राजस्थान Switch to English
भारत की सबसे बड़ी बैटरी भंडारण परियोजना
चर्चा में क्यों?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राजस्थान के बीकानेर में भारत की सबसे बड़ी बैटरी ऊर्जा भंडारण परियोजना तथा 1,560 मेगावाट के सौर ऊर्जा संयंत्र की आधारशिला रखी, जो नवीकरणीय ऊर्जा एवं ऊर्जा सुरक्षा सुदृढ़ करने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि है।
- प्रधानमंत्री ने बीकानेर में एक अन्य स्थल पर अवाडा ग्रुप की 282 मेगावाट क्षमता की सौर ऊर्जा परियोजना का भी उद्घाटन किया, जिससे क्षेत्र की सौर ऊर्जा अवसंरचना को और गति मिलेगी।
मुख्य बिंदु
- अवाडा ग्रुप की परियोजना:
- अवाडा ग्रुप की इस परियोजना में 2,500 मेगावाट-घंटा (MWh) की बैटरी ऊर्जा भंडारण प्रणाली (BESS) को 1,560 मेगावाट क्षमता (MWp) के सौर ऊर्जा संयंत्र के साथ एकीकृत किया गया है, जो बीकानेर के पूगल क्षेत्र में स्थापित है, जिसमें कुल निवेश 9,200 करोड़ रुपये से अधिक है।
- सौर ऊर्जा संयंत्र और BESS कुल 4,000 एकड़ भूमि पर स्थित होंगे तथा इन्हें अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी से सुसज्जित किया गया है, जिसमें अवाडा इलेक्ट्रो के ALMM-प्रमाणित, भारत में निर्मित टॉपकॉन N-टाइप द्विमुखी सौर PV मॉड्यूल प्रयुक्त होंगे, जिनका उद्देश्य ऊर्जा दक्षता अधिकतम करना और ग्रिड को स्थिर बनाना है।
- 1,560 MWp का यह सौर संयंत्र सामान्य सौर घंटों से बाहर भी विद्युत आपूर्ति करने में सक्षम होगा, जिससे ग्रिड की स्थिरता और सुदृढ़ होगी।
- श्री डूंगरगढ़ सौर परियोजना
- बीकानेर में 777 एकड़ क्षेत्र में फैली 200 मेगावाट की यह परियोजना राजस्थान डिस्कॉम्स को विद्युत की आपूर्ति करेगी। इससे राज्य को स्वच्छ और सुलभ ऊर्जा उपलब्ध होगी।
- राज्य का समर्थन:
- परियोजना का तीव्र क्रियान्वयन, जो एक वर्ष से भी कम समय में चालू हो गया, राइजिंग राजस्थान कार्यक्रम के दौरान हस्ताक्षरित समझौता ज्ञापन (MoU) के कारण संभव हो पाया, जो नवीकरणीय ऊर्जा को आगे बढ़ाने के लिये राज्य की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
- महत्त्व:
- यह परियोजना निरंतर हरित ऊर्जा सुनिश्चित करेगी, ग्रिड लचीलापन (resilience) बढ़ाएगी और भारत की ऊर्जा सुरक्षा के लिये नए मानक स्थापित करेगी।
- इन परियोजनाओं से राजस्थान में 1,600 से अधिक हरित रोज़गार सृजित होंगे, प्रतिवर्ष 20 लाख टन CO₂ उत्सर्जन में कमी आएगी तथा रोबोटिक सफाई तकनीकों के माध्यम से प्रतिवर्ष 600 लाख लीटर जल का संरक्षण होगा।
राष्ट्रीय करेंट अफेयर्स Switch to English
छठा नदी उत्सव
चर्चा में क्यों?
केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सी.आर. पाटिल ने छठे नदी उत्सव का उद्घाटन किया तथा नदियों के संरक्षण हेतु नागरिकों की सामूहिक ज़िम्मेदारी पर ज़ोर दिया।
- उन्होंने नमामि गंगे परियोजना के महत्त्व को रेखांकित किया, जो नदियों की स्वच्छता बनाए रखने, अतिक्रमण रोकने और धार्मिक तथा सांस्कृतिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण पवित्र नदियों के संरक्षण पर केंद्रित है।
मुख्य बिंदु
- उद्देश्य: संस्कृति मंत्रालय के अंतर्गत इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (IGNCA) द्वारा आयोजित नदी उत्सव में नदियों के महत्त्व को आवश्यक जीवनरेखा और सांस्कृतिक जलाशय के रूप में उजागर किया गया।
- उत्सव में नदियों के पर्यावरणीय, सांस्कृतिक और कलात्मक आयामों को उजागर किया गया, जिससे उनकी महत्ता को गहराई से समझने का अवसर मिला।
- कार्यक्रम की अवधि: यह कार्यक्रम 25 से 27 सितंबर 2025 तक दिल्ली में आयोजित किया गया, जिसमें सेमिनार, फिल्म स्क्रीनिंग और प्रदर्शनियाँ शामिल थीं।
- रिवरस्केप डायनेमिक्स: परिवर्तन और निरंतरता शीर्षक वाले सेमिनार में पारंपरिक नदी ज्ञान, नदी देवताओं तथा लोक कथाओं एवं नदियों की कला, शिल्प व विज्ञान में भूमिका पर चर्चा की गई।
- मेरी नदी की कहानी: इस उत्सव में नदियों से जुड़े पर्यावरणीय मुद्दों और मानव संबंधों पर केंद्रित डॉक्यूमेंट्री था फिल्में प्रदर्शित की गईं।
- प्रदर्शित फिल्मों में गोताखोर: लुप्त होते गोताखोर समुदाय, भारत का नदी पुरुष, अर्थ गंगा, मोलाई - जंगल के पीछे का आदमी, कावेरी - जीवन की नदी, और लद्दाख -सिंधु नदी के किनारे जीवन शामिल हैं।