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उत्तर प्रदेश स्टेट पी.सी.एस.

  • 25 Nov 2025
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हायली गुब्बी ज्वालामुखी

चर्चा में क्यों?

इथियोपिया में स्थित हायली गुब्बी ज्वालामुखी में भयंकर विस्फोट हुआ है, जिसके परिणामस्वरूप हजारों मीटर ऊँचाई तक राख के विशाल गुबार उठे। इन राख कणों का एक भाग भारतीय वायुक्षेत्र में प्रवेश कर गया है, जिसके कारण विमानन-संबंधी चेतावनी जारी की गई है।

मुख्य बिंदु

  • हायली गुब्बी ज्वालामुखी के बारे में: 
  • यह ज्वालामुखी उत्तरी-पूर्वी इथियोपिया के अफार क्षेत्र में स्थित है और दानाकिल डिप्रेशन का हिस्सा है, जो पृथ्वी के सबसे गर्म तथा सबसे निम्न स्थलों में से एक है।
  • यह विस्फोट महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि अफार क्षेत्र से प्राप्त भूवैज्ञानिक साक्ष्यों के आधार पर ऐसा माना जाता है कि यह ज्वालामुखी लगभग 12,000 वर्षों के बाद सक्रिय हुआ है।
  • यह विस्फोट पूर्वी अफ्रीकी दरार प्रणाली (EARS) की भूवैज्ञानिक अस्थिरता को रेखांकित करता है, जहाँ सक्रिय ज्वालामुखी, दरार-विस्फोट तथा विस्तृत रेखाएँ सामान्य हैं।
  • यह विश्व की अत्यंत विवर्तनिक रूप से सक्रिय दरार प्रणालियों में से एक है, जहाँ अरब, न्युबियन और सोमाली विवर्तनिक प्लेटें अपसरण कर रही हैं।
  • इस क्षेत्र की विशेषता बेसाल्टिक लावा, फिशर प्रणालियाँ और महाद्वीपीय विखंडन प्रक्रिया से संबद्ध लगातार भूकंपीय गतिविधियाँ हैं।

ज्वालामुखीय राख और विमानन जोखिम

  • ज्वालामुखीय राख अत्यंत सूक्ष्म, घर्षणकारी चट्टानी तथा काँचीय कणों से बनी होती है, जो जेट इंजनों के भीतर प्रवेश कर पिघल सकती है और गंभीर क्षति पहुँचा सकती है।
  • जब राख पिघलकर टरबाइन ब्लेड पर पुनः जम जाती है तो जेट इंजन बंद हो सकते हैं।


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