कांतारा: डीह बाबा का आशीर्वाद है ये फिल्म
21 Oct, 2022कल मैंने कांतारा फ़िल्म देखी। रात 11 बजे का शो था और थिएटर हाउसफुल था। साउथ की फ़िल्मों के लिये उत्तर भारत के लोगों में इतना दीवानापन, मैंने पहले कभी नहीं देखा था। सिनेमा हॉल से...
कल मैंने कांतारा फ़िल्म देखी। रात 11 बजे का शो था और थिएटर हाउसफुल था। साउथ की फ़िल्मों के लिये उत्तर भारत के लोगों में इतना दीवानापन, मैंने पहले कभी नहीं देखा था। सिनेमा हॉल से...
यह बड़ी हैरान करने वाली बात है कि कैसे भारत अपने विकास के पथ में परंपराओं और संस्कृति को अक्षुण्ण बनाए रखने की एक अविश्वसनीय यात्रा कर रहा है। भारत की विविधता पुरी दुनिया...
LGBTQIA+ क्या है? समलैंगिकों सहित विभिन्न कामुकता वाले लोग खुद को LGBTQIA+ समुदाय के रूप में संदर्भित करते हैं। इंटरनेट पर इससे संबंधित कईं प्रकार की परिभाषाएं देखने को मिलती हैं, जो...
सत्यजीत रे अब नहीं हैं। उनकी फिल्में हैं। उनकी देखी दुनिया है और दुनिया को देखने के लिये उनकी ऑंखें हैं। एक भरा-पूरा रचनात्मक संसार है उनका। आज उनकी पुण्यतिथि भी है। आइये...
सन 1913 भारतीय सिनेमा और भारतीय साहित्य के लिए एक उल्लेखनीय वर्ष है। इस वर्ष जहॉं एक तरफ गुरुदेव रविन्द्र नाथ टैगोर को उनकी महान कृति ‘गीतांजलि’ के लिए साहित्य का नोबल...
कौन भरोसा करेगा कि जो फ़िल्मकार शेक्सपियर के नाटकों को रुपहले परदे में उतारने का हुनर रखता है वो पेशेवर क्रिकेटर हुआ करता था। यह दिलचस्प प्रसंग है फिल्मकार विशाल भारद्वाज...
यह बात समझ से परे है कि जब किसी यूनिवर्सिटी की चर्चा होती है तो बात उसके नामवर अध्यापकों और सफल विद्यार्थियों से आगे क्यों नहीं बढ़ती? यही जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी...
तस्वीरें सुरक्षित रखने के लिए जाने हम कहाँ-कहाँ रखते हैं ताकि पानी उसे धुँधला ना कर सके; हवा उसे गंदा न कर सके; चोर वो तस्वीरें चुरा कर न ले जा सके, हमारी यादें हमारे साथ रहें,...
अक्सर हम एक कोलाहल में पढ़ते हैं। बाहर सड़क से ऑटो या ट्रक के गुजरने की आवाज, दूर किसी कुत्ते का भूँकना, पड़ोस के अंकल का गला खखारना, सब्जी वाले का पुकारना, दोस्तों का बतियाना...
राजधानी में लोधी एस्टेट से गुजरते हुए इंडिया हैबिटेट सेंटर (आईएचसी) की भव्य और राजसी इमारत को दूर से देखकर ही मन प्रसन्न हो जाता है। बेशक, ये कोई सामान्य इमारत नहीं है। इधर...