मदद मिलती है। सामान्य तौर पर ये चिह्न नीले रंग में होते हैं। इन चिह्नों पर दिशा व गंतव्य की दूरी भी लिखी होती है। चित्र–3 (सूचनात्मक सड़क चिह्न)

सड़क मार्किंग (Road Marking):

सड़क मार्किंग, सड़क की सतह पर पेंट किए गए लाइन्स का डिज़ाइन होता है। जो सड़क पर ट्रैफिक कंट्रोल को आसान बनाता है। सड़कों के ऊपर बनाए गए ये चिह्न वाहन चालकों तथा पैदल चलने वालों को दिशानिर्देश तथा महत्त्वपूर्ण जानकारी उपलब्ध कराते हैं। सड़क पर डिज़ाइन बनाने के लिये सफेद और पीले रंग के पेन्ट का प्रयोग किया जाता है। सड़क पर आपको लेन के बीच में सफेद रंग की अलग-अलग डिज़ाइन की लाइनें दिखती होंगी, जिनका मतलब इस प्रकार से है।

सीधी सफेद/पीली लाइन:

सड़क के बीचों-बीच सफेद या पीले रंग की सीधी लाइन बताती है कि सड़क दो लेन में है और आपको अपना लेन छोड़कर दूसरे लेन में नहीं जाना है, अपने लेन में ही चलना है। सीधी लाइन को क्रॉस नहीं करना है। दूसरे लेन में नहीं जाना है, सीधी लाइन को न तो क्रॉस करना चाहिए और ना ही उनके ऊपर चलना चाहिए।

गैप वाली सफेद/पीली लाइन:

सड़क पर चलते समय हमें लेन के बीच में ऐसी सफेद पट्टियाँ दिखती हैं जो सड़क के बीचों-बीच होती हैं, लेकिन दो पट्टियों के बीच सीधा गैप होता है या ये कहें कि ये टूटी हुई लाइन होती है। जहाँ पर सड़क के बीच में सफेद/पीली टूटी हुई लाइन होती है वहाँ पर इन्हें क्रॉस किया जा सकता है। ओवरटेक कर सकते हैं, लेकिन पूरी सावधानी के साथ और तभी जब क्रास करना या ओवरटेक करना सुरक्षित हो।

सड़क पर इन बातों का रखें ध्यान:

  • शांत रहें और पूरी तरह ड्राइविंग पर ध्यान दें।
  • लंबी यात्रा के दौरान समय-समय पर रुकें, पर्याप्त विश्राम लें।
  • ड्राइविंग करते समय फोन का इस्तेमाल न करें।
  • वाहनों के बीच उचित दूरी बनाकर रखें।
  • दो पहिया वाहन चालक बिना हेलमेट और दो से अधिक सवारी के साथ यात्रा न करें।
  • चार पहिया वाहन चालक बिना सीट बेल्ट लगाए यात्रा न करें।
  • ट्रैफिक सिग्नल्स और सड़क सुरक्षा नियमों का पालन करें।
  • ओवरस्पीडिंग से बचें।
  • शराब अथवा किसी भी तरह के मादक पदार्थों के सेवन के बाद ड्राइविंग न करें।
  • सिग्नल देते हुए, आगे-पीछे देखते हुए आराम से लेन बदलें।
  • नींद महसूस होने पर कहीं गाड़ी खड़ी करके मुँह धुलने जैसे उपाय करें ताकि नींद टूट जाए।
  • अपने वाहनों का रखरखाव कायदे से करें। समय-समय पर इसकी जाँच करते रहें।

हमारे आसपास ही ना जाने कितनी ऐसी घटनाएँ होती रहती हैं जिसमें सड़क हादसे की वजह से लोगों को जान-माल का नुकसान होता है, लेकिन इन सबके बावजूद हम सड़क पर निकलते ही ये भी देखते हैं कि ज़्यादातर लोग न तो ट्रैफिक नियमों का पालन करते हैं और ना ही उनके बारे में जानते हैं। हर कोई अपनी जान हथेली पर लिये घूमता प्रतीत होता है, क्योंकि जो कुछ लोग नियमों का पालन कर भी रहे होते हैं, उनकी जान भी नियमों का पालन न करने वालों की वजह से खतरे में होती है।

इसलिये सबसे ज़रूरी है कि सड़क पर उतरने से पहले ट्रैफिक और सड़क सुरक्षा के नियमों को ध्यान से समझ लिया जाए। ताकि खुद भी सुरक्षित घर पहुँचें और दूसरों के लिये भी खतरा ना बनें। दुर्घटना से देर भली। ट्रैफिक नियमों का पालन करें क्योंकि घर पर लोग आपका इंतज़ार कर रहे हैं।

गौरव पाण्डेय

गौरव, मूलत: प्रयागराज ज़िले से हैं। इन्होंने आईआईएमसी नई दिल्ली से हिंदी पत्रकारिता की पढ़ाई की है। इंडिया टुडे ग्रुप में पाँच साल से अधिक पत्रकारिता करने के बाद वर्तमान में फ्रीलांस लेखन कर रहे हैं।

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