राजस्थान Switch to English
थार रेगिस्तान में हड़प्पा स्थल की खोज
चर्चा में क्यों?
इतिहास प्रवक्ता दिलीप कुमार सैनी और स्थानीय नागरिक पार्थ जांगिड़ द्वारा राजस्थान के जैसलमेर ज़िले में रताडिया री ढेरी नामक स्थान पर एक नया हड़प्पा स्थल खोजा गया है।
मुख्य बिंदु
- नए हड़प्पा स्थल के बारे में:
- रताडिया री ढेरी की खोज राजस्थान के थार रेगिस्तान में पाई गई पहली सिंधु घाटी बस्ती है।
- यह स्थल पाकिस्तान के सदेवाला से 17 किमी उत्तर-पश्चिम में स्थित है, जहाँ पहले हड़प्पा सभ्यता के अवशेष पाए गए थे।
- यह खोज राजस्थान और गुजरात के बीच पुरातात्त्विक मानचित्र में एक महत्त्वपूर्ण कड़ी को जोड़ती है।
- पृष्ठभूमि:
- इससे पूर्व राजस्थान में सबसे प्रसिद्ध हरप्पाई स्थल उत्तर स्थित पीलीबंगा था, जिसकी खोज 20वीं सदी के प्रारंभ में इटालियन भारतविद् लुइगी पियो टेस्सितोरी द्वारा की गई थी।
- प्राप्त अवशेष:
- यहाँ से प्राप्त वस्तुओं में लाल मृद्भाण्ड (जैसे कटोरे, हाँडी और घड़े), मिट्टी व शंख की चूड़ियाँ, टेराकोटा की वस्तुएँ, पाषाण उपकरण तथा कीलनुमा ईंटें शामिल हैं, जिनका उपयोग भट्टियों में किया गया था।
- इस स्थल पर पाई गई भट्टियाँ गुजरात के कण्मेर और पाकिस्तान के मोहनजोदड़ो से प्राप्त भट्टियों के समान हैं, जो यहाँ एक विकसित बस्ती के अस्तित्व का संकेत देती हैं।
- काल निर्धारण एवं महत्त्व:
- पुरातत्त्वविदों ने इस स्थल को सिन्धु घाटी सभ्यता के परिपक्व नगरीय चरण (ईसा पूर्व 2600 से 1900) से संबंधित माना है।
- इसे टेराकोटा पट्टिकाओं, मृद्भाण्ड, पाषाण उपकरण तथा चर्ट ब्लेड के अवशेषों के आधार पर चिह्नित किया गया है, जो इसे सिंध क्षेत्र के हरप्पाई व्यवस्था से जोड़ते हैं।
- चर्ट ब्लेड (एक प्रकार का पत्थर) जैसी कलाकृतियाँ, लंबी दूरी के व्यापार और संसाधनों के बँटवारे को दर्शाती हैं, जो सिंधु घाटी के शहरों की विशेषता है।
सिंधु घाटी सभ्यता
- परिचय:
- हड़प्पा सभ्यता, जिसे सिंधु घाटी सभ्यता (IVC) के रूप में भी जाना जाता है, सिंधु नदी के किनारे लगभग 2500 ईसा पूर्व में विकसित हुई थी।
- यह मिस्र, मेसोपोटामिया और चीन के साथ चार प्राचीन शहरी सभ्यताओं में सबसे बड़ी थी।
- ताँबा आधारित मिश्रधातुओं से बनी अनेक कलाकृतियों की खोज के कारण सिंधु घाटी सभ्यता को कांस्य युगीन सभ्यता के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
- दया राम साहनी ने सबसे पहले वर्ष 1921-22 में हड़प्पा की खोज की और राखल दास बनर्जी ने वर्ष 1922 में मोहनजोदड़ो की खोज की।
- ASI के महानिदेशक सर जॉन मार्शल उस उत्खनन के लिये जिम्मेदार थे जिससे सिंधु घाटी सभ्यता के हड़प्पा और मोहनजोदड़ो स्थलों की खोज हुई।
- चरण: NCERT के अनुसार, इस सभ्यता का समय 6000 ईसा पूर्व से 1300 ईसा पूर्व तक है। सभ्यता के चरण:
- प्रारंभिक हड़प्पा (6000 ईसा पूर्व - 2600 ईसा पूर्व): यह सभ्यता का प्रारंभिक चरण है।
- परिपक्व हड़प्पा (2600 ईसा पूर्व - 1900 ईसा पूर्व): शहरी चरण (परिपक्व हड़प्पा), जो सभ्यता का सबसे समृद्ध चरण है।
- उत्तर हड़प्पा (1900 ईसा पूर्व - 1300 ईसा पूर्व): पतनशील चरण, जब सभ्यता का पतन शुरू हुआ।
हड़प्पा सभ्यता के महत्त्वपूर्ण स्थल |
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स्थल |
खोजकर्त्ता |
अवस्थिति |
महत्त्वपूर्ण खोज |
हड़प्पा |
दयाराम साहनी (1921) |
पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में मोंटगोमरी जिले में रावी नदी के तट पर स्थित है। |
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मोहनजोदड़ो (मृतकों का टीला) |
राखलदास बनर्जी (1922) |
पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के लरकाना जिले में सिंधु नदी के तट पर स्थित है। |
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सुत्कान्गेडोर |
स्टीन (1929) |
पाकिस्तान के दक्षिण-पश्चिमी राज्य बलूचिस्तान में दाश्त नदी के किनारे पर स्थित है। |
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चन्हुदड़ो |
एन .जी. मजूमदार (1931) |
सिंधु नदी के तट पर सिंध प्रांत में। |
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आमरी |
एन .जी . मजूमदार (1935) |
सिंधु नदी के तट पर। |
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कालीबंगन |
घोष (1953) |
राजस्थान में घग्गर नदी के किनारे। |
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लोथल |
आर. राव (1953) |
गुजरात में कैम्बे की कड़ी के नजदीक भोगवा नदी के किनारे पर स्थित। |
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सुरकोतदा |
जे.पी. जोशी (1964) |
गुजरात। |
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बनावली |
आर.एस. विष्ट (1974) |
हरियाणा के हिसार जिले में स्थित। |
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धौलावीरा |
आर.एस.विष्ट (1985) |
गुजरात में कच्छ के रण में स्थित। |
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