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राजस्थान में बाल विवाह की दर में कमी
चर्चा में क्यों?
राजस्थान, जिसे कभी बाल विवाह का केंद्र माना जाता था, में बाल विवाह के मामलों में उल्लेखनीय गिरावट देखी गई है, जहाँ लड़कों में मामले 67% और लड़कियों में 66% घटे हैं, यह जानकारी न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा में जारी एक अध्ययन में दी गई है।
प्रमुख बिंदु
- परिचय:
- “टिपिंग पॉइंट टू ज़ीरो: एविडेंस टुवर्ड्स ए चाइल्ड मैरिज फ्री इंडिया” शीर्षक वाला यह अध्ययन 250 से अधिक बाल संरक्षण संगठनों के नेटवर्क, जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रन (JRC) द्वारा राजस्थान बाल अधिकार निदेशालय के सहयोग से वर्ष 2022 और 2024 के बीच पाँच राज्यों में किया गया था। इस पहल को भारत सरकार और विभिन्न नागरिक समाज संगठनों का भी समर्थन प्राप्त था।
- रिपोर्ट में यह उल्लेख किया गया है कि बाल विवाह को कम करने में जागरूकता अभियान सबसे प्रभावी साधन रहे, जिसे राजस्थान में 99% उत्तरदाताओं ने अत्यंत महत्त्वपूर्ण बताया।
- यह भी उल्लेख किया गया है कि 82% उत्तरदाताओं ने गिरफ्तारी और मुकदमेबाज़ी को इस प्रथा को रोकने में दूसरे सबसे प्रभावशाली कारक के रूप में माना।
- इन सुधारों के बावजूद, अध्ययन यह रेखांकित करता है कि कमज़ोर वित्तीय स्थिति (91%), सांस्कृतिक और पारंपरिक प्रथाएँ (45%), तथा यह विश्वास कि कम उम्र में विवाह करने से “पवित्रता” सुनिश्चित होती है (45%) बाल विवाह के स्थायी प्रेरक कारक बने हुए हैं।
- रिपोर्ट की सिफारिशें: रिपोर्ट बाल विवाह संबंधी कानूनों के कड़े प्रवर्तन, बेहतर रिपोर्टिंग तंत्र, अनिवार्य विवाह पंजीकरण, और बाल विवाह मुक्त भारत पोर्टल के संबंध में ग्राम स्तर पर जागरूकता सुनिश्चित करने का आह्वान करती है।
- इसमें देश भर में सामूहिक कार्रवाई के लिये बाल विवाह विरोधी राष्ट्रीय दिवस घोषित करने की भी सिफारिश की गई है।
बाल विवाह
- परिचय: UNICEF बाल विवाह को मानवाधिकार उल्लंघन मानता है क्योंकि इसका लड़कियों और लड़कों दोनों के विकास पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
- सतत् विकास लक्ष्य 5.3 के अनुसार, बाल विवाह का उन्मूलन सतत् विकास लक्ष्य 5 को प्राप्त करने में महत्त्वपूर्ण है, जिसका उद्देश्य वर्ष 2030 तक लैंगिक समानता और महिलाओं तथा लड़कियों के सशक्तीकरण को सुनिश्चित करना है।
- संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, वर्ष 2022 तक विश्वभर में 5 में से 1 युवती (19%) का विवाह बचपन में ही हो गया था।
- वैधानिक ढाँचा: भारत ने वर्ष 2006 में बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम पारित किया, जिसके तहत पुरुषों के लिये विवाह की कानूनी आयु 21 वर्ष और महिलाओं के लिये 18 वर्ष निर्धारित की गई।
- बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम की धारा 16 राज्य सरकारों को विशिष्ट क्षेत्रों के लिये 'बाल विवाह प्रतिषेध अधिकारी (CMPO)' नियुक्त करने की अनुमति देती है।
- बाल विवाह प्रतिषेध अधिकारी (CMPO) बाल विवाह को रोकने, अभियोग के लिये साक्ष्य एकत्र करने, ऐसे विवाहों को बढ़ावा देने या सहायता करने के विरुद्ध परामर्श देने, इनके हानिकारक प्रभावों के प्रति जागरूकता का प्रसार करने, और समुदायों को संवेदनशील बनाने के कार्यों के लिये ज़िम्मेदार होते हैं।
- बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम की धारा 16 राज्य सरकारों को विशिष्ट क्षेत्रों के लिये 'बाल विवाह प्रतिषेध अधिकारी (CMPO)' नियुक्त करने की अनुमति देती है।
राष्ट्रीय करेंट अफेयर्स Switch to English
भगत सिंह की जयंती
चर्चा में क्यों?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने क्रांतिकारी भगत सिंह को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित की, उनके साहस को महान प्रेरणा का स्रोत बताते हुए सराहा।
प्रमुख बिंदु
- जन्म: भगत सिंह का जन्म 28 सितंबर, 1907 को बंगा, पंजाब, ब्रिटिश भारत (वर्तमान पाकिस्तान) में हुआ था। वह एक सिख परिवार से थे, जो उपनिवेश-विरोधी गतिविधियों में सक्रिय रूप से शामिल थे; उनके पिता, किशन सिंह, और चाचा, अजीत सिंह, प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी थे।
- प्रारंभिक जीवन: 12 वर्ष की आयु में जलियाँवाला बाग हत्याकांड देखा, जिसने उनमें देशभक्ति की गहरी भावना और भारत की स्वतंत्रता के लिये संघर्ष करने का संकल्प उत्पन्न किया।
- शिक्षा: लाला लाजपत राय द्वारा स्थापित नेशनल कॉलेज, लाहौर में दाखिला लिया, जिसने स्वदेशी आंदोलन पर ज़ोर दिया और क्रांतिकारी विचारों के लिये एक मंच प्रदान किया।
- क्रांतिकारी संगठन: भगत सिंह वर्ष 1924 में हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन (HRA) के सदस्य बने, जिसे बाद में वर्ष 1928 में हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन (HSRA) नाम दिया गया।
- नौजवान भारत सभा की स्थापना भगत सिंह ने वर्ष 1926 में की थी, जिसका उद्देश्य स्वतंत्रता संग्राम के लिये युवाओं को संगठित करना था।
- प्रमुख कार्य: पुलिस की बर्बरता के कारण लाला लाजपत राय की मृत्यु के प्रतिशोध के रूप में वर्ष 1928 में पुलिस अधिकारी जे.पी. सॉन्डर्स की हत्या (लाहौर षडयंत्र मामला) में शामिल हुए।
- 18 अप्रैल, 1929 को बी.के. दत्त के साथ मिलकर दमनकारी ब्रिटिश कानूनों के विरोध में केंद्रीय विधानसभा में बम फेंका।
- गिरफ्तारी और मुकदमा: वर्ष 1929 में बम कांड के लिये गिरफ्तार किये गए और बाद में लाहौर षडयंत्र मामले में हत्या का आरोप लगाया गया। उन पर मुकदमा चलाया गया, दोषी ठहराया गया और मृत्युदंड की सज़ा सुनाई गई।
- 23 मार्च, 1931 को लाहौर में साथी क्रांतिकारी सुखदेव और राजगुरु के साथ फाँसी दी गई। भगत सिंह को स्नेहपूर्वक शाहिद-ए-आज़म के नाम से जाना जाता है।
- साहित्यिक योगदान: उन्होंने महत्त्वपूर्ण रचनाएँ लिखीं, जिनमें व्हाय आई एम एन एथीस्ट (मैं नास्तिक क्यों हूँ), द जेल नोटबुक एंड अदर राइटिंग्स और समाजवाद व क्रांति की वकालत करने वाले कई राजनीतिक घोषणापत्र शामिल हैं।
- अपने प्रारंभिक कार्य विश्व प्रेम (Universal Love) में सिंह ने समानता के महत्त्व की घोषणा की। उन्होंने एक ऐसे विश्व की कल्पना की, जो भुखमरी और युद्ध से मुक्त हो और जहाँ मानवता जाति तथा राष्ट्रीयता की सीमाओं से परे हो।
- विचारधारा: उन्होंने मार्क्सवादी और समाजवादी विचारधाराओं का समर्थन किया, तर्कशीलता, समानता और न्याय पर ज़ोर दिया। उन्होंने संगठित धर्म की आलोचना की और इसे मानसिक तथा शारीरिक दासता का रूप माना।
- विरासत: उन्हें राष्ट्रीय नायक और शहीद के रूप में सम्मानित किया जाता है; उनके जन्मदिवस और फाँसी की तिथि प्रतिवर्ष भारत के स्वतंत्रता संग्राम में उनके योगदान को याद करने के लिये मनाई जाती है।
- हर वर्ष 23 मार्च को भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु जैसे स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि देने के लिये शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है।
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भारत ने एशिया कप जीता
चर्चा में क्यों?
भारत ने दुबई में एशिया कप 2025 के फाइनल में पाकिस्तान को 5 विकेट से हराकर अपना नौवां खिताब जीता, और टूर्नामेंट में पाकिस्तान के खिलाफ तीनों मैच जीतकर अजेय रहा।
प्रमुख बिंदु
- एशिया कप रिकॉर्ड:
- भारत: 9 खिताब (किसी भी टीम द्वारा सबसे अधिक)
- श्रीलंका: 6 खिताब
- पाकिस्तान: 2 खिताब
- प्लेयर ऑफ द मैच: तिलक वर्मा
- प्लेयर ऑफ द सीरीज: अभिषेक शर्मा
- एशिया कप फॉर्मेट: यह ODI और T20I फॉर्मेट के बीच वैकल्पिक रूप से आयोजित होता है।
- यह भारत का एशिया कप 2023 (ODI फॉर्मेट) जीतने के बाद लगातार दूसरा खिताब है।