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झारखंड स्टेट पी.सी.एस.

  • 31 May 2022
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जैन तीर्थस्थल पारसनाथ

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में विनोबा भावे विश्वविद्यालय के बॉटनी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. प्रशांत कुमार मिश्रा और उनकी टीम द्वारा किये जा रहे अध्ययन में यह पता लगा है कि पारसनाथ और इसके तराई वाले वन क्षेत्र में बढ़ती मानवीय गतिविधियों के कारण पिछले 4 दशकों से वन क्षेत्र में लगातार कमी देखी जा रही है। 

प्रमुख बिंदु 

  • पारसनाथ पहाड़ी झारखंड के गिरिडीह ज़िले में स्थित पहाड़ियों की एक श्रृंखला है, जिसकी सर्वोच्च छोटी 1350 मीटर ऊँची है।  
  • जैन धर्मावलंबी इसे सम्मेद शिखर कहते हैं। इस पहाड़ी का नामकरण 23वें जैन तीर्थंकर के नाम पर पारसनाथ किया गया है।   
  • पारसनाथ जैनियों की उपासना का एक प्रमुख केंद्र है, क्योंकि यहाँ 24 जैन तीर्थंकरों में से 20 तीर्थंकरों को कैवल्य की प्राप्ति हुई थी। इनमें से प्रत्येक के लिये पहाड़ी पर एक मंदिर (गुमटी या तुक) निर्मित किया गया है। 
  • उल्लेखनीय है कि संथाल इस पहाड़ी को मारंग बुरु कहते हैं। वे वैशाख (मध्य अप्रैल) में पूर्णिमा दिवस पर एक शिकार त्योहार मनाते हैं। 

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