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नीतिशास्त्र

सिटीज़न चार्टर

  • 24 Oct 2023
  • 25 min read

प्रिलिम्स के लिये:

नागरिक चार्टर, सुशासन, प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग (DARPG), सेवोत्तम सेवा वितरण, उत्कृष्टता मॉडल, प्रशासनिक सुधार आयोग (एआरसी)

मेन्स के लिये:

सिटीज़न चार्टर की मूल अवधारणा, सिटीज़न चार्टर तैयार करने के पीछे तर्क, भारत में सिटीज़न चार्टर के कार्यान्वयन की सीमा, सिटीज़न चार्टर को लागू करने में प्रमुख चुनौतियाँ, भारत में सर्वोत्तम प्रथाएँ , भारत में सिटीज़न चार्टर की प्रभावशीलता बढ़ाने के लिये आवश्यक सुधार, सेवोत्तम सेवा वितरण उत्कृष्टता मॉडल, एआरसी सिफारिशें, सिटीज़न केंद्रितता के लिये एआरसी सात चरण मॉडल

सिटीज़न चार्टर क्या है?

मूल अवधारणा: सिटीज़न चार्टर या नागरिक चार्टर या नागरिक घोषणा पत्र, मूल रूप से किसी संगठन द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवा के मानकों के संबंध में की गई प्रतिबद्धताओं का एक समूह है। सिटीज़न चार्टर, एक दस्तावेज़ है जो किसी संगठन को पारदर्शी, जवाबदेह और नागरिक जन्य बनाना चाहता है।

सिटीज़न चार्टर एक दस्तावेज़ है जो सेवाओं के मानक, सूचना, विकल्प और परामर्श, गैर-भेदभाव एवं पहुँच, शिकायत निवारण, शिष्टाचार तथा पैसे के मूल्य के संबंध में अपने नागरिकों  के प्रति संगठन की प्रतिबद्धता पर ध्यान केंद्रित करने के एक व्यवस्थित प्रयास का प्रतिनिधित्व करता है।

ऐतिहासिक परिप्रेक्ष: नागरिक चार्टर की अवधारणा को पहली बार यूनाइटेड किंगडम में जॉन मेजर की कंज़र्वेटिव सरकार द्वारा 1991 में एक राष्ट्रीय कार्यक्रम के रूप में एक सरल उद्देश्य के साथ व्यक्त और कार्यान्वित किया गया था: देश के लोगों के लिये सार्वजनिक सेवाओं की गुणवत्ता में लगातार सुधार करना, ताकि ये सेवाएँ उपयोगकर्त्ताओं की आवश्यकताओं एवं इच्छाओं को पूरा कर सकें।

उद्देश्य: नागरिक चार्टर का मूल उद्देश्य सार्वजनिक सेवा वितरण के संबंध में नागरिक को सशक्त बनाना है। इस अभ्यास का उद्देश्य नागरिकों और प्रशासन के मध्य सेतु का निर्माण करना तथा सार्वजनिक सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार के लिये नागरिकों की ज़रूरतों के अनुरूप प्रशासन को सुव्यवस्थित करना है।

ऐसा लोगों को संबंधित मंत्रालय/विभाग/संगठन के अधिदेशों के बारे में बताकर किया जाता है, कि कोई उसके अधिकारियों से कैसे संपर्क कर सकता है, सेवाओं के माध्यम से क्या अपेक्षा की जा सकती है और यदि कुछ गलत होता है तो कैसे इसका उपाय खोजा जाए।

नागरिक चार्टर आंदोलन के मूल रूप से तैयार किये गए छह सिद्धांत थे:

Self created

घटक:

  • चार्टर में निम्नलिखित तत्त्वों को शामिल किया जा सकता है:
    • विज़न और मिशन वक्तव्य
    • संगठन द्वारा किये गये व्यवसाय का विवरण
    • ग्राहकों का विवरण
    • प्रत्येक ग्राहक समूह को प्रदान की गई सेवाओं का विवरण
    • शिकायत निवारण तंत्र का विवरण और उस तक कैसे पहुँचें
    • ग्राहकों से अपेक्षाएँ

नागरिक चार्टर तैयार करने के पीछे क्या तर्क है?

  • नागरिकों और सेवा प्रदाताओं के बीच समझौता: नागरिक चार्टर करों के बदले सेवाओं की मात्रा और गुणवत्ता के संबंध में नागरिकों तथा सार्वजनिक सेवा प्रदाताओं के मध्य एक समझौते का प्रतिनिधित्व करता है।
  • जनअधिकार: चूँकि सार्वजनिक सेवाओं को नागरिकों द्वारा वित्तपोषित किया जाता है, इसलिये उन्हें उच्च गुणवत्ता, कुशल और लागत प्रभावी सेवाओं की अपेक्षा करने का अधिकार है।
  • लिखित घोषणा: चार्टर सेवा प्रदाताओं द्वारा एक स्वैच्छिक, लिखित घोषणा है जो सेवा की गुणवत्ता, विकल्प, पहुँच, गैर-भेदभाव, पारदर्शिता और जवाबदेही के मानकों की रूपरेखा तैयार करती है।
  • सुशासन को बढ़ावा देना: सरकारी विभागों द्वारा सख्ती से लागू किये जाने पर यह पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने एवं सुशासन को बढ़ावा देने के लिये एक उपकरण के रूप में कार्य करता है।
  • नागरिक केंद्रित: चार्टर को नागरिकों की अपेक्षाओं के अनुरूप होना चाहिये और सेवा प्रावधान की प्रकृति तथा स्पष्ट सेवा वितरण मानकों को परिभाषित करना चाहिये।
  • बदलती मानसिकता: इसका उद्देश्य लोक अधिकारियों (Public Officers) की मानसिकता को जनता पर अधिकार जमाने से बदलकर सार्वजनिक धन को बुद्धिमानी से खर्च करने और आवश्यक सेवाएँ प्रदान करने के अपने कर्त्तव्य को पूरा करना है।
  • कोई एक आकार-सभी के लिये उपयुक्त दृष्टिकोण नहीं: यह चार्टर एक समान नहीं है बल्कि सेवा मानकों को बढ़ाने और उपयुक्त तरीके से सार्वजनिक भागीदारी को प्रोत्साहित करने की पहल का एक टूलकिट है।
  • संभावित लाभ: चार्टर के सफल कार्यान्वयन से सेवा वितरण में सुधार, जनता के प्रति अधिकारियों की प्रतिक्रिया में वृद्धि और सेवाओं के साथ अधिक सार्वजनिक संतुष्टि हो सकती है।

सिटीज़न चार्टर लागू करने में भारत कितना सफल रहा है?

भारतीय सिटीज़न चार्टर पहल यूके मॉडल का एक रूपांतरण है, जिसमें सिटीज़न अपेक्षाओं और हितधारक जुड़ाव पर ज़ोर दिया गया है, जो कि सार्वजनिक सेवा वितरण में सुधार के लिये भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। भारत ने सिटीज़न चार्टर को लागू करने के लिये वर्षों से विभिन्न उपाय किये हैं:

  • प्रभावी सरकार के लिये कार्य योजनाः वर्ष 1997 में भारत के प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों के एक सम्मेलन के दौरान, एक "प्रभावी एवं उत्तरदायी सरकार के लिये कार्य योजना" को अपनाया गया था। इसमें व्यापक सार्वजनिक संपर्क वाले क्षेत्रों के लिये सिटीज़न चार्टर का निर्माण शामिल था। 
  • प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग (DARPG) की भूमिका: सिटीज़न चार्टरों की योजना बनाना, व्यवस्थित करना तथा उन्हें क्रियान्वित करना भारत सरकार की एक शाखा, DARPG की ज़िम्मेदारी थी। इसने सरकारी एजेंसियों और संगठनों को लक्षित एवं कुशल चार्टर स्थापित करने में सहायता करने के साथ-साथ उनकी कार्यप्रणाली से संबंधित दिशा-निर्देश भी दिये।
  • स्थापित कार्य बल: केंद्र और राज्य दोनों स्तरों पर सरकारी एजेंसियों को इन चार्टर्स को विकसित करने के लिये कार्य बल स्थापित करने की सलाह दी गई जिसमें उपयोगकर्त्ताओं, वरिष्ठ प्रबंधन एवं फ्रंटलाइन कर्मचारियों के प्रतिनिधि शामिल हों।
  • अतिरिक्त घटकों का समावेश: चार्टर में विज़न और मिशन विवरण, विभिन्न ग्राहक समूहों को प्रदान की गई सेवाओं का विवरण, शिकायत निवारण के लिये तंत्र एवं ग्राहकों से अपेक्षाएँ जैसे तत्त्वों को सम्मिलित करने की उम्मीद की गई थी। सिटीज़न चार्टर में एक अतिरिक्त घटक 'ग्राहकों से अपेक्षाएँ' या 'उपयोगकर्त्ताओं के दायित्व' को शामिल करना है।
  • हितधारकों की भागीदारी: चार्टर निर्माण प्रक्रिया में उपभोक्ता संगठनों, नागरिक समूहों और अन्य हितधारकों की भागीदारी पर ज़ोर दिया गया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि चार्टर उपयोगकर्त्ता की ज़रूरतों के अनुरूप हों।
  • नियमित मूल्यांकन और प्रचार: चार्टर की नियमित निगरानी, ​​समीक्षा एवं मूल्यांकन को आंतरिक और बाहरी एजेंसियों दोनों के माध्यम से प्रोत्साहित किया गया। चार्टर वाले संगठनों को प्रिंट एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया तथा जागरूकता अभियानों के माध्यम से उन्हें बढ़ावा देने की सलाह दी गई।
  • सिटीज़न चार्टर पर व्यापक वेबसाइट: भारत सरकार में सिटीज़न चार्टर की एक व्यापक वेबसाइट (www.goicharters.nic.in) विकसित की गई है और इसे 31 मई, 2002 को प्रशासनिक सुधार एवं लोक शिकायत विभाग द्वारा लॉन्च किया गया था।
  • मात्रात्मक उपलब्धियाँ: मार्च 2005 तक, केंद्र सरकार ने 107 सिटीज़न चार्टर तैयार किये थे और विभिन्न राज्य सरकार एजेंसियों एवं केंद्र शासित प्रदेशों ने 629 चार्टर बनाए थे।

भारत में सिटीज़न चार्टर पहल को लागू करने में प्रमुख चुनौतियाँ क्या हैं?

भारत में सिटीज़न चार्टर के कार्यान्वयन में कई प्रमुख चुनौतियाँ हैं:

  • प्रारंभिक कार्यान्वयन: भारत में सिटीज़न चार्टर पहल की शुरुआत वर्ष 1997 में हुई और अधिकांश चार्टर कार्यान्वयन के प्रारंभिक चरण में थे।
  • परिवर्तन का विरोध: कर्मचारियों के रूढ़िवादी रवैये और स्थापित नौकरशाही प्रणाली के कारण सरकारी संगठनों में नए विचारों को पेश करना कठिन हो सकता है।
  • वास्तविक जुड़ाव की कमीः कई संगठनों ने मुख्य रूप से टॉप-डाउन निर्देशों के कारण न्यूनतम अथवा बिना किसी सार्थक परामर्श के सिटीज़न चार्टर तैयार किये। परिणामतः इस पहल के प्रति ध्यान केंद्रित किये जाने और प्रतिबद्धता के पुष्टिकरण में कमी हुई।
  • प्रशिक्षण और अभिविन्यास: सफल चार्टर कार्यान्वयन के लिये पूर्णरूप से प्रशिक्षित और संवेदनशील कर्मचारियों की आवश्यकता होती है जो चार्टर की भावना एवं विषयवस्तु को समझते हैं। कई मामलों में कर्मचारियों के पास उचित प्रशिक्षण और अभिविन्यास का अभाव था।
  • अधिकारियों के स्थानांतरण द्वारा व्यवधान: घोषणापत्र (चार्टर) निर्माण और कार्यान्वयन में शामिल अधिकारियों के बार-बार स्थानांतरण तथा फेरबदल ने रणनीतिक प्रक्रियाओं को बाधित किया एवं प्रगति में बाधा उत्पन्न की।
  • अपर्याप्त जागरूकता अभियान: घोषणापत्र के संबंध में ग्राहकों को शिक्षित करने हेतु व्यवस्थित जागरूकता अभियान लगातार आयोजित नहीं किये गए, जिससे इस नई पहल के विषय में जनता की समझ सीमित हो गई।
  • अवास्तविक मानक: कुछ घोषणापत्रों में सेवा मानक तथा समय मानदंड शामिल थे जो या तो बहुत उदार थे या बहुत सख्त थे, जिससे अव्यावहारिक उम्मीदें उत्पन्न हुईं और ग्राहक असंतुष्ट हो गए।
  • नागरिक घोषणापत्र की मूल अवधारणा को गलत समझना: कुछ मामलों में नागरिक घोषणापत्र की मूल अवधारणा को ठीक से नहीं समझा गया। विवरण पुस्तिका (ब्रोशर) और प्रचार पुस्तिका (पेम्पलेट) जैसी संगठनात्मक सामग्री को गलती से घोषणापत्र ही समझ लिया गया।

भारत में सर्वोत्तम पद्धतियाँ:

1. जनसेवा केंद्र, अहमदाबाद:

प्रशासनिक इकाई का एक अच्छा उदाहरण अहमदाबाद का ज़िला कलेक्टरेट एक है जिसने नागरिक घोषणापत्र और जनसेवा केंद्रों का उपयोग करके बेहतर सेवा वितरण के लिये प्रक्रियाओं को पुनः संचालित करने का एक सफल प्रयास किया है।

फरवरी वर्ष 2004 में अहमदाबाद ज़िला प्रशासन ने अपने नागरिक घोषणापत्र को मानकीकृत किया, जिसमें भूमि मामलों, लाइसेंस, प्रमाण पत्र, सार्वजनिक वितरण, विधवा पेंशन और अन्य से संबंधित 75 मुद्दों को शामिल किया गया। घोषणापत्र को सरल बनाया गया तथा सेवा वितरण के लिये कुछ स्पष्ट मानक भी प्रदान किये गए:

  • पुनर्रचना और जनसेवा केंद्र: ज़िला प्रशासन ने प्रक्रियाओं को पुनर्रचना करने तथा नागरिक घोषणापत्र पर ध्यान केंद्रित करते हुए जनसेवा केंद्र नामक एक नागरिक केंद्र बनाने की पहल शुरू की। इस नई  पहल का उद्देश्य अनुरोध के उसी दिन प्रमाण पत्र और शपथ पत्र जारी करके 'एक दिवसीय शासन' लागू करना था।
  • नागरिक-अनुकूल प्रारूपों के लिये सॉफ्टवेयर: जनसेवा केंद्र ने विशेष रूप से डिज़ाइन किये गए सॉफ्टवेर का उपयोग किया, जिसमें कलेक्टरेट के नागरिक घोषणापत्र में सभी 75 मुद्दों के लिये मानकीकृत नागरिक-अनुकूल प्रारूप शामिल थे।
  • नागरिक स्व-सेवा: मानकीकृत प्रारूपों को उपयोगकर्त्ताओं के अनुकूल बनाया गया था, जिससे नागरिक अपनी आवश्यकताओं को बिना दलालों या बिचौलियों की सहायता के पूर्ण करने में सक्षम हो सकें।
  • समावेशी कार्यबल: जनसेवा केंद्र ने समावेशिता का प्रदर्शन करते हुए दिव्यांग श्रेणी से डेटा एंट्री ऑपरेटरों को नियुक्त किया।

नागरिक घोषणापत्र व जनसेवा केंद्रों के कार्यान्वयन के परिणामस्वरूप बेहतर सेवा का वितरण हुआ, प्रतिवर्तन काल कम हुआ, नागरिकों तथा सरकारी अधिकारियों के मध्य सीधा संपर्क कम हुआ और उत्पादकता में वृद्धि हुई।

2. सेवोत्तम सेवा वितरण उत्कृष्टता मॉडल, DARPG

सेवोत्तम एक मूल्यांकन-सुधार मॉडल है जिसे देश में सार्वजनिक सेवा वितरण की गुणवत्ता में सुधार लाने के उद्देश्य से विकसित किया गया है। इस मॉडल की कल्पना वर्ष 2006 में कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय के प्रशासनिक सुधार तथा लोक शिकायत विभाग (DARPG) द्वारा की गई थी।

"सेवोत्तम" शब्द दो हिंदी शब्दों से मिलकर बना है: सेवा (सेवा) और उत्तम (उत्कृष्ट)। इसका अर्थ है "सेवा उत्कृष्टता", "सेवा" के विचार पर ज़ोर देना। यह सरकार के भीतर प्रशासन तथा नियंत्रण से लेकर सेवा व सक्षमता तक मानसिकता में बदलाव का प्रतीक है।

सेवोत्तम के प्रमुख घटकों को निम्नलिखित उद्देश्यों के साथ अपनाया गया है:

  • नागरिक घोषणापत्र का सफल कार्यान्वयन: इसमें नागरिकों के इनपुट प्राप्त करने के लिये एक चैनल खोलने की आवश्यकता है जिस तरह से संगठन सेवा वितरण आवश्यकताओं को निर्धारित करते हैं। नागरिक घोषणापत्र सार्वजनिक रूप से नागरिकों के अधिकारों की जानकारी घोषित करता है; नागरिकों को बेहतर जानकारी प्रदान करके उन्हें बेहतर सेवाओं की मांग करने के लिये सशक्त बनाता है।
  • सेवा वितरण की तैयारी एवं परिणामों की उपलब्धि: एक संगठन सेवा वितरण में उत्कृष्ट प्रदर्शन तभी कर सकता है जब वह बेहतर सेवा वितरण के लिये प्रमुख इनपुट को अच्छी तरह से प्रबंधित कर रहा हो, तथा वितरण में लगातार सुधार करने हेतु अपनी क्षमता का निर्माण कर रहा हो। इसमें प्रदान की गई सेवाओं की पहचान, सेवा वितरण प्रक्रिया, इसके नियंत्रण और वितरण आवश्यकताएँ शामिल हैं।
  • सुदृढ़ लोक शिकायत निवारण तंत्र: इसके लिये एक सुदृढ़ शिकायत निवारण तंत्र की आवश्यकता होती है जिसका संचालन नागरिक को इस बात से अधिक संतुष्ट करे कि निवारण तंत्र शिकायतों पर कैसे प्रतिक्रिया देता है ,बजाय इसके कि निवारण तंत्र का उस शिकायत पर अंतिम निर्णय क्या है।

यह रूपरेखा कार्यान्वयन संगठनों को नागरिक-केंद्रित सेवा वितरण के लिये एक व्यवस्थित, विश्वसनीय और प्रमाणित स्व-मूल्यांकन या ('अंतराल विश्लेषण') करने में सक्षम बनाती है। इस विश्लेषण का उपयोग करके, व्यावहारिक समाधानों को धीरे-धीरे और व्यवस्थित रूप से संगठन की दिनचर्या में शामिल किया जाता है, जिससे स्थायी परिणाम सुनिश्चित होते हैं।

नागरिक चार्टर की प्रभावशीलता बढ़ाने के लिये कौन से सुधार आवश्यक हैं?

भारत में दूसरे प्रशासनिक सुधार आयोग (ARC) की 12वीं रिपोर्ट ने नागरिक चार्टर सुधार के लिये  निम्नलिखित सुझावों की अनुशंसा की है:

  • चार्टर में स्पष्टता: नागरिक चार्टर को, लोक सेवकों को उत्तरदायी बनाने का प्रभावी उपकरण बनाने के लिये, चार्टर के मानकों को पूरा करने में चूक के मामलों में उपचार, दंड या मुआवज़े को स्पष्ट रूप से निर्दिष्ट करना महत्त्वपूर्ण है।
  • आंतरिक पुनर्गठन: प्रभावी चार्टर के लिये संगठनों के भीतर मौजूदा प्रणालियों और प्रक्रियाओं का आंतरिक विश्लेषण तथा पुनर्गठन भी होना चाहिये। चार्टर में केवल नियम होना अपर्याप्त है। ऐसे आंतरिक सुधारों के बाद विकसित चार्टर अधिक विश्वसनीय और उपयोगी हैं।
  • अनुरूप दृष्टिकोण: सभी के लिये एक ही चार्टर वाला दृष्टिकोण काम नहीं कर सकता है क्योंकि नागरिक चार्टर को लागू करने के लिये आवश्यक क्षमताएँ और संसाधन विभिन्न सरकारी एजेंसियों और क्षेत्रों में भिन्न-भिन्न होते हैं।चार्टर निर्माण प्रक्रिया में विकेंद्रीकरण और लचीलापन आवश्यक है।
  • व्यापक परामर्श: नागरिक चार्टर को संगठन के भीतर व्यापक विचार-विमर्श के बाद तैयार किया जाना चाहिये, जिसमें नागरिकों के साथ सार्थक बातचीत तथा विशेषज्ञों की सलाह पर विचार करना शामिल हो।
  • स्पष्ट प्रतिबद्धताएँ: चार्टर को सेवा वितरण मानकों के संबंध में स्पष्ट और मात्रात्मक प्रतिबद्धताएं बनानी चाहिये, और समय के साथ, उन्हें और अधिक कड़े मानकों के लिये प्रयास करना चाहिये।
  • निवारण तंत्र: नागरिक चार्टर में स्पष्ट रूप से उस राहत का उल्लेख होना चाहिये जो संगठन, सेवा वितरण में चूक के मामलों में प्रदान करेंगे। इसके अतिरिक्त, सेवा की गुणवत्ता के विषय में नागरिकों की शिकायतों के समाधान के लिये एक शिकायत निवारण तंत्र होना चाहिये।

नागरिक केंद्रितता के लिये ARC का सात चरण मॉडल

यह मॉडल आईएस 15700:2005, सेवोत्तम मॉडल तथा UK के ग्राहक सेवा उत्कृष्टता मॉडल के सिद्धांतों से लिया गया है।प्रत्येक संगठन को चरण दर चरण पद्धति अपनानी चाहिये जिससे उसे अधिकाधिक नागरिक केंद्रित बनने में सहायता मिलेगी।

  • प्रदान की जाने वाली सभी सेवाओं को परिभाषित करना तथा अपने ग्राहकों की पहचान करना।
  • प्रत्येक सेवा के लिये मानक एवं मानदंड निर्धारित  करना। 
  • निर्धारित मानकों को पूरा करने की क्षमता विकसित करना।
  • मानकों को प्राप्त करने के लिये कार्य करना।
  • निर्धारित मानकों के अन्दर किये गये प्रदर्शन की निगरानी करना।
  • एक स्वतंत्र तंत्र के माध्यम से प्रभाव का मूल्यांकन करना।
  • निगरानी और मूल्यांकन परिणामों के आधार पर सुधार करना।

निष्कर्ष:

सार्वजनिक सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार एवं उत्तरदायित्व सुनिश्चित करने के लिये नागरिक चार्टर को केवल प्रतीकात्मक नहीं बल्कि व्यावहारिक उपकरण बनाने पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिये।इसमें एक समग्र दृष्टिकोण होना चाहिये जिसमें आंतरिक सुधार, अनुरूप समाधान एवं मानकों तथा निवारण तंत्रों के प्रति स्पष्ट प्रतिबद्धताएँ  सम्मिलित हों।

दृष्टि मेन्स प्रश्न -

प्रश्न. क्या आपको लगता है कि भारत में नागरिक चार्टर सार्वजनिक सेवा वितरण प्रणाली में सुधार के लिये एक व्यावहारिक उपकरण है। आलोचनात्मक परीक्षण कीजिये।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष प्रश्न  

मेन्स:

प्रश्न. सिटीजन चार्टर आंदोलन के मूल सिद्धांतों को समझाइए तथा इसके महत्त्व पर प्रकाश डालिये। (2019)


स्रोत:

https://goicharters.nic.in/public/upload/pdfs/DSF6gw.pdf

https://www.drishtiias.com/to-the-points/Paper2/citizen-charter

https://panchayatcharter.nic.in/#/

https://www.darpg.gov.in/sites/default/files/ARC_on_Sevottam_and_Seven_Step_Model.pdf

https://darpg.gov.in/sites/default/files/Sevottam_Model.pdf

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