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भूकंप: एक विनाशकारी प्राकृतिक आपदा

6 फरवरी 2023 का दिन तुर्की और सीरिया के लिये एक त्रासदी बनकर आया। एक के बाद एक लगातार आए भूकंप के झटकों ने इन दोनों ही देशों (विशेषकर तुर्की) को बुरी तरह प्रभावित किया। कुछ ही घंटों में हजारों लोग मारे गए और कई हजार लोग घायल हो गए तथा न जाने कितनी ही संख्या में लोग मलबों में दबकर लापता हो गए जिनके लिये बड़े पैमाने पर राहत और बचाव कार्य शुरू करना पड़ा। तुर्की में भूकंप का सर्वाधिक असर देश के 10 शहरों- कहमानमारश, हैटे, गाज़िएनटेप, ओस्मानिये, अदियामान, सनलिउर्फ़ा, मलेटिया, अदाना, दियारबाकिएर और किलिस पर पड़ा है। वहीं सीरिया के अलेप्पो, लटाकिया, हामा और टार्टस में भूकंप के कारण तबाही हुई है।

तुर्की की भौगोलिक स्थिति ऐसी है कि यहाँ लगातार भूकंप आते रहते हैं। 2011 में यहाँ भूकंप में लगभग 600 से ज्यादा लोग मारे गए थे वहीं 1999 में आए भूकंप में लगभग 17 हजार से अधिक लोग मारे गए थे।

तुर्की में भूकंप की बारंबारता के कारण

भूकंप के लिहाज़ से तुर्की दुनिया के सबसे अधिक संवेदनशील इलाक़ों में आता है। भूगोल के दृष्टिकोण से देखें तो तुर्की का अधिकांश हिस्सा अनाटोलियन प्लेट पर स्थित है। इसी प्लेट के पूर्वी दिशा में पूर्वी अनाटोलियन फाॅल्ट है, जबकि प्लेट की बाईं दिशा में ट्रांसफाॅर्म फाॅल्ट स्थित है जो कि अरेबियन प्लेट के साथ संबद्ध होता है। इसके दक्षिण और दक्षिण-पश्चिमी दिशा में अफ्रीकन प्लेट स्थित है तो उत्तर की ओर यूरेशियन प्लेट है जिसका जुड़ाव उत्तरी अनाटोलियन फाॅल्ट जोन से है। अनाटोलियन टेक्टोनिक प्लेट घड़ी के विपरीत दिशा में घूम रही है जिसपर अरेबियन प्लेट के दबाव देने पर यह यूरेशियन प्लेट से टकरा जाती है और फिर भूकंप के तेज झटके उत्पन्न होते हैं।

भूकंप क्या है?

साधारण शब्दों में भूकंप का अर्थ पृथ्वी के कंपन से है। पृथ्वी के अंतर्जात तथा बहिर्जात बलों के कारण ऊर्जा निकलती है जिससे तरंगें पैदा होती हैं जो हर दिशा में फैलकर कंपन पैदा करती हैं। यही कंपन भूकंप कहलाता है। भूकंपीय तरंगों के उत्पन्न होने के स्थान को भूकंप मूल तथा जिस स्थान पर सबसे पहले इन तरंगों का अनुभव होता है उसे भूकंप केंद्र कहते हैं। भूकंप केंद्र, भूकंप मूल के ठीक ऊपर होता है।

भूकंपीय तरंगें

मूलत: भूकंपीय तरंगें दो प्रकार की होती हैं, भूगर्भिक तरंगें एवं धरातलीय तरंगें।

भूगर्भिक तरंगें उद्गम केंद्र से ऊर्जा के मुक्त होने के दौरान उत्पन्न होती हैं तथा ये पृथ्वी के आंतरिक हिस्सों से होकर सभी दिशाओं में आगे बढ़ती हैं। ये दो प्रकार की होती हैं..

1. P तरंगें- ये तीव्र गति से चलकर धरातल पर सबसे पहले पहुँचती हैं। इन्हें प्राथमिक तरंगें भी कहते हैं जो ध्वनि तरंगों जैसी होती हैं। ये ठोस, दृव व गैस तीनों माध्यमों से गुजर सकती हैं।
2. S तरंगें- ये धरातल पर कुछ समय बाद पहुँचती हैं तथा द्वितीयक तरंगें कहलाती हैं। ये केवल ठोस माध्यमों में ही चल सकती हैं। ये तरंगें सबसे ज्यादा विनाशकारी होती हैं।

धरातलीय तरंगें- भूगर्भिक तरंगों एवं धरातलीय शैलों के बीच अन्योन्य क्रिया के कारण उत्पन्न तरंगों को धरातलीय तरंग कहा जाता है। ये तरंगें धरातल के साथ-साथ चलती हैं। इन्हें L तरंगें भी कहते हैं तथा ये भी अत्यंत विनाशकारी होती हैं।

भूकंप के प्रकार

1. अधिकांश भूकंप विवर्तनिक भूकंप होते हैं जो कि भ्रंशतल के किनारे चट्टानों के खिसकने की वजह से उत्पन्न होते हैं।
2. ज्वालामुखीजन्य भूकंप सक्रिय ज्वालामुखी क्षेत्रों तक ही सीमित रहते हैं।
3. नियात भूकंप भूमिगत खानों की छतों के ढह जाने के कारण उत्पन्न होते हैं। इनमें बेहद हल्के झटके महसूस होते हैं।
4. बड़े विस्फोटों से भी भूकंप के झटके महसूस हो सकते हैं। इन्हें विस्फोट भूकंप कहते हैं।
5. बड़े बांध वाले क्षेत्रों में बांध जनित भूकंप उत्पन्न होते हैं।

रिक्टर स्केल

भूकंपीय घटनाओं का मापन आघात की तीव्रता के आधार पर किया जाता है। यह तीव्रता भूकंप के दौरान ऊर्जा के मुक्त होने से संबंधित है। इसे रिक्टर स्केल पर मापा जाता है। इसमें भूकंप की तीव्रता 0-10 तक होती है। भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 5 से अधिक होने पर इसके अत्यंत विनाशकारी परिणाम हो सकते हैं। तुर्की में इसकी तीव्रता 7.5 से भी अधिक थी। रिक्टर स्केल पर 8 से ज्यादा तीव्रता वाले भूकंप के आने की संभावना बहुत कम होती है। जबकि हल्के भूकंप लगभग हर मिनट पृथ्वी के किसी न किसी भाग में आते रहते हैं। तीव्र झटके अक्सर भ्रंस के निकटवर्ती क्षेत्रों में आते हैं।

भूकंपों के प्रभाव

भूकंप अक्सर विनाशकारी प्रभाव वाले सिद्ध होते हैं, इनके प्रमुख प्रभाव निम्नलिखित हैं:

1. भूकंप भूस्खलन को बढ़ावा दे सकते हैं। पर्वतीय क्षेत्रों में भूस्खलन बड़ी तबाही को जन्म दे सकते हैं। इसके साथ ही इससे हिमस्खलन का भी खतरा पैदा हो सकता है।
2. भूकंप के कारण बड़े बांध टूट सकते हैं जिससे बाढ़ का खतरा उत्पन्न हो सकता है। सुनामी जैसी त्रासदियों के लिए भी भूकंपों को ही उत्तरदायी कारक माना जाता है। भारत, जापान, श्रीलंका जैसे कई देशों में भूकंपों से उत्पन्न सुनामी का विनाशकारी प्रभाव देखा जा चुका है।
3. भूकंप आधारभूत ढांचो को पूरी तरह से नष्ट कर सकते हैं, ये इमारतों, आवासीय क्षेत्रों, सड़कों, रेल की पटरियों, पुलों इत्यादि को बर्बाद कर सकता है। हालिया तुर्की के भूकंप के साथ ही हम नेपाल, जापान, तथा भारत के कई हिस्सों में आए भूकंपों में इसे देख सकते हैं।

भूकंप से बचाव कैसे करें?

वर्तमान में भूकंप आने का पहले से अनुमान नहीं लगाया जा सकता। फिर भी कुछ उपायों को अपनाकर इससे होने वाली जनहानि को कम किया जा सकता है।

1. भवन निर्माण में भूकंपरोधी तकनीक का प्रयोग करें ताकि हल्के झटकों में घर सुरक्षित रहे।
2. घर के अंदर होने की दशा में भूकंप आने पर किसी मजबूत मेज या बेड के नीचे शरण लें तथा साथ में आपातकालीन किट को रखें।
3. खुले क्षेत्रों में रहने पर पेड़ों, खंभों, पुलों, इमारतों इत्यादि से दूर रहें।
4. चलते वाहन में होने पर वाहन को रोककर उसमें अंदर बैठे रहें तथा उसे पेड़ों, इमारतों, तारों, इत्यादि से दूर रखें।
5. आपातकालीन नंबरों को याद रखें तथा जरूरत पड़ने पर उनसे तुरंत संपर्क करें।

भूकंप का भले ही पूर्वानुमान न लगाया जा सकता हो तथा इसे रोका भी नहीं जा सकता हो पर उपरोक्त उपायों को अपनाकर हम इसके प्रभाव को कम अवश्य कर सकते हैं।

  अमित सिंह  

अमित सिंह उत्तर प्रदेश के महराजगंज जिले से हैं। उन्होंने अपनी पढ़ाई इलाहाबाद विश्वविद्यालय से पूरी की है। वर्तमान में वे दिल्ली में रहकर सिविल सर्विसेज की तैयारी कर रहे हैं।

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