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एक आईपीएस की डायरी : समय प्रबंधन से पाई सफलता

इस संसार में समय ही एक ऐसी चीज है जो सभी प्राणियों में समान रूप से वितरित है। चाहे राजा हो या रंक, अमीर हो या गरीब, महिला हो या पुरुष सभी को एक दिन में 24 घंटे ही मिलते हैं। अब व्यक्ति के जीवन की दिशा इस बात पर निर्भर करती है कि वह इन 24 घंटों का कितनी कुशलता से प्रबंधन करता है। दुनिया के प्रत्येक महान व्यक्ति की सफलता के पीछे अगर एक साझा सूत्र तलाशना हो तो वो है- समय प्रबंधन। भारत के भूतपूर्व राष्ट्रपति डॉ. ए.पी. जे. अब्दुल कलाम अपनी समय प्रबंधन की कुशलता के कारण हमेशा चर्चा में रहते थे। उन्होंने समय को सबसे महत्त्वपूर्ण पूंजी माना और उसी अनुसार उसका प्रबंधन करने की सलाह दी। उनके शिष्य और सहयोगी रहे प्रसिद्ध लेखक श्री सृजन पाल सिंह ने अपनी पुस्तक ‘What Can I Give?: Life lessons from My Teacher - Dr A.P.J. Abdul Kalam’ में डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम की समय प्रबंधन दक्षता का उल्लेख करते हुए लिखा है कि वे हमेशा समय के पाबंद रहते थे और अपने दिन को व्यवस्थित तरीके से जीते हुए लोक कल्याण से जुड़े रहते थे। वे प्रत्येक कार्यक्रम में ठीक समय पर पहुँच जाते थे ताकि उनका और किसी ओर का समय खराब न हो।

अब यदि सिविल सेवा परीक्षा में समय प्रबंधन की भूमिका का अवलोकन किया जाए तो निश्चित रूप से यह एक उम्मीदवार की सफलता में एक निर्णायक तत्त्व होगा। मैं अपने व्यक्तिगत अनुभव की बात करूं तो मेरी सफलता में समय प्रबंधन की विशेष भूमिका रही है। मैंने हमेशा समय का सम्मान किया और उसकी परिधि में ही अपनी जीवन क्रियाओं को संपादित करने की कोशिश की। ऐसा करना हमेशा आसान नहीं होता लेकिन सफलता की पीछे यह कारक हमेशा मौजूद होता है। मैं अपने अनुभव आपसे साझा कर रहा था, जब मैंने यह तय किया कि मुझे सिविल सेवक बनना है तब मैं IIT दिल्ली से बी.टेक कर रहा था और फिर मैंने तभी से सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी प्रारंभ कर दी थी। IIT में विद्यार्थियों पर अकादमिक दबाव बहुत ज्यादा होता है और उसके साथ सिविल सेवा की तैयारी का कदम इस दबाव को और अधिक बढ़ा देता है। आज मैं इस ब्लॉग में कुछ उदाहरणों की सहायता से यही चर्चा करूंगा कि कैसे मैंने समय प्रबंधन की कुशलता से इस परीक्षा में सफलता हासिल की । आशा है यह ब्लॉग आप सभी के लिए मददगार सिद्ध होगा।

सर्वप्रथम हमें अपने लक्ष्य के बारे में स्पष्ट होना अनिवार्य है। जैसे हमें यह पता होना चाहिए कि हमें कौन-सी परीक्षा देनी है और कब देनी है। उसके बाद उपलब्ध समय का सर्वश्रेष्ठ उपयोग करना ही हमें सफल बनाएगा। इसके लिए मैंने त्रि-स्तरीय रणनीति का पालन किया था। सबसे पहले सम्पूर्ण समय को महीनों में विभाजित किया और महीनेवार अपने लक्ष्य निर्धारित किये। उसके बाद महीने को सप्ताहनुसार लक्ष्य में बांटा। उसके बाद उस सप्ताह के प्रत्येक दिन को लक्ष्य निर्धारित करते हुए उपयोग किया। प्रत्येक दिन को भी सुबह से शाम तक अनेक खंडों में बाँटकर अध्ययन किया ।

अब ये वर्गीकरण शायद आपको थोड़ा जटिल लग रहा होगा इसलिए मैं इसको उदाहरण की सहायता से समझाने का प्रयास करता हूँ। जैसे किसी विद्यार्थी को अगले वर्ष जून में होने वाली सिविल सेवा  की परीक्षा देनी है तो अगर आज से ही तैयारी प्रारंभ करनी हो तो हमारे पास लगभग 11 माह का समय है। प्रारम्भिक परीक्षा से ठीक पहले के 3 महीनों को यदि केवल प्रारम्भिक परीक्षा की विशेष तैयारी के लिए छोड़ दिया जाए तो फिर हमारे पास लगभग 8 महीने का समय शेष रहता है। इन आठ महीनों में हमें प्रारम्भिक परीक्षा और मुख्य परीक्षा दोनों को एक साथ लेते हुए पढ़ना चाहिए। अब इन 8 महीने को महीनेवार लक्ष्य निर्धारित करते हुए यह निर्धारित कीजिए कि किस महीने में कौन-सा विषय पढ़ना है, जैसे 1 महीना राजव्यवस्था, 1 महीना सम्पूर्ण इतिहास इत्यादि। उसके बाद प्रत्येक महीने को सप्ताहवार लक्ष्य में विभाजित करें, जैसे इतिहास विषय वाले 1 महीने को इस प्रकार बाँटा जा सकता है- 2 सप्ताह आधुनिक भारत, 1 सप्ताह में प्राचीन भारत और एक सप्ताह में मध्यकालीन भारत। कला और संस्कृति को  प्राचीन भारत और मध्यकालीन भारत के साथ-साथ पढ़ा जा सकता है। अब प्रत्येक सप्ताह में रविवार को रिवीज़न के लिए निर्धारित करने बाद बचे हुए 6 दिनों के अनुसार लक्ष्य निर्धारित करने हैं। प्रत्येक दिन को भी तीन खंडों में विभाजित किया जा सकता है जो हैं- सुबह 8:30 से दोपहर 1 बजे तक ; दोपहर 2:30 बजे से शाम 7:30 बजे तक और रात 9 बजे से 12:30 बजे तक। इसके साथ ही थोड़ा समय व्यायाम जैसे कुछ क्रियाकलापों  के लिए भी निकालना बेहतर है क्योंकि इससे व्यक्ति की स्मरण शक्ति बढ़ती है।

जो व्यक्ति किसी नौकरी में रहते हुए इस परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं उनके लिए यह सुझाव रहेगा कि वे लोग इसी समय योजना में अपने समय की उपलब्ध मात्रानुसार इसमें थोड़ा बहुत परिवर्तन करते हुए इस योजना का पालन कर सकते हैं। लेकिन उनको सामान्य अभ्यर्थियों की अपेक्षा ज्यादा लगन और समर्पण के साथ इसका पालन करना होगा।

यदि हमें लंबे समय तक किसी सिद्धांत को याद रखना है तो  उसका नियमित अंतराल पर दोहराव होना अत्यावश्यक है। विशेषज्ञों का मत है कि किसी सिद्धांत को पढ़ने के बाद उसका 24 घंटे, 7 दिन और एक महीने के अंतराल पर दोहराव आवश्यक है। प्रत्येक विद्यार्थी को अपने समय में से दोहराव के लिए उचित समय का निर्धारण सावधानीपूर्वक करना आवश्यक है। इसके साथ ही किसी दिन के लिए जो लक्ष्य निर्धारित किया गया है उसको समाप्त करने के बाद ही दिन समाप्त करना चाहिए क्योंकि वो छूटा हुआ लक्ष्य अगले दिन आपके ऊपर दबाव बनाएगा और सम्पूर्ण समय प्रबंधन पटरी से उतर जाएगा । इसी संदर्भ में महान संत कवि कबीरदास जी ने सटीक कहा है-“काल करे सो आज कर, आज करे सो अब। पल में प्रलय होएगी,बहुरि करेगा कब। अर्थात कभी भी कल पर कोई काम मत छोड़ो, जो कल करना है उसे आज कर लो और जो आज करना है उसे अभी कर लो। किसी को पता नहीं अगर कहीं अगले ही पल में प्रलय आ जाए तो जीवन का अंत हो जाएगा फिर जो करना है वो कब करोगे। अतः जो लक्ष्य आज निर्धारित किया है उसको आज ही पूरा करो। इस प्रकार प्रत्येक दिन समयबद्ध तरीके से लक्ष्य पूर्ण करने के बाद आपके आगे के सभी लक्ष्य समय से पूरे होंगे और जब एक दो महीने गुजर जाएंगे तो आपका आत्मविश्वास अपने आप ही बढ़ जाएगा जो इस परीक्षा में सफलता के लिए बहुत ज़्यादा ज़रूरी है।

सिविल सेवा परीक्षा को दुनिया की कठिनतम परीक्षाओं में से एक माना जाता है और इसके विस्तृत पाठ्यक्रम और उम्मीदवार के पास सीमित समय को देखते हुए समय प्रबंधन उम्मीदवार की सफलता के लिए केन्द्रीय भूमिका धारण कर लेता है। इस परीक्षा के किसी भी सफल अभ्यर्थी से पूछने पर यह सिद्ध हो जाएगा कि समय प्रबंधन कितना महत्त्वपूर्ण होता है। अंत में समय की महत्ता को मैं प्रसिद्ध अमेरिकन संगीतकार माइल्स डेविस के शब्दों में उद्धृत करना चाहूंगा। उन्होंने कहा –“Time is not the main thing. It is the only thing।” अर्थात समय ही एकमात्र सबसे महत्त्वपूर्ण वस्तु है। जिसने इसका सही इस्तेमाल कर लिया वह सफल अन्यथा “अब पछताय होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत” वाली कहावत चरितार्थ होगी। अतः मेरी सभी अभ्यर्थियों को यह अनिवार्य सलाह है अपने पास उपलब्ध समय का सर्वश्रेष्ठ प्रबंधन कीजिए और अपनी अलग पहचान बनाइये। आपको बेहतर भविष्य की अनेक शुभकामनाएँ।

[सुनील कुमार धनवंता]

(लेखक भारतीय पुलिस सेवा में कार्यरत हैं)


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